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एएमयू पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ओवैसी ने दी नसीहत, बोले- मोदी सरकार भेद-भाव बंद करे

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने 4-3 से बहुमत से दिया। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।ओवैसी ने कहा कि यह देश में मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। साथ ही उन्होंने मोदी सरकार को नसीहत भी दी है। ओवैसी ने यह भी कहा कि मोदी सरकार को इस फैसले को गंभीरता से लेना चाहिए। साथ ही उनके साथ भेदभाव करना बंद करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सांसद ओवैसी ने सोशल मीडिया एक्स पर लंबा-चौड़ा पोस्ट किया।सोशल मीडिया एक्स पर एक बड़े पोस्ट में एआईएमआईएम प्रमुख लिखा, यह भारत के मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। 1967 के फैसले ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को खारिज कर दिया था, जबकि वास्तव में यह अल्पसंख्यक था। अनुच्छेद 30 में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थानों को उस तरीके से स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार है, जैसा वे उचित समझें।

भाजपा के सभी तर्क खारिज-ओवैसी

ओवैसी ने आगे लिखा, अल्पसंख्यकों के खुद को शिक्षित करने के अधिकार को बरकरार रखा गया है। मैं आज एएमयू के सभी छात्रों और शिक्षकों को बधाई देता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि विश्वविद्यालय संविधान से पहले स्थापित हुआ था या फिर सरकार के कानून की तरफ से स्थापित हुआ था। अगर इसे अल्पसंख्यकों की तरफ से स्थापित किया गया है तो यह अल्पसंख्यक संस्थान है। भाजपा के सभी तर्क खारिज हो गए।

बीजेपी पर लगाया ये आरोप

अपने पोस्ट में ओवैसी ने आरोप लगाया कि, भाजपा इतने सालों से एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का विरोध करती रही है। अब वह क्या करने जा रही है? एएमयू और जामिया पर हमला करने की हरसंभव कोशिश की गई है, यहां तक कि मदरसा चलाने के हमारे अधिकार पर भी हमला किया गया है। भाजपा को आत्मचिंतन करना चाहिए और अपने रास्ते में सुधार करना चाहिए।

मोदी सरकार को नसीहत

कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र की मोदी सरकार को नसीहत देते हुए एआईएमआईएम नेता ओवैसी ने लिखा, मोदी सरकार को इस फैसले को गंभीरता से लेना चाहिए। उसे एएमयू का समर्थन करना चाहिए क्योंकि यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है। जामिया को प्रति छात्र 3 लाख रुपये मिलते हैं, एएमयू को प्रति छात्र 3.9 लाख रुपये मिलते हैं, लेकिन बीएचयू को 6.15 लाख रुपये मिलते हैं। जामिया और एएमयू ने राष्ट्रीय रैंकिंग में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। सही समर्थन से विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए मोदी को उनके साथ भेदभाव करना बंद करना चाहिए। एएमयू का किशनगंज सेंटर पिछले कई सालों से खराब पड़ा है। इस पर भी तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए और सेंटर को जल्द से जल्द काम करना शुरू करना चाहिए।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे संबंधी मामले को 3 जजों की नई बेंच के पास भेजने का फैसला लिया, साथ ही 1967 के अपने फैसले को खारिज कर दिया जिसमें यह कहा गया था कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता क्योंकि केंद्रीय कानून के तहत इसकी स्थापना की गई थी।

उत्तराखंड के चमोली में मुस्लिम समुदाय का बहिष्कार, ओवैसी ने उठाया सवाल

उत्तराखंड के चमोली जिले में मुस्लिम समुदाय के बहिष्कार के फरमान के बाद सियासत गरमाती जा रही है. चमोली के माइथान गांव के लोगों ने मुस्लिम समुदाय की गांव में एंट्री पर बैन लगाया है और वहां रह रहे 15 मुसलमान परिवारों का सामूहिक बहिष्कार करने का फरमान जारी किया है.

साथ ही कहा है कि वे 31 दिसंबर तक गांव छोड़ दें. अब इस मामले पर हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है.

ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट कर उत्तराखंड की सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. ओवैसी ने एक्स पर लिखा, “ये वही उत्तराखण्ड है जहां की सरकार समानता के नाम पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर रही है. क्या चमोली के मुसलमानों को समानता और सम्मान से जीने का हक नहीं है?”

मुसलमान भारत में अछूत-ओवेसी

AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने चमौली कांड पर एक्स पर पोस्ट करते हुए ये भी लिखा, “मुसलमानों को भारत में अछूत बना दिया गया है. उत्तराखंड के चमोली में 15 मुसलमान परिवारों का सामूहिक बहिष्कार किया जा रहा है. चमोली के व्यापारियों ने धमकी दी है के 31 दिसंबर तक मुसलमानों को चमोली छोड़ देना होगा. अगर मकान मालिक मुसलमानों को घर देंगे तो 10 हजार का जुर्माना देना होगा.”

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के लिए कहा, “मोदी अरब शेखों से गले मिल सकते हैं तो चमोली के मुसलमानों को भी गले लगा सकते हैं. आखिरकार मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं, सऊदी या दुबई के तो नहीं.”

क्या है पूरा मामला?

माइथान व्यापार मंडल के एक नेता ने शनिवार को न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में इस चेतावनी की जानकारी दी थी. चेतावनी के मुताबिक, मुस्लिम समाज के लोगों को तय समय से पहले गांव छोड़ना होगा. ऐसा नहीं करने पर उनके साथ-साथ उनके मकान मालिकों पर जुर्माना लगेगा. गांव वालों ने फेरी के नाम पर गांव में आने वाले लोगों पर भी रोक लगा दी है.

स्थानीय लोगों और माइथान व्यापार मंडल ने तीन दिन पहले यानी बुधवार को एक बैठक का आयोजन किया था. ये बैठक जिले में हो रही आपराधिक गतिविधियों पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी. इसी बैठक में यह फैसला किया गया है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : मिशन-महाराष्ट्र की शुरुआत मुस्लिम बहुल इलाकों से करेंगे अखिलेश जहां AIMIM का है मजबूत आधार, पढ़िए, कैसे दिलचस्प होगा

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच मुस्लिम वोटों को लेकर हमेशा से तनाव रहा है। अब, अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी के प्रभाव को कम करने के लिए एक नई रणनीति बनाई है।

अखिलेश यादव ने अपने मिशन-महाराष्ट्र की शुरुआत मुस्लिम बहुल इलाकों से करने का निर्णय लिया है, जहां AIMIM का मजबूत आधार है। वे 17 और 18 अक्टूबर को महाराष्ट्र के मालेगांव और धुले में कार्यक्रमों में भाग लेने जा रहे हैं। 2019 विधानसभा चुनाव में मालेगांव और धुले में AIMIM ने शानदार प्रदर्शन किया था, जिससे यह स्पष्ट है कि यह क्षेत्र ओवैसी के लिए महत्वपूर्ण है। अखिलेश यादव अब ओवैसी के गढ़ से अपनी चुनावी ताकत को दिखाना चाहते हैं। ओवैसी ने लगातार यह दावा किया है कि कांग्रेस और एनसीपी केवल मुस्लिम वोट लेते हैं लेकिन उनके मुद्दों की अनदेखी करते हैं। वे मुस्लिमों के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए इसी नारे का उपयोग कर रहे हैं। इसके विपरीत, अखिलेश यादव का प्रयास है कि वे ओवैसी की पार्टी से मुस्लिम वोटरों का समर्थन प्राप्त करें। हालाँकि, महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और NCP (शरद गुट) की नज़र भी मुस्लिम वोटर्स पर हैं, जो भाजपा के खिलाफ किसी भी विपक्षी पार्टी को एकमुश्त वोट देते रहे हैं, फिर चाहे उम्मीदवार कोई भी हो। उद्धव गुट और कांग्रेस में तो मुंबई की मुस्लिम बहुल सीटों को लेकर खींचतान भी चल रही है, क्योंकि इन सीटों पर विपक्ष की जीत की संभावना अधिक है, अब इन्ही वोटर्स के लिए सपा और AIMIM ने भी बाहें खोलना शुरू कर दिया है।

