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'आप अपने से 20 गुना बड़े व्यक्ति से युद्ध शुरू नहीं कर सकते', एक बार फिर ट्रंप ने जेलेंस्की को सरेआम “धोया”


#trump_zelensky_ukraine_war_blame

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से खासे नाराज नजर आए। ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर रूस के साथ युद्ध शुरू करने का आरोप लगाया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "आप अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको कुछ मिसाइलें दे देंगे। ट्रंप का ये बयान यूक्रेन के शहर सूमी में सोमवार को हुए रूसी हमले के बाद आया है। सूमी पर इस रूसी स्ट्राइक ने कम से कम 35 लोगों की जान ली है। जिसकी पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अल सल्वाडोर के अध्यक्ष नायब बुकेले से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ट्रंप ने मीडिया से बात की और इस दौरान ही उन्होंने जेलेंस्की को लेकर ये बयान दिया और साथ ही तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी युद्ध के लिए जिम्मेदार माना। डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन का युद्ध बताया है। उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की पर बाइडेन के साथ मिलकर इस त्रासदी को शुरू करने की अनुमति देने में बिल्कुल भयानक काम करने का आरोप लगाया है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, तीन लोगों की वजह से लाखों लोग मारे गए। हम पुतिन को नंबर एक कहें, लेकिन बाइडेन जिन्हें पता नहीं था कि वह क्या कर रहे हैं, नंबर दो और ज़ेलेंस्की। ट्रंप ने आगे कहा, जब आप युद्ध शुरू करते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि आप युद्ध जीत सकते हैं। अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और युद्ध शुरू होने पर फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको मिसाइलें दे देंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि मेरा इस युद्ध से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन मैं मौत और विनाश को रोकने के लिए लगन से काम कर रहा हूं। अगर 2020 का राष्ट्रपति चुनाव धांधली वाला नहीं होता, जो वो कई तरह से धांधली वाला था, तो यह भयानक युद्ध कभी नहीं होता। लेकिन वह अतीत है। अब हमें इसे रोकना होगा और इसे जल्दी रोकना होगा। ये बहुत दुखद है।

आपको बता दें कि इससे पहले ट्रंप ने यूक्रेन के शहर सुमी में रूसी हमले को भी काम कम करने आका था। उस हमले में दो बच्चों सहित 35 लोग मारे गए थे। डोनाल्ड ट्रंप ने हमले को "गलती" बताया था। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि यह भयानक था, और मुझे बताया गया कि उन्होंने गलती की, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक भयानक बात है। मुझे लगता है कि पूरा युद्ध एक भयानक बात है।

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 125% टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन का अगला कदम क्या हो सकता है?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को लागू हुए चीनी आयात पर टैरिफ को 104% से बढ़ाकर 125% करने के बाद चीन के साथ व्यापार युद्ध को और तेज कर दिया है।

सोशल मीडिया पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह कई अन्य व्यापारिक साझेदारों पर अपने तथाकथित "पारस्परिक टैरिफ" को रोक रहे हैं, क्योंकि उन्होंने जवाबी कार्रवाई करने के बजाय बातचीत के लिए आगे आकर जवाब दिया था। उन्होंने चीन पर "सम्मान की कमी" का आरोप लगाया। बीजिंग ने भी उसी तरह जवाब दिया, बुधवार को ट्रंप के पिछले टैरिफ की तरह ही अमेरिकी आयात पर 84% टैरिफ लगा दिया। जनवरी में पदभार संभालने के बाद से ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ को पांच बार बढ़ाया है।

चीन आगे क्या कर सकता है, यहां बताया गया है

चीन ने दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध में "अंत तक लड़ने" की बार-बार कसम खाई है। इसने यह भी कहा कि इसने ट्रम्प प्रशासन द्वारा "धमकाने" की रणनीति का हवाला देते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज की है। पिनपॉइंट एसेट मैनेजमेंट के मुख्य अर्थशास्त्री झिवेई झांग ने AFP को बताया कि चीन ने "स्पष्ट संकेत" दिया है कि वह पीछे नहीं हटेगा, साथ ही कहा कि संघर्ष से "(कोई) त्वरित और आसान रास्ता नहीं है"। 

स्काई न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात को और नियंत्रित कर सकता है। इन खनिजों का उपयोग कंप्यूटर चिप्स और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी जैसे उच्च तकनीक वाले उत्पादों में किया जाता है। चीन दुनिया की दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है। यह कृषि वस्तुओं जैसे उच्च प्रभाव वाले उत्पादों पर टैरिफ भी बढ़ा सकता है और Apple और Tesla जैसी हाई-प्रोफाइल अमेरिकी कंपनियों को निशाना बना सकता है। हालाँकि, बाद वाला मुश्किल है क्योंकि चीन अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग अमेरिकी फिल्मों के आयात पर प्रतिबंध लगाने या सभी अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार करने पर भी विचार कर सकता है।

 इससे पहले, कम्युनिस्ट पार्टी समर्थित पीपुल्स डेली के सप्ताहांत संपादकीय में टैरिफ को चीन के लिए आर्थिक विकास के मुख्य चालक के रूप में उपभोग को मजबूत करने के लिए एक "रणनीतिक अवसर" के रूप में वर्णित किया गया था, एएफपी के अनुसार। हमें "दबाव को प्रेरणा में बदलना चाहिए"। 

अब फार्मा सेक्टर पर भी टैरिफ लगाएंगे डोनाल्ड ट्रंप, जानें भारत पर क्या असर?

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हर तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की चर्चा है। दुनियाभर के 180 से अधिक देशों पर 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप अभी रूकने के मूड मे नहीं दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अब एलान किया है कि जल्द ही दवाओं के आयात पर शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका जल्द ही दवा आयात पर बड़े टैरिफ की घोषणा करेगा।

विदेश में दवा बना रही कंपनियों को वापस लाना है-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है, वही दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा। अब उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है।

टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं। वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है। एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। हालांकि, ट्रंप दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है।

भारतीय फार्मा कंपनियों पर असर

अगर अमेरिका दवाओं पर भी टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। भारत अमेरिका को दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है। भारतीय फार्मास्यूटिकल्स कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं। ऐसे में ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर भारतीय फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। Sun Pharma, Lupin, Dr. Reddy's, Aurobindo Pharma और Gland Pharma जैसी कंपनियां अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर हैं और उनके शेयर बुधवार को दबाव में नजर आए.

अभी फार्मा पर कितना टैरिफ है?

आपको बता दें कि फिलहाल भारत देश अमेरिका से आयात होने वाले फार्मा पर करीब 10 फ़ीसदी का टैरिफ चार्ज वसूलता है जबकि अमेरिका देश भारत से आने वाले फार्मा आयात पर किसी भी प्रकार का टैरिफ नहीं वसूलता है. आने वाले समय में अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो इससे भारतीय फार्मा कंपनियों के बिजनेस पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा.

