अंग्रेजी साहित्य भी खूब भा रहा प्रयागवासियो को
“माँ गंगा”थीम पर आधारित निबंध प्रतियोगिता एवं थेरेप्यूटिक राइटिंग वर्कशॉप का आयोजन
संजय द्विवेदी प्रयागराज।पुस्तक मेला के छठे दिन पाठकों की उत्साहपूर्ण उपस्थिति देखने को मिली। हिन्दी साहित्य के साथ-साथ अंग्रेजी साहित्य के प्रति भी प्रयागवासियो का खासा रुझान नजर आया।कटरा स्थित द पाम्स रिसोर्ट–रॉयल गार्डन (लक्ष्मी टॉकीज के सामने) “विजन 2047:विकसित भारत–विकसित प्रदेश”की थीम पर आधारित इस पुस्तक मेले में अंग्रेजी भाषा के समकालीन उपन्यास आत्मकथाएँ कविता संग्रह मनोवैज्ञानिक थ्रिलर प्रेरणादायी पुस्तके तथा बच्चों के लिए विशेष साहित्य का व्यापक संग्रह उपलब्ध है।मेले में कई स्टॉल अंग्रेजी साहित्य को समर्पित है जिनमें आदित्री बुक सेंटर और किताब पढ़ो विशेष रूप से पाठको को आकर्षित कर रहे है।आदित्री बुक सेंटर के स्टॉल प्रतिनिधि अमित ने बताया कि अंग्रेजी साहित्य एवं शिक्षा से जुड़ी पुस्तकों की अच्छी माँग बनी हुई है।पाठको के बीच मॉर्गन हाउसेल की चर्चित पुस्तक द साइकोलॉजी ऑफ मनी विशेष रूप से लोकप्रिय बनी हुई है। इसके साथ ही फ्रीडा मैकफैडेन की मनोवैज्ञानिक थ्रिलर द हाउसमेड सलमान रुश्दी का बुकर पुरस्कार विजेता उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रन तथा जेम्स क्लियर की बहुचर्चित पुस्तक एटॉमिक हैबिट्स को लेकर भी पाठकों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।किताब पढ़ो स्टॉल के प्रतिनिधि मुकेश ने बताया कि उनके यहाँ अंग्रेजी साहित्य की विविध और विशिष्ट पुस्तको की अच्छी बिक्री हो रही है।ट्रक ड्राइवरो की बेटियों द्वारा लिखी गई कहानियों का संग्रह पापा कम होम जिसे नितिन गडकरी ने फॉरवर्ड और आनन्द महिन्द्रा ने विशेष संदेश दिया है,पाठको को आकर्षित कर रहा है।इसके अतिरिक्त तोशिकाजु कवागुची की बिफोर योर मोर मेमोरीज चार्ल्स डुहिग की द पावर ऑफ हैबिट कैथलीन ग्लासगो का संवेदनशील उपन्यास गर्ल इन पीसेज़ तथा माइकल डी.वॉटकिंस की दि फर्स्ट 90 डेज भी बेस्टसेलर पुस्तकों में शामिल रही।आयोजक मनोज सिंह चंदेल एवं सह-संयोजक मनीष गर्ग ने संयुक्त रूप से बताया कि पुस्तक मेले में प्रवेश पूर्णतः निःशुल्क है।मेले में स्थापित सांस्कृतिक मंच पर प्रतिदिन विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है जिन्हे दर्शको का भरपूर समर्थन मिल रहा है।इसी क्रम में मंगलवार को मेले में“माँ गंगा”थीम पर आधारित निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता को दो वर्गों में विभाजित किया गया।ग्रुप ए (8–12 वर्ष)के बच्चो के लिए “माँ गंगा:हमारी प्यारी नदी” “गंगा किनारे मेरा एक दिन” “गंगा को साफ रखना क्यो ज़रूरी है”तथा“अगर गंगा बोल सकती तो क्या कहती” विषयो पर निबन्ध लेखन कराया गया। वहीं ग्रुप बी (13 वर्ष से ऊपर)के विद्यार्थियो के लिए “गंगा नदी का सांस्कृतिक ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व”गंगा प्रदूषण:कारण प्रभाव एवं समाधा“गंगा और जलवायु परिवर्तन”“नमामि गंगे परियोजना:उपलब्धियाँ और सीमाएँ”तथा “भविष्य की गंगा”जैसे विषय निर्धारित किए गए।प्रतियोगिता में बच्चों और युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।इसके अतिरिक्त पुस्तक मेले के अन्तर्गत अर्ज है संस्था द्वारा थेरेप्यूटिक राइटिंग वर्कशॉप “राइट’एन’ हील”का भी सफल आयोजन किया गया। इस सत्र में लेखन को आत्म- अभिव्यक्ति भावनात्मक संतुलन और मानसिक स्वास्थ्य के सशक्त माध्यम के रूप में प्रस्तुत किया गया।सुरक्षित और सहयोगात्मक वातावरण में आयोजित इस कार्यशाला में प्रतिभागियों ने रचनात्मक लेखन के माध्यम से आत्म- चिंतन और भावनात्मक स्पष्टता का अनुभव किया।वर्कशॉप का संचालन आर्ट थेरेपी प्रैक्टिशनर अलीशा फिलिप्स डांस मूवमेंट थेरेपी प्रैक्टिशनर कृति श्रीवास्तव तथा लेखक एवं कलाकार श्लोक रंजन द्वारा किया गया।संचालको ने कला गति और शब्दों के संयोजन से प्रतिभागियो को एक समग्र और संवेदनशील अनुभव प्रदान किया।इस अवसर पर अर्ज़ है संस्था ने सभी प्रतिभागियो के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में भी साहित्य कला और मानसिक कल्याण को जोड़ने वाली ऐसी पहलो को जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई।
2 hours and 51 min ago
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