सपा का महाराष्ट्र में प्रदर्शन 2009 में सबसे अच्छा रहा था, जब उन्होंने 4 सीटें जीती थीं। हाल के चुनावों में यह संख्या घटकर एक और दो रह गई। सपा की योजना 2024 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अधिक से अधिक सीटें जीतने की है, जिसमें मालेगांव, भायखला, और ठाणे जैसी सीटें शामिल हैं। अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन में भी भागीदारी की योजना बनाई है और 12 सीटों की मांग रखी है, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम बहुल हैं। उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि वे ओवैसी के प्रभाव को चुनौती दें और यह संदेश दें कि मुस्लिम समुदाय का विश्वास ओवैसी पर नहीं, बल्कि सपा पर है। अब यह देखना होगा कि महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय पर कौन अधिक प्रभाव डालने में सफल होता है और चुनावी खेल में किसकी रणनीति सफल होती है।

संसद-हाईकोर्ट-एयरपोर्ट, सब वक्फ की जमीन पर, मुस्लिमों को वापस दे सरकार, वरना अंजाम भुगतना होगा..', अजमल की धमकी से फैली सनसनी

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख और पूर्व सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बुधवार को विवादास्पद बयान देकर सनसनी फैला दी है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में संसद भवन और उसके आसपास का इलाका वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर बना है। उन्होंने कहा कि वसंत विहार से लेकर दिल्ली एयरपोर्ट तक का क्षेत्र वक्फ की जमीन पर बना हुआ है और सरकार इस 9.7 लाख बीघा वक्फ संपत्ति को हड़पना चाहती है। अजमल ने सरकार से मांग की है कि यह जमीन मुस्लिम समाज को वापस दी जाए।

अजमल ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों की सूची सामने आ रही है और यह मुद्दा गंभीर होता जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार बिना वक्फ बोर्ड की अनुमति के इन जमीनों का इस्तेमाल कर रही है, जो गलत है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा जारी रहा, तो मोदी सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दलित नेता और लेखक दिलीप मंडल ने इस मामले को लेकर अजमल और कांग्रेस की आलोचना की है। उधर, विपक्षी सांसदों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में संसदीय आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से की है। उन्होंने आरोप लगाया कि JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने समिति की कार्यवाही को पक्षपातपूर्ण ढंग से संचालित किया।

विपक्षी सांसदों का कहना है कि पाल ने कर्नाटक वक्फ घोटाला रिपोर्ट 2012 पर आधारित वक्फ विधेयक के तहत अनवर मणिप्पाडी को समिति के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने का निमंत्रण दिया था, जो समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उनका यह भी दावा है कि JPC की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे और कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप लगाए गए थे, जो कि विधेयक से संबंधित नहीं थे।

बता दें कि, अनवर ने आरोप लगाए थे कि खड़गे ने अपने राजनितिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए वक्फ की जमीन हड़पी है, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया था। वहीं, हाल ही में कांग्रेस प्रमुख खड़गे के परिवार पर कर्नाटक में भी डिफेंस के लिए आवंटित 5 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने का आरोप लगा था, जब इस मामले में भाजपा ने शिकायत की, और जांच का खतरा मंडराने लगा, तो खड़गे परिवार ने चुपचाप 5 एकड़ जमीन सरकार को वापस सौंप दी। वहीं, कर्नाटक के सीएम और दिग्गज कांग्रेस नेता सिद्धारमैया पर भी आरोप लगा था कि उन्होंने MUDA घोटाला यानी अपनी सस्ती जमीन के बदले सरकार से पॉश इलाके में 14 सम्पत्तियाँ ले ली थीं, पहले तो सिद्धारमैया इस आरोप से इंकार करते रहे। फिर जब गवर्नर ने जांच का आदेश दिया, तो सिद्धरमैया हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली, और अदालत ने कहा कि तथ्यों और सबूतों को देखते हुए इस मामले की जांच जरूरी है। इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी ने वो 14 सम्पत्तियाँ चुपचाप सरकार को लौटा दी। जिसके बाद से गंभीर सवाल खड़े हुए थे कि, अगर कांग्रेस नेताओं ने घोटाला नहीं किया, तो वो जमीनें वापस क्यों लौटा रहे हैं।

वक्फ बिल पर भारत सरकार के 4 मुख्य संशोधन

इसमें चार मुख्य संशोधन हैं, पहले हम कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए कानून की बात करें तो, इसमें सेक्शन 40 के तहत पहला प्रावधान ये था कि, अगर वक्फ अपने विश्वास के आधार पर किसी भी संपत्ति पर अपना दावा ठोंकता है, तो वो संपत्ति वक्फ की हो जाएगी, उसे कोई सबूत पेश करने की जरूरत नहीं होगी और इस मामले में जिसे आपत्ति हो, वो वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाकर ही गुहार लगाए। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, पीड़ित, रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट, हाई कोर्ट आदि जा सकेगा।

कांग्रेस सरकार के कानून में दूसरा प्रावधान ये था कि, वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा, यानी वो जो कहे, वही सत्य। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी, इससे वक्फ की मनमानी ख़त्म होगी।

कांग्रेस सरकार के कानून के मुताबिक, तीसरा प्रावधान ये था कि, कहीं कोई मस्जिद है, मजार है, मदरसा है, या जमीन को इस्लामी उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है, तो जमीन अपने आप वक्फ की हो जाएगी, भले ही उसे किसी ने दान किया हो या नहीं। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक बयान में कह ही चुके हैं कि, ''एक बार जब मुस्लिम किसी जगह को इबादतगाह के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर देता है तो वह जगह हमेशा के लिए मुस्लिमों की संपत्ति बन जाती है और अब मोदी सरकार उस प्रावधान को बदल रही है।'' ऐसे में अगर समुदाय, किसी पार्क, मैदान, रेलवे स्टेशन को इबादतगाह मानकर वहां नमाज़ पढ़ने लगेगा, तो क्या वो जमीन वक्फ की हो जाएगी ? इस मामले में भाजपा सरकार का संशोधन ये है कि, जब तक कोई जमीन वक्फ को दान ना की गई हो, तब तक वो संपत्ति वक्फ की नहीं हो सकती, भले ही वहां मस्जिद या मज़ार मौजूद हो।

कांग्रेस सरकार के कानून के चौथे प्रावधान के मुताबिक, वक्फ बोर्ड में महिला और अन्य धर्म के लोगों को सदस्य नहीं बनाया जाएगा। भाजपा सरकार का कहना है कि, बोर्ड में 2 महिला और अन्य धर्म के 2 लोगों को सदस्य बनाया जाएगा।

आज वक्फ के पास देश की 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन है, जो भारतीय सेना और भारतीय रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर है।

देर रात भराभर गिरा तीन मंजिला मकान

अरविन्द सैनी

खतौली मुजफ्फरनगर । मोहल्ला मिठूलाल में बीती रात बड़ा हादसा कालौनी वासियों ने बताया कि कुछ महीनो से मकान कि निव हालात खराब हो चूकी है ओर मकान में दरार आना शुरू हो गई दो दिन से मकान मालिक ने सिमेन्ट के पिलर लगाना शुरू कर दिया जैसे ही कुछ मौहल्ले वासियों ने विरोध कर पुलिस को सूचना दी कि सिमेन्ट के पिलर सड़क पर लगा दिये मौके पर MDA वे पुलिस प्रशासन ने कार्य रूकवा दिया मकान कभी भी गिर सकता है हालात देख तुरन्त खाली कराया देर रात 3 मंज़िला मकान चंद सेकिंड में भर भरा कर गिरा ओर किसी तरह की हानि नहीं हुई मकान गिरने से दो मकानों में तरेड़ आना शुरू हो गई।

पीड़ित गरीब ने लगाई आर्थिक सहायता की गुहार

मोके राहत बचाव कार्य मे जुटे लोगो व पीड़ित परिवार में मायूसी छाई सासंद विधायक ने मोके पर आना तो दूर फोन कर नही ली इतनी बड़ी घटना की सुध ।AIMIM के जिला अध्यक्ष मौलाना इमरान कासमी ने घटना पर जताया दुःख मदद के लिए हर संभव प्रयास का दिया आश्वाशन मौजूदा चैयरमेन व हाजी लालू वार्ड सभासद हाजी वसीम व अन्य नगर वासियो ने हर संभव मदद के लिए पीड़ित परिवार को दिया आश्वाशन देर रात घटना की जानकारी होने पर SDM मौनालिशा जौहरी ओर सीओ राम आशीष यादव व तहसीलदार श्रद्धा गुप्ता सहित पुलिस प्रशाशन के अधिकारी मौजूद रहे।

नितेश राणे का एक बार फिर विवादित बयान: पुलिस को छुट्टी दे दो, हम अपनी ताकत दिखाएंगे

बीजेपी विधायक नितेश राणे एक बार फिर अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में आ गए हैं. सांगली में नितेश राणे ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है.

