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मणिपुर समेत तीन राज्यों में 6 महीने के लिए बढ़ाया गया अफस्पा, हिंसा और अशांति के बीच केन्द्र का बड़ा फैसला

#manipurafspaextended

केंद्र सरकार ने मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय के मुताबिक, मणिपुर में जारी हिंसा के कारण कानून व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा मणिपुर राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पांच जिलों के 13 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर पूरे मणिपुर में 1 अप्रैल 2025 से अगले छह माह तक, यदि इस घोषणा को इससे पहले वापस न लिया जाए, 'अशांत क्षेत्र' के रूप में घोषित किया जाता था।

अधिसूचना के मुताबिक, नगालैंड के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित किया है। इसके अलावा कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग, वोखा और जुनहेबोटो जिलों के कुछ पुलिस थाना क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। यहां भी 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक अफस्पा लागू रहेगा।

वहीं अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ 3 पुलिस थानों के क्षेत्रों में भी छह महीने के लिए अफस्पा बढ़ा दिया गया है।

फरवरी 2025 से, मणिपुर राष्ट्रपति शासन के अधीन है और विधानसभा निलंबित स्थिति में है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई। जिसने राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता को जन्म दिया। बीरेन सिंह ने 2017 से मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार की अगुवाई की थी, ने राज्य में लगभग 21 महीनों से चल रही जातीय हिंसा के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। मई 2023 से अब तक इस हिंसा में 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

क्या है अफस्पा?

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा), 1958 में अधिनियमित, एक ऐसा कानून है जो सरकार द्वारा “अशांत” घोषित क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को विशेष शक्तियां प्रदान करता है। ये क्षेत्र आमतौर पर उग्रवाद या उग्रवाद का सामना करने वाले क्षेत्र होते हैं, जहां राज्य सरकारों को कानून और व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण लगता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।

मणिपुर के राहत कैंप में मिला 9 साल की बच्ची का शव, दुष्कर्म की आशंका

#nine_year_old_girl_found_dead_in_manipur_relief_camp

मणिपुर में एक नौ वर्षीय बच्ची का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला है। ये घटना चुराचांदपुर जिले की है। शुक्रवार तड़के 9 साल की एक बच्ची का संदिग्ध परिस्थितियों में शव बरामद किया गया। पुलिस के मुताबिक, बच्ची गुरुवार की शाम करीब छह बजे लापता थी। जिसके बाद उसके परिजन उसे ढूंढने लगे। काफी खोजबीन के बाद बच्ची का शव राहत शिविर परिसर में मिला। शव पर चोट के कई निशान पाए गए हैं। प्रारंभिक जांच में दुष्कर्म की आशंका जताई जा रही है।

पुलिस ने बताया कि बच्ची गुरुवार शाम करीब छह बजे लापता हो गई थी, जिसके बाद परिवार ने उसकी तलाश शुरू की। काफी देर बाद लड़की का शव शहर के लान्वा टीडी ब्लॉक में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए बने राहत शिविर के पास मिला। पुलिस के मुताबिक, बच्ची के शरीर पर चोट के कई निशान थे, खासकर गले पर, इसके अलावा खून के धब्बे भी थे। पुलिस ने बताया कि संदेह है कि बच्ची के साथ बलात्कार किया गया। फिलहाल शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल भेजवाया गया है।

पुलिस ने शक के आधार पर पंद्रह लोगों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की जा रही है। हालांकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने कहा कि जांच जारी है और दोषियों को जल्द ही पकड़ा जाएगा। जिस बच्ची का शव मिला वह चुराचांदपुर के वे मार्क अकादमी स्कूल में पढ़ती थी।

पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने घटना की निंदा करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, मैं अज्ञात अपराधियों द्वारा लड़की की जघन्य हत्या की कड़ी निंदा करता हूं। यह मानवता के खिलाफ अपराध है और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। प्रशासन को जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।

इसके अलावा जोमी मदर्स एसोसिएशन और यंग वैफेई एसोसिएशन, हौपी ब्लॉक सहित कई संगठनों ने भी इस घटना पर शोक व्यक्त किया है। जोमी मदर्स एसोसिएशन ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों से गहन जांच करने और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने का आग्रह किया है।

मणिपुर में लगातार लौटाए जा रहे लूटे गए हथियार, राज्यपाल की अपील के बाद हो रहा सरेंडर

#weaponsarebeingreturnedcontinuouslyinmanipur

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से ही हथियारों का सरेंडर जारी है। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की अपील के बाद लूटे गए हथियार और बड़ी मात्रा में गोला बारूद लौटाए जा रहे हैं। मणिपुर में 13 फरवरी को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगाया था। जिसके बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लूटे गए हथियार और गोलियां लौटाने की अपील की थी।

बुधवार को पुलिस ने बताया कि 87 तरह के हथियार, गोला-बारूद और अलग-अलग सामान लोग स्वेच्छा से सरेंडर कर रहे हैं। इंफाल ईस्ट, बिश्नुपुर, थौबल, कांगपोकपी, जिरीबाम, चुराचांदपुर और इंफाल वेस्ट जिलों में हथियार सरेंडर किए गए हैं।

कौन से जिले से कितने हथियार सरेंडर हुए

• इंफाल वेस्ट: सबसे ज्यादा हथियार इंफाल वेस्ट जिले से सरेंडर किए गए हैं। इनमें 12 सीएमजी मैगजीन के साथ, दो 303 राइफल मैगजीन के साथ, दो SLR राइफल मैगजीन के साथ, चार 12 बोर सिंगल बैरल, एक आईईडी और गोला-बारूद शामिल हैं।

• जिरीबाम: पांच 12 बोर डबल बैरल, एक 9mm कार्बाइन मैगजीन के साथ, गोला-बारूद और ग्रेनेड सरेंडर किए गए।

• कांगपोकी: एक एके 47 राइफल 2 मैगजीन के साथ, एक .303 राइफल, एक Smith & Wesson रिवॉल्वर, एक .22 पिस्टल मैगजीन के साथ, एक सिंगल बैरल राइफल, तीन इम्प्रोवाइज्ड मॉर्टर, 9 मॉर्टर बम, ग्रेनेड और अन्य चीजें सरेंडर किए गए।

• बिश्नुपुर: 6 SBBL गन , एक राइफल, 3 DBBL, एक .303 राइफल मैगजीन के साथ, एक कार्बाइन SMG वन मैगजीन के साथ और 15 लाइव राउंड, गोला-बारूद और अन्य सामग्री सरेंडर किए गए हैं।

• थौबल: एक सब मशीन गन 9एमएम कार्बाइन 1A मैगजीन के साथ, एक रॉयट गन और अन्य सामग्री सरेंडर किए गए हैं।

• इंफाल ईस्ट: 2 कार्बाइन, एक एसएलआर दो मैगजीन के साथ, एक लाइव राउंड, 2 लोकल कार्बाइन मैगजीन, 4 इन्सास राइफल मैगजीन, बड़ी संख्या में गोला-बारूद सरेंडर की गई।

राज्यपाल की अपील का असर

इससे पहले राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लोगों से लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को 7 दिन के भीतर स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने की 20 फरवरी को अपील की थी। इसके साथ ही गवर्नर ने यह आश्वासन भी दिया था कि इस अवधि के दौरान हथियार छोड़ने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। मणिपुर के मुख्य सचिव पीके सिंह ने रविवार को कहा था कि अगर कोई हथियार त्यागना चाहता है तो लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने के लिए दिया गया 7 दिन का समय पर्याप्त है।