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

टैरिफ को लेकर व्हाइट हाउस में मतभेद, आपस में भिड़े मस्क और ट्रंप के सलाहकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की हर तरफ आलोचना हो रही है। अब टैरिफ नीति को लेकर ट्रंप के अपने ही सलाहकार आपस में भिड़ गए हैं। व्हाइट हाउस के दो बड़े आर्थिक सलाहकार-पीटर नवारो और एलन मस्क एक दूसरे के आमने-सामने आ गए। पीटर नवारो का आरोप है कि एलन मस्क अमेरिका के बड़े व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाने का इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे उनकी कंपनियों को नुकसान हो सकता है। वहीं, एलन मस्क ने नवारो की शिक्षा और उनके आर्थिक सोच पर सवाल उठा दिए हैं।

यह विवाद तब और गहरा गया जब पीटर नवारो ने फॉक्स न्यूज संडे के साथ एक इंटरव्यू में एलन मस्क की टैरिफ विरोधी टिप्पणियों की आलोचना की। नवारो ने स्वीकार किया कि मस्क जो सरकारी दक्षता विभाग में भी भूमिका निभा रहे हैं, उस पद पर अच्छा काम कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि मस्क का टैरिफ का विरोध उनकी कंपनियों के व्यावसायिक हितों से प्रेरित है।

नवारो ने कहा, जब एलन मस्क ऊर्जा विभाग से जुड़े काम करते हैं, तो वे अच्छा काम करते हैं, लेकिन हमें पता है कि असल में क्या हो रहा है। एलन कार बेचते हैं और वे सिर्फ अपने फायदे की बात कर रहे हैं। नवारो ने बताया कि मस्क की कंपनी टेस्ला को टैरिफ से सीधा नुकसान हो सकता है क्योंकि टेस्ला चीन, मैक्सिको, जापान, ताइवान और कई देशों से बड़ी मात्रा में ऑटोमोबाइल पार्ट्स मंगाती है। नवारो का कहना है कि मस्क टैरिफ का विरोध इसलिए कर रहे हैं ताकि उनकी कंपनी का मुनाफा बना रहे।

एलन मस्क ने दी तीखी प्रतिक्रिया

एलन मस्क ने पीटर नवारो के आरोपों को खारिज किया है। मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। मस्क ने न केवल नवारो के बयान को गलत बताया बल्कि उनके शैक्षणिक और व्यावसायिक अनुभव पर भी सवाल उठा दिए।

मस्क ने एक पोस्ट में लिखा, इकोनॉमिक्स में हार्वर्ड से पीएचडी होना कोई काबिलियत की बात नहीं, बल्कि यह नुकसानदायक भी हो सकता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इतनी ज्यादा पढ़ाई ने नवारो को असली दुनिया की आर्थिक हकीकतों से दूर कर दिया है। एक दूसरे पोस्ट में मस्क ने लिखा, यह सब उनके घमंड और सीमित सोच की समस्या है।

ट्रंप की नीतियों के विरोध की वजह है नुकसान?

बता दें कि एलन मस्क पहले राष्ट्रपति ट्रंप के एक मुखर समर्थक रहे हैं और उन्हें शीर्ष सलाहकार के रूप में भी जाना जाता था। हालांकि ट्रंप की हालिया “लिबरेशन डे” टैरिफ घोषणा के बाद से मस्क काफी शांत रहे हैं। अकेले टेस्ला के सीईओ को बाजार में गिरावट के कारण 30 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि मस्क का ट्रंप की नीतियों का विरोध करना उनके इस निजी नुकसान की वजह से हो सकता है।

टैरिफ की मार से दुनियाभर के बाजार में हाहाकार, ट्रंप बोले- यह एक तरह की दवा है, कड़वे घूंट पीने पड़ते हैं

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विभिन्न देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी। इसके बाद से दुनियाङर के बाजारों में हाहाकार मचा हुआ है। यहां तक की अमेरिकी शेयर बाजार पर भी इसका खासा असर देखा जा रहा है। अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई है। ट्रंप के फैसले के का विरोध भी शुरू हो गया है। शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कारोबारी एलन मस्क के खिलाफ अमेरिकी नागरिकों ने पूरे देश में रैलियां निकाली। इस बीच ट्रंप ने अपने टैरिफ लगाने के फैसले को वापस लेने से साफ मना कर दिया है। कहा है कि कभी कभी चीजों को सही करने के लिए दवाई देने की जरूरत पड़ती है।

हम व्यापार घाटा नहीं सहेंगे-ट्रंप

अपने आधिकारिक विमान एयरफोर्स वन में मीडिया के साथ बातचीत में ट्रंप ने कहा कि वह नहीं चाहते कि दुनियाभर के बाजारों में गिरावट आए, लेकिन मैं इसे लेकर चिंतित नहीं हूं। कई बार आपको चीजों को सही करने के लिए दवाई लेनी पड़ती है। ट्रंप ने कहा कि मैंने यूरोपीय, एशियाई, पूरी दुनिया के कई नेताओं से बात की है, वे हमारे साथ समझौता करना चाहते हैं, लेकिन अब हम व्यापार घाटा नहीं सहेंगे और हमने ये बात उन्हें साफ बता दी है।

टैरिफ को 'खूबसूरत चीज़' बताया

वहीं दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट 'ट्रूथ' पर एक पोस्ट में टैरिफ को 'खूबसूरत चीज़' बताया। उन्होंने कहा, चीन, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ हमारा बड़ा व्यापार घाटा है। इसका हल सिर्फ टैरिफ है। इससे अमेरिका को अब अरबों डॉलर मिल रहे हैं। ये पहले से ही असर दिखा रहे हैं और देखने में भी सुंदर लगते हैं। ट्रंप ने ये भी कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में इन देशों के साथ व्यापार घाटा और बढ़ा है, लेकिन अब वह इसे सुधारेंगे। उन्होंने कहा कि किसी दिन लोगों को एहसास होगा कि टैरिफ संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक बहुत ही सुंदर चीज है।

दुनियाभर के शेयर मार्केट धड़ाम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नई टैरिफ पॉलिसी लागू किए जाने के बाद से दुनियाभर के शेयर बाजार में कोहराम मचा हुआ है। ऑस्ट्रेलिया स्टॉक मार्केट में 6 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं साउथ कोरिया के बाजार में 5 प्रतिशत, जापान में 10 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी गई है। चीन का मार्केट 10 प्रतिशत डाउन है तो वहीं हांगकांग का मार्केट 10 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया है।

अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट की माने तो बाजार में अभी 15-20% प्रतिशत की और गिरावट देखने को मिल सकती है। एक्सपर्ट की इस भविष्यवाणी के बाद लोगों की टेंशन बढ़ गई है।

मंदी का खतरा मंडराया

अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 26% टैरिफ लगाया और अन्य देशों पर 10% आयात शुल्क लगाया। चीन ने पलटवार करते हुए 34 प्रतिशत टैरिफ लगाया तो वही कनाडा ने अमेरिकी वाहनों पर 25% टैरिफ लगा दिया है। इसके कारण लोगों में टेंशन का माहौल है। आयात किए गए सामानों पर लगाए गए 10% के नए टैरिफ और दर्जनों देशों पर लगाए गए जवाबी टैरिफ से व्यापारी घबरा गए हैं। यही कारण है बड़ी मात्रा में बाजार से पैसा बाहर निकाला जा रहा है, जिससे भारी गिरावट देखने को मिल रही है।

ट्रंप के टैरिफ फैसले से वैश्विक बाजारों में महंगाई की आशंका बढ़ी है, जिससे मंदी का खतरा गहराता दिख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ के कारण आयातित सामानों की कीमतें बढ़ेंगी।

कुछ दिन पहले ही लगाया है टैरिफ

डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले ही भारत समेत दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। ट्रंप ने भारत पर भी 26 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। भारत के अलावा और जिन देशों पर टैरिफ लगाया गया उनमें चीन, मलेशिया, कनाडा, पाकिस्तान, वियतनाम जैसे देश शामिल हैं।

ट्रंप के टैरिफ से रूस को रियायत, जानें पुतिन पर मेहरबानी की वजह,

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 100 से भी ज्यादा कई देशों पर नए ‘रिसीप्रोकल टैरिफ’ लगाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सभी आयातों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया, जबकि जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा ज्यादा है, उन पर इससे भी ऊंचे टैरिफ लगाए गए। इस लिस्ट में चीन, भारत, जापान और यूरोपियन यूनियन जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार शामिल हैं। लेकिन रूस का नाम इस लिस्ट में नहीं था।

रूस को क्यों मिली राहत?

