दुनिया प्रेम और मंगल की भाषा तब ही सुनती है, जब आपके पास शक्ति हो’, क्या हैं मोहन भागवत के बयान के मायने

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि भारत विश्व का सबसे प्राचीन देश है और उसकी भूमिका ‘बड़े भाई’ की है। भारत विश्व में शांति, सौहार्द और धर्म का प्रचार करने वाला राष्ट्र है। इसके साथ-साथ संघ प्रमुख ने बताया कि भारत को शक्ति संपन्न होना क्यों जरूरी है। मोहन भागवत जयपुर के हरमाडा स्थित रविनाथ आश्रम में आज आयोजित एक समारोह में पहुंचे थे। सम्मान समारोह के बाद उन्होंने लोगों को संबोधित किया।

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भारत को शक्ति संपन्न होना क्यों जरूरी?

मोहन भागवत ने कहा कि विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य है, लेकिन इसके लिए भी शक्ति की आवश्यकता होती है। पाकिस्तान पर हालिया कार्रवाई की चर्चा करते हुए कहा कि भारत किसी से द्वेष नहीं रखता, लेकिन विश्व प्रेम और मंगल की भाषा भी तब ही सुनता है जब आपके पास शक्ति हो। दुनिया आपकी बात तब ही सुनती है जब आपके पास शक्ति हो। यह दुनिया का स्वभाव है। इस स्वभाव को बदला नहीं जा सकता, इसलिए विश्व कल्याण के लिए हमें शक्ति संपन्न होने की आवश्यकता है। हमारी ताकत विश्व ने देखी है।

भागवत ने आगे कहा कि विश्व कल्याण हमारा धर्म है। विशेषकर हिंदू धर्म का तो यह पक्का कर्तव्य है। यह हमारी ऋषि परंपरा रही है, जिसे आज संत समाज आगे बढ़ा रहा है।

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पर सियासत तेज, जानें थरूर को लेकर जयराम रमेश ने क्या कहा?

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केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। इन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में शामिल सांसदों में सबसे अधिक चर्चा कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नाम की हो रही है। शशि थरूर ने नाम पर कांग्रेस में सियासी घमासान मच गया है। दरअसल कांग्रेस ने इस डेलिगेशन के लिए 4 नामों का ऐलान किया है, जिसमें शशि थरूर का नाम शामिल नहीं है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” पर जानकारी शेयर करते हुए बताया कि शुक्रवार सुबह संसदीय कार्य मंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता से फोन पर बातचीत की थी। जिसमें राहुल गांधी ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल किए जाने वाले चार सांसदों के नाम मंत्री जी को सुझाए, जो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत के दृष्टिकोण को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करेंगे। कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार के नाम दिए थे। हालांकि किरेन रिजिजू ने राहुल के सुझाए हुए नामों में से किसी को भी नहीं चुना है। यही कारण है कि अब शशि थरूर की नियुक्ती पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा, हम सीधी क्रिकेट खेल रहे हैं लेकिन सरकार किस तरह के बैट से खेल रही है, ये समझ नहीं आ रहा। यह एक गंभीर राष्ट्रीय मसला है, कोई पॉलिटिकल स्पिन ज़ोन नहीं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर भ्रम फैला रही है और विपक्ष को केवल दिखावे के लिए साथ लाने की कोशिश कर रही है। रमेश ने कहा, 1971 में कोई डैमेज कंट्रोल नहीं हुआ था, वहां स्पष्ट नैरेटिव था. लेकिन आज सरकार डैमेज कंट्रोल मोड में है।

क्या भारत 100% टैरिफ कटौती को तैयार? ट्रंप ने टैरिफ पर किया फिर चौंकाने वाला दावा

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर टैरिफ को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है। ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि भारत ने अमेरिका को शून्य शुल्क (ज़ीरो टैरिफ) व्यापार समझौते की पेशकश की है। उन्होंने यह बात भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में अपनी भूमिका को उजागर करते हुए कही।

