रसड़ा एसडीएम रवि कुमार ने किया परीक्षा केंद्र का निरीक्षण
आचार्य ओमप्रकाश वर्मा नगरा बलिया! नगर पंचायत नगरा स्थित जनता इंटर कॉलेज को पीसीएस प्री परीक्षा के लिए केंद्र बनाया गया है। यह परीक्षा 12 अक्तूबर को होगी। इस केंद्र पर 384 अभ्यर्थी परीक्षा देंगे। केंद्र व्यवस्थापक, प्रधानाचार्य डॉ. उमेश चंद पांडेय ने बताया कि विद्यालय के तरफ से सीसीटीवी कैमरों को ठीक कराया जा रहा है। परीक्षा एजेंसी की ओर से भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। परीक्षा 16 कमरों में होगी। उपजिलाधिकारी रसड़ा रविकुमार ने सुबह परीक्षा केंद्र का निरीक्षण कर दिशा-निर्देश दिए। इधर कॉलेज के सभागार में कक्ष निरीक्षकों का प्रशिक्षण भी हुआ। केंद्र व्यवस्थापक ने कक्ष निरीक्षकों को परीक्षा की शुचिता हर कीमत पर बनाए रखने के लिए निर्देशित किया।
खंडहर बने सामुदायिक शौचालय के निर्माण की मांग, मंत्री को लिखा गया पत्र
आचार्य ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)। भाजपा आईटी विभाग के ज़िला संयोजक जयप्रकाश जायसवाल ने नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री डॉ. ए.के. शर्मा को पत्र लिखकर नगरा नगर पंचायत क्षेत्र में खंडहर बने सामुदायिक शौचालय के पुनर्निर्माण की मांग की है। उन्होंने बताया कि उक्त शौचालय लंबे समय से जर्जर अवस्था में पड़ा है, जिससे क्षेत्रवासियों, दुकानदारों और राहगीरों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। श्री जायसवाल ने कहा कि इस समस्या की जानकारी कई बार नगर पंचायत नगरा को दी गई, परंतु अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने मंत्री से हस्तक्षेप कर जल्द से जल्द सामुदायिक शौचालय का निर्माण कार्य प्रारंभ कराने की अपील की है, ताकि आमजन को राहत मिल सके।
राजतंत्र की वापसी किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं – रामगोविंद चौधरी बोले, लोकतंत्र बचाने को जान भी कुर्बान करेंगे
संजीव सिंह बलिया! उत्तर प्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष और बागी बलिया के सपूत रामगोविंद चौधरी ने शनिवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि मरना मंजूर है लेकिन राजतंत्र की वापसी नहीं। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान, लोकतंत्र, न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका गठित करने के लिए प्रतिनिधि चुनने का समान अधिकार और स्वतंत्रता अनगिनत बलिदानों के बाद मिली है। इसे बचाने के लिए यदि जान भी देनी पड़े तो तैयार हैं, लेकिन किसी भी परिस्थिति में राजतंत्री व्यवस्था का पुनः आगमन स्वीकार नहीं करेंगे।शनिवार को अपने आवास पर लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी बाबू) के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए रामगोविंद चौधरी ने अडानी-अंबानी के धन और लाठी के प्रभाव पर कटाक्ष किया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके कारिंदे और कुछ लोग देश में फिर से राजतंत्र की बहाली का सपना संजो रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसे लोग जल्द ही पीडीए के दरवाजों पर गिड़गिड़ाते नजर आएंगे, और यही समय होगा उनके मंसूबों पर पानी फेरने का।रामगोविंद चौधरी ने चेतावनी देते हुए कहा कि लोकतंत्र विरोधी ताकतें लोगों को डराने, सताने और धन का लालच देकर राजतंत्र वापसी के पक्ष में वोट या समर्थन हासिल करने की कोशिश करेंगी। उन्होंने इन लोगों को शिकारी और आम जनता को गौरैया के समान बताते हुए कहा कि हमें अपनी जान, इज्जत, खेत और बाग बचाने हैं, जबकि वे सिर्फ अपना राजपाठ वापस पाना चाहते हैं।उन्होंने यह भी कहा कि इस सच्चाई को जन-जन तक पहुंचाना ही जेपी बाबू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसी उद्देश्य से 22 नवम्बर को बांसडीह में एक विशाल सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें सिर्फ समाजवादी पार्टी ही नहीं बल्कि वो सभी लोग आमंत्रित होंगे जो राजतंत्र की वापसी के खिलाफ हैं।इस मौके पर सुशील कुमार पाण्डेय ‘कान्हजी’, रंजीत चौधरी, अंचल यादव, राजेंद्र जी, सुनील कुमार, प्रियांशु यादव आदि ने भी अपने विचार रखे और लोकतंत्र की रक्षा के संकल्प को दोहराया।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने मुलायम सिंह यादव की पुण्यतिथि पर किया संविधान और सामाजिक न्याय की अपार श्रद्धांजलि
