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मणिपुर में सेना का बड़ा एक्शन, 10 उग्रवादी ढेर, हथियारों का जखीरा बरामद*


#assam_rifles_killed_10_militants_in_manipur

मणिपुर के चांदेल में भारतीय सेना ने उग्रवादियों के खिलाफ एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया है। चंदेल जिले में बुधवार को असम राइफल्स की एक यूनिट ने मुठभेड़ में कम से कम 10 उग्रवादियों को मार गिराया।भारतीय सेना की पूर्वी कमान ने बताया कि खुफिया जानकारी मिलने के बाद शुरू किया गया ऑपरेशन अभी भी जारी है।

इंडियन आर्मी ने एक्स पर इस एक्शन की जानकारी दी है। सेना के मुताबिक, मणिपुर के चांदेल जिले के खेंगजॉय तहसील के न्यू समतल गांव के पास उग्रवादियों की गतिविधियों का पता चला था। भारत-म्यांमार सीमा के पास सशस्त्र कैडरों यानी उग्रवादियों की गतिविधियों की खुफिया जानकारी पर एक्शन लिया गया। स्पीयर कॉर्प्स के तहत असम राइफल्स यूनिट ने 14 मई को एक अभियान शुरू किया।जैसे ही सेना के जवानों ने ऑपरेशन शुरू किया, उग्रवादियों ने उन पर गोलियां चलाई। जिसका सेना ने करारा जवाब दिया।

सेना ने बताया कि सुरक्षाबलों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और जवाबी कार्रवाई के दौरान हुई गोलीबारी में 10 कैडरों को मार गिराया गया। मौके से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए हैं।इस ऑपरेशन को कैलिब्रेटेड यानी योजनाबद्ध और सटीक बताया गया है।

सूत्रों के अनुसार, इलाके में और भी उग्रवादी छिपे होने की आशंका के मद्देनजर सर्च ऑपरेशन अभी भी चलाया जा रहा है। ऑपरेशन के दौरान किसी भी जवान के हताहत होने की खबर नहीं है। यह कार्रवाई मणिपुर में जारी अशांति के बीच सुरक्षाबलों की ओर से एक अहम सफलता मानी जा रही है।

हेमंत बिस्वा सरमा ने झारखंड में मुस्लिम आबादी बढ़ने का किया दावा, कहा यह है 'सरल गणित'

#hemant_biswa_claims_muslim_hike_in_jharkhand

Hemant Biswa Sharma (CM of Assam)

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के सह-प्रभारी हेमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को आरोप लगाया कि राज्य में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है और आदिवासी आबादी घट रही है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में मुस्लिम आबादी बढ़ने के पीछे घुसपैठ ही वजह है।

उन्होंने एएनआई से कहा, "मैंने घुसपैठियों के खिलाफ आग जलाई। भगवान हनुमान ने भी लंका में आग लगाई थी। हमें घुसपैठियों के खिलाफ आग जलानी है और झारखंड को स्वर्ण भूमि बनाना है। संथाल परगना में आदिवासी आबादी घट रही है और मुस्लिम आबादी बढ़ रही है।"

उन्होंने आश्चर्य जताया कि अगर घुसपैठ नहीं है तो मुस्लिम आबादी में वृद्धि का क्या कारण है? उन्होंने कहा, "हर मुसलमान घुसपैठिया नहीं है, लेकिन हर 5 साल में मुसलमानों की आबादी कैसे बढ़ रही है? क्या एक परिवार 10-12 बच्चे पैदा कर रहा है? अगर परिवार इतने बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं, तो निश्चित रूप से लोग बाहर से आ रहे हैं। यह सरल गणित है। हम चुनाव जीतेंगे, लेकिन यह मुख्य प्राथमिकता नहीं है, बल्कि संथाल परगना से घुसपैठियों को बाहर निकालना और महिलाओं को न्याय दिलाना है।" 

हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी कहा कि झारखंड में भाजपा सरकार संथाल परगना संभाग में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करेगी। उन्होंने एएनआई से कहा, "कल भी आपने झारखंड सरकार का आंतरिक पत्र देखा, जिसमें लिखा था कि घुसपैठियों को मदरसों में प्रशिक्षण दिया जाता है और आधार कार्ड बनाए जाते हैं। बहुत सी बातें सामने आ रही हैं, हमें विश्वास है कि इन चुनावों के बाद भाजपा की सरकार बनेगी और हम संथाल परगना में एनआरसी लागू करेंगे।" 

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदान दो चरणों में होगा - 13 नवंबर और 20 नवंबर को। पिछले विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 30 सीटें जीती थीं, भाजपा ने 25 और कांग्रेस ने 16 सीटें जीती थीं।

The 133rd Durand Cup starts from July 27 at the Yuva Bharati Sports Complex in Kolkata
Sports

#Sports News #Football# Durand #India# Street Buzz News


*Khabar Kolkata* : Kolkata football season kicks off with the Kolkata League. This time, the stick is going to fall on the lid of the Durand Cup. This time too, the traditional Durand will start at the Vivekananda Yuva Bharati Stadium in Kolkata. The final will also be held at Kolkata's Vivekananda Yuva Bharati Stadium. With this, the Durand Cup is being organized in Kolkata for the fifth consecutive time. The Army Department is quite pleased with the way the Durand craze has spread in football towns over the past few years.Last year, East Bengal-Mohun Bagan met in the final of the Durand Cup. Mohun Bagan became Durand champion.
The 133rd Durand Cup will start from July 27. The opening match will be held at Yuva Bharati Sports Complex. Final 31 August. The announcement was made from the Eastern Command headquarters on Tuesday. Along with Kolkata, like last year, Durand's match will be in Assam's Kokrajhar. Along with this, Durand's matches will be held in two new cities, Jamshedpur and Shillong.Along with ISL, I-League heavy weight teams & army teams will also participate in this 24-team tournament. Like last year, foreign teams can come here to play the invitational tournament. 24 teams will be divided into 6 groups. Each group will have 4 teams. The top team from each group will advance to the knock outs. Out of the 6 groups, the remaining 2 teams will play in the knock out as the second best. Durand's trophy tour starts on the 10th.

*PIC Courtesy by:X*
NSA Detention of khalistani extπemist Amritpal Singh & 9 others Extended For 1 Year
He has just become an MP from Khadoor Sahib, Punjab and currently lodged in dibrugarh jail, Assam under NSA
অম্বুবাচীর  (Ambubachi) উপাখ্যান

গুয়াহাটির (Guahati) কামাখ্যা মন্দিরে দেবীর কোনও মূর্তি নেই। এখানে সতীর (Sati) যোনি পড়েছিল। তাই এখানে দেবী সতীর যোনির পুজোর বিধান রয়েছে। প্রতিবছর জুন মাসে দেবী সতী রজস্বলা হন। এই সময়কালই অম্বুবাচী (Ambubachi) নামে পরিচিত। তিন দিন মন্দিরের দরজা বন্ধ থাকে। পরে বিশেষ পুজোর মাধ্যমে কপাট খোলা হবে। আবার এ সময়ে প্রসাদ হিসেবে একটি লাল ভেজা কাপড় দেওয়া হয়। দেবীর রজস্বলা হওয়ার আগে সেই স্থানে সাদা কাপড় বিছিয়ে দেওয়া হয়। পরে সেটি লাল রঙের হয়। এই পোশাককে অম্বুবাচী বস্ত্র বলা হয়। শাস্ত্র মতে এখানে আগত ভক্তদের ওপর দেবীর আশীর্বাদ থাকে। শ্রদ্ধা-ভক্তি-সহ সতীর পুজো করলে ব্যক্তির সমস্ত মনস্কামনা পূর্ণ হয়।

