चीन में सरकारी अधिकारियों को फिजूल खर्चों को कम करने का फरमान, कर्ज के बोझ में दबे ड्रैगन की नई चाल

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चीन में सरकार ने अपने अधिकारियों को फिजूल खर्चों को कम करने के लिए कहा है। अधिकारियों को शराब और सिगरेट पर खर्च कम करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही ट्रैवल, फूड और ऑफिस की जगहों पर भी खर्च में कटौती करने को कहा गया है। यह निर्णय राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से सरकारी खर्च को कम करने के लिए लिया गया है।

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दूसरे देशों को फांसने के लिए ड्रैगन ने पानी की तरह पैसा बहाया है। यही वजह है कि चीन की आर्थिक हालत टाइट हो गई है। यही वजह है कि वहां अधिकारियों को अपने खाने-पीने और घूमने में भी कटौती के लिए कहा जा रहा है।सरकारी समाचार एजेंसी शिन्‍हुआ के अनुसार, इस निर्देश में 'कड़ी मेहनत और बचत' करने की बात कही गई है। इसमें 'फिजूलखर्ची और बर्बादी' का विरोध किया गया है। ब्‍लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, नोटिस में कहा गया है, 'बर्बादी शर्मनाक है और अर्थव्यवस्था गौरवशाली है।' इसका मतलब है कि पैसे बर्बाद करना गलत है और पैसे बचाना अच्छी बात है।

बजट पर दबाव बढ़ा

शिन्‍हुआ के अनुसार, कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के सदस्य चाई की ने हेबेई प्रांत के अधिकारियों से भी खाने-पीने पर होने वाले फिजूल खर्च को कम करने का आग्रह किया। आर्थिक चुनौतियों के कारण सरकार के बजट पर दबाव बढ़ा है। इसलिए यह फैसला लिया गया है। सरकार चाहती है कि अधिकारी फिजूलखर्ची न करें और पैसे बचाएं।

लोकल गवर्नमेंट पर भारी कर्ज

हाल के समय में, चीन में जमीन की बिक्री से होने वाली प्रॉफिट में कमी आई है और लोकल गवर्नमेंट पर भारी कर्ज हो गया है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन की स्थानीय सरकारों पर करीब 9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 770 लाख करोड़ रुपए) का कर्ज है।

इससे पहले 2023 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने करप्शन और अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले दिखावे के खिलाफ मुहिम चलाई थी। जिसमें सरकार ने अधिकारियों को खर्च में कटौती की आदत डालने का निर्देश दिया था।

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, 2024 में बीजिंग ने स्थानीय सरकारों के कर्ज से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए एक अभियान शुरू किया था। जिससे डिफॉल्ट का खतरा कम हो और स्थानीय सरकारें आर्थिक विकास में मदद कर सकें।

शेयर बाज़ार पर दिख रहा है असर

जिनपिंग की इस अपील का असर शेयर बाजार पर भी दिखा। चीन के मशहूर शराब ब्रांड्स जैसे क्वेचो माओताई और लूझो लाओजियाओ के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को कंज्यूमर स्टैपल्स स्टॉक का बेंचमार्क इंडेक्स 1.4 फीसदी तक नीचे गिर गया। क्वेइचो मुताई कंपनी का 2.2% नीचे आया, जो पिछले डेढ़ महीने की सबसे बड़ी गिरावट है।

कौन हैं तपन कुमार डेका जिसपर मोदी सरकार ने जताया भरोसा? आईबी प्रमुख के तौर पर एक साल का सेवा विस्तार

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केंद्रीय खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के निदेशक तपन डेका को एक साल का अतिरिक्त सेवा विस्तार मिला है। केंद्र सरकार ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर तपन कुमार डेका का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है। यह फैसला मंगलवार को लिया गया। अब वह जून 2026 तक इस पद पर बने रहेंगे। यह उनका दूसरा विस्तार है। इससे पहले जून 2024 में डेका को एक साल के लिए सेवा विस्तार दिया गया था। वे 2022 से खुफिया ब्यूरो (आईबी) के प्रमुख हैं। केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच ये फैसला लिया है।ा लिया है।ा लिया है।