व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लीविट ने बताया कि रूस को इस सूची में इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि यूक्रेन युद्ध के कारण उस पर पहले से ही इतने कड़े प्रतिबंध लगे हैं कि अमेरिका और रूस के बीच व्यापार शून्य हो चुका है। इसके ठीक उलट युद्धग्रस्त यूक्रेन पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। ट्रंप की इस नीति के तहत कई पूर्व सोवियत देशों को भी टैरिफ झेलना होगा, लेकिन रूस को छूट मिलने से कई विशेषज्ञ हैरान हैं।

अमेरिका और रूस के बीच कई देशों से ज्यादा व्यापार

रूस को टैरिफ से छूट मिलने के बावजूद, अमेरिका और रूस के बीच व्यापार अभी भी कुछ छोटे देशों जैसे मॉरीशस और ब्रुनेई से ज्यादा है। खास बात यह है कि मॉरीशस और ब्रुनेई को ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में शामिल किया गया, लेकिन रूस को नहीं। इस फैसले ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है और इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं।

रूसी तेल पर भारी टैरिफ की दी थी धमकी

बीते दिनों ट्रंप ने कहा था कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म नहीं करता, तो अमेरिका रूसी तेल पर भारी टैरिफ लगाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा, उसे अमेरिका के साथ व्यापार करने में दिक्कत होगी। लेकिन जब ट्रंप ने अपने टैरिफ की लिस्ट जारी की, तो उसमें रूस का नाम नहीं था।

मैक्सिको-कनाडा पर भी मेहरबानी

ट्रंप ने केवल रूस पर ही दरियादिली नहीं दिखाई है। डोनाल्ड ट्रंप जिन देशों को पानी पी-पीकर कोसते थे, जिन्हें बार-बार आंख दिखाते थे, उन लोगों को भी टैरिफ की लिस्ट से गायब कर दिया है। यहां बात हो रही है कनाडा और मैक्सिको की। जी हां, डोनाल्ड ट्रंप मैक्सिको और कनाडा पर ही सबसे अधिक टैरिफ को लेकर भड़ते रहे हैं। मगर अमेरिका की टैरिफ लिस्ट में न तो कनाडा था और न ही मैक्सिको। जबकि दुनियाभर के कई गरीब देशों पर भी भारी-भरकम टैरिफ लगा है।

ट्रंप के टैरिफ का भारत पर कितना होगा असर, दवा से लेकर स्टील और ज्वैलरी तक पर सीधा पड़ेगा प्रभाव

#whatimpactofdonaldtrumpstariffonindia

अमेरिका ने 'डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ़' का ऐलान कर दिया है। 100 से ज्यादा देशों पर लगाए गए जवाबी टैरिफ वाले देशों की सूची में भारत का नाम भी है। भारत पर 26% टैरिफ़ लगाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के एलान के बाद से एशियाई देशों पर खासा असर पड़ा है। भारत अमेरिकी वस्तुओं पर सबसे ज़्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में शामिल है।

ट्रंप ने चीन पर 34 फीसदी, वियतनाम पर 46 फीसदी और कंबोडिया पर 49 फीसदी टैरिफ लगाया है। लेकिन इन देशों की तुलना में भारत की स्थिति काफी बेहतर है। एशिया डिकोडेड की प्रियंका किशोर के मुताबिक, भारत के लिए 26 फ़ीसदी टैरिफ काफी ज़्यादा है और इससे भारत के कामगार बुरी तरह से प्रभावित होंगे।

दवाओं की कीमतों में उछाल

भारत अमेरिका को हर साल करीब 12.7 अरब डॉलर की जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है। रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने से इन दवाओं पर शुल्क बढ़ सकता है, जिससे दवा कंपनियों की लागत बढ़ेगी। इसका असर भारत में भी दवाओं की कीमतों पर पड़ सकता है, जिससे आपकी मेडिकल खर्च की योजना प्रभावित होगी।

खाद्य तेल और कृषि उत्पाद होंगे महंगे

खाद्य तेल जैसे नारियल और सरसों तेल पर 10.67% टैरिफ अंतर की संभावना है। इससे इनकी कीमतें बढ़ेंगी, जो आपकी रसोई के बजट को सीधे प्रभावित करेगा। साथ ही, निर्यात में कमी से किसानों की आय पर भी असर पड़ेगा।

प्रसंस्कृत खाद्य, अनाज, सब्जियां, फल मसाले होंगे महंगे

प्रसंस्कृत खाद्य, चीनी और कोको निर्यात पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि इसमें टैरिफ अंतर 24.99 प्रतिशत है। पिछले साल इसका निर्यात 1.03 अरब डॉलर था। इसी तरह, अनाज, सब्जियां, फल और मसाले के क्षेत्र में टैरिफ अंतर 5.72 प्रतिशत है। एक निर्यातक ने कहा, टैरिफ अंतर जितना अधिक होगा, संबंधित क्षेत्र उतना ही अधिक प्रभावित हो सकता है।

डेयरी उत्पादों की लागत में इजाफा

डेयरी सेक्टर में 38.23% टैरिफ अंतर की बात है। घी, मक्खन और दूध पाउडर जैसे उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। निर्यात प्रभावित होने से भारत में इनकी कीमतें सस्ती हो सकती हैं, लेकिन किसानों की कमाई घटने से अप्रत्यक्ष रूप से आपकी जेब पर बोझ बढ़ेगा।

आभूषणों पर दोहरा प्रभाव

भारत अमेरिका को 11.88 अरब डॉलर के सोने, चांदी और हीरे निर्यात करता है। 13.32% टैरिफ से ये अमेरिका में महंगे होंगे, लेकिन भारत में सस्ते हो सकते हैं। इससे आपके आभूषण खरीदने के फैसले पर असर पड़ सकता है।

कपड़े और टेक्सटाइल होंगे महंगे

भारत का टेक्सटाइल निर्यात अमेरिका के लिए अहम है। टैरिफ बढ़ने से कपड़े और वस्त्रों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे आपके वार्डरोब का खर्च बढ़ सकता है

ट्रंप के टैरिफ का ऐलानः दोस्त मोदी पर दिखाई ‘मेहरबानी’, भारत पर लगाया 26% टैरिफ

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा कर दी है। उन्होंने 185 देशों से आने वाले सामान पर टैरिफ लगाया है। यह अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा टैरिफ है। ट्रंप ने इंटरनेशनल व्यापार नीति को लेकर बड़ा कदम उठाया है। ट्रंप ने इसे डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ नाम दिया है। बुधवार (2 अप्रैल) को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में 'मुक्ति दिवस' की घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा कि मेरे साथी अमेरिकियों, यह मुक्ति दिवस है, जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। 2 अप्रैल 2025 को वह दिन माना जाएगा जब अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म हुआ, अमेरिका की किस्मत बदली और हमने अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाना शुरू किया है।

