3 साल पहले हुआ करोड़ों का घोटाला, जांच में आरोप सिद्ध… लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं!

डोंगरगढ़-  डोंगरगढ़ वन विभाग में जो घोटाला हुआ, वह न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि सरकारी तंत्र की उदासीनता और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें भी उजागर करता है. मामला तीन साल पुराना है, जांच में फर्जीवाड़ा साबित हो चुका है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि अब तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

साल 2021 में बोरतलाव और कटेमा गांव के जंगलों में बांस रोपण, फेंसिंग और मिट्टी भराई जैसे कार्यों के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये जारी किए थे. कागजों में काम पूरे हो गए, मजदूरों को भुगतान भी दिखा दिया गया. लेकिन जब जांच हुई, तो मामला पूरी तरह फर्जी निकला.

जिन ग्रामीणों के नाम पर मजदूरी दिखाई गई थी, उनमें से कई तो कभी वन विभाग के किसी काम में शामिल ही नहीं हुए थे. कुछ तो स्कूल के छात्र थे, कुछ महिलाएं गर्भवती थीं. किसी ने गड्ढा नहीं खोदा, न बांस लगाया, फिर भी उनके खातों में पैसे भेजे गए. बाद में विभागीय कर्मचारियों ने ग्रामीणों से पैसे निकलवाकर खुद रख लिए, और उन्हें दो-चार सौ रुपये पकड़ाकर चलता कर दिया.

शिकायत के बाद 3 साल तक फाइल दबाए रखने के बाद जब आखिरकार जांच हुई. तहसीलदार मुकेश ठाकुर को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया. उनकी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि यह पूरा मामला फर्जी है. काम नहीं हुए, भुगतान हुआ और पैसे गबन कर लिए गए. गांव वालों के बयान भी रिकॉर्ड में दर्ज हैं, जिन्होंने माना कि उनके खातों से जबरन पैसे निकलवाए गए.

इतना कुछ सामने आने के बावजूद न तो किसी अफसर पर कार्रवाई हुई, न किसी कर्मचारी को निलंबित किया गया. शिकायतकर्ता 3 साल से रायपुर से लेकर दिल्ली तक गुहार लगा रहा है, लेकिन सिस्टम पूरी तरह खामोश है.

जब इस मामले पर वन विभाग की एसडीओ पूर्णिमा राजपूत से सवाल किया गया, तो उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया. शायद इसलिए, क्योंकि जवाब देने से कई बड़े अधिकारियों और नेताओं की कुर्सियां हिल सकती हैं.

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब घोटाला साबित हो चुका है, जांच रिपोर्ट आ चुकी है, गवाह भी सामने हैं – तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या इसमें बड़े अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत है? या फिर खुद सिस्टम दोषियों को बचा रहा है?

डोंगरगढ़ का यह मामला सिर्फ एक घोटाले की कहानी नहीं है, यह सरकारी तंत्र की लाचारी और भ्रष्टाचार की पोल खोलता आईना है, जहां जांच सिर्फ कागजी कार्रवाई बनकर रह जाती है, और इंसाफ अगली फाइल के पन्नों में दबा रह जाता है.

ट्रांसफार्मर फ्री में हटाने का नियम, लेकिन अर्जी देने पर बिजली कंपनी थमा रही डेढ़ लाख तक का बिल…

रायपुर- गर्मी के दिनों में लोड बढ़ने पर ट्रांसफार्मर में आग लगने का खतरा बना रहता है, और अगर यह ट्रांसफार्मर घर के सामने लगा हो तो घर-परिवार के लिए खतरा बन जाता है. लेकिन ट्रांसफॉर्मर को हटवाना आम लोगों के बस की बात नहीं, क्योंकि बिजली कंपनी हटाने का पूरा खर्चा मांगती है, जबकि मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना के तहत ऐसे ट्रांसफार्मर निशुल्क शिफ्ट करने का प्रावधान है.

पिछले दो साल में निगम में 50 से ज्यादा आवेदन किए गए. लेकिन इनमें से केवल 15 ही आवेदन समिति को भेजे गए. लोगों ने मुख्यमंत्री विद्युतीकरण के तहत शिफ्ट करने की मांग की, लेकिन ट्रांसफार्मर नहीं हटाए गए. उल्टे लोगों को डेढ़-डेढ़ लाख के खर्च का बिल थमा दिया गया.

