सात दिवसीय श्री राम कथा का विश्राम शनिवार को समापन हुआ
![]()
कथा वाचिका पूज्या शास्त्री शाकाम्भरी द्विवेदी मानस मंजरी ने कथा के पूर्णाहुति दिवस पर भगवान श्री राम के राजतिलक प्रसंग का वर्णन की शास्त्री ने बताया कि रावण वध के बाद भगवान श्री राम पुष्पक विवान से अयोध्या लौटे सरयू नदी के तट पर अयोध्या वासी अपने आराध्य के स्वागत के लिए एकत्र थे। पूरी अयोध्या नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया था भगवान श्री राम विमान से उतरकर माता कौशल्या और माता सुमित्रा से मिले।जब उन्हे कैकेई माता नही दिखाई दी तो वे स्वयं राजमहल में उनके कच्छ में पहुंचे मां कह कर पुकारते हुए दौड़ पड़े संजय द्विवेदी, प्रयागराज।भगवान श्री राम ने उनके चरण स्पर्श कर उन्हें हृदय से लगाया और कहा कि माता आज आप ने राम को श्री राम बना दिया "मैया राम वन ना जाता तो आज राम बन ना पाता"।इस प्रसंग में श्रोताओ को करुणा क्षमता और मर्यादा का सन्देश दिया।कथा में आगे बताया गया कि अयोध्या में आनन्द और उल्लास का वातावरण छा गया। गुरु वरिष्ठ भगवान ने श्री राम के राजतिलक के लिए निमंत्रण भेजने शुरू किया।सबसे पहले निमंत्रण केवट को दिया गया। भगवान श्री राम जी से वनवास समय पूछा गया बहुमत आप के साथ है राजा क्यो नही बने आप केवल कैकेई और मंथरा आप के विरोध में है बाकी सब आप के साथ हैं वनवास क्यों आ गए भगवान श्री राम जी ने बताया राम राजा जरूर बनेगा पर बहुमत के साथ नहीं सर्वमत के साथ भगवान श्री राम के राजा बनते ही पूरी अयोध्या में दिव्य वातावरण हो गया चारों तरफ शंख घंटा नगाड़ा की ध्वनी होने लगी वेद मंत्रो का उच्चारण प्रारम्भ हो गया तथा श्री सीताराम का जय घोष होने लगा।- नहि दरिद्र कोउ दुखी न दीना।नहि कोउ अबुध न लच्छन हीना। अयोध्या में कोई दरिद्र नहीं रहा कोई दुखी भी नहीं रहा यही नहीं प्रभु का राज तिलक होते ही दैहिक दैविक भौतिक तापा।राम राज नहिं काहुहि ब्यापा सब नर करहिं परस्पर प्रीती।चलहि स्वधर्म निरत श्रुति नीती 'रामराज्य' में किसी को दैहिक दैविक और भौतिक तकलीफ नही थी।सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते थे और वेदों में बताई हुई नीति (मर्यादा)में तत्पर रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते है। समापन के साथ ही श्रद्धालुओ ने जय श्री राम के जय घोष किये। आयोजन के मुख्य यजमान, रमेश मिश्रा उमेश मिश्रा कमल मिश्रा शरद मिश्रा रंजन मिश्रा विनोद मिश्रा गौरव मिश्रा सौरव मिश्रा राजेश मिश्रा छैल बिहारी दास मानस केसरी शिवम द्विवेदी भारी संख्या में आदि भक्त जन मौजूद रहे।

कथा वाचिका पूज्या शास्त्री शाकाम्भरी द्विवेदी मानस मंजरी ने कथा के पूर्णाहुति दिवस पर भगवान श्री राम के राजतिलक प्रसंग का वर्णन की शास्त्री ने बताया कि रावण वध के बाद भगवान श्री राम पुष्पक विवान से अयोध्या लौटे सरयू नदी के तट पर अयोध्या वासी अपने आराध्य के स्वागत के लिए एकत्र थे। पूरी अयोध्या नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया था भगवान श्री राम विमान से उतरकर माता कौशल्या और माता सुमित्रा से मिले।जब उन्हे कैकेई माता नही दिखाई दी तो वे स्वयं राजमहल में उनके कच्छ में पहुंचे मां कह कर पुकारते हुए दौड़ पड़े संजय द्विवेदी, प्रयागराज।भगवान श्री राम ने उनके चरण स्पर्श कर उन्हें हृदय से लगाया और कहा कि माता आज आप ने राम को श्री राम बना दिया "मैया राम वन ना जाता तो आज राम बन ना पाता"।इस प्रसंग में श्रोताओ को करुणा क्षमता और मर्यादा का सन्देश दिया।कथा में आगे बताया गया कि अयोध्या में आनन्द और उल्लास का वातावरण छा गया। गुरु वरिष्ठ भगवान ने श्री राम के राजतिलक के लिए निमंत्रण भेजने शुरू किया।