मोक्ष की नगरी काशी में एक ऐसा शख्स जिसने 1 लाख 20 हजार बेटियों का पिता बन किया श्राद्ध
- समाज को कन्या भ्रूण हत्या से बचने के सन्देश देने का नायब प्रयोग

- 12 सालों में डॉ संतोष ओझा ने किया 1 लाख 20 हजार अजन्मी बेटियों का श्राद्ध

- आगमन संस्था का अनोखा प्रयास, जन्म न लेने वाली बेटियों की मोक्ष की कामना

- शीघ्र ही चिन्हित अल्ट्रासाउंड सेंटर और उनके संचालकों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने की होगी घोषणा

बनारस।
अनुष्ठान तो एक बहाना है।
असल में बेटी को बचाना है।।

कण कण में शिव के वास करने वाले पवित्र नगरी काशी का दशाश्वमेध घाट पर नित्य प्रतिदिन विशिष्ट फलदायी धार्मिक आयोजनों के लिए जाना जाता है लेकिन कल मातृ नवमी के दुपहरिया में हुए नैमित श्राद्ध अनुष्ठान उन अजन्मी बेटियों के लिए आहूत थी जो भूलोक पर आने के पूर्व ही माँ के गर्भ से ही बलात प्रेत योनि के रास्ते जाने को मजबूर किया जाता हैं। इन बेटियों को प्रेत योनि में भेजने वाले कोई और नहीं इन्हीं के सगे मां-बाप बुआ दादी और उनके परिजन है।

माताओं के समर्पित पितृ पक्ष का नवमी तिथि को शास्त्रीय विधान संग आगमन संस्था टीम ने  पिंड निर्माण कर विधिपूर्वक हूत आत्माओं का आह्वान के बारी बारी से उनके मोक्ष की कामना की। "अंतिम प्रणाम " के 12 वें साल 13000 पिंड के माध्यम से अजन्मी बेटियों की मोक्ष की कामना की गयी। श्राद्ध अनुष्ठान का समस्त कर्म संस्था के संस्थापक डॉ संतोष ओझा ने किया जबकि अनुष्ठान संपादित पं दिनेश शंकर दुबे और कन्हैया पाठक संग पंच विप्रो ने कराया।

इस अनोखे अनुष्ठान की शुरुआत ब्रम्हकाल के स्नान के उपरांत पिंड निर्माण से हुआ। क्षौर कर्म के उपरांत गंगा के मिट्टी की वेदी निर्माण, शांति पाठ तत्पश्चात् शास्त्र वर्णित मंत्रो के बीच आह्वान , प्रेत योनि के बेटियों के पिंड का पूजन-अर्पण और तर्पण साथ पंच बलि, ब्राम्हण भोज के साथ अनुष्ठान का समापन हुआ।

आगमन संस्था के संस्थापक और श्राद्धकर्ता डॉ संतोष ओझा के अनुसार आगमन संस्था 2001 से लगातार अजन्मी बेटी को बचाने का अभियान चला रही है संस्था ने विगत 25 सालों में सैकड़ो मां-बाप का काउंसलिंग कर उन्हें पेट में पल रही बेटियों को जन्म देने के लिए प्रेरित किया। अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि तमाम सरकारी और संस्थागत प्रयास के बावजूद आज भी काशी में कन्या भ्रूण हत्या जारी है जिसको रोकने के लिए सरकारी तंत्र को और भी प्रभावी और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। आगमन संस्था एक बार फिर चिन्हित अल्ट्रासाउंड सेंटर और उनके संचालकों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने की घोषणा करेगी।

अनुष्ठान में सहयोग-
राहुल गुप्ता, हरिकृष्ण प्रेमी, साधना, सन्नी कुमार, ज्योति, जितेंद्र जी किरण, साधना, सोनी, अरुण गुप्ता, मदन गुप्ता, भानु प्रताप, सुनील, सुशील।

*ग्रामीण पर्यटन में कारिकोट ने पेश की मिसाल, अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से बढ़ाया मान- जयवीर सिंह*