13 फरवरी को मणिपुर में लगा था राष्ट्रपति शासन

बता दें कि मणिपुर में पिछले 2 साल से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। बीरेन सिंह पर राज्य में 21 महीने से जारी हिंसा के चलते काफी दबाव था। मणिपुर में नेतृत्व संकट के बीच कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था।

क्या मणिपुर में लगेगा राष्ट्रपति शासन, सीएम पर फैसले के लिए आज की तारीख कितनी अहम?
#manipur_may_face_president_rule * मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के करीब दो साल बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार (9 फरवरी, 2025) को इंफाल के राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंपा। मणिपुर सीएम का इस्तीफा विधानसभा सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले हुआ है। दरअसल, चर्चा थी कि मणिपुर में विपक्षी नेता सत्र के दौरान एन बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बना रहे थे। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने का फैसला किया।अब सवाल ये है कि मणिपुर के अगले मुख्यमंत्री के रूप में बीरेन सिंह की जगह कौन लेगा? मणिपुर में लंबे समय से चल रहे हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ गई है। एन.बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद भाजपा फिलहाल कोई नया सर्वमान्य चेहरा तलाश नहीं पाई है। पार्टी के पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी और सांसद डॉ.संबित पात्रा ने मंगलवार को इंफाल में पार्टी विधायकों के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में किसी नए नाम पर सहमति नहीं बनी है। पार्टी की कोशिश ऐसे चेहरे को चुनने की रही, जिसको लेकर मैतेई और कुकी दोनों समुदायों का भरोसा हो। यदि नए सीएम के लिए सर्वसम्मति नहीं बनती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की प्रबल संभावना है। *क्या है नियम* दरअसल संविधान के मुताबिक राज्यों की विधानसभा की दो बैठकों के बीच में 6 महीने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए पर मणिपुर विधानसभा के संदर्भ में ये संवैधानिक समय सीमा आज (बुधवार) को खत्म हो रही है। संविधान के अनुसार, मणिपुर विधानसभा का अगला सत्र 12 फरवरी से पहले होना चाहिए। सत्र शुरू होने के 15 दिन पहले स्पीकर को इसकी घोषणा करनी होती है। स्पीकर राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश के बाद ही सत्र बुला सकते हैं। अगर सत्र नहीं होता है, तो राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करनी होगी। इस दौरान विधानसभा स्थगित रहेगी। *सरकार गठन की संभावना तलाशने की कोशिश* हालांकि सूत्रों का ये भी दावा है कि विधानसभा के दो सत्रों के बीच अधिकतम 6 महीने के अंतर पर संवैधानिक प्रावधान ये स्पष्ट तौर पर नहीं कहते कि 6 महीने बाद विधानसभा को भंग ही कर दिया जाना चाहिए। ऐसे में सरकार गठन को लेकर संभावना तलाशने की कोशिश जारी रहेगी। अगर सरकार गठन को लेकर कुछ ठोस संभावना नहीं बनती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। अब केंद्र की तरफ से आगे उठाए जाने वाले कदम पर सभी की निगाहें टिकीं हैं। जिस पर फैसला पीएम मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद हो सकता है। *मणिपुर में सियासी संकट* मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच 3 मई, 2023 को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर की एक रैली के बाद हिंसा भड़क उठी थी जिसमें करीब 200 लोग मारे गए थे। यह रैली मणिपुर हाईकोर्ट की ओर से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश देने के बाद हुई थी। हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने राज्य में सुरक्षा बंदोबस्त मजबूत करने के अलावा दोनों समुदायों में मेलजोल के प्रयास किए लेकिन पूर्णत: शांति के हालात नहीं बने। हाल में गृह सचिव पद से रिटायर हुए अजय भल्ला को राज्यपाल बनाकर भेजा गया है। इस बीच मुख्यमंत्री पद से बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद सियासी संकट खड़ा हो गया है।
मणिपुर हिंसा के करीब डेढ़ साल बाद एन बीरेन सिंह ने दिया सीएम पद से इस्तीफा, क्या है वजह
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* मणिपुर 3 मई 2023 से शुरू हुआ जातीय हिंसा का दौर थमता नहीं दिख रहा है। मणिपुर हिंसा को रोकने में नाकामयाब रहे सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे की विपक्ष लगातार मांग कर रहा था। इस बीच मणिपुर में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश यूनिट में जारी खींचतान के बीच, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया। राज्यपाल ने सिंह के साथ-साथ उनकी मंत्रिपरिषद का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही उनसे अनुरोध किया कि वैकल्पिक व्यवस्था होने तक वह पद पर बने रहें। एन बीरेन सिंह पहली बार 2017 में मणिपुर के मुख्यमंत्री बने थे। उनके नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का राज्य में यह लगातार दूसरा कार्यकाल है। लेकिन बीते महीनों प्रदेश में हुई व्यापक हिंसा ने उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया था। मैतेई समुदाय और कुकी जनजाति के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से बीरेन सिंह की भूमिका पर सवाल उठ रहे थे। विपक्ष ने बार-बार उन पर हिंसा पर नियंत्रण करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है। साथ ही उनके इस्तीफे की भी मांग की। हिंसा शुरू होने के कुछ दिनों बाद ऐसा लगा कि बीरेन सिंह इस्तीफा देंगे, लेकिन बाद में उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। एन बीरेन सिंह के नाम से एक कथित त्याग पत्र की तस्वीर भी इस दौरान सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इस तस्वीर में इस्तीफी फटा हुआ नजर आ रहा है। इसके कुछ वक्त बाद उन्होंने ट्विटर पर कहा, इस नाजुक मोड़ पर मैं ये स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने नहीं जा रहा हूं। बता दें, बीरेन सिंह ने राज्य में हिंसा भड़कने के लगभग दो साल बाद रविवार को राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंपा है। एन. बीरेन सिंह को राज्य में जातीय संघर्ष से निपटने के तरीके को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहे हैं। लगातार हो रही आलोचनाओं के बीच बीरेन सिंह का इस्तीफा आया है। कांग्रेस विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने पर चर्चा कर रही है। जानकारी के मुताबिक बीरेन सिंह कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव से बचना चाहते थे, क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी के विधायकों के समर्थन का भरोसा नहीं था। इसलिए उन्होंने इस्तीफा देना बेहतर समझा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर के कई बीजेपी विधायक, जो बीरेन सिंह के नेतृत्व और मणिपुर संकट के पार्टी नेतृत्व से नाराज थे, इसलिए उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। मणिपुर बीजेपी के एक दूसरे नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, अगर सीएम ने इस्तीफा नहीं दिया होता, तो सोमवार को पार्टी के लिए यह शर्मनाक होता। मणिपुर के कांग्रेस नेताओं ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वे अविश्वास प्रस्ताव की मांग करेंगे। करीब पांच से 10 भाजपा विधायकों ने विपक्ष में बैठने और उनका समर्थन न करने की बात कही है। इन विधायकों में मंत्री भी शामिल हैं। असल में सीएम को यह बात पता थी और केंद्रीय नेतृत्व को इस बारे में नियमित रूप से बताया जा रहा था, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इस बीच इस सप्ताह की शुरुआत में, एक नया विवाद तब खड़ा हो गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने जातीय हिंसा में सिंह की भूमिका का आरोप लगाने वाली लीक हुई ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता को लेकर एक सीलबंद फोरेंसिक रिपोर्ट मांगी थी। इस्तीफा देने से पहले बीरेन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।
मणिपुर में फिर तनाव, कुकी महिलाओं और सुरक्षाबलों के बीच झड़प

