बीकेटी में युवक की गोली मारकर हत्या

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में संगीन वारदात होने का सिलसिला थम नहीं रहा है। ठाकुरगंज क्षेत्र में बुजुर्ग महिला की मौत का मामला शांत भी नहीं पड़ा था कि अब बीकेटी थाना क्षेत्र स्थित मामपुर गांव निवासी प्रदीप गौतम की हत्या कर बदमाशों ने पुलिस अफसरों को खुली चुनौती दे डाली। पुलिस इस मामले में संदिग्ध हालात में मौत होने की बात बताने में जुटी है, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो उसकी गोली मारकर जान ली गई है। पुलिस को घटनास्थल से शराब के पाउच मिले हैं। इससे आंशका जताई जा रही है युवक की गोली मारकर हत्या की गई है। पुलिस के मुताबिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही साफ होगा कि मौत कैसे हुई है।

बीकेटी क्षेत्र स्थित मामपुर गांव निवासी प्रदीप गौतम का खून से लथपथ शव शनिवार देर शाम गांव के बाहर सड़क किनारे पड़ा मिलने से इलाके में सनसनी फ़ैल गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस मामले की छानबीन कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।डीसीपी उत्तरी के मुताबिक जांच पड़ताल के दौरान प्रथम दृष्टया प्रदीप गौतम की हत्या की गई है और इसकी सूचना घरवालों को दे दी गई है। डीसीपी उत्तरी का कहना है कि हत्यारों की तलाश में क्राइम ब्रांच, स्थानीय पुलिस और सर्विलांस टीम को लगाया गया है और उम्मीद है कि जल्द ही हत्यारे पकड़ लिए जाएंगे। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

पुलिस ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर शुरू की पूछताछ

पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि प्रदीप को किसी परिचित ने शराब पीने के लिए बुलाया था। मौके से दो गिलास और शराब के पाउच मिलने से इस बात की पुष्टि होती है कि हत्या से पहले वहां पार्टी चल रही थी। आशंका है कि इसी दौरान किसी बात पर विवाद हुआ और गोली चला दी गई।पुलिस ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। अभी तक किसी ने औपचारिक तहरीर नहीं दी है, लेकिन पुलिस का कहना है कि हत्या का राज जल्द ही उजागर किया जाएगा।
सवर्ण समाज भाजपा को छोड़ने को क्यों मजबूर हो रहा है :कविता तिवारी
लखनऊ । मै राष्ट्रीय सवर्ण आर्मी राष्ट्रीय प्रचारक एवं प्रवक्ता कविता तिवारी वर्तमान परिवेश में राजनीतिक माहौल को देखते हुए आप सभी को बताना चाहती हूं कि सभी दलों के अपने अपने अपने वोटर हैं और सभी वोटरों के पास अपना अपना राजनैतिक दल है किंतु सवर्ण समाज एक ऐसा समाज जो मुख्यतया भारतीय जनता पार्टी को वोट करता है ऐसा नहीं है कि सवर्ण समाज अन्य दलों को या अन्य समाज के लोग भाजपा को वोट नहीं करते हैं किंतु सवर्ण समाज सबसे ज्यादा भाजपा को ही वोट करता है इस बात से झुठलाया नहीं जा सकता है
भाजपा की वर्तमान विचारधारा अब सवर्ण समाज को बहुत कम पसंद आ रही है कुछ मुद्दे ऐसे हैं सवर्ण समाज के जिस पर भाजपा भी काम नहीं कर रही है जैसे
ृ1.एससी /एसटीका दुरुपयोग जिससे सवर्ण समाज बहुत ही परेशान हो रहा है।
2. आरक्षण जो सवर्ण समाज के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है
3. लगातार खासकर उत्तर प्रदेश में सवर्ण समाज पर हो रहा अत्याचार जैसे ब्राह्मण हत्या
4. सनातन धर्म पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल एवं हिन्दू देवी देवताओं को अभद्र टिप्पणी
इन सभी विषयों पर भाजपा सरकार का कोई ठोस कदम नहीं उठाना एवं अन्य दलों की तरह दलित प्रेम सवर्ण समाज को मजबूर कर रही है भाजपा से मुंह मोड़ने को।
अतएव मैं तो यही कहूंगी कि यदि भाजपा इन सब मुद्दों पर विचार नहीं करेगी तो शायद सवर्ण समाज भी भाजपा के लिए विचार करना बंद कर सकता है यह मेरी अपनी विचारधारा है आपकी क्या राय है या आप मुझसे कितना सहमत हैं।
लखनऊ शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल के पहले दिन लक्ष्य माहेश्वरी की प्रस्तुति और 10 फिल्मों ने बांधा समां।


कलाकारों और महिलाओं को सशक्त बनाने में फेस्टिवल की भूमिका अहम : रीता बहुगुणा जोशी

