साधारण हवन और चण्डी पाठ की पूर्ति के बाद के हवन में अंतर
संजीव सिंह बलिया! सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन , भविष्यति न संशय: ॥  साधारण हवन और चण्डी पाठ की पूर्ति के बाद के हवन में बहुत अंतर होता है।इस अंतर को समझ कर जो हवन करता है वह उत्तम फल को प्राप्त करता है।चण्डी पाठ में जिस अग्निदेव की स्थापना की जाती है उनका नाम है शतमंगल अग्नि। इस अग्निदेव की विशेषता है कि ये सौ प्रकार से कल्याण करते हैं। आयु, आरोग्य,ऐश्वर्य के साथ शत्रुनाश,रोग नाश और भय नाश होता है। जैसे शताक्षी देवी देख कर सौ प्रकार से कल्याण करती हैं वैसे ही शतमंगल अग्निदेव देवी की आज्ञा से सौ प्रकार का कल्याण करते हैं। साधारण हवन में हवन कुंड में अग्निबीज रं लिखा जाता है। चण्डी हवन में ह्रीं लिखा जाता है। देवी पूजन में ह्रीं का सर्वोच्च स्थान है।साधारण पूजन में तीन बार आचमन किया जाता है। देवीपूजन में चार बार आचमन किया जाता है। व्यवहार में ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः सामान्य पूजन का आचमनीय मन्त्र है जबकि देवी पूजा में ॐ ऐंआत्मतत्त्वं शोधयामि नमः, ॐ ह्रींविद्यातत्त्वं शोधयामि नम:,ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नम, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्व- तत्त्वं शोधयामि नमः से चार बार आचमन किया जाता है। साधारण हवन में जो चार आहुतियाँ दी जाती हैं वे ॐ भू: स्वाहा, ॐ भुवः स्वाहा,ॐ स्वः स्वाहा ॐप्रजापतये स्वाहा होती हैं। देवी हवन में जो चार आहुतियाँ दी जाती हैं वे हैं- ह्रीं महाकाल्यै स्वाहा, ह्रीं महालक्ष्म्यै स्वाहा, ह्रींमहासरस्वत्यै स्वाहा, ह्रीं प्रजापतये स्वाहा। ध्येय है देवी के पूजन में सभी शाक्त ॐ की जगह ह्रीं का प्रयोग करते हैं। इस परम्परा को खिलमार्कण्डेय में बहुत महत्त्व दिया गया है। देव प्रणव की जगह देवी प्रणव ह्रीं का सर्वत्र महत्त्व प्रतिपादित है।सप्तशती के तेरह अध्याय के हवन से व्यक्ति रोग,शत्रु से मुक्त होकर सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करता है। सम्पत्ति और ऐश्वर्य भरा रहता है। अतः एकमेव सप्तशती का हवनात्मक पाठ ऐसा होता है जो विविध हवनीय द्रव्य से युक्त होता है।मेरे पास परम्परा से अनेक हवनीय पदार्थों की सूची विद्यमान है पर मैं प्रमाणिक हवनीय द्रव्यों(सामग्री)की चर्चा करना चाहूँगा। १- पायस आहुति से समृद्धि प्राप्ति। २- सुगंधित पेय आहुति से देवी कृपा ३- मधु आहुति से रोग,शत्रु नाश ४- पीली सरसों से आहुति से शत्रु भय नाश ५- क्षीर,गोघृत,मधु मिश्रित आहुति से विपुल सम्पदा ६- कमल पुष्प आहुति से देवी कृपा ७- मालती और जाती पुष्प से विद्या प्राप्ति ८- पीली सरसों और गुग्गल से शत्रु नाश ९- काली मिर्च(गोल)से शत्रु उच्चाटन १०-अनार (दाड़िम) आहुति से ऐश्वर्य, यश ११- शाक आहुति से भोज्यपदार्थ की वृद्धि १२- अंगूर,इलायची,केसर से आहुति से सौंदर्य और सम्पदा लाभ १३- भोजपत्र से हवन से विजय प्राप्ति १४- कमलगट्टा से आहुति से लक्ष्मी प्राप्ति १५-रक्तचंदन से हवन से रोग-शत्रु नाश इसी तरह से किस मन्त्र में किस हवनीय पदार्थ से हवन करना चाहिए यह भी वर्णित है। जिसे सम्पत्ति चाहिए वह पायस,बेल फल और कमल से अवश्य हवन करे। जिसे शत्रु नाश अभीष्ट हो वह पीली सरसों, कालीमिर्च और बेर की लकड़ी से अवश्य हवन करें। व्यक्तिगत शत्रु और राष्ट्र शत्रुओं के नाश के लिए चण्डी पाठ हवन बेजोड़ है। ऐसे प्रयोगों में प्रक्रिया, मन्त्र, वस्तु और चित्त की शुद्धि अनिवार्य होती है। पाठ और हवन करने वाला व्यक्ति बहुत जल्दबाजी न दिखाये अन्यथा विपरीत प्रभाव भी होता है। केवल कल्याण हेतु किया पाठ हवन कभी भी विपरीत फल नहीं देता। पान के दो पत्ते , नारियल और नैवेद्य माता को हवन में अति प्रिय है।इन हवनीय पदार्थों को दुर्गार्चनसृति, नागेश भट्ट और सप्तशती सर्वस्व में से चयनित किया गया है। देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

