अमेरिका ने भारत पर लगाया 50% टैरिफ, फिर भी ट्रंप को नहीं मिली तसल्ली, सेकेंडरी सैंक्शन लगाने की दी धमकी

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अमेरिका ने भारत के खिलाफ टैरिफ वॉर का शंखनाद कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया हैष इसका मतलब है कि अब भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लग गया। डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वाले आदेश पर दस्तखत भी कर दिए हैं। यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। जबकि पहला 25 फीसदी वाला टैरिफ 7 अगस्त से लागू होगा।

सेकेंडरी प्रतिबंध की धमकी

भारतीय आयातों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के कुछ घंटे बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को नई धमकी दी है। ट्रंप ने रूस से तेल खरीद जारी रखने पर भारत के ऊपर अधिक सेकंडरी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। व्हाइट हाउस में जब पत्रकारों ने पूछा कि चीन जैसे देश भी रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए हैं, तो भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। इस पर ट्रंप ने कहा, 'अभी तो सिर्फ आठ घंटे ही हुए हैं। देखते हैं क्या होता है... आपको और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा। आपकी कई सेकेंडरी प्रतिबंध देखने को मिलेंगे।'

भारत ने टैरिफ को अन्यायपूर्ण और अनुचित बताया

भारत ने टैरिफ में बढ़ोतरी की कड़ी निंदा की है और इसे 'अन्यायपूर्ण, अनुचित और अतार्कित' बताया है। विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, हाल के दिनों में अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। इसमें कहा गया कि भारत का आयात बाजार के कारकों पर आधारित है और देश के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्येश्य से किया जाता है।

क्या चाहते हैं ट्रंप?

डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि भारत अपने दोस्त रूस से यारी खत्म करे। भारत और रूस के बीच तेल और हथियारों का व्यापार ट्रंप को बिल्कुल पसंद नहीं। ट्रंप चाहते हैं कि भारत उससे तेल न खरीदे। इसके लिए अमेरिका ने प्रेशर पॉलिटिक्स का सहारा लिया है। यही वजह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत से होने वाले आयात पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाने का आदेश जारी किया। इस फैसले के पीछे भारत की ओर से रूस से तेल खरीद जारी रखना बताया गया है। अमेरिका का कहना है कि यह कदम यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को और प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया गया है।

आरएसएस शताब्दी समारोह में तीन देशों को न्योता नहीं, पाकिस्तान समेत इनसे बनाई दूरी

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपनी शताब्दी वर्षगांठ मनाने जा रहा है। इस साल विजयादशमी के मौके पर 100 वर्ष का होने वाला है। हालांकि, आरएसएस के शताब्दी समारोह से जुड़ी कार्यक्रमों की शुरुआत एक तरह से इसी महीने 26 अगस्त से ही हो रही है, जिसके तहत दिल्ली में तीन-दिवसीय संवाद का आयोजन हो रहा है, जिसकी अगुवाई सर संघचालक मोहन भागवत करेंगे।

दिल्ली में तीन दिवसीय संवाद

संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में चार प्रमुख आयोजनों की योजना है, जिनमें से पहला दिल्ली में 26 अगस्त से शुरू होगा। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में मोहन भागवत प्रत्येक दिन शाम 5:30 बजे से व्याख्यान देंगे। पहले दो दिन उनके व्याख्यान होंगे, जबकि तीसरा दिन पहले से जमा किए गए सवालों के जवाब के लिए समर्पित होगा। इस संवाद में ‘पंच परिवर्तन’ (पांच परिवर्तनों) के एजेंडे पर विशेष जोर होगा, जिसमें स्वदेशी ताकतों के आधार पर भारत के भविष्य को आकार देने, विभिन्न क्षेत्रों में अनछुई संभावनाओं और देश की उभरती वैश्विक भूमिका जैसे मुद्दे शामिल होंगे।

