मुख्य सचिव ने रोजगार मिशन की कार्ययोजना की समीक्षा की
युवाओं को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार दिलाने के निर्देश


लखनऊ। उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन के अंतर्गत गठित राज्य संचालन समिति की बैठक आज मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन, दीपक कुमार की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में समिति के सदस्यों एवं विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
बैठक में प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन तथा सचिव राज्य संचालन समिति एम.के. शन्मुगा सुन्दरम् ने अवगत कराया कि प्रदेश सरकार ने युवाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रोजगार मिशन का गठन किया है। पिछले वर्ष मिशन के माध्यम से 5978 निर्माण श्रमिकों को इज़राइल भेजा गया, जिससे प्रदेश को लगभग 1400 करोड़ रुपये का रेमिटेंस प्राप्त हुआ। इस वर्ष 25,000 युवाओं को विदेशों में रोजगार दिलाने, देश के निजी क्षेत्र में 3,00,000 अभ्यर्थियों को रोजगार उपलब्ध कराने तथा 4,00,000 अभ्यर्थियों की कैरियर काउंसलिंग करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
निदेशक सेवायोजन नेहा प्रकाश ने रोजगार मिशन के मुख्य उद्देश्यों और वार्षिक कार्ययोजना का प्रस्तुतिकरण किया। बैठक में प्रमुख सचिव नियोजन आलोक कुमार, प्रमुख सचिव व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता डॉ. हरिओम और प्रमुख सचिव कृषि रविन्द्र ने कार्ययोजना के क्रियान्वयन हेतु सुझाव दिये।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिये कि राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार के अवसरों की पहचान करने हेतु फिक्की, एसोचैम और सीआईआई जैसे उद्योग संघों के साथ बैठक की जाये और उद्योगों में आगामी वर्षों में उत्पन्न होने वाले रोजगार की जानकारी के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार की जाये। विदेशों में रोजगार मांग के सर्वेक्षण के लिए एम्बेसी के सहयोग से रोड शो, इंडस्ट्रीज के साथ कोलेबोरेशन तथा डेलीगेशन विजिट पर सहमति दी गयी।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अभ्यर्थियों को विदेश भेजने से पूर्व भाषा प्रशिक्षण, प्री-डिपार्चर ओरिएंटेशन प्रोग्राम, स्किल गैप की पूर्ति, विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से जॉबीनार एवं वेबीनार का आयोजन, प्लेसमेंट इवेंट एवं नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम कराये जायेंगे। इसके साथ ही पोस्ट प्लेसमेंट सपोर्ट के अंतर्गत एम्बेसी की मदद से स्थानीय संरक्षक (लोकल गार्जियन) की व्यवस्था तथा 24×7 इंटीग्रेटेड कॉल सेंटर संचालित किया जायेगा।
कबीर के नाम पर उत्तर प्रदेश में स्थापित होंगे वस्त्र एवं परिधान पार्क: मुख्यमंत्री
* प्रत्येक पार्क न्यूनतम 50 एकड़ भूमि पर विकसित होगा, सहायक इकाइयों व सीईटीपी की होगी अनिवार्यता

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग क्षेत्र में निजी निवेशकों की बढ़ती रुचि को देखते हुए विभिन्न जिलों में वस्त्र एवं परिधान पार्क स्थापित करने का निर्णय लिया है। मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश पारंपरिक हथकरघा और वस्त्र उत्पादों की समृद्ध धरोहर वाला राज्य है, जिसकी क्षमता का सही उपयोग होने पर प्रदेश को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी नई पहचान दिलाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वस्त्र एवं परिधान का वैश्विक बाजार वर्ष 2030 तक 2.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है और भारत इसमें 8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ सबसे तेज़ी से बढ़ते देशों में है। ऐसे परिदृश्य में उत्तर प्रदेश की भागीदारी इस क्षेत्र में निर्णायक सिद्ध हो सकती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित योजना को महान संत कबीर के नाम पर समर्पित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संत कबीर ने अपने जीवन दर्शन में श्रम, सादगी और आत्मनिर्भरता को सर्वोपरि माना और यही भाव इस योजना का आधार बनेगा। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस योजना के माध्यम से निवेश, उत्पादन और रोजगार के नए अवसरों के साथ-साथ परंपरा और आधुनिकता का संतुलन स्थापित होगा।

