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दुमका : 60:40 आधारित नियोजन नीति का विरोध, सीएम व विधायकों का निकाला शव यात्रा, फूंका पुतला


दुमका :- झारखण्ड के हेमंत सरकार के नियोजन नीति के खिलाफ शुक्रवार को कई छात्र सड़क पर उतर गए। खतियान आधारित नियोजन नीति बनाने और 60:40 आधारित नियोजन नीति रद्द करने की मांग को लेकर छात्र समन्वय समिति के नेतृत्व में छात्रों ने छात्र अधिकार महारैली के तहत मुख्यमंत्री और सत्ता पक्ष के सभी विधायकों (दो विधायक को छोड़कर) का विशाल शव यात्रा निकाला और पुतला फूंका। 

सरकार के मौजूदा 60:40 आधारित नियोजन नीति का विरोध कर रहे छात्रों ने ढोल-मांदर और पारंपरिक हथियारों के साथ एसपी कॉलेज से शव यात्रा निकाला और विवेकानंद चौक पर पुतला फूंका। 

छात्र-छात्राओं ने हेमंत सरकार एवं उनके सहयोगी कांग्रेस के तमाम विधायकों का विरोध किया। छात्रों ने कहा कि हेमंत सरकार एवं उसके सहयोगी कांग्रेस के द्वारा बनाई गई कई गलत नीतियों ने जनमानस की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। 

छात्रों ने सवाल उठाया कि क्या झारखंड इसी दिन के लिए बना था कि यहां के युवा रोजगार के लिए दर-दर भटके। उन्हें अपने ही राज्य में हक अधिकार के लिए सड़कों पर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़े। 

आज हालात यह है कि अधिकार और न्याय की मांग में छात्रों को पुलिस से लाठी खाना पड़ रहा है। उन्हें बेवजह झूठे केस का शिकार होना पड़ रहा है। जहां उन्हें रोजगार मिलना चाहिए वहां केस और पुलिस की लाठी मिल रही है। 

छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि झारखंड के हेमंत सरकार को यह बात समझ में आना चाहिए कि 1951 के बाद केंद्र के विभिन्न सरकारी उपक्रमों में झारखंड में आए विभिन्न राज्यों के लोग एवं उनके परिवार बस गए है। सवाल उठता है कि झारखंड के स्थानीय खाता धारियों का क्या होगा? इस हालात में क्या हेमंत सोरेन ने झारखंड के आदिवासियों और मूल वासियों के साथ धोखा नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार 1932 के आधार पर स्थानीय नीति क्यों नहीं बनाया? 1932 शब्द के साथ अंतिम सर्वे सेटेलमेंट शब्द को क्यों नहीं जोडा गया है। क्या झारखंड में बाहर से आए लोगों की जनसंख्या अधिक हो गई है या फिर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव बढ़ गया। 

उन्होंने कहा कि अगर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव है तो क्यों है यह बात हेमंत सरकार को समझने की जरूरत है। कहा कि आज बाहरी लोग जो यहां रोजगार की तलाश में आए उन्होंने अपना वोटर कार्ड यहां बनवाया और वोट भी देते हैं क्या यह दोहरी नागरिकता नहीं है ऐसे लोगों को चिन्हित कर सरकार क्यों कार्रवाई नहीं करती है।  

बिहार बिहारियों के लिए, बंगाल बंगालियों के लिए, तो क्या झारखंड झारखंडियों के लिए नहीं हो सकता है ? उन्होंने कहा कि क्या झारखंड सरकार का नियोजन नीति 60-40 का अनुपात उन लोगों के हित में नहीं बनाया जा रहा है जो झारखंड में बाहर से आए है और विभिन्न केंद्रीय उपक्रमों यथा सीसीएल, बीसीसीएल बीटीपीएस पीटीपीएस एवं एस.ए.आई. एल इत्यादि में काम कर रहे है। 