नितेश राणा ने कहा, एक दिन पुलिस को छुट्टी दे दो, हम अपनी ताकत दिखाते हैं. दरअसल, महाराष्ट्र गणेश उत्सव के दौरान पत्थरबाजी से बवाल मचा था, जिसके बाद एक बार फिर नितेश राणे ने बयान जारी किया है.

गणेश उत्सव पर भी दिया विवादित बयान

गणेश उत्सव के दौरान भी नितेश राणे पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था, जिसके चलते उन पर एफआईआर भी दर्ज की गई थी. शिकायतकर्ता का आरोप था कि गणपति उत्सव के आयोजन में उन्हें बुलाया गया था और 11 सितंबर को कार्यक्रम के दौरान राणे ने अपने भाषण में कथित रूप से अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया और भड़काऊ भाषण दिया. इसी के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

AIMIM के प्रवक्ता ने किया पलटवार

हाल ही में नितेश राणे के दिए गए बयान के बाद AIMIM पार्टी के प्रवक्ता वारिस पठान ने उन पर पलटवार करते हुए कहा, नितेश राणे बोलते हैं की 24 घंटे के लिए पुलिस को हटा दो, क्या करोगे तुम, अगर यही बात मैंने कही होती तो अभी में जेल में होता, नितेश राणे बोलते है की मुसलमानों को मस्जिद में घुस कर मारेंगे, अरे आओ तो पहले, आओगे अपनी दो टांगों पर और जाएंगे स्ट्रेचर पर. उन्होंने आगे कहा, चुनाव के समय बीजेपी महाराष्ट्र में दंगे कराना चाहती है, और कुछ नहीं है.

विवादित बयानों से राणे का पुराना नाता

नितेश राणे का विवादित बयानों से पुराना नाता रहा है. इससे पहले नितेश राणे ने महाराष्ट्र के अहमदनगर में भी एक भड़काऊ भाषण दिया था, उन्होंने कथित तौर पर कहा था, अगर हमारे रामगिरि महाराज के खिलाफ किसी ने कुछ कहा, तो हम मस्जिदों में जाकर चुन-चुन कर मारेंगे.

रामगिरि महाराज पर कथित तौर पर नासिक जिले में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद प्रदेश के कई इलाकों में लोग रामगिरि महाराज के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस घटना के बाद, नितेश राणे ने रामगिरि महाराज के समर्थन में बयान जारी किया था

बीजेपी विधायक नितेश राणे के खिलाफ मामला दर्ज, भड़काऊ भाषण देने का आरोप

महाराष्ट्र के अहमदनगर में बीजेपी विधायक नितेश राणे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. राणे पर भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है

. बीजेपी विधायक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 302, 153 सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. नितेश राणे ने एक कार्यक्रम में मुसलमानों को खुली धमकी दी और कहा चुन-चुन कर मारेंगे. उनके खिलाफ दो FIR की गई है. एक श्रीरामपुर और दूसरा तोपखाना थाने में मामला दर्ज किया गया है.

BJP विधायक ने मुसलमानों को दी खुली धमकी

दरअसल, अहमदनगर में रामगिरी महाराज के समर्थन में मोर्चा निकाला गया. इस मोर्चे में बड़े पैमाने पर हिंदू समाज के लोक मौजूद थे.

मोर्चे के बाद नितेश राणे की एक सभा हुई, इसमें उन्होंने मुसलमानों को खुली धमकी दी. राणे ने कहा, ‘हमारे रामगिरी महाराज के खिलाफ अगर किसी ने कुछ कहा तो मस्जिदों मे आकर चुन चुन कर मारेंगे.’

महंत रामगिरी महाराज ने मुस्लिम समाज के पैगंबर पर टिप्पणी करणे बाद राज्य के अलग-अलग जिले में महाराज के खिलाफ मोर्चे निकाले गए थे. उसके बाद अब अहमदनगर में सकल हिंदू समाज की ओर से रामगिरी महाराज के समर्थन में बीजेपी नेता नितेश राणे के नेतृत्व में मोर्चा निकाला गया था.

चुनाव से पहले हिंसा कराना चाहती है BJP- AIMIM

AIMIM नेता वारिश पठान ने नितेश राणे का वीडियो शेयर कर आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव से पहले सांप्रदायिक हिंसा कराना चाहती है. नीतेश राणे का भाषण भड़काऊ है और नितेश पर FIR हो और कानूनी कार्रवाई की जाए.

क्या बांग्लादेश की तरह भारत को भी तोड़ने की कोशिश कर रहा है अमेरिका, पढ़िए खास रिर्पोट

डेस्क: विश्व के अनेकों देश बर्बाद हुए यदि ध्यान से देखें तो इन देशों को बर्बाद करने के पीछे विश्व की कथित महाशक्ति अर्थात सुपर पावर अमेरिका का हाथ रहा है। अमेरिका ने आतंकवाद को पोषित किया अमेरिका ने अपनी कई एजेंसीज के माध्यम से अनेकों देशों में अंतर्कलह करवाई और देशों को बर्बाद कर दिया। अब ऐसा ही षड्यंत्र भारत के साथ हो रहा है भारत की राष्ट्र प्रेमी जनता को सावधान रहना चाहिए।


26 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन ने कई विषयों पर चर्चा करने के लिए टेलीफोन पर बातचीत की। इस बातचीत से कुछ घंटे पहले, अमेरिकी राजनयिकों ने जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं से मुलाकात की। हाल के दिनों में भारतीय विपक्षी नेताओं और अमेरिकी राजनयिकों के बीच की मुलाकातें पहले की तुलना में अधिक बार सुर्खियों में रही हैं, जिससे भारतीय लोकतंत्र में संभावित अमेरिकी हस्तक्षेप पर चिंता बढ़ गई है।

ऐसी खबरें आई हैं कि अमेरिकी राजनयिकों ने प्रदर्शनकारी किसान नेताओं भी से मुलाकात की, जिसे भारत के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक मामलों के मंत्री-सलाहकार ग्राहम मेयर और फर्स्ट सेक्रेटरी गैरी एप्पलगार्थ सहित संयुक्त राज्य अमेरिका के राजनयिकों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की। यह मुलाकात अब्दुल्ला के श्रीनगर में गुपकार रोड स्थित आवास पर हुई। कथित तौर पर बैठक के दौरान नेताओं और राजनयिकों ने जम्मू-कश्मीर और सामान्य रूप से क्षेत्र से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा की।

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के लिए ट्रैवल एडवायजरी पर फिर से विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में प्रतिबंधों में ढील दी गई है। उन्होंने विदेशी पर्यटकों को जम्मू-कश्मीर की संस्कृति और सुंदरता का प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए यहाँ आने के लिए प्रोत्साहित किया।


मीडिया से बात करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता और संचार प्रमुख तनवीर सादिक ने कहा कि बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर और सामान्य रूप से इस क्षेत्र से संबंधित कई विषयों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि राजनीतिक सलाहकार अभिराम भी अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।


नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से सांसद और वरिष्ठ एनसी नेता रूहुल्लाह मेहदी भी बैठक में मौजूद थे। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बताया कि अब्दुल्ला ने राजनयिकों को अपने परिवारों के साथ कश्मीर आने के लिए आमंत्रित किया, ताकि अमेरिका और अन्य देशों के अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच विश्वास पैदा करने के लिए पहला कदम उठाया जा सके।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा, “इस चर्चा में जम्मू-कश्मीर और सामान्य रूप से इस क्षेत्र से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई। उमर अब्दुल्ला ने राजनयिकों को प्रतिबंधों को कम करने के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर के लिए ट्रैवल एडवायजरी पर फिर से विचार करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने दुनिया भर के लोगों को कश्मीर आने और इसकी सुंदरता और संस्कृति का प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने राजनयिकों को संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया के अन्य हिस्सों से आने वाले पर्यटकों के बीच विश्वास जगाने के लिए पहले कदम के रूप में अपने परिवारों के साथ कश्मीर आने के लिए आमंत्रित किया।”

हालाँकि अमेरिकी राजनयिकों की कश्मीर यात्रा “दोस्ताना” लग सकती है, लेकिन यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अकेले अगस्त में अमेरिकी राजनयिकों ने पर्दे के पीछे कई भारतीय नेताओं से मुलाकात की है। 14 अगस्त को स्पुतनिक इंडिया ने जेनिफर लार्सन और भारतीय विपक्षी नेताओं के बीच बैठकों पर प्रकाश डालते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की।

लार्सन हैदराबाद में अमेरिकी मिशन की प्रभारी अमेरिकी महावाणिज्यदूत हैं। उन्होंने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “सांसद और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी, आपके दयालु आतिथ्य और साझा मुद्दों और चिंताओं से जुड़े महत्वपूर्ण विचारों को साझा करने के लिए धन्यवाद। मैं हमारी चर्चाओं को जारी रखने के लिए उत्सुक हूँ!”


अमेरिकी राजनयिक ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की। एक्स पर उन्होंने लिखा, “आज आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू से मिलना सम्मान की बात थी। मैं राज्य के लिए उनके दृष्टिकोण की बहुत प्रशंसा करती हूं और उनसे पूरी तरह सहमत हूँ कि संयुक्त राज्य अमेरिका और आंध्र प्रदेश को व्यापार, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और लोगों के बीच व्यापक संबंधों को मजबूत करने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक साथ काम करना जारी रखना चाहिए।”

इसके अलावा उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मुलाकात की। एक्स पर उन्होंने लिखा, “तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ मेरी एक बेहतरीन मुलाकात हुई। यह मुलाकात नए निवेश जुटाने के लिए अमेरिका जाने से ठीक पहले की है। हैदराबाद में करीब 200 अमेरिकी कंपनियाँ हैं और एआई जैसे कई हाई-एंड टेक सेक्टर में लगातार अधिक से अधिक कंपनियों को आकर्षित कर रही हैं, जो अमेरिका-भारत व्यापार में उछाल की सफलता की कहानी में योगदान दे रही हैं। मैंने सीएम रेड्डी को उनके प्रयासों में बहुत सफलता की कामना की और हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने का वादा किया!”

उल्लेखनीय है कि उन्होंने जुलाई में भी AIMIM प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। एक्स पर उन्होंने लिखा, “कुतुब शाही हेरिटेज पार्क के पूरा होने के समारोह में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, पर्यटन और संस्कृति मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव, हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और प्रिंस रहीम आगा खान के साथ शामिल होना बहुत ही शानदार अनुभव था, और मुझे इस बात पर गर्व है कि हैदराबाद के इन खूबसूरत, ऐतिहासिक स्मारकों के जीर्णोद्धार में अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास ने सहायक भूमिका निभाई। यह पिछले कुछ साल में अमेरिका-तेलंगाना के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की कहानी कहता है!”

अमेरिकी राजनयिकों और भारतीय विपक्षी नेताओं के बीच हाल ही में हुई बैठकों को लेकर विशेषज्ञ इस बात की चिंता जता रहे हैं कि अमेरिका भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश कर रहा है और यह आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश में पहले कथित अमेरिकी दखल के समान ही एक समानता देखी जा सकती है, जहाँ रिपोर्ट बताती है कि शेख हसीना की सरकार को गिराने में यूएसएआईडी और अन्य विदेशी हित शामिल हो सकते हैं।

हसीना के खिलाफ प्रतिरोध आंदोलनों को अमेरिका द्वारा समर्थन दिए जाने के आरोप सामने आए हैं, जिसके कारण बांग्लादेश में तनाव और अशांति बढ़ी है। ये कार्रवाइयाँ अमेरिका द्वारा बार-बार किए जाने वाले आचरण का संकेत हैं, जहाँ वह संप्रभु राज्यों की स्थानीय राजनीति को प्रभावित करने के लिए अपनी कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल करता है।

इस पृष्ठभूमि के मद्देनजर, अमेरिकी राजनयिकों और भारतीय विपक्ष के बीच इस तरह की बातचीत कुछ लोगों के लिए संदेहास्पद हो सकती है, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए, जहाँ कोई भी बाहरी ताकत क्षेत्र की राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए तीन चरणों में मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 18 सितंबर, दूसरे चरण का 25 सितंबर और तीसरे चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होगा। मतगणना 4 अक्टूबर को होगी। जम्मू-कश्मीर में कड़ी सुरक्षा के बीच विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है।

खबरों के मुताबिक, कॉन्ग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा कर लिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस 90 में से 51 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि कॉन्ग्रेस 32 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पाँच सीटों पर “दोस्ताना” मुकाबला होगा। एक सीट सीपीआई(एम) और पैंथर्स पार्टी को आवंटित की गई है। अब तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव के लिए 45 उम्मीदवारों की घोषणा की है।
मिलाद-उन नबी का जुलूस दो दिन के लिए टाला,अब निकले जाएंगे 19 सितंबर को,जानें क्यों लिया गया ये फैसला...?

इस साल पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब का जन्मदिन 16/17 सितंबर को मनाया जाएगा. उनके जन्मदिन यानी मिलाद-उन-नबी के पाक मौके पर तेलंगाना में जुलूस निकलने वाला था लेकिन इसे दो दिन के लिए टाल दिया गया है.

पहले यह जुलूस 17 सितंबर को निकलने वाला था. मगर अब मिलाद-उन नबी का यह जुलूस 19 सितंबर को निकलेगा. तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने गुरुवार को हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भाई और AIMIM के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी में यह फैसला लिया.

17 सितंबर को गणेश विसर्जन

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने गुरुवार को मिलाद-उन-नबी जुलूस की व्यवस्था और 17 सितंबर को गणेश मूर्तियों के विसर्जन के मुद्दे पर एक बैठक की. इस बैठक में सीएम रेड्डी ने मिलाद समिति के सदस्यों को मिलाद-उन-नबी जुलूस को स्थगित करने को लेकर कहा.

बैठक में राज्य के मंत्री पोन्नम प्रभाकर और डी श्रीधर बाबू, एआईएमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी और मिलाद समिति के सदस्य शामिल थे. इस बैठक में सभी मसलों पर चर्चा हुई. इसके बाद मिलाद के सदस्यों ने जुलूस को स्थगित करने के सरकार की अपील पर अपनी सहमति जताई.