সকলের বিশ্বাস, এই সময় ঋতুমতী হন মাতা বসুন্ধরা। সেই উপলক্ষ্যে নানা নিয়ম পালন করা হয় দেশ জুড়ে। ঋতুমতী হলে মেয়েদের সন্তানধারণের ক্ষমতা জন্মায়। তেমনই এই অম্বুবাচীর পরই পৃথিবী শস্যশ্যামলা হয়ে ওঠে বসুন্ধরা। আষাঢ় মাসে মৃগশিরা নক্ষত্রের তৃতীয় পদ শেষ হলে মাসের চতুর্থ পদে পড়লেই শুরু হয় অম্বুবাচী। তিনদিন চলে সেই পর্যায়। এই সময় মাটি কর্ষণ বন্ধ থাকে। দেবী মূর্তি ঢাকা থাকে কাপড়ে। এই তিনদিন পুজোও বন্ধ থাকে অনেক মন্দিরে।

মাটির উপরে এই কদিন আগুন জ্বালিয়ে রান্না করেন না সন্ন্যাসী, ব্রহ্মচারী ও বিধবা মহিলারা। যাঁরা অম্বুবাচী কঠোরভাবে পালন করেন, তাঁরা এই তিন দিন খেয়ে থাকেন শুধু ফল-মিষ্টি। এই তিনদিন কোনও শুভ কাজ করা হয় না। ২২ জুন (৭ আষাঢ়) থেকে শুরু হবে। এরপর থেকে ৩ দিন চলে ২৫ জুন (১০ আষাঢ়) শেষ হবে এই পর্যায়।

তন্ত্র সাধনার অন্যতম সিদ্ধস্থান আসামের (Assam) গুয়াহাটির কামাখ্যা মন্দির। ৫১ শক্তিপীঠের মধ্যে অন্যতম হল এই কামাখ্যা মন্দির। এখানে সতীর অঙ্গ পড়েছিল। কামাখ্যা মন্দিরে এলে কেউ খালি হাতে যায় না। নিজের ভক্তদের সমস্ত মনস্কামনা পূরণ করেন কামাখ্যা দেবী। সারা বছর এই মন্দির খোলা থাকলেও অম্বুবাচীর সময়ে কামাখ্যা মন্দির (Kamakhya) বন্ধ থাকে। হিন্দু ধর্ম শাস্ত্রে অম্বুবাচীর বিশেষ মাহাত্ম্য স্বীকৃত। চলতি বছর ২২ জুন থেকে অম্বুবাচী শুরু হবে। শেষ হবে ২৫ জুন। অম্বুবাচী উপলক্ষ্যে কামাখ্যা মন্দিরে একটি মেলা আয়োজিত হয়। কামাখ্যা মন্দিরের মাহাত্ম্য, কী এই অম্বুবাচী, এর ধর্মীয় মাহাত্ম্য সম্পর্তে আলোচনা করা হল এখানে।

*অনেকের বিশ্বাস ,*

অম্বুবাচীর সময়টুকু বিধবা মহিলারা তিন দিন ধরে ব্রত রাখেন।
অম্বুবাচীর আগের দিন রান্না করা খাবার তাঁরা তিন দিন ধরে খেতে পারেন।
তবে তিন দিনের পুরনো খাবার খাওয়া তো সম্ভব নয়, তাই অনেকেই ফলমূল খেয়ে কাটিয়ে দেন সময়টা।
তিন দিন তারা কোন গরম খাবার খান না। 
এই সময় দেবীপুজো করা হয় না।
অম্বুবাচীর সময় হাল ধরা, গৃহ প্রবেশ, বিবাহ ইত্যাদি শুভ কাজ করা নিষিদ্ধ থাকে
দেবীর মুখ ঢেকে রাখা হয়।

মন্দির থেকে এই সময় লাল তরল নিঃসৃত হয় বলে বিশ্বাস
ওড়িশায় এই পার্বণকে  ‘রজ উৎসব’ বলা হয়। সতীপীঠ কামাক্ষ্যায় এই উৎসব বড় করে পালিত হয়। কথিত আছে, এই সময় মন্দির থেকে লাল তরল নিঃসৃত হয়। দেবীর ঋতুকাল সমাগত মনে করে উৎসব পালিত হয় তখন। 
অম্বুবাচী মেলা আমেটি বা তান্ত্রিক উর্বরতা উৎসব নামেও পরিচিত এবং এটি চার দিনের মেলা (মেলা)। এটি পূর্বাঞ্চলে প্রচলিত তান্ত্রিক শক্তি সাধনার সাথে ঘনিষ্ঠভাবে জড়িত ভারত এবং থেকে তান্ত্রিক সাধুদের সমাবেশের কারণে বিখ্যাত ভারত এবং বিদেশে। এই চার দিনেই কিছু তান্ত্রিক বাবা জনসমক্ষে হাজির হন। তান্ত্রিক সন্ন্যাসীরা মিডিয়া ও বিদেশীদেরও আকৃষ্ট করে। এবং তান্ত্রিক বাবারা অসংখ্য অনন্য আচার-অনুষ্ঠান এবং ব্যায়াম করে তাদের ছবি তোলা হয় এবং সারা বিশ্বের পত্রিকা ও সংবাদপত্রে প্রকাশিত হয়। তান্ত্রিক, অঘোরী এবং সাধুরা এই সময়কালে হবন, আচার, গান এবং নাচ করে। তান্ত্রিক সাধুদের সাথে দেখা করতে এবং তাদের আশীর্বাদ নিতে দূরদূরান্ত থেকে ভক্তরা আসেন। এছাড়া গ্রামীণ কারুশিল্প মেলার জন্যও উৎসবটি প্রসিদ্ধ।

এটি ব্যাপকভাবে বিশ্বাস করা হয় যে দেবী কামাখ্যা অম্বুবাচীর দিনগুলিতে তার বার্ষিক মাসিক চক্রের মধ্য দিয়ে যান। মন্দির তিন দিন বন্ধ থাকে – মাসিকের সময়কাল।চতুর্থ দিনে মন্দিরের বাইরে বিপুল সংখ্যক মানুষ অপেক্ষা করে, কখন মন্দির খোলা হবে। এই সময়ে কামাখ্যা মন্দিরে সারা দেশের সন্ন্যাসী এবং পাণ্ডারা সমবেত হয়।এই অঞ্চলের অনেক মন্দির তিন দিন বন্ধ থাকে। এই তিন দিনে জমি চাষ করা বা মাটি কাটা নিষিদ্ধ।

মন্দিরটি যখন আবার খুলে যায় তখন বিপুল সংখ্যক ভক্তরা উন্মত্ত ভিড় করেন যখন মন্দিরটি অনন্য ‘প্রসাদ’ গ্রহণ করে যা ছোট ছোট কাপড়ের টুকরো, যা দেবী কামাখ্যার ঋতুস্রাবের তরল দ্বারা অনুমিতভাবে আর্দ্র। এটি অত্যন্ত শুভ এবং শক্তিশালী বলে মনে করা হয়।

*অম্বুবাচীর দিনক্ষণ*

২২ জুন অর্থাৎ ৭ ই আষাঢ় সন্ধ্যা ৬ টা ৩১ মিনিটে পড়ছে অম্বুবাচীর (Ambubachi 2024) তিথি। আর তা শেষ হবে ১০ আষাঢ় অর্থাৎ ২৫ মে রাত ১ টা গতে। প্রসঙ্গত, এই অম্বুবাচী তিথিতে কামাখ্যা মন্দিরে বিশেষ পুজো পালিত হয়। এই সময় শুভ কাজ করা নিষিদ্ধ থাকে। করা হয় না কৃষিকাজ। এই সময় ব্রহ্মচারী, বিধবা, যোগী পুরুষকরা ফলাহার করে থাকেন, আগুনে রান্না কিছু তাঁরা খান না। এই রীতি পালনের নেপথ্যে রয়েছে একটি বিশ্বাস।