उन्होंने कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या झारखंड को एक चारागाह बनकर रह गया है। सरकार की गलत नीतियों में एक शिक्षा नीति भी है। जिसमें सरकार ने विश्वविद्यालय में सीयूईटी के तहत नामांकन अनिवार्य कर दिया है। संताल परगना के छात्र इसका विरोध करते है। 

उन्होंने कहा कि मांगे पूरी नहीं की जाने की स्थिति में छात्र समन्वय समिति आंदोलन के कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए एक अप्रैल को संताल परगना में एक दिवसीय बंदी का आह्वान करने के लिए बाध्य हो जायेगी। जिसकी जिम्मेवारी सरकार को होगी।

मौके पर विवेक हांसदा, सोकोल हेम्ब्रम, सुकदेव बेसरा, राली किस्कू, कोरलेलिस किस्कू, मुनिलाल हंसदाक, प्रवीण मुर्मू, बाबूराम सोरेन, लाटूवा किस्कू, अलीशा, पुष्पलता, होपोन टी, मार्टीना, बबीता मरांडी, अर्चना टुडू, सोनी सोरेन, प्रेमलता टुडू, कटरीना सोरेन, सावित्री हांसदा, सेबस्तियान हेम्ब्रम, फ्रांसिस सोरेन, श्याम देव हेम्ब्रम, मनोज मुर्मू, बाबूधन टुडू,, नरेश सोरेन, रविन्द्र मरांडी, सुलिश सोरेन बिमल राजेंद्र, मनुएल, सैमुएल सहित कई छात्र उपस्थित थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : BJP की प्रमंडल स्तरीय बैठक, मिशन 2024 में जीत का दिया गया मंत्र, बाबूलाल ने कहा - सूद सहित वसूलेंगे


दुमका : संताल परगना में बीजेपी पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए अब नई ऊर्जा, उत्साह और रणनीति के साथ मिशन 2024 को अंजाम देगी। शुक्रवार को दुमका के इंडोर स्टेडियम में पार्टी नेताओं ने कार्यकर्ताओं को मिशन 2024 के तहत संताल परगना के तीनों लोकसभा सीटों और विधानसभा के सभी 18 सीटों पर जीत का मंत्र दिया। 

झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि चाहे आनेवाला लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, दोनों में हम सूद सहित वसूल करेंगे।

पार्टी के प्रमंडल स्तरीय सांगठनिक बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बूथ सशक्तिकरण पर पार्टी का विशेष जोर है और देशभर में पार्टी द्वारा बैठकें कर बूथ स्तर तक कि समीक्षा की जा रही है। 

हर बूथ पर कार्यकर्ताओं की टोली खड़ी करनी है।

इससे पूर्व पार्टी के इस महत्वपूर्ण सांगठनिक बैठक में बाबूलाल मरांडी के अलावा प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर, प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद शर्मा और प्रदेश महामंत्री डॉ प्रदीप वर्मा ने पार्टी के मौजूद प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों, विभिन्न मोर्चा के जिलाध्यक्षों, मण्डल अध्यक्ष आदि के साथ संवाद किया। पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने संथाल परगना के सभी छह जिला के जिला पदाधिकारी, मोर्चा के अध्यक्ष, 103 मंडलों से मंडल अध्यक्षों एवं महामंत्री से सभी बूथों पर बूथ सशक्तिकरण कार्य में लगे कार्यकर्ताओं से वस्तुस्थिति की जानकारी ली एवं संथाल परगना के तीनो लोकसभा एवं 18 विधानसभा को जीतने का सूत्र बताया।

 उन्होंने कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि केंद्र सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी ग्रामीण स्तर के लोगों तक दिए जाने की जरूरत है। कहा कि झारखण्ड की मौजूदा हेमंत सरकार किस प्रकार लूट और भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है यह सभी कार्यकर्ताओं को दिखाई दे रहा है। उन्होंने 11 अप्रैल को रांची में विधानसभा के सचिवालय के घेराव कार्यक्रम को सफल बनाने का आह्वान किया। 