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कार्मिक मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। इस बयान में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने यह फैसला लिया है। तपन कुमार डेका, IPS (HP:88) अब 30 जून, 2025 के बाद भी IB के डायरेक्टर बने रहेंगे। यह विस्तार FR 56 (d) और अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 16 (1A) के प्रावधानों में रियायत के आधार पर दिया गया है। सरकार ने कहा है कि वे 30 जून, 2025 से आगे भी या अगले आदेश तक इस पद पर बने रहेंगे।

आतंकवाद से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट

इंटेलिजेंस ब्यूरो के महानिदेशक के रूप में नियुक्त होने से पहले उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो में लगभग दो दशक तक काम किया। इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख बनने से पहले यानी साल 2022 के पहले आईपीएस तपन डेका इंटेलिजेंस ब्यूरो के ऑपरेशंस डेस्क के प्रमुख थे। उन्हें आतंकवाद से जुड़े मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है। इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद से जुड़े मामलों में भी उनकी गहरी समझ है।

जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में खुफिया अभियानों के माहिर

तपन डेका को सत्ता और खुफिया हलकों में "संकटमोचक" के रूप में जाना जाता है। वे विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में खुफिया अभियानों के माहिर माने जाते हैं। डेका ने आईबी की ऑपरेशंस विंग का दो दशकों से अधिक समय तक नेतृत्व किया और 2008 के 26/11 मुंबई हमलों के दौरान जवाबी कार्रवाई की जिम्मेदारी भी निभाई। वे 2000 के दशक में देशभर में विस्फोटों को अंजाम देने वाले आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के खिलाफ अभियानों का नेतृत्व कर चुके हैं। 2019 में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद असम में भड़की हिंसा के दौरान भी डेका को वहां की स्थिति संभालने के लिए तैनात किया गया था।

जब तक मजबूत केस नहीं, अदालतें हस्तक्षेप नहीं करतीं” वक्फ कानून पर सीजेआई गवई की दो टूक

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सुप्रीम कोर्ट में नए वक्फ अधिनियम, 2025 को लेकर सुनवाई चल रही है. मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली दो सदस्यों की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। वक्फ (संशोधन)अधिनियम 2025 के मामले पर अंतिम फैसला आने तक संशोधित कानून को लागू करने पर रोक लगाई गई है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने जब तक मजबूत केस नहीं बनता, तब तक अदालतें हस्तक्षेप नहीं करतीं।

सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून में किसी को भी वक्फ संपत्ति को लेकर आपत्ति जताने का हक दिया गया है और जब तक उस पर विवाद चलेगा तो संपत्ति वक्फ की नहीं रहेगी। उनको आपत्ति है कि 100-200 साल पुराने वक्फ के कागजात कहां से आएंगे और अल्लाह को दान की गई संपत्ति किसी और को ट्रांसफर कैसे की जा सकती है। याचिकाकर्ताओं की ओर से उन्होंने दलील दी कि यह हमारे डीएनए में हैं। सिब्बल ने कहा कि अगर वक्फ संपत्ति को लेकर कोई विवाद होता है तो उसका फैसला करने वाला भी सरकार का अधिकारी ही होगा। उन्होंने कहा कि नए कानून के अनुसार कोई भी वक्फ संपत्ति पर आपत्ति जता सकता है।।

सिब्बल ने कोर्ट को वक्फ का मतलब समझाते हुए कहा, 'वक्फ क्या है, यह अल्लाह को किया गया दान है, जिसे किसी और को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। एक बार वक्फ की गई संपत्ति वक्फ ही रहती है।' कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ संपत्ति के मैनेजमेंट का अधिकार लिया जा रहा। सिब्बल ने कहा कि यह अधिनियम सरकार की ओर से वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने का एक प्रयास है।

इसी दौरान सीजेआई गवई ने कहा, यह मामला संवैधानिकता के बारे में है। अदालतें आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं करती हैं, इसलिए जब तक आप एक बहुत मजबूत मामला नहीं बनाते, कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करती है। सीजेआई ने आगे कहा कि औरंगाबाद में वक्फ संपत्तियों को लेकर बहुत सारे विवाद हैं।