বিশ্বাস রয়েছে, আষাঢ় মাসের মৃগশিরা নক্ষত্রের চতুর্থপদে ঋতুমতী হন ধরিত্রী। পৃথিবীকে ধরিত্রী মাতা রূপে সম্বোধন করে শাস্ত্র মতে এই ৩ দিন কোনও মাটি খুঁড়ে চাষাবাদের কাজ হয় না। যেহেতু ঋতুমতী মহিলারাই কেবল সন্তান ধারণ করতে পারেন, তাই মনে করা হয় অম্বুবাচীর পর ধরিত্রীও সেই রূপেই আরও শস্য শ্যামলা হয়ে ওঠেন। এই বিশ্বাস থেকে ৩ দিন দেবী মন্দিরে ঢাকা থাকে দেবীর মূর্তি। অম্বুবাচী (Ambubachi) কাটলে শুরু হয় পুজো, মঙ্গলানুষ্ঠান। অন্যদিকে, ধরিত্রীর উপর কাঠ চাপিয়ে আগুন ধরিয়ে এই সময় করা রান্নার পদ মুখে নেননা বহু যোগী পুরুষ, সন্ন্যাসী, বৈধব্যে থাকা মহিলারা।

*দেবী অম্বুবাচীর অঙ্গবস্ত্র –*

দেবী দ্বারা পরিহিত রক্তমাখা কাপড়
অম্বুবাচীর আরেকটি গুরুত্বপূর্ণ দিক হল অত্যন্ত সম্মানিত অঙ্গবস্ত্র বা রক্তবস্ত্র, প্রথম তিন দিন মন্দিরের পীঠস্থান ঢেকে রাখার জন্য ব্যবহৃত লাল কাপড়ের টুকরো।

প্রচুর পরিমাণে ভক্তরা একটি কাপড়ের টুকরো পাওয়ার জন্য অপেক্ষা করে যা কারও শরীরে বেঁধে রাখলে এটি খুব শুভ এবং উপকারী বলে বিশ্বাস করা হয়।

*কামাখ্যা মন্দির*

গুয়াহাটির (Ghuahati) কামাখ্যা মন্দিরে দেবীর কোনও মূর্তি নেই। এখানে সতীর (Sati) যোনি পড়েছিল। তাই এখানে দেবী সতীর যোনির পুজোর বিধান রয়েছে। প্রতিবছর জুন মাসে দেবী সতী রজস্বলা হন। এই সময়কালই অম্বুবাচী (Ambubachi) নামে পরিচিত। তিন দিন মন্দিরের দরজা বন্ধ থাকে। পরে বিশেষ পুজোর মাধ্যমে কপাট খোলা হবে। আবার এ সময়ে প্রসাদ হিসেবে একটি লাল ভেজা কাপড় দেওয়া হয়। দেবীর রজস্বলা হওয়ার আগে সেই স্থানে সাদা কাপড় বিছিয়ে দেওয়া হয়। পরে সেটি লাল রঙের হয়। এই যে পোশাককে অম্বুবাচী বস্ত্র বলা হয়। শাস্ত্র মতে এখানে আগত ভক্তদের ওপর দেবীর আশীর্বাদ থাকে। শ্রদ্ধা-ভক্তি-সহ সতীর পুজো করলে ব্যক্তির সমস্ত মনস্কামনা পূর্ণ হয়। ( Collected).
জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

না মাটি, না পাথর, না কাঠ.. 8.5 ফুট উঁচু এবং 350 কেজি ওজনের বজরংবলীর মূর্তি বসছে গুজরাটের গোধরায়
#Bajrangbali _idol _in _Godhra Gujarat

এসবি নিউজ ব্যুরো: মধ্যপ্রদেশের ইন্দোরের শিল্পী স্ক্র্যাপ মেটাল থেকে হনুমানজির অনন্য মূর্তি তৈরি করছেন। গতকাল  সারাদেশে পালিত হয়েছে হনুমান জন্মোৎসব। সকাল থেকেই হনুমানজির মন্দিরে ভক্তদের উপচে পড়া ভিড় লক্ষ্য করা যায়। জানা গিয়েছে,8.5 ফুট উঁচু এবং 350 কেজি ওজনের বজরংবলী মূর্তি তৈরি হচ্ছে সম্পূর্ণ স্ক্র্যাপ মেটালে। ইন্দোরের শিল্পী দেবল ভার্মার তৈরি এঈ মূর্তিটি আগামী মাসে গুজরাটের গোধরায় স্থাপন করা হবে। দেবাল ভার্মা বলেন, 'আমরা গত 7-8 বছর ধরে স্ক্র্যাপ-মেটাল আর্ট নিয়ে কাজ করছি। আমরা স্ক্র্যাপ ধাতু থেকে প্রত্নবস্তু তৈরি সহ অর্ডার অনুযায়ী মূর্তি তৈরি করুন। গোধরা থেকে একটা অর্ডার এসেছিল। সাধারণত ক্লায়েন্ট আমাদের স্থান দেখায় এবং সেখানে কী থাকা উচিত সে সম্পর্কে পরামর্শ চায়।তাকে ঈশ্বরের মূর্তি স্থাপন করতে বলা হয়েছিল। তারা আমাদের কাছে জানতে চেয়েছিল কোন মূর্তি তৈরি করা উচিত এবং কীভাবে তৈরি করা উচিত। আমরা তাকে হনুমানজির মূর্তি বসানোর পরামর্শ দিয়েছিলাম। তারপর হনুমানজির মূর্তির নকশা করি।" দেবল ভার্মা আরও বলেন, 'প্রথমত, এটি বজরঙ্গবলীর মূর্তি এবং আমরা স্ক্র্যাপ থেকে কাজ করছি। মানে এটি শুধুমাত্র স্ক্র্যাপ থেকে তৈরি করা উচিত ছিল। কিন্তু এটি এমন ছিল, আমরা সাধারণত যা করি তার থেকে ভিন্ন কিছু করতে হয়েছে ।তার মানে আমরা মূর্তিটা একটু অন্যরকম করব। আমরা এটিতে প্রচুর পিতল এবং স্টেইনলেস স্টিল রাখি। ডিজাইন করতে  2-3 মাস লেগেছে বজরঙ্গবলীজির এই মূর্তিটি ডিজাইন করতে আমাদের 2-3 মাস লেগেছে। প্রস্তাবনা-মাত্রা নকশা সেট. নকশা চূড়ান্ত হওয়ার পর, আমরা মূর্তিটি যে উপাদান থেকে তৈরি করা হবে তা অনুসন্ধান শুরু করেছি। স্ক্র্যাপ খুঁজে পেতে অনেক সময় লাগে। মূর্তিটিতে আছে পিতলের প্যান, প্লেট এবং স্টেইনলেস স্টিলের পাইপ। এসএস শিটও স্থাপন করা হয়। গাড়ির স্প্রিং এবং গিয়ার বিয়ারিং বিভিন্ন ধরনের স্ক্র্যাপ থেকে তৈরি করা হয়। হনুমান চালিসা হনুমানজির মূর্তি বানাতে আমরা হনুমান চালিসার অনুবাদও করেছি। তাদের বৈশিষ্ট্য কি? যেমন, 'কান্ধে মুঞ্জ জেনেউ সাজাই', অর্থাৎ কীভাবে পবিত্র সুতো পরানো হয়। তাহলে কানে দুল কেন? সে রকম ডিটেইলিং করা হয়েছে। প্রায়ই বলেন কথিত আছে, শ্রী রাম জানকী বজরঙ্গবলী জির বুকে বসে আছেন। তাই আমরা একটি অনুরূপ স্কেচ তৈরি করেছি, ডিজিটালভাবে এটি পিতলের মধ্যে খোদাই করেছি, একটি দুল তৈরি করে তার বুকে স্থাপন করেছি। এই ধরনের ডিটেইলিং করা হয়েছে। হনুমানজির মূর্তি তৈরির ক্ষেত্রে সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জটি হল বজরঙ্গবলী জির শরীর একেবারে সুস্থ। হনুমানজি শক্তিশালী। সেই সঙ্গে হনুমানজির মুখও খুব কোমল। মুখে সেই স্নিগ্ধতা ওভদ্রতা আনা ছিল একটি বড় চ্যালেঞ্জ। স্টেইনলেস স্টিল, ব্রাস, মাইল্ড স্টিল ব্যবহার করা হয়েছে। উদাহরণস্বরূপ, যদি এটি একটি পিতলের প্লেট হয় তবে এটি কোথায় ব্যবহার করা হবে এবং কীভাবে এটি ব্যবহার করা হবে তা কেটে কেটে লাগানো হয়েছে। মূর্তিটি তৈরি করতে কত সময় লেগেছে? বজরংবলী জির এই মূর্তিটি তৈরি করতে মোট 1 বছর সময় লেগেছে। ডিজাইন থেকে উপাদান সংগ্রহ থেকে চূড়ান্ত উত্পাদন পর্যন্ত। অর্ডারটি গত ফেব্রুয়ারিতে আমাদের কাছে এসেছিল এবং চলতি বছরের মার্চে মূর্তিটি তৈরি হয়। এই মূর্তি তৈরিতে আমাদের ৪ জনের দল কাজ করেছে। আমি দেবল ভার্মা, চিফ মেকানিক্যাল ইঞ্জিনিয়ার ফাইজান খান, চিফ ওয়েল্ডার রাজেশ ঝা এবং হেল্পার অর্জুন। ইন্দোরে আমাদের ডিজাইন স্টুডিওতে এই মূর্তিটি তৈরি করা হয়েছে। গোধরায় বাসস্ট্যান্ডের কাছে শ্রীসারভাত রেস্তোরাঁয় এই মূর্তি স্থাপন করা হবে। এই মূর্তি তৈরি করার সময় হনুমানজির সামনে সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জ ছিল আবেগ আনতে হয়েছে। কারণ, স্ক্র্যাপ উপাদান থেকে কিছু তৈরি করা এবং তার মধ্যে অভিব্যক্তি আনা সবচেয়ে চ্যালেঞ্জিং কাজ। লোকেরা যখন এই মূর্তিটি দেখে, তখন তাদের মনে হয় যেন বজরঙ্গবলী জি তাদের দেখছেন। মানুষ আমাদের তাই বলেছে। প্রিভিউ দেখে অনেকেই বজরঙ্গবলীজির মূর্তির সামনে কেঁদেছিলেন। হনুমানজির দাড়িতে স্টেইনলেস স্টিলের তার লাগানো আছে। গদাটি পিতলের মাথা দিয়ে তৈরি। মুকুট উপর ঘূর্ণিত। নিচে চশমা পিতলের তৈরি। মুকুটের পিছনে সেলাই মেশিনের চাকা।
#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya *আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল*

