दिल्ली-एनसीआर में हवा जहरीली हुई, AQI 400 पार

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देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर दम घुटने लगा है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है। हालत यह है कि राजधानी में कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार हो गया है। दिल्ली-एनसीआर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ दीवाली की रातभर आतिशबाजी हुई। इसका असर ये हुआ कि मंगलवार की सुबह दिल्ली- एनसीआर में धुंध नजर आई और एयर क्वालिटी जहरीली हो गई।

आतिशबाजी के बाद भी पिछले साल से कम एक्यूआई

इस बार सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर ग्रीन पटाखों को चलाने की अनुमति दे दी थी। लिहाजा इस बार दिल्ली और एनसीआर में जमकर आतिशबाजी हुई और पटाखे भी चले। दिवाली की रात हवा में प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा था। हालांकि, देर रात हवा चलने से अपेक्षाकृत कम होता चला गया। पिछले कुछ सालों से दिल्ली और एनसीआर दिवाली के बाद एक्यूआई 500 के आसपास पहुंच रहा था। ऐसे में इस बार दिल्ली में हवा उतनी जहरीली नहीं हुई, जितना अनुमान लगाया जा रहा था।

कहा कितना एक्यूआई?

दिल्ली के कई इलाकों जैसे अक्षरधाम, आईटीओ, एम्स का AQI 300 के ऊपर (सुबह 8 बजे) दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, आज सुबह दिल्ली में इंडिया गेट के आसपास वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 342 दर्ज किया गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में है। दिल्ली में अक्षरधाम के आसपास वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 358 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में है। INA और AIIMS के पास भी हवा खराब है। 38 में से 36 मॉनिटरिंग स्टेशनों पर पॉल्यूशन का लेवल रेड जोन में रिकॉर्ड हुआ। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, सोमवार रात 10 बजे तक ही AQI 344 पार पहुंच था। द्वारका में AQI 417, अशोक विहार में 404, वजीरपुर में 423 और आनंद विहार में 404 रहा था।

ग्रैप-2 को किया गया एक्टिव

दिल्ली में वायु गुणवत्ता का संकट गहरा गया है। इसके कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के स्टेज-2 को तेजी से सक्रिय करना पड़ा है। सीएक्यूएम की ग्रैप उप-समिति की एक तत्काल बैठक बुलाई गई, जिसमें भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के पूर्वानुमानों की समीक्षा की गई, जिसमें स्थानीय उत्सर्जन, स्थिर हवाओं और तापमान इनवर्जन के कारण आने वाले दिनों में निरंतर 'बहुत खराब' स्थिति (301-400) बने रहने की आशंका जताई गई।

बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी जेएमएम, कांग्रेस-आरजेडी पर लगाया ये गंभीर आरोप

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हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने बिहार में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है। पार्टी ने महागठबंधन के सहयोगी दलों राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन दोनों दलों पर राजनीतिक साजिश का आरोप लगाते हुए पार्टी ने कहा है कि वह आनेवाले दिनों में इस गठबंधन पर फिर से विचार करेगी। इस बड़े राजनीतिक फैसले की घोषणा झारखंड सरकार में नगर विकास मंत्री एवं बिहार चुनाव प्रभारी सुदिव्य कुमार सोनू ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर की।

राजनीतिक धूर्तता का लगाया आरोप

झारखंड सरकार में नगर विकास मंत्री एवं बिहार चुनाव प्रभारी सुदिव्य कुमार सोनू ने तीखे लहजे में कहा कि बहुत दुख और आक्रोश के साथ कहना पड़ रहा है कि राजद और कांग्रेस ने झामुमो के साथ खुला राजनीतिक धोखा किया है। गठबंधन के नाम पर हमें अंधेरे में रखा गया, और हमारी हिस्सेदारी को साजिश के तहत कुचल दिया गया। झामुमो की प्रतिबद्धता और समर्पण के बावजूद हमारे साथ धूर्तता की गई।