आवेदन देने के बाद लगाते हैं चक्कर

ऐसे ट्रांसफार्मर पुराने मोहल्लों और बस्तियों में हैं. ऐसे में अर्जी देने वाले भी आर्थिक तौर पर इतने सक्षम नहीं हैं कि वे इतनी बड़ी रकम केवल ट्रांसफार्मर शिफ्ट करने के लिए अदा कर सके. ऐसे ही एक मामले में पीड़ित ने बताया कि ट्रांसफार्मर हटाने के लिए निगम में आवेदन दे चुका है. बिजली कंपनी वालों ने सर्वे किया और डेढ़ लाख का बिल दे दिया. ऐसे पीड़ित एक-दो नहीं बल्कि कई हैं, जो अपने घर के आस-पास लगा ट्रांसफार्मर को हटाने के लिए अर्जी देकर भटक रहे हैं.

राजधानी के इन इलाकों में ज्यादा समस्या

इस तरह की समस्या रायपुर के कुशालपुर, प्रोफेसर कालोनी, पुरानी बस्ती, खोखोपारा, गुढ़ियारी, बजरंग नगर, लाखेनगर, आमापारा व कुकरीपारा बांसटाल शास्त्रीबाजार व बैजनाथपारा सहित कुछ इलाकों में ज्यादा है.

एक साल में भेजे केवल 15 प्रस्ताव

पिछले एक साल में जिला स्तरीय समिति की 15 प्रस्ताव भेजे हैं. इनमें से अधिकांश प्रस्ताव विधायकों, मंत्रियों और सांसद की ओर से भेजे गए हैं. कुछ प्रस्ताव बिजली कंपनी और पूर्व मंडल अध्यक्ष तथा पूर्व पार्षदों के सिफारिशी पत्रों पर तैयार किए गए हैं.

फ्री शिफ्टिंग का प्रावधान

राज्य में मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना पर अमल करने कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति बनी है. इसमें निगम कमिश्नर, टाउन प्लानिंग विभाग और पीडब्ल्यूडी के अफसर तथा कलेक्टोरेट के अधिकारी व बिजली कंपनी के अफसर सदस्य हैं. निगम के माध्यम से आवेदन समिति में पेश होते हैं. समिति की हर महीने बैठक होती है, और आवेदनों का परीक्षण करने के बाद काम शुरू होता है. आमतौर पर समिति ऐसे मामलों की स्वीकृति देती है, जिससे बहुत से लोग प्रभावित होते हैं. एक-दो लोगों या व्यक्तिगत आवेदनों पर विचार नहीं किया जाता.

नक्सल विरोधी अभियान पर गृहमंत्री विजय शर्मा का बड़ा आरोप, कहा- “राहुल गांधी की भूमिका संदिग्ध, मेरे पास है प्रमाण…”

जगदलपुर-  छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई जारी है. नक्सलियों की मांद माने जाने वाले कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर सुरक्षा बल एक बड़ा अभियान छेड़े हुए हैं. ऐसे समय में छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर पीठ पीछे गड़बड़ी करने का गंभीर आरोप लगाया है.

इस अभियान में तेलंगाना सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के सवाल पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उन्हें शक है कि राहुल गांधी “पीठ पीछे गड़बड़” कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नक्सलवाद देश के सबसे बड़े संकटों में से एक है, और इसमें भी राहुल गांधी की भूमिका संदिग्ध लगती है. मेरे पास इसके प्रमाण मौजूद हैं, जिनके आधार पर मैं यह बात कह रहा हूं.