संजीव सिंह बलिया! पूर्व नेता प्रतिपक्ष श्री रामगोविन्द चौधरी ने लखनऊ आवास पर श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव की पुण्यतिथि पर अर्धशतकीय श्रद्धांजलि अर्पित कीपूर्व नेता प्रतिपक्ष श्री रामगोविन्द चौधरी ने लखनऊ स्थित अपने आवास पर समाजवादी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व रक्षा मंत्री श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि देश और प्रदेश में संविधान का शासन पुनः स्थापित करना तथा सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक रूप से कमजोर वर्गों को न्याय दिलाना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी का लक्ष्य दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, अल्पसंख्यक और गरीब सवर्णों सहित सभी वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करते हुए समान न्याय सुनिश्चित करना है।श्री रामगोविन्द चौधरी ने श्रद्धेय नेता जी के महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यों और आरक्षण नीति में उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुसार ओबीसी को 27%, अनुसूचित जाति को 21% तथा अनुसूचित जनजाति को 2% आरक्षण दिलाकर शिक्षा और सरकारी सेवाओं में सामाजिक सशक्तिकरण को प्रोत्साहित किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने पंचायती राज और नगर निकायों में आरक्षण का प्रावधान कर स्थानीय राजनीति में पिछड़े और दलित वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की।उन्होंने फूलन देवी के पुनर्वास, निषाद मछुआरों के लिए पट्टा वितरण और 17 अति पिछड़ी जातियों को दलित दर्जा दिलाने जैसे साहसिक और संवेदनशील कदमों को भी याद किया। श्री चौधरी ने कहा कि श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव ने जिंदगी भर सामंती सत्ता को चुनौती दी और पिछड़ों, दलितों व अल्पसंख्यकों को सत्ता में हिस्सेदारी दिलाकर उत्तर प्रदेश की राजनीति का स्वरूप बदला।कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के national पदाधिकारी व वरिष्ठ सदस्य भी उपस्थित थे, जिनमें श्री रंजीत चौधरी, प्रियांशु राज यादव, वीरेंद्र सिंह यादव, विंध्यवासिनी कुमार, रविंद्र सिंह, बबलू यादव, सुनील राम, नरेश राम, जितेंद्र राजभर, सोनू यादव, अनुराग चौधरी और आकाश शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन सुशील कुमार पाण्डेय कान्हजी ने किया।यह आयोजन श्रद्धेय नेता जी को नमन और उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का संकल्प रहा।
मसुरिया गांव में सरकारी धन के दुरुपयोग की गंभीर शिकायत, उच्चाधिकारियों से निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग
संजीव सिंह बलिया।क्षेत्र पंचायत नगरा के ग्रामसभा मसुरिया में सरकारी योजनाओं के तहत आवंटित धन के दुरुपयोग का मामला ग्रामीणों के सामने आया है। ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान और उनके प्रतिनिधियों पर विकास कार्यों में सरकारी धन का गड़बड़ तरीके से उपयोग करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। इस कड़ी में उप जिलाधिकारी बेल्थरारोड एवं जिला प्रशासन सहित उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर मामले की त्वरित और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गई है।