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दुमका : SKMU का 7वां दीक्षांत समारोह कल, तैयारी पूरी, एक बेस्ट ग्रेजुएट सहित 55 टॉपर्स गोल्ड मेडल से होंगे सम्मानित


दुमका : दुमका के सिदो कान्हू मुर्मू यूनिवर्सिटी के कल होनेवाले सातवें दीक्षांत समारोह की तैयारियां पूरी कर ली गयी है। दीक्षांत समारोह का आयोजन इस बार यूनिवर्सिटी कैम्पस में नहीं बल्कि दुमका के कन्वेंशन सेंटर में होगा। 

समारोह में झारखंड के राज्यपाल सह कुलाधिपति सी0 पी0 राधाकृष्णन शिरकत करेंगे। राज्यपाल सी0 पी0 राधाकृष्णन बुधवार को दुमका भी पहुँच चुके है।दीक्षांत समारोह के दौरान एक बेस्ट ग्रेजुएट और 54 सब्जेक्ट टॉपर्स को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा। समारोह में सम्मानित होनेवाले सभी टॉपर्स छात्र और छात्राएं भारतीय परिधान में दिखेंगे।

छात्र जहाँ कुर्ता-पायजामा में दिखेंगे तो वही छात्राएं साड़ी में दिखेंगी। 

बुधवार को आयोजन स्थल कन्वेंशन सेंटर में पत्रकारों से बात करते हुए कुलपति प्रोफेसर सोना झरिया मिंज ने कहा कि दीक्षांत समारोह को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। अंतिम रिहर्सल किया जाना है। कहा कि इस बार अंडर ग्रेजुएट के 24, वोकेशनल के 10 और पोस्ट ग्रेजुएट के 20 सब्जेक्ट टॉपर छात्रों को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा।

 साथ ही एक बेस्ट ग्रेजुएट को गोल्ड मेडल से सम्मानित किए जाने की तैयारी है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय अंतर्गत वर्ष 2022 के यूजी के करीब 19 हजार 109, पीजी के तीन हजार 662 और पीएचडी के 56 डिग्रीधारक है। 

मौके पर कुलसचिव डॉ0 संजय कुमार सिन्हा, परीक्षा नियंत्रक डॉ0 जय कुमार साह, डीएसडब्ल्यू डॉ0 संजय कुमार सिंह, जनसंपर्क पदाधिकारी प्रो शंभु कुमार सिंह, मीडिया प्रभारी डॉ0 अजय सिन्हा उपस्थित थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन पहुँचे फौजदारी बाबा का दरबार, पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की

दुमका : झारखण्ड के राज्यपाल सह कुलाधिपति सी.पी. राधाकृष्णन ने बुधवार को पूजा अर्चना के लिए प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर पहुंचे।

 राज्यपाल ने बाबा बासुकीनाथ के दर्शन कर पूजा-अर्चना की और देश एवं प्रदेश की खुशहाली, संपन्नता और सुख-समृद्धि की कामना की। बाबा बासुकीनाथ मंदिर पहुंचने पर मंदिर प्रांगण के प्रशाल में तीर्थ पुरोहितों के दल ने पूजा अर्चना की प्रारंभिक विधि पूरी कराई। 

इसके बाद राज्यपाल को विधिवत संकल्प कराकर ज्योतिर्मय भगवान नागेश बासुकीनाथ की पूजा-अर्चना कराई गई।

(राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : महिलाएं हमेशा सक्षम रही बस दायरे को सीमित रखा गया - अनुकृति


दुमका : जिला प्रशासन द्वारा कन्वेंशन सेंटर में आयोजित स्टेट लाइब्रेरी लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन रविवार को पहले सत्र में अविस्मरणीय महिलाओं की कहानियां विषय पर लेखक अनुकृति उपाध्याय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे गर्व है कि मुझे प्रकृति के गोद में बसे इस वीरों की भूमि में आने का सौभाग्य मिला। 