कांग्रेस-आरजेडी के साथ अलायंस का रिव्यू करेगी जेएमएम

सुदिव्य कुमार सोनू ने गे कहा कि पार्टी झारखंड में कांग्रेस और आरजेडी के साथ अलायंस का रिव्यू करेगी और इस राजनीतिक धूर्तता का जवाब देगी। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड की भावनाएं आहत की गई है। उन्होंने कहा था कि जेएमएम ने 2019 और 2024 में राजद और कांग्रेस के विधायकों को झारखंड कैबिनेट में सम्मान दिया, लेकिन बिहार में उनके कार्यकर्ताओं के आत्मसम्मान से समझौता किया जा रहा है।

पहले किया था 6 सीटों पर लड़ने का ऐलान

इससे पहले जेएमएम के बिहार विधानसभा का चुनाव ना लड़ने के इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। दरअसल, पार्टी ने मात्र दो दिन पहले बिहार में 6 सीटों (जमुई, चकाई, धमदाहा, मनिहारी, पीरपैंती और कटोरिया) पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।

बिहार विधानसभा चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया समाप्त, महागठबंधन में नहीं बनी बात, 243 सीटों पर 254 प्रत्याशी उतारे

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बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और आखिरी फेज के लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया सोमवार को खत्म हो गई। चुनाव आयोग के मुताबिक, पहले फेज के चुनाव के लिए कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं। दूसरे फेज के प्रत्याशियों की स्थिति 23 अक्टूबर तक साफ होगी। इस बीच, दूसरे फेज के आखिरी दिन तक इंडिया गठबंधन में फूट, टिकट बंटवारे पर नाराजगी और अंदरूनी बगावत दिखी। इन चुनावों के लिए महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। अब, महागठबंधन ने 243 सीटों पर 254 प्रत्याशी उतार राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है।

महागठबंधन ने 243 सीटों पर 254 प्रत्याशी उतारे

आरजेडी ने इनमें से 143 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि साल 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में उसने 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। वहीं, कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनावों के लिए 61 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस को पिछली बार साझेदारी में 70 सीटें मिली थीं, जिनमें 19 सीटों पर उसने जीत हासिल की थी। भाकपा माले ने 20, वीआईपी ने 15, सीपीआई ने नौ, सीपीएम ने चार और आईआईपी ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। यानी कुल मिलाकर 254 सीट।

इन सीटों पर 'फ्रेंडली फ़ाइट'

बिहार में 243 विधानसभा सीट है। महागठबंधन ने 254 सीटों पर उम्मीदवार को उतारा है। 4 सीट पर कांग्रेस और आरजेडी आमने-सामने है। इसमें सिकंदरा, कहलगांव, सुल्तानगंज, वैशाली, लालगंज और वारिसलीगंज सीट शामिल है। चैनपुर और बाबू बरही सीट पर वीआईपी और आरजेडी आपस में भिड़ती नजर आएगी। 4 सीट छवाड़ा, करगहर, बिहारशरीफ और राजापाकर सीट पर कांग्रेस और सीपीआई के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी।

इन सीटों पर कांग्रेस-आरजेडी के उम्मीदवार आमने-सामने:

• सिकंदरा

उदय नारायण चौधरी (आरजेडी)

विनोद चौधरी (कांग्रेस)

• कहलगांव

रजनीश भारती (आरजेडी)

प्रवीण कुमार कुशवाहा (कांग्रेस)

• सुल्तानगंज

ललन यादव (कांग्रेस)

चंदन सिन्हा (आरजेडी)

• वैशाली

अजय कुशवाहा (आरजेडी)

संजीव सिंह (कांग्रेस)

• लालगंज

शिवानी शुक्ला (आरजेडी)

आदित्य कुमार (कांग्रेस)

• वारिसलीगंज

सतीश कुमार (कांग्रेस)

अनीता (आरजेडी)

यहां कांग्रेस और सीपीआई आमने-सामने

• बछवाड़ा

शिव प्रकाश ग़रीब दास (कांग्रेस)

अवधेश राय (सीपीआई)

• करगहर

संतोष मिश्रा (कांग्रेस)

महेंद्र गुप्ता (सीपीआई)

• बिहार शरीफ़

ओमैर ख़ान (कांग्रेस)