ऑपरेशन में 31 नक्सली ढेर, 35 हथियार बरामद और सैंकड़ो बंकर नष्ट

बता दें कि बीजापुर और तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में 21 दिनों तक चले ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट में 31 वर्दीधारी माओवादी मारे गए. मुठभेड़ों के दौरान 35 हथियार, 450 IED, सैकड़ों बंकर और माओवादियों की तकनीकी इकाइयां भी नष्ट की गई है. 21 अप्रैल से 11 मई के दौरान कुल 21 मुठभेड़ों में 16 वर्दीधारी महिला माओवादी समेत कुल 31 वर्दीधारी माओवादियों के शव और 35 हथियार बरामद किए गए हैं. प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि मुठभेड़ स्थल से बरामद शव प्रतिबंधित और अवैध सीपीआई माओवादी संगठन अंतर्गत पीएलजीए बटालियन नंबर 01, तेलंगाना राज्य समिति, दंडकारण्य विशेष जोनल समिति के माओवादी कैडर्स हैं. इस अभियान में अब तक कुल 216 माओवादी ठिकाने और बंकर नष्ट किए गए. उपरोक्त माओवादी ठिकाने और बंकर से तलाशी अभियानों के दौरान कुल 450 नग आईईडी, 818 नग बीजीएल शेल, 899 बंडल कार्डेक्स, डेटोनेटर और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद किए गए.

टीकाकरण के बाद बच्ची को रिएक्शन, पूरे शरीर में हुए फोड़े, शिकायत पर अब तीन सदस्यीय टीम करेगी जांच

सक्ती- जिले में टीकाकरण के बाद 5 वर्षीय बच्ची को रिएक्शन होने का मामला सामने आया है. बच्ची को इलाज के लिए रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद उसे अब रायपुर रेफर किया गया है. मामले की शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर ने जांच टीम गठित की है।

घटना 15 अप्रैल की है. ग्राम बांधापाली निवासी मुन्नालाल बघेल की बेटी मानवी को आंगनबाड़ी केंद्र में नियमित टीकाकरण के लिए ले जाया गया था. एएनएम ने आरएचओ, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और मितानीन की उपस्थिति में टीका लगाया.

15 दिनों तक मेडिकल कॉलेज में चला इलाज

बच्ची का लगभग 15 दिनों तक रायगढ़ के मेडिकल कालेज में इलाज चला. बच्ची के पूरे शरीर में फोड़ा हो गया है, इसके साथ बच्ची के आँख, कान में भी इन्फेक्शन हो गया है. आंख नहीं खुल रही है. बच्ची के परिजनों ने आशंका व्यक्त की है कि बच्ची को या तो गलत टीका लगा दिया गया है या फिर मात्रा से अधिक डोज दिया गया है, जिससे पूरे शरीर में फोड़ा हो गया है.

जिम्मेदारों पर संज्ञान नहीं लेने का आरोप

परिजनों का आरोप है कि जिन जिम्मेदारों की उपस्थिति में टीका लगाया गया था किसी ने भी आज तक संज्ञान नहीं लिया. बेटी की परेशानी से क्षुब्ध होकर आखिरकार परिजनों ने कलेक्टर के सामने गुहार लगाई और कहा कि लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए.

कलेक्टर ने की जांच टीम गठित

बच्ची के दादा रामकुमार बघेल ने कलेक्टर को पत्र लिखकर शिकायत की. कलेक्टर ने तुरंत मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच टीम गठित की है. टीम में एसडीएम डभरा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग को जांच का जिम्मा देते हुए 7 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने कहा गया है.

टीका लगने के बाद आया बुखार

मामले के संबंध में कलेक्टर अमृत विकास टोपनो ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच टीम का गठन किया गया था. प्रारंभिक जाँच में पता चला है कि टीका लगने के पूर्व ही बच्ची के शरीर में कुछ लक्षण थे. उस दिन और भी बच्चों को टीका लगा है, लेकिन ऐसा किसी अन्य को रिएक्शन नहीं हुआ है. जब टीका लगने के बाद बुखार आया, तब परिजनों ने किसी चिकित्सक की सलाह पर दवाई का सेवन भी किया था.

नशा तस्करों पर पुलिस ने कसा शिंकजा, 18 किलो गांजे के साथ पति-पत्नी गिरफ्तार

रायपुर-  राजधानी रायपुर में पुलिस ने नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई हुए सफलता हासिल की है. गंज पुलिस ने गांजा तस्करी करते हुए पति-पत्नी को दबोचा है. इनके पास से 18 किलों गांजा बरामद किया गया है.