ग्रामीण पर्यटन का मॉडल बना कारिकोट, प्रदेश के अन्य गांवों के लिए बना आदर्श

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के कारिकोट गांव को ‘इंडियन सबकांटिनेंटल रिस्पांसिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) अवार्ड 2025’ से सम्मानित किया गया है। भारत-नेपाल सीमा से सटा यह गांव ग्रामीण पर्यटन में मिसाल बनकर उभरा है। पर्यटन विभाग की पहल पर ग्रामीणों ने होम स्टे की शुरुआत की, जिससे गांव को वैश्विक पहचान मिली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किया गया। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार ने कारिकोट के साथ पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया है।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि 'कारिकोट गांव को मिला सम्मान विभागीय प्रयासों का प्रतिफल है। गांव ने ग्रामीण पर्यटन में विशेष पहचान बनाई है। सीमा पर्यटन जैसी अभिनव पहल भी की है। इन प्रयासों से स्थानीय समुदाय, खासकर युवाओं और महिलाओं को रोजगार मिला है। साथ ही गांव की संस्कृति, व्यंजन, हस्तशिल्प और लोक कलाओं को नई पहचान मिली है। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा प्रदान किए गए पुरस्कार को बहराइच के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) मुकेश चन्द्र, ग्राम सचिव सुशील कुमार सिंह और ग्राम प्रधान पार्वती ने ग्रहण किया।'

'शांति एवं आपसी समझ' श्रेणी में मिला सम्मान

इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पांसिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) द्वारा कारिकोट गांव को ‘शांति एवं आपसी समझ’ श्रेणी में प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया है। निर्णायक मंडल द्वारा इस उपलब्धि के लिए गांव को सिल्वर श्रेणी में यह पुरस्कार दिया गया। आईसीआरटी द्वारा दिए जाने वाले ये पुरस्कार जिम्मेदार और सतत पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण माने जाते हैं। कारिकोट गांव के लिए यह उपलब्धि ग्रामीण पर्यटन मॉडल को और मजबूत करने तथा शांति, सद्भाव और समावेशिता के मूल्यों को आगे बढ़ाने में प्रेरणा बनेगी।

कारिकोट बना रिस्पांसिबल टूरिज्म का मॉडल

कारीकोट गांव भारत-नेपाल सीमा और हरे-भरे कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित है। यह गांव जिम्मेदार पर्यटन (रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म) के एक वैश्विक मॉडल के रूप में उभरा है। कारीकोट गांव के किसान ग्रामीण पर्यटन के अलावा बड़े पैमाने पर हल्दी की खेती करते हैं। उन हल्दी को तैयार करने की जिम्मेदारी ग्रामीण महिलाओं पर है। हल्दी की खेती से महिलाएं जहां आत्मनिर्भर हुई हैं, इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी होता है। स्थानीय थारू समुदाय सहित समाज के अन्य लोगों की भागीदारी क्षेत्र में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है। 

'ग्रामीण पर्यटन में विशेष स्थान दिलाना उद्देश्य'

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, 'उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ग्रामीण पर्यटन को लगातार प्रोत्साहित कर रहा है। विभाग का उद्देश्य राज्य को धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में भी विशिष्ट पहचान दिलाना है। राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश के गांव केवल कृषि और परंपराओं के केंद्र नहीं हैं, बल्कि संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक समरसता के भी प्रतीक हैं। रूरल टूरिज्म के माध्यम से इन विशेषताओं को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है।'

'रूरल टूरिज्म को मिल रहा प्रोत्साहन'

विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया ने कहा, 'प्रदेश में ग्रामीण पर्यटन को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। 'उत्तर प्रदेश ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट एवं होम स्टे नीति-2025’ सहित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से रूरल टूरिज्म को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में कारिकोट गांव को मिला सम्मान विभागीय प्रयासों और ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में सफलता का परिणाम है।'

प्रकृति की गोद में बसा है कारिकोट- ग्राम पंचायत सचिव 

कारिकोट के ग्राम पंचायत सचिव सुशील कुमार सिंह ने पुरस्कार ग्रहण करने के पश्चात बताया कि 'कारीकोट सेंक्चुरी एरिया से घिरा क्षेत्र है, जहां विभागीय सहयोग से ग्रामीण पर्यटन और होम स्टे ने गांव की तस्वीर बदल दी है। इससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई है। सिंह ने बताया कि कारिकोट के पास नेपाल की दो नदियों गेरुआ और कोरियाला का संगम अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। यहां सिंचाई विभाग द्वारा बनाए गए डैम को देखने का भी पर्यटकों में खास आकर्षण है। आगंतुकों को क्षेत्र की विविध जीवनशैली, स्थानीय व्यंजन और हल्दी की फसल तैयार होते देखने का सुखद अनुभव मिलता है। प्रदेश और पड़ोसी राज्यों से यहां बड़े पैमाने पर पर्यटक पहुंच रहे हैं।'