शिव कुमार यादव (सीपीआई)

• राजापाकर

प्रतिमा दास (कांग्रेस)

मोहित पासवान (सीपीआई)

बिहार में महागठबंधन से अलग हुई जेएमएम, छह सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की प्रक्रिया इस वक्त अपने चरम पर है। राज्य में चुनाव दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को होंगे। पहले फेज में 121 सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर थी, जिसके बाद नामांकन पत्रों की जांच और स्क्रूटनी चल रही है, जिसमें कई प्रत्याशियों के नामांकन रद्द भी हुए हैं। वहीं, दूसरे फेज में 122 सीटों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर है। एक तरफ चुनावी प्रकिया आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ महागबंधन की रार थमने का नाम नहीं ले रही है।

जेएमएम ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही महागठबंधन में तकरार की कई बार खबरें सामने आई हैं। हालांकि कई नेताओं की तरफ से ये दावा किया गया कि सब कुछ ठीक है। पहले दौर की वोटिंग के लिए नामांकन खत्म हो चुका है और अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। यही वजह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। जेएमएम कुल 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली है।

बिहार की इन सीटों पर चुनाव लड़ेगा जेएमएम

झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पार्टी बिहार में छह सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। भट्टाचार्य ने कहा, पार्टी ने बिहार चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है। वह छह विधानसभा सीट चकाई, धमदाहा, कटोरिया (सुरक्षित), मनिहारी (सुरक्षित), जमुई और पीरपैंती (सुरक्षित) पर चुनाव लड़ेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी बिहार में अधिक सीट पर चुनाव लड़ने पर विचार करेगी, भट्टाचार्य ने कहा, हम इस मामले पर चर्चा कर रहे हैं, सीटों की संख्या बढ़कर 10 हो सकती है।

सकारात्मक जवाब नहीं मिला- मनोज पांडे

वहीं, महागठबंधन से अलग होने पर झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा हर पहलू पर बातचीत चल रही थी, लेकिन जब हमें सकारात्मक जवाब नहीं मिला और हमारी मांगी गई सीटों की संख्या भी नहीं दी गई। एक राजनीतिक दल के पास क्या विकल्प बचते हैं? इसलिए, हम पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे।

क्या महागठबंधन को भुगतना होगा खामियाजा?

मनोज पांडे ने कहा कि हमें महागठबंधन में कम आंका गया है। जबकि पूरे देश ने हमारे नेता और हमारी पार्टी के करिश्मे को देखा है। हमने कैसे फासीवादी ताकतों को झारखंड में चुनाव हराया था। उन्होंने कहा कि बिहार के सीमावर्ती इलाकों में हमारी पार्टी का अच्छा-खासा दबदबा है। अगर हम एकजुट रहते, तो भारत गठबंधन और भी प्रभावशाली प्रदर्शन करता, लेकिन हमें नजरअंदाज कर दिया गया। इसलिए, महागठबंधन को इसके परिणाम भुगतने होंगे

कौन हैं साबिर अली जिन्हें जेडायू ने अमौर से उतारा, कभी मोदी की प्रशंसा पर पार्टी से निकाले गए

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बिहार में पूर्णिया की अमौर सीट अचानक से हाई प्रोफाइल सीट बन गई है। इसकी वजह बनें हैं, राज्यसभा के पूर्व सदस्य साबिर अली। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच जनता दल (यूनाइटेड) ने शनिवार को एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए राज्यसभा के पूर्व सदस्य साबिर अली को अमौर विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि यही साबिर अली वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करने पर पार्टी से निष्कासित कर दिए गए थे।

आखिरी समय में जेडीयू का बड़ा फैसला

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करने पर 11 वर्ष पहले जनता दल यूनाइटेड (जद(यू)) से निष्कासित किए गए राज्यसभा के पूर्व सदस्य साबिर अली की फिर से पार्टी में वापसी हो गई है। साबिर अली को पार्टी ने शनिवार को अमौर विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया। जेडीयू ने आखिरी समय में बड़ा फैसला लेते हुए पूर्णिया की अमौर सीट पर कैंडिडेट बदल दिया। पूर्णिया की अमौर सीट से पार्टी ने नामांकन की अंतिम तारीख से ठीक एक दिन पहले अपने घोषित प्रत्याशी सबा ज़फर का टिकट काट दिया है। जेडीयू ने अमौर से अपना प्रत्याशी बदल दिया। 

नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे साबिर

कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने वाले, राज्यसभा में जेडीयू का चेहरा रहे साबिर अली आज फिर उसी पार्टी में लौट आए हैं, जहां से उन्होंने सियासत की शुरुआत की थी। राजनीति में उनका आगमन 2000 के दशक में हुआ और नीतीश कुमार के नेतृत्व से प्रभावित होकर उन्होंने जेडीयू जॉइन की। 

2008 में जेडीयू से पहुंचे राज्यसभा

जेडीयू ने उनकी मेहनत और प्रभाव को देखा और 2008 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया। वहां वे 2008 से 2014 तक जेडीयू के चेहरे बने रहे। राज्यसभा में जेडीयू की आवाज बनकर उन्होंने पार्टी के मुद्दों को मजबूती से उठाया। साबिर अली मुस्लिम समुदाय में लोकप्रिय थे। सीमांचल और पूर्वी चंपारण में उनकी अच्छी पकड़ थी। लोग उन्हें एक मेहनती और प्रभावशाली नेता के रूप में जानने लगे। लेकिन, साबिर अली के चढ़ाव के बाद उतार का दौर भी आया।

पीएम मोदी की तारीफ के बाद सियासी पतन

बिहार के पूर्वी चंपारण में जन्मे साबिर अली को 2014 में ही पीएम मोदी की तारीफ करने के चलते जदयू ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। जेडीयू से निकाले जाने के बाद वे लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में चले गए और फिर वहां से भाजपा की ओर रुख किया। लेकिन उन पर लगे पुराने दाग साबिर अली पर भारी पड़े और फिर उन्हें बीजेपी ने भी कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी। दरअसल, कुछ भाजपा नेताओं ने सार्वजनिक रूप से उनके बयानबाज़ी पर सवाल उठाए। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि उन्हें इंडियन मुजाहिदीन के यासीन भटकल से जोड़ने के आरोप लगे। 2014 में ही भाजपा उनकी एंट्री रोक दी गई। इन घटनाओं ने साबिर अली को सियासत के निचले पायदान पर ला दिया और वे कुछ समय के लिए गुमनामी में चले गए।

कांग्रेस ने पीएम मोदी को बताया “मौनी बाबा”, पर साधा निशाना, ट्रंप के रूस से तेल खरीद के दावे पर साधा निशाना

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत और रूस के बीच कच्चा तेल खरीदने संबंधी दावे को लेकर देश का सियासी पारा हाई है। कांग्रेस लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रही है। इस बीच कांग्रेस ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए उन्हें 'मौनी बाबा' बताया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए एक्स पर एक पोस्ट किया है

क्या बोले जयराम रमेश?

जयराम रमेश ने शनिवार को 'एक्स' पर पोस्ट किया, 'राष्ट्रपति ट्रंप ने एक बार फिर कहा है कि उनके 'अच्छे दोस्त' ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल के आयात में कटौती करेगा। लेकिन वह 'अच्छे दोस्त' उस वक्त अचानक 'मौनी बाबा' बन जाते हैं जब राष्ट्रपति ट्रंप कहते हैं कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर रुकवा दिया है और अब जब वह कहते हैं कि भारत रूस से तेल का आयात कम कर देगा।'

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा के बाद तंज

रमेश ने एक्स पर किए अपने पोस्ट में आगे लिखा कि अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 54.4 अरब डॉलर तक बढ़ गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 49.6 अरब डॉलर था। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने फिर दावा किया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा और वह तनाव घटा रहा है और पीछे हट रहा है। यह दूसरी बार है जब ट्रंप ने ऐसा बयान दिया है।

ट्रंप ने क्या दावा किया?