उन्होंने कहा कि आज हम सभी को अपनी परंपरा और संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि मध्यम वर्ग में पैदा होने के बाद शिक्षा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता रही।शिक्षा प्राप्त करने के बाद दुनिया मे अलग अलग जगह पर काम करने निकल पड़ी।

दुनिया घूम कर देखा तो पाया कि लोगों में अंतर नहीं है परिस्थितियों में अंतर है।

उन्होंने बताया कि घर छोड़ा अपने परिवेश को छोड़ा।पिछले तीन वर्षों से पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली से संस्था से जुड़ी हूँ। जितना पर्यावरण मैंने नष्ट किया है उसका कुछ अंश भरण करने का प्रयास कर रही हूं।

बताया कि मैंने अंग्रेजी में 4 किताबें प्रकाशित हुए हैं। 2 छोटे उपन्यास लिखे हैं। दौरा और भौंरी। राजस्थान की ग्रामीण और बंजारा संस्कृति से जुड़े 2 उपन्यास लिखे हैं।इन उपन्यास में उनके जीवन, सौंदर्य उनके संघर्ष पर लिखा है। कहानियां की संकलन से संबंधित पुस्तक द ब्लू वीमेन हाल में प्रकाशित हुई है।उन्होंने कहा कि हम सभी का जीवन एक दूसरे से जुड़ा हैं।हर पीढ़ी अपने पुराने पीढ़ी से कुछ अंश लेकर आगे बढ़ती है। 

स्त्रियों को किसी ने सक्षम नहीं बनाया वो हमेशा सक्षम थी। उनके दायरे को सीमित रखा गया था। उन्होंने अपने क्षेत्र का विस्तार किया। समाज मे स्त्रियों का अपना एक अलग महत्व है। किसी उत्सव की कल्पना स्त्रियों के बिना संभव नहीं है। स्त्रियों का दो परिवार होता है। एक जहां उनकी भावना जुड़े होते है और दूसरा जहां उन्हें जोड़ना होता है। कोई भी विधा उतनी ही सीमित है, जितना उसे लिखने वाला होता है। किसी भी विधा की कोई सीमा नहीं होती है। अपने सीमा को पहचानने की जरूरत है।लिखना भी एक तरह का योग है। जितना करेंगे उतना आसान होता जाएगा।

मोडरेटर के रूप में अच्युत चेतन ने कहा कि अनुकृति उपाध्याय के उपन्यास के बारे में कहा जाता है कि महिलाओं के जीवन के उन कोनों में चली जाती है जहां साधारण रूप से इंसान का मन नहीं जा पाता है। इनकी कहानियों में राजस्थान की झलक देखने को मिलती है। राजस्थान का मरुस्थल भी इनके उपन्यास में पात्र है।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री ने कहा - लेखन एक तलाश है जो हम पन्नों के जरिए उतारते हैं

दुमका :- अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री ने कहा कि मैं अपने मैं अपने आप को बहुत खुशनसीब मानती हूं कि इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन में सम्मिलित हुई। 

जिला प्रशासन का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि लेखक के लिए हास्य मध्य होता है। लेखक के लिए ऊंची मंजिल पर बैठा कोई लेखक नहीं होता। लेखक को हमेशा उतर कर ही रहना होता है। तभी वह लेखन कर सकेगा। शनिवार को कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यहां आना मेरे लिए मध्य के आना और जाना है जो लोग बड़े शहर चले गए हैं लंदन, न्यूयॉर्क को अपने शहर से बेहतर जानते हैं। 

अपने बगल के प्रदेश को नहीं जानते। हमारी सोच और समझ में बहुत बड़ी कमी है। आप लोग उस कमी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। कहा कि मेरे लिए यह बहुत बहुमूल्य घड़ी है। मैं नहीं आती तो आपका शायद कोई नुकसान नहीं होता लेकिन मेरा बहुत बड़ा नुकसान हो जाता। 

