इल्म के लिए गुरु का होना जरूरी किताब ही काफी नहीं-अतिफ मियां।
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मदरसे के दस हुफ्फाजे किराम को दी गई सनद।
संजय द्विवेदी प्रयागराज।बताशा मंडी बहादुरगंज छोटा दायरा स्थित खानकाह मौलाना मोहम्मद विलायत हुसैन रहमतुल्लाह में चल रहा दीनी इदारा मदरसा अहमदिया फारूकिया शाख जामिया चिश्तिया में छठा सालाना जलसा-दस्तारबंदी का प्रोग्राम जोरों खरोश के साथ मुनकिद (आयोजित)किया गया।जलसा में दस हुफ्फाजे किराम को सर पर दस्तर-ए- हिफ्ज़ सजाए गए।साथ ही सनद(प्रमाण पत्र)शैखे- तरीकत हज़रत अस्साह अम्मार अहमद अहमदी उर्फ नय्यर मियाँ व सुहैब मियां ने दिया।जलसे को खिताब (सम्बोधन )हज़रत अल्लामा व मौलाना शैख- अब्दुल गनी मोहम्मद उर्फ अतीफ मियां क़िब्ला बदायूं सज्जादानशीन खानकाह आलिया कादरिया बदायूँ शरीफ ने किया।उन्होंने शीर्क व अकीदत पर बात की। आगे उन्होंने कहा कि बुजुर्गो और सूफियों के बगैर आदमी सीधे रास्ते पर नहीं चल सकता है।खानकाह में लंगर खाने के लिए सभी लोग पहुंचते है।आगे उन्होंने कहा कि उसमें जाती धर्म नहीं देखी जाती है।इल्म के लिए गुरु का होना जरूर है किताब ही काफी नहीं है। खानकाह के बुजुर्गों का सभी पर बराबर ख्याल व नजर रहता है।आज हमीं पर लोग सवाल करते हैं। इस मौके पर वली अहद रुदौली शरीफ शाह अहमद मियां, शाह आरिफ मियां, उमर मियां,हाफिज फखरुद्दीन साबरी,हाफिज सबानअल्लाह,मौलाना अनवर नईम अहमद, हाजी कमरुल हसन हाजी अब्दुल काफी सिद्दीकी सूफी हलीम सिकंदर शमीम मुख्य रूप से मौजूद रहे। शाह आरिफ मियां ने सभी का शुक्रिया अदा किया।प्रोग्राम का संचालन सबानअल्लाह ने किया।



















Nov 02 2025, 19:43
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