पुलिस मंथन में मुख्यमंत्री योगी का रोडमैप: व्यवस्था, व्यवहार और तकनीक-तीनों पर सख्त निर्देश
लखनऊ । उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय में आयोजित दो दिवसीय वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सम्मेलन “पुलिस मंथन” के दौरान विभिन्न विषयगत सत्रों के समापन अवसर पर  मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ  ने कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा, साइबर अपराध, थाना प्रबंधन, मानव संसाधन, अभियोजन, कारागार सुधार तथा फॉरेंसिक व्यवस्था को लेकर व्यापक और दूरगामी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश पुलिस को आधुनिक, जवाबदेह और नागरिक-केंद्रित मॉडल के रूप में स्थापित करना सरकार की प्राथमिकता है।

ग्राम स्तरीय सुरक्षा तंत्र का सुदृढ़ीकरण

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  ने निर्देश दिए कि ग्राम पंचायत स्तर पर तैनात चौकीदारों को पुलिस बीट व्यवस्था से प्रभावी रूप से जोड़ा जाए, जिससे स्थानीय स्तर पर सुरक्षा तंत्र को नई मजबूती मिले। उन्होंने कहा कि ग्राम चौकीदार गांव की सामाजिक संरचना से भली-भांति परिचित होते हैं और उनकी सक्रिय भागीदारी से अपराध की रोकथाम, समय पर सूचना संकलन एवं त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकती है।

जनविश्वास एवं कानून-व्यवस्था में सशक्त वृद्धि

सीएम योगी ने कहा कि बीट पुलिस के प्रमुख आरक्षी व दारोगा ग्राम स्तर पर निरंतर संवाद, प्रभावी जनसंपर्क और आपसी विश्वास का वातावरण निर्मित करें। इससे आम नागरिकों में सुरक्षा की भावना और अधिक सुदृढ़ होगी तथा कानून-व्यवस्था को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में यह व्यवस्था एक प्रभावी और भरोसेमंद मॉडल के रूप में स्थापित होगी।

मिशन शक्ति: समन्वित प्रयासों से सफलता

सीएम योगी  ने स्पष्ट किया कि मिशन शक्ति की सफलता केवल पुलिस के प्रयासों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी संबंधित विभागों के आपसी समन्वय, साझा जिम्मेदारी और सतत संवाद का परिणाम है। महिला सुरक्षा को प्रभावी बनाने हेतु सभी विभागों को एकजुट होकर योजनाबद्ध ढंग से कार्य करना होगा।

आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा पर विशेष बल

सीएम योगी  ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा दो स्तरों पर सुनिश्चित करना अनिवार्य है—आंतरिक सुरक्षा और बाह्य सुरक्षा। परिवार एवं समाज में ऐसा सुरक्षित वातावरण बने, जहाँ महिलाएं निर्भीक होकर अपनी पीड़ा साझा कर सकें। वहीं, सार्वजनिक स्थलों, बाजारों एवं कार्यस्थलों पर एंटी रोमियो स्क्वॉड एवं महिला बीट द्वारा सुदृढ़ सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

संवाद, जागरूकता एवं त्वरित सहायता व्यवस्था

मुख्यमंत्री  ने महिला बीट पुलिस को निर्देशित किया कि वे स्थानीय स्तर पर नियमित रूप से महिलाओं के साथ संवादात्मक बैठकें करें। साथ ही, टोल-फ्री सहायता नंबरों का व्यापक प्रचार-प्रसार कर महिलाओं को त्वरित सहायता एवं भरोसे का वातावरण प्रदान किया जाए।

महिला पुलिस बल की सशक्त भूमिका

मुख्यमंत्री ने महिला पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण पर विशेष जोर देते हुए कहा कि उन्हें आत्मविश्वास के साथ फील्ड में कार्य करने हेतु सक्षम बनाया जाए। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि आज उत्तर प्रदेश में महिलाएं स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रही हैं, जो कि उत्तर प्रदेश पुलिस की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

थाना प्रभारियों की तैनाती सिर्फ मेरिट के आधार पर की जानी चाहिए


पुलिसिंग सिस्टम की रीढ़ थाना प्रबंधन है, इसलिए थाना प्रभारियों की तैनाती सिर्फ मेरिट के आधार पर की जानी चाहिए। राजनीतिक हस्तक्षेप न्यूनतम रखा जाए और जहां अनावश्यक दबाव आता है उसे सिरे से खारिज किया जाए। सुरक्षा व्यवस्था आवश्यकता अनुसार दी जाए, न कि स्टेटस सिंबल के रूप में।

