पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, लंबे समय से बीमार थे

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक का 79 साल की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मलिक ने अंतिम सांस ली। वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके सहयोगी कंवर सिंह राणा ने निधन की पुष्टि की है। बता दें कि एक दिन पहले ही झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेना का भी दिल्ली में निधन हुआ था। शिबू सोरेन ने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सोमवार को आखिरी सांस ली।

मलिक को इस साल मई में मूत्र मार्ग में संक्रमण से जुड़ी गंभीर समस्याओं के चलते भर्ती कराया गया था। उनकी उनकी किडनी फेल हो गई थी। दरअसल, मलिक को 11 मई को पेशाब करने में तेज दर्द और तकलीफ हुई थी, जिसके बाद उनकी दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया था और उनकी हालत बेहद गंभीर होती चली गई थी।

कौन थे सत्यपाल मलिक

सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसवाड़ा गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म एक जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने मेरठ कॉलेज से विज्ञान स्नातक और एलएलबी की डिग्री हासिल की। अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने 1968-69 में मेरठ कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में की। 1974-77 तक वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे और 1980 से 1989 तक राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। 1989 से 1991 तक वह जनता दल के सदस्य के रूप में अलीगढ़ से नौवीं लोकसभा के सांसद रहे।

जम्मू-कश्मीर राज्य के रहे आखिरी राज्यपाल

मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था और राज्य का विशेष दर्जा रद्द कर दिया गया था। बाद में उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उसके बाद वे अक्टूबर 2022 तक मेघालय के राज्यपाल के रूप में काम करते रहे। उन्होंने 2019 के पुलवामा हमले में सुरक्षा चूक और किरू हाइड्रोपावर परियोजना में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दों पर खुलकर बात की थी, जिसके कारण वह विवादों में भी रहे।

कौन सच्चा भारतीय ये तय करना जजों का काम नहीं, राहुल को सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर भड़कीं प्रियंका

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चीन को लेकर सवाल उठाने वाले कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई। एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सेना पर टिप्पणी के मामले में फटकार लगी। जिसपर राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर अपने भाई राहुल गांधी का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज यह तय नहीं कर सकते कि कौन सच्चा भारतीय है।

प्रियंका गांधी ने संसद परिसर में पत्रकारों से कहा, 'माननीय सुप्रीम कोर्ट के जजों का मैं सम्मान करती हूं, लेकिन यह तय करना उनका काम नहीं है कि कौन सच्चा भारतीय है। विपक्ष के नेता का काम होता है सरकार से सवाल पूछना और उसे चुनौती देना।' उन्होंने कहा कि उनके भाई राहुल गांधी को सेना का बहुत सम्मान है और वह कभी भी सेना के खिलाफ कुछ नहीं कह सकते। प्रियंका ने कहा, 'राहुल सेना का हमेशा सम्मान करते हैं। उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।'

सरकार को उनका सवाल करना करना पसंद नहीं आ रहा-प्रियंका

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आगे कहा कि सरकार को उनका सवाल करना करना पसंद नहीं आ रहा, उन्हें जवाब न देना पड़े इसलिए वो ये सारे हथकंडे अपना रहे हैं। वो इतने कमजोर हो गए हैं कि संसद को भी सही तरह से नहीं चला पा रहे हैं। एक ऐसा मुद्दा जिसपर चर्चा की मांग पूरे विपक्ष की तरफ से की जा रही है, तो वो क्यों चर्चा नहीं करवो सकते।

भारत-चीन की सेनाओं के बीच झड़प को लेकर की थी टिप्पणी

बता दें कि कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 9 दिसंबर 2022 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई झड़प को लेकर टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी को लेकर ही एक दिन पहले उन्हें सुप्रीम कोर्ट से नसीहत मिली है। सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा था कि आप ऐसे बयान बिना सबूत के क्यों दे रहे हैं। अगर आपक सच्चे भारतीय हैं तो आपको ऐसा नहीं कहना चाहिए।

