सिद्धि का मार्ग कठिन, प्रसिद्धि आसान – डॉ. विद्यासागर उपाध्याय का अनमोल वक्तव्य
संजीव सिंह बलिया! ग्राम गढ़ा के डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने प्रसिद्धि और सिद्धि के बीच का सौंदर्य बयां किया
गढ़ा, छतरपुर: डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने मंगलवार को एक प्रेरणादायक संदेश के माध्यम से जीवन में ‘प्रसिद्धि’ और ‘सिद्धि’ की गहराई समझाई। ब्लैकबोर्ड पर बड़े अक्षरों में ‘प्रसिद्धि’ लिखकर उन्होंने चर्चा शुरू की और बताया कि प्रसिद्धि आसानी से मिल जाती है, यहां तक कि कोई उटपटांग काम कर देने से भी मिल सकती है। उन्होंने कहा, “किसी बड़े चौराहे पर पूरे कपड़े उतार कर नाच देने से भी प्रसिद्धि मिल सकती है।”
कुछ क्षणों के सन्नाटे के बाद डॉ. विद्यासागर ने ‘प्र’ मिटाकर ब्लैकबोर्ड पर ‘सिद्धि’ लिखा और प्यार से समझाया, “यह सिद्धि है, जो न तो आसानी से मिलती है, न ही उटपटांग तरीकों या सिफारिशों से। इसका मार्ग थोड़ा लंबा और टेढ़ा होता है, लेकिन जब सिद्धि मिलती है तो प्रसिद्धि अपने आप उसके चरणों में आकर बैठ जाती है।”
उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध लोगों की महिमा अधिकांश वर्तमान की पीढ़ी करती है, जबकि सिद्ध लोगों का सम्मान पीढ़ियां करती हैं। अंत में डॉ. विद्यासागर ने कहा, “प्रसिद्धि और सिद्धि… खुद सोचिए आपको किस ओर जाना है! मैंने तो अपना मार्ग तय कर लिया है।”
उन्होंने अपने संदेश के अंत में सभी को शुभ मंगलवार की शुभकामनाएं दी और जय बागेश्वरधाम सरकार की वंदना की

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