पाकिस्तान और उसके दो दोस्तों को न्योता नहीं

आरएसएस की तरफ से इस कार्यक्रम के लिए बड़ी तैयारियां चल रही हैं। इस मौके पर वह कई देशों के राजनयिकों को भी निमंत्रण देने जा रहा है और इसके लिए दूतावासों और उच्चायोगों से संपर्क भी किया जा रहा है। इसमें कई विपक्षी नेताओं को भी बुलाया जा रहा है। आरएसएस के प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने कहा है कि हम समाज के सभी वर्गों, समुदायों और विचारधाराओं के लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं। हम विपक्षी दलों से भी भागीदारी के लिए संपर्क कर रहे हैं। दुनिया के कई दूतावासों को भी न्योता भेजा जा रहा है लेकिन इसमें पाकिस्तान, तुर्किये और बांग्लादेश का नाम शामिल नहीं है।

पाक-तुर्किए और बांग्लादेश से दूरी की वजह

हाल की भू-राजनीतिक परिस्थितियों के चलते पाकिस्तान, तुर्किए और बांग्लादेश के दूतावासों को निमंत्रण नहीं दिया जाएगा. दरअसल, बांग्लादेश की मौजूदा सरकार ने हाल के वर्षों में कई बार भारत विरोधी रुख दिखाया है. उधर, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया था. ऐसे में पाकिस्तान के साथ-साथ तुर्किए के खिलाफ भी लोगों का गुस्सा बना हुआ है।

चार प्रमुख संवाद कार्यक्रम

भागवत का दिल्ली संबोधन 2 अक्टूबर को विजयादशमी शताब्दी समारोह से पहले चार प्रमुख कार्यक्रमों की श्रृंखला का हिस्सा होगा। इस संवाद कार्यक्रम में आरएसएस की 100 वर्ष की लंबी यात्रा, राष्ट्र निर्माण में इसकी भूमिका और 'नए क्षितिज'पर इसके विजन की चर्चा होगी। इस साल 2 अक्टूबर को विजयादशमी है और शताब्दी समारोह इसके बाद भी चलता रहेगा और इस तरह के चार बड़े कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जाएगी। मसलन, नवंबर में इसी तरह का एक विशाल संवाद कार्यक्रम बेंगलुरु में होगा, फिर कोलकाता और मुंबई की बारी आएगी। प्रत्येक संवाद कार्यक्रम में पहले दो दिन भागवत का संबोधन होगा और तीसरे दिन सवाल-जवाब के लिए रखे जाएंगे।

बिहार वोटर लिस्ट मामलाः 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

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बिहार के वोटर लिस्ट रीविजन (एसआईआर) को लेकर पूरे देश में घमासान मचा हुआ है। संसद में विपक्ष विरोध प्रदर्शन कर रही है और इसके खिलाफ आवाज उठा रही है। वहीं, दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर से जुड़ी याचिका दायर की गई है। कोर्ट में इन याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है।सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एसआईआर के बाद प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने के आरोपों पर चुनाव आयोग से शनिवार तक जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल किया है कि क्या एक अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट सूची को राजनीतिक दलों के साथ साझा किया गया था या नहीं?

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जस्टिस सूर्यकांत, उज्जल भुयान और एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने चुनाव आयोग से कहा, हमें हर उस वोटर की जानकारी चाहिए जिसका नाम हटाया गया है। ये देखें कि किस आधार पर नाम हटे हैं।

एडीआर ने याचिका दायर कर की ये मांग

दरअसल, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने याचिका दायर कर निर्वाचन आयोग ने ड्राफ्ट लिस्ट में जो 65 लाख लोगों के नाम हटाए हैं उनकी जानकारी प्रकाशित करने के लिए आयोग को निर्देश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है। ADR की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषण ने मामला मेंशन किया। 65 लाख लोगों को मसौदा सूची से हटाए जाने के संबंध में दाखिल आवेदन को मेंशन किया।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि हम ने राजनीतिक दलों को हटाए गए लोगों की सूची दी है। हम वोटर लिस्ट को साफ करने का काम कर रहे हैं। हमारा मकसद है कि अपात्र लोग हटें और केवल सही लोग वोटर लिस्ट में रहें। सुप्रीम कोर्ट ने आवेदन पर चुनाव आयोग से हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