बैठक में प्रस्तुत विवरण के अनुसार, वर्तमान में उत्तर प्रदेश देश के शीर्ष वस्त्र एवं परिधान निर्यातक राज्यों में शामिल है। वित्त वर्ष 2023-24 में प्रदेश से लगभग 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ, जो देश के कुल वस्त्र एवं परिधान निर्यात का लगभग 9.6 प्रतिशत है। इस क्षेत्र का प्रदेश की जीडीपी में 1.5 प्रतिशत योगदान है, जबकि राज्य में प्रत्यक्ष रोजगार पाने वाले लगभग 22 लाख लोग इससे जुड़े हैं। वाराणसी, मऊ, भदोही, मिर्जापुर, सीतापुर, बाराबंकी, गोरखपुर और मेरठ जैसे पारंपरिक क्लस्टरों ने उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय परिधान मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। अधिकारियों ने बताया कि निवेश सारथी पोर्टल पर अब तक वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र से जुड़े 659 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इन प्रस्तावों के लिए लगभग 1,642 एकड़ भूमि की आवश्यकता है। कुल निवेश मूल्य 15,431 करोड़ रुपये आंका गया है और इसके फलस्वरूप लगभग 1,01,768 रोजगार अवसर सृजित होने का अनुमान है। प्रत्येक पार्क न्यूनतम 50 एकड़ भूमि पर विकसित किया जाएगा और इनमें प्रसंस्करण उद्योगों के लिए कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना अनिवार्य होगी। साथ ही बटन, ज़िपर, लेबल, पैकेजिंग और वेयरहाउस जैसी सहायक इकाइयों के विकास की भी व्यवस्था की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि निवेश प्रस्तावों को शीघ्र गति से क्रियान्वित करने हेतु भूमि की पहचान और विकास कार्य को तेज़ किया जाए। उन्होंने कहा कि योजना का क्रियान्वयन सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल अथवा नोडल एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा, ताकि निवेशकों को समयबद्ध और सुगम सुविधाएं प्राप्त हों। सरकार की ओर से पार्कों तक सड़क, विद्युत और जलापूर्ति जैसी आधारभूत सुविधाएं प्राथमिकता पर उपलब्ध कराई जाएंगी। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से युवाओं के लिए कौशल विकास और रोजगार सृजन को इस योजना का मुख्य लक्ष्य बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संत कबीर वस्त्र एवं परिधान पार्क योजना न केवल निवेश और रोजगार के नए द्वार खोलेगी बल्कि उत्तर प्रदेश को वैश्विक वस्त्र एवं परिधान मानचित्र पर एक विशिष्ट पहचान भी दिलाएगी।

बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मुख्यमंत्री ने पॉवरलूम बुनकरों की उत्पादन लागत कम करने, आय बढ़ाने और परंपरागत वस्त्र उद्योग को नई मजबूती देने के उद्देश्य से बुनकरों के साथ संवाद करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बुनकर, परिश्रम और परंपरा के प्रतीक हैं। उनके हाथों से बना कपड़ा पूरे विश्व में पहचान रखता है। सरकार बुनकरों की मेहनत का सम्मान करते हुए उन्हें सस्ती बिजली उपलब्ध करा रही है। बुनकरों से संवाद बनाकर उनकी अपेक्षाओं को जानने और समझने की आवश्यकता है। इस संबंध में जनप्रतिनिधियों के सहयोग से विभाग द्वारा प्रक्रिया प्रारंभ की जाए। मुख्यमंत्री ने पॉवरलूम को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिए आवश्यक कार्यवाही के भी निर्देश दिए।
सपा शासनकाल भ्रष्टाचार और माफियागिरी का प्रतीक : स्वतंत्र देव सिंह

लखनऊ। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के आरोपों पर कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने जमकर पलटवार किया। स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि सपा शासनकाल की यादें भ्रष्टाचार, अराजकता और माफियागिरी से जुड़ी हैं, जबकि योगी सरकार ने कारीगरों से लेकर किसानों तक सबको राहत और सम्मान दिया है।

उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव विश्वकर्मा दिवस पर अवकाश की राजनीति करते हैं, लेकिन योगी सरकार ने पीएम विश्वकर्मा योजना के जरिए करोड़ों कारीगरों को 15,000 रुपये तक का लोन, आधुनिक टूलकिट और बीमा सुविधा दी है। यह असली सम्मान है, जो कागजों पर नहीं, बल्कि जमीन पर दिखाई देता है। स्वतंत्र देव ने रिवर फ्रंट को ‘भ्रष्टाचार का प्रतीक’ बताते हुए कहा कि हजारों करोड़ रुपये जनता की गाढ़ी कमाई को डुबाने वाले आज सुंदरता की मिसाल देते हैं। योगी सरकार ने प्रदेश की करीब 100 नदियों के किनारे सवा दो करोड़ से अधिक पौधे लगवाए और नदियों को गाद और अतिक्रमण से मुक्त कर उन्हें जीवन दिया।