आतंकवाद न खत्म हुआ और ना ही कभी खत्म होगा', फारूक अब्दुल्ला का विवादित बयान

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5 अगस्त को भारत के संविधान से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के भारत सरकार के फैसले को 6 साल पूरे होने वाले हैं। जिसे लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। एनसी के प्रमुख पारूख अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। हालांकि इस दौरान आतंकवाद को लेकर उनकी जुबान फिसल गई। उन्होंने कहा कि आतंकवाद न खत्म हुआ है और ना ही खत्म होगा।

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में जारी मुठभेड़ पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकवाद खत्म नहीं होगा। मैंने कभी नहीं कहा कि आतंकवाद पूरी तरह खत्म हो गया है, लेकिन जो लोग मानते हैं कि आतंकवाद खत्म हो जाएगा, मैं उन्हें इसी वक्त चुनौती देता हूं। जब तक हमारे पड़ोसियों के साथ हमारे रिश्ते बेहतर नहीं हो जाते, तब तक आतंकवाद खत्म नहीं होगा।

जो लोग ये कहते थे कि अनुच्छेद 370 आतंकवाद के लिए जिम्मेदार है, वो कई सालों तक यहां प्रभारी थे। पहलगाम हमले से पहले उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने सभी आतंकी शिविरों को खत्म कर दिया है। फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि यहां तक कि उन्होंने ये भी कहा कि पड़ोसी के साथ चल रहे मौजूदा युद्ध में आतंकवादियों को पीछे धकेल दिया गया है। तो फिर अब कुलगाम में मुठभेड़ कैसे हो रही है?

मुझे शांति आती नहीं दिख रही- अब्दुल्ला

अब्दुल्ला ने कहा कि संघर्ष से बाहर निकलने का रास्ता खोजने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुझे शांति आती नहीं दिख रही है। मुझे लगता है कि हम यह सोचकर मूर्खों के स्वर्ग में जी रहे हैं कि रातोंरात शांति आ जाएगी। हमारे पास एक मजबूत पड़ोसी है। चाहे वह चीन हो या पाकिस्तान। किसी तरह हमें एक रास्ता खोजना होगा। युद्ध कोई रास्ता नहीं है। अंत में आपको एक कलम का उपयोग करना होगा और चीजों पर चर्चा करनी होगी। इससे हमें क्या नुकसान होता है?

पूछा-जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा कब मिलेगा?

5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने को छह साल होने जा रहे हैं, जिसे लेकर फारूक अब्दुल्ला ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा कब वापस मिलेगा? उन्होंने (भाजपा ने) पिछले छह सालों में जम्मू-कश्मीर में सुधार के नाम पर क्या किया है? मुझे ये पूरा भरोसा है कि एक दिन उनको ये फैसला करना ही पड़ेगा। इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं। यहां (जम्मू-कश्मीर में) राजभवन में एक वायसराय बैठे हैं, लेकिन मुख्य व्यक्ति राजभवन में बैठे वायसराय ही हैं। इस व्यवस्था को बदलने का समय आ गया है। यह एक लोकतांत्रिक देश है।

शिबू सोरेन के निधन पर पीएम मोदी ने जताया दुख, अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे गंगाराम अस्‍पताल

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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन का सोमवार को दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से राजनीतिक जगत में शोक की लहर है। शिबू सोरेन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख जताया और उनके पुत्र व झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फोन पर बात कर संवेदना प्रकट की। साथ ही प्रधानमंत्री शिबू सोरेन के अंतिम दर्शन के लिए सर गंगाराम अस्पताल भी पहुंचे।

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सर गंगा राम अस्पताल पहुंचे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल पहुंचे, जहां झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का इलाज चल रहा था। प्रधानमंत्री ने अस्पताल पहुंचकर दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी और उनके परिजनों से मुलाकात कर संवेदना प्रकट की। शिबू सोरेन पिछले एक महीने से अधिक समय से गुर्दे संबंधी समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती थे। तमाम कोशिशों के बावजूद आज उनका निधन हो गया।

पीएम मोदी ने बताया जमीनी नेता

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा कि शिबू सोरेन एक ज़मीनी नेता थे, जिन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में ऊंचाइयों को छुआ। वे आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से समर्पित थे। उनके निधन से दुःख हुआ। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। झारखंड के मुख्यमंत्रीहेमंत सोरेन जी से बात की और संवेदना व्यक्त की। ॐ शांति।