श्री मरांडी ने कहा कि नियोजन नीति लागू नहीं कर बेरोजगारों को गुमराह करने के लिए सरकार जोहार यात्रा निकाल कर दिग्भ्रमित करने का काम कर रही है।

बैठक में प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर ने उपस्थित सभी प्रमंडल से आए जिला एवं मंडलों के दायित्ववान कार्यकर्ताओं से बूथस्तर पर किए जा रहे कार्यों की समीक्षा के साथ संगठन को मजबूत करने के लिए मार्गदर्शित किया। उन्होंने कहा कि प्रमंडल स्तरीय बैठक से सभी लोग जो आज उपस्थित हुए हैं वह किसी न किसी बूथ से संबंधित हैं, और हम सब को एक संकल्प लेकर यहाँ से जाना है कि हमारा बूथ सबसे मजबूत होगा। 

कार्यक्रम का संचालन प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष विनोद शर्मा ने किया। बैठक में राजमहल विधायक अनंत ओझा, गोड्डा विधायक अमित मंडल, देवघर के पार्टी जिला अध्यक्ष सह विधायक नारायण दास, सारठ विधायक रणधीर सिंह, प्रदेश मंत्री मिस्त्री सोरेन, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभय कांत प्रसाद, पूर्व मंत्री सत्यानंद झा बाटुल, डॉ लुईस मरांडी, ताला मरांडी, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अमरेंद्र सिंह मुन्ना, निवास मंडल, दुमका जिला अध्यक्ष परितोष सोरेन, जामताड़ा जिला अध्यक्ष सोमनाथ सिंह, पाकुड़ जिला अध्यक्ष अमृत पांडे, साहिबगंज जिला अध्यक्ष राम दरस यादव, गोड्डा जिला अध्यक्ष राजीव मेहता, विवेकानंद राय, दीपक स्वर्णकार, पिंटू अग्रवाल, मनोज पांडे, रूपेश मण्डल, सहित अन्य उपस्थित थे। 

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : वाणी में संयम जरूरी, बोलने से पहले 10 बार सोचना चाहिए - बाबूलाल मरांडी


दुमका : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को उनकी मोदी सरनेम टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने की तारीख से लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किये जाने के मामले में झारखण्ड के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

शुक्रवार को दुमका के इंडोर स्टेडियम में बीजेपी के प्रमंडल स्तरीय संगठनात्मक बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह सबक हर नेताओं के लिए है जो महत्वपूर्ण व जिम्मेदार पदों पर रहते है।

 उनको अपनी वाणी में संयम रखनी चाहिए और बोलने के पहले 10 बार सोचना चाहिए कि हम क्या बोल रहे है। इस मामले में कांग्रेस के आरोपों पर उन्होंने कहा कि यह कोर्ट का मामला है, कोर्ट ने जजमेंट दिया है। अगर कोई किसी जाति को टारगेट कर कुछ कहेगा और उक्त जाति के लोग कोर्ट चला जाये और मानहानि का केस कर दे तो इसे कोर्ट देख रही है। उसमें बीजेपी कहाँ से आ गयी।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : SKMU का 7वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न, 55 छात्रों को मिला गोल्ड मेडल, राज्यपाल ने कहा - युवा देश की बड़ी पूंजी

दुमका : झारखण्ड के राज्यपाल सह कुलाधिपति सी0 पी0 राधाकृष्णन ने

प्रतिस्पर्धा और ज्ञान के युग में

विश्वविद्यालयों को एक मजबूत शिक्षा प्रणाली के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व की पाँचवी आर्थिक शक्ति के रूप में बनकर उभरी है।

हमारे देश में जहां चुनौतियां हैं तो वहीं अपार संभावनाएं भी हैं। तकनीकी और वैज्ञानिक ज्ञान रखने वाले किसी भी व्यक्ति की समाज में हमेशा मांग और सम्मान रहेगा।