ऑपरेशन सिंदूर तो बहुत छोटा युद्ध है...' कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पहलगाम आतंकी हमले पर पीएम को घेरा

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक विपक्ष पाकिस्तान को उसकी हरकत के लिए मुहंतोड़ जवाब देने के लिए केंद्र सरकार का साथ दे रहा था। अब दोनों देशों के बीच सीजफायर हो चुका है। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश में सियासी घमासान मचा हुआ है। जिस ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवादियों को तबाह कर दिया, सेना के उसी मिशन पर सवाल उठ रहे हैं। पहलगाम आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को छोटा सा युद्ध बताया है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को ‘बस एक छोटी-सी जंग’ बताते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहले ही खतरे की आशंका थी। उन्होंने कहा, 17 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर पीएम मोदी इसलिए नहीं गए क्योंकि खबर थी कि वहां गड़बड़ हो सकती है। आपने (मोदी) पर्यटकों को जाने से मना क्यों नहीं किया? पहलगाम में मोदी सरकार ने पर्यटकों को सुरक्षा मुहैया नहीं कराई।

खरगे ने पीएम मोदी को घेरा

कर्नाटक में समर्पण संकल्प रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया, मुझे जानकारी मिली है कि हमले से तीन दिन पहले मोदी जी को एक खुफिया रिपोर्ट भेजी गई थी और इसीलिए मोदी जी ने कश्मीर का अपना दौरा रद्द कर दिया। जब एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आपकी सुरक्षा के लिए वहां जाना उचित नहीं है, तो आपने लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी सुरक्षा, खुफिया, स्थानीय पुलिस और सीमा बल को सूचित क्यों नहीं किया?

क्या है ऑपरेशन सिंदूर?

भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों के ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पाहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में की गई थी। इसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की, जिनका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया। इस जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा, जिनमें एयर बेस, रडार साइट्स, और कमांड सेंटर शामिल हैं।

अंतरिम आदेश के लिए सुनवाई इन तीन मुद्दों तक ही सीमित रखें, केंद्र की सुप्रीम कोर्ट से अपील

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सुप्रीम कोर्ट, वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सीजेआई बी आर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद के चंद्रन की बेंच सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि बेंच ने पहले तीन मुद्दे उठाए थे ⁠स्टे के लिए। हमने इन तीनों पर जवाब दाखिल किया था। लेकिन अब लिखित दलीलों में और भी मुद्दे शामिल हो गए हैं। सिर्फ तीन मुद्दों तक सुनवाई सीमित हो। कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया।

सरकार ने जिन मुद्दों पर सुनवाई सीमित रखने की अपील की है, उनमें एक मुद्दा है अदालत द्वारा घोषित, वक्फ बाय यूजर या वक्फ बाय डीड संपत्ति को डी-नोटिफाई करने का है। दूसरा मुद्दा केंद्रीय और प्रदेश वक्फ बोर्ड के गठन से जुड़ा है, जिनमें गैर मुस्लिमों को शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है। तीसरा मुद्दा वक्फ कानून के उस प्रावधान से जुड़ा है, जिसमें जिलाधिकारी द्वारा जांच और उसकी मंजूरी के बाद ही किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित किया जाएगा।

वक्फ अधिनियम, 2025 के प्रावधानों को चुनौती देने वाले लोगों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने इन दलीलों का विरोध किया कि अलग-अलग हिस्सों में सुनवाई नहीं हो सकती। एक मुद्दा अदालत द्वारा वक्फ, वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाई डीड घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के अधिकार का है।

याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाया गया दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित है, जहां उनका तर्क है कि पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही इसमें काम करना चाहिए। तीसरा मुद्दा एक प्रावधान से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करते हैं कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा।

इससे पहले 17 अप्रैल को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सुनिश्चित किया था कि वे किसी भी वक्फ संपत्ति को डी-नोटिफाई नहीं करेंगे, इनमें वक्फ बाय यूजर भी शामिल है। साथ ही वक्फ बोर्डों में नई नियुक्ति पर भी कोई नई नियुक्ति न करने की बात कही थी।