#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya

এসবি নিউজ ব্যুরো: অযোধ্যায় রামনবমীতে রামলালের রামলালার সূর্যাভিষেক হল। ভগবান রামের মাথার অলৌকিক দৃশ্য দেখে সারা দেশের মানুষ আবেগাপ্লুত।আধ্যাত্মিকতা ও বিজ্ঞানের মিলনের এক মনোরম দৃশ্য আজ দেখা গেল অযোধ্যায়। রামনবমীর বিশেষ দিন উপলক্ষ্যে, অযোধ্যার রাম মন্দিরে যখন ভগবান শ্রীরামের কপালে সূর্য তিলক লাগানো হয়েছিল তখন একটি অপূর্ব দৃশ্য দেখা যায়। এই সূর্যাভিষেক দুপুর ১২.০১ মিনিটে শুরু হয়ে প্রায় পাঁচ মিনিট ধরে চলে। এই ঘটনাসারা বিশ্ব কৌতূহল নিয়ে দেখছে, আজ ৫০০ বছর পর অযোধ্যা ও দেশের মানুষের জন্য এই বিশেষ সুযোগ এসেছে। রাম মন্দির প্রতিষ্ঠার পর এটাই প্রথম রাম নবমী। অযোধ্যায় রামনবমী উপলক্ষ্যে, সূর্যের রশ্মি দ্বারা রামলালার তিলক করা হয়। এই উপলক্ষ্যে রামলালার বিশেষ মেকআপও করা হয়েছিল। 500 বছর পর, এই সূর্যাভিষেকের সময় রামলালা মূর্তির সূর্যাভিষেক হয়েছিল প্রায় 4 থেকে রামলালার মূর্তির মাথায় সূর্য তিলক লাগানো হয় ৬ মিনিটের জন্য। সূর্যের আলো রামলালার ওপর এমনভাবে পড়ল যেন ভগবান রামের গায়ে সূর্য তিলক লাগানো হয়েছে। এই দৃশ্যটি সকলের মনকে মোহিত করেছে ।বিজ্ঞানীরা বহু মাস ধরে এই সূর্য তিলকের জন্য প্রস্তুতি নিচ্ছিলেন। এর জন্য অনেক ট্রায়াল করা হয়েছিল। আজ দুপুরে ঘড়ির কাঁটা 12:01 বাজতেই সূর্যের রশ্মি সরাসরি রামের কপালে এসে পৌঁছায়। 12:01 থেকে 12:06 পর্যন্ত সূর্যাভিষেক চলতে থাকে। পাঁচ মিনিট ধরে চলতে থাকে এই প্রক্রিয়া। বিজ্ঞানীরা গত 20 বছরে অযোধ্যার আকাশে সূর্যের গতিবিধি অধ্যয়ন করেছেন। সঠিক দিকনির্দেশ ইত্যাদি নির্ধারণের পর মন্দিরের উপরের তলায় প্রতিফলক ও লেন্স স্থাপন করা হয়েছে। সূর্যের রশ্মি ঘূর্ণায়মান হয়ে রামলালার কপালে পৌঁছে গেল। উপরের সমতলের লেন্সে সূর্যের রশ্মি পড়ল। এর পরে, এটি তিনটি লেন্সের মধ্য দিয়ে যায় এবং দ্বিতীয় তলায় আয়নার কাছে আসে। শেষেসূর্যের রশ্মি রাম লালার কপালকে 75 মিমি বুলেটের আকারে আলোকিত করতে থাকে এবং এটি প্রায় পাঁচ মিনিট ধরে চলতে থাকে। সূর্য তিলকের পরে, ভগবান শ্রী রামের বিশেষ পূজা এবং আরতি করা হয়।রাম নবমীতে ভক্তদের ভিড়ের পরিপ্রেক্ষিতে প্রায় 25 লাখ ভক্তের আগমনের সময়টি 19 ঘন্টা করা হয়েছে।মঙ্গলা আরতি থেকে শুরু হয়ে রাত ১১টা পর্যন্ত খোলা থাকবে মন্দির। এর মধ্যেই রামলালকে ভোগ প্রদান ও আরতি করা হবে।
আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল
#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya

*আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল।*

मणिपुर में सेना का बड़ा एक्शन, 10 उग्रवादी ढेर, हथियारों का जखीरा बरामद*


#assam_rifles_killed_10_militants_in_manipur

मणिपुर के चांदेल में भारतीय सेना ने उग्रवादियों के खिलाफ एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया है। चंदेल जिले में बुधवार को असम राइफल्स की एक यूनिट ने मुठभेड़ में कम से कम 10 उग्रवादियों को मार गिराया।भारतीय सेना की पूर्वी कमान ने बताया कि खुफिया जानकारी मिलने के बाद शुरू किया गया ऑपरेशन अभी भी जारी है।

इंडियन आर्मी ने एक्स पर इस एक्शन की जानकारी दी है। सेना के मुताबिक, मणिपुर के चांदेल जिले के खेंगजॉय तहसील के न्यू समतल गांव के पास उग्रवादियों की गतिविधियों का पता चला था। भारत-म्यांमार सीमा के पास सशस्त्र कैडरों यानी उग्रवादियों की गतिविधियों की खुफिया जानकारी पर एक्शन लिया गया। स्पीयर कॉर्प्स के तहत असम राइफल्स यूनिट ने 14 मई को एक अभियान शुरू किया।जैसे ही सेना के जवानों ने ऑपरेशन शुरू किया, उग्रवादियों ने उन पर गोलियां चलाई। जिसका सेना ने करारा जवाब दिया।

सेना ने बताया कि सुरक्षाबलों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और जवाबी कार्रवाई के दौरान हुई गोलीबारी में 10 कैडरों को मार गिराया गया। मौके से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए हैं।इस ऑपरेशन को कैलिब्रेटेड यानी योजनाबद्ध और सटीक बताया गया है।

सूत्रों के अनुसार, इलाके में और भी उग्रवादी छिपे होने की आशंका के मद्देनजर सर्च ऑपरेशन अभी भी चलाया जा रहा है। ऑपरेशन के दौरान किसी भी जवान के हताहत होने की खबर नहीं है। यह कार्रवाई मणिपुर में जारी अशांति के बीच सुरक्षाबलों की ओर से एक अहम सफलता मानी जा रही है।

हेमंत बिस्वा सरमा ने झारखंड में मुस्लिम आबादी बढ़ने का किया दावा, कहा यह है 'सरल गणित'

#hemant_biswa_claims_muslim_hike_in_jharkhand

Hemant Biswa Sharma (CM of Assam)

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के सह-प्रभारी हेमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को आरोप लगाया कि राज्य में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है और आदिवासी आबादी घट रही है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में मुस्लिम आबादी बढ़ने के पीछे घुसपैठ ही वजह है।

उन्होंने एएनआई से कहा, "मैंने घुसपैठियों के खिलाफ आग जलाई। भगवान हनुमान ने भी लंका में आग लगाई थी। हमें घुसपैठियों के खिलाफ आग जलानी है और झारखंड को स्वर्ण भूमि बनाना है। संथाल परगना में आदिवासी आबादी घट रही है और मुस्लिम आबादी बढ़ रही है।"

उन्होंने आश्चर्य जताया कि अगर घुसपैठ नहीं है तो मुस्लिम आबादी में वृद्धि का क्या कारण है? उन्होंने कहा, "हर मुसलमान घुसपैठिया नहीं है, लेकिन हर 5 साल में मुसलमानों की आबादी कैसे बढ़ रही है? क्या एक परिवार 10-12 बच्चे पैदा कर रहा है? अगर परिवार इतने बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं, तो निश्चित रूप से लोग बाहर से आ रहे हैं। यह सरल गणित है। हम चुनाव जीतेंगे, लेकिन यह मुख्य प्राथमिकता नहीं है, बल्कि संथाल परगना से घुसपैठियों को बाहर निकालना और महिलाओं को न्याय दिलाना है।" 

हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी कहा कि झारखंड में भाजपा सरकार संथाल परगना संभाग में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करेगी। उन्होंने एएनआई से कहा, "कल भी आपने झारखंड सरकार का आंतरिक पत्र देखा, जिसमें लिखा था कि घुसपैठियों को मदरसों में प्रशिक्षण दिया जाता है और आधार कार्ड बनाए जाते हैं। बहुत सी बातें सामने आ रही हैं, हमें विश्वास है कि इन चुनावों के बाद भाजपा की सरकार बनेगी और हम संथाल परगना में एनआरसी लागू करेंगे।" 

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदान दो चरणों में होगा - 13 नवंबर और 20 नवंबर को। पिछले विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 30 सीटें जीती थीं, भाजपा ने 25 और कांग्रेस ने 16 सीटें जीती थीं।

The 133rd Durand Cup starts from July 27 at the Yuva Bharati Sports Complex in Kolkata
Sports

#Sports News #Football# Durand #India# Street Buzz News


*Khabar Kolkata* : Kolkata football season kicks off with the Kolkata League. This time, the stick is going to fall on the lid of the Durand Cup. This time too, the traditional Durand will start at the Vivekananda Yuva Bharati Stadium in Kolkata. The final will also be held at Kolkata's Vivekananda Yuva Bharati Stadium. With this, the Durand Cup is being organized in Kolkata for the fifth consecutive time. The Army Department is quite pleased with the way the Durand craze has spread in football towns over the past few years.Last year, East Bengal-Mohun Bagan met in the final of the Durand Cup. Mohun Bagan became Durand champion.
The 133rd Durand Cup will start from July 27. The opening match will be held at Yuva Bharati Sports Complex. Final 31 August. The announcement was made from the Eastern Command headquarters on Tuesday. Along with Kolkata, like last year, Durand's match will be in Assam's Kokrajhar. Along with this, Durand's matches will be held in two new cities, Jamshedpur and Shillong.Along with ISL, I-League heavy weight teams & army teams will also participate in this 24-team tournament. Like last year, foreign teams can come here to play the invitational tournament. 24 teams will be divided into 6 groups. Each group will have 4 teams. The top team from each group will advance to the knock outs. Out of the 6 groups, the remaining 2 teams will play in the knock out as the second best. Durand's trophy tour starts on the 10th.

*PIC Courtesy by:X*
NSA Detention of khalistani extπemist Amritpal Singh & 9 others Extended For 1 Year
He has just become an MP from Khadoor Sahib, Punjab and currently lodged in dibrugarh jail, Assam under NSA
অম্বুবাচীর  (Ambubachi) উপাখ্যান

গুয়াহাটির (Guahati) কামাখ্যা মন্দিরে দেবীর কোনও মূর্তি নেই। এখানে সতীর (Sati) যোনি পড়েছিল। তাই এখানে দেবী সতীর যোনির পুজোর বিধান রয়েছে। প্রতিবছর জুন মাসে দেবী সতী রজস্বলা হন। এই সময়কালই অম্বুবাচী (Ambubachi) নামে পরিচিত। তিন দিন মন্দিরের দরজা বন্ধ থাকে। পরে বিশেষ পুজোর মাধ্যমে কপাট খোলা হবে। আবার এ সময়ে প্রসাদ হিসেবে একটি লাল ভেজা কাপড় দেওয়া হয়। দেবীর রজস্বলা হওয়ার আগে সেই স্থানে সাদা কাপড় বিছিয়ে দেওয়া হয়। পরে সেটি লাল রঙের হয়। এই পোশাককে অম্বুবাচী বস্ত্র বলা হয়। শাস্ত্র মতে এখানে আগত ভক্তদের ওপর দেবীর আশীর্বাদ থাকে। শ্রদ্ধা-ভক্তি-সহ সতীর পুজো করলে ব্যক্তির সমস্ত মনস্কামনা পূর্ণ হয়।