AIMIM के विधायक अख्तरुल ईमान ने पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए कही यह बात*
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पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए Aimim के विधायक अख्तरूल ईमान ने बताया कि तेलंगाना के एमएलए मोहम्मद मजीद हुसैन और बिहार के इंचार्ज बिहार में आए थे।बाय इलेक्शन होने हैं 2025 में इलेक्शन होने हैं उसी को लेकर संगठन का जायजा लेने और आगामी इलेक्शन में कैंडिडेट का जायजा लेने के लिए वह पटना पहुंचे थे।बिहार में बढ़ते अपराध पर विधायक ने कहा लालफीताशाही चरम पर है,अफरशाही की लाइन ऑर्डर फेल है। बैंकों में लूट हो रहे है।बिहार की हालत अच्छी नहीं है। पलायन नहीं रुका है।महंगाई अधिक होने के सवाल पर विधायक ने कहा अब हर मामले में बिहार पीछे है रोजी रोटी के मामले में पीछे है अस्पताल सही नहीं है।बिहार के लोग तरक्की में ठगे गए है और आनेवाले चुनाव में जनता इन्हें सबके सिखाएगी।
एएमयू पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ओवैसी ने दी नसीहत, बोले- मोदी सरकार भेद-भाव बंद करे

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने 4-3 से बहुमत से दिया। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।ओवैसी ने कहा कि यह देश में मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। साथ ही उन्होंने मोदी सरकार को नसीहत भी दी है। ओवैसी ने यह भी कहा कि मोदी सरकार को इस फैसले को गंभीरता से लेना चाहिए। साथ ही उनके साथ भेदभाव करना बंद करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सांसद ओवैसी ने सोशल मीडिया एक्स पर लंबा-चौड़ा पोस्ट किया।सोशल मीडिया एक्स पर एक बड़े पोस्ट में एआईएमआईएम प्रमुख लिखा, यह भारत के मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। 1967 के फैसले ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को खारिज कर दिया था, जबकि वास्तव में यह अल्पसंख्यक था। अनुच्छेद 30 में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थानों को उस तरीके से स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार है, जैसा वे उचित समझें।

भाजपा के सभी तर्क खारिज-ओवैसी

ओवैसी ने आगे लिखा, अल्पसंख्यकों के खुद को शिक्षित करने के अधिकार को बरकरार रखा गया है। मैं आज एएमयू के सभी छात्रों और शिक्षकों को बधाई देता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि विश्वविद्यालय संविधान से पहले स्थापित हुआ था या फिर सरकार के कानून की तरफ से स्थापित हुआ था। अगर इसे अल्पसंख्यकों की तरफ से स्थापित किया गया है तो यह अल्पसंख्यक संस्थान है। भाजपा के सभी तर्क खारिज हो गए।

बीजेपी पर लगाया ये आरोप

अपने पोस्ट में ओवैसी ने आरोप लगाया कि, भाजपा इतने सालों से एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का विरोध करती रही है। अब वह क्या करने जा रही है? एएमयू और जामिया पर हमला करने की हरसंभव कोशिश की गई है, यहां तक कि मदरसा चलाने के हमारे अधिकार पर भी हमला किया गया है। भाजपा को आत्मचिंतन करना चाहिए और अपने रास्ते में सुधार करना चाहिए।

मोदी सरकार को नसीहत

कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र की मोदी सरकार को नसीहत देते हुए एआईएमआईएम नेता ओवैसी ने लिखा, मोदी सरकार को इस फैसले को गंभीरता से लेना चाहिए। उसे एएमयू का समर्थन करना चाहिए क्योंकि यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है। जामिया को प्रति छात्र 3 लाख रुपये मिलते हैं, एएमयू को प्रति छात्र 3.9 लाख रुपये मिलते हैं, लेकिन बीएचयू को 6.15 लाख रुपये मिलते हैं। जामिया और एएमयू ने राष्ट्रीय रैंकिंग में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। सही समर्थन से विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए मोदी को उनके साथ भेदभाव करना बंद करना चाहिए। एएमयू का किशनगंज सेंटर पिछले कई सालों से खराब पड़ा है। इस पर भी तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए और सेंटर को जल्द से जल्द काम करना शुरू करना चाहिए।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे संबंधी मामले को 3 जजों की नई बेंच के पास भेजने का फैसला लिया, साथ ही 1967 के अपने फैसले को खारिज कर दिया जिसमें यह कहा गया था कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता क्योंकि केंद्रीय कानून के तहत इसकी स्थापना की गई थी।

उत्तराखंड के चमोली में मुस्लिम समुदाय का बहिष्कार, ओवैसी ने उठाया सवाल

उत्तराखंड के चमोली जिले में मुस्लिम समुदाय के बहिष्कार के फरमान के बाद सियासत गरमाती जा रही है. चमोली के माइथान गांव के लोगों ने मुस्लिम समुदाय की गांव में एंट्री पर बैन लगाया है और वहां रह रहे 15 मुसलमान परिवारों का सामूहिक बहिष्कार करने का फरमान जारी किया है.

साथ ही कहा है कि वे 31 दिसंबर तक गांव छोड़ दें. अब इस मामले पर हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है.

ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट कर उत्तराखंड की सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. ओवैसी ने एक्स पर लिखा, “ये वही उत्तराखण्ड है जहां की सरकार समानता के नाम पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर रही है. क्या चमोली के मुसलमानों को समानता और सम्मान से जीने का हक नहीं है?”

मुसलमान भारत में अछूत-ओवेसी

AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने चमौली कांड पर एक्स पर पोस्ट करते हुए ये भी लिखा, “मुसलमानों को भारत में अछूत बना दिया गया है. उत्तराखंड के चमोली में 15 मुसलमान परिवारों का सामूहिक बहिष्कार किया जा रहा है. चमोली के व्यापारियों ने धमकी दी है के 31 दिसंबर तक मुसलमानों को चमोली छोड़ देना होगा. अगर मकान मालिक मुसलमानों को घर देंगे तो 10 हजार का जुर्माना देना होगा.”

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के लिए कहा, “मोदी अरब शेखों से गले मिल सकते हैं तो चमोली के मुसलमानों को भी गले लगा सकते हैं. आखिरकार मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं, सऊदी या दुबई के तो नहीं.”

क्या है पूरा मामला?

माइथान व्यापार मंडल के एक नेता ने शनिवार को न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में इस चेतावनी की जानकारी दी थी. चेतावनी के मुताबिक, मुस्लिम समाज के लोगों को तय समय से पहले गांव छोड़ना होगा. ऐसा नहीं करने पर उनके साथ-साथ उनके मकान मालिकों पर जुर्माना लगेगा. गांव वालों ने फेरी के नाम पर गांव में आने वाले लोगों पर भी रोक लगा दी है.

स्थानीय लोगों और माइथान व्यापार मंडल ने तीन दिन पहले यानी बुधवार को एक बैठक का आयोजन किया था. ये बैठक जिले में हो रही आपराधिक गतिविधियों पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी. इसी बैठक में यह फैसला किया गया है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : मिशन-महाराष्ट्र की शुरुआत मुस्लिम बहुल इलाकों से करेंगे अखिलेश जहां AIMIM का है मजबूत आधार, पढ़िए, कैसे दिलचस्प होगा

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच मुस्लिम वोटों को लेकर हमेशा से तनाव रहा है। अब, अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी के प्रभाव को कम करने के लिए एक नई रणनीति बनाई है।

अखिलेश यादव ने अपने मिशन-महाराष्ट्र की शुरुआत मुस्लिम बहुल इलाकों से करने का निर्णय लिया है, जहां AIMIM का मजबूत आधार है। वे 17 और 18 अक्टूबर को महाराष्ट्र के मालेगांव और धुले में कार्यक्रमों में भाग लेने जा रहे हैं। 2019 विधानसभा चुनाव में मालेगांव और धुले में AIMIM ने शानदार प्रदर्शन किया था, जिससे यह स्पष्ट है कि यह क्षेत्र ओवैसी के लिए महत्वपूर्ण है। अखिलेश यादव अब ओवैसी के गढ़ से अपनी चुनावी ताकत को दिखाना चाहते हैं। ओवैसी ने लगातार यह दावा किया है कि कांग्रेस और एनसीपी केवल मुस्लिम वोट लेते हैं लेकिन उनके मुद्दों की अनदेखी करते हैं। वे मुस्लिमों के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए इसी नारे का उपयोग कर रहे हैं। इसके विपरीत, अखिलेश यादव का प्रयास है कि वे ओवैसी की पार्टी से मुस्लिम वोटरों का समर्थन प्राप्त करें। हालाँकि, महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और NCP (शरद गुट) की नज़र भी मुस्लिम वोटर्स पर हैं, जो भाजपा के खिलाफ किसी भी विपक्षी पार्टी को एकमुश्त वोट देते रहे हैं, फिर चाहे उम्मीदवार कोई भी हो। उद्धव गुट और कांग्रेस में तो मुंबई की मुस्लिम बहुल सीटों को लेकर खींचतान भी चल रही है, क्योंकि इन सीटों पर विपक्ष की जीत की संभावना अधिक है, अब इन्ही वोटर्स के लिए सपा और AIMIM ने भी बाहें खोलना शुरू कर दिया है।