संरचना सुधार के तहत लगभग 50,000 पुलिसकर्मियों को थानों में तैनात करने, शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग मॉडल के आधुनिक थाने, पार्किंग, बैरक, पब्लिक-सर्विस स्पेस जैसी सुविधाओं के साथ विकसित करने की आवश्यकता है। थानों के निर्माण, पुलिस कमिश्नरेट मॉडल और फायर स्टेशनों के लिए स्पष्ट नीति और त्वरित निर्णय जरूरी है ताकि उपलब्ध बजट का प्रभावी उपयोग हो सके।

पुलिस व्यवहार (Police Behaviour) सुधार एक केंद्रीय मुद्दा है। महाकुंभ, प्रवासी भारतीय दिवस जैसे बड़े आयोजनों में पुलिस के उत्कृष्ट व्यवहार को सराहा गया, जबकि नियमित व्यवस्था में शिकायतें बनी हुई हैं। इसलिए नियमित काउंसलिंग, बीट प्रणाली की प्रभावी मॉनिटरिंग, और इसे ACR से जोड़कर जवाबदेही तय करना अनिवार्य है।

दैनिक अपराध—जैसे चेन स्नेचिंग, लूट, महिलाओं के खिलाफ अपराध—जनता में असुरक्षा और नकारात्मक धारणा पैदा करते हैं, अतः पुलिस की कार्यशैली, त्वरित प्रतिक्रिया और व्यवहार दोनों स्तरों पर सुधार से ही परसेप्शन बदलेगा। अनुभवी विशेषज्ञों की सलाह और विभागीय समन्वय से यूपी में एक आधुनिक, उत्तरदायी और नागरिक-केंद्रित पुलिस मॉडल स्थापित किया जा सकता है।

साइबर अपराध के समापन पर  मुख्यमंत्री का उद्बोधन

उत्तर प्रदेश में कोविड कालखंड के दौरान हर ग्राम पंचायत में नियुक्त बीसी सखी और बैंकों के बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट्स के साथ समन्वय बनाकर ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में डिजिटल लेन-देन सुरक्षा पर व्यापक अवेयरनेस अभियान चलाया जा सकता है। डिजिटल ट्रांजैक्शन से सुविधा बढ़ी है, पर लालच, फर्जी कॉल, ओटीपी और अकाउंट डिटेल मांगने जैसी ठगी की घटनाओं ने जोखिम भी बढ़ा दिया है। इसे रोकने के लिए बीट प्रणाली, महिला बीट पुलिसिंग और बीसी सखी नेटवर्क एक मजबूत माध्यम बन सकते हैं।

साइबर मुख्यालय की स्थापना और समन्वित तैयारी समय की मांग

राज्य में साइबर अपराधों से निपटने के लिए 02 से बढ़कर 75 थानों तक साइबर हेल्प डेस्क स्थापित की गई हैं, मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं और हेल्पलाइन 1930 का विस्तार किया जा रहा है, पर अभी इनकी कार्यक्षमता को और मजबूत करने की आवश्यकता है। आने वाले समय में तेजी से बढ़ती तकनीक के साथ क्विक रिस्पांस, प्रभावी कार्रवाई और जनजागरूकता दोनों समानांतर रूप से बढ़ाना होगा। साइबर मुख्यालय की स्थापना और समन्वित तैयारी समय की मांग है ताकि नागरिकों को त्वरित राहत और सुरक्षा मिल सके।

पुलिस प्रशिक्षण क्षमता में ऐतिहासिक विस्तार

मा० मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 तक प्रदेश में पुलिस प्रशिक्षण की क्षमता सीमित थी, जिसे बीते पौने नौ वर्षों में बढ़ाकर लगभग 60,000 किया गया है। यह दस गुना से अधिक वृद्धि सुदृढ़ बुनियादी ढांचे, आधुनिक संसाधनों और सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। बेहतर प्रशिक्षण से पुलिस बल अधिक दक्ष, अनुशासित और जनसंवेदनशील बन रहा है, जिससे कानून-व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था को नई मजबूती मिली है।

पुलिस लाइन का बहुआयामी विकास

मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि पुलिस लाइन को केवल प्रशासनिक इकाई तक सीमित न रखते हुए उसे जन-जागरूकता एवं सामाजिक सहभागिता के केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। पुलिस म्यूजियम, ट्रैफिक पार्क/स्तंभ की स्थापना कर स्कूली बच्चों को पुलिस कार्यप्रणाली एवं यातायात नियमों से अवगत कराया जाए। साइबर नियंत्रण कक्ष की तर्ज पर प्रत्येक जनपद में ऐसी सुविधाओं का चरणबद्ध विकास किया जाए।

गुणवत्ता आधारित पदोन्नति एवं संतुलित संरचना

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस विभाग में पदोन्नति प्रक्रिया में गुणवत्ता एवं कार्यक्षमता को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने बताया कि अब तक 1.55 लाख से अधिक पुलिसकर्मियों को पदोन्नति दी जा चुकी है। साथ ही, प्रत्येक जनपद में संतुलित एवं सुव्यवस्थित ढांचे के निर्माण पर बल दिया गया, जिससे मानव संसाधन का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित हो सके।