ऑपरेशन सिंदूर पर ऑल पार्टी डेलीगेशन में शामिल हुई टीएमसी, युसुफ पठान की जगह लेंगे अभिषेक बनर्जी

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केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। इस संसदीय प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले ऑपरेशन सिंदूर पर बने डेलीगेशन में टीएमसी पार्टी से शामिल होने वाले नेता को लेकर विवाद छिड़ गया था। पहले सांसद यूसुफ पठान का नाम केंद्र की तरफ से पेश किया गया था, लेकिन पार्टी की तरफ से सवाल उठाए जाने पर अब अभिषेक बनर्जी के नाम पर मुहर लग गई है।

टीएमसी ने क्या कहा?

टीएमसी ने 'एक्स' पर लिखा, 'हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक पहुंच के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने के लिए राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को नामित किया है।'

तृणमूल ने आगे कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया को आतंकवाद के बढ़ते खतरे का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए, अभिषेक बनर्जी का प्रतिनिधिमंडल से जुड़ना दृढ़ विश्वास और स्पष्टता दोनों लाता है। उनकी उपस्थिति न केवल आतंकवाद के खिलाफ बंगाल के दृढ़ रुख को दर्शाएगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की सामूहिक आवाज को भी मजबूत करेगी।

यूसुफ पठान के नाम पर सियासत

इससे पहले जब केंद्र की तरफ से यूसुफ पठान के नाम का ऐलान किया गया था तब सीएम ममता बनर्जी ने यह बात साफ कर दी थी कि प्रतिनिधिमंडल में पार्टी की तरफ से कौन शामिल होगा, इसके लिए नाम जानने के लिए पार्टी से नहीं पूछा गया। उन्होंने केंद्र सरकार को लेकर कहा, वो अपने आप सदस्य का नाम तय नहीं कर सकते। यह उनकी पसंद नहीं है, पार्टी फैसला करेगी।

इसी के साथ जिस समय यूसुफ पठान का नाम सामने आया तभी अभिषेक बनर्जी का भी बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था, केंद्र को विपक्ष के साथ चर्चा करके यह तय करना चाहिए था कि कौन सा प्रतिनिधि भेजना है। बनर्जी ने कहा, केंद्र सरकार तृणमूल के प्रतिनिधि का फैसला कैसे कर सकती है? उन्हें यह तय करने के लिए विपक्ष के साथ चर्चा करनी चाहिए थी कि कोई पार्टी कौन सा प्रतिनिधि भेजेगीठ

59 सदस्यों वाला डेलिगेशन दुनिया को देंगे भारत का संदेश

इस 59 सदस्यों वाले डेलिगेशन में 51 नेता और 8 राजदूत हैं। एनडीए के 31, कांग्रेस के 3 और 20 दूसरे दलों के हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। वहां ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का रुख रखेगा। डेलिगेशन कब रवाना होगा, फिलहाल इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि, डेलिगेशन के 23 या 24 मई को भारत से रवाना होने की बात कही जा रही है। इस डेलिगेशन को 7 ग्रुप में बांटा गया है। हर ग्रुप में एक सांसद को लीडर बनाया गया है। प्रत्येक ग्रुप 8 से 9 सदस्य हैं। इनमें 6-7 सांसद, सीनियर लीडर (पूर्व मंत्री) और राजदूत शामिल हैं। सभी डेलिगेशन में कम से कम एक मुस्लिम प्रतिनिधि को रखा गया है। चाहे वह राजनेता हो गया राजदूत हो।

इन नेताओं को मिली कमान

कांग्रेस सांसद शशि थरूर को अमेरिका सहित 5 देश जाने वाले डेलिगेशन की कमान सौंपी गई है। ग्रुप 1 की कमान भाजपा सांसद बैजयंत पांडा, ग्रुप 2 की जिम्मेदारी भाजपा के रविशंकर प्रसाद, ग्रुप 3 JDU के संजय कुमार झा, ग्रुप 4 शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे, ग्रुप 5 शशि थरूर, ग्रुप 6 डीएमके सांसद कनिमोझी और ग्रुप 7 की जिम्मेदारी एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले के हाथ है।