इससे पहले गुरूवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि नई दिल्ली रूसी कच्चे तेल की खरीद बंद कर देगा। रूस से कच्चे तेल के आयात को लेकर ट्रंप के पिछले दावे के बाद भारत सरकार ने कहा था कि वह बाजार की परिस्थितियों के अनुरूप ऊर्जा स्रोत के आधार को व्यापक और विविध बना रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्रंप के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना सरकार की निरंतर प्राथमिकता रही है।

पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक में अफगानिस्तान के तीन क्रिकेटरों समेत 8 की मौत, एसीबी ने उठाया बड़ा कदम

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पिछले कुछ दिनों से सैन्य झड़प हो रही है। यह संघर्ष पिछले हफ्ते शुरू हुआ जब इस्लामाबाद ने काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर हमला किया। हालांकि, 8 अक्टूबर से जारी संघर्ष के बाद बुधवार शाम को सीजफायर पर सहमति बनी थी। लेकिन शुक्रवार रात पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हवाई हमले कर दिए। पाकिस्तानी सेना ने पक्तिका प्रांत में एयर स्ट्राइक की और रिहायशी घरों को निशाना बनाया गया, जिसमें कई युवा क्रिकेटर्स ने भी अपनी जान गंवा दी। 

अफगानिस्तान ने ट्राई सीरीज से नाम वापस लिया

इस बात की पुष्टि खुद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने की है। अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने बताया कि कबीर आगा, सिबघातुल्लाह और हारून नाम के 3 अफगानी क्रिकेटर्स की इस हमले में जान गई। पाकिस्तान की इस घटिया हरकत के बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ होने वाली ट्राई सीरीज से अपना नाम वापस ले लिया है। यह सीरीज 5 से 29 नवंबर के बीच लाहौर और रावलपिंडी में खेली जानी थी। लेकिन, पाकिस्तान के एयरस्ट्राइक के बाद यह फैसला लिया गया। 

8 डोमेस्टिक और क्लब स्तर के खिलाड़ियों की मौत

अफगानिस्तान की मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तानी हमले में कुल 8 अफगानिस्तान के डोमेस्टिक और क्लब स्तर के खिलाड़ियों की मौत हुई है। जानकारी के मुताबिक ये आठों खिलाड़ी शराना इलाके में मैच खेल कर जीत का जश्न मनाने अर्गुन इलाके में आए थे, जब पाकिस्तानी सेना ने रिहाइशी इलाके में हवाई हमला कर दिया। इसके बाद पूरी इमारत मलबे में बदल गई।

हमले के खिलाफ राशिद खान का पोस्ट

अफगानिस्तान टीम के कप्तान राशिद खान ने भी घटना पर दुख जताया और सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि 'अफगानिस्तान पर पाकिस्तान के हालिया हवाई हमले में मारे गए नागरिकों की मौत से मैं बेहद दुखी हूं। राशिद खान ने कहा कि 'नागरिक ठिकानों पर हमला पूरी तरह से अनैतिक और निर्मम है। यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और इसके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।

ठप हुई IRCTC की वेबसाइट-एप, तत्काल टिकट नहीं हो सका बुक, त्योहार से लोग परेशान


इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) की वेबसाइट शुक्रवार को फिर तकनीकी खामियों की वजह से ठप हो गई। इस कारण त्योहारी सीजन में ऑनलाइन टिकट बुक करने की कोशिश कर रहे यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। त्योहार में जब लाखों लोग यात्रा की योजना बना रहे होते हैं, तब IRCTC की वेबसाइट और मोबाइल ऐप का सर्वर शुक्रवार को अचानक डाउन हो गया। कुछ घंटों के लिए न वेबसाइट और न ही ऐप से टिकट बुक हो पा रहा था। इस तकनीकी खराबी के कारण तत्काल टिकट की भी बुकिंग ठप हो गई, जिससे हजारों यात्री मुश्किल में फंस गए।

हर रोज सुबह 10 बजे आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर एसी श्रेणी की तत्काल टिकट बुकिंग शुरू होती है, जबकि नॉन-एसी टिकटों की बुकिंग 11 बजे से खुलती है। शुक्रवार को धनतेरस (शनिवार) के सफर के लिए तत्काल टिकट बुकिंग का समय था, लेकिन वेबसाइट के डाउन होने से यात्रियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। जिन लोगों ने त्योहार पर घर जाने के लिए टिकट बुक करने की योजना बनाई थी, उन्हें बड़ी निराशा हाथ लगी।