मंगलवार को नेमरा में होगा अंतिम संस्कार

शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर आज शाम रांची लाया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उनका शव शाम 4 से 5 बजे के बीच रांची एयरपोर्ट पर पहुंचेगा। इसके बाद पार्थिव शरीर को मोराबादी स्थित उनके आवास ले जाया जाएगा, जहां आम जनता और समर्थक उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकेंगे। कल सुबह 11:00 बजे दिवंगत नेता का पार्थिव शरीर झारखंड विधानसभा परिसर में अंतिम दर्शन के लिए लाया जाएगा। वहां राज्य सरकार और विधायकों की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके बाद शव को रामगढ़ ज़िले के नेमरा गांव ले जाया जाएगा, जो उनका पैतृक स्थान है। कल दोपहर 3:00 बजे नेमरा में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

दिल्ली: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शिबू सोरेन को दी श्रद्धांजलि, बोले- "वंचितों की आवाज और जनजातीय समाज के प्रणेता थे गुरुजी"

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नई दिल्ली: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और 'दिशोम गुरु' शिबू सोरेन के निधन पर देशभर से शोक संवेदनाएं व्यक्त की जा रही हैं। इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने उनके निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पासवान ने कहा कि शिबू सोरेन ने समाज के वंचित वर्गों की आवाज बनने का अभूतपूर्व कार्य किया।

चिराग पासवान ने अपने दिवंगत पिता, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संस्थापक रामविलास पासवान के साथ शिबू सोरेन के मधुर संबंधों को याद किया। उन्होंने कहा, "मेरे पिता रामविलास पासवान के साथ उनके बहुत मधुर संबंध थे। सामाजिक लड़ाई को मजबूत करने की दिशा में शिबू सोरेन और मेरे पिता ने साथ मिलकर काम करने का कार्य किया।"

केंद्रीय मंत्री ने शिबू सोरेन के जनजातीय समाज के प्रति योगदान को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "जनजातीय समाज को उन्होंने मुख्यधारा के साथ जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास किया।" चिराग पासवान ने इस महान नेता के निधन को एक बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि "उनकी कमी आने वाली सदियों तक हर किसी को खलेगी।"

शिबू सोरेन का निधन भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत है, जिन्होंने अपना जीवन आदिवासी समुदाय के उत्थान और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित कर दिया।

राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार, पूछा-आपको कैसे पता चला चीन ने जमीन हड़प ली

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सुप्रीम कोर्ट ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने उनसे पूछा, आपको कैसे पता है कि चीन ने भारत की जमीन हड़प ली है? सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर, 2022 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प के बाद भारतीय सेना पर उनकी कथित टिप्पणी को लेकर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की फजीहत की है। राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित तौर पर ये टिप्पणी की थी, जिसमें उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया गया।

भारतीय सेना पर कथित टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सासंद को बड़ी राहत दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से चीन के भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने को लेकर दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। अदालत ने कहा कि जब सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति है, तब विपक्ष के नेता को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था।

राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी नसीहत

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने यह आदेश दिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने को नसीहत भी दी। जस्टिस दीपांक दत्ता ने राहुल गांधी से पूछा, ‘भारतीय होने की वजह से आपकी टिप्पणी ठीक नहीं। आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर कब कब्जा कर लिया? विश्वसनीय जानकारी क्या है? एक सच्चा भारतीय ऐसा नहीं कहेगा। जब सीमा पार कोई विवाद हो तो क्या आप ये सब कह सकते हैं?

संसद में सवाल क्यों नहीं किया?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर आपने यह संसद में क्यों नहीं कहा और सोशल मीडिया पर क्यों कहा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके पास भले ही अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता है, लेकिन यह क्यों कहा। एक सच्चे भारतीय के तौर पर सेना को लेकर क्या ऐसी टिप्पणी करनी चाहिए? आप एक जिम्मेदार नेता हैं।

राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत भी

सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को मानहानि केस में राहत भी प्रदान की है। इस संबंध में निचली अदालत में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने लखनऊ ट्रायल कोर्ट के समन पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। दरअसल, मई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ की एमपी-एमएलए अदालत की ओर से पारित समन आदेश को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यहां राहुल गांधी को राहत मिल गई।

वोट चोरी” के दावों के बीच राहुल गांधी के घर पर 7 अगस्त को इंडिया गठबंधन की बड़ी बैठक, क्या होगा मीटिंग का मुद्दा?