ट्रंप के दैरिफ नीति के ऐलान के बाद भारत को अब अमेरिका में अपने सामान भेजने पर 26% टैक्स देना होगा। दूसरे देशों पर भी इसी तरह के टैक्स लगाए जाएंगे। चीन पर 34 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। यह पहले लगाए गए 20 फीसदी के अतिरिक्त है। इस तरह चीन को 54 फीसदी टैरिफ देना होगा। चीन अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है।

पीएम मोदी को बताया अच्छा दोस्त

राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि कुछ देश गलत तरीके से व्यापार कर रहे हैं, इसलिए ये टैरिफ लगाए गए हैं। जिन देशों में अमेरिका से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगता है, उन पर ये टैरिफ लगेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने रोज गार्डन में "मेक अमेरिकन वेल्दी अगेन" कार्यक्रम में कहा, 'भारत बहुत, बहुत सख्त है। प्रधानमंत्री अभी गए हैं और मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। वे हमसे 52% चार्ज करते हैं और हम उनसे लगभग कुछ भी नहीं लेगे।

भारत भी टैक्स कम करने को तैयार!

2024 में भारत और अमेरिका के बीच 124 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत ने अमेरिका को 81 अरब डॉलर का सामान बेचा, जबकि अमेरिका से 44 अरब डॉलर का सामान खरीदा। इस तरह, भारत को 37 अरब डॉलर का फायदा हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत अमेरिका से आने वाले 23 अरब डॉलर के सामान पर टैक्स कम करने को तैयार है। ये बहुत बड़ी छूट होगी।

इन देशों पर लगाया इतना टैरिफ

कंबोडिया पर सबसे ज्यादा 49 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। वियतनाम को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि उसे 46% टैक्स देना होगा। स्विटजरलैंड पर 31, ताइवान पर 32, जापान पर 24, ब्रिटेन पर 10, ब्राजील पर 10, इंडोनेशिया पर 32, सिंगापुर पर 10, दक्षिण अफ्रीका पर 30 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। उन्होंने विदेश से ऑटोमोबाइल के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है, जबकि ऑटो पार्ट पर भी इतना ही टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ऑटोमोबाइल पर नया टैरिफ 3 अप्रैल से और ऑटो पार्ट 3 मई से प्रभावी होगा।

10 फीसदी टैरिफ वाले देश

यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, सिंगापुर, चिली, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, कोलंबिया, पेरू, न्यूजीलैंड, यूएई, डोमिकन गणराज्य, अर्जेंटीना, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरास, मिस्र, सऊदी अरब, अल सल्वाडोर, मोरक्को, त्रिनिदाद और टोबैगो

ट्रंप आज से लागू करेंगे जवाबी हैरिफ, भारत समेत कई देशों पर होगा असर


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अमेरिकी आज यानी बुधवार से दुनियाभर में रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहा है।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो अप्रैल से कई देशों के खिलाफ रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जवाबी आयात शुल्क लगाने का एलान करेंगे। व्हाइट हाउस ने मंगलवार को कहा ट्रंप बुधवार को शाम 4 बजे (स्थानीय समय) रोज गार्डन में ‘मेक अमेरिका वेल्दी अगेन इवेंट में भाषण देंगे। इसी इवेंट में रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर घोषणा होगी।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लीविट ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल को 'लिबरेशन डे' के रूप में मनाना चाहते हैं। इसके लिए वह अपने व्यापार सलाहकारों के साथ मिलकर टैरिफ योजना को अंतिम रूप दे रहे हैं। ट्रंप बुधवार को वाइट हाउस के रोज गार्डन में शाम 4 बजे (स्थानीय समय) औपचारिक घोषणा करेंगे। इस घोषणा में टैरिफ की पूरी जानकारी दी जाएगी। कैरोलीन लीविट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। अगर कोई विदेशी नेता या उद्योगपति छूट चाहते हैं तो वह उनसे बात करने को तैयार हैं। लीविट ने कहा कि ट्रंप अमेरिकी श्रमिकों को उचित मौका दिलाने पर ध्यान दे रहे हैं।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने टैरिफ को लेकर यूरोपीय संघ, भारत, जापान और कनाडा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100% तक टैरिफ लगाता है, जबकि अन्य देशों की नीतियां भी इसी तरह की हैं। यूरोपीय संघ द्वारा अमेरिकी डेयरी पर 50% तक, जापान की ओर से अमेरिकी चावल पर 700% तक और कनाडा की ओर से अमेरिकी मक्खन व पनीर पर लगभग 300% तक टैरिफ लगाया जाता है। लेविट ने कहा कि अमेरिकी उत्पादों के लिए ये शुल्क अनुचित व्यापार प्रथाएं हैं और हमें इसे बदलना होगा।

ट्रंप का दावा- भारत टैरिफ घटाने को राजी

ट्रंप ने जिन देशों पर टैरिफ लगाने की धमकी दी है उनमें भारत भी शामिल है। हालांकि, एक दिन पहले तक भारत को 'टैरिफ किंग' और 'व्यापार के मामले में बड़ा दुर्व्यवहारकर्ता' कहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उम्मीद जताई है कि भारत उनके अन्य सहयोगियों की तरह अपने टैरिफ में कटौती करेगा। ओवल ऑफिस से बोलते हुए सोमवार को ट्रम्प ने कहा था, "मैंने सुना है कि भारत अपने टैरिफ में भारी कमी करने जा रहा है। बहुत से देश अपने टैरिफ में कमी करने जा रहे हैं।

ट्रंप ने कहा था कि भारत हमसे बहुत ज्यादा टैरिफ वसूलता है

अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन में ट्रंप ने कहा था, भारत हमसे 100% से ज्यादा टैरिफ वसूलता है, हम भी अगले महीने से ऐसा ही करने जा रहे हैं। उन्होनें ऐलान किया कि उनके प्रशासन के तहत, अगर कोई कंपनी अमेरिका में अपना प्रोडक्ट नहीं बनाएगी, तो उसे टैरिफ देना होगा। कुछ मामलों में, यह टैरिफ बहुत बड़ा होगा।

1 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार घाटा का हवाला

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरे देश अमेरिका पर भारी टैक्स और टैरिफ लगाते हैं, जबकि अमेरिका उन पर बहुत कम लगाता है। यह बहुत अन्यायपूर्ण है। दूसरे देश दशकों से हम पर टैरिफ लगाते आ रहे हैं, अब हमारी बारी है। ट्रंप का कहना है कि कई देश अमेरिकी उत्पादों पर जबरदस्त टैरिफ लगाते हैं, वहीं अमेरिका उन देशों के उत्पादों पर कम आयात शुल्क वसूलता है। अमेरिकी राष्ट्रपति का मानना है कि इसकी वजह से अमेरिका को 1 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार घाटा उठाना पड़ता है, जो कि अमेरिकी उद्योगों और कामगारों के लिए नुकसान देह है।

टैरिफ एक तरह का बॉर्डर फीस या टैक्स होता है, जो कोई भी देश विदेशों से अपने यहां आने वाले सामान पर लगाता है। यह टैक्स आयात करने वाली कंपनी पर लगाया जाता है। इसे घटा-बढ़ाकर ही देश आपस में व्यापार को कंट्रोल करते हैं।