राज्यपाल सी0 पी0 राधाकृष्णन गुरुवार को कन्वेंशन सेंटर में आयोजित सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल ने सत्र 2022 के एक बेस्ट ग्रेजुएट सहित 55 सब्जेक्ट टॉपर्स को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में राज्यपाल ने श्री राधाकृष्णन ने कहा कि किसी संस्था की पहचान सिर्फ वहाँ के इमारत या बुनियादी ढांचे से नहीं मापी जा सकती। छात्रों का प्रदर्शन ही विश्वविद्यालय की पहचान स्थापित करता है और विशेष रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थापित एसकेएमयू जैसे विश्वविद्यालय की यह जिम्मेदारी है कि वह अधिक से अधिक छात्रों, विशेषकर लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करे। कहा कि युवा हमारे देश की बड़ी पूंजी है और भारत का संभावित जनसांख्यिकीय लाभांश केवल एक परिवर्तनकारी उपकरण के रूप में प्रकट हो सकता है यदि हमारे युवा अवसरों और आज की जरूरतों के लिए कुशल और प्रशिक्षित हों।

वहीं कुलपति प्रो सोना झरिया मिंज ने अपने स्वागत भाषण में विवि की रिपोर्ट प्रस्तुत कर उपलब्धियों पर चर्चा की।

प्रति कुलपति प्रो बिमल प्रसाद सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया जबकि मंच संचालन डॉ अंजुला मूर्मू और डॉ अंजनी शर्मा ने की। इससे पूर्व समारोह स्थल में एनसीसी के कैडेट्स ने राज्यपाल की आगवानी की और विवि के छात्र छात्राओं ने पारंपरिक लोटा-पानी से उनका स्वागत किया। कुलपति ने राज्यपाल का स्वागत पुष्प गुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर किया।

राज्यपाल ने स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं के विभिन्न विषयों के टॉपर को पदक प्रदान किया। साथ ही उन्होंने सत्र 2022 में पीएचडी की उपाधि पाने वाले शोधार्थियों को प्रमाण पत्र भी सौपा। बाद में पदक प्राप्त करने वाले और प्रमाण पत्र पाने वाले छात्रों एवं शोधार्थियों ने राज्यपाल के साथ तस्वीरे भी खिंचवाईं। मौके पर कुलसचिव प्रो संजय कुमार सिन्हा, परीक्षा नियंत्रक डॉ जय कुमार साह सहित विवि एवं जिला प्रशासन के सभी अधिकारी मौजूद थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : SKMU का 7वां दीक्षांत समारोह कल, तैयारी पूरी, एक बेस्ट ग्रेजुएट सहित 55 टॉपर्स गोल्ड मेडल से होंगे सम्मानित


दुमका : दुमका के सिदो कान्हू मुर्मू यूनिवर्सिटी के कल होनेवाले सातवें दीक्षांत समारोह की तैयारियां पूरी कर ली गयी है। दीक्षांत समारोह का आयोजन इस बार यूनिवर्सिटी कैम्पस में नहीं बल्कि दुमका के कन्वेंशन सेंटर में होगा। 

समारोह में झारखंड के राज्यपाल सह कुलाधिपति सी0 पी0 राधाकृष्णन शिरकत करेंगे। राज्यपाल सी0 पी0 राधाकृष्णन बुधवार को दुमका भी पहुँच चुके है।दीक्षांत समारोह के दौरान एक बेस्ट ग्रेजुएट और 54 सब्जेक्ट टॉपर्स को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा। समारोह में सम्मानित होनेवाले सभी टॉपर्स छात्र और छात्राएं भारतीय परिधान में दिखेंगे।

छात्र जहाँ कुर्ता-पायजामा में दिखेंगे तो वही छात्राएं साड़ी में दिखेंगी। 

बुधवार को आयोजन स्थल कन्वेंशन सेंटर में पत्रकारों से बात करते हुए कुलपति प्रोफेसर सोना झरिया मिंज ने कहा कि दीक्षांत समारोह को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। अंतिम रिहर्सल किया जाना है। कहा कि इस बार अंडर ग्रेजुएट के 24, वोकेशनल के 10 और पोस्ट ग्रेजुएट के 20 सब्जेक्ट टॉपर छात्रों को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा।