मैं यहां आप सब से सीखने आई हूं आपसे कुछ लेने आई हूं। लेखन एक तलाश है जो हम पन्नों के जरिए उतारते हैं।गीतांजलि श्री द्वारा लिखी उपन्यास ' रेत समाधि ' प्रतिष्ठित 2022 अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित होने वाला पहला हिंदी उपन्यास है।

उनका जन्म गीतांजलि पांडे के रूप में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी माँ का पहला नाम 'श्री' लिया और इसे अपना अंतिम नाम बना लिया।

उन्होंने अब तक कई लघु कथाएँ और कुल पाँच उपन्यास लिखे हैं। उनकी पहली कहानी ' बेल पत्र ' (1987) थी, जो साहित्यिक पत्रिका हंस में प्रकाशित हुई थी। रेत समाधि (2018) उनका पांचवां और नवीनतम उपन्यास है। 

इन्हें इंदु शर्मा कथा सम्मान पुरस्कार की प्राप्तकर्ता भी रही हैं। उन्होंने महाराज सयाजी राव विवि, वडोदरा से प्रेमचंद और उत्तर भारत के औपनिवेशिक शिक्षित वर्ग विषय पर शोध की उपाधि प्राप्त की। कुछ दिनों तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि में अध्यापन के बाद सूरत के सेंटर फॉर सोशल स्टडीज में पोस्ट-डॉ टरल रिसर्च के लिए गईं। 

वहीं रहते हुए उन्होंने कहानियाँ लिखनी शुरू कीं। उनका परिवार मूल रूप से गाजीपुर जिले के गोडउर गाँव का रहने वाला है । राजकीय पुस्तकालय साहित्य महोत्सव के पांचवें चरण में हिन्दी की जानी मानी कथाकार और उपन्यासकार गीतांजलि श्री ने "रेत समाधि, कहानी के बारे में कहानी तथा अनुवाद की चुनौतियां" विषय पर परिचर्चा प्रस्तुत की। 

इस परिचर्चा के दौरान कवि एवं लेखक नीता गुप्ता मॉडरेटर के रूप में उपस्थित थी। 

इस परिचर्चा के दौरान गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा का चयन मैंने अपने लेखन में इसलिए चुना है क्योंकि मुझे अपनी मातृभाषा में ही अब सबसे सहज और सहल से उतर पाई। मैंने हिंदी भाषा का चयन नहीं किया बल्कि हिंदी भाषा में मेरा चयन किया है। उन्होंने उपस्थित सभी छात्रों को कहा कि आप अपना परिचय अच्छे से समझ कर भी जीवन में किसी भी बड़े काम को आसानी से कर पाएंगे। इस दौरान उन्होंने अपने लिखे हुए किताब, उपन्यास से जुड़ी विभिन्न पहलुओं की जानकारी उपस्थित लोगों तक प्रेषित की। 

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : आदिवासी इतिहास एक चैलेंज, कई दस्तावेजों से भरा हुआ आदिवासियों का इतिहास : डॉ0 जोसेफ बारा

दुमका :- उपराजधानी के कन्वेंशन सेंटर में शनिवार को आयोजित दो दिवसीय राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव में सीगल बुक्स प्रकाशन के प्रकाशक नवीन किशोर ने कहा कि मेरी दिक्कत यह है कि मैं जीवन में सब कुछ करना चाहता हूँ। 

मेरी शुरुआत एक मंच पर थिएटर लाइटिंग डिजाइनर के रूप में हुई थी। मैं फिर से एक प्रकाशक के रूप में जन्म लिया और 40 साल से किताबों को प्रकाशित करते आ रहा हूं। इसी बीच हर दिन 14-15 सालों से, दोस्तों, कवियों एवं खुद के लिए कुछ लिखने का प्रयास भी कर रहा हूं।