65 लाख लोगों के हटाए गए नाम

बता दें कि बिहार में SIR प्रक्रिया के तहत, चुनाव आयोग ने आदेश दिया था कि सिर्फ उन्हीं वोटर्स को ड्राफ्ट रोल में शामिल किया जाएगा जो 25 जुलाई तक गणना फॉर्म जमा करेंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि राज्य के 7.89 करोड़ पंजीकृत वोटर्स में से 7.24 करोड़ से फॉर्म हासिल हो चुके हैं, यानी बाकी 65 लाख को हटा दिया गया है। आयोग ने 25 जुलाई को बताया, 22 लाख वोटर्स की मृत्यु हो चुकी है, जबकि 35 लाख या तो स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं या फिर उनका पता नहीं चल पाया है, 7 लाख वोटर्स एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं।

राहुल गांधी को कोर्ट ने दी जमानत, अमित शाह के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी मामले में बड़ी राहत

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लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है। मानहानि का केस झेल रहे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को जमानत मिल गई है। झारखंड के चाईबासा की एमपी एमएलए विशेष कोर्ट ने बुधवार को सशरीर पेशी के बाद जमानत दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में चाईबासा के एमपी-एमएलए के विशेष अदालत में आज 6 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई। अदालत ने राहुल गांधी पर लगे आरोपों को गलत बताते हुए उन्हें जमानत दे दी है।

राहुल गांधी के वकील ने बताया कि हाई कोर्ट के डायरेक्शन पर राहुल गांधी बुधवार को चाईबासा कोर्ट में पेश हुए। यहां कोर्ट ने राहुल की बेल को ग्रांट कर दिया है। बेल ग्रांट होने के बाद केस में जो कुछ भी प्रोसेस होगा उसे पूरा किया जाएगा।

राहुल गांधी पर आरोप

राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला प्रताप कुमार नाम के शख्स ने दायर किया है। शख्स का आरोप है कि राहुल गांधी ने साल 2018 में चाईबासा में एक रैली के दौरान अमित शाह के खिलाफ मानहानिपूर्ण बयान दिए थे। प्रताप कुमार चाईबासा में मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने जानबूझकर अमित शाह की छवि को खराब करने के मकसद से मानहानिकारक बयान दिए थे।

गैर जमानती वारंट हुआ था जारी

इससे पहले, राहुल गांधी के वकील ने झारखंड हाईकोर्ट में सेक्शन 205 (व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट) के तहत राहत की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद चाईबासा कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। हालांकि, झारखंड हाईकोर्ट ने इस वारंट को 6 अगस्त तक स्थगित कर दिया था।

आज कर्तव्य भवन का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी, अमित शाह और जयशंकर के मंत्रालय होंगे शिफ्ट

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केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय व विभाग जल्द ही कर्तव्य पथ के दोनों तरफ बन रहे कर्तव्य भवनों में दिखेंगे। दिल्ली के अलग-अलग भवनों में बिखरे केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय और विभाग अब जल्द ही कर्तव्य पथ के दोनों तरफ बन रहे कर्तव्य भवनों में दिखेंगे। सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों के लिए ऐसे कुल 10 भवनों का निर्माण होना है। इनमें से कर्तव्य भवन-3 बनकर तैयार हो गया है, इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज करेंगे।

कर्तव्य भवन-3 में कौन-कौन से मंत्रालय होंगे?

नए भवन में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, MSME, डीओपीटी (कार्मिक मंत्रालय), पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय होगा। कुछ मंत्रालय आज से ही इसमें शिफ्ट हो जाएंगे। ये मंत्रालय शास्त्री भवन, कृषि भवन, निर्माण भवन और उद्योग भवन से शिफ्ट होंगे। 1950-70 के दशक में बनीं इन पुराने भवनों की स्थिति जर्जर हो चुकी है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत ऐसे 10 कर्तव्य भवन बनाए जाने हैं, इनमें से बने सबसे पहल भवन का उद्घाटन पीएम मोदी आज करने जा रहे हैं।

कर्तव्य भवन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा

कर्तव्य भवन-3 एक अत्याधुनिक इमारत है, जो सेंट्रल विस्टा का हिस्सा है। इसे विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों को एक ही स्थान पर लाने के उद्देश्य से बनाया गया है। इसका लक्ष्य कार्य में तेजी लाना, समन्वय बढ़ाना और नवाचार को बढ़ावा देना है। यह भवन प्रधानमंत्री मोदी के नागरिक-केंद्रित शासन के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। लगभग 1.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले इस अत्याधुनिक कार्यालय परिसर में दो बेसमेंट और सात मंजिलें (भूतल+6 मंजिल) हैं।