शिक्षा में बदलाव सिर्फ अच्छा नहीं, बल्कि बहुत जरूरी है" – राजनाथ सिंह

लखनऊ। 2025:- ग्लोबल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (GETI) ने 15 सितंबर 2025 को Ed Leadership International Roundtable के पहले दिन PATH मूवमेंट के शुभारंभ की घोषणा की। ‘PATH’ एक अभिनव ढांचा है, जिसका उद्देश्य भारतीय कक्षाओं में बदलाव लाना और देशभर के शिक्षकों, ख़ासकर जमीनी स्तर पर काम कर रहे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को सशक्त बनाना है। GETI द्वारा आयोजित इस राउंडटेबल में शिक्षक, स्कूल लीडर और शिक्षा क्षेत्र के नवप्रवर्तक एक तीन-दिवसीय अनुभव का हिस्सा बनेंगे।

यह कार्यक्रम 15 से 17 सितम्बर तक सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, एलडीए कॉलोनी स्थित वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में होगा। इस तीन दिवसीय आयोजन में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली से हज़ार से अधिक शिक्षकों के भाग लेने की संभावना है।भारत सरकार के केंद्रीय रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह ने एक वीडियो संदेश में PATH आंदोलन के शुभारंभ का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "शिक्षा में बदलाव सिर्फ जरूरी नहीं, बल्कि बहुत जरूरी है। हमें ऐसी प्रणाली चाहिए, जो छोटे-छोटे सुधारों से आगे बढ़कर असली बदलाव लाए।

हमारी शिक्षा प्रणाली को खुद को बेहतर बनाना होगा। बच्चों को सफल होने और खुशी से सीखने के अच्छे मौके मिलने चाहिए। GETI द्वारा PATH आंदोलन शुरू करने से यह सभी शिक्षकों, स्कूल के नेताओं और समाज को एक साथ मिलकर हमारे बच्चों के लिए बेहतर भविष्य बनाने की प्रेरणा देगा।"आज शुभारंभ किया गया PATH का अर्थ है।

Purposeful Learning (सार्थक सीख), Active Classrooms (सक्रिय कक्षाएँ), Tranformative Outcomes (परिवर्तनकारी परिणाम) और Holistic Growth (समग्र विकास)। PATH का उद्देश्य स्कूलों और शिक्षकों को, विशेषकर जमीनी स्तर पर काम करने वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को, ऐसी छात्र-नेतृत्व वाली कक्षाएँ बनाने में मदद करना है, जहाँ आत्मविश्वास, आलोचनात्मक सोच और किसी विषय को सिर्फ़ सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसकी गहराई में जाकर पूरी समझ विकसित करना, को बढ़ावा मिले। PATH एक बहु-विषयी दृष्टिकोण अपनाता है, जिसके तहत केजी से ग्रेड 8 तक के छात्र के लिए अंग्रेज़ी, गणित, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ शामिल की गई हैं।

Roundtable Conference की इस श्रृंखला में कई अहम विषयों पर चर्चा होगी, जैसे क्यों ‘PATH’, क्यों अभी; साक्षरता : दुनिया का सबसे अच्छा निवेश; वैकल्पिक प्रणालियों से सीखना; प्रारंभिक नींव और स्थायी लाभ और अन्य।

तीन दिवसीय इस आयोजन में कक्षा का सजीव अनुभव, व्यावहारिक प्रशिक्षण और सहभागी चर्चाएँ भी शामिल होंगी, जिससे प्रतिभागियों को उन शिक्षकों से सीधे सीखने का अवसर मिलेगा जो पहले से ही ‘PATH’ लागू कर रहे हैं। कार्यक्रम में हाई ‘PATH’ ऐप का भी शुभारंभ किया जाएगा, जो तुरंत topic-wise फ़ीडबैक और performance report उपलब्ध कराता है। इसके ज़रिए छात्र, शिक्षक और अभिभावक वास्तविक समय में प्रगति का आकलन कर पाएंगे और कमियों को दूर करने के उपाय कर सकेंगे।

