संघर्ष से सफलता तक का सफर… जानें कैसे मोदी सरकार ने बदली आदिवासी भारत की तस्वीर
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एक दशक पहले तक आदिवासी शब्द संग पिछड़ेपन, दूरदराज गांवों में बुनियादी सुविधाओं की कमी, पानी के लिए मीलों चलती महिलाएं और रोजगार की तलाश में पलायन करते युवा… ये ही तस्वीरें जुड़ी रहती थीं. मगर, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ये तस्वीर बदल चुकी है. अब ये कहानी संघर्ष से आगे निकलकर सफलता और सम्मान की बन चुकी है. जो क्षेत्र कभी देश की भूली-बिसरी सीमा माना जाता था, वो अब विकास और गौरव का नया केंद्र बना है. पहली बार आदिवासी सशक्तिकरण नारा नहीं, बल्कि एक व्यापक आंदोलन बनकर उभरा है.
2014 में सत्ता में जब मोदी सरकार आई तो आदिवासी विकास का एक ढांचा मिला था. एक मंत्रालय और 4 हजार 498 करोड़ रुपये का बजट था. अब 42 मंत्रालय विकास कार्यों में सीधे जुड़े हैं. DAPST के तहत आदिवासी समुदायों पर केंद्रित खर्च 2014 के 24 हजार करोड़ से बढ़कर 202425 में .25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, यानी पांच गुना उछाल.
आदिवासी मामलों के मंत्रालय का बजट भी तीन गुना होकर 13 हजार करोड़ हो चुका है. DAPST के तहत अब 200 से अधिक योजनाएं चल रही हैं. 25 लाख वनाधिकार पट्टों से लेकर PMAY 2.0 के तहत 1.11 लाख मकानों तक आदिवासी विकास अब हाशिए का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता का विषय बन चुका है.
विकास को गांव-गांव तक ले जाने की पहल
PM जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (JUGA) आदिवासी विकास की नई पहचान बना है. 79 हजार 156 करोड़ की लागत और 17 मंत्रालयों की साझेदारी से यह अभियान 63 हजार 843 आदिवासी-बहुल गांवों और 112 आकांक्षी जिलों में 2029 तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने का लक्ष्य है.
सिर्फ एक साल में बड़े बदलाव दिखने लगे हैं, जिसमें 4 लाख से अधिक पक्के घर तैयार हैं. 700 के करीब छात्रावास निर्माणाधीन हैं. 70 मोबाइल मेडिकल यूनिट सक्रिय हैं. 26 हजार 500 गांवों तक पेयजल आपूर्ति है. 8 हजार 600 से अधिक घरों में बिजली है. 2 हजार 200 गांवों में मोबाइल नेटवर्क है. 280 से अधिक आंगनवाड़ी केंद्र चालू हैं.
साथ ही पीएम जनमन, जो 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) पर केंद्रित है, 19 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में समग्र विकास को गति दे रहा है. 90 हजार से अधिक पक्के घर, 92 हजार से ज्यादा घरों में बिजली, 700 मोबाइल मेडिकल यूनिट स्वीकृत, 6 हजार 700 गांवों तक पाइप जलापूर्ति, 1 हजार आंगनवाड़ी केंद्र सक्रिय हैं.
इन दोनों अभियानों ने यह सुनिश्चित किया है कि न कोई गांव दूर रह जाए और न कोई समुदाय पीछे, विकसित भारत की नींव अब जमीन पर दिखने लगी है. SEED स्कीम से डीएनटी समुदायों को नया आधार मिला है. 2019 में शुरू हुई सीड स्कीम ने विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों के लिए पहली बार व्यवस्थित सहायता दी. अब तक ₹53 करोड़ की मदद जारी की जा चुकी है, जिससे 53 हजार से अधिक लोग लाभान्वित हुए. 46 हजार को आजीविका सहायता, 551 को मुफ्त कोचिंग और 7 हजार लोगों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिला.









रांची: झारखंड राज्य स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगांठ (रजत जयंती समारोह) का मुख्य कार्यक्रम दिनांक 15 और 16 नवंबर को मोरहाबादी मैदान में आयोजित किया जाएगा। आज, 13 नवंबर 2025 को, उपायुक्त-सह-जिला दण्डाधिकारी श्री मंजूनाथ भजन्त्री एवं वरीय पुलिस अधीक्षक श्री राकेश रंजन ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन मुख्य कार्यक्रमों की विस्तृत रूपरेखा साझा की।


6 hours ago
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