'आप अपने से 20 गुना बड़े व्यक्ति से युद्ध शुरू नहीं कर सकते', एक बार फिर ट्रंप ने जेलेंस्की को सरेआम “धोया”


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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से खासे नाराज नजर आए। ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर रूस के साथ युद्ध शुरू करने का आरोप लगाया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "आप अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको कुछ मिसाइलें दे देंगे। ट्रंप का ये बयान यूक्रेन के शहर सूमी में सोमवार को हुए रूसी हमले के बाद आया है। सूमी पर इस रूसी स्ट्राइक ने कम से कम 35 लोगों की जान ली है। जिसकी पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अल सल्वाडोर के अध्यक्ष नायब बुकेले से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ट्रंप ने मीडिया से बात की और इस दौरान ही उन्होंने जेलेंस्की को लेकर ये बयान दिया और साथ ही तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी युद्ध के लिए जिम्मेदार माना। डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन का युद्ध बताया है। उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की पर बाइडेन के साथ मिलकर इस त्रासदी को शुरू करने की अनुमति देने में बिल्कुल भयानक काम करने का आरोप लगाया है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, तीन लोगों की वजह से लाखों लोग मारे गए। हम पुतिन को नंबर एक कहें, लेकिन बाइडेन जिन्हें पता नहीं था कि वह क्या कर रहे हैं, नंबर दो और ज़ेलेंस्की। ट्रंप ने आगे कहा, जब आप युद्ध शुरू करते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि आप युद्ध जीत सकते हैं। अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और युद्ध शुरू होने पर फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको मिसाइलें दे देंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि मेरा इस युद्ध से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन मैं मौत और विनाश को रोकने के लिए लगन से काम कर रहा हूं। अगर 2020 का राष्ट्रपति चुनाव धांधली वाला नहीं होता, जो वो कई तरह से धांधली वाला था, तो यह भयानक युद्ध कभी नहीं होता। लेकिन वह अतीत है। अब हमें इसे रोकना होगा और इसे जल्दी रोकना होगा। ये बहुत दुखद है।

आपको बता दें कि इससे पहले ट्रंप ने यूक्रेन के शहर सुमी में रूसी हमले को भी काम कम करने आका था। उस हमले में दो बच्चों सहित 35 लोग मारे गए थे। डोनाल्ड ट्रंप ने हमले को "गलती" बताया था। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि यह भयानक था, और मुझे बताया गया कि उन्होंने गलती की, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक भयानक बात है। मुझे लगता है कि पूरा युद्ध एक भयानक बात है।

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 125% टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन का अगला कदम क्या हो सकता है?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को लागू हुए चीनी आयात पर टैरिफ को 104% से बढ़ाकर 125% करने के बाद चीन के साथ व्यापार युद्ध को और तेज कर दिया है।

सोशल मीडिया पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह कई अन्य व्यापारिक साझेदारों पर अपने तथाकथित "पारस्परिक टैरिफ" को रोक रहे हैं, क्योंकि उन्होंने जवाबी कार्रवाई करने के बजाय बातचीत के लिए आगे आकर जवाब दिया था। उन्होंने चीन पर "सम्मान की कमी" का आरोप लगाया। बीजिंग ने भी उसी तरह जवाब दिया, बुधवार को ट्रंप के पिछले टैरिफ की तरह ही अमेरिकी आयात पर 84% टैरिफ लगा दिया। जनवरी में पदभार संभालने के बाद से ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ को पांच बार बढ़ाया है।

चीन आगे क्या कर सकता है, यहां बताया गया है

चीन ने दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध में "अंत तक लड़ने" की बार-बार कसम खाई है। इसने यह भी कहा कि इसने ट्रम्प प्रशासन द्वारा "धमकाने" की रणनीति का हवाला देते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज की है। पिनपॉइंट एसेट मैनेजमेंट के मुख्य अर्थशास्त्री झिवेई झांग ने AFP को बताया कि चीन ने "स्पष्ट संकेत" दिया है कि वह पीछे नहीं हटेगा, साथ ही कहा कि संघर्ष से "(कोई) त्वरित और आसान रास्ता नहीं है"। 

स्काई न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात को और नियंत्रित कर सकता है। इन खनिजों का उपयोग कंप्यूटर चिप्स और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी जैसे उच्च तकनीक वाले उत्पादों में किया जाता है। चीन दुनिया की दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है। यह कृषि वस्तुओं जैसे उच्च प्रभाव वाले उत्पादों पर टैरिफ भी बढ़ा सकता है और Apple और Tesla जैसी हाई-प्रोफाइल अमेरिकी कंपनियों को निशाना बना सकता है। हालाँकि, बाद वाला मुश्किल है क्योंकि चीन अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग अमेरिकी फिल्मों के आयात पर प्रतिबंध लगाने या सभी अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार करने पर भी विचार कर सकता है।

 इससे पहले, कम्युनिस्ट पार्टी समर्थित पीपुल्स डेली के सप्ताहांत संपादकीय में टैरिफ को चीन के लिए आर्थिक विकास के मुख्य चालक के रूप में उपभोग को मजबूत करने के लिए एक "रणनीतिक अवसर" के रूप में वर्णित किया गया था, एएफपी के अनुसार। हमें "दबाव को प्रेरणा में बदलना चाहिए"। 

अब फार्मा सेक्टर पर भी टैरिफ लगाएंगे डोनाल्ड ट्रंप, जानें भारत पर क्या असर?

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हर तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की चर्चा है। दुनियाभर के 180 से अधिक देशों पर 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप अभी रूकने के मूड मे नहीं दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अब एलान किया है कि जल्द ही दवाओं के आयात पर शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका जल्द ही दवा आयात पर बड़े टैरिफ की घोषणा करेगा।

विदेश में दवा बना रही कंपनियों को वापस लाना है-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है, वही दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा। अब उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है।

टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं। वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है। एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। हालांकि, ट्रंप दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है।

भारतीय फार्मा कंपनियों पर असर

अगर अमेरिका दवाओं पर भी टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। भारत अमेरिका को दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है। भारतीय फार्मास्यूटिकल्स कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं। ऐसे में ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर भारतीय फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। Sun Pharma, Lupin, Dr. Reddy's, Aurobindo Pharma और Gland Pharma जैसी कंपनियां अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर हैं और उनके शेयर बुधवार को दबाव में नजर आए.

अभी फार्मा पर कितना टैरिफ है?

आपको बता दें कि फिलहाल भारत देश अमेरिका से आयात होने वाले फार्मा पर करीब 10 फ़ीसदी का टैरिफ चार्ज वसूलता है जबकि अमेरिका देश भारत से आने वाले फार्मा आयात पर किसी भी प्रकार का टैरिफ नहीं वसूलता है. आने वाले समय में अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो इससे भारतीय फार्मा कंपनियों के बिजनेस पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा.