मुख्य अतिथि ललिता प्रदीप, पूर्व अतिरिक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश ने आगे कहा, “उत्तर प्रदेश में हम ALfA कार्यक्रम को 4 जिलों में लागू कर चुके हैं, जो एक बड़ी उपलब्धि है। परख 2024 में, उत्तर प्रदेश ने ग्रेड 3 रैंक हासिल की है। यह राज्य के लिए बहुत बड़ी प्रगति है, जो खासकर निचले स्तर की शिक्षा में पहले चुनौतियों का सामना कर रहा था। मेरा मानना है कि शिक्षकों को इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी उठानी चाहिए और उस पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि यह पूरे राज्य और देश के कुछ हिस्सों में लोकप्रिय होता जा रहा है। ALfA शिक्षकों के लिए एक बेहतरीन उपकरण है, जो सीखने की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने में मदद करेगा। PATH मूवमेंट की शुरुआत हमारे देश के लिए एक सही दिशा में कदम है, जिससे भारत 2041 तक एक विकसित और दक्ष राष्ट्र बनने की ओर तेजी से अग्रसर हो सकेगा।”GETI की संस्थापक डॉ. सुनीता गांधी ने कहा, “यह एक पूरी तरह से छात्र-केन्द्रित कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य छात्रों के पहले से मौजूद ज्ञान को आधार बनाकर उन्हें और बेहतर तरीके से सीखने में मदद करना है।

इस कार्यक्रम के माध्यम से हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि छात्र अधिक सक्रिय रूप से हिस्सा लें, याद रखने की क्षमता बढ़े और असली समझ विकसित हो। छात्रों को समूहों या जोड़ों में मिलकर सीखने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी सीखने की प्रक्रिया और तेज होगी और वे अपने ज्ञान को गहराई से आत्मसात कर सकेंगे।

हमारा उद्देश्य यह है कि यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक प्रक्रिया न बनकर, छात्रों के लिए एक व्यावहारिक और रोचक अनुभव बनकर उभरे।”

डॉ. सुनीता गांधी, PhD (कैम्ब्रिज), एक शिक्षाविद, शोधकर्ता और नवप्रवर्तक हैं, जिन्हें शिक्षा सुधार के क्षेत्र में 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है। वह GETI और डिग्निटी एजुकेशन विज़न इंटरनेशनल (देवी) की संस्थापक हैं और लखनऊ स्थित विश्व के सबसे बड़े स्कूल सिटी मॉन्टेसरी स्कूल की चीफ़ अकैडमिक एडवाइज़र हैं।देशभर के शिक्षकों की भागीदारी के साथ यह राउंडटेबल GETI के उस मिशन को मज़बूती देता है, जिसका उद्देश्य भारत की शिक्षण समुदाय को सशक्त बनाना है।

यह मिशन साक्ष्य-आधारित और बड़े पैमाने पर लागू की जा सकने वाली प्रथाओं पर आधारित है, जो NEP 2020 और राष्ट्रीय शिक्षा सुधार के लक्ष्यों के अनुरूप हैं।GETI, जिसकी स्थापना डॉ. सुनीता गांधी ने की है, शिक्षक प्रशिक्षण और स्कूल परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय केंद्र है। यह शोध-आधारित कार्यक्रमों के ज़रिए शिक्षकों को सशक्त बनाता है, जैसे ALfA शिक्षण शास्त्र, जिसमें छात्र एक-दूसरे को सिखाकर सीखते हैं और इससे बुनियादी कुशलताएं में तेज़ी से प्रगति होती है।GETI का दायरा हज़ारों स्कूलों तक फैला है, जिनमें सिटी मॉन्टेसरी स्कूल भी शामिल है। यहाँ प्री-सर्विस और इन-सर्विस टीचर ट्रेनिंग, लीडरशिप प्रोग्राम और फ़ेलोशिप्स की सुविधा दी जाती है। इसका काम NEP2020 के अनुरूप है और हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के द्वारा समर्थित है। GETI छात्रों और शिक्षकों को अपनी सीखने की प्रक्रिया को दिशा देने और आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाता है।