शिकायतकर्ताओं ने बताया कि ग्राम प्रधान ने विकास कार्यों के नाम पर जो धन आवंटित हुआ, उसका सही तरीके से उपयोग नहीं किया गया। गांव की सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं और टूटी सड़कों की मरम्मत नहीं की गई है, जिससे ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही खुले नाले और खराब हैंडपंपों की मरम्मत भी नही कराई गई। ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क रोशन करने के लिए आवंटित स्ट्रीट लाइटों का पैसा भी निकाल लिया गया, परंतु गांव में कोई लाइटें नहीं लगाई गईं।स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण कार्यों में भी मनमानी बरती गई है। कई ऐसे लाभार्थी हैं जिनके नाम पर शौचालय के निर्माण का पैसा निकाल लिया गया, जबकि असली में कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ। इसके अलावा मनरेगा योजना में फर्जी मजदूरों के नाम से भुगतान करने का आरोप भी लगाया गया है, जबकि कार्य स्थल पर कोई काम नहीं हुआ है।इन अनियमितताओं से गांव का विकास पूरी तरह प्रभावित हुआ है और भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंच गया है। शिकायत में यह बात भी कही गई है कि गांव के गरीब और असहाय परिवार सरकारी योजनाओं का लाभ से वंचित रह गए हैं।मसुरिया के वरिष्ठ समाजसेवी और अधिवक्ता प्रदीप कुमार सिंह ने कहा, “गांव के विकास कार्यों में पारदर्शिता लाना बेहद जरूरी है। प्रशासन को तुरंत जांच कराकर सरकारी धन के सही उपयोग को सुनिश्चित करना चाहिए। यदि जांच निष्पक्ष हुई तो सच्चाई सामने आ जाएगी।” लोकायुक्त को भी जांच हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है।सूत्रों की मानें तो प्रशासन ने इस गंभीर शिकायत को संज्ञान में लेते हुए शीघ्र ही जांच टीम गठित करने की संभावना जताई है। ग्रामीण इस बार भ्रष्टाचार पर लगाम लगने और मसुरिया गांव के विकास में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं।
JSSK योजना में खुला भ्रष्टाचार का जाल — प्रसूताओं को मिलना चाहिए था पोषण, पर अधिकारी खा गए हक
अमर बहादुर सिंह बलिया शहर बलिया: केंद्र सरकार द्वारा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए चलाई जा रही जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) की जमीनी हकीकत जनपद बलिया में कुछ और ही कहानी कहती है। यह योजना जहां गरीब और जरूरतमंद गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान साबित होनी चाहिए थी, वहीं अब यह कुछ स्वास्थ्य कर्मियों और अधिकारियों के लिए धन कमाने का जरिया बन गई है। योजना के तहत सरकार ने गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए 102 एम्बुलेंस सेवा की सुविधा दी है, ताकि कोई भी महिला सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल तक आसानी से पहुंच सके। इसके अलावा प्रसव के बाद महिलाओं को 48 से 72 घंटे अस्पताल में भर्ती रखकर 300 रुपये की भोजन एवं देखभाल सुविधा, साथ ही दवाओं की निःशुल्क आपूर्ति (ड्रग सप्लाई) की व्यवस्था की गई है। लेकिन हकीकत यह है कि ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव के महज 1 से 2 घंटे बाद ही महिलाओं को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। जबकि सरकारी नियम के अनुसार उन्हें 2 से 3 दिन तक अस्पताल में रहना चाहिए, ताकि प्रसवोत्तर जटिलताओं जैसे PPH (Post Partum Hemorrhage), Eclampsia, या अन्य संक्रमणों से बचाव किया जा सके। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह स्थिति जनपद बलिया के लगभग सभी ब्लॉकों में पिछले 10 वर्षों से जारी है। प्रसूताओं को घर भेज देने के बाद उनके नाम से 300 रुपये प्रति महिला का बिल दिखाकर राशि निकाल ली जाती है। इस प्रकार प्रतिवर्ष लाखों-करोड़ों रुपये की बंदरबांट ब्लॉक से जिला स्तर तक होती है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा इस योजना की न तो नियमित मॉनिटरिंग होती है और न ही कोई आकस्मिक जांच। यही कारण है कि इस घोटाले की परतें अब तक नहीं खुल सकी हैं। यदि जिला प्रशासन या शासन स्तर से समय-समय पर ऑडिट और स्वतंत्र जांच कराई जाती, तो JSSK जैसी कल्याणकारी योजना आज वाकई में महिलाओं के जीवन की सुरक्षा का प्रतीक बन सकती थी। लेकिन दुर्भाग्यवश, जिनके जिम्मे योजना की सफलता है, वही इसकी विफलता का कारण बन गए हैं। स्थानीय सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने सरकार से मांग की है कि बलिया जनपद समेत पूरे प्रदेश में JSSK योजना की विस्तृत जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी गरीब माताओं के अधिकारों पर डाका न डाल सके।
