इस्लाम में ज़कात फर्ज है जल्द अदा करें
गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान का छठां रोजा अल्लाह की इबादत में गुजरा। मस्जिद नमाजियों से भरी रह रही है। तरावीह की नमाज जारी है। बाजार में चहल-पहल है। दिन की अपेक्षा रात खुशगवार है। इफ्तारी की दावत का दौर शुरू हो चुका है। हर तरफ कुरआन-ए-पाक पढ़ा जा रहा है। पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, उनके घर वालों व उनके साथियों पर दरूदो सलाम पेश किया जा रहा है।
घरों में महिलाओं की जिम्मेदारी बढ़ गई है। इफ्तार व सहरी में दस्तरख्वान बेहतरीन खानों से सजा नजर आ रहा है। मस्जिदों में रमज़ान का विशेष दर्स हो रहा है। इफ्तार के समय मोहल्ले के बच्चे व बड़े मस्जिद में इकट्ठे हो रहे है और घरों से आने वाली इफ्तारी को जमा कर मिट्टी व प्लास्टिक के बर्तन में मिलकर इफ्तार कर रहे है। शहर की तकरीबन हर मस्जिद में रमज़ान के तीसों दिन रोजेदार या मुसाफिर रोजा खोल सकते है। रहमत का अशरा जारी है। दस रोजा पूरा होने के बाद मगफिरत का अशरा शुरू होगा।
नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में ज़कात फर्ज है। ज़कात पर मजलूमों, गरीबों, यतीमों, बेवाओं का हक है। इसे जल्द से जल्द हकदारों मुसलमानों तक पहुंचा दें ताकि वह रमज़ान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। अगर आप मालिक-ए-निसाब हैं, तो हक़दार को ज़कात ज़रूर दें, क्योंकि ज़कात न देने पर सख़्त अज़ाब का बयान कुरआन-ए-पाक में आया है। ज़कात हलाल और जायज़ तरीक़े से कमाए हुए माल में से दी जाए।
मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया में एक कुरआन-ए-पाक पूरा
बुधवार को मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में तरावीह की नमाज में एक कुरआन-ए-पाक पूरा हो गया। यहां सैकड़ों लोगों ने तरावीह की नमाज़ अदा की। नमाज के दौरान कुरआन-ए-पाक हाफिज अमीर हम्जा ने पूरा किया। हाफिज अमीर को तोहफों से नवाजा गया। अंत में सलातो-सलाम पढ़ने के बाद अमनो-अमान, खुशहाली व तरक्की की दुआएं मागी गई। आखिर में शीरीनी बांटी गई।
बतातें चलें कि माह-ए-रमजान का चांद दिखने के साथ ही मस्जिदों में तरावीह की विशेष नमाज शुरु हुई थी। तरावीह की नमाज के दौरान नमाजियों को हाफिज-ए-कुरआन द्वारा पूरा कुरआन-ए-पाक बिना देखे सुनाना होता है। मदरसे के प्रधानाचार्य नजरे आलम कादरी ने कहा कि हर मुसलमान को चाहिए कि अल्लाह को राजी करने के लिए इस मुबारक महीने में दिन में रोजा रखे। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करे और रात में खास इबादत नमाज-ए-तरावीह अदा करे। तरावीह पूरे रमजान माह की रातों में पढ़नी है, भले ही कुरआन-ए-पाक पूरा हो चुका हो।
नक्सीर फूट गई और खून हलक में चला गया तो रोज़ा टूट जाएगा: उलमा किराम
तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर बुधवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए।
1. सवाल : रोज़े की हालत में गुस्ल (नहाना) करने में अगर कान में पानी चला जाए तो क्या रोज़ा टूट जाता है? (दानिश, मियां बाज़ार)
जवाब: रोज़े की हालत में अगर गुस्ल करते हुए कान में खुद ब खुद पानी चला गया तो रोज़े पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, इसलिए कि यह अख़्तियार से बाहर है। (मुफ्ती अख्तर)
2. सवाल : नापाकी की हालत में रोज़ा रखना कैसा है? (अमन, बसंतपुर)
जवाब : हालते जनाबत में रोज़ा दुरुस्त है। इससे रोज़े में कोई नक्स व खलल नहीं आएगा। अलबत्ता वह शख्स नमाज़ें जानबूझकर छोड़ने के सबब अशद गुनाहे कबीरा का मुरतकिब होगा। (मुफ्ती मेराज)
3. सवाल : क्या दांत और मसूड़े से खून निकले तो रोज़ा टूट जाएगा? (सैयद काशिफ, घोसीपुर)
जवाब : दांतों या मसूड़ों से खून निकलकर हलक में चला जाए तो उससे रोज़ा टूट जाएगा और कजा लाजिम होगी। (कारी मो. अनस)
4. सवाल : रोज़े की हालत में नक्सीर फूट गई और खून हलक में चला गया तो क्या रोज़ा टूट गया? (आफताब, गोरखनाथ)
जवाब : अगर किसी की नक्सीर फूट गई और खून हलक में चला गया तो रोज़ा टूट जाएगा और खून हलक में नहीं गया तो रोज़ा नहीं टूटेगा। (मौलाना जहांगीर)
Mar 30 2023, 15:18