पुलिस परिवार कल्याण एवं ज्ञान-संवर्धन

मुख्यमंत्री  ने वामा सारथी के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस परिवार कल्याण के लिये लगातार काम किए जा रहे हैं। इसे वामा सारथी को और तेज करना होगा। इसके अलावा उन्हें वामा सारथी को विभिन्न उत्पादों के निर्माण को आगे आने के लिये प्रेरित किया। सीएम ने कहा कि पुलिस विभाग द्वारा होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में भी वामा सारथी को अपनी भागीदारी बढ़ानी चाहिए। पुलिस लाइनों में पुलिसकर्मियों के बच्चों के लिए कोचिंग एवं शैक्षिक सुविधाएं विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नव-नियुक्त अधिकारी सप्ताह में कम से कम एक घंटे वर्चुअल या भौतिक रूप से मार्गदर्शन प्रदान करें। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चों को दिशा मिलेगी तथा पुलिस परिवारों के लिए एक सकारात्मक, प्रेरणादायी और उज्ज्वल भविष्य का वातावरण निर्मित होगा।

प्रभावी अभियोजन एवं प्रशिक्षित मानव संसाधन पर जोर

मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून-व्यवस्था की मजबूती के लिए पुलिस एवं अभियोजन का व्यावहारिक पक्ष प्रभावी ढंग से लागू होना आवश्यक है। इसके लिए प्रशिक्षित, दक्ष एवं संवेदनशील मानव संसाधन की तैनाती सुनिश्चित की जाए, जिससे न्यायिक प्रक्रियाएं समयबद्ध, सुदृढ़ एवं परिणामोन्मुखी बन सकें।

आकांक्षी जनपदों का समग्र विकास एवं सतत समीक्षा

मुख्यमंत्री  ने निर्देश दिए कि आकांक्षी जनपदों को स्पष्ट पैरामीटर के आधार पर सामान्य जनपदों की श्रेणी में लाने हेतु सभी विभाग समन्वित प्रयास करें। नीति आयोग के सहयोग से इन जिलों में विकास कार्यों की नियमित समीक्षा की जाए तथा प्रत्येक माह बैठक कर निर्धारित लक्ष्यों की प्रगति का आकलन सुनिश्चित किया जाए।

कारागार सुधार एवं मानवीय दृष्टिकोण से निर्णय

मुख्यमंत्री  ने कहा कि कारागार में निरुद्ध बुजुर्गों, महिलाओं, गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों तथा जिनकी सजा अवधि पूर्ण हो चुकी है, उनके मामलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए शीघ्र रिहाई की प्रक्रिया को गति दी जाए। उन्होंने दहेज उत्पीड़न जैसे मामलों में अत्यंत संवेदनशीलता एवं गहन जांच के साथ कार्रवाई करने पर बल दिया, जिससे निर्दोष परिवारों को अनावश्यक पीड़ा न झेलनी पड़े।

माफिया एवं संगठित अपराध पर सख्त नियंत्रण

मुख्यमंत्री  ने कारागार में निरुद्ध कुख्यात माफिया एवं संगठित अपराधियों पर कड़ी निगरानी के निर्देश देते हुए कहा कि उनकी न्यायालय में उपस्थिति वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनिश्चित की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे अपराधियों को किसी भी प्रकार का अवसर न मिले, इसके लिए प्रशिक्षित एवं सक्षम कार्मिकों की तैनाती अनिवार्य है।

कारागार सुधार एवं आत्मनिर्भरता की दिशा में अभिनव पहल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए कि कारागार में बंद बंदियों द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों को संगठित रूप से बाजार से जोड़ा जाए और उनके प्रभावी विपणन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि इससे बंदियों को कारागार से मुक्त होने के उपरांत सम्मानजनक एवं स्थायी आजीविका का अवसर प्राप्त होगा, वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे तथा समाज की मुख्यधारा में सकारात्मक भूमिका निभा सकेंगे। मुख्यमंत्री  ने संबंधित योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन करते हुए इस मॉडल को और अधिक सशक्त बनाने पर बल दिया, ताकि सुधारात्मक न्याय की भावना को व्यावहारिक रूप में साकार किया जा सके

