संस्कृति और साहित्य का उत्सव: गोमती बुक फेस्टिवल का भव्य आगाज
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तहजीब की नगरी में किताबों का मेला, योगी ने किया गोमती बुक फेस्टिवल का उद्घाटन
- किताबों से सजी लखनऊ की शामें, गोमती बुक फेस्टिवल में उमड़े साहित्य प्रेमी
लखनऊ। तहजीब और अदब की नगरी लखनऊ में आज चौथा गोमती बुक फेस्टिवल भव्य समारोह के साथ शुभारंभ हुआ। यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ में सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक चलने वाले नौ दिवसीय महोत्सव में देश भर के साहित्यकार, कवि, विद्वान और पाठक भाग लेंगे। प्रवेश निःशुल्क रखा गया है और इसे नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार और लखनऊ विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज महोत्सव का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश के अवस्थी, पद्मश्री डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी, एनबीटी-इंडिया के अध्यक्ष प्रो. मिलिंद सुधाकर मराठे, लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मनुका खन्ना और एनबीटी-इंडिया के निदेशक युवराज मलिक उपस्थित रहे। उद्घाटन के बाद से ही महोत्सव की गतिविधियाँ शुरू हो गई हैं और प्रतिदिन हजारों पाठक और साहित्य प्रेमी कार्यक्रम में भाग लेंगे।
फेस्टिवल में कुल 225 से अधिक बुकस्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें हिंदी, अंग्रेज़ी, उर्दू और अन्य भारतीय भाषाओं की किताबें प्रदर्शित की गई हैं। “राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय” के माध्यम से 3,000 से अधिक ई-बुक्स निःशुल्क उपलब्ध कराई गई हैं। बच्चों के लिए विशेष “चित्रोत्सव- ड्रॉ, डूडल, डिस्कवर” क्रिएटिव आर्ट वर्कशॉप आयोजित की गई है, जिसमें म्यूजिकल स्टोरीटेलिंग, कठपुतली नाटक, ओरिगामी, पोस्टर मेकिंग, वैदिक गणित और माइंडफुलनेस जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
सत्र का सबसे चर्चित सत्र है “स्त्री देह से आगे” पर चर्चा। साहित्यकार और चिंतक डॉ. गुलाब कोठारी पुस्तक के विविध आयामों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं और उपस्थित पाठकों एवं विद्वानों के प्रश्नों का उत्तर दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “इस पुस्तक का उद्देश्य महिलाओं के समाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों पर विचार करना और उन्हें सशक्त बनाने के उपायों पर चर्चा करना है। आज की युवा पीढ़ी को इसे समझना और अपनाना आवश्यक है।”
इसके अलावा डॉ. अरुण मोहन शैरी, अखिलेंद्र मिश्रा, शंतनु गुप्ता, शीला रोहेकर, शिवमूर्ति, संतोष चौबे, डॉ. विद्या विंदु सिंह, प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित और डॉ. रामबहादुर मिश्र अपने विचार साझा कर रहे हैं, जिससे साहित्यिक विमर्श और समृद्ध हो रहा है। शाम 5 बजे के बाद सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आयोजित की गयी, जिनमें लोकगायन, कथक, दास्तानगोई, कवि सम्मेलन, मुशायरा, कव्वाली और कहानी सुनाने की परंपरागत शैलियाँ शामिल हैं। इन प्रस्तुतियों से दर्शकों को न केवल साहित्यिक अनुभव मिलेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत की झलक भी दिखाई जाएगी।
आयोजकों ने बताया कि इस नौ दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ किताबों का मेला नहीं है, बल्कि संवाद, विचार-विमर्श और संस्कृति का उत्सव बनाना है। गोमती बुक फेस्टिवल लखनऊ को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साहित्यिक मानचित्र पर नई पहचान दिलाएगा और यह साबित करेगा कि यह शहर न केवल तहज़ीब और अदब का, बल्कि ज्ञान, संस्कृति और साहित्य का भी केंद्र है।
Sep 23 2025, 19:51