सत्य एवं न्याय में रमित आत्मा एवं परमार्थ कर्म ही एक सन्त के मूलभूत गुण होते हैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वंशज राजेश तिवारी
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-विश्वनाथ प्रताप सिंह
प्रयागराज : सत्य एवं न्याय में रमित आत्मा एवं परमार्थ कर्म ही एक सन्त के मूलभूत गुण होते हैं यह दिव्य वचन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वंशज मेजा प्रयागराज के ग्राम पंचायत बकचून्दा निवासी राजेश तिवारी ने वरिष्ठ समाजसेवी एवं सन्त शिरोमणि गिरजा शंकर विश्वकर्मा से उनके निज निवास कुर्की कलां मेजा प्रयागराज में कही।खबर का दृष्टिकोणिक कराते चले कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वंशज श्री तिवारी एक विशेष कार्य से इधर कि ओर पधारे हुए थे उसी दरमियान दोनों ही सम्भ्रान्त जनों की आपसी सौहार्दपूर्ण भेंटवार्ता हुई।इस भेंटवार्ता के संयोजक वरिष्ठ समाजसेवी एवं संघ खण्ड कार्यवाह मेजा विंध्यवासिनी यादव रहे।आपसी सौहार्दपूर्ण साहित्यिक परिचर्चा के दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वंशज श्री तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सत्य एवं न्याय में रमित आत्मा एवं परमार्थ कर्म ही एक सन्त के मूलभूत गुण होते हैं क्योंकि एक सन्त का हृदय विशाल सागर के समान होता है जिसमें केवल परमार्थ के ही गुण सुगन्धित रहते हैं जो सत्य एवं न्याय के तरल धारा में प्रवाहित होते रहते हैं।सन्त के सद्चित्त में ना ही कोई अपना होता है और ना ही कोई पराया बल्कि इस धरती पर रहने वाले सभी प्राणी ही एक सन्त के कुटुम्ब होते हैं जिनके कल्याण हेतु एक सन्त सदैव ईश्वर से प्रार्थना करता रहता है।स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वंशज श्री तिवारी ने आगे कहा कि सन्त हमेशा सत्य का पालन करते हुए कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य बनाए रखते हैं क्रोधित नही होते और दूसरों को आसानी से माफ करते हुए किसी भी प्रकार की द्वेष नही रखते।सन्त सभी प्राणियों के प्रति दया एवं सहानुभूति रखते हैं।स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वंशज श्री तिवारी ने आगे अपने व्यक्तव्य में यह भी कहा कि सत्य एवं न्याय की चादर में लिपटा रहने वाला ही सन्त है,धर्म एवं पुण्य में सदा समाहित रहे यही सन्त का वसन्त है।इस अवसर पर उपस्थित वरिष्ठ समाजसेवी पं० शेषमणि शुक्ला ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वंशज श्री तिवारी द्वारा एक सच्चे सन्त की पहचान बहुत ही सुन्दर एवं अकाट्य सत्यमयता के साथ वर्णित की गयी है।वास्तव में सत्य एवं न्याय में रमित आत्मा एवं परमार्थ कर्म ही एक सन्त के प्रमुख गुण होते हैं।इस साहित्यिक एवं आध्यात्मिक परिचर्चा के दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वंशज श्री तिवारी के साथ वरिष्ठ समाजसेवी पं० शेषमणि शुक्ला,वरिष्ठ समाजसेवी एवं सन्त शिरोमणि गिरजा शंकर विश्वकर्मा,वरिष्ठ समाजसेवी एवं संघ खण्ड कार्यवाह मेजा विंध्यवासिनी यादव,सामाजिक कार्यकर्ता बृजेश तिवारी एवं नितिन तिवारी सहित आस पास बहुत से लोग उपस्थित रहे।
Jul 14 2025, 15:14