#securityforcesclashwithmobofkukiwomenin_manipur

मणिपुर में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन द्वारा राज्य में हो रही जातीय हिंसा पर माफी मांगने के बीच कांगपोकपी जिले में मंगलवार को पुलिस और कुकी महिलाओं के बीच झड़प की खबर सामने आई है। मणिपुर के कांगपोकपी जिले में कुकी-जो समुदाय की महिलाओं की मंगलवार को सुरक्षा बलों के साथ झड़प हो गयी, जिससे राज्य में नए साल से पहले फिर से तनाव बढ़ गया।

पुलिस ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि यह घटना थम्नापोकपी के पास उयोकचिंग में उस समय हुई, जब भीड़ ने सेना, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की संयुक्त टीम की तैनाती में बाधा डालने की कोशिश की गई। पुलिस के मुताबिक, संयुक्त बलों ने हल्का बल प्रयोग के साथ भीड़ को तितर-बितर कर दिया और अब हालात शांतिपूर्ण और नियंत्रण में है। पुलिस ने बताया कि सुरक्षा बलों को इलाके पर नियंत्रण रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पहाड़ी पर तैनात किया गया था।

स्थानीय लोगों ने दावा किया कि ट्विचिंग के सैबोल गांव में सुरक्षा बलों के बल प्रयोग में कई लोग घायल हो गए। ट्विचिंग कुकी-नियंत्रित पहाड़ियों और मैतेई प्रभुत्व वाली इंफाल घाटी के बीच तथाकथित बफर जोन में स्थित है।

आंसू गैस के इस्तेमाल का आरोप

वहीं, कुकी समुदाय के एक नेता ने आरोप लगाया कि स्थिति तब बिगड़ गई जब सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल कर दिया। उसके बाद तो युद्ध के मैदान जैसा हाल हो गया। हम अपनी चिंताओं को व्यक्त करने आए थे कि युद्ध की रणनीति का सामना करने गए थे।

सीएम ने जातीय हिंसा पर मांगी थी माफी

झड़प की यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब कुछ घंटे पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्य में हो रही हिंसा के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने राज्य में हो रही जातीय हिंसा पर कहा कि यह पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। मैं राज्य के लोगों से पिछले 3 मई से आज तक जो कुछ भी हुआ उसके लिए खेद व्यक्त करना चाहता हूं। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया। मुझे दुख है। मैं माफी मांगता हूं। लेकिन अब मुझे उम्मीद है कि पिछले तीन से चार महीनों में शांति की दिशा में प्रगति देखने के बाद, मुझे विश्वास है कि 2025 तक राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।

मणिपुर में स्टारलिंक जैसी डिवाइस बरामद! जानें एलन मस्क का जवाब

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मणिपुर में सुरक्षा बलों ने इंफाल पूर्वी जिले से तलाशी अभियान के दौरान स्नाइपर राइफल, पिस्तौल, ग्रेनेड और अन्य हथियारों के साथ एक स्टारलिंक के लोगो वाली डिवाइस बरामद किया है। यह बरामदगी 13 दिसंबर को इंफाल ईस्ट से की गई है। मणिपुर में स्टारलिंक जैसी डिवाइस मिलने से हड़कंप मच गया है और सुरक्षा एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं। इस बीच स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क का बयान सामने आया है।उन्होंने उन सभी दावों को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि स्टारलिंक डिवाइस का इस्तेमाल मणिपुर में किया जा रहा है।

सुरक्षा बलों ने हाल ही में इंफाल पूर्वी जिले के केराओ खुनौ में छापेमारी के दौरान हथियारों और गोला-बारूद के साथ कुछ इंटरनेट डिवाइस जब्त किए थे। एक्स पर एक पोस्ट में दीमापुर मुख्यालय वाली स्पीयर का‌र्प्स ने सर्च अभियान में बरामद वस्तुओं की तस्वीरें डालीं। स्पीयर का‌र्प्स ने कहा कि आपरेशन में स्नाइपर्स, स्वचालित हथियार, राइफलें, पिस्तौल, देश-निर्मित मोर्टार, सिंगल बैरल राइफल, ग्रेनेड, गोला-बारूद और युद्ध जैसे भंडार वाले 29 हथियार बरामद किए गए है। इन तस्वीरों में स्टारलिंक लोगो वाला इंटरनेट डिवाइस भी शामिल था।

सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों के आते ही हड़कंप मच गया। लोगों ने दावा किया कि स्टारलिंक का इस्तेमाल आतंकवादियों की ओर से किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर उट रहे सवालों के बीच स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क का जवाब आया है।एलन मस्क ने कहा कि भारत के ऊपर स्टारलिंक सैटेलाइट बीम बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने उन सभी दावों को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि स्टारलिंक डिवाइस का इस्तेमाल मणिपुर में किया जा रहा है।

राज्य पुलिस के मुताबिक, केराओ खुनौ से जब्त की गई वस्तुओं में एक इंटरनेट सैटेलाइट एंटीना, एक इंटरनेट सैटेलाइट राउटर और 20 मीटर (लगभग) एफटीपी केबल शामिल हैं। स्टारलिंक के पास भारत में काम करने का लाइसेंस नहीं है। हालांकि, इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है कि बरामद उपकरण असली स्टारलिंक डिवाइस है या नहीं। स्टारलिंक जैसे उपकरण की बरामदगी के बाद अब एजेंसियां इस पहलू की भी जांच कर रही हैं कि उपकरण संघर्षग्रस्त राज्य में कैसे पहुंचा?

मणिपुर में कैसे थमेगी हिंसा? तैयार की जा रही महिला ब्रिगेड, दी जा रही हथियार चलाने की ट्रेनिंग

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मणिपुर एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। कुछ दिनों पहले मैतेई समुदाय की महिलाओं और बच्चों के शव मिलने के बाद राज्य में हिंसा भड़क गई। हत्या और आगजनी की घटनाओं से मणिपुर उबल रहा है। इस हिंसा से पूरे राज्य में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। इस बीच एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है।मणिपुर में हिंसा फैलाने की साजिश रची जा रही है। मणिपुर में बकायदा हिंसा फैलाने के लिए महिला ब्रिगेड तैयार हुई है। कुकी आतंकी संगठनों ने महिला ब्रिगेड तैयार की है। उनको हथियार की ट्रेनिंग दी जा रही है।

न्यूज18 इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर में कांग्लीपाक नेशनल पार्टी (KNP), कुकी नेशनल फ्रंट (KNF) और यूनाइटेड पीपल पार्टी ऑफ़ कांग्लीपाक (UPPK) ने मणिपुर के कई इलाकों में हिंसा के लिए साजिश रची है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह अपनी आतंकी गतिविधियाँ फंड करने के लिए बाहर से आने वाले कामगारों से वसूली करना चाहते हैं। यह संगठन नेपाल और बिहार से मणिपुर पहुँचने वाले व्यापारियों से ₹1-1.5 लाख/महीने का वसूलने की साजिश रच चुके हैं। इसके अलावा यह सुरक्षाबलों की गतिविधियों पर की जासूसी भी कर रहे हैं।

रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि मणिपुर में 15 से 20 साल की लड़कियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। मणिपुर में चल रही लड़कियों की ट्रेनिंग पूरे 45 दिनों की है। ट्रेनिंग के हर बैच में 50-50 लड़कियां को शामिल किया गया है। ये ट्रेनिंग सेंटर रहत शिविर में मणिपुर के याइथिबी लौकोल,थाना खोंगजाम, जिला काकचिंग में खेले गए हैं। ये ट्रेनिंग सरकार द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में आयोजित किया जा रहा है।रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें सीधे संगठन में शामिल नहीं किया जाता है।