सपा का महाराष्ट्र में प्रदर्शन 2009 में सबसे अच्छा रहा था, जब उन्होंने 4 सीटें जीती थीं। हाल के चुनावों में यह संख्या घटकर एक और दो रह गई। सपा की योजना 2024 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अधिक से अधिक सीटें जीतने की है, जिसमें मालेगांव, भायखला, और ठाणे जैसी सीटें शामिल हैं। अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन में भी भागीदारी की योजना बनाई है और 12 सीटों की मांग रखी है, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम बहुल हैं। उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि वे ओवैसी के प्रभाव को चुनौती दें और यह संदेश दें कि मुस्लिम समुदाय का विश्वास ओवैसी पर नहीं, बल्कि सपा पर है। अब यह देखना होगा कि महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय पर कौन अधिक प्रभाव डालने में सफल होता है और चुनावी खेल में किसकी रणनीति सफल होती है।

संसद-हाईकोर्ट-एयरपोर्ट, सब वक्फ की जमीन पर, मुस्लिमों को वापस दे सरकार, वरना अंजाम भुगतना होगा..', अजमल की धमकी से फैली सनसनी

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख और पूर्व सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बुधवार को विवादास्पद बयान देकर सनसनी फैला दी है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में संसद भवन और उसके आसपास का इलाका वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर बना है। उन्होंने कहा कि वसंत विहार से लेकर दिल्ली एयरपोर्ट तक का क्षेत्र वक्फ की जमीन पर बना हुआ है और सरकार इस 9.7 लाख बीघा वक्फ संपत्ति को हड़पना चाहती है। अजमल ने सरकार से मांग की है कि यह जमीन मुस्लिम समाज को वापस दी जाए।

अजमल ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों की सूची सामने आ रही है और यह मुद्दा गंभीर होता जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार बिना वक्फ बोर्ड की अनुमति के इन जमीनों का इस्तेमाल कर रही है, जो गलत है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा जारी रहा, तो मोदी सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दलित नेता और लेखक दिलीप मंडल ने इस मामले को लेकर अजमल और कांग्रेस की आलोचना की है। उधर, विपक्षी सांसदों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में संसदीय आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से की है। उन्होंने आरोप लगाया कि JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने समिति की कार्यवाही को पक्षपातपूर्ण ढंग से संचालित किया।

विपक्षी सांसदों का कहना है कि पाल ने कर्नाटक वक्फ घोटाला रिपोर्ट 2012 पर आधारित वक्फ विधेयक के तहत अनवर मणिप्पाडी को समिति के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने का निमंत्रण दिया था, जो समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उनका यह भी दावा है कि JPC की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे और कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप लगाए गए थे, जो कि विधेयक से संबंधित नहीं थे।

बता दें कि, अनवर ने आरोप लगाए थे कि खड़गे ने अपने राजनितिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए वक्फ की जमीन हड़पी है, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया था। वहीं, हाल ही में कांग्रेस प्रमुख खड़गे के परिवार पर कर्नाटक में भी डिफेंस के लिए आवंटित 5 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने का आरोप लगा था, जब इस मामले में भाजपा ने शिकायत की, और जांच का खतरा मंडराने लगा, तो खड़गे परिवार ने चुपचाप 5 एकड़ जमीन सरकार को वापस सौंप दी। वहीं, कर्नाटक के सीएम और दिग्गज कांग्रेस नेता सिद्धारमैया पर भी आरोप लगा था कि उन्होंने MUDA घोटाला यानी अपनी सस्ती जमीन के बदले सरकार से पॉश इलाके में 14 सम्पत्तियाँ ले ली थीं, पहले तो सिद्धारमैया इस आरोप से इंकार करते रहे। फिर जब गवर्नर ने जांच का आदेश दिया, तो सिद्धरमैया हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली, और अदालत ने कहा कि तथ्यों और सबूतों को देखते हुए इस मामले की जांच जरूरी है। इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी ने वो 14 सम्पत्तियाँ चुपचाप सरकार को लौटा दी। जिसके बाद से गंभीर सवाल खड़े हुए थे कि, अगर कांग्रेस नेताओं ने घोटाला नहीं किया, तो वो जमीनें वापस क्यों लौटा रहे हैं।

वक्फ बिल पर भारत सरकार के 4 मुख्य संशोधन

इसमें चार मुख्य संशोधन हैं, पहले हम कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए कानून की बात करें तो, इसमें सेक्शन 40 के तहत पहला प्रावधान ये था कि, अगर वक्फ अपने विश्वास के आधार पर किसी भी संपत्ति पर अपना दावा ठोंकता है, तो वो संपत्ति वक्फ की हो जाएगी, उसे कोई सबूत पेश करने की जरूरत नहीं होगी और इस मामले में जिसे आपत्ति हो, वो वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाकर ही गुहार लगाए। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, पीड़ित, रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट, हाई कोर्ट आदि जा सकेगा।

कांग्रेस सरकार के कानून में दूसरा प्रावधान ये था कि, वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा, यानी वो जो कहे, वही सत्य। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी, इससे वक्फ की मनमानी ख़त्म होगी।

कांग्रेस सरकार के कानून के मुताबिक, तीसरा प्रावधान ये था कि, कहीं कोई मस्जिद है, मजार है, मदरसा है, या जमीन को इस्लामी उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है, तो जमीन अपने आप वक्फ की हो जाएगी, भले ही उसे किसी ने दान किया हो या नहीं। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक बयान में कह ही चुके हैं कि, ''एक बार जब मुस्लिम किसी जगह को इबादतगाह के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर देता है तो वह जगह हमेशा के लिए मुस्लिमों की संपत्ति बन जाती है और अब मोदी सरकार उस प्रावधान को बदल रही है।'' ऐसे में अगर समुदाय, किसी पार्क, मैदान, रेलवे स्टेशन को इबादतगाह मानकर वहां नमाज़ पढ़ने लगेगा, तो क्या वो जमीन वक्फ की हो जाएगी ? इस मामले में भाजपा सरकार का संशोधन ये है कि, जब तक कोई जमीन वक्फ को दान ना की गई हो, तब तक वो संपत्ति वक्फ की नहीं हो सकती, भले ही वहां मस्जिद या मज़ार मौजूद हो।

कांग्रेस सरकार के कानून के चौथे प्रावधान के मुताबिक, वक्फ बोर्ड में महिला और अन्य धर्म के लोगों को सदस्य नहीं बनाया जाएगा। भाजपा सरकार का कहना है कि, बोर्ड में 2 महिला और अन्य धर्म के 2 लोगों को सदस्य बनाया जाएगा।

आज वक्फ के पास देश की 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन है, जो भारतीय सेना और भारतीय रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर है।

देर रात भराभर गिरा तीन मंजिला मकान

अरविन्द सैनी

खतौली मुजफ्फरनगर । मोहल्ला मिठूलाल में बीती रात बड़ा हादसा कालौनी वासियों ने बताया कि कुछ महीनो से मकान कि निव हालात खराब हो चूकी है ओर मकान में दरार आना शुरू हो गई दो दिन से मकान मालिक ने सिमेन्ट के पिलर लगाना शुरू कर दिया जैसे ही कुछ मौहल्ले वासियों ने विरोध कर पुलिस को सूचना दी कि सिमेन्ट के पिलर सड़क पर लगा दिये मौके पर MDA वे पुलिस प्रशासन ने कार्य रूकवा दिया मकान कभी भी गिर सकता है हालात देख तुरन्त खाली कराया देर रात 3 मंज़िला मकान चंद सेकिंड में भर भरा कर गिरा ओर किसी तरह की हानि नहीं हुई मकान गिरने से दो मकानों में तरेड़ आना शुरू हो गई।

पीड़ित गरीब ने लगाई आर्थिक सहायता की गुहार

मोके राहत बचाव कार्य मे जुटे लोगो व पीड़ित परिवार में मायूसी छाई सासंद विधायक ने मोके पर आना तो दूर फोन कर नही ली इतनी बड़ी घटना की सुध ।AIMIM के जिला अध्यक्ष मौलाना इमरान कासमी ने घटना पर जताया दुःख मदद के लिए हर संभव प्रयास का दिया आश्वाशन मौजूदा चैयरमेन व हाजी लालू वार्ड सभासद हाजी वसीम व अन्य नगर वासियो ने हर संभव मदद के लिए पीड़ित परिवार को दिया आश्वाशन देर रात घटना की जानकारी होने पर SDM मौनालिशा जौहरी ओर सीओ राम आशीष यादव व तहसीलदार श्रद्धा गुप्ता सहित पुलिस प्रशाशन के अधिकारी मौजूद रहे।

नितेश राणे का एक बार फिर विवादित बयान: पुलिस को छुट्टी दे दो, हम अपनी ताकत दिखाएंगे

बीजेपी विधायक नितेश राणे एक बार फिर अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में आ गए हैं. सांगली में नितेश राणे ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है.