राजदरबार में प्रभु श्रीराम का हुआ राजतिलक
आचार्य ओमप्रकाश वर्मा नगरा। प्राचीन आदर्श रामलीला समिति, पुरानी दुर्गा मंदिर के तत्वावधान में मंगलवार की रात शिव मंदिर पाठक टोली में प्रभु श्रीराम के राजतिलक समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर नगर सहित आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। पूरा वातावरण “जय श्रीराम” और “सीता राम” के जयघोष से गूंज उठा। राजतिलक मंचन का आरंभ विधिवत मंत्रोच्चार एवं दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। मंच पर प्रभु श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघ्न की मनमोहक झांकियां प्रस्तुत की गईं, जिन्हें देखकर दर्शक भावविभोर हो उठे। कलाकारों ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के राज्याभिषेक प्रसंग का इतना जीवंत और भावनात्मक मंचन किया कि पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। समारोह के दौरान पुष्पवर्षा कर श्रद्धालुओं ने प्रभु श्रीराम का स्वागत किया। रामराज्य स्थापना के इस पावन प्रसंग पर नगर में दीपों की ज्योति से उजाला फैल गया। आयोजन स्थल को फूलमालाओं और रंगीन झालरों से सजाया गया था। कार्यक्रम में दिव्यांश पाठक, कौशल पाठक, पुरुषोत्तम पाठक, गोपाल जी, विनोद, प्रमोद पाठक, ब्रह्मदेव पांडे, ओम नारायण पांडे, गणपति, मुन्ना, अशोक सिंह, अच्छे लाल शर्मा, अंशु श्रीवास्तव, रामसनेही, बाबूलाल शर्मा और रितेश चौरसिया, राजकुमार सहित अनेक लोगों ने सक्रिय भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन सभासद डॉ. संजय सिंह ने कुशलतापूर्वक किया। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि यह राजतिलक प्रसंग रामलीला के समापन का प्रतीक है, जो हर वर्ष श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथियों द्वारा प्रभु श्रीराम की आरती कर नगर की सुख-शांति और समृद्धि की कामना की गई। अंत में श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किया गया और उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर में “जय श्रीराम” का उद्घोष करते हुए इस भव्य आयोजन की सराहना की।
बंद चीनी मिल को चालू कराने हेतु 11 अक्टूबर को निकाली जाएगी मोटरसाइकिल रैली
आचार्य ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)! स्थानीय डाक बंगले पर पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह और कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई. इसमें 11 अक्टूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन पर गन्ना मिल चलाने की मांग को लेकर एक मोटरसाइकिल जुलूस निकालने का निर्णय लिया गया. यह जुलूस रसड़ा चीनी मिल के गेट से शुरू होगा. जुलुस विभिन्न इलाकों से होते हुए किसानों को जागरूक करेगा और रसड़ा तहसील पहुंचेगा. यहां उप जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौपा जाएगा. जिससे मिल को फिर से शुरू करने की मांग की जाएगी. कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया है कि यह जन जागरण अभियान मिल के फिर से चालू होने तक जारी रहेगा. अभियान के तहत हर मंगलवार को किसी न किसी सार्वजनिक स्थान पर 2 घंटे बैठकर मिल चलाने के मुद्दे पर चर्चा करेंगे. जिले के एकमात्र चीनी मिल 2013 से बंद पड़ी है. जिससे क्षेत्र के किसान आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं. सरकार से अनुरोध किया गया कि वह किसानो की समस्याओ को गम्भीरता से ले और मिल को चालू कराये.