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

टैरिफ को लेकर व्हाइट हाउस में मतभेद, आपस में भिड़े मस्क और ट्रंप के सलाहकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की हर तरफ आलोचना हो रही है। अब टैरिफ नीति को लेकर ट्रंप के अपने ही सलाहकार आपस में भिड़ गए हैं। व्हाइट हाउस के दो बड़े आर्थिक सलाहकार-पीटर नवारो और एलन मस्क एक दूसरे के आमने-सामने आ गए। पीटर नवारो का आरोप है कि एलन मस्क अमेरिका के बड़े व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाने का इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे उनकी कंपनियों को नुकसान हो सकता है। वहीं, एलन मस्क ने नवारो की शिक्षा और उनके आर्थिक सोच पर सवाल उठा दिए हैं।

यह विवाद तब और गहरा गया जब पीटर नवारो ने फॉक्स न्यूज संडे के साथ एक इंटरव्यू में एलन मस्क की टैरिफ विरोधी टिप्पणियों की आलोचना की। नवारो ने स्वीकार किया कि मस्क जो सरकारी दक्षता विभाग में भी भूमिका निभा रहे हैं, उस पद पर अच्छा काम कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि मस्क का टैरिफ का विरोध उनकी कंपनियों के व्यावसायिक हितों से प्रेरित है।

नवारो ने कहा, जब एलन मस्क ऊर्जा विभाग से जुड़े काम करते हैं, तो वे अच्छा काम करते हैं, लेकिन हमें पता है कि असल में क्या हो रहा है। एलन कार बेचते हैं और वे सिर्फ अपने फायदे की बात कर रहे हैं। नवारो ने बताया कि मस्क की कंपनी टेस्ला को टैरिफ से सीधा नुकसान हो सकता है क्योंकि टेस्ला चीन, मैक्सिको, जापान, ताइवान और कई देशों से बड़ी मात्रा में ऑटोमोबाइल पार्ट्स मंगाती है। नवारो का कहना है कि मस्क टैरिफ का विरोध इसलिए कर रहे हैं ताकि उनकी कंपनी का मुनाफा बना रहे।

एलन मस्क ने दी तीखी प्रतिक्रिया

एलन मस्क ने पीटर नवारो के आरोपों को खारिज किया है। मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। मस्क ने न केवल नवारो के बयान को गलत बताया बल्कि उनके शैक्षणिक और व्यावसायिक अनुभव पर भी सवाल उठा दिए।

मस्क ने एक पोस्ट में लिखा, इकोनॉमिक्स में हार्वर्ड से पीएचडी होना कोई काबिलियत की बात नहीं, बल्कि यह नुकसानदायक भी हो सकता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इतनी ज्यादा पढ़ाई ने नवारो को असली दुनिया की आर्थिक हकीकतों से दूर कर दिया है। एक दूसरे पोस्ट में मस्क ने लिखा, यह सब उनके घमंड और सीमित सोच की समस्या है।

ट्रंप की नीतियों के विरोध की वजह है नुकसान?

बता दें कि एलन मस्क पहले राष्ट्रपति ट्रंप के एक मुखर समर्थक रहे हैं और उन्हें शीर्ष सलाहकार के रूप में भी जाना जाता था। हालांकि ट्रंप की हालिया “लिबरेशन डे” टैरिफ घोषणा के बाद से मस्क काफी शांत रहे हैं। अकेले टेस्ला के सीईओ को बाजार में गिरावट के कारण 30 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि मस्क का ट्रंप की नीतियों का विरोध करना उनके इस निजी नुकसान की वजह से हो सकता है।

टैरिफ की मार से दुनियाभर के बाजार में हाहाकार, ट्रंप बोले- यह एक तरह की दवा है, कड़वे घूंट पीने पड़ते हैं

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विभिन्न देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी। इसके बाद से दुनियाङर के बाजारों में हाहाकार मचा हुआ है। यहां तक की अमेरिकी शेयर बाजार पर भी इसका खासा असर देखा जा रहा है। अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई है। ट्रंप के फैसले के का विरोध भी शुरू हो गया है। शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कारोबारी एलन मस्क के खिलाफ अमेरिकी नागरिकों ने पूरे देश में रैलियां निकाली। इस बीच ट्रंप ने अपने टैरिफ लगाने के फैसले को वापस लेने से साफ मना कर दिया है। कहा है कि कभी कभी चीजों को सही करने के लिए दवाई देने की जरूरत पड़ती है।

हम व्यापार घाटा नहीं सहेंगे-ट्रंप

अपने आधिकारिक विमान एयरफोर्स वन में मीडिया के साथ बातचीत में ट्रंप ने कहा कि वह नहीं चाहते कि दुनियाभर के बाजारों में गिरावट आए, लेकिन मैं इसे लेकर चिंतित नहीं हूं। कई बार आपको चीजों को सही करने के लिए दवाई लेनी पड़ती है। ट्रंप ने कहा कि मैंने यूरोपीय, एशियाई, पूरी दुनिया के कई नेताओं से बात की है, वे हमारे साथ समझौता करना चाहते हैं, लेकिन अब हम व्यापार घाटा नहीं सहेंगे और हमने ये बात उन्हें साफ बता दी है।

टैरिफ को 'खूबसूरत चीज़' बताया

वहीं दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट 'ट्रूथ' पर एक पोस्ट में टैरिफ को 'खूबसूरत चीज़' बताया। उन्होंने कहा, चीन, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ हमारा बड़ा व्यापार घाटा है। इसका हल सिर्फ टैरिफ है। इससे अमेरिका को अब अरबों डॉलर मिल रहे हैं। ये पहले से ही असर दिखा रहे हैं और देखने में भी सुंदर लगते हैं। ट्रंप ने ये भी कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में इन देशों के साथ व्यापार घाटा और बढ़ा है, लेकिन अब वह इसे सुधारेंगे। उन्होंने कहा कि किसी दिन लोगों को एहसास होगा कि टैरिफ संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक बहुत ही सुंदर चीज है।

दुनियाभर के शेयर मार्केट धड़ाम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नई टैरिफ पॉलिसी लागू किए जाने के बाद से दुनियाभर के शेयर बाजार में कोहराम मचा हुआ है। ऑस्ट्रेलिया स्टॉक मार्केट में 6 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं साउथ कोरिया के बाजार में 5 प्रतिशत, जापान में 10 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी गई है। चीन का मार्केट 10 प्रतिशत डाउन है तो वहीं हांगकांग का मार्केट 10 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया है।

अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट की माने तो बाजार में अभी 15-20% प्रतिशत की और गिरावट देखने को मिल सकती है। एक्सपर्ट की इस भविष्यवाणी के बाद लोगों की टेंशन बढ़ गई है।

मंदी का खतरा मंडराया

अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 26% टैरिफ लगाया और अन्य देशों पर 10% आयात शुल्क लगाया। चीन ने पलटवार करते हुए 34 प्रतिशत टैरिफ लगाया तो वही कनाडा ने अमेरिकी वाहनों पर 25% टैरिफ लगा दिया है। इसके कारण लोगों में टेंशन का माहौल है। आयात किए गए सामानों पर लगाए गए 10% के नए टैरिफ और दर्जनों देशों पर लगाए गए जवाबी टैरिफ से व्यापारी घबरा गए हैं। यही कारण है बड़ी मात्रा में बाजार से पैसा बाहर निकाला जा रहा है, जिससे भारी गिरावट देखने को मिल रही है।

ट्रंप के टैरिफ फैसले से वैश्विक बाजारों में महंगाई की आशंका बढ़ी है, जिससे मंदी का खतरा गहराता दिख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ के कारण आयातित सामानों की कीमतें बढ़ेंगी।

कुछ दिन पहले ही लगाया है टैरिफ

डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले ही भारत समेत दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। ट्रंप ने भारत पर भी 26 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। भारत के अलावा और जिन देशों पर टैरिफ लगाया गया उनमें चीन, मलेशिया, कनाडा, पाकिस्तान, वियतनाम जैसे देश शामिल हैं।

ट्रंप के टैरिफ से रूस को रियायत, जानें पुतिन पर मेहरबानी की वजह,

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 100 से भी ज्यादा कई देशों पर नए ‘रिसीप्रोकल टैरिफ’ लगाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सभी आयातों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया, जबकि जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा ज्यादा है, उन पर इससे भी ऊंचे टैरिफ लगाए गए। इस लिस्ट में चीन, भारत, जापान और यूरोपियन यूनियन जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार शामिल हैं। लेकिन रूस का नाम इस लिस्ट में नहीं था।

रूस को क्यों मिली राहत?