*डॉ विद्यासागर उपाध्याय* समरसता प्रमुख - मौनतीर्थ पीठ महाकालेश्वर उज्जैन
शांभवी धाम कसेसर में भव्य श्रीमद्भागवत कथा सम्पन्नभारतीय संस्कृति की अक्षुण्ण धारा एवं श्रीकृष्ण बाल लीलाओं से बच्चों को संस्कार मिले — वागीश जी
संजीव सिंह बलिया। शांभवी धाम कसेसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा व्यास वागीश जी महाराज ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक परंपरा समुद्र की तरंगों जैसी है, जिसमें उत्थान और पतन दोनों निरंतर चलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष ने कभी विश्व गुरु के रूप में संसार का मार्गदर्शन किया, तो कभी दासता का भी दंश झेला। लेकिन हर कठिनाई के समय देश ने प्रभु श्रीराम एवं श्रीकृष्ण के धर्म, मर्यादा व जीवन मूल्यों से प्रेरणा पाकर उन्नयन का मार्ग खोजा।महाराज श्री ने वर्तमान समय में बच्चों को ‘डोरेमॉन’ और ‘पेपा पिग’ जैसे विदेशी कार्टून के स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं दिखाने को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि जब नन्द बाबा के घर उत्सव हो रहा था, तो दूसरी ओर पापी कंस की सेना नवजात शिशुओं का संहार कर रही थी। इस क्रम में मायावी पूतना श्रीकृष्ण को विषपान कराने आई, किंतु बालकृष्ण ने न सिर्फ विषपान कर लिया बल्कि पूतना को भी मोक्ष प्रदान कर दिया।कथा व्यास ने बकासुर और कागासुर वध प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने बताया कि जब माता यशोदा भगवान श्रीकृष्ण की चंचलता से परेशान होकर उन्हें ओखल से बांध देती हैं, तब बालकृष्ण यमलार्जुन वृक्षों को उखाड़कर दो शापित आत्माओं का उद्धार कर देते हैं।कार्यक्रम में आयोजक शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनन्द स्वरूप ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रमुख अतिथियों में पूर्व मंत्री छट्ठू राम, भाजपा के जिला महामंत्री आलोक शुक्ला, आचार्य विकास उपाध्याय, आदर्श तिवारी ने भी अपने विचार रखे व आयोजन की सराहना की। सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और भगवान की भव्य झांकी एवं आरती में सहभागी बने।अंत में ठाकुर जी की आरती के उपरान्त कथा का विश्राम हुआ। आयोजकों ने समस्त श्रद्धालुओं का आभार ज्ञापित किया और कहा कि ऐसे आयोजन समाज में सद्गुण, नैतिकता और धर्म की चेतना जगाते हैं।
आत्मज्ञान के लिए तर्क नहीं, श्रद्धा और गुरु कृपा आवश्यक: डॉ. विद्यासागर उपाध्याय
संजीव सिंह बलिया!कठोपनिषद् के आधार पर सत्य के मार्ग को किया स्पष्टउज्जैन/बैंगलोर, [तारीख/दिन]। मूर्तीनाथ पीठ महाकालेश्वर, उज्जैन के समरसता प्रमुख एवं शंकराचार्य परिषद, बैंगलोर के राष्ट्रीय पार्षद डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने हाल ही में अपने एक महत्त्वपूर्ण वक्तव्य में आत्मज्ञान की साधना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आत्मा के साक्षात्कार का मार्ग केवल बुद्धि और तर्क से होकर नहीं जाता। इसके लिए गुरु की कृपा, सच्ची श्रद्धा और अनुशासित धैर्य सबसे अधिक आवश्यक तत्व हैं।डॉ. उपाध्याय ने प्राचीन भारतीय दर्शन और उपनिषद् पर विशेष बल देते हुए 'कठोपनिषद्' का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आत्मज्ञान ऐसा शाश्वत सत्य है जिसे केवल वाद-विवाद या तर्कशास्त्र के माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता। कठोपनिषद् के मंत्र 'नैषा तर्केण...' का उल्लेख करते हुए उन्होंने समझाया कि तर्क और बुद्धि कई बार साधक को विभिन्न दिशाओं में भटका सकते हैं। सत्य का प्रत्यक्ष दर्शन केवल उस गुरु की शरण में जाकर और उसके उपदेशों को श्रद्धा भाव से स्वीकार करके ही किया जा सकता है, जिसने स्वयं आत्मसत्य का अनुभव किया है।