जानकारी के मुताबिक, पकड़े गए आरोपी जावेश शेख और पत्नी शबनम आरा शेख ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के निवासी हैं. दोनों आरोपी पति पत्नी गांजे को विदिशा मध्यप्रदेश लेकर रहे थे. इसी दौरान पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को बरामद गांजा की कीमत 2 लाख रुपए आंकी गई है. दोनों आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने धारा 20बी नारकोटिक एक्ट का अपराध दर्ज किया है.

व्यभिचार में रह रही महिला तलाक के बाद पति से नहीं भरण-पोषण की हकदार, हाई कोर्ट का अहम फैसला…

बिलासपुर- हाई कोर्ट ने पत्नी के विवाहतेर संबंध व व्यभिचार में रहने के आधार पर परिवार न्यायालय से तलाक की डिक्री पारित होने पर अपने आदेश में कहा है कि यदि कोई महिला व्यभिचार में रह रही है, तो तलाक के बाद महिला पति से भरण पोषण लेने की हकदार नहीं हो सकती. इसके साथ कोर्ट ने परिवार न्यायालय द्बारा 4000 रूपये भरण पोषण राशि देने के आदेश को निरस्त कर दिया है.

दरअसल, रायपुर निवासी याचिकाकर्ता की हिन्दू रिवाज से 2019 में शादी हुई. कुछ दिन बाद पत्नी ने पति पर मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुएमार्च 2021 में ससुराल छोड़कर अपने भाई के घर चली गई. इसके बाद पति ने परिवार न्यायालय में तलाक का आवेदन लगाया तो वहीं पत्नी ने पति से भरण पोषण प्राप्त करने कोर्ट में वाद प्रस्तुत किया. पत्नी ने आवेदन में कहा कि पति उसके साथ क्रूरता करता है, मानसिक रूप से प्रताड़ित कर चरित्र पर शंका करता है. इसके कारण वह घर छोड़कर अपने भाई के पास चली गई है.

इधर पति ने अपने आवेदन में कहा कि पत्नी का उसके छोटे भाई से विवाहेतर संबंध है. उसने पकड़ा और मना किया, तो लड़ाई करते हुए झूठे मुकदमें फंसाने धमकी दी, और कुछ आपराधिक प्रकरण दर्ज भी कराई है. साथ ही पत्नी का अपने से कम उम्र के लड़कों के साथ संबंध है.

पत्नी के व्यभिचारी होने परिवार न्यायालय में साक्ष्य पेश किया गया. मामले की सुनवाई के दौरान पत्नी ने भी यह स्वीकार किया, कि वह पति के कारण व्यभिचार में है. रायपुर परिवार न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद व्यभिचार के आधार पर पति के पक्ष में तलाक का आदेश पारित किया, वहीं पत्नी के आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार कर पति को प्रतिमाह 4000 रुपए भरण पोषण देने का आदेश दिया.

परिवार न्यायालय के आदेश के खिलाफ पति-पत्नी दोनों ने हाईकोर्ट में अलग अलग आपराधिक समीक्षा याचिका लगाई. पत्नी ने पति के डाटा इंट्री आपरेटर के पद में काम करने 35000 मासिक आय, किराया का आय, कृषि आय आदि की गणना कर 10 लाख रुपए एकमुश्त दिलाने या 20000 रुपए प्रतिमाह दिलाने की मांग की थी. पति ने याचिका में पत्नी के व्यभिचार में रहने के कारण परिवार न्यायालय के भरण पोषण राशि दिए जाने के आदेश को निरस्त करने की मांग की.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, यह डिक्री दावे के सबूत के आधार पर पारित की गई डिक्री है. इस न्यायालय का यह मत है कि दी गई डिक्री पारिवारिक न्यायालय द्बारा दिया गया आदेश स्पष्ट रूप से यह साबित करता है कि आवेदक-पत्नी व्यभिचार में है, इसलिए आवेदक-पत्नी याचिकाकर्ता से भरण-पोषण का दावा करने में अयोग्य है. हाईकोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार कर पत्नी की ओर से प्रस्तुत याचिका को खारिज कर दिया है.