स्मार्ट सिटी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि लखनऊ आज  स्वच्छ सर्वेक्षण में टॉप-10 में जगह बनाई है, जबकि सपा सरकार के समय यूपी के शहर कचरे के ढेर थे। उन्होंने कहा कि सपा शासनकाल में गोरखपुर बाढ़ का केंद्र था। योगी सरकार की समयबद्ध व्यवस्थाओं से अब न सिर्फ गोरखपुर, बल्कि पूरे प्रदेश में बाढ़ पर नियंत्रण पाया गया है। आज बारिश का पानी नालियों से निकल जाता है और शहरों में जनजीवन सामान्य रहता है।
स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि सपा शासनकाल में आउटसोर्स कर्मी बिना वेतन भटकते थे। योगी सरकार ने आउटसोर्स सेवा निगम बनाया है, जिसमें कम से कम वेतन 20 हजार रुपये तय किया गया है और आरक्षण भी लागू है। अब तक 8.5 लाख युवाओं को पारदर्शी भर्ती के जरिए सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि अखिलेश को ODOP की सफलता पच नहीं रही। एक जिला एक उत्पाद योजना से 96 लाख MSME यूनिट खड़ी हुईं और करोड़ों युवाओं को रोजगार मिला। सपा शासनकाल में जहां उद्योग यूपी से पलायन करते थे, आज यूपी निवेशकों का हब बन गया है।

उन्होंने कहा कि सपा के समय मुख्यमंत्री खुद माफियाओं से समझौते करते थे, जबकि योगी सरकार ने प्रदेश से माफियाओं को जड़ से उखाड़ फेंका है। आज बेटी, व्यापारी और किसान सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की भ्रामक बातें उनकी असफलताओं को छिपाने का हथकंडा भर हैं। सपा सरकार वादों पर चलती थी, जबकि योगी सरकार तथ्यों पर काम करती है। 2027 में जनता इसका फैसला करेगी।
समाज, शिक्षा और राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए डॉ. अतुल कृष्ण को मुख्यमंत्री योगी ने किया सम्मानित

लखनऊ। शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार और भारतीयता को अपने जीवन का मूल ध्येय बनाने वाले, तथा इन क्षेत्रों में निरंतर सेवा देने वाले सुभारती समूह के संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण को उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाज एवं राष्ट्र की प्रगति में उनके अप्रतिम योगदान के लिए सम्मानित किया।

इस भेंट के दौरान डॉ. अतुल कृष्ण ने अपनी स्व-लिखित पुस्तकों की प्रतियां मुख्यमंत्री को भेंट कीं, जिनमें 'आधारशीला' तथा 'जीवन तरंगनी' के भाग 2 और 3 प्रमुख हैं। यह पुस्तकें राष्ट्र के प्रति समर्पण, भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन-दर्शन को उजागर करती हैं।

डॉ. अतुल कृष्ण केवल एक शिक्षाविद् नहीं, बल्कि एक विचारक, लेखक और समाजसेवी भी हैं। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुभारती समूह के माध्यम से उल्लेखनीय कार्य किए हैं, जिसे आज एक विश्वसनीय और प्रेरणादायक संस्था के रूप में देखा जाता है। सिर्फ संस्थान निर्माण ही नहीं, डॉ. कृष्ण ने लेखन के माध्यम से भी समाज को जागरूक करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का कार्य किया है। उनकी चर्चित पुस्तकों में —

आधारशीला,

जीवन तरंगनी (भाग 2 और 3),

पलायन,

उन्नति के पथ पर,

उत्तराखंड के बलिदानी,

तथा राष्ट्रीयता से प्रेरित ‘राष्ट्र-अनुभूति’ शामिल हैं।

इन रचनाओं के माध्यम से उन्होंने सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय विषयों पर गहराई से प्रकाश डाला है। उनकी नवीनतम कृति ‘जीवन तरंगनी – भाग 3’ हाल ही में प्रकाशित हुई है, जबकि इस शृंखला के दो और भागों पर कार्य प्रगति पर है।

मुख्यमंत्री से यह भेंट न केवल एक लेखक व विचारक को मान्यता देने का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे व्यक्तित्वों के योगदान को आदर के साथ स्वीकार करती है, जो "राष्ट्र प्रथम" के भाव को जीवन में धारण करते हुए समाज को सकारात्मक दिशा देने का कार्य कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में दिव्यांगजन और पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए बनेंगी नई योजनाएं
* अन्य राज्यों की सफल योजनाओं को भी किया जाएगा शामिल

लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार दिव्यांगजन और पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए अब अन्य राज्यों की सफल योजनाओं को अपनाकर नई और प्रभावी नीतियां बनाएगी। यह जानकारी दिव्यांगजन सशक्तीकरण एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेन्द्र कश्यप ने दी। उन्होंने मंगलवार को विधानसभा स्थित कार्यालय में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए।