डॉ. उपाध्याय ने कठोपनिषद् के नचिकेता प्रसंग को आदर्श उदाहरण बताते हुए कहा कि नचिकेता ने मृत्यु देव यमराज से संवाद करते समय भी आत्मज्ञान की प्राप्ति के प्रति अटल जिज्ञासा और अटूट विश्वास रखा। "नचिकेता की तरह सत्य के प्रति कठोर निष्ठा और गुरु की वाणी में अडिग श्रद्धा ही साधक को आत्मज्ञान का अधिकारी बनाती है," उन्होंने कहा। उनके अनुसार, आत्मज्ञान केवल एक बौद्धिक विमर्श या दार्शनिक बहस का विषय नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की एक गहन साधना है, जिसमें श्रद्धा, धैर्य और गुरु कृपा मूल स्तंभ हैं।उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में जब समाज में तर्क और बौद्धिकता को उच्च स्थान दिया जा रहा है, ऐसे में आत्मज्ञान पर इस प्रकार का दृष्टिकोण अत्यधिक प्रासंगिक है। आधुनिक जीवनशैली में तर्क-वितर्क और तर्कप्रधान बहसें तो बढ़ रही हैं, लेकिन आत्मिक शांति और आत्मा के साक्षात्कार की दिशा में लोग धीरे-धीरे दूर जाते दिख रहे हैं। डॉ. उपाध्याय के अनुसार, केवल विचारों का आदान-प्रदान आत्मा के रहस्य को खोल पाने में असमर्थ है; इसके लिए साधना, संयम, श्रद्धा और गुरु की छाया में किया गया प्रयास ही सफल हो सकता है।उन्होंने युवाओं और साधकों का आह्वान करते हुए कहा कि आत्मज्ञान की वास्तविक साधना केवल पुस्तकों और तर्कों से नहीं, बल्कि अनुशासन, गुरु मार्गदर्शन और आंतरिक समर्पण से होती है। "गुरु वह दीपक हैं जो अज्ञान के अंधकार को दूर करके सत्य का प्रकाश देते हैं," उन्होंने कहा।यह वक्तव्य उस समय आया है जब आध्यात्मिक विमर्श में नए-नए विचार लगातार उभर रहे हैं और लोग धार्मिक ग्रंथों को आधुनिक संदर्भों में परखने की कोशिश कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में डॉ. उपाध्याय का संदेश आत्मिक साधना का मूल तत्व स्पष्ट करता है कि आत्मा की पहचान और आत्मोन्नति तर्क से नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा और आस्था से ही संभव है।जारीकर्ता: [मूर्तीनाथ पीठ महाकालेश्वर कार्यालय] [संपर्क सूत्र]
छात्राओं को पढ़ाया गया सुरक्षा का पाठ
  ओमप्रकाश वर्मा नगरा (बलिया)। मिशन शक्ति के तहत कंपोजिट विद्यालय अब्दुलपुर मदारी में शनिवार को महिला सशक्तीकरण एवं महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षा एवं जागरूकता अभियान के दौरान मिशन शक्ति 5.0 के तहत बच्चों को सुरक्षा का पाठ पढ़ाया, बल्कि महत्वपूर्ण बिदुओं पर जानकारी देते हुए उन्हें जागरूक किया गया। वही बच्चों ने कई सवाल दागे जिसके संबंध में थानाध्यक्ष हितेश कुमार ने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों को समझना होगा। किसी भी स्थिति में आप कमजोर नहीं हैं। सबसे बड़ा मामला सायबर क्राइम का आ रहा है। किसी भी अंजान नंबर से फोन आने उसके झांसे में न आय। खुद छोटी-छोटी बातों को लेकर सतर्क रहें और घर-परिवार की महिलाओं को भी जागरूक करें। किसी प्रकार की घटना होती है तो वह बर्दाश्त न करें, बल्कि इसका पुरजोर विरोध करें। जिससे अपराध पर अंकुश लग सके। स्कूल में पढ़ने वाली बहुत सारी छात्राएं भी कोई घटना होती है तो उसको अपने घर पर शेयर नहीं करती है। स्कूल में पढ़ रही हैं, इसलिए आप सभी जागरूकता दिखाएं, कोई भी बात हो, तो इसकी जानकारी अपने स्वजन को जरूर दें।
रामलीला में हुआ मंथरा–कैकई संवाद का मंचन