क्या-क्या है सुविधाएं

भवन में सुरक्षित और आईटी-सक्षम कार्यस्थल, स्मार्ट एंट्री सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और कमांड सेंटर, सोलर पैनल, सौर वॉटर हीटर और ई-वाहन चार्जिंग स्टेशन जैसी सुविधाएं हैं। यह पर्यावरण के अनुकूल निर्माण को भी बढ़ावा देता है, जिसमें अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग, ठोस कचरा प्रबंधन प्रणाली शामिल हैं। इमारत को ठंडा रखने और बाहरी ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए इसमें कांच की विशेष खिड़कियां लगाई गई हैं।

30 फीसदी कम खपत होगी ऊर्जा

कर्तव्य भवन को 30 प्रतिशत कम ऊर्जा खपत के लिए तैयार किया गया है। ऊर्जा की बचत करने वाली एलईडी लाइटें, जरूरत न होने पर लाइटें बंद करने वाले सेंसर, बिजली बचाने वाली स्मार्ट लिफ्टें और बिजली के उपयोग को प्रबंधित करने की एक उन्नत प्रणाली लगाई गई है।

उत्तरकाशी में बादल फटने से तबाही, दर्जनों मकान-होटल बहे, लापता लोगों की तलाश में जारी, पीएम मोदी ने सीएम से की बात

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में धराली गांव में बादल फटने से भारी तबाही हुई है। ऊंचाई वाले इलाके में बादल फटा, जिससे खीरगंगा नदी में सैलाब आ गया। चार लोगों की मौत हुई है और 70 लोग लापता बताए जा रहे हैं। इस घटना में करीब 15 से 20 होटल व घरों को नुकसान की सूचना मिल रही है। शासन-प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

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धराली में कल दिन में बादल फटने से गांव जमींदोज हो गए। महज 34 सेकेंड में सैकड़ों घर-होटल मलबे में दब गए और पानी में बह गए। हादसे में 4 की मौत हो गई जबकि 50 से ज्यादा लापता बताए जा रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। SDRF, NDRF, ITBP और सेना की टीमें बचाव और रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं। अब तक 130 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू कराया जा चुका है। शासन ने राहत और बचाव कार्य तथा मरम्मत के लिए 20 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।

वायुसेना से मांगा गई मदद

विनाशकारी बाढ़ से तबाह हुए धराली में युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य चल रहा है, लेकिन हालात को देखते हुए राज्य की धामी सरकार ने वायुसेना से भी मदद मांगी है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से वायुसेना से दो एमआई हेलीकाप्टर और एक चिनूक हेलीकाप्टर की मांग की गई है।

सेना के 150 जवान भी रेस्क्यू में जुटे

लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव के मुताबिक धराली आपदा के बाद 14 राजरिफ के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हर्षवर्धन खुद राहत और बचाव कार्यों का नेतृत्व कर रहे हैं। उनकी टीम के 150 जवान इस कठिन मुहिम में डटे हुए हैं। हालांकि यूनिट का बेस भी प्रभावित हुआ है और 11 जवान लापता हैं। फिर भी टीम पूरे हौसले और संकल्प के साथ काम कर रही है। उन्होंने बताया कि अब तक 20 लोगों को सुरक्षित बचाया जा चुका है।

जिला प्रशासन की टीमें भटवाड़ी में फंसी

गंगोत्री हाईवे पर पापड़गाड़ के पास लगभग 30 मीटर सड़क धंस गई, जिससे हर्षिल और धराली क्षेत्र का जनपद और तहसील मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह कट गया है। इस वजह से जिला प्रशासन की राहत टीम और आवश्यक सामग्री लेकर जा रही टीमें भटवाड़ी में फंसी हुई हैं, जो देर रात से वहीं अटकी हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हर्षिल और आसपास के क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है, जिनमें मुख्य रूप से मुखबा और कछोरा जैसे इलाके शामिल हैं। प्रशासन द्वारा रात में ही लोगों को स्थानांतरित किया गया।

