भानुसिंघेर पदाबोली"का मंचन
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संजय द्विवेदी,प्रयागराज।रवीन्द्रालय जगत तारण गोल्डन जुबिली कैंपस में शाम सात बजे बी एस सी ए के तत्वाधान में पूर्णिमा सम्मेलनी द्वारा कविगुरु रबीन्दनाथ ठाकुर रचित एक नृत्य नाटिका" भानुसिंघेर पदाबोली"का मंचन किया गया।यह कार्यक्रम 8 अगस्त 2025 को कविगुरु के प्रयाण दिवस पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित किया जा रहा था परन्तु प्रयागराज में जल भराव के कारण कार्यक्रम को स्थगित करना पड़ा।
पूर्णिमा सम्मेलनी की स्थापना 1927 में हुई थी अतः ये प्रयागराज की प्राचीनतम बंगाली संस्था है जिसका उद्देश्य बंगाल के बाहर बंगाली साहित्य और संस्कृति को जीवित रखने के साथ साथ विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्य करना है।कविगुरु रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने इस काव्यग्रंथ की रचना सोलह वर्ष की आयु में किया था।वैष्णव कवियों की रचनाओं से प्रेरित होकर उन्होंने"भानुसिंह" के छद्मनाम से इन पदों की रचना की।उन्होंने मैथिली और बंगला भाषा का सम्मिश्रण करकर"ब्रजबुली"भाषा में इनको रचा।
कवि ने राधा कृष्ण के प्रेम के माध्यम से ईश्वरीय प्रेम प्रकृति और मानव संवेदनाओं से संबंध स्थापित किया है।इस नृत्य नाटिका का निर्देशन अर्नबी बनर्जी ने किया।विषय चयन शर्मीला चटर्जी।लेख अर्नबी बनर्जी।पाठ बेला मित्तल शर्मीला चटर्जी और अर्नबी बनर्जी।गायक कलाकार उदय चंद्र परदेसी जयदीप गांगुली पारिजात चौधरी शर्मीला चटर्जी डॉ रमा गांगुली मंत्रोंस संगीता राय भारद्वाज चन्दना घोष ईशानी बनर्जी कुमारी शालिनी गांगुली प्रणामी बोस और शुभ्रा घोष।
नृत्य निर्देशन कुमारी सायोनी भट्टाचार्य।नृत्य कलाकार अर्नबी बनर्जी सायोनी भट्टाचार्य अहोना भट्टाचार्य आंशिक शुक्ला सानवी बोस ,शुभी मिश्रा अंतर केसरवानी पूर्वी केसरवानी शांभवी श्रीवास्तव अर्पिता सिंह शिवालिका परिहार यशस्वी मिश्रा आख्या नित्या तिवारी और नंदिनी तिवारी।हारमोनियम उदय चंद्र परदेसी तबला और खोल अखिलेश सिंथेसाइजर जयंतो बोस अखिलेश ऑक्टोपैड अरुण भटनागर बांसुरी रविशंकर
Aug 23 2025, 19:34