 साथ ही एक बेस्ट ग्रेजुएट को गोल्ड मेडल से सम्मानित किए जाने की तैयारी है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय अंतर्गत वर्ष 2022 के यूजी के करीब 19 हजार 109, पीजी के तीन हजार 662 और पीएचडी के 56 डिग्रीधारक है। 

मौके पर कुलसचिव डॉ0 संजय कुमार सिन्हा, परीक्षा नियंत्रक डॉ0 जय कुमार साह, डीएसडब्ल्यू डॉ0 संजय कुमार सिंह, जनसंपर्क पदाधिकारी प्रो शंभु कुमार सिंह, मीडिया प्रभारी डॉ0 अजय सिन्हा उपस्थित थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन पहुँचे फौजदारी बाबा का दरबार, पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की

दुमका : झारखण्ड के राज्यपाल सह कुलाधिपति सी.पी. राधाकृष्णन ने बुधवार को पूजा अर्चना के लिए प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर पहुंचे।

 राज्यपाल ने बाबा बासुकीनाथ के दर्शन कर पूजा-अर्चना की और देश एवं प्रदेश की खुशहाली, संपन्नता और सुख-समृद्धि की कामना की। बाबा बासुकीनाथ मंदिर पहुंचने पर मंदिर प्रांगण के प्रशाल में तीर्थ पुरोहितों के दल ने पूजा अर्चना की प्रारंभिक विधि पूरी कराई। 

इसके बाद राज्यपाल को विधिवत संकल्प कराकर ज्योतिर्मय भगवान नागेश बासुकीनाथ की पूजा-अर्चना कराई गई।

(राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : महिलाएं हमेशा सक्षम रही बस दायरे को सीमित रखा गया - अनुकृति


दुमका : जिला प्रशासन द्वारा कन्वेंशन सेंटर में आयोजित स्टेट लाइब्रेरी लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन रविवार को पहले सत्र में अविस्मरणीय महिलाओं की कहानियां विषय पर लेखक अनुकृति उपाध्याय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे गर्व है कि मुझे प्रकृति के गोद में बसे इस वीरों की भूमि में आने का सौभाग्य मिला। 

उन्होंने कहा कि आज हम सभी को अपनी परंपरा और संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि मध्यम वर्ग में पैदा होने के बाद शिक्षा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता रही।शिक्षा प्राप्त करने के बाद दुनिया मे अलग अलग जगह पर काम करने निकल पड़ी।

दुनिया घूम कर देखा तो पाया कि लोगों में अंतर नहीं है परिस्थितियों में अंतर है।

उन्होंने बताया कि घर छोड़ा अपने परिवेश को छोड़ा।पिछले तीन वर्षों से पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली से संस्था से जुड़ी हूँ। जितना पर्यावरण मैंने नष्ट किया है उसका कुछ अंश भरण करने का प्रयास कर रही हूं।

बताया कि मैंने अंग्रेजी में 4 किताबें प्रकाशित हुए हैं। 2 छोटे उपन्यास लिखे हैं। दौरा और भौंरी। राजस्थान की ग्रामीण और बंजारा संस्कृति से जुड़े 2 उपन्यास लिखे हैं।इन उपन्यास में उनके जीवन, सौंदर्य उनके संघर्ष पर लिखा है। कहानियां की संकलन से संबंधित पुस्तक द ब्लू वीमेन हाल में प्रकाशित हुई है।उन्होंने कहा कि हम सभी का जीवन एक दूसरे से जुड़ा हैं।हर पीढ़ी अपने पुराने पीढ़ी से कुछ अंश लेकर आगे बढ़ती है। 