मंत्री कश्यप ने कहा कि अधिकारियों को अन्य राज्यों का भ्रमण कर वहां की सफल योजनाओं का अध्ययन करना चाहिए, जिससे उत्तर प्रदेश में भी इन वर्गों के लिए अधिक प्रभावी और लाभकारी योजनाएं तैयार की जा सकें। उन्होंने जिले स्तर पर वृहद कार्यक्रमों के आयोजन की बात कही, जिनमें लाभार्थियों को प्रमाण पत्र और सहायक उपकरण स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में वितरित किए जाएंगे।

बैठक में दिव्यांग विद्यालयों के शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रस्ताव भी रखा गया। मंत्री ने कहा कि शिक्षकों को आधुनिक तकनीकों से प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें अन्य राज्यों की संस्थाओं का भ्रमण भी कराया जाएगा ताकि वे दिव्यांग विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकें।

सरकार की प्रमुख योजनाओं जैसे भरण-पोषण अनुदान, कुष्ठावस्था पेंशन और मोटराइज्ड साइकिल वितरण पर विशेष जोर दिया गया है। मंत्री ने कहा कि जिलों में मोटराइज्ड साइकिल वितरण की प्रक्रिया प्राथमिकता पर पूरी की जाए। इसके अतिरिक्त, विवाह करने वाले दिव्यांग दंपतियों को मिलने वाले प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के लंबित आवेदनों का भी जल्द निस्तारण किया जाएगा।

पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की योजनाओं की समीक्षा करते हुए मंत्री ने शादी अनुदान, छात्रवृत्ति, और कंप्यूटर प्रशिक्षण योजना की प्रगति की जानकारी ली और इनके त्वरित क्रियान्वयन के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से अधिक से अधिक पात्र युवाओं को लाभ मिलना चाहिए और इसके लिए एक मजबूत रणनीति बनाई जाए।
दुबग्गा में पुलिस और गौकशी गिरोह के बीच मुठभेड़, एक बदमाश घायल
लखनऊ । राजधानी के थाना दुबग्गा क्षेत्र में सोमवार देर रात पुलिस और गौकशी गिरोह के बीच मुठभेड़ हो गई। घटना ग्राम समरथ नगर के सामने किसान पथ स्थित अंडरपास के पास हुई। मुठभेड़ में वसीम नाम का एक आरोपी गोली लगने से घायल हो गया, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर अस्पताल में भर्ती कराया है।

ग्राम सराय प्रेमराज में गौकशी की हुई थी घटना

जानकारी के अनुसार, 12 सितम्बर को ग्राम सराय प्रेमराज में गौकशी की घटना हुई थी। मामले की जांच के लिए डीसीपी पश्चिमी के निर्देश पर क्राइम ब्रांच (पश्चिमी) और स्थानीय पुलिस की टीम गठित की गई। सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस की मदद से वसीम, इस्तियाक, मोहम्मद अहमद, सुफियान और रियासत अली के नाम सामने आए।

पुलिस ने रोका तो शुरू कर दी फायरिंग

बीती रात्रि  मुखबिर से सूचना मिली कि गिरोह के कुछ सदस्य सफेद कार से झाकड़ बाग की ओर से काकराबाद जा रहे हैं। पुलिस टीम ने दुबग्गा, पारा और क्राइम ब्रांच की संयुक्त कार्रवाई में चेकिंग शुरू की। इसी दौरान संदिग्ध कार को रोकने का प्रयास किया गया तो उसमें बैठे आरोपियों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी।

जवाबी कार्रवाई में वसीम हुआ घायल, तीन अंधेरे का फायदा उठाकर फरार

जवाबी कार्रवाई में वसीम घायल हो गया, जबकि उसके तीन साथी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए।पुलिस ने घायल आरोपी के पास से 315 बोर का तमंचा और दो जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। फरार अभियुक्तों की तलाश के लिए कंट्रोल रूम को अलर्ट कर दिया गया है।
ऑनलाइन गेम की लत से 13 वर्षीय छात्र ने गंवाई जान
लखनऊ । राजधानी  में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। महज 13 साल की उम्र में एक किशोर ने ऑनलाइन गेम फ्री फायर की लत के कारण अपनी जान गंवा दी। मामला मोहनलालगंज कोतवाली क्षेत्र के धनुवासाड़ गांव का है। मृतक की पहचान सुरेश कुमार यादव के बेटे यश कुमार के रूप में हुई है, जो कक्षा छह का छात्र था।