व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लीविट ने बताया कि रूस को इस सूची में इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि यूक्रेन युद्ध के कारण उस पर पहले से ही इतने कड़े प्रतिबंध लगे हैं कि अमेरिका और रूस के बीच व्यापार शून्य हो चुका है। इसके ठीक उलट युद्धग्रस्त यूक्रेन पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। ट्रंप की इस नीति के तहत कई पूर्व सोवियत देशों को भी टैरिफ झेलना होगा, लेकिन रूस को छूट मिलने से कई विशेषज्ञ हैरान हैं।

अमेरिका और रूस के बीच कई देशों से ज्यादा व्यापार

रूस को टैरिफ से छूट मिलने के बावजूद, अमेरिका और रूस के बीच व्यापार अभी भी कुछ छोटे देशों जैसे मॉरीशस और ब्रुनेई से ज्यादा है। खास बात यह है कि मॉरीशस और ब्रुनेई को ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में शामिल किया गया, लेकिन रूस को नहीं। इस फैसले ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है और इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं।

रूसी तेल पर भारी टैरिफ की दी थी धमकी

बीते दिनों ट्रंप ने कहा था कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म नहीं करता, तो अमेरिका रूसी तेल पर भारी टैरिफ लगाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा, उसे अमेरिका के साथ व्यापार करने में दिक्कत होगी। लेकिन जब ट्रंप ने अपने टैरिफ की लिस्ट जारी की, तो उसमें रूस का नाम नहीं था।

मैक्सिको-कनाडा पर भी मेहरबानी

ट्रंप ने केवल रूस पर ही दरियादिली नहीं दिखाई है। डोनाल्ड ट्रंप जिन देशों को पानी पी-पीकर कोसते थे, जिन्हें बार-बार आंख दिखाते थे, उन लोगों को भी टैरिफ की लिस्ट से गायब कर दिया है। यहां बात हो रही है कनाडा और मैक्सिको की। जी हां, डोनाल्ड ट्रंप मैक्सिको और कनाडा पर ही सबसे अधिक टैरिफ को लेकर भड़ते रहे हैं। मगर अमेरिका की टैरिफ लिस्ट में न तो कनाडा था और न ही मैक्सिको। जबकि दुनियाभर के कई गरीब देशों पर भी भारी-भरकम टैरिफ लगा है।

ट्रंप के टैरिफ का भारत पर कितना होगा असर, दवा से लेकर स्टील और ज्वैलरी तक पर सीधा पड़ेगा प्रभाव

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अमेरिका ने 'डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ़' का ऐलान कर दिया है। 100 से ज्यादा देशों पर लगाए गए जवाबी टैरिफ वाले देशों की सूची में भारत का नाम भी है। भारत पर 26% टैरिफ़ लगाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के एलान के बाद से एशियाई देशों पर खासा असर पड़ा है। भारत अमेरिकी वस्तुओं पर सबसे ज़्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में शामिल है।

ट्रंप ने चीन पर 34 फीसदी, वियतनाम पर 46 फीसदी और कंबोडिया पर 49 फीसदी टैरिफ लगाया है। लेकिन इन देशों की तुलना में भारत की स्थिति काफी बेहतर है। एशिया डिकोडेड की प्रियंका किशोर के मुताबिक, भारत के लिए 26 फ़ीसदी टैरिफ काफी ज़्यादा है और इससे भारत के कामगार बुरी तरह से प्रभावित होंगे।

दवाओं की कीमतों में उछाल

भारत अमेरिका को हर साल करीब 12.7 अरब डॉलर की जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है। रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने से इन दवाओं पर शुल्क बढ़ सकता है, जिससे दवा कंपनियों की लागत बढ़ेगी। इसका असर भारत में भी दवाओं की कीमतों पर पड़ सकता है, जिससे आपकी मेडिकल खर्च की योजना प्रभावित होगी।

खाद्य तेल और कृषि उत्पाद होंगे महंगे

खाद्य तेल जैसे नारियल और सरसों तेल पर 10.67% टैरिफ अंतर की संभावना है। इससे इनकी कीमतें बढ़ेंगी, जो आपकी रसोई के बजट को सीधे प्रभावित करेगा। साथ ही, निर्यात में कमी से किसानों की आय पर भी असर पड़ेगा।

प्रसंस्कृत खाद्य, अनाज, सब्जियां, फल मसाले होंगे महंगे

प्रसंस्कृत खाद्य, चीनी और कोको निर्यात पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि इसमें टैरिफ अंतर 24.99 प्रतिशत है। पिछले साल इसका निर्यात 1.03 अरब डॉलर था। इसी तरह, अनाज, सब्जियां, फल और मसाले के क्षेत्र में टैरिफ अंतर 5.72 प्रतिशत है। एक निर्यातक ने कहा, टैरिफ अंतर जितना अधिक होगा, संबंधित क्षेत्र उतना ही अधिक प्रभावित हो सकता है।

डेयरी उत्पादों की लागत में इजाफा

डेयरी सेक्टर में 38.23% टैरिफ अंतर की बात है। घी, मक्खन और दूध पाउडर जैसे उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। निर्यात प्रभावित होने से भारत में इनकी कीमतें सस्ती हो सकती हैं, लेकिन किसानों की कमाई घटने से अप्रत्यक्ष रूप से आपकी जेब पर बोझ बढ़ेगा।

आभूषणों पर दोहरा प्रभाव

भारत अमेरिका को 11.88 अरब डॉलर के सोने, चांदी और हीरे निर्यात करता है। 13.32% टैरिफ से ये अमेरिका में महंगे होंगे, लेकिन भारत में सस्ते हो सकते हैं। इससे आपके आभूषण खरीदने के फैसले पर असर पड़ सकता है।

कपड़े और टेक्सटाइल होंगे महंगे

भारत का टेक्सटाइल निर्यात अमेरिका के लिए अहम है। टैरिफ बढ़ने से कपड़े और वस्त्रों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे आपके वार्डरोब का खर्च बढ़ सकता है

ट्रंप के टैरिफ का ऐलानः दोस्त मोदी पर दिखाई ‘मेहरबानी’, भारत पर लगाया 26% टैरिफ

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा कर दी है। उन्होंने 185 देशों से आने वाले सामान पर टैरिफ लगाया है। यह अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा टैरिफ है। ट्रंप ने इंटरनेशनल व्यापार नीति को लेकर बड़ा कदम उठाया है। ट्रंप ने इसे डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ नाम दिया है। बुधवार (2 अप्रैल) को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में 'मुक्ति दिवस' की घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा कि मेरे साथी अमेरिकियों, यह मुक्ति दिवस है, जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। 2 अप्रैल 2025 को वह दिन माना जाएगा जब अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म हुआ, अमेरिका की किस्मत बदली और हमने अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाना शुरू किया है।