स्त्रियों को किसी ने सक्षम नहीं बनाया वो हमेशा सक्षम थी। उनके दायरे को सीमित रखा गया था। उन्होंने अपने क्षेत्र का विस्तार किया। समाज मे स्त्रियों का अपना एक अलग महत्व है। किसी उत्सव की कल्पना स्त्रियों के बिना संभव नहीं है। स्त्रियों का दो परिवार होता है। एक जहां उनकी भावना जुड़े होते है और दूसरा जहां उन्हें जोड़ना होता है। कोई भी विधा उतनी ही सीमित है, जितना उसे लिखने वाला होता है। किसी भी विधा की कोई सीमा नहीं होती है। अपने सीमा को पहचानने की जरूरत है।लिखना भी एक तरह का योग है। जितना करेंगे उतना आसान होता जाएगा।

मोडरेटर के रूप में अच्युत चेतन ने कहा कि अनुकृति उपाध्याय के उपन्यास के बारे में कहा जाता है कि महिलाओं के जीवन के उन कोनों में चली जाती है जहां साधारण रूप से इंसान का मन नहीं जा पाता है। इनकी कहानियों में राजस्थान की झलक देखने को मिलती है। राजस्थान का मरुस्थल भी इनके उपन्यास में पात्र है।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री ने कहा - लेखन एक तलाश है जो हम पन्नों के जरिए उतारते हैं

दुमका :- अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री ने कहा कि मैं अपने मैं अपने आप को बहुत खुशनसीब मानती हूं कि इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन में सम्मिलित हुई। 

जिला प्रशासन का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि लेखक के लिए हास्य मध्य होता है। लेखक के लिए ऊंची मंजिल पर बैठा कोई लेखक नहीं होता। लेखक को हमेशा उतर कर ही रहना होता है। तभी वह लेखन कर सकेगा। शनिवार को कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यहां आना मेरे लिए मध्य के आना और जाना है जो लोग बड़े शहर चले गए हैं लंदन, न्यूयॉर्क को अपने शहर से बेहतर जानते हैं। 

अपने बगल के प्रदेश को नहीं जानते। हमारी सोच और समझ में बहुत बड़ी कमी है। आप लोग उस कमी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। कहा कि मेरे लिए यह बहुत बहुमूल्य घड़ी है। मैं नहीं आती तो आपका शायद कोई नुकसान नहीं होता लेकिन मेरा बहुत बड़ा नुकसान हो जाता। 

मैं यहां आप सब से सीखने आई हूं आपसे कुछ लेने आई हूं। लेखन एक तलाश है जो हम पन्नों के जरिए उतारते हैं।गीतांजलि श्री द्वारा लिखी उपन्यास ' रेत समाधि ' प्रतिष्ठित 2022 अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित होने वाला पहला हिंदी उपन्यास है।

उनका जन्म गीतांजलि पांडे के रूप में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी माँ का पहला नाम 'श्री' लिया और इसे अपना अंतिम नाम बना लिया।

उन्होंने अब तक कई लघु कथाएँ और कुल पाँच उपन्यास लिखे हैं। उनकी पहली कहानी ' बेल पत्र ' (1987) थी, जो साहित्यिक पत्रिका हंस में प्रकाशित हुई थी। रेत समाधि (2018) उनका पांचवां और नवीनतम उपन्यास है। 

इन्हें इंदु शर्मा कथा सम्मान पुरस्कार की प्राप्तकर्ता भी रही हैं। उन्होंने महाराज सयाजी राव विवि, वडोदरा से प्रेमचंद और उत्तर भारत के औपनिवेशिक शिक्षित वर्ग विषय पर शोध की उपाधि प्राप्त की। कुछ दिनों तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि में अध्यापन के बाद सूरत के सेंटर फॉर सोशल स्टडीज में पोस्ट-डॉ टरल रिसर्च के लिए गईं। 