पिता ने खेत बेचकर जमा किए थे 14 लाख रुपये

पुलिस के अनुसार, यश लंबे समय से मोबाइल पर फ्री फायर खेलता था। इस गेम में वर्चुअल हथियार और अन्य सुविधाएं खरीदने के लिए वह बैंक खाते से रकम खर्च करता रहा। बताया जा रहा है कि पिता ने हाल ही में मकान निर्माण के लिए खेत बेचकर 14 लाख रुपये बैंक में जमा किए थे। यश ने यह पूरी राशि गेमिंग के चक्कर में गंवा दी।

बैंक से पैसा निकालने गए सुरेश तब हुआ जानकारी

घटना का खुलासा तब हुआ जब सोमवार को सुरेश बैंक में पैसे निकालने गए और खाते में शून्य बैलेंस देखकर हैरान रह गए। शिकायत दर्ज कर घर लौटे तो उन्होंने परिजनों से इस बारे में चर्चा की। उसी दौरान यश भी मौजूद था। पिता की बात सुनकर वह घबराया और पढ़ाई का बहाना बनाकर छत पर बने कमरे में चला गया। वहां उसने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।

इस गेम को सरकार ने सुरक्षा कारणों से किया था बैन

रात में जब बहन गुनगुन ऊपर कमरे में गई तो उसने भाई को फंदे से लटका पाया। उसकी चीख सुनकर परिवारजन पहुंचे और यश को अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।फ्री फायर एक बैटल रॉयल शैली का गेम है, जिसमें खिलाड़ी एक-दूसरे से लड़ाई करते हैं और बेहतर हथियारों व संसाधनों के लिए पैसे खर्च करते हैं। वर्ष 2022 में सरकार ने इसे सुरक्षा कारणों से बैन किया था, लेकिन यह अभी भी कई रास्तों से बच्चों की पहुंच में है।
मोक्ष की नगरी काशी में एक ऐसा शख्स जिसने 1 लाख 20 हजार बेटियों का पिता बन किया श्राद्ध
- समाज को कन्या भ्रूण हत्या से बचने के सन्देश देने का नायब प्रयोग

- 12 सालों में डॉ संतोष ओझा ने किया 1 लाख 20 हजार अजन्मी बेटियों का श्राद्ध

- आगमन संस्था का अनोखा प्रयास, जन्म न लेने वाली बेटियों की मोक्ष की कामना

- शीघ्र ही चिन्हित अल्ट्रासाउंड सेंटर और उनके संचालकों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने की होगी घोषणा

बनारस।
अनुष्ठान तो एक बहाना है।
असल में बेटी को बचाना है।।

कण कण में शिव के वास करने वाले पवित्र नगरी काशी का दशाश्वमेध घाट पर नित्य प्रतिदिन विशिष्ट फलदायी धार्मिक आयोजनों के लिए जाना जाता है लेकिन कल मातृ नवमी के दुपहरिया में हुए नैमित श्राद्ध अनुष्ठान उन अजन्मी बेटियों के लिए आहूत थी जो भूलोक पर आने के पूर्व ही माँ के गर्भ से ही बलात प्रेत योनि के रास्ते जाने को मजबूर किया जाता हैं। इन बेटियों को प्रेत योनि में भेजने वाले कोई और नहीं इन्हीं के सगे मां-बाप बुआ दादी और उनके परिजन है।

माताओं के समर्पित पितृ पक्ष का नवमी तिथि को शास्त्रीय विधान संग आगमन संस्था टीम ने  पिंड निर्माण कर विधिपूर्वक हूत आत्माओं का आह्वान के बारी बारी से उनके मोक्ष की कामना की। "अंतिम प्रणाम " के 12 वें साल 13000 पिंड के माध्यम से अजन्मी बेटियों की मोक्ष की कामना की गयी। श्राद्ध अनुष्ठान का समस्त कर्म संस्था के संस्थापक डॉ संतोष ओझा ने किया जबकि अनुष्ठान संपादित पं दिनेश शंकर दुबे और कन्हैया पाठक संग पंच विप्रो ने कराया।

इस अनोखे अनुष्ठान की शुरुआत ब्रम्हकाल के स्नान के उपरांत पिंड निर्माण से हुआ। क्षौर कर्म के उपरांत गंगा के मिट्टी की वेदी निर्माण, शांति पाठ तत्पश्चात् शास्त्र वर्णित मंत्रो के बीच आह्वान , प्रेत योनि के बेटियों के पिंड का पूजन-अर्पण और तर्पण साथ पंच बलि, ब्राम्हण भोज के साथ अनुष्ठान का समापन हुआ।