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ट्रंप फिर बोले- भारत टैरिफ में 100% कटौती करेगा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज पर शुक्रवार को दावा किया कि भारत, अमेरिकी चीजों पर 100 प्रतिशत टैरिफ में कटौती करने को तैयार है। ट्रंप ने कहा- भारत और अमेरिका के बीच एक ट्रेड डील होने वाली है। वे इसमें कोई जल्दबाजी नहीं करने जा रहे हैं। ट्रंप ने कहा- अमेरिका के साथ 150 देश डील करना चाहते हैं, साउथ कोरिया भी डील करना चाहता है। हम सबके साथ तो डील नहीं कर सकते। ट्रंप ने ट्रेड डील के लिए लिमिट तय करने की भी बात कही। ट्रंप ने फिर से भारत को दुनिया के सबसे ज्यादा टैरिफ लेने वाले देशों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि भारत में व्यापार करना लगभग असंभव है, लेकिन भारत, अमेरिका के लिए टैरिफ हटाने को तैयार है।

क्या भारत के साथ यह समझौता जल्द होगा?

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या भारत के साथ यह समझौता जल्द होगा, तो उन्होंने कहा, हाँ, यह जल्द आएगा। लेकिन मुझे कोई जल्दी नहीं है। हर कोई हमारे साथ समझौता करना चाहता है। उन्होंने आगे कहा, दक्षिण कोरिया भी समझौता करना चाहता है, लेकिन मैं हर देश के साथ समझौता नहीं कर सकता। मेरे पास 150 देश हैं जो अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करना चाहते हैं। मैं कुछ ही देशों के साथ सीमित समझौते करूंगा।

भारत-पाक सैन्य तनाव पर भी की बात

फॉक्स न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव में कमी की बात करते हुए टैरिफ का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि उन्होंने ट्रेड की चर्चा करके दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, भारत और पाकिस्तान के बीच काफी तनाव और नफरत थी, इसलिए मैंने कहा कि हम ट्रेड पर बात करेंगे। हम बहुत सारा ट्रेड करेंगे। ट्रंप का कहना है कि वह ट्रेड को एक मुद्दा बनाकर सभी को समझा रहे हैं और शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

पश्चिम बंगाल निर्वाचन कार्यालय ने सहायक सिस्टम प्रबंधक को किया निलंबित , धोखाधड़ी का आरोप

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए काकद्वीप उपखंड में कार्यरत सहायक सिस्टम प्रबंधक (एएसएम), श्री अरुण गोराईं को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह निलंबन उनके खिलाफ लगे गंभीर आरोपों के बाद किया गया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर धोखाधड़ी और दुर्भावनापूर्ण इरादे से अपने आधिकारिक कर्तव्यों का उल्लंघन किया है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मनोज कुमार अर•एल, आईएएस, द्वारा जारी आदेश संख्या 1157- गृह (ईएलईसी) दिनांक 15 मई, 2025 के अनुसार, यह कार्रवाई जिला मजिस्ट्रेट और जिला चुनाव अधिकारी, दक्षिण 24 परगना से प्राप्त एक रिपोर्ट के आधार पर की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि श्री गोराईं ने सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (एईआरओ), 131- काकद्वीप एसी और संयुक्त ब्लॉक विकास अधिकारी, काकद्वीप ब्लॉक, दक्षिण 24 परगना, श्री स्वप्न कुमार हैदर के लॉगिन क्रेडेंशियल में अपना मोबाइल नंबर (9734744752) दर्ज कर दिया था।

इसके अतिरिक्त, यह भी पाया गया कि श्री स्वप्न कुमार लालदार, जो कि एईआरओ, 131- काकद्वीप एसी हैं, के लॉगिन क्रेडेंशियल का उपयोग करके कुछ मतदाता पंजीकरण फॉर्मों का निपटारा किया गया।

इस मामले में आगे की जांच में, ईआरओ और उपमंडल अधिकारी, काकद्वीप द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के जवाब में, श्री अरुण गोराईं ने स्वीकार किया कि उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया है और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है। उन्होंने इस असुविधा के लिए खेद भी व्यक्त किया था।