সকলের বিশ্বাস, এই সময় ঋতুমতী হন মাতা বসুন্ধরা। সেই উপলক্ষ্যে নানা নিয়ম পালন করা হয় দেশ জুড়ে। ঋতুমতী হলে মেয়েদের সন্তানধারণের ক্ষমতা জন্মায়। তেমনই এই অম্বুবাচীর পরই পৃথিবী শস্যশ্যামলা হয়ে ওঠে বসুন্ধরা। আষাঢ় মাসে মৃগশিরা নক্ষত্রের তৃতীয় পদ শেষ হলে মাসের চতুর্থ পদে পড়লেই শুরু হয় অম্বুবাচী। তিনদিন চলে সেই পর্যায়। এই সময় মাটি কর্ষণ বন্ধ থাকে। দেবী মূর্তি ঢাকা থাকে কাপড়ে। এই তিনদিন পুজোও বন্ধ থাকে অনেক মন্দিরে।

মাটির উপরে এই কদিন আগুন জ্বালিয়ে রান্না করেন না সন্ন্যাসী, ব্রহ্মচারী ও বিধবা মহিলারা। যাঁরা অম্বুবাচী কঠোরভাবে পালন করেন, তাঁরা এই তিন দিন খেয়ে থাকেন শুধু ফল-মিষ্টি। এই তিনদিন কোনও শুভ কাজ করা হয় না। ২২ জুন (৭ আষাঢ়) থেকে শুরু হবে। এরপর থেকে ৩ দিন চলে ২৫ জুন (১০ আষাঢ়) শেষ হবে এই পর্যায়।

তন্ত্র সাধনার অন্যতম সিদ্ধস্থান আসামের (Assam) গুয়াহাটির কামাখ্যা মন্দির। ৫১ শক্তিপীঠের মধ্যে অন্যতম হল এই কামাখ্যা মন্দির। এখানে সতীর অঙ্গ পড়েছিল। কামাখ্যা মন্দিরে এলে কেউ খালি হাতে যায় না। নিজের ভক্তদের সমস্ত মনস্কামনা পূরণ করেন কামাখ্যা দেবী। সারা বছর এই মন্দির খোলা থাকলেও অম্বুবাচীর সময়ে কামাখ্যা মন্দির (Kamakhya) বন্ধ থাকে। হিন্দু ধর্ম শাস্ত্রে অম্বুবাচীর বিশেষ মাহাত্ম্য স্বীকৃত। চলতি বছর ২২ জুন থেকে অম্বুবাচী শুরু হবে। শেষ হবে ২৫ জুন। অম্বুবাচী উপলক্ষ্যে কামাখ্যা মন্দিরে একটি মেলা আয়োজিত হয়। কামাখ্যা মন্দিরের মাহাত্ম্য, কী এই অম্বুবাচী, এর ধর্মীয় মাহাত্ম্য সম্পর্তে আলোচনা করা হল এখানে।

*অনেকের বিশ্বাস ,*

অম্বুবাচীর সময়টুকু বিধবা মহিলারা তিন দিন ধরে ব্রত রাখেন।
অম্বুবাচীর আগের দিন রান্না করা খাবার তাঁরা তিন দিন ধরে খেতে পারেন।
তবে তিন দিনের পুরনো খাবার খাওয়া তো সম্ভব নয়, তাই অনেকেই ফলমূল খেয়ে কাটিয়ে দেন সময়টা।
তিন দিন তারা কোন গরম খাবার খান না। 
এই সময় দেবীপুজো করা হয় না।
অম্বুবাচীর সময় হাল ধরা, গৃহ প্রবেশ, বিবাহ ইত্যাদি শুভ কাজ করা নিষিদ্ধ থাকে
দেবীর মুখ ঢেকে রাখা হয়।

মন্দির থেকে এই সময় লাল তরল নিঃসৃত হয় বলে বিশ্বাস
ওড়িশায় এই পার্বণকে  ‘রজ উৎসব’ বলা হয়। সতীপীঠ কামাক্ষ্যায় এই উৎসব বড় করে পালিত হয়। কথিত আছে, এই সময় মন্দির থেকে লাল তরল নিঃসৃত হয়। দেবীর ঋতুকাল সমাগত মনে করে উৎসব পালিত হয় তখন। 
অম্বুবাচী মেলা আমেটি বা তান্ত্রিক উর্বরতা উৎসব নামেও পরিচিত এবং এটি চার দিনের মেলা (মেলা)। এটি পূর্বাঞ্চলে প্রচলিত তান্ত্রিক শক্তি সাধনার সাথে ঘনিষ্ঠভাবে জড়িত ভারত এবং থেকে তান্ত্রিক সাধুদের সমাবেশের কারণে বিখ্যাত ভারত এবং বিদেশে। এই চার দিনেই কিছু তান্ত্রিক বাবা জনসমক্ষে হাজির হন। তান্ত্রিক সন্ন্যাসীরা মিডিয়া ও বিদেশীদেরও আকৃষ্ট করে। এবং তান্ত্রিক বাবারা অসংখ্য অনন্য আচার-অনুষ্ঠান এবং ব্যায়াম করে তাদের ছবি তোলা হয় এবং সারা বিশ্বের পত্রিকা ও সংবাদপত্রে প্রকাশিত হয়। তান্ত্রিক, অঘোরী এবং সাধুরা এই সময়কালে হবন, আচার, গান এবং নাচ করে। তান্ত্রিক সাধুদের সাথে দেখা করতে এবং তাদের আশীর্বাদ নিতে দূরদূরান্ত থেকে ভক্তরা আসেন। এছাড়া গ্রামীণ কারুশিল্প মেলার জন্যও উৎসবটি প্রসিদ্ধ।

এটি ব্যাপকভাবে বিশ্বাস করা হয় যে দেবী কামাখ্যা অম্বুবাচীর দিনগুলিতে তার বার্ষিক মাসিক চক্রের মধ্য দিয়ে যান। মন্দির তিন দিন বন্ধ থাকে – মাসিকের সময়কাল।চতুর্থ দিনে মন্দিরের বাইরে বিপুল সংখ্যক মানুষ অপেক্ষা করে, কখন মন্দির খোলা হবে। এই সময়ে কামাখ্যা মন্দিরে সারা দেশের সন্ন্যাসী এবং পাণ্ডারা সমবেত হয়।এই অঞ্চলের অনেক মন্দির তিন দিন বন্ধ থাকে। এই তিন দিনে জমি চাষ করা বা মাটি কাটা নিষিদ্ধ।

মন্দিরটি যখন আবার খুলে যায় তখন বিপুল সংখ্যক ভক্তরা উন্মত্ত ভিড় করেন যখন মন্দিরটি অনন্য ‘প্রসাদ’ গ্রহণ করে যা ছোট ছোট কাপড়ের টুকরো, যা দেবী কামাখ্যার ঋতুস্রাবের তরল দ্বারা অনুমিতভাবে আর্দ্র। এটি অত্যন্ত শুভ এবং শক্তিশালী বলে মনে করা হয়।

*অম্বুবাচীর দিনক্ষণ*

২২ জুন অর্থাৎ ৭ ই আষাঢ় সন্ধ্যা ৬ টা ৩১ মিনিটে পড়ছে অম্বুবাচীর (Ambubachi 2024) তিথি। আর তা শেষ হবে ১০ আষাঢ় অর্থাৎ ২৫ মে রাত ১ টা গতে। প্রসঙ্গত, এই অম্বুবাচী তিথিতে কামাখ্যা মন্দিরে বিশেষ পুজো পালিত হয়। এই সময় শুভ কাজ করা নিষিদ্ধ থাকে। করা হয় না কৃষিকাজ। এই সময় ব্রহ্মচারী, বিধবা, যোগী পুরুষকরা ফলাহার করে থাকেন, আগুনে রান্না কিছু তাঁরা খান না। এই রীতি পালনের নেপথ্যে রয়েছে একটি বিশ্বাস।