बलिया: पौराणिक ददरी मेला भाजपा सरकार की राजनीति का शिकार, नगर पालिका अध्यक्ष के अपमान पर सपा प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय का तीखा आरोप
संजीव सिंह बलिया: पौराणिक ददरी मेला भाजपा सरकार की राजनीति का शिकार, नगर पालिका अध्यक्ष के अपमान पर सपा प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय का तीखा आरोप संजीव सिंह बलिया! जिले में महर्षि भृगु जी के शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर आयोजित होने वाला ऐतिहासिक एवं पौराणिक ददरी मेला सिर्फ एक सामान्य मेला नहीं है बल्कि बलिया की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पहचान और जनता का गौरव है। समाजवादी पार्टी बलिया के उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय कान्हजी ने बुधवार को एक प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि भाजपा सरकार इस मेले को खत्म करने की राजनीति कर रही है, जो न केवल बलिया के स्वाभिमान के खिलाफ है, बल्कि लोकतांत्रिक मान्यताओं का भी उल्लंघन है।सपा प्रवक्ता ने भाजपा सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जो लोग खुद को ‘ट्रिपल इंजन’ बताकर सरकार चला रहे हैं, वे अपनी ही तीसरी इंजन को खत्म करने में लगे हुए हैं। उच्चतम पदों पर बैठे नेता अपने नीचे के पदों पर विराजमान लोगों को खत्म कर रहे हैं। ददरी मेला जो अब तक नगर पालिका परिषद बलिया के नेतृत्व में जिला प्रशासन के सहयोग से सफलतापूर्वक आयोजित होता आ रहा था, अब उसी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष को मेला समिति में ‘विशेष आमंत्रित सदस्य’ मात्र बनाया जाना भारी अपमान है। यह निर्णय न केवल लोकतंत्र की हत्या है, बल्कि नगर क्षेत्र के मतदाताओं के अधिकारों का अनादर भी है।सुशील कुमार पाण्डेय ने कहा कि भाजपा की यह चाल एक बार फिर से उसके सच्चे चरित्र को उजागर करती है। जिस तरह से पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं को किनारे करने के लिए मार्गदर्शक मंडल बना रही है, उसी प्रकार यह ‘विशेष आमंत्रित सदस्य मंडल’ भी एक ऐसा ही तंत्र है। उन्होंने नगर पालिका परिषद बलिया के अध्यक्ष से अपील की कि वह इस मामले में आगे आएं और अपने पद की गरिमा बचाने के लिए संघर्ष करें, क्योंकि जनता उनका समर्थन करेगी। अन्यथा आने वाला समय उनके लिए बहुत कठिन होगा, जब उन्हें ‘अयोग्य, अकर्मण्य एवं पद लोलुप’ के रूप में देखा जाएगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि नगर क्षेत्र के मतदाता अपने निर्णयों का अपमान करने वालों को भविष्य में कड़ी प्रतिक्रिया देंगे।सपा प्रवक्ता की इस टिप्पणी से स्पष्ट हो गया है कि ददरी मेले के प्रति भाजपा सरकार की मंशा सिर्फ राजनीति है, जिससे बलिया की सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुँचाया जा रहा है और लोकतांत्रिक संस्थानों का अपमान हो रहा है।
बलिया: ज्ञान का सागर पुस्तकालय से निकलकर चमका एक उज्जवल सितारा — गोल्ड मेडलिस्ट और बलिया के चर्चित पत्रकार अमर बहादुर सिंह बने प्रेरणा का प्रतीक