कला को बढ़ावा देने के लिए अपनी क्षमता का उपयोग करें :धीरज सिंह

लखनऊ। एमरेन फाउंडेशन द्वारा आयोजित और उत्तर प्रदेश पर्यटन द्वारा संचालित लखनऊ शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल के छठे सीजन का उद्घाटन दिवस शांति और सदभाव की थीम को अपनाते हुए एक जीवंत शुरुआत का प्रतीक बना। यूपी संगीत नाटक अकादमी,गोमती नगर में आयोजित इस आयोजन ने युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक की भीड़ को आकर्षित किया। सार्वजनिक इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध न होने वाली विशेष शॉर्ट फिल्में, जो एफटीआईआई छात्रों और स्वतंत्र रचनाकारों द्वारा बनाई गईं ने ताजा सिनेमाई आवाजों की दुर्लभ झलक प्रदान की। भारत और विश्व भर से सैकड़ों प्रविष्टियों में से, 20 फिल्मों को दो-दिवसीय प्रदर्शन के लिए चुना गया, जो तमिल, मलयालम, बंगाली, गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी में हैं, जो स्वतंत्र भारतीय सिनेमा की जीवंतता को रेखांकित करती हैं। इन चयनित फिल्मों ने सामाजिक चुनौतियों से निपटने के विषयों को बुना—पशु कल्याण और बाल श्रम से लेकर मानसिक स्वास्थ्य, पूर्वाग्रह, पर्यावरणीय सह-अस्तित्व और अनकहे विदाई तक—दर्शकों को विभाजन के बीच एकता पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करते हुए। शॉर्टलिस्टेड फिल्मों का मूल्यांकन एक प्रतिष्ठित जूरी द्वारा किया गया है और फेस्टिवल के दूसरे दिन सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों को पुरस्कारों और नकद इनामों से सम्मानित किया जाएगा। एमरेन फाउंडेशन की सदस्य वंदना अग्रवाल ने शो की शुरुआत में दर्शकों का स्वागत किया उन्होंने सभी अतिथियों और मुख्य अतिथियों को अभिवादन किया, छठे सीजन के रचनात्मक अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक बंधनों को बढ़ावा देने पर उत्सव मनाने के लिए सभी का धन्यवाद दिया। समारोह की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुई, जिसका नेतृत्व मुख्य अतिथि प्रयागराज की पूर्व सांसद रीता बहुगुणा जोशी, एफटीआईआई पुणे के कुलपति धीरज सिंह, एमरेन फाउंडेशन की संस्थापक रेणुका टंडन और एफटीआईआई में रणनीति एवं नवाचार प्रमुख संतोष ओझा ने किया। रीता बहुगुणा जोशी प्रयागराज की पूर्व सांसद ने उद्घाटन समारोह के दौरान कलाकारों और महिलाओं को सशक्त बनाने में फेस्टिवल की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। “ उन्होंने एमरेन फाउंडेशन की संस्थापक रेणुका टंडन की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन हम सभी को प्रेरणा देते हैं। एफटीआईआई के कुलपति को यहां देखना अद्भुत है, जो हमारे युवाओं को उत्कृष्ट अभिनेता और फिल्म निर्माता बनने के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है यह अपने आप में एक राष्ट्र जैसा है,एमरेन फाउंडेशन यूपी के कलाकारों और महिला उद्यमियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है, जो उन्हें वित्तीय रूप से सशक्त बनाता है और उनकी स्वतंत्रता की रक्षा करता है। स्वयं एक महिला के रूप में मैं कहती हूं कि हमें समाज को बदलने के लिए उन जैसी अधिक महिलाओं की आवश्यकता है। फिल्म निर्माण वास्तविक जीवन से समानताएं खींचता है, जो राजनीति, समाज और संबंधों में सूक्ष्मताओं को दिखाता है जो हमें गहराई से प्रभावित करती हैं।” एफटीआईआई पुणे के कुलपति धीरज सिंह ने फेस्टिवल की भूमिका की प्रशंसा की, जो शॉर्ट फिल्मों को सिनेमा की शुद्ध अभिव्यक्ति के रूप में पोषित करती है। “हमें रेणुका जी जैसे अधिक दूरदर्शियों की आवश्यकता है, जो कला को बढ़ावा देने के लिए अपनी क्षमता का उपयोग करें। शॉर्ट फिल्में सिनेमाई सार के करीब हैं, व्यावसायिक दबावों से मुक्त। एफटीआईआई में हम सालाना दर्जनों बनाते हैं, फिर भी बाजार अनोखा