IITF 2025 में झारखंड की विरासत: पैतकर, सोहराय कला और खादी ने जीता दर्शकों का दिल; लोककला को वैश्विक मंच पर मिली पहचान
नई दिल्ली: भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में इस वर्ष झारखंड पवेलियन कला, संस्कृति और कारीगर सशक्तिकरण का सबसे प्रभावशाली केंद्र बनकर उभरा है। पवेलियन में प्रदर्शित राज्य की समृद्ध लोककलाएँ, विशेषकर पैतकर और सोहराय कला, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले सरकारी प्रयासों ने देशभर से आए दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया है।
सोमवार को उद्योग सचिव-सह-स्थानिक आयुक्त श्री अरवा राजकमल ने सभी स्टॉलों का अवलोकन किया, कारीगरों की सराहना की और आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
पैतकर और सोहराय: सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन
झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड की पहल के कारण पवेलियन में पारंपरिक पैतकर और सोहराय कला की विरासत को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है।
पैतकर कला: यह सिंहभूम की विशिष्ट कथात्मक शैली है, जो सिंदूर, गेरू और खनिज रंगों से पुनर्नवीनीकृत कागज़ पर बनाई जाती है। स्टॉल संचालक गणेश गायन और जंतु गोपे ने बताया कि पेंटिंग के प्राकृतिक रंग पत्थर को चंदन की तरह घिसकर तैयार किए जाते हैं, जिनमें नीम और बबूल का गोंद मिलाया जाता है, जिससे पेंटिंग लंबे समय तक सुरक्षित रहती है।
सोहराय-कोहबर पेंटिंग: झारखंड की विश्व-प्रसिद्ध सोहराय कोहबर पेंटिंग अपनी विशिष्ट रेखाओं, बिंदुओं और पशु आकृतियों के लिए जानी जाती है। वर्ष 2020 में इस कला को जीआई टैग प्रदान किया गया। स्टॉल संचालक सन्तु कुमार ने बताया कि सोहराय कला के प्राकृतिक रंग लाल-पीली मिट्टी, कोयला और चूना से तैयार किए जाते हैं।
हाल के वर्षों में कोहबर कला पारंपरिक दीवारों से निकलकर अब वस्त्रों, होम डेकोर और लाइफस्टाइल उत्पादों पर अपनाई जा रही है।
झारखंड खादी ने किया आकर्षित
पवेलियन का खादी स्टॉल भी अत्यधिक लोकप्रिय रहा। यहाँ स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार प्राकृतिक फाइबर आधारित हाथ से काता सूत और प्राकृतिक रंगों से रंगे वस्त्रों ने दर्शकों की बड़ी संख्या को आकर्षित किया।
झारखंड की प्रसिद्ध तसर सिल्क, कटिया सिल्क और झारखंड खादी अपनी मुलायम बनावट, मौसम के अनुरूप आरामदायक पहनावे और टिकाऊपन के कारण दर्शकों को खूब लुभा रही है।
झारखंड पवेलियन न केवल परंपरागत कला का प्रदर्शन स्थल बना, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की व्यापक दृष्टि का भी जीवंत प्रतीक सिद्ध हुआ है।


नई दिल्ली: भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में इस वर्ष झारखंड पवेलियन कला, संस्कृति और कारीगर सशक्तिकरण का सबसे प्रभावशाली केंद्र बनकर उभरा है। पवेलियन में प्रदर्शित राज्य की समृद्ध लोककलाएँ, विशेषकर पैतकर और सोहराय कला, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले सरकारी प्रयासों ने देशभर से आए दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया है।







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2 hours and 13 min ago
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