कुकी संगठनों ने यह सोच कर यह ट्रेनिंग दी थी कि यदि महिलाएँ सुरक्षाबलों पर हमला करेंगी तो वह वापस जवाब भी देने में हिचकिचाएँगे और बाद में विक्टिम कार्ड भी खेला जा सकेगा। दरअशल, इस तरह के हालात पहले बी पैदा हुए हैं। कई बार महिलाओं ने सुरक्षाबलों का रास्ता रोका है। 30 अप्रैल 2024 को भारतीय सेना अपने साथ वो हथियार और गोला बारूद लेकर जा रहे थे, जो उन्होंने बिष्णुपुर में कुछ वाहनों से जब्त किए थे। लेकिन, इस बीच रास्ते में महिलाओं का एक ग्रुप आया और काफिला रोककर 11 उपद्रवियों को रिहा कराया।

मणिपुर हिंसा के बीच संकट में बीरेन सरकार, सीएम की बैठक से गायब रहे 37 में से 19 विधायक*
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मणिपुर एक साल से ज्यादा समय से सांप्रदायिक हिंसा की जद में है। लंबे समय से हिंसा की घटनाएं वहां निरंतर जारी है। कुछ समय की शांति के बाद हिंसक मामलों में फिर तेजी देखी जा रही है। हिंसा की ताजा घटनाएं उस समय शुरू हुई, जब मैतेय समुदाय से आने वाले 6 लोगों की लाश बरामद की गई। इसके बाद से राज्य का सियासी पारा फिर से गरमा चुका है। इस सियासी घमासान के बीच बीजेपी बुरी तरह से फंसती हुई नजर आ रही है। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह की ओर से सीएम की अगुवाई वाली एक बैठक रखी गई थी। इस बैठक में 37 में से 19 बीजेपी विधायक गैरहाजिर रहे। मणिपुर हिंसा की आग की आंच अब सरकार पर भी आती दिख रही है।मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। राज्य की स्थिति का आंकलन करने के लिए सीएम बीरेन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को बुलाई गई अहम बैठक में 37 में से 19 बीजेपी विधायक नहीं शामिल हुए। इनमें मुख्य रूप से मैतेई समुदाय से आने वाले एक कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं। सोमवार को एनडीए के कुल 53 विधायकों में से केवल 27 विधायक (सीएम सहित) बैठक में शामिल हुए। इनमें से 18 बीजेपी के, चार-चार एनपीपी और एनपीएफ के और एक निर्दलीय विधायक थे। बैठक में बीजेपी के 19 सदस्यों ने भाग नहीं लिया। इनमें सात कुकी विधायक भी शामिल हैं, जो पिछले साल 3 मई से बैठक से दूरी बनाए हुए हैं। अनुपस्थित रहने वाले अन्य 12 बीजेपी सदस्यों में प्रमुख रूप से बीजेपी के ग्रामीण विकास मंत्री युमनाम खेमचंद सिंह थे। बैठक का निमंत्रण रविवार को मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बीजेपी और एनडीए में उसके सहयोगी दलों के सभी मंत्रियों और विधायकों को तब भेजा गया था। जब उसके प्रमुख सहयोगी एनपीपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद एनपीपी अध्यक्ष और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने कहा था कि उनकी पार्टी अब सीएम बीरेन सिंह पर भरोसा नहीं रखती है और नेतृत्व में बदलाव होने पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। जानकारों के मुताबिक पार्टी के भीतर कुछ भी सही नहीं चल रहा है। हाल में हिंसा के बाद से पार्टी के भीतर सीएम और मौजूदा सरकार को लेकर असंतोष की भावना भड़क चुकी है। माना जा रहा है कि इस अंदरूनी कलह की वजह से बीरेन सिंह की सरकार को खतरा भी हो सकता है। पिछले ही दिनों राज्य में बीजेपी की सहयोगी पार्टी एनपीपी ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इस हालिया घटनाक्रम ने राज्य के सीएम के सिरदर्द को बढ़ा दिया है। मणिपुर के 60 सदस्यीय विधानसभा में 37 विधायक बीजेपी के, सात एनपीपी के, पांच एनपीएफ के, एक जेडी(यू) के और तीन निर्दलीय विधायक हैं। इसके अलावा कांग्रेस के पांच और कुकी पीपुल्स अलायंस के 2 विधायक हैं। एनपीपी अध्यक्ष और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने बीरेन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी अब सीएम बीरेन सिंह पर भरोसा नहीं रखती है और नेतृत्व में बदलाव होने पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। इसके बाद अब 19 विधायक सीएम की बैठक से शिरकत नहीं करना एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
मणिपुर में तैनात होंगी सीएपीएफ की 50 अतिरिक्त कंपनियां, हिंसा से निपटने के लिए केन्द्र गंभीर

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मणिपुर एक बार फिर हिंला की आग में सुलग रहा है। लगातार बिगड़ रही कानून व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार भी सतर्क है और पूरे हालात पर निगाह बनाए हुए है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में केंद्रीय पुलिस बल की 50 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला किया है। ये अतिरिक्त टुकड़ियां अगले सप्ताह मणिपुर भेजी जा सकती हैं। केंद्र ने यह फैसला जिरीबाम में हिंसा भड़कने के बाद लिया है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक की। सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तरीय बैठक में मणिपुर के हालात को देखते हुए 50 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला किया गया है।

कुल 27 हजार जवान तैनात

सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर में 50 कंपनियां यानी 5000 जवानों की अतिरिक्त तैनाती की जाएगी। मणिपुर में अभी तक कुल 27 हजार अर्धसैनिक बलों की तैनाती हो चुकी है। गृह मंत्री ने राज्य में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के डिप्लॉयमेंट के बारे में जानकारी ली। सभी एजेंसियों की निर्देश दिया कि राज्य में शांति बहाली की प्रक्रिया ही सर्वोच्च प्राथमिकता रखी जाए।

इससे पहले गृह मंत्रालय ने बीते हफ्ते ही केंद्रीय बलों की 20 टुकड़ियां भी भेजी थी। जिनमें 15 टुकड़ी सीआरपीएफ जवानों की और 5 टुकड़ी बीएसएफ जवानों की थी।

केंद्रीय बलों की कुल 218 टुकड़ियां तैनात

रिपोर्ट्स के अनुसार, अब अगले हफ्ते जिन 50 टुकड़ियों को भेजने का फैसला हुआ है, उनमें 35 टुकड़ियां सीआरपीएफ की और बाकी बीएसएफ की होंगी। सीआरपीएफ के महानिदेशक एडी सिंह और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारी पहले ही मणिपुर में कैंप कर रहे हैं। मणिपुर में पिछले सप्ताह की तैनाती के बाद केंद्रीय बलों की कुल 218 टुकड़ियां तैनात हो चुकी हैं।

छह थाना क्षेत्रों में अफस्पा फिर से लागू

मणिपुर के जिरीबाम में महिलाओं और बच्चों की हत्या के बाद से हंगामा जारी है। हाल के दिनों में कई विधायकों के घरों में गुस्साई भीड़ ने तोड़फोड़ और आगजनी की है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के टकराव में एक व्यक्ति की मौत हुई है। हालात को देखते हुए मणिपुर के छह थाना क्षेत्रों में अफस्पा कानून फिर से लागू कर दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। साथ ही कुछ जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया गया है।