रामेश्वर प्रजापति नगरा (बलिया)! सार्वजनिक रामलीला समिति के तत्वाधान में चल रही रामलीला में रविवार की रात मंथरा और कैकई संवाद का भावपूर्ण मंचन किया गया। कथा के अनुसार, मंथरा कैकई को समझाती है कि राजा दशरथ राम को युवराज बनाने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे भरत का अधिकार छिन जाएगा। मंथरा के उकसावे से कैकई क्रोधित हो उठती है और अपने दो वरदान मांगने का निश्चय करती है। कैकई, राजा दशरथ से पहले वरदान के रूप में भरत को अयोध्या का राजा बनाने और दूसरे वरदान में श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास देने की मांग रखती है। राजा दशरथ अपनी प्रतिज्ञा से बंधकर कैकई की मांग पूरी करने को विवश हो जाते हैं। इस मार्मिक प्रसंग के मंचन से पूरा वातावरण भावुक हो उठा। दर्शकों की आंखें नम हो गईं और पूरे मैदान में गहन सन्नाटा छा गया। कार्यक्रम में उपस्थित सेवकों को समिति की ओर से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर निर्भय प्रकाश, राजेश गुप्ता, रामायण ठाकुर, संजय वर्मा, शशि प्रकाश कुशवाहा, आलोक शुक्ला, गणपति, रिंकू, राजू चौहान, सुनील गुप्ता और हरे राम गुप्ता समेत कई लोग मौजूद रहे।
शांभवी धाम कसेसर में भागवत कथा के चौथे दिन गूंजे श्रीकृष्ण अवतरण के प्रसंग
संजीव सिंह बलिया!शांभवी धाम कसेसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन वृंदावन से पधारे अंतर्राष्ट्रीय कथा व्यास मारुतिनंदनाचार्य वागीश जी महाराज ने अपने दिव्य प्रवचनों से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि सनातन वैदिक धर्म में गृहस्थ आश्रम कभी निन्दनीय नहीं रहा, अपितु ऋषि - परम्परा ने ही गृहस्थ जीवन के माध्यम से सृष्टि परम्परा को आगे बढ़ाया है। उन्होंने चारों आश्रमों — ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास — का क्रमशः और सम्यक पालन हर सनातनी का कर्तव्य बताया और उदाहरण स्वरूप कहा कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इन चारों आश्रमों से होकर ही वैकुंठ को प्रस्थान किया।रत्नगर्भा है माता वसुन्धरा, अवतरित होती हैं दिव्य आत्माएंवागीश जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि माता वसुन्धरा कभी बांझ नहीं रही हैं, वह सदैव रत्नगर्भा रही हैं। जब जैसी आवश्यकता होती है, वैसे दिव्य आत्माओं का आलोकिक अवतरण होता है। रावण जैसे असुरों के अत्याचार को समाप्त करने के लिए प्रभु श्रीराम का अवतरण हुआ और जब कंस के अत्याचार से समाज त्राहि - त्राहि कर रहा था, तो उसी कंस के कारागार में मध्य रात्रि को भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए।कृष्ण जन्म प्रसंग पर झूम उठे श्रद्धालुकथा में कृष्ण जन्म का प्रसंग जब मंचित हुआ तो साथ आए कलाकारों ने भगवान का दिव्य रूप प्रस्तुत कर उपस्थित श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। मंच पर जैसे ही दृश्य आया कि कारागार के प्रहरी सो गए, माता - पिता की बेड़ियां अपने आप खुल गईं और वसुदेव जी अपने पुत्र को टोकरी में लेकर नंद बाबा के घर पहुंचे, वैसे ही वातावरण भक्तिमय हो उठा। पीछे से गूंजते बधाई गीतों की धुन पर श्रद्धालु झूमकर नाचने लगे।कथा का समापन भगवान की संक्षिप्त बाल लीलाओं के मनोहारी वर्णन के साथ हुआ, जिसने लोगों को गहरे आनंद और भक्ति में सराबोर कर दिया।विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति से बढ़ी शोभाकथा में आयोजक स्वामी आनन्द स्वरूप जी महाराज के साथ कई गणमान्य एवं विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। प्रमुख अतिथियों में शिक्षाविद डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, पूर्व ब्लॉक प्रमुख अक्षय लाल यादव, भाजपा के सिकंदरपुर मण्डल अध्यक्ष आकाश तिवारी, अमर उजाला के पत्रकार अजय तिवारी, मनोज गुप्त, आशीष तिवारी, रितेश दुबे, आदित्य मिश्र, गुड्डू बाबा, किशन तिवारी सहित भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर कथा श्रवण का पुण्य अर्जित किया।व्यासपीठ पूजन के साथ संपन्न हुई रसपूर्ण कथाकथा के दौरान व्यासपीठ पूजन का कार्य आचार्य विकास उपाध्याय और आदर्श तिवारी जी द्वारा विधिविधान से सम्पन्न कराया गया। पूरे आयोजन स्थल पर दिव्यता और भक्ति का अद्भुत माहौल बना रहा, जिसमें हर कोई भगवान की लीलाओं में खो गया।