उन्होंने कहा कि प्रकाशक होने के कारण कुछ लोग सोचते हैं कि मुझे अपनी प्रकाशन के लिए आसानी हुई होगी लेकिन मुझे भी उतना ही परेशानी हुई जितनी पहली बार किसी लेखक को होती है। 

नवीन किशोर ने 1982 में नाटक, फिल्म, कला और संस्कृति अध्ययन से संबंधित पुस्तक मुद्रण के उद्देश्य से सीगल बुक्स की स्थापना की। आज यहां कविता और कथाओं सहित साहित्य के ख्यातिप्राप्त लेखकों के पुस्तक प्रकाशित होते हैं। 

पॉल सेलन, इंगबोर्ग बैचमैन, जीन-पॉल सार्त्र, थॉमस बर्नहार्ड, इमरे कर्टेज़, यवेस बोनेफॉय, मो यान, महाश्वेता देवी समेत साहित्य क्षेत्र के कई दिग्गजों की पुस्तकें इनके प्रकाशन में मिल जाएंगी।रवि सिंह नई दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र प्रकाशन कंपनी स्पीकिंग टाइगर के प्रकाशक और सह-संस्थापक हैं। इससे पहले, वह पेंगुइन बुक्स इंडिया के प्रकाशक और प्रधान संपादक, एलेफ बुक कंपनी के सह-प्रकाशक और दिल्ली डायरी पत्रिका के संपादक थे। 

डॉ. जोसेप बारा ने कहा कि मैं साहित्यकार नहीं हूं। मैं थोड़ा बहुत आदिवासी इतिहास पर कार्य करता हूं। आदिवासी इतिहास को मैं एक चैलेंज के रूप में देखता हूं आदिवासी इतिहास में दस्तावेज भरे हुए हैं। आदिवासी के इतिहास के संबंध में दुमका कोर्ट रूम से मुझे बहुत सारी जानकारियां मिली जिसे मैं सोच भी नहीं सकता था। कहा कि यह सारी दस्तावेजों के आधार पर आदिवासी इतिहास को कोशिश करता हूँ बताने की। 

डॉ. जोसेफ बारा, भारतीय दलित अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली के एक संकाय हैं।फुलब्राइट-नेहरू शैक्षणिक और व्यावसायिक उत्कृष्टता फेलो थे और अनुसूचित जनजातियों पर भारत की उच्च स्तरीय समिति (2013-14) के प्रधानमंत्री के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। 

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : आदिवासी इतिहास एक चैलेंज, कई दस्तावेजों से भरा हुआ आदिवासियों का इतिहास : डॉ0 जोसेफ बारा


दुमका :- उपराजधानी के कन्वेंशन सेंटर में शनिवार को आयोजित दो दिवसीय राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव में सीगल बुक्स प्रकाशन के प्रकाशक नवीन किशोर ने कहा कि मेरी दिक्कत यह है कि मैं जीवन में सब कुछ करना चाहता हूँ। 

मेरी शुरुआत एक मंच पर थिएटर लाइटिंग डिजाइनर के रूप में हुई थी। मैं फिर से एक प्रकाशक के रूप में जन्म लिया और 40 साल से किताबों को प्रकाशित करते आ रहा हूं। इसी बीच हर दिन 14-15 सालों से, दोस्तों, कवियों एवं खुद के लिए कुछ लिखने का प्रयास भी कर रहा हूं।

उन्होंने कहा कि प्रकाशक होने के कारण कुछ लोग सोचते हैं कि मुझे अपनी प्रकाशन के लिए आसानी हुई होगी लेकिन मुझे भी उतना ही परेशानी हुई जितनी पहली बार किसी लेखक को होती है। 

नवीन किशोर ने 1982 में नाटक, फिल्म, कला और संस्कृति अध्ययन से संबंधित पुस्तक मुद्रण के उद्देश्य से सीगल बुक्स की स्थापना की। आज यहां कविता और कथाओं सहित साहित्य के ख्यातिप्राप्त लेखकों के पुस्तक प्रकाशित होते हैं। 