पासपोर्ट के लिए अब नहीं जाना होगा कार्यालय, घर में ही होगी बायोमेट्रिक स्कैनिंग और दस्तावेजों की जांच…

रायपुर- समय के साथ सुविधाएं लोगों को घर-द्वार में मिल रही हैं. इस कड़ी में पासपोर्ट भी शामिल हो गया है, जिसके लिए अब आपको कार्यालय का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं, बल्कि घर बैठे ही पासपोर्ट से जुड़े काम हो जाएंगे. सरकार ने अब घर बैठे ही फिंगर प्रिंट्स और बायोमेट्रिक स्कैनिंग मशीन, दस्तावेजों की जांच, फोटो खींचने समेत सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराने जा रही है.

विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट बनाने में आने वाली दिक्कतों को देखते हुए लोगों को सुविधा के लिहाज से पासपोर्ट मोबाइल वैन चला रही है. इस हाईटेक वैन में पासपोर्ट बनाने की पूरी प्रक्रिया संपन्न होगी. इस वैन को अलग-अलग इलाकों में हफ्ते में एक बार पहुंचाया जाएगा. लोगों को केवल इस वैन तक पहुंचना होगा. बाकी के काम वैन में तैनात कर्मचारी और अफसर कर लेंगे।

मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों में यह सुविधा शुरू भी हो गई है. अब इस विदेश मंत्रालय की इस महती योजना में छत्तीसगढ़ को भी शामिल कर लिया गया है. जल्द ही छत्तीसगढ़ पासपोर्ट दफ्तर को पहली वैन मिलने वाली है. यहां वैन कहां-कहां जाएगी, इसका रूट भी तैयार किया जा रहा है.

तीन दिन में तत्काल पासपोर्ट

दरअसल, बिना पासपोर्ट के विदेश जाना संभव नहीं है. विदेश जाने वालों की संख्या भी हर साल बढ़ रही है. पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया भी आसान हुई है. तत्काल पासपोर्ट तीन दिन में उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके लिए शुल्क 3500 रुपए ही है. सामान्य पासपोर्ट के लिए 1500 रुपए शुल्क लिया जाता है. सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद दो हफ्ते में इसे जारी कर दिया जाता है.

क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी गौरव गर्ग ने बताया कि लोगों की सुविधा के लिए मोबाइल वैन शुरू की जा रही है. इसमें पासपोर्ट बनाने के सारे काम होंगे. लोगों को सेंटर तक नहीं जाना होगा. शुरुआत में इस वैन को वहां चलाया जाएगा जहां पासपोर्ट दफ्तर नहीं है. ताकि लोग घरों के सामने ही पासपोर्ट बनवा सकें.

19 साल में 6 लाख पासपोर्ट

रायपुर में 2007 में पासपोर्ट दफ्तर खुलने के पहले तक लोगों को नया पासपोर्ट बनवाने के लिए भोपाल जाना पड़ता था. पहली बार दफ्तर खुला तो उस वर्ष 45 पासपोर्ट बने थे. इसके बाद हर साल पासपोर्ट बनवाने वालों की संख्या बढ़ती गई. पिछले तीन साल से हर साल 50 हजार से ज्यादा लोग पासपोर्ट बनवा रहे हैं.

जहां दफ्तर नहीं, वहां सुविधा पहले

क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी गौरव गर्ग ने बताया कि लोगों की सुविधा के लिए मोबाइल वैन शुरू की जा रही है. इसमें पासपोर्ट बनाने के सारे काम होंगे. लोगों को सेंटर तक नहीं जाना होगा. शुरुआत में इस वैन को वहां चलाया जाएगा, जहां पासपोर्ट दफ्तर नहीं है.

ऑनलाइन पता चलेगा कब-कहां आएगी गाड़ी

  • मोबाइल वैन से पासपोर्ट बनवाने के लिए लोगों को अलग से अपॉइंटमेंट दिया जाएगा
  • लोग सुविधा के अनुसार टाइम स्लॉट बुक करा सकेंगे. दिन भी चुन सकेंगे.
  • अपॉइंटमेंट बुक करने से लेकर दस्तावेज सत्यापन तक की प्रक्रिया सरल और तेज होगी.