भारतीय न्याय संहिता व फॉरेंसिक के प्रभावी प्रयोग से सख्त कार्रवाई

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों में दुर्दांत माफिया एवं संगठित अपराधियों को प्रभावी दंड नहीं मिल पा रहा था, किंतु आज भारतीय न्याय संहिता एवं फॉरेंसिक साक्ष्यों के सुदृढ़ और वैज्ञानिक उपयोग से ऐसे अपराधियों के विरुद्ध निर्णायक कार्यवाही संभव हो सकी है। फॉरेंसिक आधारित जांच से गंभीर अपराधों में दोषसिद्धि की दर में वृद्धि हुई है और अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाया गया है।

फॉरेंसिक अवसंरचना एवं मानव संसाधन का सुदृढ़ीकरण

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में फॉरेंसिक साइंस इंस्टिट्यूट की स्थापना को महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि इससे इस क्षेत्र में दक्ष मानव संसाधन विकसित होगा। उन्होंने प्रत्येक जनपद में फॉरेंसिक विशेषज्ञों की उपलब्धता सुनिश्चित करने, लैब तकनीशियनों के लिए मानक आधारित चयन प्रक्रिया लागू करने तथा साक्ष्य संकलन एवं परीक्षण में निर्धारित प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए।

प्रशिक्षण, विस्तार एवं भविष्य की तैयारी

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि फॉरेंसिक क्षेत्र में क्षमता-वृद्धि के लिए नव-नियुक्त पुलिस कार्मिकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है। वाराणसी में प्रस्तावित 50 एकड़ क्षेत्र में विकसित किए जा रहे फॉरेंसिक सेंटर को फॉरेंसिक संस्थान से जोड़कर आगे बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने फॉरेंसिक के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है और भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए इन प्रयासों को और अधिक सशक्त बनाया जाना चाहिए।
पुलिस मंथन बना सोशल मीडिया पर नंबर-1 ट्रेंड, यूपी पुलिस को मिला ऐतिहासिक जनसमर्थन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा आयोजित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सम्मेलन “पुलिस मंथन” को सोशल मीडिया पर जबरदस्त जनसमर्थन मिला है। माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में 27 व 28 दिसंबर 2025 को लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय में आयोजित इस सम्मेलन से जुड़ी गतिविधियों की फोटो व वीडियो प्रदेश के सभी जनपदों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा की गईं।
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश पुलिस के आधिकारिक हैंडल द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया गया हैशटैग #पुलिस_मंथन देखते ही देखते वायरल हो गया। यह हैशटैग 27 दिसंबर 2025 को शाम 05:30 बजे ट्रेंडिंग सूची में शामिल हुआ और कुछ ही समय में नंबर-1 ट्रेंड बन गया।खास बात यह रही कि #पुलिस_मंथन के साथ-साथ पुलिस मुख्यालय जैसे अन्य की-वर्ड भी ट्रेंडिंग लिस्ट में शामिल रहे। शाम 05:45 बजे से 08:45 बजे तक यह हैशटैग लगातार टॉप-5 ट्रेंडिंग में बना रहा।

इस दौरान 36 हजार से अधिक ट्वीट्स किए गए, जिनसे लगभग 40 मिलियन रीच, 3.62 लाख व्यूज़ और 1.07 बिलियन इंप्रेशन दर्ज किए गए। सोशल मीडिया पर मिले इस अपार समर्थन को उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
दिव्यांग खिलाड़ियों के आत्मविश्वास का प्रतीक बना दिव्य खेल महोत्सव
* मंत्री ने अलीगढ़ में तीन दिवसीय राज्य स्तरीय आयोजन का किया शुभारंभ

* योगी सरकार दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाकर बढ़ा रही है आगे : नरेंद्र कश्यप



अलीगढ़/ लखनऊ । योगी सरकार के दिव्यांगजन सशक्तीकरण के संकल्प को साकार करते हुए अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम, अलीगढ़ में तीन दिवसीय राज्य स्तरीय दिव्य खेल महोत्सव–2025 का भव्य शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेन्द्र कश्यप ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।

इस अवसर पर मंत्री नरेन्द्र कश्यप ने दिव्यांग खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि खेल दिव्यांगजनों के आत्मविश्वास, आत्मसम्मान और सामाजिक समावेशन का सबसे प्रभावी माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि दिव्य खेल महोत्सव केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि दिव्यांगजनों की प्रतिभा, संकल्प और आत्मनिर्भरता का उत्सव है।

