*पत्रकारों पर बिना जांच दर्ज मुकदमों की शिकायत पुलिस कप्तान से* एसपी ने दिया आश्वासन मिलेगा न्याय,क्षेत्राधिकार को सौंपी जांच
फर्रुखाबाद ।सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लाख प्रयास के बाद भी कानून व्यवस्था पटरी से उतरती दिखाई दे रही है। इस व्यवस्था को संभालने में पुलिस की मुख्य भूमिका होती है। लेकिन जब सिस्टम अपने दायित्वों का सही निर्वहन करने में असफल हो जाए तो ऐसी स्थिति में सूबे की सरकार पर आरोप लगने तय हो जाते हैं। जिला फर्रुखाबाद में पुलिस व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं। जनता की समस्याओं का न्यायोचित ढंग से समाधान करने के लिए सूबे के मुखिया ने जिला अधिकारी से लेकर पुलिस कप्तान तक को पहले ही निर्देशित कर दिया है।
परंतु जब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया कर्मियों की ही नहीं सुनी जा रही और इन लोगों पर बेवजह फर्जी मुकदमे लिखे जा रहे हैं तो ऐसी स्थिति में कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त कैसे कहा जा सकता है। इसी जिले के थाना अमृतपुर में महिला एसएचओ द्वारा बिना जांच किये पत्रकारों पर कई मुकदमे लिख दिए गए। जिससे नाराज क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक पत्रकारों ने फर्रुखाबाद की कप्तान आरती सिंह के बंगले पर पहुंचकर पांच सूत्रीय मांगों को लेकर प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें प्रमुख रूप से पत्रकारों पर बिना जांच किये दर्ज किये जा रहे मुकदमे और थाने में दलालों के आवागमन आदि जैसे प्रमुख मुद्दे स्पष्ट किए गए थे। प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एसोसिएशन के अमृतपुर तहसील अध्यक्ष प्रताप सिंह यादव एवं महासचिव लक्ष्मी शरण सिंह राठौड़ व निशांत अवस्थी फर्रुखाबाद कप्तान से मिले। उन्होंने पत्रकारों को आश्वासन दिया कि दर्ज मुकदमों की नए सिरे से जांच होगी और न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उन्होंने इस जिम्मेदारी को क्षेत्राधिकार को सौंप दिया और उन्हें निर्देशित करते हुए कहा कि वह समय से अमृतपुर थाने की कार्य प्रणाली पर उठ सवालिया निशानों की जांच करें और उसकी जाँच रिपोर्ट मुख्यालय में प्रस्तुत करें।
बीते दिवस अमृतपुर थाना प्रभारी और क्षेत्रीय मीडिया के बीच तालमेल को लेकर हुई गर्माहट में मीडिया कर्मियों ने 22 अक्टूबर को अनशन करने की घोषणा की थी। मगर अधिकारियों के सुझाव पर इस अनशन को फिलहाल रोककर पुलिस कप्तान से मिलकर समस्या के निदान के लिए मुलाकात की और फिर इस मुलाकात के परिणाम स्वरूप मीडिया कर्मियों को आस्वस्त किया गया कि जांच के उपरांत उचित कार्रवाई की जाएगी।
इसके बाद अनशन प्रक्रिया को तब तक के लिए रोक दिया गया जब तक इस मांग का कोई निष्कर्ष नहीं निकल आता। अगर कुछ समय के बाद संतोषजनक कार्रवाई न हुई तो क्षेत्रीय मीडिया शहर के अन्य मीडिया कर्मियों के साथ मिलकर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एसोसिएशन के बैनर तले अनशन करने के लिए बाध्य होगा। जिसकी जानकारी पहले ही उच्च अधिकारियों को लिखित में दी जा चुकी है।












Oct 23 2025, 18:12
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