ट्रंप के दैरिफ नीति के ऐलान के बाद भारत को अब अमेरिका में अपने सामान भेजने पर 26% टैक्स देना होगा। दूसरे देशों पर भी इसी तरह के टैक्स लगाए जाएंगे। चीन पर 34 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। यह पहले लगाए गए 20 फीसदी के अतिरिक्त है। इस तरह चीन को 54 फीसदी टैरिफ देना होगा। चीन अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है।

पीएम मोदी को बताया अच्छा दोस्त

राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि कुछ देश गलत तरीके से व्यापार कर रहे हैं, इसलिए ये टैरिफ लगाए गए हैं। जिन देशों में अमेरिका से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगता है, उन पर ये टैरिफ लगेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने रोज गार्डन में "मेक अमेरिकन वेल्दी अगेन" कार्यक्रम में कहा, 'भारत बहुत, बहुत सख्त है। प्रधानमंत्री अभी गए हैं और मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। वे हमसे 52% चार्ज करते हैं और हम उनसे लगभग कुछ भी नहीं लेगे।

भारत भी टैक्स कम करने को तैयार!

2024 में भारत और अमेरिका के बीच 124 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत ने अमेरिका को 81 अरब डॉलर का सामान बेचा, जबकि अमेरिका से 44 अरब डॉलर का सामान खरीदा। इस तरह, भारत को 37 अरब डॉलर का फायदा हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत अमेरिका से आने वाले 23 अरब डॉलर के सामान पर टैक्स कम करने को तैयार है। ये बहुत बड़ी छूट होगी।

इन देशों पर लगाया इतना टैरिफ

कंबोडिया पर सबसे ज्यादा 49 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। वियतनाम को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि उसे 46% टैक्स देना होगा। स्विटजरलैंड पर 31, ताइवान पर 32, जापान पर 24, ब्रिटेन पर 10, ब्राजील पर 10, इंडोनेशिया पर 32, सिंगापुर पर 10, दक्षिण अफ्रीका पर 30 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। उन्होंने विदेश से ऑटोमोबाइल के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है, जबकि ऑटो पार्ट पर भी इतना ही टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ऑटोमोबाइल पर नया टैरिफ 3 अप्रैल से और ऑटो पार्ट 3 मई से प्रभावी होगा।

10 फीसदी टैरिफ वाले देश

यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, सिंगापुर, चिली, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, कोलंबिया, पेरू, न्यूजीलैंड, यूएई, डोमिकन गणराज्य, अर्जेंटीना, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरास, मिस्र, सऊदी अरब, अल सल्वाडोर, मोरक्को, त्रिनिदाद और टोबैगो

ट्रंप आज से लागू करेंगे जवाबी हैरिफ, भारत समेत कई देशों पर होगा असर


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अमेरिकी आज यानी बुधवार से दुनियाभर में रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहा है।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो अप्रैल से कई देशों के खिलाफ रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जवाबी आयात शुल्क लगाने का एलान करेंगे। व्हाइट हाउस ने मंगलवार को कहा ट्रंप बुधवार को शाम 4 बजे (स्थानीय समय) रोज गार्डन में ‘मेक अमेरिका वेल्दी अगेन इवेंट में भाषण देंगे। इसी इवेंट में रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर घोषणा होगी।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लीविट ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल को 'लिबरेशन डे' के रूप में मनाना चाहते हैं। इसके लिए वह अपने व्यापार सलाहकारों के साथ मिलकर टैरिफ योजना को अंतिम रूप दे रहे हैं। ट्रंप बुधवार को वाइट हाउस के रोज गार्डन में शाम 4 बजे (स्थानीय समय) औपचारिक घोषणा करेंगे। इस घोषणा में टैरिफ की पूरी जानकारी दी जाएगी। कैरोलीन लीविट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। अगर कोई विदेशी नेता या उद्योगपति छूट चाहते हैं तो वह उनसे बात करने को तैयार हैं। लीविट ने कहा कि ट्रंप अमेरिकी श्रमिकों को उचित मौका दिलाने पर ध्यान दे रहे हैं।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने टैरिफ को लेकर यूरोपीय संघ, भारत, जापान और कनाडा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100% तक टैरिफ लगाता है, जबकि अन्य देशों की नीतियां भी इसी तरह की हैं। यूरोपीय संघ द्वारा अमेरिकी डेयरी पर 50% तक, जापान की ओर से अमेरिकी चावल पर 700% तक और कनाडा की ओर से अमेरिकी मक्खन व पनीर पर लगभग 300% तक टैरिफ लगाया जाता है। लेविट ने कहा कि अमेरिकी उत्पादों के लिए ये शुल्क अनुचित व्यापार प्रथाएं हैं और हमें इसे बदलना होगा।

ट्रंप का दावा- भारत टैरिफ घटाने को राजी

ट्रंप ने जिन देशों पर टैरिफ लगाने की धमकी दी है उनमें भारत भी शामिल है। हालांकि, एक दिन पहले तक भारत को 'टैरिफ किंग' और 'व्यापार के मामले में बड़ा दुर्व्यवहारकर्ता' कहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उम्मीद जताई है कि भारत उनके अन्य सहयोगियों की तरह अपने टैरिफ में कटौती करेगा। ओवल ऑफिस से बोलते हुए सोमवार को ट्रम्प ने कहा था, "मैंने सुना है कि भारत अपने टैरिफ में भारी कमी करने जा रहा है। बहुत से देश अपने टैरिफ में कमी करने जा रहे हैं।

ट्रंप ने कहा था कि भारत हमसे बहुत ज्यादा टैरिफ वसूलता है

अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन में ट्रंप ने कहा था, भारत हमसे 100% से ज्यादा टैरिफ वसूलता है, हम भी अगले महीने से ऐसा ही करने जा रहे हैं। उन्होनें ऐलान किया कि उनके प्रशासन के तहत, अगर कोई कंपनी अमेरिका में अपना प्रोडक्ट नहीं बनाएगी, तो उसे टैरिफ देना होगा। कुछ मामलों में, यह टैरिफ बहुत बड़ा होगा।

1 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार घाटा का हवाला

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरे देश अमेरिका पर भारी टैक्स और टैरिफ लगाते हैं, जबकि अमेरिका उन पर बहुत कम लगाता है। यह बहुत अन्यायपूर्ण है। दूसरे देश दशकों से हम पर टैरिफ लगाते आ रहे हैं, अब हमारी बारी है। ट्रंप का कहना है कि कई देश अमेरिकी उत्पादों पर जबरदस्त टैरिफ लगाते हैं, वहीं अमेरिका उन देशों के उत्पादों पर कम आयात शुल्क वसूलता है। अमेरिकी राष्ट्रपति का मानना है कि इसकी वजह से अमेरिका को 1 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार घाटा उठाना पड़ता है, जो कि अमेरिकी उद्योगों और कामगारों के लिए नुकसान देह है।

टैरिफ एक तरह का बॉर्डर फीस या टैक्स होता है, जो कोई भी देश विदेशों से अपने यहां आने वाले सामान पर लगाता है। यह टैक्स आयात करने वाली कंपनी पर लगाया जाता है। इसे घटा-बढ़ाकर ही देश आपस में व्यापार को कंट्रोल करते हैं।