प्रशिक्षण के बाद सीधे ग्रामों से जुड़े अधिकारियों को सफलतापूर्वक दायित्व निभाने में होगी आसानी -ओम प्रकाश राजभर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पंचायती राज विभाग और भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) लखनऊ के बीच आज एक महत्वपूर्ण MoU पर हस्ताक्षर किए गए। इस MoU का उद्देश्य पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को प्रशासनिक एवं वित्तीय रूप से और अधिक सक्षम बनाना है। साथ ही, उन्हें आधुनिक तकनीक, विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी जानकारी भी प्रदान की जाएगी। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अलग-अलग बैचों में 5 दिवसीय होगा।

कार्यक्रम के दौरान पंचायती राज मंत्री श्री ओम प्रकाश राजभर, प्रमुख सचिव पंचायती राज अनिल कुमार जी, निदेशक पंचायती राज श्री अमित कुमार सिंह जी तथा IIM लखनऊ की ओर से प्रो. मधुमिता चक्रवर्ती (चेयरपर्सन, मैनेजमेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम) उपस्थित रहीं।

मंत्री ओम प्रकाश राजभर जी ने कहा कि यह पहल बहुत ही शानदार है। पंचायती राज विभाग इस तरह से IIM जैसे शीर्ष संस्थान के साथ MoU कर रहा है। इसके लिए मैं विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार जी और निदेशक अमित कुमार सिंह को बधाई देता हूँ कि उन्होंने यह पहल की। मुझे विश्वास है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से पंचायतों में व्यापक बदलाव आएगा।
प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने कहा कि इस MoU के माध्यम से पंचायत प्रतिनिधियों को बेहतर नेतृत्व, पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जाएगी। हमारा उद्देश्य है कि पंचायत स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन और भी प्रभावी और पारदर्शी बने। IIM लखनऊ जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के सहयोग से यह संभव होगा और इसका लाभ पूरे प्रदेश को मिलेगा। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले जनप्रतिनिधियों के अनुभव भी भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
निदेशक अमित कुमार सिंह ने कहा कि पंचायतें लोकतंत्र की सबसे मजबूत इकाई हैं। यह MoU उन्हें नई तकनीकों और आधुनिक प्रबंधन पद्धतियों से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस पहल से पंचायत प्रतिनिधियों को निर्णय लेने की क्षमता, संसाधन प्रबंधन और AI जैसी तकनीक के इस्तेमाल में नई समझ विकसित होगी। हमें विश्वास है कि इस सहयोग से उत्तर प्रदेश की पंचायतें देश में रोल मॉडल के रूप में उभरेंगी।

IIM लखनऊ की प्रो. मधुमिता चक्रवर्ती ने कहा कि हमारे लिए यह MoU एक महत्वपूर्ण अवसर है। IIM लखनऊ का उद्देश्य हमेशा से समाज और प्रशासन में सकारात्मक बदलाव लाना रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित कर हम जमीनी स्तर पर सुशासन और नवाचार को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे।
यह MoU पंचायतों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करेगा और उन्हें प्रशासनिक, वित्तीय एवं तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मोदी सरकार के साफ नियत पर मुहर लगाई है : दानिश अंसारी

लखनऊ ।उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री  दानिश आजाद अंसारी ने आज सुप्रीम कोर्ट के वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर महत्वपूर्ण फैसला आने पर कहा की सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मोदी सरकार की मुसलमान के प्रति साफ नियत पर मोहर लगी है। इस फैसले के बाद मोदी सरकार की जो मंशा है कि वह संपत्तियों के माध्यम से पिछड़े पसमांदा मुसलमान और मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम हो इस भावना को और बल मिलेगा। वह संशोधन अधिनियम के माध्यम से वक्त की संपत्तियां पारदर्शी होगी।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। इस अधिनियम के माध्यम से, सरकार वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और उन संपत्तियों का इस्तेमाल गरीब मुसलमान के विकास के लिए करना सुनिश्चित होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए सरकार संजीदगी से काम करना चाहती है।
मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों के बेहतर रखरखाव व संपत्तियों पर हुए अवैध कब्जों को मुक्त करना तथा वक्फ बोर्ड की कमेटी में पिछड़े मुसलमान तथा मुस्लिम महिलाओं की सहभागिता को बढ़ावा देने की नीयत से वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर आई है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले की रोशनी में जो भी चीज मुसलमान के विकास के लिए जरूरी होगी केंद्र की मोदी सरकार उन तमाम चीजों को जरूर करेगी।
मोदी सरकार का यह मानना है कि अगर सही तरीके से वक्फ की संपत्तियों का सदुपयोग किया जाए तो इससे भारत के मुसलमानो को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। वक्फ संशोधन अधिनियम का बहुत साफ और स्पष्ट मकसद है कि वक्फ प्रबंधन में हो रही गड़बड़ियों तथा भ्रष्टाचार को सुधारा जाए। वक्फ कमेटी में आम मुसलमान का पार्टिसिपेशन बढ़े जिससे वक्फ संपत्ति का जो मूल मकसद है मुसलमान का विकास उसे मूल मकसद को सुरक्षित किया जा सके।
लखनऊ: पीडब्ल्यूडी की नई व्यवस्था से इंजीनियर परेशान, विकास कार्यों पर पड़ रहा असर