मणिपुर समेत तीन राज्यों में 6 महीने के लिए बढ़ाया गया अफस्पा, हिंसा और अशांति के बीच केन्द्र का बड़ा फैसला

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केंद्र सरकार ने मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय के मुताबिक, मणिपुर में जारी हिंसा के कारण कानून व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा मणिपुर राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पांच जिलों के 13 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर पूरे मणिपुर में 1 अप्रैल 2025 से अगले छह माह तक, यदि इस घोषणा को इससे पहले वापस न लिया जाए, 'अशांत क्षेत्र' के रूप में घोषित किया जाता था।

अधिसूचना के मुताबिक, नगालैंड के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित किया है। इसके अलावा कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग, वोखा और जुनहेबोटो जिलों के कुछ पुलिस थाना क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। यहां भी 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक अफस्पा लागू रहेगा।

वहीं अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ 3 पुलिस थानों के क्षेत्रों में भी छह महीने के लिए अफस्पा बढ़ा दिया गया है।

फरवरी 2025 से, मणिपुर राष्ट्रपति शासन के अधीन है और विधानसभा निलंबित स्थिति में है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई। जिसने राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता को जन्म दिया। बीरेन सिंह ने 2017 से मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार की अगुवाई की थी, ने राज्य में लगभग 21 महीनों से चल रही जातीय हिंसा के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। मई 2023 से अब तक इस हिंसा में 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

क्या है अफस्पा?

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा), 1958 में अधिनियमित, एक ऐसा कानून है जो सरकार द्वारा “अशांत” घोषित क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को विशेष शक्तियां प्रदान करता है। ये क्षेत्र आमतौर पर उग्रवाद या उग्रवाद का सामना करने वाले क्षेत्र होते हैं, जहां राज्य सरकारों को कानून और व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण लगता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।

मणिपुर के राहत कैंप में मिला 9 साल की बच्ची का शव, दुष्कर्म की आशंका

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मणिपुर में एक नौ वर्षीय बच्ची का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला है। ये घटना चुराचांदपुर जिले की है। शुक्रवार तड़के 9 साल की एक बच्ची का संदिग्ध परिस्थितियों में शव बरामद किया गया। पुलिस के मुताबिक, बच्ची गुरुवार की शाम करीब छह बजे लापता थी। जिसके बाद उसके परिजन उसे ढूंढने लगे। काफी खोजबीन के बाद बच्ची का शव राहत शिविर परिसर में मिला। शव पर चोट के कई निशान पाए गए हैं। प्रारंभिक जांच में दुष्कर्म की आशंका जताई जा रही है।

पुलिस ने बताया कि बच्ची गुरुवार शाम करीब छह बजे लापता हो गई थी, जिसके बाद परिवार ने उसकी तलाश शुरू की। काफी देर बाद लड़की का शव शहर के लान्वा टीडी ब्लॉक में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए बने राहत शिविर के पास मिला। पुलिस के मुताबिक, बच्ची के शरीर पर चोट के कई निशान थे, खासकर गले पर, इसके अलावा खून के धब्बे भी थे। पुलिस ने बताया कि संदेह है कि बच्ची के साथ बलात्कार किया गया। फिलहाल शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल भेजवाया गया है।

पुलिस ने शक के आधार पर पंद्रह लोगों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की जा रही है। हालांकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने कहा कि जांच जारी है और दोषियों को जल्द ही पकड़ा जाएगा। जिस बच्ची का शव मिला वह चुराचांदपुर के वे मार्क अकादमी स्कूल में पढ़ती थी।

पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने घटना की निंदा करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, मैं अज्ञात अपराधियों द्वारा लड़की की जघन्य हत्या की कड़ी निंदा करता हूं। यह मानवता के खिलाफ अपराध है और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। प्रशासन को जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।

इसके अलावा जोमी मदर्स एसोसिएशन और यंग वैफेई एसोसिएशन, हौपी ब्लॉक सहित कई संगठनों ने भी इस घटना पर शोक व्यक्त किया है। जोमी मदर्स एसोसिएशन ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों से गहन जांच करने और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने का आग्रह किया है।

मणिपुर में लगातार लौटाए जा रहे लूटे गए हथियार, राज्यपाल की अपील के बाद हो रहा सरेंडर

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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से ही हथियारों का सरेंडर जारी है। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की अपील के बाद लूटे गए हथियार और बड़ी मात्रा में गोला बारूद लौटाए जा रहे हैं। मणिपुर में 13 फरवरी को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगाया था। जिसके बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लूटे गए हथियार और गोलियां लौटाने की अपील की थी।

बुधवार को पुलिस ने बताया कि 87 तरह के हथियार, गोला-बारूद और अलग-अलग सामान लोग स्वेच्छा से सरेंडर कर रहे हैं। इंफाल ईस्ट, बिश्नुपुर, थौबल, कांगपोकपी, जिरीबाम, चुराचांदपुर और इंफाल वेस्ट जिलों में हथियार सरेंडर किए गए हैं।

कौन से जिले से कितने हथियार सरेंडर हुए

• इंफाल वेस्ट: सबसे ज्यादा हथियार इंफाल वेस्ट जिले से सरेंडर किए गए हैं। इनमें 12 सीएमजी मैगजीन के साथ, दो 303 राइफल मैगजीन के साथ, दो SLR राइफल मैगजीन के साथ, चार 12 बोर सिंगल बैरल, एक आईईडी और गोला-बारूद शामिल हैं।

• जिरीबाम: पांच 12 बोर डबल बैरल, एक 9mm कार्बाइन मैगजीन के साथ, गोला-बारूद और ग्रेनेड सरेंडर किए गए।

• कांगपोकी: एक एके 47 राइफल 2 मैगजीन के साथ, एक .303 राइफल, एक Smith & Wesson रिवॉल्वर, एक .22 पिस्टल मैगजीन के साथ, एक सिंगल बैरल राइफल, तीन इम्प्रोवाइज्ड मॉर्टर, 9 मॉर्टर बम, ग्रेनेड और अन्य चीजें सरेंडर किए गए।

• बिश्नुपुर: 6 SBBL गन , एक राइफल, 3 DBBL, एक .303 राइफल मैगजीन के साथ, एक कार्बाइन SMG वन मैगजीन के साथ और 15 लाइव राउंड, गोला-बारूद और अन्य सामग्री सरेंडर किए गए हैं।

• थौबल: एक सब मशीन गन 9एमएम कार्बाइन 1A मैगजीन के साथ, एक रॉयट गन और अन्य सामग्री सरेंडर किए गए हैं।

• इंफाल ईस्ट: 2 कार्बाइन, एक एसएलआर दो मैगजीन के साथ, एक लाइव राउंड, 2 लोकल कार्बाइन मैगजीन, 4 इन्सास राइफल मैगजीन, बड़ी संख्या में गोला-बारूद सरेंडर की गई।

राज्यपाल की अपील का असर

इससे पहले राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लोगों से लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को 7 दिन के भीतर स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने की 20 फरवरी को अपील की थी। इसके साथ ही गवर्नर ने यह आश्वासन भी दिया था कि इस अवधि के दौरान हथियार छोड़ने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। मणिपुर के मुख्य सचिव पीके सिंह ने रविवार को कहा था कि अगर कोई हथियार त्यागना चाहता है तो लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने के लिए दिया गया 7 दिन का समय पर्याप्त है।