आगमन संस्था के संस्थापक और श्राद्धकर्ता डॉ संतोष ओझा के अनुसार आगमन संस्था 2001 से लगातार अजन्मी बेटी को बचाने का अभियान चला रही है संस्था ने विगत 25 सालों में सैकड़ो मां-बाप का काउंसलिंग कर उन्हें पेट में पल रही बेटियों को जन्म देने के लिए प्रेरित किया। अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि तमाम सरकारी और संस्थागत प्रयास के बावजूद आज भी काशी में कन्या भ्रूण हत्या जारी है जिसको रोकने के लिए सरकारी तंत्र को और भी प्रभावी और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। आगमन संस्था एक बार फिर चिन्हित अल्ट्रासाउंड सेंटर और उनके संचालकों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने की घोषणा करेगी।

अनुष्ठान में सहयोग-
राहुल गुप्ता, हरिकृष्ण प्रेमी, साधना, सन्नी कुमार, ज्योति, जितेंद्र जी किरण, साधना, सोनी, अरुण गुप्ता, मदन गुप्ता, भानु प्रताप, सुनील, सुशील।

*ग्रामीण पर्यटन में कारिकोट ने पेश की मिसाल, अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से बढ़ाया मान- जयवीर सिंह*

ग्रामीण पर्यटन का मॉडल बना कारिकोट, प्रदेश के अन्य गांवों के लिए बना आदर्श

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के कारिकोट गांव को ‘इंडियन सबकांटिनेंटल रिस्पांसिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) अवार्ड 2025’ से सम्मानित किया गया है। भारत-नेपाल सीमा से सटा यह गांव ग्रामीण पर्यटन में मिसाल बनकर उभरा है। पर्यटन विभाग की पहल पर ग्रामीणों ने होम स्टे की शुरुआत की, जिससे गांव को वैश्विक पहचान मिली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किया गया। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार ने कारिकोट के साथ पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया है।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि 'कारिकोट गांव को मिला सम्मान विभागीय प्रयासों का प्रतिफल है। गांव ने ग्रामीण पर्यटन में विशेष पहचान बनाई है। सीमा पर्यटन जैसी अभिनव पहल भी की है। इन प्रयासों से स्थानीय समुदाय, खासकर युवाओं और महिलाओं को रोजगार मिला है। साथ ही गांव की संस्कृति, व्यंजन, हस्तशिल्प और लोक कलाओं को नई पहचान मिली है। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा प्रदान किए गए पुरस्कार को बहराइच के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) मुकेश चन्द्र, ग्राम सचिव सुशील कुमार सिंह और ग्राम प्रधान पार्वती ने ग्रहण किया।'

'शांति एवं आपसी समझ' श्रेणी में मिला सम्मान

इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पांसिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) द्वारा कारिकोट गांव को ‘शांति एवं आपसी समझ’ श्रेणी में प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया है। निर्णायक मंडल द्वारा इस उपलब्धि के लिए गांव को सिल्वर श्रेणी में यह पुरस्कार दिया गया। आईसीआरटी द्वारा दिए जाने वाले ये पुरस्कार जिम्मेदार और सतत पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण माने जाते हैं। कारिकोट गांव के लिए यह उपलब्धि ग्रामीण पर्यटन मॉडल को और मजबूत करने तथा शांति, सद्भाव और समावेशिता के मूल्यों को आगे बढ़ाने में प्रेरणा बनेगी।

कारिकोट बना रिस्पांसिबल टूरिज्म का मॉडल

कारीकोट गांव भारत-नेपाल सीमा और हरे-भरे कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित है। यह गांव जिम्मेदार पर्यटन (रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म) के एक वैश्विक मॉडल के रूप में उभरा है। कारीकोट गांव के किसान ग्रामीण पर्यटन के अलावा बड़े पैमाने पर हल्दी की खेती करते हैं। उन हल्दी को तैयार करने की जिम्मेदारी ग्रामीण महिलाओं पर है। हल्दी की खेती से महिलाएं जहां आत्मनिर्भर हुई हैं, इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी होता है। स्थानीय थारू समुदाय सहित समाज के अन्य लोगों की भागीदारी क्षेत्र में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है। 

'ग्रामीण पर्यटन में विशेष स्थान दिलाना उद्देश्य'

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, 'उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ग्रामीण पर्यटन को लगातार प्रोत्साहित कर रहा है। विभाग का उद्देश्य राज्य को धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में भी विशिष्ट पहचान दिलाना है। राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश के गांव केवल कृषि और परंपराओं के केंद्र नहीं हैं, बल्कि संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक समरसता के भी प्रतीक हैं। रूरल टूरिज्म के माध्यम से इन विशेषताओं को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है।'

'रूरल टूरिज्म को मिल रहा प्रोत्साहन'

विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया ने कहा, 'प्रदेश में ग्रामीण पर्यटन को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। 'उत्तर प्रदेश ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट एवं होम स्टे नीति-2025’ सहित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से रूरल टूरिज्म को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में कारिकोट गांव को मिला सम्मान विभागीय प्रयासों और ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में सफलता का परिणाम है।'

प्रकृति की गोद में बसा है कारिकोट- ग्राम पंचायत सचिव 

कारिकोट के ग्राम पंचायत सचिव सुशील कुमार सिंह ने पुरस्कार ग्रहण करने के पश्चात बताया कि 'कारीकोट सेंक्चुरी एरिया से घिरा क्षेत्र है, जहां विभागीय सहयोग से ग्रामीण पर्यटन और होम स्टे ने गांव की तस्वीर बदल दी है। इससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई है। सिंह ने बताया कि कारिकोट के पास नेपाल की दो नदियों गेरुआ और कोरियाला का संगम अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। यहां सिंचाई विभाग द्वारा बनाए गए डैम को देखने का भी पर्यटकों में खास आकर्षण है। आगंतुकों को क्षेत्र की विविध जीवनशैली, स्थानीय व्यंजन और हल्दी की फसल तैयार होते देखने का सुखद अनुभव मिलता है। प्रदेश और पड़ोसी राज्यों से यहां बड़े पैमाने पर पर्यटक पहुंच रहे हैं।'

शिक्षा में बदलाव सिर्फ अच्छा नहीं, बल्कि बहुत जरूरी है" – राजनाथ सिंह

लखनऊ। 2025:- ग्लोबल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (GETI) ने 15 सितंबर 2025 को Ed Leadership International Roundtable के पहले दिन PATH मूवमेंट के शुभारंभ की घोषणा की। ‘PATH’ एक अभिनव ढांचा है, जिसका उद्देश्य भारतीय कक्षाओं में बदलाव लाना और देशभर के शिक्षकों, ख़ासकर जमीनी स्तर पर काम कर रहे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को सशक्त बनाना है। GETI द्वारा आयोजित इस राउंडटेबल में शिक्षक, स्कूल लीडर और शिक्षा क्षेत्र के नवप्रवर्तक एक तीन-दिवसीय अनुभव का हिस्सा बनेंगे।

यह कार्यक्रम 15 से 17 सितम्बर तक सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, एलडीए कॉलोनी स्थित वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में होगा। इस तीन दिवसीय आयोजन में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली से हज़ार से अधिक शिक्षकों के भाग लेने की संभावना है।भारत सरकार के केंद्रीय रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह ने एक वीडियो संदेश में PATH आंदोलन के शुभारंभ का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "शिक्षा में बदलाव सिर्फ जरूरी नहीं, बल्कि बहुत जरूरी है। हमें ऐसी प्रणाली चाहिए, जो छोटे-छोटे सुधारों से आगे बढ़कर असली बदलाव लाए।

हमारी शिक्षा प्रणाली को खुद को बेहतर बनाना होगा। बच्चों को सफल होने और खुशी से सीखने के अच्छे मौके मिलने चाहिए। GETI द्वारा PATH आंदोलन शुरू करने से यह सभी शिक्षकों, स्कूल के नेताओं और समाज को एक साथ मिलकर हमारे बच्चों के लिए बेहतर भविष्य बनाने की प्रेरणा देगा।"आज शुभारंभ किया गया PATH का अर्थ है।

Purposeful Learning (सार्थक सीख), Active Classrooms (सक्रिय कक्षाएँ), Tranformative Outcomes (परिवर्तनकारी परिणाम) और Holistic Growth (समग्र विकास)। PATH का उद्देश्य स्कूलों और शिक्षकों को, विशेषकर जमीनी स्तर पर काम करने वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को, ऐसी छात्र-नेतृत्व वाली कक्षाएँ बनाने में मदद करना है, जहाँ आत्मविश्वास, आलोचनात्मक सोच और किसी विषय को सिर्फ़ सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसकी गहराई में जाकर पूरी समझ विकसित करना, को बढ़ावा मिले। PATH एक बहु-विषयी दृष्टिकोण अपनाता है, जिसके तहत केजी से ग्रेड 8 तक के छात्र के लिए अंग्रेज़ी, गणित, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ शामिल की गई हैं।

Roundtable Conference की इस श्रृंखला में कई अहम विषयों पर चर्चा होगी, जैसे क्यों ‘PATH’, क्यों अभी; साक्षरता : दुनिया का सबसे अच्छा निवेश; वैकल्पिक प्रणालियों से सीखना; प्रारंभिक नींव और स्थायी लाभ और अन्य।