है। लखनऊ द्वारा शॉर्ट फिल्मों को अपनाना और बढ़ावा देना हृदयस्पर्शी है। यूपी सिनेमा का संभावित केंद्र बनेगा, और ऐसे आयोजन प्रतिभाओं को आगे लाते हैं।” एमरेन फाउंडेशन की संस्थापक रेणुका टंडन ने उभरते रचनाकारों के लिए प्रेरणादायक संदेश के साथ सभा का स्वागत किया। “लखनऊ शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल हमेशा दया और रचनात्मकता के परस्पर क्रिया वाले स्थान को बनाने के बारे में रहा है। इस वर्ष, हम कलाकारों, फिल्म निर्माताओं और विचारकों को एक साथ लाने पर गर्व करते हैं जो मानते हैं कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं है—यह गतिशील सहानुभूति है। जितना हम याद रख सकते हैं, हमने हमेशा यह विश्वास किया है कि कहानियां चिकित्सा करने, जोड़ने और हमारी साझा मानवता की याद दिलाने की शक्ति रखती हैं।” कार्यक्रम निदेशक गौरव द्विवेदी ने कहा कि “लखनऊ का अपना शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल कुछ ऐसा है जिस पर सभी लखनऊवासी को गर्वान्वित और उत्साहित होना चाहिए, क्योंकि इसके छठे संस्करण में हम विश्व भर से कुछ शानदार फिल्में ला रहे हैं। ऐसी सुंदर कहानियां जो अधिकतम लोगों तक पहुंचनी चाहिए। इनमें से अधिकांश फिल्में सार्वजनिक प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल वह जगह है जहां आप इन्हें देख, महसूस और जी सकते हैं। एमरेन फाउंडेशन की उपाध्यक्ष ऋचा वैश्य ने कहा, “यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि दर्शक हर फिल्म से इतनी गहराई से जुड़ गए। लखनऊ के लोगों के दिलों में सिनेमा के लिए एक खास जगह है, और वह प्रेम पूरे उत्सव के दौरान साफ दिखा।” फेस्टिवल का एक विशेष आकर्षण "स्किलिंग इनिशिएटर्स" का प्रदर्शन था, जो एमरेन फाउंडेशन की फिल्म है, जो दक्ष पीठ के माध्यम से हो रहे परिवर्तनकारी कार्य को दर्शाती है। फिल्म ने दिखाया कि फाउंडेशन लखनऊ के पड़ोसी शहरों और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण भागों में महिलाओं को कार्यशालाओं, जागरूकता निर्माण और व्यावहारिक संसाधनों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने में कैसे सशक्त बना रहा है। एक अन्य विशेष खंड उत्तर प्रदेश पर्यटन द्वारा प्रस्तुत किया गया, जो राज्य भर में समुदायों को बांधने वाली सांस्कृतिक एकता और साझा विरासत पर केंद्रित था। फेस्टिवल में सिनेमाई किंवदंतियों राज कपूर और गुरु दत्त को भावपूर्ण श्रद्धांजलि भी शामिल की गई, जो एमरेन फाउंडेशन द्वारा सुंदरतापूर्वक निर्मित शॉर्ट मॉन्टेज के माध्यम से इसे प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्तुति ने दर्शकों को सिनेमा की स्थायी शक्ति की याद दिलाई जो समाज को प्रतिबिंबित और प्रभावित करती है। इस भावपूर्ण श्रद्धांजलि ने सभागार को गहन श्रद्धा और चिंतन की भावना से भर दिया। अभिनेत्री और लेखिका रेनिता कपूर ने फेस्टिवल को अपनी गहन व्यक्तिगत पुस्तक "रूहानी के पुराने खत" के लॉन्च से सुशोभित किया, जो आध्यात्मिक चिंतन और हृदयस्पर्शी भावनाओं से भरी भावपूर्ण पत्रों का संग्रह है। सभागार तालियों से गूंज उठा जब उन्होंने दर्शकों के सामने पुस्तक का अनावरण किया। उन्होंने चर्चा के दौरान इसके अंतरंग कथाओं की झलकियां साझा कीं और इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा क्या थी। आज की अंतिम प्रस्तुति में कथावाचक लक्ष्य माहेश्वरी ने "चार सहायकों की कहानी" को खूबसूरती से सुनाया, जो फिल्मों के पीछे के अनसुने क्रू—ग्रिप्स, लाइट टेक्नीशियन और प्रोडक्शन हैंड्स—को काव्यात्मक श्रद्धांजलि है, जो कहानियों को स्क्रीन तक पहुंचाते हैं। हास्य, कमजोरी और स्पोकन-वर्ड शायरी के अपने हस्ताक्षर मिश्रण से, उन्होंने उनके शांत बलिदानों और अराजक सेटों में लाए सद्भाव को रोशन किया, सिनेमा की सहयोगी भावना