13 फरवरी को मणिपुर में लगा था राष्ट्रपति शासन

बता दें कि मणिपुर में पिछले 2 साल से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। बीरेन सिंह पर राज्य में 21 महीने से जारी हिंसा के चलते काफी दबाव था। मणिपुर में नेतृत्व संकट के बीच कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था।

क्या मणिपुर में लगेगा राष्ट्रपति शासन, सीएम पर फैसले के लिए आज की तारीख कितनी अहम?
#manipur_may_face_president_rule * मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के करीब दो साल बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार (9 फरवरी, 2025) को इंफाल के राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंपा। मणिपुर सीएम का इस्तीफा विधानसभा सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले हुआ है। दरअसल, चर्चा थी कि मणिपुर में विपक्षी नेता सत्र के दौरान एन बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बना रहे थे। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने का फैसला किया।अब सवाल ये है कि मणिपुर के अगले मुख्यमंत्री के रूप में बीरेन सिंह की जगह कौन लेगा? मणिपुर में लंबे समय से चल रहे हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ गई है। एन.बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद भाजपा फिलहाल कोई नया सर्वमान्य चेहरा तलाश नहीं पाई है। पार्टी के पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी और सांसद डॉ.संबित पात्रा ने मंगलवार को इंफाल में पार्टी विधायकों के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में किसी नए नाम पर सहमति नहीं बनी है। पार्टी की कोशिश ऐसे चेहरे को चुनने की रही, जिसको लेकर मैतेई और कुकी दोनों समुदायों का भरोसा हो। यदि नए सीएम के लिए सर्वसम्मति नहीं बनती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की प्रबल संभावना है। *क्या है नियम* दरअसल संविधान के मुताबिक राज्यों की विधानसभा की दो बैठकों के बीच में 6 महीने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए पर मणिपुर विधानसभा के संदर्भ में ये संवैधानिक समय सीमा आज (बुधवार) को खत्म हो रही है। संविधान के अनुसार, मणिपुर विधानसभा का अगला सत्र 12 फरवरी से पहले होना चाहिए। सत्र शुरू होने के 15 दिन पहले स्पीकर को इसकी घोषणा करनी होती है। स्पीकर राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश के बाद ही सत्र बुला सकते हैं। अगर सत्र नहीं होता है, तो राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करनी होगी। इस दौरान विधानसभा स्थगित रहेगी। *सरकार गठन की संभावना तलाशने की कोशिश* हालांकि सूत्रों का ये भी दावा है कि विधानसभा के दो सत्रों के बीच अधिकतम 6 महीने के अंतर पर संवैधानिक प्रावधान ये स्पष्ट तौर पर नहीं कहते कि 6 महीने बाद विधानसभा को भंग ही कर दिया जाना चाहिए। ऐसे में सरकार गठन को लेकर संभावना तलाशने की कोशिश जारी रहेगी। अगर सरकार गठन को लेकर कुछ ठोस संभावना नहीं बनती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। अब केंद्र की तरफ से आगे उठाए जाने वाले कदम पर सभी की निगाहें टिकीं हैं। जिस पर फैसला पीएम मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद हो सकता है। *मणिपुर में सियासी संकट* मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच 3 मई, 2023 को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर की एक रैली के बाद हिंसा भड़क उठी थी जिसमें करीब 200 लोग मारे गए थे। यह रैली मणिपुर हाईकोर्ट की ओर से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश देने के बाद हुई थी। हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने राज्य में सुरक्षा बंदोबस्त मजबूत करने के अलावा दोनों समुदायों में मेलजोल के प्रयास किए लेकिन पूर्णत: शांति के हालात नहीं बने। हाल में गृह सचिव पद से रिटायर हुए अजय भल्ला को राज्यपाल बनाकर भेजा गया है। इस बीच मुख्यमंत्री पद से बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद सियासी संकट खड़ा हो गया है।
मणिपुर हिंसा के करीब डेढ़ साल बाद एन बीरेन सिंह ने दिया सीएम पद से इस्तीफा, क्या है वजह
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* मणिपुर 3 मई 2023 से शुरू हुआ जातीय हिंसा का दौर थमता नहीं दिख रहा है। मणिपुर हिंसा को रोकने में नाकामयाब रहे सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे की विपक्ष लगातार मांग कर रहा था। इस बीच मणिपुर में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश यूनिट में जारी खींचतान के बीच, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया। राज्यपाल ने सिंह के साथ-साथ उनकी मंत्रिपरिषद का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही उनसे अनुरोध किया कि वैकल्पिक व्यवस्था होने तक वह पद पर बने रहें। एन बीरेन सिंह पहली बार 2017 में मणिपुर के मुख्यमंत्री बने थे। उनके नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का राज्य में यह लगातार दूसरा कार्यकाल है। लेकिन बीते महीनों प्रदेश में हुई व्यापक हिंसा ने उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया था। मैतेई समुदाय और कुकी जनजाति के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से बीरेन सिंह की भूमिका पर सवाल उठ रहे थे। विपक्ष ने बार-बार उन पर हिंसा पर नियंत्रण करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है। साथ ही उनके इस्तीफे की भी मांग की। हिंसा शुरू होने के कुछ दिनों बाद ऐसा लगा कि बीरेन सिंह इस्तीफा देंगे, लेकिन बाद में उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। एन बीरेन सिंह के नाम से एक कथित त्याग पत्र की तस्वीर भी इस दौरान सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इस तस्वीर में इस्तीफी फटा हुआ नजर आ रहा है। इसके कुछ वक्त बाद उन्होंने ट्विटर पर कहा, इस नाजुक मोड़ पर मैं ये स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने नहीं जा रहा हूं। बता दें, बीरेन सिंह ने राज्य में हिंसा भड़कने के लगभग दो साल बाद रविवार को राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंपा है। एन. बीरेन सिंह को राज्य में जातीय संघर्ष से निपटने के तरीके को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहे हैं। लगातार हो रही आलोचनाओं के बीच बीरेन सिंह का इस्तीफा आया है। कांग्रेस विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने पर चर्चा कर रही है। जानकारी के मुताबिक बीरेन सिंह कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव से बचना चाहते थे, क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी के विधायकों के समर्थन का भरोसा नहीं था। इसलिए उन्होंने इस्तीफा देना बेहतर समझा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर के कई बीजेपी विधायक, जो बीरेन सिंह के नेतृत्व और मणिपुर संकट के पार्टी नेतृत्व से नाराज थे, इसलिए उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। मणिपुर बीजेपी के एक दूसरे नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, अगर सीएम ने इस्तीफा नहीं दिया होता, तो सोमवार को पार्टी के लिए यह शर्मनाक होता। मणिपुर के कांग्रेस नेताओं ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वे अविश्वास प्रस्ताव की मांग करेंगे। करीब पांच से 10 भाजपा विधायकों ने विपक्ष में बैठने और उनका समर्थन न करने की बात कही है। इन विधायकों में मंत्री भी शामिल हैं। असल में सीएम को यह बात पता थी और केंद्रीय नेतृत्व को इस बारे में नियमित रूप से बताया जा रहा था, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इस बीच इस सप्ताह की शुरुआत में, एक नया विवाद तब खड़ा हो गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने जातीय हिंसा में सिंह की भूमिका का आरोप लगाने वाली लीक हुई ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता को लेकर एक सीलबंद फोरेंसिक रिपोर्ट मांगी थी। इस्तीफा देने से पहले बीरेन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।
मणिपुर में फिर तनाव, कुकी महिलाओं और सुरक्षाबलों के बीच झड़प