मंत्री नरेन्द्र कश्यप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार ने दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। सरकार की स्पष्ट मंशा है कि दिव्यांगजन शिक्षा, खेल, रोजगार और सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ें और आत्मनिर्भर बनें। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 से पूर्व दिव्यांग पेंशन मात्र 300 रुपये प्रतिमाह थी, जिसे योगी सरकार ने बढ़ाकर 1000 रुपये प्रतिमाह कर दिया है। वर्तमान में प्रदेश के 11.50 लाख से अधिक दिव्यांगजन इस पेंशन योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। सरकार भविष्य में पेंशन राशि को और बढ़ाने के लिए भी सतत प्रयासरत है। इसके साथ ही दिव्यांग दंपत्ति विवाह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत 35 हजार रुपये, दुकान निर्माण हेतु 20 हजार रुपये तथा दुकान संचालन के लिए 10 हजार रुपये की सहायता प्रदान की जा रही है। दिव्यांगजनों के स्वास्थ्य एवं पुनर्वास के लिए कॉक्लियर इम्प्लांट पर 6 लाख रुपये तक का व्यय सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। साथ ही निःशुल्क सर्जरी, कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरणों की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए मंत्री कश्यप ने कहा कि विशेष विद्यालयों, केयर सेंटरों, विश्वविद्यालयों एवं नवाचार आधारित योजनाओं के माध्यम से दिव्यांग विद्यार्थियों को प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक समान अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। लक्ष्य है कि दिव्यांगजन आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनकर सामान्य से भी बेहतर जीवन जी सकें।

खेलों का उल्लेख करते हुए मंत्री कश्यप ने कहा कि भारतीय दिव्यांग खिलाड़ियों ने पैरालंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश का गौरव बढ़ाया है। पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने यह सिद्ध कर दिया है कि दिव्यांगजन किसी से कम नहीं हैं। देवेंद्र झाझरिया जैसे खिलाड़ी दिव्यांग युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

मंत्री नरेन्द्र कश्यप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकलांग’ शब्द के स्थान पर ‘दिव्यांग’ शब्द देकर समाज की सोच बदलने का कार्य किया है। दिव्यांगजन असाधारण क्षमताओं के धनी हैं और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

कार्यक्रम के समापन पर मंत्री कश्यप ने सभी दिव्यांग खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते हुए विश्वास जताया कि दिव्य खेल महोत्सव–2025 से उभरने वाली प्रतिभाएं भविष्य में प्रदेश और देश का नाम रोशन करेंगी।
शीतलहर से निपटने को योगी सरकार पूरी तरह अलर्ट
* 1247 रैन बसेरे सक्रिय, 1.40 लाख से अधिक कंबल वितरित

ब्यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जारी भीषण शीतलहर और घने कोहरे को देखते हुए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार ने आमजन, विशेषकर गरीबों, निराश्रितों और जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। शासन के निर्देश पर प्रदेश के सभी जनपदों में रैन बसेरा, अलाव और कंबल वितरण की व्यवस्था को पूरी तरह सक्रिय कर दिया गया है, ताकि ठंड के कारण किसी भी नागरिक को परेशानी न हो।

प्रदेशभर में अब तक 1247 रैन बसेरे स्थापित किए जा चुके हैं, जहां 9949 से अधिक जरूरतमंद लोग आश्रय ले चुके हैं। जिला प्रशासन को रैन बसेरों में साफ-सफाई, प्रकाश, सुरक्षा और गर्म पानी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

शीतलहर से बचाव के लिए कंबल वितरण को प्राथमिकता दी जा रही है। चालू व्यवस्था के तहत सभी जनपदों को 17.55 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। 75 जनपदों द्वारा कंबल खरीद के आदेश जारी किए जा चुके हैं, जिनमें से 3.78 लाख से अधिक कंबलों की आपूर्ति हो चुकी है। अब तक 1,40,364 कंबल जरूरतमंदों में वितरित किए जा चुके हैं और शेष का वितरण लगातार जारी है।

ठंड से राहत के लिए सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलाने की भी व्यापक व्यवस्था की गई है। सभी जनपदों को इसके लिए 1.75 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अलाव की दैनिक स्थिति की निगरानी राहत पोर्टल के माध्यम से की जा रही है।

वहीं, घने कोहरे के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव के लिए सरकार ने तकनीक का सहारा लिया है। राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा सचेत ऐप और वेब पोर्टल के माध्यम से अब तक 33.27 करोड़ अलर्ट एसएमएस जारी किए जा चुके हैं। इसके साथ ही यूपीडा, एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी द्वारा जिलाधिकारियों और पुलिस को लगातार ई-मेल अलर्ट भेजे जा रहे हैं।