के लिए दिल छू लेने वाली श्रद्धांजलि के लिए सभी दर्शकों ने इसे सराहा। कार्यक्रम में एमरेन फाउंडेशन की उपाध्यक्ष ऋचा वैश्य, अम्बरीश टंडन, अनुष्का डालमिया, देव वर्मा, विपुल वी. गौर, उषा विश्वकर्मा,दीपक विश्वकर्मा और रेड ब्रिगेड टीम,रिया अग्रवाल, विभू कौशिक, वंदना अग्रवाल, रचना टंडन, विभा अग्रवाल, श्रेया रंजन, और नितीश गर्ग मौजूद थे। कल लखनऊ शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल 2025 का अंतिम दिन है, जहां प्रसिद्ध अभिनेता हूमा कुरैशी, जो गैंग्स ऑफ वासेपुर, मोनिका ओ माय डार्लिंग और जॉली एलएलबी 2 में अपनी शक्तिशाली भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं, और सनी सिंह, जो प्यार का पंचनामा 2 और सोनू के टिटू की स्वीटी में अपनी भूमिकाओं के लिए प्रसिद्ध हैं, आयोजन को शोभायमान करेंगे। शाम को अंतरराष्ट्रीय कलाकार संजुक्ता सिन्हा का मंत्रमुग्ध करने वाला नृत्य प्रदर्शन भी होगा, जो फेस्टिवल के भव्य समापन में कलात्मक शालीनता का स्पर्श जोड़ेगा। पहले दिन 10 शॉर्ट फिल्में प्रदर्शित की गई। सामाजिक धागों को संबोधित करते हुए लॉस्ट इन टेलीपोर्टेशन (एफटीआईआई) एक महिला का अपने पति के लिए हताश खोज, जो भविष्यवादी टेलीपोर्ट में खो गया, नौकरशाही उदासीनता और व्यक्तिगत हानि का सामना करती है, जो तकनीक के मानवीय संबंधों को बाधित करने और सहानुभूतिपूर्ण प्रणालियों की आवश्यकता को रेखांकित करती है। रिजॉल्व? चाइल्ड लेबर चौदह वर्षीय निश्चय अपनी परिवार की आजीविका के लिए कार्यशाला में श्रम करता है, उसका बढ़ता निराशा बाल शोषण के निर्दोषता और भविष्य की क्षमता पर तरंग प्रभावों को रेखांकित करता है, जो असुरक्षित घरों में सुरक्षात्मक सद्भाव की पुकार करता है। घुसेपीठिया कौन? एक तेंदुए का अदालती दुर्घटना घुसपैठ और न्याय पर सूरियाली संवाद को जन्म देती है, पशु कल्याण और मानवीय अतिक्रमण को संबोधित करते हुए, प्रकृति और कानूनी स्थानों के बीच सह-अस्तित्व की वकालत करती है। वीवर वंडर्स गुजरात के गांवों में बाया विडर्स घोंसले बनाते हैं, जो मनुष्यों के साथ अहिंसक सद्भाव का प्रतीक है, गांधी के आदर्शों से प्रेरित—पर्यावरणीय संरक्षण और ग्रामीण पारिस्थितिक संतुलन को सलाम। आजादी एक परिवार के आंतरिक संघर्ष आस्था और भय को धुंधला करते हैं, पूर्वाग्रह की विनाशकारी शक्ति को उजागर करते हुए, और घरेलू दीवारों के भीतर कट्टरवाद से सच्ची स्वतंत्रता की जांच करते हुए। ग्लो वर्म इन ए जंगल (एफटीआईआई) अवकाश प्राप्त प्रोफेसर हेमा साने शहरी अराजकता में ग्रिड-ऑफ रहती हैं, उनकी बुद्धि प्रकृति के साथ सतत सद्भाव को बढ़ावा देती है, सरल, बिजली-रहित जीवन के माध्यम से आधुनिक विच्छेदन का मुकाबला करती हुई। नॉट डिलीवरड एक युवक का अनदेखे संदेश से बिखरना मानसिक स्वास्थ्य अलगाव में डूब जाता है, जो अनदेखी संचारों के व्यक्तिगत शांति और संबंधों को तोड़ने को चित्रित करता है। एलओ-वी एक कार की सीमाओं में, मित्र ईमानदार समर्थन के साथ जीवन संकट को नेविगेट करते हैं, भावनात्मक कमजोरी को मजबूत, सद्भावपूर्ण बंधनों के मार्ग के रूप में खोजते हुए। सनफ्लावर्स वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो (एफटीआईआई) एक गांव का अनुष्ठान एक मुर्गे की चोरी से बाधित होता है, जो निर्वासन और नवीकरण को आमंत्रित करता है, सामुदायिक मिथकों पर चिंतन करते हुए और क्षमा के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था की पुनर्स्थापना को प्रतिबिंबित करता है। सोल कैचर बेल्जियन मूर्तिकार फ्रैंक वैनहूरन कला में मानवीय सार को कैद करतें है, सीमाओं के पार सांस्कृतिक संरक्षण और भावनात्मक चिकित्सा को रचनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से संबोधित करतें है।
प्रयागराज में पत्रकार की हत्या के विरोध में राजधानी में कैंडल मार्च



जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एसोसियेशन के बैनर तले पत्रकारों का विरोध प्रदर्शन

पत्रकारों की बुलंद आवाज बनेगा: जे पी ए

लखनऊ। प्रयागराज में पत्रकार लक्ष्मी नारायण सिंह की नृशंस हत्या के विरोध में राजधानी लखनऊ के 1090 चौराहे पर जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एसोसियेशन की ओर से कैंडल मार्च निकाला गया। इस मौके पर दिवंगत पत्रकार को श्रद्धांजलि देते हुए हत्यारों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की शासन और प्रशासन से मांग की गई। साथ ही यूपी सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग हुई। इस अवसर पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विवेक प्रताप सिंह ने पत्रकार की हत्या पर मामले की जांच कर, प्रदेश सरकार एवं प्रशासन से घटना में संलिप्त लोगों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा कि पत्रकारों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पत्रकारों की आवाज जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एसोसियेशन हर स्तर पर उठाएगा। उन्हें न्याय दिलाने का कार्य करेगा। संगठन के प्रवक्ता देवकीनंदन पांडे ने पत्रकार की हत्या लोकतंत्र की हत्या तथा चौथे स्तंभ को कमजोर करने का षड्यंत्र बताया। कार्यक्रम में जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एसोसियेशन के संरक्षक  जोगिंदर सिंह खालसा, शिव शंकर मिश्रा, विवेक विश्व पांडे, अशोक यादव, संगठन के उपाध्यक्ष रवि जायसवाल, कोषाध्यक्ष एवं विधि सलाहकार नरसिंह नारायण पांडेय, प्रदेश प्रवक्ता देवकीनंदन पांडे, प्रदेश के पदाधिकारी एवं जिले के पदाधिकारी, संगठन के सदस्य तथा सैकड़ो की संख्या में विभिन्न संस्थानो के सम्मानित पत्रकार उपस्थित रहे।
सुल्तानपुर में हुई ब्राह्मण की हत्या दलित युवकों ने की थी के न्याय की लड़ाई राष्ट्रीय सवर्ण आर्मी भारत लड़ेगी:  सूरज प्रसाद चौबे

लखनऊ । राष्ट्रीय सवर्ण आर्मी भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरज प्रसाद चौबे अखण्ड नगर थाना क्षेत्र जिला सुल्तानपुर में बुजुर्ग 70 वर्षीय उमाशंक दुबे की नृशंस हत्या विगत दो दिन पूर्व दलित युवकों ने मामूली बात पर कर दिया गया था के पीड़ित परिवार से मिले ,उनके साथ अंबेडकर नगर जिला अध्यक्ष उमंग उपाध्याय ,हजारों सवर्ण समाज के लोग थे , पीड़ित परिवार के लोगों ने बताया कि अखंड नगर पुलिस ने मृतक उमाशंकर दुबे ह्य बेटे सहित अन्य यहां तक कि महिलाओं को भी नहीं बक्सा सुल्तानपुर जिला प्रशासन स्थानीय विधायक के दबाव में काम कर रही है,स्थानीय विधायक के निष्पक्षता पर संदेश व्यक्त किया गया राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरज प्रसाद चौबे विधायक जी से बात करने का प्रयास किया पर बात नहीं हो सकी ,स्थानीय प्रशासन से न्याय हेतु मांग करते हुए कहा गया कि पीड़ित परिवार को शस्त्र लाइसेंस, पचास लाख मूवायजा ,साथ ही उन पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही किया जाय जो पीड़ित परिवार के साथ अन्यय किए , पुलीस अधीक्षक देर शाम तक थाना प्रभारी,सहित एक सब इंस्पेक्टर, दो बिट सिपाही पर कार्यवाही कर दिया है,आज हर नेता अपने समाज की बात कर रहा है पर मेरे सवर्ण  नेता वोट बैंक की बात कर रहे हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरज प्रसाद चौबे ने कहा कि अब यह गाना नहीं चलेगा कि पंडित चमार का सार लागे इसका सवर्ण समाज विरोध करेगी अगर यह गाना उलट कर सवर्ण गाया होता तो एससीएसटी एक्ट में जेल में होता।
मुख्यमंत्री योगी का बड़ा निर्णय, 30 वर्ष बाद बढ़ेंगे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के वित्तीय अधिकार*

*वर्ष 1995 में तय सीमाएं अब पुरानी, लागत बढ़ने के अनुरूप अब हो रहा वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण*

*मुख्य अभियंता को अब ₹10 करोड़, अधीक्षण अभियंता को ₹5 करोड़ तक कार्य स्वीकृति का अधिकार*


लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक निर्माण विभाग के विभागीय अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पाँच गुना तक की वृद्धि किए जाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि बदलावों से विभागीय अधिकारियों को निर्णय लेने में अधिक स्वायत्तता प्राप्त होगी। उच्च स्तर पर अनुमोदन की आवश्यकता घटने से निविदा, अनुबंध गठन एवं कार्यारंभ की प्रक्रिया में गति आएगी। यह सुधार वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने में सहायक होगा।

शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग की बैठक में यह तथ्य सामने आया कि विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकार वर्ष 1995 में निर्धारित किए गए थे। इस बीच निर्माण कार्यों की लागत में पाँच गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के अनुसार वर्ष 1995 की तुलना में वर्ष 2025 तक लगभग 5.52 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण आवश्यक है, जिससे निर्णय प्रक्रिया में तेजी आए और परियोजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध रूप से किया जा सके।

अपर मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग ने मुख्यमंत्री को सिविल, विद्युत एवं यांत्रिक कार्यों के लिए वित्तीय अधिकारों की वर्तमान व्यवस्था की जानकारी दी। विमर्श के उपरांत निर्णय लिया गया कि सिविल कार्यों के लिए अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों की सीमा अधिकतम पाँच गुना तक तथा विद्युत एवं यांत्रिक कार्यों के लिए कम से कम दो गुना तक बढ़ाई जाएगी।

मुख्यमंत्री के निर्णय के अनुसार मुख्य अभियंता को अब ₹2 करोड़ के स्थान पर ₹10 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार होगा। अधीक्षण अभियंता को ₹1 करोड़ से बढ़ाकर ₹5 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार दिया जाएगा। अधिशासी अभियंता के वित्तीय अधिकार ₹40 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ किए जाएंगे। सहायक अभियंता को भी सीमित दायरे में टेंडर स्वीकृति एवं छोटे कार्यों की अनुमति देने के अधिकार बढ़ाए जाएंगे। बता दें कि यह पुनर्निर्धारण तीन दशकों के बाद होने जा रहा है।

बैठक में उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) (उच्चतर) नियमावली, 1990 में संशोधन के माध्यम से विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग की सेवा संरचना, पदोन्नति व्यवस्था तथा वेतनमान के पुनर्गठन से जुड़े प्रस्तावों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।

बैठक में बताया गया कि नियमावली में किया जा रहा यह संशोधन विभागीय अभियंताओं की सेवा संरचना को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से किया गया है। संशोधित नियमावली में विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद सम्मिलित किया गया है। इसके साथ मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या में वृद्धि की गई है। नवसृजित पदों को नियमावली में समाहित करते हुए उनके पदोन्नति स्रोत, प्रक्रिया और वेतनमान को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जिससे सेवा संरचना अधिक पारदर्शी और संगठित हो सके।

बैठक में यह भी बताया गया कि मुख्य अभियंता (स्तर-एक) के पद पर पदोन्नति अब मुख्य अभियंता (स्तर-दो) से वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी। इसी प्रकार मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों पर भी पदोन्नति की प्रक्रिया को नियमावली में स्पष्ट किया गया है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप अधिशासी अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता (स्तर-एक) तक के पदों के वेतनमान और मैट्रिक्स पे लेवल भी निर्धारित किए गए हैं। इसके साथ चयन समिति की संरचना को अद्यतन किया गया है, ताकि पदोन्नति और नियुक्ति की कार्यवाही अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ की जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग राज्य की विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में एक प्रमुख विभाग है, इसलिए अभियंताओं की सेवा नियमावली को समयानुकूल, व्यावहारिक और पारदर्शी बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति व्यवस्था से विभाग की कार्यकुशलता, तकनीकी गुणवत्ता और सेवा भावना को नई दिशा मिलेगी।
शामली में एक लाख का इनामी बदमाश फैसल ढेर, पुलिस और बदमाशों में मुठभेड़

लखनऊ । शामली जनपद में थाना झिंझाना क्षेत्र के ग्राम भोगी माजरा के जंगल में पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ में एक कुख्यात इनामी अपराधी फैसल पुत्र अकील ढेर हो गया। फैसल पर लूट, हत्या और अन्य 17 आपराधिक मामलों के आरोप थे।

बदमाशों ने फायरिंग की और झिंझाना की तरफ भाग गए

जानकारी के अनुसार, 23 अक्टूबर को सुबह लगभग 6:15 बजे ग्राम वेदखेड़ी बाग के पास मोटरसाइकिल सवार दो अज्ञात बदमाशों ने ग्राम बरनावी थाना कैराना के एक दंपती से मोटरसाइकिल, मोबाइल और 3,000 रुपये नकद लूट लिए। विरोध करने पर बदमाशों ने फायरिंग की और झिंझाना की तरफ भाग गए।

स्वाट टीम और पुलिस ने मिलकर की कार्रवाई

सूचना पर शामली पुलिस, स्वाट टीम और थाना झिंझाना पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई की। बीती रात्रि आत्मरक्षार्थ की गई फायरिंग में फैसल घायल हो गया। कार्यवाही में पुलिस का सिपाही दीपक भी घायल हुआ। दोनों को उपचार हेतु पहले सीएचसी ऊन और फिर जिला अस्पताल शामली में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान फैसल को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि सिपाही दीपक उपचाराधीन हैं।