वहीं रहते हुए उन्होंने कहानियाँ लिखनी शुरू कीं। उनका परिवार मूल रूप से गाजीपुर जिले के गोडउर गाँव का रहने वाला है । राजकीय पुस्तकालय साहित्य महोत्सव के पांचवें चरण में हिन्दी की जानी मानी कथाकार और उपन्यासकार गीतांजलि श्री ने "रेत समाधि, कहानी के बारे में कहानी तथा अनुवाद की चुनौतियां" विषय पर परिचर्चा प्रस्तुत की। 

इस परिचर्चा के दौरान कवि एवं लेखक नीता गुप्ता मॉडरेटर के रूप में उपस्थित थी। 

इस परिचर्चा के दौरान गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा का चयन मैंने अपने लेखन में इसलिए चुना है क्योंकि मुझे अपनी मातृभाषा में ही अब सबसे सहज और सहल से उतर पाई। मैंने हिंदी भाषा का चयन नहीं किया बल्कि हिंदी भाषा में मेरा चयन किया है। उन्होंने उपस्थित सभी छात्रों को कहा कि आप अपना परिचय अच्छे से समझ कर भी जीवन में किसी भी बड़े काम को आसानी से कर पाएंगे। इस दौरान उन्होंने अपने लिखे हुए किताब, उपन्यास से जुड़ी विभिन्न पहलुओं की जानकारी उपस्थित लोगों तक प्रेषित की। 

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : आदिवासी इतिहास एक चैलेंज, कई दस्तावेजों से भरा हुआ आदिवासियों का इतिहास : डॉ0 जोसेफ बारा

दुमका :- उपराजधानी के कन्वेंशन सेंटर में शनिवार को आयोजित दो दिवसीय राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव में सीगल बुक्स प्रकाशन के प्रकाशक नवीन किशोर ने कहा कि मेरी दिक्कत यह है कि मैं जीवन में सब कुछ करना चाहता हूँ। 

मेरी शुरुआत एक मंच पर थिएटर लाइटिंग डिजाइनर के रूप में हुई थी। मैं फिर से एक प्रकाशक के रूप में जन्म लिया और 40 साल से किताबों को प्रकाशित करते आ रहा हूं। इसी बीच हर दिन 14-15 सालों से, दोस्तों, कवियों एवं खुद के लिए कुछ लिखने का प्रयास भी कर रहा हूं।

उन्होंने कहा कि प्रकाशक होने के कारण कुछ लोग सोचते हैं कि मुझे अपनी प्रकाशन के लिए आसानी हुई होगी लेकिन मुझे भी उतना ही परेशानी हुई जितनी पहली बार किसी लेखक को होती है। 

नवीन किशोर ने 1982 में नाटक, फिल्म, कला और संस्कृति अध्ययन से संबंधित पुस्तक मुद्रण के उद्देश्य से सीगल बुक्स की स्थापना की। आज यहां कविता और कथाओं सहित साहित्य के ख्यातिप्राप्त लेखकों के पुस्तक प्रकाशित होते हैं। 

पॉल सेलन, इंगबोर्ग बैचमैन, जीन-पॉल सार्त्र, थॉमस बर्नहार्ड, इमरे कर्टेज़, यवेस बोनेफॉय, मो यान, महाश्वेता देवी समेत साहित्य क्षेत्र के कई दिग्गजों की पुस्तकें इनके प्रकाशन में मिल जाएंगी।रवि सिंह नई दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र प्रकाशन कंपनी स्पीकिंग टाइगर के प्रकाशक और सह-संस्थापक हैं। इससे पहले, वह पेंगुइन बुक्स इंडिया के प्रकाशक और प्रधान संपादक, एलेफ बुक कंपनी के सह-प्रकाशक और दिल्ली डायरी पत्रिका के संपादक थे। 

डॉ. जोसेप बारा ने कहा कि मैं साहित्यकार नहीं हूं। मैं थोड़ा बहुत आदिवासी इतिहास पर कार्य करता हूं। आदिवासी इतिहास को मैं एक चैलेंज के रूप में देखता हूं आदिवासी इतिहास में दस्तावेज भरे हुए हैं। आदिवासी के इतिहास के संबंध में दुमका कोर्ट रूम से मुझे बहुत सारी जानकारियां मिली जिसे मैं सोच भी नहीं सकता था। कहा कि यह सारी दस्तावेजों के आधार पर आदिवासी इतिहास को कोशिश करता हूँ बताने की। 