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मणिपुर में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन द्वारा राज्य में हो रही जातीय हिंसा पर माफी मांगने के बीच कांगपोकपी जिले में मंगलवार को पुलिस और कुकी महिलाओं के बीच झड़प की खबर सामने आई है। मणिपुर के कांगपोकपी जिले में कुकी-जो समुदाय की महिलाओं की मंगलवार को सुरक्षा बलों के साथ झड़प हो गयी, जिससे राज्य में नए साल से पहले फिर से तनाव बढ़ गया।

पुलिस ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि यह घटना थम्नापोकपी के पास उयोकचिंग में उस समय हुई, जब भीड़ ने सेना, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की संयुक्त टीम की तैनाती में बाधा डालने की कोशिश की गई। पुलिस के मुताबिक, संयुक्त बलों ने हल्का बल प्रयोग के साथ भीड़ को तितर-बितर कर दिया और अब हालात शांतिपूर्ण और नियंत्रण में है। पुलिस ने बताया कि सुरक्षा बलों को इलाके पर नियंत्रण रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पहाड़ी पर तैनात किया गया था।

स्थानीय लोगों ने दावा किया कि ट्विचिंग के सैबोल गांव में सुरक्षा बलों के बल प्रयोग में कई लोग घायल हो गए। ट्विचिंग कुकी-नियंत्रित पहाड़ियों और मैतेई प्रभुत्व वाली इंफाल घाटी के बीच तथाकथित बफर जोन में स्थित है।

आंसू गैस के इस्तेमाल का आरोप

वहीं, कुकी समुदाय के एक नेता ने आरोप लगाया कि स्थिति तब बिगड़ गई जब सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल कर दिया। उसके बाद तो युद्ध के मैदान जैसा हाल हो गया। हम अपनी चिंताओं को व्यक्त करने आए थे कि युद्ध की रणनीति का सामना करने गए थे।

सीएम ने जातीय हिंसा पर मांगी थी माफी

झड़प की यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब कुछ घंटे पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्य में हो रही हिंसा के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने राज्य में हो रही जातीय हिंसा पर कहा कि यह पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। मैं राज्य के लोगों से पिछले 3 मई से आज तक जो कुछ भी हुआ उसके लिए खेद व्यक्त करना चाहता हूं। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया। मुझे दुख है। मैं माफी मांगता हूं। लेकिन अब मुझे उम्मीद है कि पिछले तीन से चार महीनों में शांति की दिशा में प्रगति देखने के बाद, मुझे विश्वास है कि 2025 तक राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।

मणिपुर में स्टारलिंक जैसी डिवाइस बरामद! जानें एलन मस्क का जवाब

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मणिपुर में सुरक्षा बलों ने इंफाल पूर्वी जिले से तलाशी अभियान के दौरान स्नाइपर राइफल, पिस्तौल, ग्रेनेड और अन्य हथियारों के साथ एक स्टारलिंक के लोगो वाली डिवाइस बरामद किया है। यह बरामदगी 13 दिसंबर को इंफाल ईस्ट से की गई है। मणिपुर में स्टारलिंक जैसी डिवाइस मिलने से हड़कंप मच गया है और सुरक्षा एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं। इस बीच स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क का बयान सामने आया है।उन्होंने उन सभी दावों को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि स्टारलिंक डिवाइस का इस्तेमाल मणिपुर में किया जा रहा है।

सुरक्षा बलों ने हाल ही में इंफाल पूर्वी जिले के केराओ खुनौ में छापेमारी के दौरान हथियारों और गोला-बारूद के साथ कुछ इंटरनेट डिवाइस जब्त किए थे। एक्स पर एक पोस्ट में दीमापुर मुख्यालय वाली स्पीयर का‌र्प्स ने सर्च अभियान में बरामद वस्तुओं की तस्वीरें डालीं। स्पीयर का‌र्प्स ने कहा कि आपरेशन में स्नाइपर्स, स्वचालित हथियार, राइफलें, पिस्तौल, देश-निर्मित मोर्टार, सिंगल बैरल राइफल, ग्रेनेड, गोला-बारूद और युद्ध जैसे भंडार वाले 29 हथियार बरामद किए गए है। इन तस्वीरों में स्टारलिंक लोगो वाला इंटरनेट डिवाइस भी शामिल था।

सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों के आते ही हड़कंप मच गया। लोगों ने दावा किया कि स्टारलिंक का इस्तेमाल आतंकवादियों की ओर से किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर उट रहे सवालों के बीच स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क का जवाब आया है।एलन मस्क ने कहा कि भारत के ऊपर स्टारलिंक सैटेलाइट बीम बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने उन सभी दावों को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि स्टारलिंक डिवाइस का इस्तेमाल मणिपुर में किया जा रहा है।

राज्य पुलिस के मुताबिक, केराओ खुनौ से जब्त की गई वस्तुओं में एक इंटरनेट सैटेलाइट एंटीना, एक इंटरनेट सैटेलाइट राउटर और 20 मीटर (लगभग) एफटीपी केबल शामिल हैं। स्टारलिंक के पास भारत में काम करने का लाइसेंस नहीं है। हालांकि, इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है कि बरामद उपकरण असली स्टारलिंक डिवाइस है या नहीं। स्टारलिंक जैसे उपकरण की बरामदगी के बाद अब एजेंसियां इस पहलू की भी जांच कर रही हैं कि उपकरण संघर्षग्रस्त राज्य में कैसे पहुंचा?

मणिपुर में कैसे थमेगी हिंसा? तैयार की जा रही महिला ब्रिगेड, दी जा रही हथियार चलाने की ट्रेनिंग

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मणिपुर एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। कुछ दिनों पहले मैतेई समुदाय की महिलाओं और बच्चों के शव मिलने के बाद राज्य में हिंसा भड़क गई। हत्या और आगजनी की घटनाओं से मणिपुर उबल रहा है। इस हिंसा से पूरे राज्य में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। इस बीच एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है।मणिपुर में हिंसा फैलाने की साजिश रची जा रही है। मणिपुर में बकायदा हिंसा फैलाने के लिए महिला ब्रिगेड तैयार हुई है। कुकी आतंकी संगठनों ने महिला ब्रिगेड तैयार की है। उनको हथियार की ट्रेनिंग दी जा रही है।

न्यूज18 इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर में कांग्लीपाक नेशनल पार्टी (KNP), कुकी नेशनल फ्रंट (KNF) और यूनाइटेड पीपल पार्टी ऑफ़ कांग्लीपाक (UPPK) ने मणिपुर के कई इलाकों में हिंसा के लिए साजिश रची है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह अपनी आतंकी गतिविधियाँ फंड करने के लिए बाहर से आने वाले कामगारों से वसूली करना चाहते हैं। यह संगठन नेपाल और बिहार से मणिपुर पहुँचने वाले व्यापारियों से ₹1-1.5 लाख/महीने का वसूलने की साजिश रच चुके हैं। इसके अलावा यह सुरक्षाबलों की गतिविधियों पर की जासूसी भी कर रहे हैं।

रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि मणिपुर में 15 से 20 साल की लड़कियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। मणिपुर में चल रही लड़कियों की ट्रेनिंग पूरे 45 दिनों की है। ट्रेनिंग के हर बैच में 50-50 लड़कियां को शामिल किया गया है। ये ट्रेनिंग सेंटर रहत शिविर में मणिपुर के याइथिबी लौकोल,थाना खोंगजाम, जिला काकचिंग में खेले गए हैं। ये ट्रेनिंग सरकार द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में आयोजित किया जा रहा है।रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें सीधे संगठन में शामिल नहीं किया जाता है।