पॉल सेलन, इंगबोर्ग बैचमैन, जीन-पॉल सार्त्र, थॉमस बर्नहार्ड, इमरे कर्टेज़, यवेस बोनेफॉय, मो यान, महाश्वेता देवी समेत साहित्य क्षेत्र के कई दिग्गजों की पुस्तकें इनके प्रकाशन में मिल जाएंगी।रवि सिंह नई दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र प्रकाशन कंपनी स्पीकिंग टाइगर के प्रकाशक और सह-संस्थापक हैं। इससे पहले, वह पेंगुइन बुक्स इंडिया के प्रकाशक और प्रधान संपादक, एलेफ बुक कंपनी के सह-प्रकाशक और दिल्ली डायरी पत्रिका के संपादक थे। 

डॉ. जोसेप बारा ने कहा कि मैं साहित्यकार नहीं हूं। मैं थोड़ा बहुत आदिवासी इतिहास पर कार्य करता हूं। आदिवासी इतिहास को मैं एक चैलेंज के रूप में देखता हूं आदिवासी इतिहास में दस्तावेज भरे हुए हैं। आदिवासी के इतिहास के संबंध में दुमका कोर्ट रूम से मुझे बहुत सारी जानकारियां मिली जिसे मैं सोच भी नहीं सकता था। कहा कि यह सारी दस्तावेजों के आधार पर आदिवासी इतिहास को कोशिश करता हूँ बताने की। 

डॉ. जोसेफ बारा, भारतीय दलित अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली के एक संकाय हैं।फुलब्राइट-नेहरू शैक्षणिक और व्यावसायिक उत्कृष्टता फेलो थे और अनुसूचित जनजातियों पर भारत की उच्च स्तरीय समिति (2013-14) के प्रधानमंत्री के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। 

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : गौरवशाली धरती पर बहने लगी साहित्य की रसधार, साहित्य उत्सव का दूसरा सीजन शुरू, देश भर से जुटे प्रख्यात लेखक व कवि


दुमका : पहाड़-जंगलों से घिरे, मंदिरों की भूमि और अपने दामन मे कई इतिहास को समेटे झारखण्ड की उपराजधानी दुमका में शनिवार से साहित्य की रसधार बहनी शुरू हो गयी। जिला प्रशासन द्वारा कन्वेंशन सेंटर में आयोजित राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव के दूसरे सीजन का शुभारंभ उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला, एसपी अम्बर लकड़ा और देश भर से जुटे प्रख्यात लेखक व कवि ने संयुक्त रूप से किया। 

दो दिनों तक चलनेवाले इस साहित्य उत्सव में देश भर के कई प्रख्यात संपादक, लेखक, साहित्यकार, कवि एवं प्रकाशकों द्वारा कला-संस्कृति, समाज, प्रकाशन, यात्रा, वन्य जीवन, भाषा आदि विषयों पर साहित्य के प्रभाव के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा और संवाद करेंगे।

साहित्य उत्सव के उदघाटन के अवसर पर बीते वर्ष आयोजित प्रथम साहित्य महोत्सव पर आधारित स्मारिका का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया।

 सत्र के शुभारंभ से पहले उपायुक्त श्री शुक्ला ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने स्थानीय विधायक बसंत सोरेन का संदेश पढ़कर सुनाया।साहित्य उत्सव के प्रथम सत्र में लिखने की प्रेरणा विषय पर परिचर्चा हुई। सत्र का संचालन फाउंडिंग मदर्स ऑफ द इंडियन रिपब्लिक के लेखक अच्युत चेतन ने किया। 