तीन दिवसीय इस आयोजन में कक्षा का सजीव अनुभव, व्यावहारिक प्रशिक्षण और सहभागी चर्चाएँ भी शामिल होंगी, जिससे प्रतिभागियों को उन शिक्षकों से सीधे सीखने का अवसर मिलेगा जो पहले से ही ‘PATH’ लागू कर रहे हैं। कार्यक्रम में हाई ‘PATH’ ऐप का भी शुभारंभ किया जाएगा, जो तुरंत topic-wise फ़ीडबैक और performance report उपलब्ध कराता है। इसके ज़रिए छात्र, शिक्षक और अभिभावक वास्तविक समय में प्रगति का आकलन कर पाएंगे और कमियों को दूर करने के उपाय कर सकेंगे।

मुख्य अतिथि ललिता प्रदीप, पूर्व अतिरिक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश ने आगे कहा, “उत्तर प्रदेश में हम ALfA कार्यक्रम को 4 जिलों में लागू कर चुके हैं, जो एक बड़ी उपलब्धि है। परख 2024 में, उत्तर प्रदेश ने ग्रेड 3 रैंक हासिल की है। यह राज्य के लिए बहुत बड़ी प्रगति है, जो खासकर निचले स्तर की शिक्षा में पहले चुनौतियों का सामना कर रहा था। मेरा मानना है कि शिक्षकों को इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी उठानी चाहिए और उस पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि यह पूरे राज्य और देश के कुछ हिस्सों में लोकप्रिय होता जा रहा है। ALfA शिक्षकों के लिए एक बेहतरीन उपकरण है, जो सीखने की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने में मदद करेगा। PATH मूवमेंट की शुरुआत हमारे देश के लिए एक सही दिशा में कदम है, जिससे भारत 2041 तक एक विकसित और दक्ष राष्ट्र बनने की ओर तेजी से अग्रसर हो सकेगा।”GETI की संस्थापक डॉ. सुनीता गांधी ने कहा, “यह एक पूरी तरह से छात्र-केन्द्रित कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य छात्रों के पहले से मौजूद ज्ञान को आधार बनाकर उन्हें और बेहतर तरीके से सीखने में मदद करना है।

इस कार्यक्रम के माध्यम से हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि छात्र अधिक सक्रिय रूप से हिस्सा लें, याद रखने की क्षमता बढ़े और असली समझ विकसित हो। छात्रों को समूहों या जोड़ों में मिलकर सीखने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी सीखने की प्रक्रिया और तेज होगी और वे अपने ज्ञान को गहराई से आत्मसात कर सकेंगे।

हमारा उद्देश्य यह है कि यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक प्रक्रिया न बनकर, छात्रों के लिए एक व्यावहारिक और रोचक अनुभव बनकर उभरे।”

डॉ. सुनीता गांधी, PhD (कैम्ब्रिज), एक शिक्षाविद, शोधकर्ता और नवप्रवर्तक हैं, जिन्हें शिक्षा सुधार के क्षेत्र में 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है। वह GETI और डिग्निटी एजुकेशन विज़न इंटरनेशनल (देवी) की संस्थापक हैं और लखनऊ स्थित विश्व के सबसे बड़े स्कूल सिटी मॉन्टेसरी स्कूल की चीफ़ अकैडमिक एडवाइज़र हैं।देशभर के शिक्षकों की भागीदारी के साथ यह राउंडटेबल GETI के उस मिशन को मज़बूती देता है, जिसका उद्देश्य भारत की शिक्षण समुदाय को सशक्त बनाना है।

यह मिशन साक्ष्य-आधारित और बड़े पैमाने पर लागू की जा सकने वाली प्रथाओं पर आधारित है, जो NEP 2020 और राष्ट्रीय शिक्षा सुधार के लक्ष्यों के अनुरूप हैं।GETI, जिसकी स्थापना डॉ. सुनीता गांधी ने की है, शिक्षक प्रशिक्षण और स्कूल परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय केंद्र है। यह शोध-आधारित कार्यक्रमों के ज़रिए शिक्षकों को सशक्त बनाता है, जैसे ALfA शिक्षण शास्त्र, जिसमें छात्र एक-दूसरे को सिखाकर सीखते हैं और इससे बुनियादी कुशलताएं में तेज़ी से प्रगति होती है।GETI का दायरा हज़ारों स्कूलों तक फैला है, जिनमें सिटी मॉन्टेसरी स्कूल भी शामिल है। यहाँ प्री-सर्विस और इन-सर्विस टीचर ट्रेनिंग, लीडरशिप प्रोग्राम और फ़ेलोशिप्स की सुविधा दी जाती है। इसका काम NEP2020 के अनुरूप है और हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के द्वारा समर्थित है। GETI छात्रों और शिक्षकों को अपनी सीखने की प्रक्रिया को दिशा देने और आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाता है।