हालांकि, मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने श्री गोराईं के इस कृत्य को उनके सौंपे गए पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में घोर कदाचार और दुर्भावनापूर्ण इरादे के बराबर माना है। कार्यालय का मानना है कि उन्होंने एईआरओ, 131- काकद्वीप ए.सी. के लॉगिन क्रेडेंशियल में अनधिकृत रूप से अपना मोबाइल नंबर डालकर धोखाधड़ी और छल किया। इसके बाद, उन्होंने अपने मोबाइल नंबर पर प्राप्त वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) का उपयोग करके एईआरओ के लॉगिन से मतदाता पंजीकरण फॉर्म 6, 7 और 8 के आवेदनों का निपटारा किया। ये फॉर्म नए मतदाताओं के पंजीकरण, मतदाता सूची में प्रविष्टियों में सुधार और मतदाता सूची से नाम हटाने से संबंधित हैं।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि श्री अरुण गोराईं का यह कदाचार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 32 के अंतर्गत मतदाता सूची की तैयारी आदि के संबंध में आधिकारिक कर्तव्य के उल्लंघन के अंतर्गत आता है। इस प्रकार, वह इस कदाचार के लिए मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी हैं।

उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने पश्चिम बंगाल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1971 के भाग IV के नियम 7(1)(ए) के अंतर्गत निहित प्रावधानों के अनुसार श्री अरुण गोराईं, सहायक सिस्टम प्रबंधक, काकद्वीप उपमंडल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि उनका निलंबन तब तक जारी रहेगा जब तक कि जिला निर्वाचन अधिकारी एवं जिला मजिस्ट्रेट, दक्षिण 24 परगना से मसौदा आरोप पत्र, गवाहों के बयान और विश्वसनीय दस्तावेजों की प्राप्ति के बाद उनके खिलाफ शुरू की जाने वाली प्रमुख दंड कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती।

निलंबन अवधि के दौरान, श्री अरुण गोराईं अपनी सेवा शर्तों के अनुसार निर्वाह भत्ता प्राप्त करने के हकदार होंगे।

इस कार्रवाई से पश्चिम बंगाल के निर्वाचन कार्यालय ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता और धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। यह घटना आगामी चुनावों के मद्देनजर मतदाता सूची की शुद्धता और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए निर्वाचन आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अब सभी की निगाहें जिला निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट और उसके बाद होने वाली अनुशासनात्मक कार्यवाही पर टिकी हैं।

नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास, पहली बार 90 मीटर भाला फेंका, ऐसा करने वाले एशिया के तीसरे एथलीट बने

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दो बार के ओलंपिक पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। शुक्रवार को दोहा डायमंड लीग में उन्होंने 90.23 मीटर का थ्रो कर किया और दूसरे स्थान पर रहे। अपने करियर में उन्होंने पहली बार इस आंकड़े को छुआ। जर्मनी के जूलियन वेबर ने उनसे ज्यादा दूर भाला फेंका और वह पहले स्थान पर रहे। टोक्यो ओलंपिक चैंपियन नीरज 90 मीटर पार करने वाले दुनिया के 25वें और एशिया के तीसरे खिलाड़ी बन गए।

भारत के स्टार जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने दोहा डायमंड लीग में पहले प्रयास में 88.44 मीटर स्कोर किया, जबकि दूसरा थ्रो अमान्य रहा। फिर नीरज ने तीसरे प्रयास में अपने करियर का बेस्ट थ्रो किया। जो 90.23 मीटर रहा। इससे पहले उनका बेस्ट थ्रो 89.94 मीटर था, जो उन्होंने 2022 डायमंड लीग में हासिल किया था।

नीरज को जीत पर पीएम मोदी ने दी बधाई

भारत के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने करियर में पहली बार 90 मीटर का आंकड़ा छुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह सके। सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पीएम मोदी ने लिखा, 'भारत खुश और गौरवान्वित है।' पीएम ने लिखा, 'शानदार उपलब्धि! दोहा डायमंड लीग 2025 में 90 मीटर का आंकड़ा पार करने और अपना सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत थ्रो हासिल करने के लिए नीरज चोपड़ा को बधाई। यह उनके अथक समर्पण, अनुशासन और जुनून का नतीजा है।