बाँसडीह विधानसभा से समाजवादी पार्टी में एकजुटता की अपील
संजीव सिंह बलिया! बलिया, 27 सितम्बर 2025। बाँसडीह विधानसभा क्षेत्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उदय बहादुर सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी करने का आह्वान किया है। उदय बहादुर सिंह ने बताया कि आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में भारी मतों से जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को पूर्व मंत्री व पूर्व नेता प्रतिपक्ष श्री रामगोविंद चौधरी के नेतृत्व में पार्टी को मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी को कमजोर करने की साज़िश लगातार विरोधी दलों की ओर से की जा रही है, लेकिन कार्यकर्ताओं को भ्रमित होने के बजाय संगठन की एकता बनाए रखनी चाहिए। श्री सिंह ने विशेष रूप से चेतावनी दी कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल और धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार जैसे आरोपों में संलिप्त लोगों से सावधान रहने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग न तो पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं और न ही संगठन स्तर पर किसी प्रकार की जिम्मेदारी निभाते हैं, लेकिन चुनाव के समय भ्रम फैलाने का काम करते हैं। प्रेस विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया गया कि 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले व्यक्तियों ने संगठन को नुकसान पहुंचाया था। यहाँ तक कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ अभद्र भाषा का भी प्रयोग किया गया था। ऐसे लोगों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी विरोधी ताकतों से मिलकर साज़िश की थी। उदय बहादुर सिंह ने कहा कि कार्यकर्ताओं को ऐसे अवसरवादी तत्वों से सतर्क रहना होगा और पूरी निष्ठा से पूर्व मंत्री श्र रामगोविंद चौधरी तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष  अखिलेश यादव जी के नेतृत्व में एकजुट होकर काम करना होगा।
सीएचसी नगरा में 1 अक्टूबर को लगेगा विशाल स्वास्थ्य शिविर जिले के विशेषज्ञ डॉक्टर देंगे सेवाएँ
आचार्य ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)। क्षेत्र के आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) नगरा में 1 अक्टूबर 2025 को एक दिवसीय स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया जा रहा है। इस शिविर में जिले के विभिन्न विभागों के नामचीन विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल होंगे, जो ग्रामीणों को निःशुल्क परामर्श एवं उपचार प्रदान करेंगे। शिविर में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुलिका सिंह और हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश कुमार सिंह, जनरल सर्जन डॉ. अशोक कुमार, त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. अबू तलहा, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक सिंह तथा बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप सिंह सहित कई वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद रहेंगे। इन डॉक्टरों की मौजूदगी से मरीजों को जिला स्तर की चिकित्सा सुविधा सीएचसी नगरा पर ही उपलब्ध होगी। इस स्वास्थ्य शिविर के नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ. योगेन्द्र दास हैं। उन्होंने बताया कि शिविर का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के उन लोगों तक विशेषज्ञ सेवाएँ पहुँचाना है, जो आर्थिक या अन्य कारणों से बड़े अस्पतालों तक नहीं पहुँच पाते। सीएचसी नगरा के प्रभारी डॉ. राहुल सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि यह शिविर