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संसद में सियासी घमासान लगातार जारी है। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के अलावा इस मॉनसून सत्र में अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही ठीक ढंग से नहीं चल सकी है। दूसरी ओर उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का भी ऐलान हो चुका है। इस बीच इंडिया गठबंधन के नेताओं की बड़ी बैठक सात अगस्त को बुलाई गई है। इस बैठक में गठबंधन के ज्यादातर प्रमुख चेहरे शामिल होंगे। बैठक के बाद डिनर का भी कार्यक्रम रखा गया है। इस डिनर बैठक के लिए राहुल गांधी ने सहयोगी दलों के नेताओं को न्यौता दिया है। राहुल गांधी के नए सरकारी आवास पांच सुनहरी बाग रोड पर यह डिनर-बैठक हो सकती है।

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में होने वाली इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात होगी। माना जा रहा है कि इस बैठक में मुख्य रूप से चुनाव आयोग द्वारा करवाए जा रहे वोटरलिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण यानी एसआईआर प्रकिया के ख़िलाफ़ रणनीति बनाई जाएगी। बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने पर विपक्षी दल चिंतित हैं। वे इस मुद्दे को अन्य राज्यों में भी उठाने की योजना बना रहे हैं।

'वोट चोरी' के सबूत पेश करेंगे राहुल?

राहुल गांधी इस बैठक में कथित 'वोट चोरी' के सबूत पेश करेंगे। विपक्षी दल बिहार में संयुक्त आंदोलन और कानूनी विकल्पों पर भी विचार करेंगे। कुछ नेताओं ने बताया कि राहुल गांधी के घर होने वाली बैठक में कांग्रेस सांसद बेंगलुरु में कथित चुनावी अनियमितताओं के बारे में एक प्रेजेंटेशन देंगे। इसके बाद वे INDIA ब्लॉक की बैठक में 'वोट चोरी और चुनाव आयोग की भूमिका' के बारे में सबूत पेश करेंगे।

उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर भी मंथन

इस बैठक संसद में जारी गतिरोध और उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की अगली रणनीति पर भी राहुल गांधी के घर बैठक में विचार किया जाएगा। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है। विपक्षी दल इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि चुनाव में उम्मीदवार खड़ा किया जाए या नहीं। यह चुनाव बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA के लिए आसान माना जा रहा है, क्योंकि उनके पास स्पष्ट बहुमत है। विपक्षी दल हर पहलू पर सावधानीपूर्वक विचार कर रहे हैं। वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा हो और चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष हो।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन, दिल्ली के अस्पताल में ली आखिरी सांस

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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का आज सुबह नई दिल्ली में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। शिबू सोरेन का गंगा राम अस्पताल में इलाज चल रहा था।

उनके बेटे और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, 'आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं...'

भारतीय डाक विभाग ने बंद की दशकों पुरानी रजिस्ट्री सेवा: 1 सितंबर से लागू होगा नया नियम

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नई दिल्ली। भारत की सबसे पुरानी और भरोसेमंद सेवाओं में से एक, रजिस्ट्री सेवा, अब इतिहास बन जाएगी, क्योंकि भारतीय डाक विभाग ने ऐलान किया है कि 1 सितंबर 2025 से देशभर में पारंपरिक रजिस्ट्री सेवा बंद कर दी जाएगी। अब पार्सल या महत्वपूर्ण दस्तावेज भेजने के लिए केवल स्पीड पोस्ट सेवा ही उपलब्ध रहेगी।