प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि शीतलहर के दौरान कोई भी जरूरतमंद ठंड से पीड़ित न रहे, इसके लिए सभी विभाग पूरी संवेदनशीलता के साथ राहत कार्यों में जुटे रहें।
राजेश विक्रांत को लखनऊ में मिला राजू श्रीवास्तव स्मृति सम्मान
लखनऊ।  मुंबई के इतिहास, संस्कृति, कला व साहित्य पर निरंतर शोध, लेखन और दस्तावेज़ीकरण के लिए चर्चित वरिष्ठ पत्रकार राजेश विक्रांत को  26 दिसंबर की संध्या लखनऊ के ऐतिहासिक राय उमानाथ बली सभागार, भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय परिसर, कैसरबाग में आयोजित एक  साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम में “राजू श्रीवास्तव स्मृति सम्मान- 2025” से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन “एक शाम राजू श्रीवास्तव के नाम” से अवधी के महानायक, फ़िल्म विकास निगम उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय राजू श्रीवास्तव की स्मृति में अवधी विकास संस्थान ने किया था। जिसमें डॉ. हरि ओम (आईएएस)  साहित्यकार एवं गायक, चंद्र प्रकाश, पूर्व आईएएस एवं जस्टिस चन्द्र भूषण पाण्डेय ने आईपीएस आर के चतुर्वेदी, उद्योगपति मनीष वर्मा, रंगकर्मी जगमोहन रावत, एड वसीम सिद्दीकी, डॉ अजय चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता नवीन सेठ, लोकगायिका डॉ कुसुम वर्मा आदि के साथ मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार राजेश विक्रांत को राजू श्रीवास्तव स्मृति सम्मान से सम्मानित किया। संस्था अध्यक्ष एड विनोद मिश्र ने इस अवसर पर कहा कि राजेश विक्रांत सकारात्मक पत्रकारिता करते हैं। उन्होंने मुंबई माफिया: एक एनसाइक्लोपीडिया, आमची मुंबई, आजादी की लड़ाई में मुंबई का योगदान, मुंबई और हिंदी, आदिज्ञान मुंबई का कोली समुदाय और आमची मुंबई 2 अपनी इन पुस्तकों के जरिए मुंबई के विविध पक्षों को पाठकों के सामने पेश किया है। इस अवसर पर इतिहासकार व पर्यावरणविद तथा फीना गांव (बिजनौर) के कोहिनूर इंजीनियर हेमन्त कुमार, वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर प्रसाद शुक्ल, मुकेश वर्मा, मोटिवेशनल गुरु समीर शेख, डॉ. आनंद ओझा, लेखिका व पत्रकार हेमलता त्रिपाठी, शिखा श्रीवास्तव, राज शेखर सिंह, डॉ. अरुण पाण्डेय, श्री उग्रसेन धर द्विवेदी (आईआरएस), हास्य कलाकार अन्नू अवस्थी (कानपुर), प्रसिद्ध कॉमेडियन राजीव निगम, गायक मिथिलेश लखनवी सहित अनेक प्रतिष्ठित विभूतियां उपस्थित रहीं। राजेश विक्रांत का यह सम्मान न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि मुंबई के इतिहास को शब्दों, संदर्भों और संवेदनाओं के माध्यम से सहेजने की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है।
भूमि से उद्योग तक यूपी अव्वल, योगी के विजन पर निवेशकों का भरोसा मजबूत

* औद्योगिक भूमि के प्रभावी उपयोग में उत्तर प्रदेश अग्रणी, 33,327 हेक्टेयर में विकसित 286 औद्योगिक पार्क

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने देश के औद्योगिक मानचित्र पर अपनी सशक्त पहचान बना ली है। औद्योगिक भूमि के प्रभावी उपयोग के मामले में प्रदेश आज अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। जहां कई राज्यों में औद्योगिक पार्कों की बड़ी भूमि अब भी निष्क्रिय पड़ी है, वहीं उत्तर प्रदेश में उपलब्ध कराई गई अधिकांश औद्योगिक भूमि पर उद्योग स्थापित हो चुके हैं या स्थापना की प्रक्रिया में हैं।

प्रदेश में अब तक 286 औद्योगिक पार्क विकसित किए जा चुके हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 33,327 हेक्टेयर है। इन पार्कों में औद्योगिक गतिविधियों की सक्रियता यह दर्शाती है कि निवेश प्रस्ताव केवल कागजों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस परिणाम सामने आए हैं। यही वजह है कि देश-विदेश के निवेशक उत्तर प्रदेश को एक भरोसेमंद और परिणाम देने वाले औद्योगिक गंतव्य के रूप में देख रहे हैं।

उद्योग जगत के विशेषज्ञ एस.के. आहूजा के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश तेजी से देश के बड़े औद्योगिक पावरहाउस के रूप में उभर रहा है। औद्योगिक भूमि के लगभग पूर्ण उपयोग से न केवल उत्पादन गतिविधियों को बढ़ावा मिला है, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी सृजित हुए हैं।

अन्य राज्यों से तुलना करें तो अंतर स्पष्ट नजर आता है। उदाहरण के तौर पर तेलंगाना में 157 औद्योगिक पार्कों में लगभग 30,749 हेक्टेयर भूमि अब भी निवेश के लिए उपलब्ध है, जबकि उत्तर प्रदेश में भूमि का उपयोग तेजी से हो चुका है।