राहुल पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं, बीजेपी नेता अमित मालवीय ने दिलाई DGMO राजीव घई की याद

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बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधा है। अमित मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान पर बार बार सवाल उठाने को लेकर मालवीय ने राहुल गांधी को घेरा है।

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भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि राहुल पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। वे यह क्यों नहीं पूछ रहे कि हमने पाकिस्तान के कितने फाइटर जेट मार गिराए। राहुल यह भी बताएं कि उन्होंने ऐसे सफल ऑपरेशन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई क्यों नहीं दी।

मुनीर और राहुल की फोटो मिलाकर बनाई

अमित मालवीय ने एक फोटो के साथ ट्वीट करते हुए यह बात कही। यह फोटो पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और राहुल गांधी की आधी-आधी फोटो को मिलाकर बनाई गई है। अमित मालवीय ने राहुल गांधी के सोमवार को किए गए ट्वीट के बाद यह सवाल किया है जिसमें उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा की गई एक कथित टिप्पणी को लेकर कहा था कि यह ‘अपराध’ है और ‘पाप’ की श्रेणी में आता है, जिस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री को जवाब देना चाहिए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि देश को सच जानने का पूरा हक है।

राहुल ने क्या कहा था?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब उस पर राजनीतिक बयानबाजी जोड़ पकड़ने लगी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर की एक टिप्पणी पर सवाल उठाते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार पर नए आरोप लगाए गए हैं। राहुल गांधी ने कहा है कि हमारे हमले से पहले पाकिस्तान को इसकी जानकारी देना एक अपराध था। राहुल गांधी ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारत सरकार ने ऐसा किया। राहुल ने सवाल किया है कि ऐसा करने के लिए किसने अधिकृत किया और इसके कारण हमारी वायुसेना ने कितने विमान खो दिए?

पूरा पाकिस्तान भारत की जद में...', सेना के एयर डिफेंस ऑफिसर का दावा

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22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 मासूम लोगों की हत्या कर दी गई। पाकिस्तान के आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने उसके ठिकानों को तबाह कर दिया। भारत के इस हमले से बौखलाए पाकिस्न ने सैन्य संघर्ष को बढ़ावा दिया। जिसके जवाब में भारत ने उसके एयरबेस नष्ट कर दिए। सेना के इस शौर्य की पूरा देश सराहना कर रहा है। अब सेना वायु रक्षा महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने सोमवार को देश की सैन्य क्षमताओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत के पास पाकिस्तान की पूरी गहराई में लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता है। ऑपरेशन सिंदूर से इतर अगर कहा जाए तो पूरी पाकिस्तान भारत की जद में हैं।

एएनआई के साथ एक पॉडकास्ट में लेफ्टिनेंट जनरल डी'कुन्हा ने कहा, 'पूरा पाकिस्तान जद में है।' उन्होंने कहा कि भले ही वे पाकिस्तानी सेना के जनरल मुख्यालय (जीएचक्यू) को रावलपिंडी से खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) जैसे क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दें, उन्हें सुरक्षा का भाव तब भी नहीं आएगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के पास पाकिस्तान के समूचे क्षेत्र में स्थित टारगेट पर हमला करने की क्षमता है।

‘हम पूरे पाकिस्तान से मुकाबला कर सकते हैं’

लेफ्टिनेंट जनरल डी’कुन्हा ने कहा, ‘मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि भारत के पास पाकिस्तान से पूरी गहराई तक निपटने के लिए पर्याप्त हथियार हैं इसलिए सबसे बड़े से लेकर सबसे छोटे तक, चाहे वह कहीं भी हो, पूरा पाकिस्तान हमारी सीमा के भीतर है। हम पूरी तरह से सक्षम हैं, चाहे वह हमारी सीमाओं पर हो या गहराई में, हम पूरे पाकिस्तान से मुकाबला कर सकते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘जीएचक्यू रावलपिंडी से केपीके या जहां भी वे जाना चाहते हैं, वहां जा सकते हैं, लेकिन वे सभी सीमा के भीतर हैं इसलिए उन्हें वास्तव में एक गहरा गड्ढा ढूंढना होगा।’