डॉ. जोसेफ बारा, भारतीय दलित अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली के एक संकाय हैं।फुलब्राइट-नेहरू शैक्षणिक और व्यावसायिक उत्कृष्टता फेलो थे और अनुसूचित जनजातियों पर भारत की उच्च स्तरीय समिति (2013-14) के प्रधानमंत्री के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। 

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : आदिवासी इतिहास एक चैलेंज, कई दस्तावेजों से भरा हुआ आदिवासियों का इतिहास : डॉ0 जोसेफ बारा


दुमका :- उपराजधानी के कन्वेंशन सेंटर में शनिवार को आयोजित दो दिवसीय राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव में सीगल बुक्स प्रकाशन के प्रकाशक नवीन किशोर ने कहा कि मेरी दिक्कत यह है कि मैं जीवन में सब कुछ करना चाहता हूँ। 

मेरी शुरुआत एक मंच पर थिएटर लाइटिंग डिजाइनर के रूप में हुई थी। मैं फिर से एक प्रकाशक के रूप में जन्म लिया और 40 साल से किताबों को प्रकाशित करते आ रहा हूं। इसी बीच हर दिन 14-15 सालों से, दोस्तों, कवियों एवं खुद के लिए कुछ लिखने का प्रयास भी कर रहा हूं।

उन्होंने कहा कि प्रकाशक होने के कारण कुछ लोग सोचते हैं कि मुझे अपनी प्रकाशन के लिए आसानी हुई होगी लेकिन मुझे भी उतना ही परेशानी हुई जितनी पहली बार किसी लेखक को होती है। 

नवीन किशोर ने 1982 में नाटक, फिल्म, कला और संस्कृति अध्ययन से संबंधित पुस्तक मुद्रण के उद्देश्य से सीगल बुक्स की स्थापना की। आज यहां कविता और कथाओं सहित साहित्य के ख्यातिप्राप्त लेखकों के पुस्तक प्रकाशित होते हैं। 

पॉल सेलन, इंगबोर्ग बैचमैन, जीन-पॉल सार्त्र, थॉमस बर्नहार्ड, इमरे कर्टेज़, यवेस बोनेफॉय, मो यान, महाश्वेता देवी समेत साहित्य क्षेत्र के कई दिग्गजों की पुस्तकें इनके प्रकाशन में मिल जाएंगी।रवि सिंह नई दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र प्रकाशन कंपनी स्पीकिंग टाइगर के प्रकाशक और सह-संस्थापक हैं। इससे पहले, वह पेंगुइन बुक्स इंडिया के प्रकाशक और प्रधान संपादक, एलेफ बुक कंपनी के सह-प्रकाशक और दिल्ली डायरी पत्रिका के संपादक थे। 

डॉ. जोसेप बारा ने कहा कि मैं साहित्यकार नहीं हूं। मैं थोड़ा बहुत आदिवासी इतिहास पर कार्य करता हूं। आदिवासी इतिहास को मैं एक चैलेंज के रूप में देखता हूं आदिवासी इतिहास में दस्तावेज भरे हुए हैं। आदिवासी के इतिहास के संबंध में दुमका कोर्ट रूम से मुझे बहुत सारी जानकारियां मिली जिसे मैं सोच भी नहीं सकता था। कहा कि यह सारी दस्तावेजों के आधार पर आदिवासी इतिहास को कोशिश करता हूँ बताने की। 

डॉ. जोसेफ बारा, भारतीय दलित अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली के एक संकाय हैं।फुलब्राइट-नेहरू शैक्षणिक और व्यावसायिक उत्कृष्टता फेलो थे और अनुसूचित जनजातियों पर भारत की उच्च स्तरीय समिति (2013-14) के प्रधानमंत्री के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। 

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)