বিশ্বাস রয়েছে, আষাঢ় মাসের মৃগশিরা নক্ষত্রের চতুর্থপদে ঋতুমতী হন ধরিত্রী। পৃথিবীকে ধরিত্রী মাতা রূপে সম্বোধন করে শাস্ত্র মতে এই ৩ দিন কোনও মাটি খুঁড়ে চাষাবাদের কাজ হয় না। যেহেতু ঋতুমতী মহিলারাই কেবল সন্তান ধারণ করতে পারেন, তাই মনে করা হয় অম্বুবাচীর পর ধরিত্রীও সেই রূপেই আরও শস্য শ্যামলা হয়ে ওঠেন। এই বিশ্বাস থেকে ৩ দিন দেবী মন্দিরে ঢাকা থাকে দেবীর মূর্তি। অম্বুবাচী (Ambubachi) কাটলে শুরু হয় পুজো, মঙ্গলানুষ্ঠান। অন্যদিকে, ধরিত্রীর উপর কাঠ চাপিয়ে আগুন ধরিয়ে এই সময় করা রান্নার পদ মুখে নেননা বহু যোগী পুরুষ, সন্ন্যাসী, বৈধব্যে থাকা মহিলারা।

*দেবী অম্বুবাচীর অঙ্গবস্ত্র –*

দেবী দ্বারা পরিহিত রক্তমাখা কাপড়
অম্বুবাচীর আরেকটি গুরুত্বপূর্ণ দিক হল অত্যন্ত সম্মানিত অঙ্গবস্ত্র বা রক্তবস্ত্র, প্রথম তিন দিন মন্দিরের পীঠস্থান ঢেকে রাখার জন্য ব্যবহৃত লাল কাপড়ের টুকরো।

প্রচুর পরিমাণে ভক্তরা একটি কাপড়ের টুকরো পাওয়ার জন্য অপেক্ষা করে যা কারও শরীরে বেঁধে রাখলে এটি খুব শুভ এবং উপকারী বলে বিশ্বাস করা হয়।

*কামাখ্যা মন্দির*

গুয়াহাটির (Ghuahati) কামাখ্যা মন্দিরে দেবীর কোনও মূর্তি নেই। এখানে সতীর (Sati) যোনি পড়েছিল। তাই এখানে দেবী সতীর যোনির পুজোর বিধান রয়েছে। প্রতিবছর জুন মাসে দেবী সতী রজস্বলা হন। এই সময়কালই অম্বুবাচী (Ambubachi) নামে পরিচিত। তিন দিন মন্দিরের দরজা বন্ধ থাকে। পরে বিশেষ পুজোর মাধ্যমে কপাট খোলা হবে। আবার এ সময়ে প্রসাদ হিসেবে একটি লাল ভেজা কাপড় দেওয়া হয়। দেবীর রজস্বলা হওয়ার আগে সেই স্থানে সাদা কাপড় বিছিয়ে দেওয়া হয়। পরে সেটি লাল রঙের হয়। এই যে পোশাককে অম্বুবাচী বস্ত্র বলা হয়। শাস্ত্র মতে এখানে আগত ভক্তদের ওপর দেবীর আশীর্বাদ থাকে। শ্রদ্ধা-ভক্তি-সহ সতীর পুজো করলে ব্যক্তির সমস্ত মনস্কামনা পূর্ণ হয়। ( Collected).
জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

না মাটি, না পাথর, না কাঠ.. 8.5 ফুট উঁচু এবং 350 কেজি ওজনের বজরংবলীর মূর্তি বসছে গুজরাটের গোধরায়
#Bajrangbali _idol _in _Godhra Gujarat

এসবি নিউজ ব্যুরো: মধ্যপ্রদেশের ইন্দোরের শিল্পী স্ক্র্যাপ মেটাল থেকে হনুমানজির অনন্য মূর্তি তৈরি করছেন। গতকাল  সারাদেশে পালিত হয়েছে হনুমান জন্মোৎসব। সকাল থেকেই হনুমানজির মন্দিরে ভক্তদের উপচে পড়া ভিড় লক্ষ্য করা যায়। জানা গিয়েছে,8.5 ফুট উঁচু এবং 350 কেজি ওজনের বজরংবলী মূর্তি তৈরি হচ্ছে সম্পূর্ণ স্ক্র্যাপ মেটালে। ইন্দোরের শিল্পী দেবল ভার্মার তৈরি এঈ মূর্তিটি আগামী মাসে গুজরাটের গোধরায় স্থাপন করা হবে। দেবাল ভার্মা বলেন, 'আমরা গত 7-8 বছর ধরে স্ক্র্যাপ-মেটাল আর্ট নিয়ে কাজ করছি। আমরা স্ক্র্যাপ ধাতু থেকে প্রত্নবস্তু তৈরি সহ অর্ডার অনুযায়ী মূর্তি তৈরি করুন। গোধরা থেকে একটা অর্ডার এসেছিল। সাধারণত ক্লায়েন্ট আমাদের স্থান দেখায় এবং সেখানে কী থাকা উচিত সে সম্পর্কে পরামর্শ চায়।তাকে ঈশ্বরের মূর্তি স্থাপন করতে বলা হয়েছিল। তারা আমাদের কাছে জানতে চেয়েছিল কোন মূর্তি তৈরি করা উচিত এবং কীভাবে তৈরি করা উচিত। আমরা তাকে হনুমানজির মূর্তি বসানোর পরামর্শ দিয়েছিলাম। তারপর হনুমানজির মূর্তির নকশা করি।" দেবল ভার্মা আরও বলেন, 'প্রথমত, এটি বজরঙ্গবলীর মূর্তি এবং আমরা স্ক্র্যাপ থেকে কাজ করছি। মানে এটি শুধুমাত্র স্ক্র্যাপ থেকে তৈরি করা উচিত ছিল। কিন্তু এটি এমন ছিল, আমরা সাধারণত যা করি তার থেকে ভিন্ন কিছু করতে হয়েছে ।তার মানে আমরা মূর্তিটা একটু অন্যরকম করব। আমরা এটিতে প্রচুর পিতল এবং স্টেইনলেস স্টিল রাখি। ডিজাইন করতে  2-3 মাস লেগেছে বজরঙ্গবলীজির এই মূর্তিটি ডিজাইন করতে আমাদের 2-3 মাস লেগেছে। প্রস্তাবনা-মাত্রা নকশা সেট. নকশা চূড়ান্ত হওয়ার পর, আমরা মূর্তিটি যে উপাদান থেকে তৈরি করা হবে তা অনুসন্ধান শুরু করেছি। স্ক্র্যাপ খুঁজে পেতে অনেক সময় লাগে। মূর্তিটিতে আছে পিতলের প্যান, প্লেট এবং স্টেইনলেস স্টিলের পাইপ। এসএস শিটও স্থাপন করা হয়। গাড়ির স্প্রিং এবং গিয়ার বিয়ারিং বিভিন্ন ধরনের স্ক্র্যাপ থেকে তৈরি করা হয়। হনুমান চালিসা হনুমানজির মূর্তি বানাতে আমরা হনুমান চালিসার অনুবাদও করেছি। তাদের বৈশিষ্ট্য কি? যেমন, 'কান্ধে মুঞ্জ জেনেউ সাজাই', অর্থাৎ কীভাবে পবিত্র সুতো পরানো হয়। তাহলে কানে দুল কেন? সে রকম ডিটেইলিং করা হয়েছে। প্রায়ই বলেন কথিত আছে, শ্রী রাম জানকী বজরঙ্গবলী জির বুকে বসে আছেন। তাই আমরা একটি অনুরূপ স্কেচ তৈরি করেছি, ডিজিটালভাবে এটি পিতলের মধ্যে খোদাই করেছি, একটি দুল তৈরি করে তার বুকে স্থাপন করেছি। এই ধরনের ডিটেইলিং করা হয়েছে। হনুমানজির মূর্তি তৈরির ক্ষেত্রে সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জটি হল বজরঙ্গবলী জির শরীর একেবারে সুস্থ। হনুমানজি শক্তিশালী। সেই সঙ্গে হনুমানজির মুখও খুব কোমল। মুখে সেই স্নিগ্ধতা ওভদ্রতা আনা ছিল একটি বড় চ্যালেঞ্জ। স্টেইনলেস স্টিল, ব্রাস, মাইল্ড স্টিল ব্যবহার করা হয়েছে। উদাহরণস্বরূপ, যদি এটি একটি পিতলের প্লেট হয় তবে এটি কোথায় ব্যবহার করা হবে এবং কীভাবে এটি ব্যবহার করা হবে তা কেটে কেটে লাগানো হয়েছে। মূর্তিটি তৈরি করতে কত সময় লেগেছে? বজরংবলী জির এই মূর্তিটি তৈরি করতে মোট 1 বছর সময় লেগেছে। ডিজাইন থেকে উপাদান সংগ্রহ থেকে চূড়ান্ত উত্পাদন পর্যন্ত। অর্ডারটি গত ফেব্রুয়ারিতে আমাদের কাছে এসেছিল এবং চলতি বছরের মার্চে মূর্তিটি তৈরি হয়। এই মূর্তি তৈরিতে আমাদের ৪ জনের দল কাজ করেছে। আমি দেবল ভার্মা, চিফ মেকানিক্যাল ইঞ্জিনিয়ার ফাইজান খান, চিফ ওয়েল্ডার রাজেশ ঝা এবং হেল্পার অর্জুন। ইন্দোরে আমাদের ডিজাইন স্টুডিওতে এই মূর্তিটি তৈরি করা হয়েছে। গোধরায় বাসস্ট্যান্ডের কাছে শ্রীসারভাত রেস্তোরাঁয় এই মূর্তি স্থাপন করা হবে। এই মূর্তি তৈরি করার সময় হনুমানজির সামনে সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জ ছিল আবেগ আনতে হয়েছে। কারণ, স্ক্র্যাপ উপাদান থেকে কিছু তৈরি করা এবং তার মধ্যে অভিব্যক্তি আনা সবচেয়ে চ্যালেঞ্জিং কাজ। লোকেরা যখন এই মূর্তিটি দেখে, তখন তাদের মনে হয় যেন বজরঙ্গবলী জি তাদের দেখছেন। মানুষ আমাদের তাই বলেছে। প্রিভিউ দেখে অনেকেই বজরঙ্গবলীজির মূর্তির সামনে কেঁদেছিলেন। হনুমানজির দাড়িতে স্টেইনলেস স্টিলের তার লাগানো আছে। গদাটি পিতলের মাথা দিয়ে তৈরি। মুকুট উপর ঘূর্ণিত। নিচে চশমা পিতলের তৈরি। মুকুটের পিছনে সেলাই মেশিনের চাকা।
#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya *আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল*