लोइटरिंग म्यूनिशन का इस्तेमाल

'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत के जवाबी आक्रामक कार्रवाइयों ने अहम पाकिस्तानी एयरबेसों को सटीकता से निशाना बनाया। इस दौरान लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए लोइटरिंग म्यूनिशन का उपयोग किया गया। लोइटरिंग म्यूनिशन को आत्मघाती या कामीकेज ड्रोन्स भी कहा जाता है। ये अनमैन्ड एरियल हथियार हैं। इनकी खासियत ये है कि ये अपने टारगेट के ऊपर आसमान में मंडराते रहते हैं और कमांड मिलते ही दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर देते हैं। ये अपनी सटीकता के लिए जाने जाते हैं।

दरअसल, लंबी दूरी के ड्रोन और गाइडेड युद्ध सामग्री सहित आधुनिक स्वदेशी तकनीक ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

'हमारा काम अपनी संप्रभुता, अपने लोगों की रक्षा करना'

लेफ्टिनेंट जनरल डी कुन्हा ने आगे रेखांकित किया कि सशस्त्र बलों का प्राथमिक कर्तव्य देश की संप्रभुता और उसके लोगों की रक्षा करना है। हमारा काम अपनी संप्रभुता, अपने लोगों की रक्षा करना है। इसलिए, मुझे लगता है कि हम अपनी मातृभूमि को इस हमले से बचाने में सक्षम रहे हैं, जिसका उद्देश्य आबादी वाले केंद्रों और हमारी छावनियों में बहुत सारी समस्याएं पैदा करना था, यह तथ्य कि हमने अपने लोगों को, न केवल अपनी नागरिक आबादी को यह आश्वासन दिया है। हमारे अपने बहुत से जवान, अधिकारी, पत्नियां छावनियों में रह रहे थे। और वे भी इन ड्रोन हमलों के बारे में समान रूप से चिंतित थे। हमने सुनिश्चित किया कि इससे कोई हताहत न हो, मुझे यकीन है कि इससे न केवल सैनिक को गर्व महसूस हुआ, बल्कि इससे परिवारों को भी गर्व महसूस हुआ। अंत में, भारत की आबादी को गर्व महसूस हुआ। मुझे लगता है कि यही बात है।

फिर बढ़ रहे कोरोना के मामले, सिंगापुर-हॉन्‍ग कॉन्‍ग में तेजी से फैल रहा वायरस, जानें भारत का हाल

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एशिया के कुछ देशों में इन दिनों कोरोना ने फिर से पैर फैलाना शुरू कर दिया है। सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, चीन और थाईलैंड में कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़ रहे हैं। इन देशों में नए मामलों की संख्या में इजाफा हो रहा है।कोरोना वायरस ने रूप बदलकर एक बार फिर से दस्तक दे दी है।इस बार संक्रमण के लिए ओमिक्रोन के नए वेरिएंट JN1 और उसके सब-वेरिएंट्स LF7 और NB1.8 को जिम्मेदार माना जा रहा है।

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एशिया के किन-किन देशों में बढ़ रहे मामले

कोरोना वायरस के नए वेरिएंड के मामले सिंगापुर और हांगकांग जैसे एशियाई देशों में सबसे ज्यादा बढ़ रहे है। सिंगापुर में एक से 19 मई के बीच कोरोना के 3000 मामले सामने आए थे। अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक ये संख्या 11,100 थी। यहां मामलों में 28% का इजाफा हुआ है। हॉन्गकॉन्ग में जनवरी से अब तक 81 मामले सामने आए हैं। इनमें से 30 की मौत हो चुकी है। चीन और थाईलैंड में भी अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि, यहां मरीजों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