* अब 40 लाख तक के कार्यों की मंजूरी प्रमुख सचिव से, डिप्लोमा इंजीनियर संघ ने जताई आपत्ति

लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में लागू की गई नई व्यवस्था ने विभागीय इंजीनियरों की चिंता बढ़ा दी है। अब 40 लाख रुपये तक के विकास कार्यों को स्वीकृति देने का अधिकार प्रमुख अभियंता या विभागाध्यक्ष के बजाय सीधे प्रमुख सचिव को दे दिया गया है। इससे विकास कार्यों की रफ्तार पर असर पड़ने लगा है ।
पहले तक विभाग में 40 लाख रुपये तक के कार्यों की स्वीकृति प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष के स्तर से दी जाती थी, जिससे योजनाएं त्वरित गति से आगे बढ़ती थीं। लेकिन नई व्यवस्था के तहत अब हर छोटे-बड़े कार्य के लिए प्रमुख सचिव की मंजूरी जरूरी होगी, जिससे फाइलें लंबित होने लगी हैं और जमीनी कार्यों में देरी हो रही है।
इस बदलाव का विरोध करते हुए पीडब्ल्यूडी डिप्लोमा इंजीनियर संघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र सौंपकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। संघ का कहना है कि यह नई प्रणाली न केवल काम की रफ्तार धीमी कर रही है, बल्कि अधिकारियों और इंजीनियरों को अनावश्यक दवाब में ला रही है।
संघ ने यह भी आरोप लगाया है कि इतनी बड़ी संरचनात्मक बदलाव को लागू करने से पहले कैबिनेट की मंजूरी नहीं ली गई, जो कि प्रक्रिया के खिलाफ है। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इससे विभागीय स्वायत्तता प्रभावित हो रही है और ग्राउंड लेवल पर विकास परियोजनाएं बाधित हो रही हैं।
इंजीनियरों का मानना है कि जब तक प्रमुख सचिव हर फाइल पर स्वयं हस्ताक्षर नहीं करेंगे, तब तक कोई भी कार्य आगे नहीं बढ़ पाएगा। इससे न सिर्फ देरी होगी, बल्कि भ्रष्टाचार की संभावना भी बढ़ेगी।
अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं और क्या विभाग में पहले जैसी स्वीकृति व्यवस्था बहाल की जाती है या नहीं।
जालसाजी कर हासिल किए 40 लोन, बनाई करोड़ों की संपत्ति, एसटीएफ कर रही बैंक खातों की जांच


लोगों के दस्तावेजों पर फर्जीवाड़ा कर कार और मुद्रा लोन लिया, बैंक मैनेजरों से मिलीभगत भी उजागर



लखनऊ। एसटीएफ ने एक बड़े जालसाजी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो लोगों के दस्तावेजों का दुरुपयोग कर फर्जी तरीके से बैंकों से 20 कार लोन और 20 मुद्रा लोन हासिल कर चुका था। इस ठगी के जरिये गिरोह ने करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित कर ली थी। अब एसटीएफ आरोपियों के बैंक खातों और डिजिटल वॉलेट की जांच में जुट गई है ताकि ठगी के पैसों का पता लगाया जा सके।

गिरफ्तार मुख्य आरोपी नावेद हसन ने पूछताछ में खुलासा किया कि उसने वर्ष 2011 में ‘हिंद ट्रांसपोर्ट’ नामक एक फर्जी कंपनी बनाई थी। इस कंपनी का पंजीकरण भी फर्जी आधार कार्ड से कराया गया था। इस कंपनी के नाम पर ही विभिन्न बैंकों से लोन लिए गए। गिरोह ने कई आम लोगों के दस्तावेज जुटाकर उनका इस्तेमाल लोन के लिए किया।