#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya

এসবি নিউজ ব্যুরো: অযোধ্যায় রামনবমীতে রামলালের রামলালার সূর্যাভিষেক হল। ভগবান রামের মাথার অলৌকিক দৃশ্য দেখে সারা দেশের মানুষ আবেগাপ্লুত।আধ্যাত্মিকতা ও বিজ্ঞানের মিলনের এক মনোরম দৃশ্য আজ দেখা গেল অযোধ্যায়। রামনবমীর বিশেষ দিন উপলক্ষ্যে, অযোধ্যার রাম মন্দিরে যখন ভগবান শ্রীরামের কপালে সূর্য তিলক লাগানো হয়েছিল তখন একটি অপূর্ব দৃশ্য দেখা যায়। এই সূর্যাভিষেক দুপুর ১২.০১ মিনিটে শুরু হয়ে প্রায় পাঁচ মিনিট ধরে চলে। এই ঘটনাসারা বিশ্ব কৌতূহল নিয়ে দেখছে, আজ ৫০০ বছর পর অযোধ্যা ও দেশের মানুষের জন্য এই বিশেষ সুযোগ এসেছে। রাম মন্দির প্রতিষ্ঠার পর এটাই প্রথম রাম নবমী। অযোধ্যায় রামনবমী উপলক্ষ্যে, সূর্যের রশ্মি দ্বারা রামলালার তিলক করা হয়। এই উপলক্ষ্যে রামলালার বিশেষ মেকআপও করা হয়েছিল। 500 বছর পর, এই সূর্যাভিষেকের সময় রামলালা মূর্তির সূর্যাভিষেক হয়েছিল প্রায় 4 থেকে রামলালার মূর্তির মাথায় সূর্য তিলক লাগানো হয় ৬ মিনিটের জন্য। সূর্যের আলো রামলালার ওপর এমনভাবে পড়ল যেন ভগবান রামের গায়ে সূর্য তিলক লাগানো হয়েছে। এই দৃশ্যটি সকলের মনকে মোহিত করেছে ।বিজ্ঞানীরা বহু মাস ধরে এই সূর্য তিলকের জন্য প্রস্তুতি নিচ্ছিলেন। এর জন্য অনেক ট্রায়াল করা হয়েছিল। আজ দুপুরে ঘড়ির কাঁটা 12:01 বাজতেই সূর্যের রশ্মি সরাসরি রামের কপালে এসে পৌঁছায়। 12:01 থেকে 12:06 পর্যন্ত সূর্যাভিষেক চলতে থাকে। পাঁচ মিনিট ধরে চলতে থাকে এই প্রক্রিয়া। বিজ্ঞানীরা গত 20 বছরে অযোধ্যার আকাশে সূর্যের গতিবিধি অধ্যয়ন করেছেন। সঠিক দিকনির্দেশ ইত্যাদি নির্ধারণের পর মন্দিরের উপরের তলায় প্রতিফলক ও লেন্স স্থাপন করা হয়েছে। সূর্যের রশ্মি ঘূর্ণায়মান হয়ে রামলালার কপালে পৌঁছে গেল। উপরের সমতলের লেন্সে সূর্যের রশ্মি পড়ল। এর পরে, এটি তিনটি লেন্সের মধ্য দিয়ে যায় এবং দ্বিতীয় তলায় আয়নার কাছে আসে। শেষেসূর্যের রশ্মি রাম লালার কপালকে 75 মিমি বুলেটের আকারে আলোকিত করতে থাকে এবং এটি প্রায় পাঁচ মিনিট ধরে চলতে থাকে। সূর্য তিলকের পরে, ভগবান শ্রী রামের বিশেষ পূজা এবং আরতি করা হয়।রাম নবমীতে ভক্তদের ভিড়ের পরিপ্রেক্ষিতে প্রায় 25 লাখ ভক্তের আগমনের সময়টি 19 ঘন্টা করা হয়েছে।মঙ্গলা আরতি থেকে শুরু হয়ে রাত ১১টা পর্যন্ত খোলা থাকবে মন্দির। এর মধ্যেই রামলালকে ভোগ প্রদান ও আরতি করা হবে।
আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল
#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya

*আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল।*