कुकी संगठनों ने यह सोच कर यह ट्रेनिंग दी थी कि यदि महिलाएँ सुरक्षाबलों पर हमला करेंगी तो वह वापस जवाब भी देने में हिचकिचाएँगे और बाद में विक्टिम कार्ड भी खेला जा सकेगा। दरअशल, इस तरह के हालात पहले बी पैदा हुए हैं। कई बार महिलाओं ने सुरक्षाबलों का रास्ता रोका है। 30 अप्रैल 2024 को भारतीय सेना अपने साथ वो हथियार और गोला बारूद लेकर जा रहे थे, जो उन्होंने बिष्णुपुर में कुछ वाहनों से जब्त किए थे। लेकिन, इस बीच रास्ते में महिलाओं का एक ग्रुप आया और काफिला रोककर 11 उपद्रवियों को रिहा कराया।

मणिपुर हिंसा के बीच संकट में बीरेन सरकार, सीएम की बैठक से गायब रहे 37 में से 19 विधायक*
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मणिपुर एक साल से ज्यादा समय से सांप्रदायिक हिंसा की जद में है। लंबे समय से हिंसा की घटनाएं वहां निरंतर जारी है। कुछ समय की शांति के बाद हिंसक मामलों में फिर तेजी देखी जा रही है। हिंसा की ताजा घटनाएं उस समय शुरू हुई, जब मैतेय समुदाय से आने वाले 6 लोगों की लाश बरामद की गई। इसके बाद से राज्य का सियासी पारा फिर से गरमा चुका है। इस सियासी घमासान के बीच बीजेपी बुरी तरह से फंसती हुई नजर आ रही है। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह की ओर से सीएम की अगुवाई वाली एक बैठक रखी गई थी। इस बैठक में 37 में से 19 बीजेपी विधायक गैरहाजिर रहे। मणिपुर हिंसा की आग की आंच अब सरकार पर भी आती दिख रही है।मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। राज्य की स्थिति का आंकलन करने के लिए सीएम बीरेन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को बुलाई गई अहम बैठक में 37 में से 19 बीजेपी विधायक नहीं शामिल हुए। इनमें मुख्य रूप से मैतेई समुदाय से आने वाले एक कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं। सोमवार को एनडीए के कुल 53 विधायकों में से केवल 27 विधायक (सीएम सहित) बैठक में शामिल हुए। इनमें से 18 बीजेपी के, चार-चार एनपीपी और एनपीएफ के और एक निर्दलीय विधायक थे। बैठक में बीजेपी के 19 सदस्यों ने भाग नहीं लिया। इनमें सात कुकी विधायक भी शामिल हैं, जो पिछले साल 3 मई से बैठक से दूरी बनाए हुए हैं। अनुपस्थित रहने वाले अन्य 12 बीजेपी सदस्यों में प्रमुख रूप से बीजेपी के ग्रामीण विकास मंत्री युमनाम खेमचंद सिंह थे। बैठक का निमंत्रण रविवार को मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बीजेपी और एनडीए में उसके सहयोगी दलों के सभी मंत्रियों और विधायकों को तब भेजा गया था। जब उसके प्रमुख सहयोगी एनपीपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद एनपीपी अध्यक्ष और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने कहा था कि उनकी पार्टी अब सीएम बीरेन सिंह पर भरोसा नहीं रखती है और नेतृत्व में बदलाव होने पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। जानकारों के मुताबिक पार्टी के भीतर कुछ भी सही नहीं चल रहा है। हाल में हिंसा के बाद से पार्टी के भीतर सीएम और मौजूदा सरकार को लेकर असंतोष की भावना भड़क चुकी है। माना जा रहा है कि इस अंदरूनी कलह की वजह से बीरेन सिंह की सरकार को खतरा भी हो सकता है। पिछले ही दिनों राज्य में बीजेपी की सहयोगी पार्टी एनपीपी ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इस हालिया घटनाक्रम ने राज्य के सीएम के सिरदर्द को बढ़ा दिया है। मणिपुर के 60 सदस्यीय विधानसभा में 37 विधायक बीजेपी के, सात एनपीपी के, पांच एनपीएफ के, एक जेडी(यू) के और तीन निर्दलीय विधायक हैं। इसके अलावा कांग्रेस के पांच और कुकी पीपुल्स अलायंस के 2 विधायक हैं। एनपीपी अध्यक्ष और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने बीरेन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी अब सीएम बीरेन सिंह पर भरोसा नहीं रखती है और नेतृत्व में बदलाव होने पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। इसके बाद अब 19 विधायक सीएम की बैठक से शिरकत नहीं करना एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
मणिपुर में तैनात होंगी सीएपीएफ की 50 अतिरिक्त कंपनियां, हिंसा से निपटने के लिए केन्द्र गंभीर

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मणिपुर एक बार फिर हिंला की आग में सुलग रहा है। लगातार बिगड़ रही कानून व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार भी सतर्क है और पूरे हालात पर निगाह बनाए हुए है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में केंद्रीय पुलिस बल की 50 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला किया है। ये अतिरिक्त टुकड़ियां अगले सप्ताह मणिपुर भेजी जा सकती हैं। केंद्र ने यह फैसला जिरीबाम में हिंसा भड़कने के बाद लिया है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक की। सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तरीय बैठक में मणिपुर के हालात को देखते हुए 50 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला किया गया है।

कुल 27 हजार जवान तैनात

सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर में 50 कंपनियां यानी 5000 जवानों की अतिरिक्त तैनाती की जाएगी। मणिपुर में अभी तक कुल 27 हजार अर्धसैनिक बलों की तैनाती हो चुकी है। गृह मंत्री ने राज्य में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के डिप्लॉयमेंट के बारे में जानकारी ली। सभी एजेंसियों की निर्देश दिया कि राज्य में शांति बहाली की प्रक्रिया ही सर्वोच्च प्राथमिकता रखी जाए।

इससे पहले गृह मंत्रालय ने बीते हफ्ते ही केंद्रीय बलों की 20 टुकड़ियां भी भेजी थी। जिनमें 15 टुकड़ी सीआरपीएफ जवानों की और 5 टुकड़ी बीएसएफ जवानों की थी।

केंद्रीय बलों की कुल 218 टुकड़ियां तैनात

रिपोर्ट्स के अनुसार, अब अगले हफ्ते जिन 50 टुकड़ियों को भेजने का फैसला हुआ है, उनमें 35 टुकड़ियां सीआरपीएफ की और बाकी बीएसएफ की होंगी। सीआरपीएफ के महानिदेशक एडी सिंह और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारी पहले ही मणिपुर में कैंप कर रहे हैं। मणिपुर में पिछले सप्ताह की तैनाती के बाद केंद्रीय बलों की कुल 218 टुकड़ियां तैनात हो चुकी हैं।

छह थाना क्षेत्रों में अफस्पा फिर से लागू

मणिपुर के जिरीबाम में महिलाओं और बच्चों की हत्या के बाद से हंगामा जारी है। हाल के दिनों में कई विधायकों के घरों में गुस्साई भीड़ ने तोड़फोड़ और आगजनी की है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के टकराव में एक व्यक्ति की मौत हुई है। हालात को देखते हुए मणिपुर के छह थाना क्षेत्रों में अफस्पा कानून फिर से लागू कर दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। साथ ही कुछ जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया गया है।