ग्रामीण जनता के लिए बड़ा अवसर है। उन्होंने लोगों से अपील की कि अधिक से अधिक संख्या में पहुँचकर विशेषज्ञ डॉक्टरों से अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान कराएँ। साथ ही उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों और जागरूक नागरिकों से भी अनुरोध किया कि इस शिविर की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएँ, ताकि कोई भी ज़रूरतमंद व्यक्ति उपचार से वंचित न रह जाए। यह स्वास्थ्य शिविर न केवल बीमारियों के निदान व इलाज के लिए उपयोगी होगा, बल्कि समय पर जांच और परामर्श से कई गंभीर रोगों की रोकथाम में भी सहायक साबित होगा।
राम सीता विवाह का मंचन देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ नगरा रामलीला में छठवें दिन कलाकारों ने प्रस्तुत किया अनोखी छटा
आचार्य ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)! स्थानीय जनता इंटर कॉलेज के मैदान में सार्वजनिक रामलीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला के छठवें दिन शनिवार की रात अयोध्या से आए कलाकारों ने परशुराम लक्ष्मण संवाद और राम सीता विवाह का सजीव मंचन किया. इस ऐतिहासिक मंचन को देखने के लिए सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु उमड पड़े. कलाकारों द्वारा मंचित लीला के अनुसार स्वयंवर में शिव धनुष टूटने की आवाज सुनकर महेंद्र गिरी पर्वत पर समाधि में लीन मुनि परशुराम जनकपुर में प्रकट हुए. खंडित धनुष देखकर हुए अत्यंत क्रोधित हो गए और घोषणा की कि शिव धनुष तोड़ने वाला उनका शत्रु है और उसे समाज से अलग हो जाना चाहिए अन्यथा सभी राजा मारे जाएंगे. परशुराम की बातों को सुनकर लक्ष्मण ने प्रतिउत्तर दिया कि उन्होंने बचपन में कई धनुष तोड़े हैं. लेकिन तब परशुराम ने कभी इतना क्रोध नहीं किया. उन्होंने इस धनुष पर इतनी ममता का कारण पूछा. लक्ष्मण पर परशुराम का क्रोध देखकर श्री राम ने हस्तक्षेप किया और कहा कि वह बालको पर क्रोध न करें. श्री राम ने स्वयं को अपराधी बताते हुए कहा कि उन्हें जो भी दंड देना हो वह दे. श्री राम परशुराम को अपना धनुष देकर संदेश दूर करने को कहा श्री राम ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई जिससे परशुराम को विश्वास हो गया कि भगवान विष्णु ने राम के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया है इसके बाद परशुराम अपनी असफलता के लिए क्षमा मांग कर वहां से चले गए. परशुराम के प्रस्थान के बाद श्री राम और सीता सहित चारों भाइयों का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ. मिथिला की सखियों ने राम सीता की हल्दी परछन और अन्य विवाह संबंधी रस्मे पुरी की. लीला का शुभारंभ सीएसआईएल के निदेशक रमेश सिंह एवं अन्य अतिथियों ने भगवान सीताराम की आरती उतार कर किया. इस अवसर पर पूर्व प्रमुख निर्भय प्रकाश, हरेराम गुप्ता, रामायण ठाकुर, गणपति गोंड़, राहुल ठाकुर, रियांशु जायसवाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे.
बलिया जिले में सिंचाई विभाग से पाईप लेने हेतु संपर्क करें: चमचम सिंह सूर्यवंशी से करें सम्पर्क94+5812434
संजीव सिंह बलिया बलिया: जिले में सिंचाई विभाग से पाईप लेने हेतु संपर्क करें: चमचम सिंह सूर्यवंशी से करें सम्पर्कबलिया जिला के रसड़ा क्षेत्र में रहने वाले चमचम सिंह सूर्यवंशी ने किसानों के लिए सूचना जारी की है कि सिंचाई विभाग से पाईप लेने के इच्छुक लोग उनसे संपर्क कर सकते हैं। किसान हितैषी चमचम सिंह सूर्यवंशी का पता हिताका पूरा, रसड़ा बलिया है। पाईप लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति उनसे मोबाइल नंबर 9415812434 पर संपर्क कर सकते हैं। इस पहल से क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधा में सहूलियत मिल सकेंगी और कृषि कार्य में बढ़ोतरी की संभावना रहेगी।