वृहदारण्य उपनिषद् का अध्ययन मानव जीवन को इच्छारहित स्थिति की ओर ले जाता है:स्वामी अभेदानन्द सरस्वती
संजय द्विवेदी प्रयागराज।चिन्मय मिशन प्रयागराज के तत्वावधान में बुधवार को अमिलेश्वर महादेव मंदिर सभागार रसूलाबाद घाट रोड(महर्षि पतंजलि विद्यालय के सामने) में वृहदारण्य उपनिषद् के“मैलेयी प्राइझम”पर पूज्य स्वामी अभेदानंद सरस्वती जी ने गहन प्रवचन दिया।उन्होंने कहा कि उपनिषद् ‘इदम किया’को प्रकट करने का एकमात्र साधन है, इसलिए इसे प्रमाण कहा गया है।प्रमाण अर्थात वह जो ‘प्रभा’अर्थात ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न करे। उपनिषद् का यह ज्ञान शरणागत भाव से श्रद्धा और शुश्रूषा पूर्वक ही ग्रहण किया जा सकता है।
स्वामी ने कहा कि उपनिषद हमें भवसागर से पार कराने का मार्ग दिखाते है अर्थात “भव” यानी बनने की इच्छा और इच्छाओं के सागर से मुक्त होकर इच्छारहित स्थिति में पहुंचाना ही आत्मविद्या का परम लक्ष्य है— यही मानव जीवन का सच्चा उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि इच्छाओं का उदय और उनकी पूर्ति हमेशा परिच्छिन्न (सीमित)अहं में ही होती है। यही सीमित अहं ‘जीव’कहलाता है और इस सीमितता की अनुभूति का कारण अविद्या है।अतः उपनिषद् हमारे अहं के प्रति अज्ञान को दूर कर आत्मज्ञान की ओर ले जाते है।
चारो आश्रमो का विस्तृत विवेचन करते हुए पूज्य स्वामी अभेदानंद सरस्वती जी ने कहा कि गृहस्थ आश्रम में श्रद्धा विनय और गुरु आज्ञा के पालन से कर्तव्यपरायणता तथा आदर्श जीवन के संस्कार विकसित होते है।ब्रह्मचर्य आश्रम व्यक्ति को संयम और सेवा का पाठ पढ़ाता है।वही गृहस्थ जीवन में कर्मयोग का पालन, कर्तव्यनिष्ठा और ईश्वर के प्रति प्रसन्नता का भाव मनुष्य की उन्नति का आधार बनता है।
उन्होने कहा कि जब मनुष्य कर्म को फल की आसक्ति से मुक्त होकर ईश्वरार्पण भाव से करता है, तब वह धीरे-धीरे आंतरिक शांति की ओर अग्रसर होता है।ऐसा जीवन जीने वाला व्यक्ति वानप्रस्थ आश्रम में उपासना और आत्ममंथन के योग्य बनता है।उस अवस्था में उसकी दृष्टि व्यापक और ईश्वरमय हो जाती है।जब यह दृष्टि पूर्णतःपरिपक्व होती है तब साधक अनुभव करता है कि सब कुछ ईश्वर ही है वही अनंत है।यही अनुभूति अद्वैत ब्रह्म की प्राप्ति कहलाती है।
स्वामी ने कहा कि उपनिषद हमें इस ब्रह्म सत्य का बोध कराते हैं कि जो कुछ भी है वह उसी अनंत ब्रह्म से ही उत्पन्न हुआ है।जब साधक इस सत्य को अनुभव कर लेता है तो उसके जीवन से भय मोह और इच्छा समाप्त हो जाते है और वही मुक्ति की स्थिति है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु साधक और विद्यार्थियो ने भाग लिया।सभी ने स्वामी अभेदानंद सरस्वती के प्रेरणादायी प्रवचन को आत्मसात किया।अंत में सामूहिक प्रार्थना और आरती के साथ कथा का समापन हुआ।
Nov 06 2025, 20:21
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0.6k