एसटीएफ के अधिकारियों के अनुसार, गिरोह ने न केवल आम लोगों को झांसे में लेकर उनके दस्तावेज प्राप्त किए, बल्कि कुछ बैंक मैनेजरों से सांठगांठ भी की थी। नावेद हसन ने पूछताछ में बताया कि गिरफ्तार बैंक मैनेजर गौरव के अलावा अन्य बैंकों के मैनेजर भी इस फर्जीवाड़े में शामिल थे।

अब तक की जांच में यह भी सामने आया है कि गिरोह ने प्राप्त लोन की राशि से महंगी गाड़ियां खरीदीं, प्रॉपर्टी में निवेश किया और फर्जी कंपनियों के नाम पर कारोबार दिखाया। एसटीएफ ने आरोपियों के कब्जे से कंप्यूटर और मोबाइल फोन भी जब्त किए हैं, जिन्हें अब फोरेंसिक लैब भेजा गया है।

एसटीएफ की टीम अब इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस नेटवर्क के और भी सदस्य गिरफ्त में आएंगे। एजेंसी की प्राथमिकता यह भी है कि जिन लोगों के दस्तावेजों का दुरुपयोग हुआ है, उन्हें न्याय दिलाया जा सके।
यूपी पुलिस: मुख्य आरक्षी मोटर परिवहन पद पर पदोन्नति अब सीनियरिटी के आधार पर

लखनऊ । उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में मुख्य आरक्षी (मोटर परिवहन) के पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया को लेकर बड़ा बदलाव किया जा सकता है। अब इन पदों पर चयन लिखित परीक्षा के बजाय ज्येष्ठता (सीनियरिटी) के आधार पर किए जाने की संभावना है।

भर्ती बोर्ड ने जताई आपत्ति

डीजीपी मुख्यालय की लॉजिस्टिक शाखा ने नियमावली के प्रावधानों के अनुसार रिक्त पदों को विभागीय परीक्षा के माध्यम से भरने का प्रस्ताव पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड को भेजा था। हालांकि, बोर्ड ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि मोटर परिवहन शाखा में अब तक सभी पदों मुख्य आरक्षी चालक, उप निरीक्षक (मोटर परिवहन) और निरीक्षक (मोटर परिवहन) पर पदोन्नति सीनियरिटी के आधार पर की जाती रही है। ऐसे में मुख्य आरक्षी (मोटर परिवहन) के लिए भी समान मानक अपनाना उचित होगा।

नियमावली में संशोधन का सुझाव

भर्ती बोर्ड की ओर से एडीजी लॉजिस्टिक को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस मोटर परिवहन शाखा अधीनस्थ अधिकारी सेवा नियमावली-2015 में वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति का प्रावधान मौजूद है। लिहाजा, मुख्य आरक्षी (मोटर परिवहन) के पदों को भी इसी आधार पर भरा जाना समीचीन प्रतीत होता है। बोर्ड ने इस संबंध में नियमावली में आवश्यक संशोधन करने की अनुशंसा की है।

176 रिक्त पदों पर होगी पदोन्नति

गौरतलब है कि वर्ष 2020 से 2026 तक मुख्य आरक्षी (मोटर परिवहन) के कुल 176 पद रिक्त चल रहे हैं। नियमावली में संशोधन होने के बाद इन पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

परीक्षा व्यवस्था खत्म, सीनियरिटी को प्राथमिकता

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव विभागीय कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है, क्योंकि उन्हें अब लिखित परीक्षा की कठिन प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। योग्य और वरिष्ठ कर्मचारियों को पदोन्नति का सीधा लाभ मिलेगा।
दयानंद यादव डिग्री कॉलेज अर्जुनगंज लखनऊ में फेयरवेल और फ्रेशर पार्टी का आयोजन किया गया
लखनऊ।  दयानंद यादव डिग्री कॉलेज अर्जुनगंज में फेयरवेल और फ्रेशर पार्टी का आयोजन किया गया । जिसमें मुख्य अतिथि सीनियर कमांडेंट एम के वर्मा , अरविंद सोनी , शहजाद सिद्दीकी एवं महाविद्यालय के प्रबंधक  अजीत सिंह यादव अधिवक्ता उच्च न्यायालय प्राचार्य डॉ संदीप पटेल एवं शिक्षक डॉ बबीता शुक्ला , सुमन वर्मा ,  मीनाक्षी शुक्ला,  अंशुल मिश्रा , प्रतिज्ञा, डॉक्टर मोहम्मद अकबर, सौरभ वर्मा , अरविंद वर्मा , दीपक यादव , अविनाश यादव , भूपेंद्र सिंह वर्मा , देव अमर , सुभाष वर्मा मौजूद थे।