संजीव जीवा गैंग का सदस्य था फैसल

पुलिस ने मृतक फैसल के कब्जे से दो मोटरसाइकिल, लूटी गई प्लेटिना, मोबाइल, नगदी, दो 32 बोर पिस्टल, 9 जिन्दा और 5 खोखा कारतूस, आधार कार्ड, पैन कार्ड और एक ओप्पो मोबाइल बरामद किया। फैसल मुजफ्फरनगर का निवासी था और मूल रूप से मेरठ के लिसाड़ी गेट का रहने वाला था। वह संजीव जीवा गैंग का सक्रिय सदस्य था और उसके खिलाफ एक लाख रुपये का इनाम घोषित था।

फैसल के ऊपर कुल 17 आपराधिक मुकदमे दर्ज

एसपी ने बताया कि फैसल पर जनपद शामली और मुजफ्फरनगर में कुल 17 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें हत्या और लूट के गंभीर मामले भी शामिल हैं। पुलिस ने मामले में वैधानिक कार्रवाई शुरू कर दी है और फरार साथी की तलाश जारी है।
दीपावली पर की जगह तड़तड़ाई गोलियां, छह हत्या, तीन जख्मी


लखनऊ। डीजीपी के सख्त निर्देश के बावजूद भी बदमाशों ने कानून व्यवस्था चुनौती देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। दीपावली पर यूपी पुलिस भले ही सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर चाक-चौबंद रही‌ लेकिन जिस तरह से बदमाशों ने गोलियों की तड़तड़ाहट से  एक बार फिर से लोग खौफजदा हो गए। बीते तीन दिन में पांच स्थानों में गोली कांड की सूचना रही। इसी दौरान छह हत्याएं भी सामने आई हैं।

लखनऊ, कानपुर देहात, गोंडा व हरदोई जिले में गोलियां चली तो कई जगह लाठी-डंडे भी जमकर बरसे।
बदमाशों और दुस्साहसी लोग अवैध या लाइसेंसी असलहों से खुलेआम गोलियां बरसाते दिखे और पुलिस कहानी-कहानी खामोश नजर आई।
बदमाशों के दुस्साहस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि  कानपुर देहात  के गजनेर थाना क्षेत्र में दीपावली की रात 24 वर्षीय गौरव अवस्थी उर्फ शिबू की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वहीं लखनऊ के ठाकुरगंज स्थित कैम्पवेल रोड पर एकता नगर निवासी अधिवक्ता दीपेंद्र सिंह को गोली मारी गई।

दुबग्गा के शाहपुर भमरौली गांव में रहने वाले असलम को बदमाशों ने गोली मारकर घायल कर दिया।

पीजीआई थाना क्षेत्र के वृन्दावन योजना के रेवतापुर गांव में दीपावली पर झालर लगाने के विवाद में अनुज के ऊपर बदमाशों ने गोलियों से घायल कर दिया।

ठाकुरगंज क्षेत्र में पुरानी रंजिश को लेकर हुए विवाद में 20 वर्षीय उमेश को सलीम कबाड़ी के बेटे शाहरूख ने गोली मार दी।

गोंडा जिले के नगर कोतवाली इलाके में कलयुगी बेटे संदीप ने अपनी 58 वर्षीय मां कांति देवी की बेरहमी से हत्या कर दी।
हरदोई जिले के बेनीगंज थाना क्षेत्र के कोथवा अतरौली रोड पर बसहरा गांव निवासी 45 वर्षीय परशुराम सिंह उर्फ पप्पू का बेरहमी से कत्ल किया गया।

हरदोई जिले के कोतवाली देहात क्षेत्र स्थित चरौली गांव निवासी अनुप ने गर्भवती पत्नी को पीट-पीटकर मौत की नींद सुला दिया। ये वारदातें सिर्फ तीन दिनों के भीतर हुईं हैं। इससे यही लग रहा है कि यूपी पुलिस कानून-व्यवस्था को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद नहीं रही।
निबंध से कविता तक, चित्रों से विचार तक-दीपोत्सव में निखरी युवा प्रतिभा, विजेताओं का हुआ सम्मान- जयवीर सिंह

लखनऊ। दीपोत्सव-2025 केवल आध्यात्मिक आस्था और प्रकाश का पर्व नहीं रहा, बल्कि यह युवा प्रतिभा और रचनात्मकता का भी मंच बन गया। इस वर्ष आयोजित निबंध, कविता और चित्रकला प्रतियोगिताओं के विजेताओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भव्य समारोह में सम्मानित किया।

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की इस पहल का उद्देश्य छात्रों और युवाओं को दीपोत्सव की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और कलात्मक भावना को व्यक्त करने का अवसर देना था। हिमानी पांडेय और रोहन यादव को मुख्यमंत्री ने स्वयं प्रमाणपत्र प्रदान किए, जबकि अन्य विजेताओं के पुरस्कार डाक द्वारा भेजे जाएंगे। आयोजकों ने इसे युवाओं की रचनात्मकता और सहभागिता का उत्सव करार दिया, जिसने दीपोत्सव-2025 को और भी विशेष बना दिया।