चीन-थाईलैंड भी अलर्ट पर, वायरस के मामले दोगुने

चीन और थाईलैंड में भी कोविड को लेकर सरकार अलर्ट पर हैं। चीन में बीमारियों की जांच करवाने जा रहे मरीजों में कोरोना वायरस पाए जाने के मामले दोगुने हो गए हैं। लोगों को बूस्टर शॉट लेने की सलाह दी गई है। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड की लहर जल्द ही तेज हो सकती है। वहीं, थाइलैंड में दो अलग-अलग इलाकों मे तेजी से कोविड केस बढ़ने का मामले आए हैं।

भारत में कोरोना के कहां कितने नए मामले?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस पर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक सोमवार को बुलाई थी। बैठक में देश में मौजूदा कोविड-19 की स्थिति की विस्तार से समीक्षा की गई। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कोरोना की स्थिति कंट्रोल में है। 19 मई तक भारत में कोरोना के 257 एक्टिव मामले पाए गए। ये आंकड़ा देश की बड़ी आबादी को देखते हुए बहुत कम है। मुंबई में 2 मरीजों की जान भी संक्रमण से जा चुकी है। भारत में कोरोना के ज्यादातर केस केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से मिले हैं। हालांकि, भारत में JN.1 कोरोना वेरिएंट के सर्कुलेट होने की अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पीटीआई ने एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से कहा, देश में पाए गए कोरोना के मामलों में लगभग सभी मामले हल्के हैं, इससे अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं है।

नया वेरिएंट कितना खतरनाक?

कोरोना का नया वेरिएंट JN.1 कितना खतरनाक है, ये अब तक साफ नहीं हो सका है। अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा कोई सबूत अब तक मिला नहीं है जिससे ये कहा जा सके कि ये वेरिएंट पहले से ज्यादा खतरनाक है। या फिर ये ज्यादा तेजी से फैल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि कमजोर इम्यूनिटी वालों को थोड़ा संभलकर रहने की जरूरत है। ऐसे लोगों को ये आसानी से अपना निशाना बना सकता है।

अटारी-वाघा बॉर्डर पर फिर शुरू होगी बीटिंग रिट्रीट, भारत-पाकिस्‍तान तनाव के बाद बंद हो गई थी सेरेमनी

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भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर के बाद अब पंजाब के अमृतसर स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर, फिरोजपुर के हुसैनीवाला और सादकी बॉर्डर पर बंद रिट्रीट सेरेमनी आज से दोबारा शुरू होगी। जानकारी के मुताबिक सीजफायर के बाद बॉर्डर पर शांति को देखते हुए रिट्रीट सेरेमनी को दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी है जिसके बाद मंगलवार को बीएसएफ जवानों और पाकिस्तानी रेंजर्स के बीच शाम साढ़े छह बजे रिट्रीट सेरेमनी होगी।

बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) ने मंगलवार से पंजाब में भारत-पाक सीमा पर रिट्रीट सेरेमनी को एक बार फिर आम जनता के लिए शुरू करने का फैसला किया है। यह समारोह ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, अटारी (अमृतसर), हुसैनीवाला (फिरोज़पुर) और सदकी (फाजिल्का) बॉर्डर पोस्ट्स पर हर शाम होने वाली यह सेरेमनी अब मंगलवार से फिर से आम जनता के लिए खोली जा रही है।

हालांकि, इस बार कुछ बदलाव किए गए हैं। बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच पारंपरिक हाथ मिलाना और बॉर्डर का गेट खोलने जैसी एक्टिविटी नहीं होगी।किसानों के लिए कंटीले तारों वाले गेट कल से खुल जाएंगे।

भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान सरहद पर फेंसिंग पर लगे गेट बंद कर दिए गए थे। लेकिन अब दोनों देशों के बीच स्थिति सामान्य हो चुकी है। फेंसिंग पर लगे गेट भी किसानों के लिए खोल दिए गए हैं। अब वे उस पार जाकर खेती कर सकेंगे। बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि जवानों ने फेंसिंग पार सारी जमीन को चेक किया कि कहीं दुश्मन ने लैंड माइन तो नहीं बिछा दी है। पूरी तरह से संतुष्ट होेने के बाद सोमवार से गेट खोल दिए गए।