प्रदेश सरकार ने औद्योगिक नीति को स्पष्ट दिशा देते हुए केवल भूमि आवंटन तक सीमित न रहकर उद्योगों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण तैयार किया है। कानून-व्यवस्था में सुधार, प्रशासनिक प्रक्रियाओं का सरलीकरण और बुनियादी ढांचे का तेज विस्तार इस नीति के प्रमुख आधार रहे हैं। एक्सप्रेस-वे, एयरपोर्ट और बेहतर कनेक्टिविटी ने उद्योगों के संचालन को आसान बनाया है, जिससे निवेशकों का भरोसा और मजबूत हुआ है।

* प्रदेश भर में संतुलित औद्योगिक विकास


एक जनपद, एक उत्पाद (ओडीओपी), डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, मेडिकल डिवाइस पार्क, फार्मा पार्क और टेक्सटाइल हब जैसी योजनाओं ने औद्योगिक विकास को केवल कुछ शहरों तक सीमित नहीं रहने दिया। पूर्वांचल, बुंदेलखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी उद्योगों की स्थापना से स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़े हैं और क्षेत्रीय असमानता में कमी आई है।

* प्लग एंड प्ले मॉडल पर फोकस


उद्योगों को और गति देने के लिए प्रदेश सरकार ‘प्लग एंड प्ले’ मॉडल पर विशेष जोर दे रही है। इस मॉडल के तहत निवेशकों को पहले दिन से ही तैयार अवसंरचना उपलब्ध कराई जाएगी। माना जा रहा है कि यह पहल उत्तर प्रदेश को औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में अन्य राज्यों से और आगे ले जाएगी।उत्तर प्रदेश आज राष्ट्रीय औद्योगिक परिदृश्य में ठोस परिणामों के साथ अग्रणी राज्य के रूप में अपनी स्थिति लगातार मजबूत कर रहा है।
बीमार पालतू बना काल: लखनऊ में एक ही घर से उठीं दो अर्थियां

लखनऊ ।राजधानी के पारा थाना क्षेत्र की जलालपुर दौदाखेड़ा कॉलोनी बुधवार को उस वक्त सन्नाटे में डूब गई, जब एक ही घर से चीख-पुकार और मातम की आवाजें गूंज उठीं। अवसाद से जूझ रहीं दो सगी बहनों ने पालतू कुत्ते की बीमारी के सदमे में ज़हरीला फिनाइल पी लिया। इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई। मोहल्ले में शोक की लहर दौड़ गई और हर आंख नम हो उठी।मृत बहनों की पहचान राधा सिंह (25) और जिया उर्फ शानू सिंह (22) के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि दोनों मानसिक रूप से अस्वस्थ थीं और अपने पालतू जर्मन शेफर्ड टोनी से बेहद लगाव रखती थीं। बीते करीब 15 दिनों से टोनी की तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। इलाज के बावजूद हालत में सुधार न होने से दोनों बहनें गहरे तनाव में चली गईं।

मां के सामने कबूल किया गुनाह, फिर टूट गया सब कुछ

बुधवार दोपहर दोनों बहनों ने घर में रखा फिनाइल पी लिया। कुछ ही देर बाद हालत बिगड़ने लगी तो उन्होंने अपनी मां गुलाबा देवी को रोते हुए बताया कि उन्होंने ज़हर पी लिया है। घबराई मां ने तुरंत बड़े बेटे वीर सिंह को फोन किया। पड़ोसियों की मदद से दोनों को रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल ले जाया गया, जहां राधा ने कुछ ही देर में दम तोड़ दिया। गंभीर हालत में जिया को मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, लेकिन गुरुवार दोपहर इलाज के दौरान उसने भी अंतिम सांस ले ली।

“हम मर जाएं तो डॉगी को मत भगाना…”

इस दर्दनाक घटना ने हर किसी का कलेजा चीर दिया। मां गुलाबा देवी के मुताबिक, ज़हर पीने के बाद दोनों बेटियां फूट-फूटकर रो रही थीं और बस एक ही बात कह रही थीं—

“हमारे मरने के बाद डॉगी को घर से मत भगाना, उसकी दवा कराते रहना।”यह सुनकर मां बदहवास हो गईं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