पीएम मोदी ने की सीएम धामी से फोन पर बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की और उत्तराखंड जिले के धराली क्षेत्र में हाल ही में आई आपदा और राहत एवं बचाव कार्यों की स्थिति की जानकारी ली। सीएम धामी ने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य सरकार पूरी तत्परता से राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हुई है। लगातार हो रही भारी बारिश के कारण कुछ क्षेत्रों में कठिनाइयाां आ रही हैं, लेकिन सभी संबंधित एजेंसियां समन्वय के साथ काम कर रही हैं ताकि प्रभावित लोगों को त्वरित सहायता मिल सके। प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

40 साल से ज्यादा ऑपोजिशन में रहा हूं, विपक्ष को मुझसे ट्यूशन लेने की जरूरत लो, राज्यसभा में नड्डा ने क्यों कही ये बात

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संसद का मानसून सत्र इस बार काफी हंगामेदार रहा है। मंगलवार को भी संसद में जमकर हंगामा देखा गया। राज्यसभा में भी आज खूब हंगामा हुआ। सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की मौजूदगी के मुद्दे पर आज राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। दरअसल सभापति ने इस बात पर आपत्ति जताई कि जब खरगे ने उन्हें सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती को लेकर पत्र लिखा था तो उसे मीडिया में क्यों जारी किया गया। सभापति ने इसे सदन के नियमों का उल्लंघन करार दिया।

दरअसल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खरगे के पत्र के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पत्र को मीडिया में जारी करके संसद के जनता को जानकारी देने के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इसके बाद उपसभापति ने कई घटनाओं का जिक्र किया, जब सत्ता पक्ष के लोग सदन में बोल रहे थे और विपक्षी सांसदों ने उनकी सीटों के पास आकर उनके संबोधन बाधित करने का प्रयास किया। सभापति ने कहा कि 'क्या यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं है? उन्होंने कहा कि सदस्यों द्वारा वेल में प्रदर्शन गलत है और यह सदन की परंपरा के खिलाफ है क्योंकि वेल की एक पवित्रता होती है। 

खरगे ने पूछा- क्या हम आतंकवादी हैं

सभापति के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जब सदन के नेता महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे होते हैं तो उस समय सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती गलत है। उन्होंने उदाहरण दिया कि 'जब अरुण जेटली राज्यसभा में और सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष के नेता थे, तो उन्होंने कहा था कि व्यवधान डालना भी लोकतंत्र को मजबूत करने का तरीका है। हम इसी तरह लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करते रहेंगे और ये हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।' खरगे ने कहा कि ऐसे में अगर मैंने आपको पत्र लिखा और उस बारे में मीडिया में जानकारी दी गई तो उस पर आपको इतनी आपत्ति क्यों है? मैं सभी सदस्यों को सूचित नहीं कर सकता, इसलिए एक प्रेस नोट जारी किया। मुझे बताइए सीआईएसएफ को वेल में तैनात क्यों किया गया? क्या हम आतंकवादी हैं?

अभी 30-40 साल और विपक्ष में ही रहना-नड्डा

खरगे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने को लेकर विपक्ष की आलोचना की। जेपी नड्डा ने कहा कि विपक्ष का हंगामा नियमों के खिलाफ है। नड्डा ने सदन की कार्यवाही को लेकर राज्यसभा के उपसभापति के बयान का जिक्र किया। उन्होंने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने वाले सांसदों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यहां जब मैं भाषण दे रहा हूं और बगल में कोई आकर नारेबाजी करेगा तो यह लोकतांत्रिक नहीं है। यह सदन में काम करने का तरीका नहीं होता। मैं 40 साल से ज्यादा विपक्ष में रहा हूं, मुझसे ट्यूशन ले लीजिए। अभी आपको 10 ही साल हुए हैं, अभी 30-40 साल और विपक्ष में ही रहना है। नड्डा ने सदन में गतिरोध को लेकर विपक्ष की तरफ से अरुण जेटली की बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसके बहुत से तरीके हैं। मुझसे ट्यूशन लोगे तो मैं बताऊंगा।

