श्रीमद्भागवत कथा में पहुंचे पूर्व अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी लिया आशीर्वाद।
श्रीमद्भागवत कथा स्थल पर नीरज त्रिपाठी ने दिया आस्था और एकता का संदेश।
संजय द्विवेदी प्रयागराज।यमुनापार अन्तर्गत कौधियारा में जगह जगह चल रही श्रीमद्भागवत कथा में सोमवार को पूर्व अपर महाधिवक्ता उच्च न्यायालय उत्तर प्रदेश एवं निवर्तमान लोकसभा प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी ने पहुंचकर कथा श्रवण किया। उन्होंने कथा व्यास से आशीर्वाद प्राप्त किया और धर्म, भक्ति तथा समाज में एकता के संदेश को आत्मसात करने का आह्वान किया।
पूर्व अपर महाधिवक्ता उच्च न्यायालय उत्तर प्रदेश एवं निवर्तमान लोकसभा प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी सोमवार को अवधेश प्रसाद मिश्रा, सत्य प्रकाश तिवारी और शिव प्रकाश तिवारी के यहां आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में पहुंचे। उन्होंने कथा व्यास से आशीर्वाद प्राप्त किया और भक्ति तथा धर्म की महत्ता पर प्रकाश डाला।
कथा स्थल पर पहुंचने पर आयोजकों और श्रद्धालुओं ने नीरज त्रिपाठी का गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मात्र धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को नैतिकता, आस्था और एकता के सूत्र में पिरोने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करते हैं और युवा पीढ़ी को अपने संस्कारों से जोड़ने का कार्य करते हैं।
कथा स्थल पर भक्ति, संगीत और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम देखने को मिला। प्रवचन के दौरान कथा व्यास ने श्रीमद्भागवत के प्रसंगों के माध्यम से धर्म, प्रेम और करुणा का संदेश दिया। नीरज त्रिपाठी ने श्रद्धापूर्वक कथा श्रवण किया और साधु-संतों से आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता मानव जीवन को संतुलन और शांति प्रदान करती है तथा ऐसे आयोजनों से समाज में सद्भाव का वातावरण निर्मित होता है।
कथा में बड़ी संख्या में भक्तों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। उपस्थित जनसमूह ने कीर्तन और भक्ति गीतों का आनंद लेते हुए वातावरण को भक्तिमय बना दिया। नीरज त्रिपाठी ने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि प्रयागराज जैसी पवित्र भूमि पर ऐसे आयोजन समाज के लिए प्रेरणादायी हैं।
कार्यक्रम के दौरान अधिवक्ता सुभाष तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद रहे। अंत में नीरज त्रिपाठी ने जनसमूह से भेंटवार्ता की और उन्हें धर्म, आस्था तथा सामाजिक एकता के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। कथा स्थल भक्ति, संस्कृति और सद्भाव का जीवंत प्रतीक बन गया।



Oct 28 2025, 14:07
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