सत्र 2025 - 26 के बीए , बीकॉम एवं एलएलबी के प्रथम वर्ष के छात्रों का स्वागत किया गया । विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों ने बढ़ चढ़कर प्रतिभाग किया जिसमें बच्चों ने नृत्य प्रतियोगिता कैटवॉक रैंप वॉक म्यूजिकल चेयर गीत आदि कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम के अंत में मिस फेयरवेल वैष्णवी शुक्ला तथा मिस्टर फेयरवेल विकास यादव तथा मिस्टर फ्रेशर हिमांशु  मिस फ्रेशर मुस्कान प्रतियोगिता में ऋतिक एवं वंदन को बेस्ट डांसर के लिए सम्मानित किया गया कार्यक्रम का समापन महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा किया गया जिसमें उन्होंने बच्चों के उचित भविष्य की कामना की और कार्यक्रम को और कार्यक्रम को आयोजित करने वाले छात्र-छात्राओं रिया वैश्य मीनाक्षी शुक्ला शालिनी प्रिया सत्यम आर्यन,लालजीत यादव, सचिन, तुषार, निशु विवेक सौम्या कश्यप  आदि को सफलतापूर्वक कार्यक्रम संपन्न करने के लिए उनका उत्साह वर्धन किया।
विद्यार्थी श्रमदान से अपने विद्यालयों और छात्रावासों को संवारेंगे-असीम अरुण

*प्रत्येक रविवार परिसर की होगी साफ सफाई, विद्यार्थियों में अनुशासन और सहयोग की भावना होगी विकसित*

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन को नई गति देने के लिए समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने अनूठी पहल की है।

उनके निर्देश पर प्रदेश के सभी जयप्रकाश नारायण सर्वाेदय विद्यालयों और राजकीय छात्रावासों में रविवार से श्रमदान कार्यक्रम शुरू हो गया है। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों को अनुशासन, सहयोग और श्रम के प्रति सम्मान की भावना से जोड़ते हुए उन्हें जिम्मेदार व कर्मठ नागरिक बनाना है।

*श्रमदान कार्यक्रम की मुख्य रूपरेखा*

श्रमदान कार्यक्रम के तहत प्रत्येक रविवार को कक्षाओं, छात्रावासों और गलियारों की सफाई की जाएगी। साथ ही टूटी हुई कुर्सियों, मेजों या अन्य फर्नीचर की मरम्मत का कार्य भी होगा। पूरे परिसर को सुव्यवस्थित करने के साथ पानी की टंकियों और नालियों की सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। कचरा निस्तारण पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए आवश्यक उपकरण जैसे झाड़ू, फावड़े, बाल्टी, तसला और कूड़ेदान आदि की व्यवस्था पहले से की गई है ताकि कार्य सुचारु रूप से संपन्न हो सके।

*बागवानी की दिशा में पहल*

बागवानी पर विशेष ध्यान देते हुए पेड़-पौधों की निराई-गुड़ाई तथा नए पौधों के रोपण की योजना भी बनाई गई है। इसके साथ ही सूखे पत्तों और टहनियों को हटाकर खाद बनाने का कार्य भी किया जा सकता है।
सदनवार जिम्मेदारी होगी तय विद्यालय परिसरों को अलग-अलग सदनों में विभाजित कर प्रत्येक सदन को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जिससे विद्यार्थी न केवल प्रतिस्पर्धा की भावना से प्रेरित होंगे, बल्कि अपने क्षेत्र को स्वच्छ और सुंदर बनाने की दिशा में भी योगदान देंगे। श्रमदान कार्य के पहले और बाद की तस्वीरें निर्धारित प्रारूप में संलग्न फत् कोड के माध्यम से अपलोड की जाएंगी।