मोहल्ले में पसरा मातम, एक साथ उठी दो अर्थियां

गुरुवार देर शाम पोस्टमार्टम के बाद जब दोनों बहनों के शव घर पहुंचे तो कोहराम मच गया। एक ही घर से जब दो अर्थियां एक साथ उठीं, तो पूरे मोहल्ले की आंखें भर आईं। मां गुलाबा देवी बार-बार बेटियों के शव से लिपटकर बेसुध हो जा रही थीं। पड़ोसी ज्ञान सिंह, लाल चंद्र और लखन लाल ने बताया कि दोनों बहनें शांत स्वभाव की थीं और टोनी से उनका लगाव इस कदर था कि अगर कुत्ता खाना नहीं खाता था तो वे भी खाना छोड़ देती थीं।यह परिवार पहले ही कई दुख झेल चुका है। गुलाबा देवी के पति कैलाश सिंह, जो रुई की धुनाई का काम करते हैं, पिछले छह महीनों से गंभीर बीमारी के चलते बिस्तर पर हैं। कोरोना काल में परिवार अपना एक जवान बेटा भी खो चुका है। अब दो बेटियों की मौत ने परिवार को पूरी तरह तोड़ दिया है।

मानसिक बीमारी का लंबा इतिहास

परिजनों के अनुसार, वर्ष 2014 से दोनों बहनों का मानसिक बीमारी का इलाज चल रहा था। कई डॉक्टरों को दिखाया गया, मंदिरों और धार्मिक स्थलों—बालाजी, खाटू श्याम—तक ले जाया गया। 2017 तक हालत में सुधार हुआ, लेकिन बाद में फिर समस्याएं बढ़ने लगीं। कुछ समय पहले नाराजगी में दोनों ने घर की किराने की दुकान में आग लगा दी थी, जिसमें मां का एक पैर झुलस गया था। इसके बाद इलाज दोबारा शुरू कराया गया।

कुत्ते से शुरू हुई कहानी, उसी पर खत्म

करीब तीन साल पहले मॉर्निंग वॉक के दौरान एक ट्रॉली चालक से मुलाकात के बाद दोनों बहनें जर्मन शेफर्ड टोनी को घर लेकर आई थीं। वही टोनी धीरे-धीरे उनकी दुनिया का केंद्र बन गया। उसकी बीमारी ने दोनों को इस कदर तोड़ दिया कि उन्होंने जिंदगी से ही मुंह मोड़ लिया।इंस्पेक्टर सुरेश सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में आत्महत्या का मामला सामने आया है। परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और हर पहलू की जांच की जा रही है।यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर सवाल छोड़ गया है—मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक सहारे को समय रहते समझा और संभाला नहीं गया, तो नतीजे कितने भयावह हो सकते हैं।

कड़ाके की ठंड से कांपा उत्तर प्रदेश, कई जिलों में पारा 8 डिग्री तक लुढ़का
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भीषण ठंड ने जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। राजधानी लखनऊ में न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जिससे लोग सुबह और रात के समय ठिठुरने को मजबूर हैं। वहीं गाजियाबाद में भी तापमान गिरकर 8 डिग्री तक पहुंच गया है।

ठंड के मामले में कानपुर प्रदेश का तीसरा सबसे ठंडा जिला बन गया है, जहां सर्द हवाओं ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। कई इलाकों में घना कोहरा छाया हुआ है, जिससे विजिबिलिटी लगभग शून्य हो गई है।

कोहरे के कारण सड़कों पर वाहन रेंगते नजर आ रहे हैं और यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हुई है। ठंड और कोहरे को देखते हुए लोग घरों में रहने को मजबूर हैं, जबकि प्रशासन ने सतर्कता बरतने की अपील की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनसभा को भी करेंगे संबोधित
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को यहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी महोत्सव के अवसर पर राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण किया। प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बसंत कुंज योजना के सेक्टर-जे में 65 एकड़ में विकसित राष्ट्र प्रेरणा स्थल में डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय और अटल जी की विशालकाय प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनसभा को भी संबोधित करेंगे।

राष्ट्र प्रेरणा स्थल लखनऊ में गोमती नदी के किनारे हरदोई मार्ग पर बनाया गया है। 65 एकड़ में फैले प्रेरणा स्थल में सभी तीनों विभूतियों की कांस्य प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं। सभी प्रतिमाएं 65 फुट ऊंची हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने इन महान विभूतियों के जीवन पर आधारित म्यूजियम का भी लोकार्पण किया। कमल के आकार के बने इस म्यूजियम का प्रधानमंत्री मोदी समेत अन्य नेताओं ने अवलोकन भी किया।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री व लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री व यूपी भाजपा अध्यक्ष पंकज चौधरी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक समेत उप्र सरकार के अन्य मंत्री व नेता मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लखनऊ पहुंचे
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लखनऊ पहुंचे। प्रधानमंत्री आज यहां अटल जी की जयंती के अवसर पर राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करेंगे। राष्ट्र प्रेरणा स्थल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय और अटल जी की प्रतिमाएं लगाई गयी हैं। 65 एकड़ में फैले इस स्थल को भव्य एवं सुंदर बनाया गया है। प्रधानमंत्री इस अवसर पर जनसभा को भी संबोधित करेंगे।