सोशल मीडिया पर फूट रहा गुस्‍सा

IRCTC वेबसाइट डाउन होने से लोगों का गुस्‍सा सोशल मीडिया में फूट रहा है। एक यूजर श्रीराम श्रीनिवासन ने एक्‍स पर लिखा कि त्योहारों के लिए तत्काल बुकिंग के दौरान IRCTC की वेबसाइट बहुत आसानी से डाउनटाइम में चली जाती है। क्या इसके लिए कोई जवाबदेह नहीं है और किसी से कोई पूछताछ नहीं की जाएगी? लाखों यूजर्स त्योहारों के लिए IRCTC से बुकिंग करते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, IRCTC वेबसाइट में तकनीकी दिक्‍कत आ गई। तत्‍काल टिकट बुकिंग के टाइम पर ठप पड़ गई। एक यूजर नवाव आलम ने एक्‍स पर लिखा कि तत्‍काल टिकट बुकिंग का समय है और डिस्‍प्‍ले पर ‘डाउनटाइम’ मैसेज लिखा हुआ आ रहा है। यूजर मांग कर रहे हैं कि इस समस्‍या से तत्‍काल निपटा जाए और पीक आवर्स में होने वाली बुकिंग को स्‍मूद बनाया जाए।

पहले भी कई बार हो चुकी है ऐसी परेशानी

यह पहली बार नहीं है जब आईआरसीटीसी की वेबसाइट डाउन हुई है। इससे पहले दिसंबर 2024 में भी ऐसे ही हालात बने थे, जब साइट एक ही महीने में तीन बार ठप हुई थी। इस बार भी यह समस्या ऐसे समय पर आई है जब त्योहारों का मौसम चल रहा है और लोग अधिक संख्या में टिकट बुक कर रहे हैं। खासतौर पर धनतेरस से एक दिन पहले यह दिक्कत सामने आई, जब तत्काल टिकट की बुकिंग शुरू होती है।

हर दिन लाखों टिकट होते हैं बुक

IRCTC की वेबसाइट और ऐप के जरिए हर दिन लगभग 12.5 लाख टिकट बुक किए जाते हैं। भारतीय रेलवे में जितने भी टिकट बुक होते हैं, उनमें से करीब 84% टिकट केवल इसी प्लेटफॉर्म से खरीदे जाते हैं। ऐसे में जब भी वेबसाइट या ऐप काम नहीं करता, लाखों लोगों को इसका नुकसान होता है।

अमेरिकी सिंगर मैरी मिलबेन ने राहुल गांधी को लगाई फटकार, पीएम मोदी की बुराई पर हुईं नाराज

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस के तेल खरीद पर बड़ा बयान दिया। ट्रंप के इस बयान को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत सरकार पर निशाना साधा, जिसे लेकर मशहूर अमेरिकी सिंगर मैरी मिलबेन उनके ऊपर भड़क उठीं। अमेरिकी सिंगर मैरी मिलबेन ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को फटकारते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से नहीं डरते हैं।

मोदी दूरदर्शी, ट्रंप से नहीं डरते-मैरी

अमेरिकी सिंगर मिलबेन ने 'एक्स' पर राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि आप गलत हैं। पीएम मोदी राष्ट्रपति ट्रंप से नहीं डरते। पीएम मोदी दूरगामी सोच को समझते हैं। अमेरिका के साथ उनकी कूटनीति रणनीतिक है। जिस तरह राष्ट्रपति हमेशा अमेरिका के हितों को सर्वोपरि रखेंगे, उसी तरह प्रधानमंत्री मोदी भी वही करेंगे जो भारत के लिए सबसे अच्छा होगा। और मैं इसकी सराहना करती हूं। राष्ट्राध्यक्ष यही करते हैं। वे वही करते और कहते हैं जो उनके देश के लिए सबसे अच्छा होता है।

राहुल गांधी को जमकर सुनाई खरी-खोटी

मैरी यहीं नहीं रूकी, उन्होंने आगे कहा कि मैं आपसे इस तरह के नेतृत्व को समझने की उम्मीद नहीं करती, न हीं आपको भारत का प्रधानमंत्री बनने के योग्य मानती हूं। बेहतर होगा कि आप अपने "मुझे भारत से नफरत है" वाले दौरे पर वापस लौट जाएं, जिसके दर्शक सिर्फ आप ही हैं।

क्या बोले थे राहुल?

दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल में ही पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से डरते हैं, इसी कारण वह बार-बार उन्हें बधाई देते हैं। अब राहुल के इस बयान पर अमेरिकी पॉप सिंगर मैरी मिलबेन ने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई है।

भारत में काफी लोकप्रिय अमेरिकी सिंगर

बता दें कि अमेरिकी पॉप सिंगर मैरी मिलबेन भारत में भी काफी लोकप्रिय हैं। वो पहली बार चर्चा में तब आईं जब उन्होंने 2020 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारतीय राष्ट्रगान गाया था। इसके साथ ही उन्होंने दिवाली के उत्सव के लिए 'ओम जय जगदीश हरे' गाकर भारतीय लोगों के दिलों में अपनी छाप छोड़ दी थी। वहीं साल 2022 में मिलबेन को स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रस्तुति के लिए भारत आमंत्रित किया गया था। इसके अलावा जून 2023 में मैरी मिलबेन ने अमेरिका और भारत में तब सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने अमेरिका के दौरे पर गए पीएम मोदी के सामने राष्ट्रगान प्रस्तुत किया था।

बीजेपी सांसद का पूर्व पीएम राजीव गांधी पर बड़ा आरोप, बोले-राहुल गांधी के पिताजी स्वीडन की कंपनी के एजेंट थे

#nishikantdubeyvscongressrahulrajivgandhi

भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने एक बार फिर कांग्रेस और राहुल गांधी पर बड़ा गंभीर आरोप लगाया है। निशिंकात दुबे ने राहुल गांधी को उनके पिता और पूर्व पीएम राजीव गांधी के नाम पर घेरा। बीजेपी सांसद ने दावा किया गया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी एक स्वीडिश सैन्य कंपनी के एजेंट थे।

निशिकांत दुबे ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर राहुल गांधी पर उनके पिता का नाम लेकर जोरदार हमला बोला। दुबे ने सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज शेयर किया। इसमें दावा किया गया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी एक स्वीडिश सैन्य कंपनी के एजेंट थे। उन्होंने आगे कहा कि इसका मतलब है कि वह 1970 के दशक में दलाली में शामिल थे।

फाइटर जेट सौदे में राजीव गांधी की भूमिका पर उठाया था सवाल

यह पहला मौका नहीं है, जब निशिकांत ने राजीव गांधी को लेकर कोई बयान दिया है। इससे पहले जुलाई में भी दुबे ने विकीलीक्स की एक पुरानी रिपोर्ट के हवाले से राजीव और इंदिरा गांधी पर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि 1970 के दशक में एक फाइटर जेट सौदे में राजीव गांधी ने ‘बिचौलिये’ की भूमिका निभाई थी।

इंदिरा गांधी पर रक्षा सौदों में ज़्यादा हस्तक्षेप का आरोप

भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने डिफेंस डील में 'हद से ज़्यादा दखलंदाज़ी' की थी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा कि 2013 में विकीलीक्स ने चौंकाने वाले खुलासे किए थे। दुबे ने अपने पोस्ट में लिखा, "21 अक्टूबर 1975 को एक स्वीडिश डिप्लोमैट ने अमेरिकी सरकार को बताया कि साब-स्कैनिया कंपनी भारत को विगेन फाइटर जेट बेचना चाहती थी, और उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पायलट बेटे राजीव गांधी बिचौलिये की तरह काम कर रहे थे।" उन्होंने यह भी कहा कि इंदिरा गांधी रक्षा सौदों में ज़्यादा हस्तक्षेप करती थीं।