संजीव सिंह बलिया! बलिया जनपद के नगरा क्षेत्र के निवासी अमर बहादुर सिंह ने एम.एससी. (B.Lib. & I.S.) में जन नायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त कर शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच लिया है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल बलिया की शैक्षिक समृद्धि को दर्शाया है, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल और प्रेरणा की नई किरण भी उत्पन्न की है।अमर बहादुर सिंह की सफलता की कहानी समर्पण, कठिन परिश्रम और पुस्तकालयों के प्रति उनके गहरे प्रेम से प्रेरित है। उनका मानना है कि "ज्ञान का सागर पुस्तकालय में ही सबसे गहराई से मिलता है। मेरा उद्देश्य है कि हर विद्यार्थी तक सही और सटीक जानकारी पहुंचे, क्योंकि यही सच्ची स्वतंत्रता की कुंजी है।" यह विचार आज के डिजिटल युग में भी पुस्तकालय की पारंपरिक और अपरंपरागत अहमियत को उजागर करता है। वे कहते हैं कि इंटरनेट जहां सूचनाओं का भण्डार है, वहीं पुस्तकालय ऐसी गहराई, समझ और नवाचार प्रदान करता है जो सच्चे बौद्धिक विकास की आधारशिला है।अमर बहादुर सिंह अपनी उपलब्धि का श्रेय विशेष रूप से अपने परिवार, गुरुजनों और पुस्तकालय को देते हैं। अपने परदादा स्वर्गीय फतेह बहादुर सिंह, बाबा बाबु मुरली सिंह जी व पिता अरविंद बहादुर सिंह और अपने पूरे परिवार के साथ-साथ लंबे समय से सहयोगी बने पुस्तकालय को वे अपने सफल सफर का मूल स्तंभ बताते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी उनके अथक प्रयासों और उत्कृष्ट उपलब्धि को सराहा है और इसे आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्रोत बताया है।अमर बहादुर सिंह: एक संक्षिप्त परिचय अमर बहादुर सिंह वॉर्ड नंबर 13, नगरा नगर पंचायत, बलिया के निवासी हैं। वे पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में न केवल आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए सामूहिक ज्ञान को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि जनजागरूकता फैलाने में भी एक अग्रणी भूमिका निभाते हैं। उनकी यह सफलता प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में नई उम्मीद और दिशा बताती है कि किस प्रकार समर्पण एवं ज्ञान की लालसा से कोई व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में उच्चतम मुकाम हासिल कर सकता है।अमर बहादुर सिंह का युवा पीढ़ी के लिए संदेश है कि वे अपने दिनचर्या में नियमित समय पुस्तकालय को अवश्य दें। उनका मानना है कि पुस्तकालय सिर्फ किताबों का भंडार नहीं, बल्कि ज्ञान, विचारों और नवाचारों का जीवंत केंद्र है जो विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास और स्वतंत्र सोच को आकार देता है।बलिया जिले के लिए यह उपलब्धिअमर बहादुर सिंह का यह स्वर्ण पदक केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि बलिया जिले के शैक्षणिक क्षेत्र और युवा प्रतिभाओं की सामूहिक उपलब्धि भी है। यह प्रेरणा देता है कि कैसे कठिन परिश्रम, सही मार्गदर्शन और ज्ञान के प्रति गहरा प्रेम किसी भी चुनौती को पार करने और श्रेष्ठता प्राप्त करने का रास्ता खोलता है।उनकी प्रेरणादायक कहानी आज के युवाओं को उनके लक्ष्यों की ओर दृढ़ता से बढ़ने का उत्साह प्रदान करती है और पुस्तकालयों की प्राचीन एवं महत्त्वपूर्ण भूमिका को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण सन्देश देती है। अमर बहादुर सिंह की यह उपलब्धि बलिया के हर विद्यार्थी, शिक्षक, और शैक्षणिक संस्थान के लिए गर्व का विषय है, जो निरंतर शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र को समृद्ध बनाने का प्रेरक उदाहरण है।