डाक विभाग का कहना है कि रजिस्ट्री और स्पीड पोस्ट, दोनों सेवाएं एक जैसी कार्यप्रणाली पर आधारित थीं, जिसके कारण दोहरी व्यवस्था बनाए रखने में अतिरिक्त मैनपावर और संसाधनों की जरूरत पड़ रही थी। विभाग के अनुसार, इन दोनों सेवाओं को समानांतर चलाना "अनावश्यक दोहराव" बन गया था, जिससे लागत और मानव संसाधन दोनों प्रभावित हो रहे थे।

रजिस्ट्री सेवा एक समय में न्यायिक दस्तावेजों, सरकारी पत्राचार और महत्वपूर्ण व्यक्तिगत संचार के लिए सबसे विश्वसनीय माध्यम मानी जाती थी। इसे कानूनी मान्यता भी प्राप्त थी और इसकी ट्रैकिंग सुविधा ने इसे विशिष्ट बनाया था। लेकिन अब डाक विभाग ने तकनीकी प्रगति और सेवाओं के डिजिटलीकरण के तहत इसे समाप्त करने का फैसला किया है।

विभाग का कहना है कि स्पीड पोस्ट सेवा अधिक तेज, पारदर्शी और डिजिटल रूप से ट्रैक योग्य है, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव मिलेगा। हालांकि, रजिस्ट्री सेवा से जुड़ी कई यादें और भावनात्मक जुड़ाव रखने वाले नागरिकों के लिए यह निर्णय थोड़ा भावुक कर देने वाला है।

इस फैसले के लागू होने के बाद डाक सेवाओं में एक युग का अंत होगा, और अब स्पीड पोस्ट ही देशभर में महत्वपूर्ण दस्तावेजों और पार्सलों को भेजने का मुख्य माध्यम बनेगा।

अरूण जेटली ने बंद कमरे में धमकाया…” आरोप लगाकर यूं घिरे राहुल गांधी, रोहन जेटली ने निकाली दावे की हवा

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लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के पूर्व राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राहुल गांधी इन दिनों लगातार सुर्खियों में हैं। बिहार में वोटर लिस्‍ट के संशोधन (एसआईआर) हो या ऑपरेशन सिंदूर से लेकर डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय अर्थव्यवस्था को मृत कहे जाने पर दी गई प्रतिक्रिया हो, राहुल गांधी के बयान अखबारों की हेडलाइन बनी हुई है। इस बीच राहुल गांधी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के दिवंगत नेता अरुण जेटली पर धमकाने का आरोप लगाया है।

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को सालाना लीगल कॉन्क्लेव-2025 में हिस्‍सा लिया। उन्‍होंने कहा, मुझे याद है जब मैं कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा था, तो अरुण जेटली को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था। उन्होंने मुझसे कहा था कि अगर आप सरकार का विरोध करते रहे और कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ते रहे, तो हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी। तब मैंने उनकी तरफ देखा और कहा कि मुझे नहीं लगता कि आपको पता है कि आप किससे बात कर रहे हैं।

अरूण जेटली के बेटे ने याद दिलाई तारीख

राहुल गांधी के आरोपों पर अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने प्रतिक्रिया दी है। रोहन जेटली ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि 'राहुल गांधी का दावा है कि कृषि कानूनों को लेकर मेरे पिता ने उन्हें धमकाया। मैं उन्हें याद दिला दूं कि मेरे पिता का देहांत 2019 में हुआ था। कृषि कानून 2020 में पेश किए गए थे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरे पिता के स्वभाव में किसी को भी धमकाना नहीं था। वह एक कट्टर लोकतांत्रिक व्यक्ति थे और हमेशा आम सहमति बनाने में विश्वास रखते थे। अगर कभी ऐसी स्थिति आती भी, जैसा कि राजनीति में अक्सर होता है, तो वह सभी के लिए एक पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए स्वतंत्र और खुली चर्चा का आह्वान करते थे। वह बस ऐसे ही थे और आज भी उनकी यही विरासत है। मैं राहुल गांधी की सराहना करूंगा कि अगर वे उन लोगों के बारे में बोलते समय सचेत रहें जो हमारे साथ नहीं हैं। उन्होंने मनोहर पर्रिकर जी के लिए भी कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की, उनके अंतिम दिनों का राजनीतिकरण किया, वह भी बेहद ही घटिया था।'