उन्होंने दुमका का इतिहास को बताते हुए कहा कि

शेरशाह सूरी जब यहां से गुजर रहें थे तो वह एक जगह पर रुके। वहां पर अपने सिपाहियों से कहा कि इस टीले पर चढ़कर देखो कि क्या नजर आ रहा है तो टीले पर चढ़कर सिपाहियों ने कहा कि नीचे एक नदी बह रही है जिसकी आकृति मोर की तरह दिखाई दे रही है जिससे उस नदी का नाम मयूराक्षी पड़ा और हमारे चारों ओर जो जगह है वह पहाड़ों के दामन में है जिससे इसका नाम दुमका पड़ गया। उन्होंने कहा कि दुमका विस्थापितों का शहर है। यहां की युवक-युक्तियां नौकरी की तलाश में बड़े शहर चले जाते है लेकिन यहां से काफी साहित्यकार उभरकर आगे भी आए हैं। 

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : डिजिटल पुलिसिंग की पहल शुरू, पेट्रोलिंग टीम पर रहेगी नजर, दुर्घटना में घायल को जल्द अस्पताल पहुँचाने में मिलेगी मदद


दुमका :- दुमका में डिजिटल पुलिसिंग की पहल शुरू कर दी गयी है। शुक्रवार को इसकी शुरुआत जरमुंडी और हँसडीहा थाना से की गई है। इसके तहत जरमुंडी थाना क्षेत्र के दुधानी, कारूडीह मोड़ एवं हंसडीहा थाना क्षेत्र अंतर्गत महादेवगढ़-बनियारा में ब्लैक स्पॉट स्थल चिन्हित कर क्यूआर कोड लगाया गया। 

पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर क्यूआर कोड लगाकर जरमुंडी थाना एवं हंसडीहा थाना पुलिस को डिजिटल पुलिसिंग के लिए तैयार किया जा रहा है। क्यूआर कोड लगने से अब इ-बीट पेट्रोलिंग सिस्टम चालू हो गयी। 

इ-बीट पेट्रोलिंग के लागू होने से वरीय पदाधिकारियों द्वारा थाना पदाधिकारी एवं पेट्रोलिंग गश्ती पर नजर रखी जाएगी एसपी अम्बर लकड़ा के मुताबिक आम लोगों के सहयोग के लिए इ-बीट पेट्रोलिंग सिस्टम चालू किया गया है। सड़क सुरक्षा एवं सुरक्षा व्यवस्था के लिए ब्लैक स्पॉट ई-बीट एवं ई-बीट पेट्रोलिंग सिस्टम शुरू की गई है।

साथ ही दुर्घटना होने पर पुलिस नियंत्रण कक्ष के कर्मी आसानी से गश्ती टीम को ट्रैक कर सकेंगे एवं जख्मी होने वाले व्यक्ति को जल्द अस्पताल पहुंचाने में मदद करेंगे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : चंदन विश्वास हत्याकांड का खुलासा, अवैध संबंध में पति-पत्नी ने मिलकर की हत्या

दुमका : दुमका पुलिस ने मुफ्फसिल थाना अंतर्गत कारीकादर गांव के चंदन विश्वास के हत्या मामले में आरोपी दंपत्ति को गिरफ्तार कर शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। शादीशुदा महिला के साथ प्रेम प्रसंग की वजह से चंदन की हत्या की हुई थी। 

शुक्रवार को मुफ्फसिल थाना परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मामले का खुलासा करते हुए सदर एसडीपीओ नूर मुस्तफा अंसारी ने कहा कि आरोपी दंपत्ति नरेश राणा और फुलकुमारी देवी ने मिलकर चंदन की हत्या कर दी थी।

 चंदन विश्वास का आरोपी फुलकुमारी के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था। आरोपी दंपत्ति मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के कैराबनी गांव के रहनेवाले है। एसडीपीओ ने कहा कि चंदन की हत्या के बाद उसकी मां इमा विश्वास ने मुफ्फसिल थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इमा विश्वास ने आरोपी नरेश राणा एवं अन्य अज्ञात पर हत्या का संदेह जताया था। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर एसडीपीओ के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया। गुप्त सूचना के आधार पर गुरुवार को ढाकोडीह से संदेही आरोपी नरेश राणा और उसकी पत्नी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। दोनों ने चंदन की हत्या में अपनी संलिप्तता स्वीकार की। चंदन की हत्या धारदार हथियार से की गई थी। दोनों के निशानदेही पर पुलिस ने खून लगा लोहे का दबिया समेत सामान बरामद किया।