सबसे पहले निमंत्रण केवट को दिया गया। भगवान श्री राम जी से वनवास समय पूछा गया बहुमत आप के साथ है राजा क्यो नही बने आप केवल कैकेई और मंथरा आप के विरोध में है बाकी सब आप के साथ हैं वनवास क्यों आ गए भगवान श्री राम जी ने बताया राम राजा जरूर बनेगा पर बहुमत के साथ नहीं सर्वमत के साथ भगवान श्री राम के राजा बनते ही पूरी अयोध्या में दिव्य वातावरण हो गया चारों तरफ शंख घंटा नगाड़ा की ध्वनी होने लगी वेद मंत्रो का उच्चारण प्रारम्भ हो गया तथा श्री सीताराम का जय घोष होने लगा।- नहि दरिद्र कोउ दुखी न दीना।नहि कोउ अबुध न लच्छन हीना। अयोध्या में कोई दरिद्र नहीं रहा कोई दुखी भी नहीं रहा यही नहीं प्रभु का राज तिलक होते ही दैहिक दैविक भौतिक तापा।राम राज नहिं काहुहि ब्यापा सब नर करहिं परस्पर प्रीती।चलहि स्वधर्म निरत श्रुति नीती 'रामराज्य' में किसी को दैहिक दैविक और भौतिक तकलीफ नही थी।सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते थे और वेदों में बताई हुई नीति (मर्यादा)में तत्पर रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते है। समापन के साथ ही श्रद्धालुओ ने जय श्री राम के जय घोष किये। आयोजन के मुख्य यजमान, रमेश मिश्रा उमेश मिश्रा कमल मिश्रा शरद मिश्रा रंजन मिश्रा विनोद मिश्रा गौरव मिश्रा सौरव मिश्रा राजेश मिश्रा छैल बिहारी दास मानस केसरी शिवम द्विवेदी भारी संख्या में आदि भक्त जन मौजूद रहे।

जन शिकायत पर लापरवाही क्षम्य नही-सजय पाण्डेय जन समस्याओ की शिकायती प्रार्थना पत्र का अवलोकन कर निस्तारण कराकर रिपोर्ट दे-संदीप तिवारी
संजय द्विवेदी।प्रयागराज।कटरा स्थित द पाम्स रिसोर्ट–रॉयल गार्डन(लक्ष्मी टॉकीज के सामने)में आयोजित 11दिवसीय प्रयागराज पुस्तक मेला 2025 के दूसरे दिन शुक्रवार को पुस्तक प्रेमियों की उल्लेखनीय उपस्थिति देखने को मिली।भले ही माघ मेला आरंभ होने में अभी समय शेष है लेकिन उससे पहले ही यह पुस्तक मेला शहरवासियो और साहित्य प्रेमियो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।मेला“विजन 2047: विकसित भारत–विकसित प्रदेश” की थीम पर आधारित है।
जनता की समस्याओं का होगा समाधान
मुक्त विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ:विचार एवं व्यवहार विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला
संजय द्विवेदी।प्रयागराज।सरस्वती शिशु मन्दिर किदवई नगर अल्लापुर प्रयागराज में शिशु सभा के अंतर्गत भैया-बहनो द्वारा किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस अवसर पर समाज के प्रतिष्ठित व्यवसायी एवं भारतीय सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष सतीश गुप्त एवं सीमा गुप्ता वरिष्ठ प्रवक्ता मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया।प्रधानाचार्या मीरा पाठक द्वारा मुख्य अतिथियो का परिचय प्रस्तुत किया गया तथा उनका सम्मान किया गया।कार्यक्रम में भैया-बहनो द्वारा सरस्वती वंदना स्वागत गीत देशभक्ति गीत लोकनृत्य संस्कृत गीत एवं श्लोक जैसी मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी गई।विद्यार्थियो ने अपनी कला और प्रतिभा से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।मुख्य अतिथि ने अपने कर- कमलो से सभी भैया-बहनो को प्रशस्ति पत्र एवं उपहार प्रदान कर उनका मनोबल बढ़ाया। अपने सम्बोधन में उन्होने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम विद्यार्थियो के सर्वागीण विकास में सहायक होते है तथा उनमें आत्मविश्वास एवं रचनात्मकता का विकास करते है।कार्यक्रम में समस्त आचार्य परिवार उपस्थित रहे।
जनता की समस्याओ का होगा समाधान।
2 hours and 59 min ago
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0.3k