100 ग्राम गांजा बरामद, 5 साल चला केस…सजा सिर्फ 30 दिन; गजब है रांची की ये कहानी
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झारखंड की राजधानी रांची में 100 ग्राम गांजा बरामदगी का एक केस इन दिनों चर्चा में है. यह केस लगभग पांच साल तक अदालत में चलता रहा. अब एनडीपीएस विशेष अदालत ने इस पर फैसला सुनाते हुए आरोपी को दोषी करार दिया है और उसे 30 दिन की सजा सुनाई. अदालत ने माना कि आरोपी पहले ही 30 दिन न्यायिक हिरासत में बिता चुका है, इसलिए उसी अवधि को उसकी सजा मानते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया गया है.
दरअसल, दिसंबर 2020 में नगड़ी थाना क्षेत्र के कटहल मोड़ चौक स्थित एक पान दुकान में गांजा और अन्य नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री की सूचना पुलिस को मिली थी. गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस टीम ने छापेमारी की और करमटोली गांव निवासी विमल भगत की पान गुमटी से लगभग 20 पुड़िया कुल करीब 100 ग्राम गांजा बरामद किया. छापेमारी के समय पुलिस ने स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी में जब्ती सूची तैयार की. बाद में एफएसएल रिपोर्ट में भी बरामद पदार्थ के गांजा होने की पुष्टि हुई.
5 साल तक चलता रहा केस
इसके बाद पुलिस ने विमल भगत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. करीब 30 दिन न्यायिक हिरासत में रहने के बाद उसे जमानत मिल गई. हालांकि, महज 100 ग्राम गांजा बरामदगी का यह मामला रांची की एनडीपीएस अदालत में पूरे पांच वर्ष तक चलता रहा. आखिरकार विशेष न्यायाधीश ओंकारनाथ चौधरी ने सुनवाई पूरी करते हुए विमल भगत को दोषी करार दिया, लेकिन उसके द्वारा पहले ही बिताए गए 30 दिनों की न्यायिक हिरासत को ही पर्याप्त सजा मानते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया.
क्यों मिली इतनी कम सजा?
वकीलों का कहना है कि यदि आरोपी ने सुनवाई के दौरान ही अपना दोष स्वीकार कर लिया होता, तो लंबे समय तक मुकदमे का सामना करने से बच सकता था. अदालत ने यह पाया कि युवक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और उसके पास से मिली मात्रा भी बहुत कम थी. ऐसे में उसे सुधार का अवसर देना उचित माना गया. आमतौर पर एनडीपीएस मामलों में आरोपी द्वारा दोष कबूल करने पर प्रक्रिया तेज हो जाती है, लेकिन विमल भगत ने ऐसा नहीं किया, जिसके कारण मात्र 100 ग्राम गांजा के मामले में उसे वर्षों तक ट्रायल से गुजरना पड़ा.








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1 hour and 49 min ago
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