नितेश राणा ने कहा, एक दिन पुलिस को छुट्टी दे दो, हम अपनी ताकत दिखाते हैं. दरअसल, महाराष्ट्र गणेश उत्सव के दौरान पत्थरबाजी से बवाल मचा था, जिसके बाद एक बार फिर नितेश राणे ने बयान जारी किया है.

गणेश उत्सव पर भी दिया विवादित बयान

गणेश उत्सव के दौरान भी नितेश राणे पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था, जिसके चलते उन पर एफआईआर भी दर्ज की गई थी. शिकायतकर्ता का आरोप था कि गणपति उत्सव के आयोजन में उन्हें बुलाया गया था और 11 सितंबर को कार्यक्रम के दौरान राणे ने अपने भाषण में कथित रूप से अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया और भड़काऊ भाषण दिया. इसी के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

AIMIM के प्रवक्ता ने किया पलटवार

हाल ही में नितेश राणे के दिए गए बयान के बाद AIMIM पार्टी के प्रवक्ता वारिस पठान ने उन पर पलटवार करते हुए कहा, नितेश राणे बोलते हैं की 24 घंटे के लिए पुलिस को हटा दो, क्या करोगे तुम, अगर यही बात मैंने कही होती तो अभी में जेल में होता, नितेश राणे बोलते है की मुसलमानों को मस्जिद में घुस कर मारेंगे, अरे आओ तो पहले, आओगे अपनी दो टांगों पर और जाएंगे स्ट्रेचर पर. उन्होंने आगे कहा, चुनाव के समय बीजेपी महाराष्ट्र में दंगे कराना चाहती है, और कुछ नहीं है.

विवादित बयानों से राणे का पुराना नाता

नितेश राणे का विवादित बयानों से पुराना नाता रहा है. इससे पहले नितेश राणे ने महाराष्ट्र के अहमदनगर में भी एक भड़काऊ भाषण दिया था, उन्होंने कथित तौर पर कहा था, अगर हमारे रामगिरि महाराज के खिलाफ किसी ने कुछ कहा, तो हम मस्जिदों में जाकर चुन-चुन कर मारेंगे.

रामगिरि महाराज पर कथित तौर पर नासिक जिले में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद प्रदेश के कई इलाकों में लोग रामगिरि महाराज के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस घटना के बाद, नितेश राणे ने रामगिरि महाराज के समर्थन में बयान जारी किया था

बीजेपी विधायक नितेश राणे के खिलाफ मामला दर्ज, भड़काऊ भाषण देने का आरोप

महाराष्ट्र के अहमदनगर में बीजेपी विधायक नितेश राणे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. राणे पर भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है

. बीजेपी विधायक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 302, 153 सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. नितेश राणे ने एक कार्यक्रम में मुसलमानों को खुली धमकी दी और कहा चुन-चुन कर मारेंगे. उनके खिलाफ दो FIR की गई है. एक श्रीरामपुर और दूसरा तोपखाना थाने में मामला दर्ज किया गया है.

BJP विधायक ने मुसलमानों को दी खुली धमकी

दरअसल, अहमदनगर में रामगिरी महाराज के समर्थन में मोर्चा निकाला गया. इस मोर्चे में बड़े पैमाने पर हिंदू समाज के लोक मौजूद थे.

मोर्चे के बाद नितेश राणे की एक सभा हुई, इसमें उन्होंने मुसलमानों को खुली धमकी दी. राणे ने कहा, ‘हमारे रामगिरी महाराज के खिलाफ अगर किसी ने कुछ कहा तो मस्जिदों मे आकर चुन चुन कर मारेंगे.’

महंत रामगिरी महाराज ने मुस्लिम समाज के पैगंबर पर टिप्पणी करणे बाद राज्य के अलग-अलग जिले में महाराज के खिलाफ मोर्चे निकाले गए थे. उसके बाद अब अहमदनगर में सकल हिंदू समाज की ओर से रामगिरी महाराज के समर्थन में बीजेपी नेता नितेश राणे के नेतृत्व में मोर्चा निकाला गया था.

चुनाव से पहले हिंसा कराना चाहती है BJP- AIMIM

AIMIM नेता वारिश पठान ने नितेश राणे का वीडियो शेयर कर आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव से पहले सांप्रदायिक हिंसा कराना चाहती है. नीतेश राणे का भाषण भड़काऊ है और नितेश पर FIR हो और कानूनी कार्रवाई की जाए.

क्या बांग्लादेश की तरह भारत को भी तोड़ने की कोशिश कर रहा है अमेरिका, पढ़िए खास रिर्पोट

डेस्क: विश्व के अनेकों देश बर्बाद हुए यदि ध्यान से देखें तो इन देशों को बर्बाद करने के पीछे विश्व की कथित महाशक्ति अर्थात सुपर पावर अमेरिका का हाथ रहा है। अमेरिका ने आतंकवाद को पोषित किया अमेरिका ने अपनी कई एजेंसीज के माध्यम से अनेकों देशों में अंतर्कलह करवाई और देशों को बर्बाद कर दिया। अब ऐसा ही षड्यंत्र भारत के साथ हो रहा है भारत की राष्ट्र प्रेमी जनता को सावधान रहना चाहिए।


26 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन ने कई विषयों पर चर्चा करने के लिए टेलीफोन पर बातचीत की। इस बातचीत से कुछ घंटे पहले, अमेरिकी राजनयिकों ने जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं से मुलाकात की। हाल के दिनों में भारतीय विपक्षी नेताओं और अमेरिकी राजनयिकों के बीच की मुलाकातें पहले की तुलना में अधिक बार सुर्खियों में रही हैं, जिससे भारतीय लोकतंत्र में संभावित अमेरिकी हस्तक्षेप पर चिंता बढ़ गई है।

ऐसी खबरें आई हैं कि अमेरिकी राजनयिकों ने प्रदर्शनकारी किसान नेताओं भी से मुलाकात की, जिसे भारत के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक मामलों के मंत्री-सलाहकार ग्राहम मेयर और फर्स्ट सेक्रेटरी गैरी एप्पलगार्थ सहित संयुक्त राज्य अमेरिका के राजनयिकों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की। यह मुलाकात अब्दुल्ला के श्रीनगर में गुपकार रोड स्थित आवास पर हुई। कथित तौर पर बैठक के दौरान नेताओं और राजनयिकों ने जम्मू-कश्मीर और सामान्य रूप से क्षेत्र से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा की।

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के लिए ट्रैवल एडवायजरी पर फिर से विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में प्रतिबंधों में ढील दी गई है। उन्होंने विदेशी पर्यटकों को जम्मू-कश्मीर की संस्कृति और सुंदरता का प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए यहाँ आने के लिए प्रोत्साहित किया।


मीडिया से बात करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता और संचार प्रमुख तनवीर सादिक ने कहा कि बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर और सामान्य रूप से इस क्षेत्र से संबंधित कई विषयों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि राजनीतिक सलाहकार अभिराम भी अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।


नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से सांसद और वरिष्ठ एनसी नेता रूहुल्लाह मेहदी भी बैठक में मौजूद थे। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बताया कि अब्दुल्ला ने राजनयिकों को अपने परिवारों के साथ कश्मीर आने के लिए आमंत्रित किया, ताकि अमेरिका और अन्य देशों के अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच विश्वास पैदा करने के लिए पहला कदम उठाया जा सके।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा, “इस चर्चा में जम्मू-कश्मीर और सामान्य रूप से इस क्षेत्र से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई। उमर अब्दुल्ला ने राजनयिकों को प्रतिबंधों को कम करने के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर के लिए ट्रैवल एडवायजरी पर फिर से विचार करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने दुनिया भर के लोगों को कश्मीर आने और इसकी सुंदरता और संस्कृति का प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने राजनयिकों को संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया के अन्य हिस्सों से आने वाले पर्यटकों के बीच विश्वास जगाने के लिए पहले कदम के रूप में अपने परिवारों के साथ कश्मीर आने के लिए आमंत्रित किया।”

हालाँकि अमेरिकी राजनयिकों की कश्मीर यात्रा “दोस्ताना” लग सकती है, लेकिन यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अकेले अगस्त में अमेरिकी राजनयिकों ने पर्दे के पीछे कई भारतीय नेताओं से मुलाकात की है। 14 अगस्त को स्पुतनिक इंडिया ने जेनिफर लार्सन और भारतीय विपक्षी नेताओं के बीच बैठकों पर प्रकाश डालते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की।

लार्सन हैदराबाद में अमेरिकी मिशन की प्रभारी अमेरिकी महावाणिज्यदूत हैं। उन्होंने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “सांसद और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी, आपके दयालु आतिथ्य और साझा मुद्दों और चिंताओं से जुड़े महत्वपूर्ण विचारों को साझा करने के लिए धन्यवाद। मैं हमारी चर्चाओं को जारी रखने के लिए उत्सुक हूँ!”


अमेरिकी राजनयिक ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की। एक्स पर उन्होंने लिखा, “आज आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू से मिलना सम्मान की बात थी। मैं राज्य के लिए उनके दृष्टिकोण की बहुत प्रशंसा करती हूं और उनसे पूरी तरह सहमत हूँ कि संयुक्त राज्य अमेरिका और आंध्र प्रदेश को व्यापार, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और लोगों के बीच व्यापक संबंधों को मजबूत करने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक साथ काम करना जारी रखना चाहिए।”

इसके अलावा उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मुलाकात की। एक्स पर उन्होंने लिखा, “तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ मेरी एक बेहतरीन मुलाकात हुई। यह मुलाकात नए निवेश जुटाने के लिए अमेरिका जाने से ठीक पहले की है। हैदराबाद में करीब 200 अमेरिकी कंपनियाँ हैं और एआई जैसे कई हाई-एंड टेक सेक्टर में लगातार अधिक से अधिक कंपनियों को आकर्षित कर रही हैं, जो अमेरिका-भारत व्यापार में उछाल की सफलता की कहानी में योगदान दे रही हैं। मैंने सीएम रेड्डी को उनके प्रयासों में बहुत सफलता की कामना की और हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने का वादा किया!”

उल्लेखनीय है कि उन्होंने जुलाई में भी AIMIM प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। एक्स पर उन्होंने लिखा, “कुतुब शाही हेरिटेज पार्क के पूरा होने के समारोह में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, पर्यटन और संस्कृति मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव, हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और प्रिंस रहीम आगा खान के साथ शामिल होना बहुत ही शानदार अनुभव था, और मुझे इस बात पर गर्व है कि हैदराबाद के इन खूबसूरत, ऐतिहासिक स्मारकों के जीर्णोद्धार में अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास ने सहायक भूमिका निभाई। यह पिछले कुछ साल में अमेरिका-तेलंगाना के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की कहानी कहता है!”

अमेरिकी राजनयिकों और भारतीय विपक्षी नेताओं के बीच हाल ही में हुई बैठकों को लेकर विशेषज्ञ इस बात की चिंता जता रहे हैं कि अमेरिका भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश कर रहा है और यह आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश में पहले कथित अमेरिकी दखल के समान ही एक समानता देखी जा सकती है, जहाँ रिपोर्ट बताती है कि शेख हसीना की सरकार को गिराने में यूएसएआईडी और अन्य विदेशी हित शामिल हो सकते हैं।

हसीना के खिलाफ प्रतिरोध आंदोलनों को अमेरिका द्वारा समर्थन दिए जाने के आरोप सामने आए हैं, जिसके कारण बांग्लादेश में तनाव और अशांति बढ़ी है। ये कार्रवाइयाँ अमेरिका द्वारा बार-बार किए जाने वाले आचरण का संकेत हैं, जहाँ वह संप्रभु राज्यों की स्थानीय राजनीति को प्रभावित करने के लिए अपनी कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल करता है।

इस पृष्ठभूमि के मद्देनजर, अमेरिकी राजनयिकों और भारतीय विपक्ष के बीच इस तरह की बातचीत कुछ लोगों के लिए संदेहास्पद हो सकती है, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए, जहाँ कोई भी बाहरी ताकत क्षेत्र की राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए तीन चरणों में मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 18 सितंबर, दूसरे चरण का 25 सितंबर और तीसरे चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होगा। मतगणना 4 अक्टूबर को होगी। जम्मू-कश्मीर में कड़ी सुरक्षा के बीच विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है।

खबरों के मुताबिक, कॉन्ग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा कर लिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस 90 में से 51 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि कॉन्ग्रेस 32 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पाँच सीटों पर “दोस्ताना” मुकाबला होगा। एक सीट सीपीआई(एम) और पैंथर्स पार्टी को आवंटित की गई है। अब तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव के लिए 45 उम्मीदवारों की घोषणा की है।
मिलाद-उन नबी का जुलूस दो दिन के लिए टाला,अब निकले जाएंगे 19 सितंबर को,जानें क्यों लिया गया ये फैसला...?

इस साल पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब का जन्मदिन 16/17 सितंबर को मनाया जाएगा. उनके जन्मदिन यानी मिलाद-उन-नबी के पाक मौके पर तेलंगाना में जुलूस निकलने वाला था लेकिन इसे दो दिन के लिए टाल दिया गया है.

पहले यह जुलूस 17 सितंबर को निकलने वाला था. मगर अब मिलाद-उन नबी का यह जुलूस 19 सितंबर को निकलेगा. तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने गुरुवार को हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भाई और AIMIM के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी में यह फैसला लिया.

17 सितंबर को गणेश विसर्जन

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने गुरुवार को मिलाद-उन-नबी जुलूस की व्यवस्था और 17 सितंबर को गणेश मूर्तियों के विसर्जन के मुद्दे पर एक बैठक की. इस बैठक में सीएम रेड्डी ने मिलाद समिति के सदस्यों को मिलाद-उन-नबी जुलूस को स्थगित करने को लेकर कहा.

बैठक में राज्य के मंत्री पोन्नम प्रभाकर और डी श्रीधर बाबू, एआईएमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी और मिलाद समिति के सदस्य शामिल थे. इस बैठक में सभी मसलों पर चर्चा हुई. इसके बाद मिलाद के सदस्यों ने जुलूस को स्थगित करने के सरकार की अपील पर अपनी सहमति जताई.

AIMIM के विधायक अख्तरुल ईमान ने पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए कही यह बात*
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पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए Aimim के विधायक अख्तरूल ईमान ने बताया कि तेलंगाना के एमएलए मोहम्मद मजीद हुसैन और बिहार के इंचार्ज बिहार में आए थे।बाय इलेक्शन होने हैं 2025 में इलेक्शन होने हैं उसी को लेकर संगठन का जायजा लेने और आगामी इलेक्शन में कैंडिडेट का जायजा लेने के लिए वह पटना पहुंचे थे।बिहार में बढ़ते अपराध पर विधायक ने कहा लालफीताशाही चरम पर है,अफरशाही की लाइन ऑर्डर फेल है। बैंकों में लूट हो रहे है।बिहार की हालत अच्छी नहीं है। पलायन नहीं रुका है।महंगाई अधिक होने के सवाल पर विधायक ने कहा अब हर मामले में बिहार पीछे है रोजी रोटी के मामले में पीछे है अस्पताल सही नहीं है।बिहार के लोग तरक्की में ठगे गए है और आनेवाले चुनाव में जनता इन्हें सबके सिखाएगी।