ऐसे करेंगे आवेदन

  • आवेदकों को passportindia.gov.in वेबसाइट पर लॉग इन कर स्लॉट बुक करना होगा.
  • अलग-अलग प्रक्रियाओं में मोबाइल वैन के ऑप्शन को सिलेक्ट करना होगा.
  • स्लॉट बुक होने के बाद वैन तय समय पर इलाके में पहुंचेगी. जहां प्रक्रिया पूरी की जाएगी.
कोंडागांव में नारियल विकास बोर्ड बना किसानों की उम्मीद का केंद्र, वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने की प्रशंसा

कोंडागांव- छत्तीसगढ़ के एकमात्र नारियल विकास बोर्ड कोंडागांव स्थित कोकोनट रिसर्च सेंटर का शनिवार को प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने दौरा किया और इसकी गतिविधियों की सराहना की। यह केंद्र न केवल नारियल की खेती को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि किसानों को नई तकनीकों और पौधों की उन्नत किस्में प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है।

100 एकड़ में फैले इस रिसर्च सेंटर में नारियल की कई प्रजातियों के साथ-साथ कोको, कॉफी, काली मिर्च, केला, लीची और हल्दी जैसी फसलों की भी उन्नत खेती की जा रही है। किसानों को इन फसलों की जानकारी देने के साथ-साथ बोर्ड हर साल एक लाख पौधे निशुल्क वितरित करता है।

यहां नारियल के फल से मिठाइयां बनाई जा रही है, वहीं नारियल के खोल से सुंदर कलाकृतियां तैयार की जा रही है, जो ग्रामीणों के लिए स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बन रही है। वित्त मंत्री चौधरी ने केंद्र के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह बोर्ड कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह का प्रयास न केवल स्थानीय किसानों की आय बढ़ा रहा है, बल्कि पूरे प्रदेश में कृषि नवाचार की मिसाल भी पेश कर रहा है।

आबकारी घोटाला मामला : सरकार ने दी 21 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच के बीच सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. राज्य सरकार ने इस घोटाले में संलिप्त 21 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दे दी है, जिससे अब उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है।

EOW ने एफआईआर में कुल 36 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें तत्कालीन एडिशनल डायरेक्टर, ज्वाइंट डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर, जिला आबकारी अधिकारी और इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी शामिल हैं. जांच के दौरान ब्यूरो ने कई अधिकारियों से लंबी पूछताछ की है. अब अभियोजन की स्वीकृति के बाद इन अधिकारियों की जल्द गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है.

गौरतलब है कि इस घोटाले में कई राजनेता, पूर्व IAS अधिकारी और कारोबारी पहले ही जेल भेजे जा चुके हैं. शासन से मिली मंजूरी के बाद EOW द्वारा शनिवार को राज्यभर में 13 ठिकानों पर छापेमारी भी की गई थी, जिससे जुड़े दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूत जब्त किए गए हैं. जांच एजेंसी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आगे की कार्रवाई तेज कर दी है.

रिटायर्ड फार्मासिस्ट को मिली राहत, हाईकोर्ट ने निरस्त किया पौने आठ लाख की रिकवरी का आदेश

बिलासपुर- रिटायर्ड फार्मासिस्ट के वेतन से पौने आठ लाख रुपए की रिकवरी करने का आदेश हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने माना है कि तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति के बाद अधिक वेतन की रिकवरी नहीं की जा सकती।

बता दें कि घासीराम साहू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिलाईगढ़ में फार्मासिस्ट ग्रेड 2 के पद से 30 जून 2024 को रिटायर हुए। उन्हें पेंशन, ग्रेच्युटी, सेवानिवृत्ति के अन्य देयक नहीं दिए जा रहे थे। विभाग ने कहा कि उनका वेतन निर्धारण गलत हो गया था। इस वजह से 7 लाख 75 हजार रुपए का रिकवरी आदेश जारी कर दिया गया। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाई।

याचिकाकर्ता घासीराम ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा था कि रिटायरमेंट के बाद रिकवरी नहीं हो सकती। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति के बाद अधिक वेतन की रिकवरी नहीं की जा सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने 7 लाख 75 हजार की रिकवरी का आदेश निरस्त कर दिया।