 मौके पर पुनि सह थाना प्रभारी नितिश कुमार, पुअनि संजय कुमार, गंगाधर सिंह, अनिल कुमार मोहली, सअनि वीरेंद्र कुमार, अशोक कुमार मिश्रा सहित अन्य मौजूद थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : निजी स्कूल के चौथी तल्ला से गिरकर 8 वर्षीय छात्र की मौत, 3 दिन पहले हॉस्टल आया था आर्यमन, जांच में जुटी पुलिस


दुमका : दुमका के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत महुआ डंगाल में स्थित एक निजी स्कूल के TTचौथी तल्ला से गिरकर करीब आठ वर्षीय छात्र की दर्दनाक मौत हो गयी। मृतक आर्यमन कुमार पहली कक्षा का छात्र था और स्कूल के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा था। 

इधर, पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है हालांकि मृतक के परिजनों की ओर से संबंधित थाना में समाचार लिखे जाने तक कोई लिखित शिकायत दर्ज नही करायी गयी थी लेकिन परिजनों ने स्कूल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

जानकारी के मुताबिक प्लस टू पीजी स्कूल में पहली कक्षा के छात्र आर्यमन कुमार के स्कूल के चौथी तल्ला से अचानक गिरने के बाद अफरा-तफरी मच गई। आर्यमन ने खुद छत से छलांग लगायी या फिर खेलने के दौरान गिरा, इन सभी बिंदुओं पर पुलिस जांच में जुटी है। 

आनन - फानन में आर्यमन के परिजनों को इस घटना की सूचना स्कूल प्रबंधन द्वारा दी गयी और आर्यमन को फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया जहाँ डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने आर्यमन के शव का पोस्टमार्टम कराकर मामले की जांच में जुट गई है। मृतक के मामा हेमंत कुमार ने स्कूल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। हेमंत ने बताया कि स्कूल प्रबंधन ने फोन कर जानकारी दी कि आर्यमन छत से कूद गया है।

 अस्पताल आने के बाद देखा तो आर्यमन स्ट्रेचर पर था।उसकी मौत हो चुकी थी। कहा कि अगर छात्र को हॉस्टल में रखा गया है तो स्कूल प्रबंधन का दायित्व है कि उसकी सही ढंग से देखभाल हो लेकिन कही ना कहीं स्कूल प्रबंधन से चूक हुई है जिसकी वजह से इतनी बड़ी घटना हुई।

 इधर स्कूल के प्रिंसिपल सौरभ कुमार दत्ता के मुताबिक तीन दिन पहले ही आर्यमन हॉस्टल आया था और स्कूल में नही रहने की जिद्द कर रहा था। उन्होंने कहा कि जिस वक्त यह हादसा हुआ उस समय वो नाश्ता कर रहे थे। अचानक हल्ला हुआ तो वो नाश्ता छोड़कर घटनास्थल पहुँचे। 

बता दे कि पीजी स्कूल के एक ही बिल्डिंग में पठन-पाठन के साथ हॉस्टल भी संचालित है। चौथी तल्ला में हॉस्टल का किचन बना हुआ है। जिस वक्त यह हादसा हुआ उस समय बच्चे टिफिन कर रहे थे। 

जबकि तीसरे तल्ला में आर्यमन अन्य छात्रों के साथ रहता था। अब सवाल है कि आर्यमन छत तक कैसे पहुँचा। क्या आर्यमन की गतिविधियों पर किसी की नजर नहीं पड़ी। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है। 

थाना प्रभारी नितिश कुमार ने कहा कि पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौप दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)