निबंध प्रतियोगिता में आरुषि ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि देवांश दोराश्री द्वितीय और आदित्य धनराज तृतीय स्थान पर रहे। चित्रकला प्रतियोगिता में शरवरी खरे ने अपनी उत्कृष्ट कलाकृति से प्रथम स्थान हासिल किया, रीतू वर्मा द्वितीय स्थान पर रहीं और रोहन यादव को तृतीय स्थान मिला।

वहीं कविता प्रतियोगिता में अनुष्का महावर ने प्रथम, हिमानी पांडे ने द्वितीय और सत्यदेव मिश्र ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इन विजेताओं को दीपोत्सव के मुख्य कार्यक्रम में विशेष अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया।

कविता प्रतियोगिता की विजेता हिमानी पांडेय ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “मैं उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की बेहद आभारी हूं, जिन्होंने हम जैसे युवाओं को इतना सुंदर अवसर दिया।

मेरा पूरा परिवार दीपोत्सव समारोह को टीवी पर देख रहा था- यह सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि हम सबके लिए एक भावना बन गया है। मुझे खुशी है कि मैं इसका हिस्सा बनी।”

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, “प्रतियोगिताओं में मिली प्रविष्टियाँ अत्यंत सुंदर थीं। हमारे युवाओं ने जिस जोश और उत्साह के साथ भाग लिया, वह प्रेरणादायक है। एक ओर हजारों बच्चों की वालंटियर टीम ने 26,17, 215 दीपक जलाकर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, वहीं दूसरी ओर अयोध्या और आसपास के बच्चों ने ‘वानर सेना’ के रूप में भगवान श्रीराम का स्वागत किया। उनकी रचनात्मकता और भक्ति वाकई अद्भुत थी।”

इन प्रतियोगिताओं में पूरे उत्तर प्रदेश से भारी संख्या में प्रतिभाग हुआ, जिससे यह सिद्ध होता है कि दीपोत्सव का संदेश “अंधकार पर प्रकाश, विभाजन पर एकता” हर उम्र के लोगों के दिलों में गहराई से रचा-बसा है।

जब पवित्र नगरी लाखों दीपों की रोशनी से जगमगा रही थी, तब दीपोत्सव-2025 ने अनगिनत युवा मनों को भी आलोकित किया। यह साबित कर दिया कि अयोध्या की असली रोशनी तब सबसे अधिक दमकती है, जब उसे सृजन, प्रतिभा और सामूहिक भावना के माध्यम से साझा किया जाता है। इस पहल ने न केवल आध्यात्मिक उत्सव को नई ऊँचाइयाँ दीं, बल्कि युवाओं की रचनात्मक ऊर्जा और सहभागिता को भी प्रकट किया।

युवक ने इंदिरा नहर में लगाई छलांग, 24 घंटे बाद मिला शव
लखनऊ । राजधानी लखनऊ के पीजीआई क्षेत्र में पारिवारिक विवाद के चलते एक युवक ने इंदिरा नहर में कूदकर आत्महत्या कर ली। शनिवार को नहर में छलांग लगाने वाले युवक का शव रविवार दोपहर बरामद हुआ। मृतक की पहचान कल्ली पश्चिम निवासी बबलू शर्मा (26 वर्ष) के रूप में हुई है।

दंपती के बीच अक्सर मामूली बातों पर विवाद होता रहता था

पुलिस के मुताबिक, बबलू शर्मा मूल रूप से बाराबंकी के धारूपुर असंधरा के रहने वाले थे और वर्तमान में बढ़ई का काम करते थे। उनकी शादी पांच माह पहले दरियाबाद निवासी पूजा से हुई थी। परिजनों के अनुसार, विवाह के बाद से ही दंपती के बीच अक्सर मामूली बातों पर विवाद होता रहता था।

शनिवार को भी दोनों के बीच झगड़ा हुआ

शनिवार को भी दोनों के बीच झगड़ा हुआ। इसके बाद बबलू पत्नी को बाइक से मायके छोड़ने निकले। रास्ते में चिनहट स्थित इंदिरा नहर के पास उन्होंने पत्नी को बाइक से उतारा और कुछ दूरी आगे जाकर नहर में छलांग लगा दी।पत्नी पूजा जब थोड़ी देर बाद मौके पर पहुंची तो वहां पति की बाइक और अन्य सामान नहर किनारे पड़ा मिला। उसने तत्काल घटना की सूचना परिवार और पुलिस को दी।

परिवार की ओर से किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया

इंस्पेक्टर चिनहट दिनेश चंद्र मिश्र ने बताया कि पुलिस ने गोताखोरों की मदद से युवक की तलाश शुरू की और 24 घंटे बाद रविवार दोपहर बबलू का शव नहर से बरामद कर लिया गया।पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। फिलहाल परिवार की ओर से किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है।