मार्शल के तौर पर सुरक्षाकर्मी आते हैं-नड्डा

जेपी नड्डा ने कहा कि लोकतंत्र में यदि आप लाठी भांज रहे हैं और आपकी लाठी मेरी नाक को लग जाती है तब आपका लोकतंत्र खत्म हो जाता है। नड्डा ने कहा कि जो भी व्यक्ति सदन में सभापति के आदेश पर सदन को संचालित करने में मदद करता है तो वह मार्शल है, न कि किसी पैरामिलिट्री फोर्स के सदस्य।

सिर्फ मार्शल ही यहां थे-रिजिजु

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा, मैं एक बात साफ करना चाहूंगा। विपक्ष के नेता बहुत वरिष्ठ नेता हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल उठाया था, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि सदन में सेना के लोग लाए गए, सीआईएसएफ के जवान लाए गए और दिल्ली पुलिस को लाया गया। यह रिकॉर्ड में साफ है कि सिर्फ मार्शल ही सदन में प्रवेश कर सकते हैं। उस दिन सिर्फ मार्शल ही यहां थे। इसलिए, विपक्ष के नेता ने गुमराह किया और यहां झूठे तथ्य पेश किए। उन्होंने आपको भी लिखा है। जब विपक्ष के नेता सभापति को झूठा पत्र लिखते हैं और झूठे तथ्य पेश करते हैं, तो क्या कार्रवाई होनी चाहिए?

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, लंबे समय से बीमार थे

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक का 79 साल की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मलिक ने अंतिम सांस ली। वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके सहयोगी कंवर सिंह राणा ने निधन की पुष्टि की है। बता दें कि एक दिन पहले ही झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेना का भी दिल्ली में निधन हुआ था। शिबू सोरेन ने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सोमवार को आखिरी सांस ली।

मलिक को इस साल मई में मूत्र मार्ग में संक्रमण से जुड़ी गंभीर समस्याओं के चलते भर्ती कराया गया था। उनकी उनकी किडनी फेल हो गई थी। दरअसल, मलिक को 11 मई को पेशाब करने में तेज दर्द और तकलीफ हुई थी, जिसके बाद उनकी दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया था और उनकी हालत बेहद गंभीर होती चली गई थी।

कौन थे सत्यपाल मलिक

सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसवाड़ा गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म एक जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने मेरठ कॉलेज से विज्ञान स्नातक और एलएलबी की डिग्री हासिल की। अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने 1968-69 में मेरठ कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में की। 1974-77 तक वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे और 1980 से 1989 तक राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। 1989 से 1991 तक वह जनता दल के सदस्य के रूप में अलीगढ़ से नौवीं लोकसभा के सांसद रहे।

जम्मू-कश्मीर राज्य के रहे आखिरी राज्यपाल

मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था और राज्य का विशेष दर्जा रद्द कर दिया गया था। बाद में उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उसके बाद वे अक्टूबर 2022 तक मेघालय के राज्यपाल के रूप में काम करते रहे। उन्होंने 2019 के पुलवामा हमले में सुरक्षा चूक और किरू हाइड्रोपावर परियोजना में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दों पर खुलकर बात की थी, जिसके कारण वह विवादों में भी रहे।

कौन सच्चा भारतीय ये तय करना जजों का काम नहीं, राहुल को सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर भड़कीं प्रियंका

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चीन को लेकर सवाल उठाने वाले कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई। एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सेना पर टिप्पणी के मामले में फटकार लगी। जिसपर राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर अपने भाई राहुल गांधी का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज यह तय नहीं कर सकते कि कौन सच्चा भारतीय है।

प्रियंका गांधी ने संसद परिसर में पत्रकारों से कहा, 'माननीय सुप्रीम कोर्ट के जजों का मैं सम्मान करती हूं, लेकिन यह तय करना उनका काम नहीं है कि कौन सच्चा भारतीय है। विपक्ष के नेता का काम होता है सरकार से सवाल पूछना और उसे चुनौती देना।' उन्होंने कहा कि उनके भाई राहुल गांधी को सेना का बहुत सम्मान है और वह कभी भी सेना के खिलाफ कुछ नहीं कह सकते। प्रियंका ने कहा, 'राहुल सेना का हमेशा सम्मान करते हैं। उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।'

सरकार को उनका सवाल करना करना पसंद नहीं आ रहा-प्रियंका

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आगे कहा कि सरकार को उनका सवाल करना करना पसंद नहीं आ रहा, उन्हें जवाब न देना पड़े इसलिए वो ये सारे हथकंडे अपना रहे हैं। वो इतने कमजोर हो गए हैं कि संसद को भी सही तरह से नहीं चला पा रहे हैं। एक ऐसा मुद्दा जिसपर चर्चा की मांग पूरे विपक्ष की तरफ से की जा रही है, तो वो क्यों चर्चा नहीं करवो सकते।

भारत-चीन की सेनाओं के बीच झड़प को लेकर की थी टिप्पणी

बता दें कि कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 9 दिसंबर 2022 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई झड़प को लेकर टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी को लेकर ही एक दिन पहले उन्हें सुप्रीम कोर्ट से नसीहत मिली है। सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा था कि आप ऐसे बयान बिना सबूत के क्यों दे रहे हैं। अगर आपक सच्चे भारतीय हैं तो आपको ऐसा नहीं कहना चाहिए।

आतंकवाद न खत्म हुआ और ना ही कभी खत्म होगा', फारूक अब्दुल्ला का विवादित बयान

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5 अगस्त को भारत के संविधान से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के भारत सरकार के फैसले को 6 साल पूरे होने वाले हैं। जिसे लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। एनसी के प्रमुख पारूख अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। हालांकि इस दौरान आतंकवाद को लेकर उनकी जुबान फिसल गई। उन्होंने कहा कि आतंकवाद न खत्म हुआ है और ना ही खत्म होगा।

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में जारी मुठभेड़ पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकवाद खत्म नहीं होगा। मैंने कभी नहीं कहा कि आतंकवाद पूरी तरह खत्म हो गया है, लेकिन जो लोग मानते हैं कि आतंकवाद खत्म हो जाएगा, मैं उन्हें इसी वक्त चुनौती देता हूं। जब तक हमारे पड़ोसियों के साथ हमारे रिश्ते बेहतर नहीं हो जाते, तब तक आतंकवाद खत्म नहीं होगा।

जो लोग ये कहते थे कि अनुच्छेद 370 आतंकवाद के लिए जिम्मेदार है, वो कई सालों तक यहां प्रभारी थे। पहलगाम हमले से पहले उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने सभी आतंकी शिविरों को खत्म कर दिया है। फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि यहां तक कि उन्होंने ये भी कहा कि पड़ोसी के साथ चल रहे मौजूदा युद्ध में आतंकवादियों को पीछे धकेल दिया गया है। तो फिर अब कुलगाम में मुठभेड़ कैसे हो रही है?

मुझे शांति आती नहीं दिख रही- अब्दुल्ला

अब्दुल्ला ने कहा कि संघर्ष से बाहर निकलने का रास्ता खोजने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुझे शांति आती नहीं दिख रही है। मुझे लगता है कि हम यह सोचकर मूर्खों के स्वर्ग में जी रहे हैं कि रातोंरात शांति आ जाएगी। हमारे पास एक मजबूत पड़ोसी है। चाहे वह चीन हो या पाकिस्तान। किसी तरह हमें एक रास्ता खोजना होगा। युद्ध कोई रास्ता नहीं है। अंत में आपको एक कलम का उपयोग करना होगा और चीजों पर चर्चा करनी होगी। इससे हमें क्या नुकसान होता है?

पूछा-जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा कब मिलेगा?

5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने को छह साल होने जा रहे हैं, जिसे लेकर फारूक अब्दुल्ला ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा कब वापस मिलेगा? उन्होंने (भाजपा ने) पिछले छह सालों में जम्मू-कश्मीर में सुधार के नाम पर क्या किया है? मुझे ये पूरा भरोसा है कि एक दिन उनको ये फैसला करना ही पड़ेगा। इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं। यहां (जम्मू-कश्मीर में) राजभवन में एक वायसराय बैठे हैं, लेकिन मुख्य व्यक्ति राजभवन में बैठे वायसराय ही हैं। इस व्यवस्था को बदलने का समय आ गया है। यह एक लोकतांत्रिक देश है।