90 मीटर से ज्यादा स्कोर करने वाले एशिया के तीसरे खिलाड़ी

टोक्यो ओलंपिक चैम्पियन चोपड़ा 90 मीटर पार करने वाले दुनिया के 25वें और एशिया के तीसरे खिलाड़ी बन गए। ओलंपिक चैंपियन पाकिस्तान के अरशद नदीम (92.97 मीटर) और चीनी ताइपै के चाओ सुन चेंग (91.36) ही एशिया के दो अन्य खिलाड़ी हैं जो 90 मीटर से अधिक का थ्रो फेंक चुके हैं।

नीरज चोपड़ा ने क्या कहा

नीरज ने मैच के बाद कहा, 'मैं 90 मीटर का आंकड़ा छूकर बहुत खुश हूं, लेकिन यह वास्तव में थोड़ा कड़वा-मीठा अनुभव है। कोई बात नहीं, मैं और मेरे कोच अभी भी मेरे थ्रो के कुछ पहलुओं पर काम कर रहे हैं। हमने इस साल फरवरी में ही साथ काम करना शुरू किया था। मैं अभी भी चीजें सीख रहा हूं। पिछले कुछ वर्षों में मुझे हमेशा कमर में दर्द महसूस होता था और परेशानी रहती थी। इस वजह से मैं अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रहा था।

अलप्पुझा में माकपा नेता सुधाकरन के खिलाफ डाक मतपत्रों में छेड़छाड़ के आरोप में प्राथमिकी दर्ज

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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता जी. सुधाकरन के खिलाफ 1989 के अलप्पुझा लोकसभा चुनाव में डाक मतपत्रों को खोलने और उनमें छेड़छाड़ करने के आरोपों के संबंध में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है। सुधाकरन की हालिया टिप्पणियों ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है, जिसके चलते चुनाव आयोग ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है।

विवादित टिप्पणी और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया:

सुधाकरन ने बुधवार को अलप्पुझा में एनजीओ संघ के पूर्व नेताओं की एक सभा में एक विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 1989 के अलप्पुझा लोकसभा चुनाव के दौरान डाक मतपत्रों को खोला गया था। उनकी यह टिप्पणी टीवी चैनलों पर प्रसारित हुई, जिसके बाद चुनाव आयोग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने गुरुवार को सुधाकरन का बयान दर्ज किया।

सुधाकरन का यू-टर्न:

चुनाव आयोग की पूछताछ के बाद, सुधाकरन ने गुरुवार को एक अन्य कार्यक्रम में अपनी पिछली टिप्पणी से पलटते हुए कहा कि उन्होंने जो कहा था वह पूरी तरह से सच नहीं था और उन्होंने अपनी 'कल्पना' से इसमें कुछ अतिरिक्त जोड़ा था। उन्होंने दावा किया कि "ऐसा कभी कुछ भी नहीं हुआ। कोई मतपत्र नहीं खोले गए थे और किसी मतपत्र से कभी भी छेड़छाड़ नहीं की गई थी। मैंने उस तरह की किसी भी चीज में कभी भी भाग नहीं लिया है। मैंने कभी भी कोई फर्जी मतदान नहीं किया है।" उन्होंने यह भी कहा कि "मैंने फर्जी मतदान करने के लिए किसी को कभी भुगतान नहीं किया है। मैंने उस दिन जो कहा था, वह केवल इस तरह की गतिविधियों को करने वालों के लिए एक छोटी सी चेतावनी के रूप में था और उन्हें यह बताने के लिए था कि हम इस बारे में जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं।"

पुलिस ने दर्ज की प्राथमिकी:

सुधाकरन के इस यू-टर्न के बावजूद, पुलिस ने शुक्रवार को उनके खिलाफ जन प्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है। उन पर धारा 128 (वोटिंग की गोपनीयता बनाए रखना), 135 (मतदान केंद्र से मतपत्रों को हटाना), 135 ए (बूथ कैप्चरिंग) और 136 (जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 के तहत अन्य अपराध और जुर्माना), धारा 465 (जालसाजी के लिए सजा), 468 (धोखा देने के लिए जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग असली के रूप में करके) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

कानूनी प्रावधान और संभावित सजा:

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अपराधों की सजा कुछ महीनों से लेकर अधिकतम दो साल तक हो सकती है, जबकि भारतीय दंड संहिता के तहत दो साल से सात साल तक जेल की सजा हो सकती है। प्राथमिकी के अनुसार, जिलाधिकारी द्वारा अलप्पुझा जिला पुलिस प्रमुख को भेजी गई एक रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई, जो जिला चुनाव अधिकारी भी हैं।

विवादित वीडियो और आरोप:

विवादित वीडियो में, सुधाकरन को यह कहते हुए सुना गया था कि एनजीओ संघ के सदस्यों को प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों को अपने वोट नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनजीओ के सभी सदस्यों के लिए पार्टी के लिए वोट करना आवश्यक नहीं है, लेकिन जो लोग सील किए गए मतपत्र जमा करते हैं, उन्हें यह नहीं मान लेना चाहिए कि 'हमें इसका पता नहीं चलेगा' कि उन्होंने किसे वोट दिया है। समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित कथित वीडियो में उन्हें यह कहते हुए दिखाया गया है, "हम उन्हें खोल देंगे, सत्यापित करेंगे और उन्हें सही करेंगे। भले ही यह कहने के लिए मेरे खिलाफ कोई मामला दायर किया जाए, लेकिन मुझे कोई परवाह नहीं है।"

सुधाकरन के दावे और 1989 का चुनाव:

सुधाकरन ने दावा किया था कि कुछ एनजीओ संघ के सदस्यों ने विपक्षी उम्मीदवारों के लिए अपने वोट डाले थे। उन्होंने कहा कि जब केएसटीए नेता के वी देवदास ने अलप्पुझा से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा, तो डाक समिति के कार्यालय में डाक मतपत्रों को खोलकर उनकी जांच की गई और यह पाया गया कि 15 प्रतिशत ने विरोधी उम्मीदवार के लिए मतदान किया था। केएसटीए स्कूली शिक्षकों का संगठन है जो माकपा द्वारा समर्थित है। वीडियो से यह स्पष्ट नहीं हुआ कि 1989 के लोकसभा चुनाव के दौरान अलप्पुझा सीट के लिए हुए चुनाव के दौरान खोलने के बाद डाक मतपत्रों से छेड़छाड़ उनके या उनके सहयोगियों द्वारा की गई थी या नहीं। सुधाकरन ने कहा कि देवदास ने उस चुनाव में कांग्रेस के नेता वक्कम पुरुषोथामन के खिलाफ चुनाव लड़ा और 18,000 वोटों से हार गए थे।

राजनीतिक प्रतिक्रिया:

सुधाकरन की टिप्पणियों ने केरल की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। विपक्षी दलों ने माकपा नेता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। माकपा ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

आगे की जांच:

पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। सुधाकरन से पूछताछ की जा सकती है और सबूत जुटाए जाएंगे। चुनाव आयोग भी इस मामले की निगरानी कर रहा है। इस मामले की जांच से 1989 के चुनाव में डाक मतपत्रों में छेड़छाड़ के आरोपों की सच्चाई सामने आएगी और यह स्पष्ट होगा कि क्या सुधाकरन ने कानून का उल्लंघन किया है।

दुनिया के सामने आएगा पाकिस्तान का ‘नापाक’ चेहरा, भारत सरकार की बड़ी तैयारी, थरूर को मिला अहम जिम्मा

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पहलगाम आतंकी हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को बेनकाब करने की बड़ी तैयारी की है। भारत सरकार आतंकवाद के खिलाफ अपने 'जीरो टॉलरेंस' के संदेश को वैश्विक पटल पर मजबूती से रखने का प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार पहलगाम की घटना पर दुनिया को जानकारी देने के लिए सांसदों के आठ समूह भेज रही है। हर समूह में अलग-अलग पार्टियों के कम से कम पांच सांसद होंगे। उनके साथ एक सीनियर राजनयिक भी होगा। ये समूह अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ (EU), रूस, जापान, दक्षिण अफ्रीका और खाड़ी देशों जैसे अहम शहरों में जाएंगे।

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संसदीय कार्य मंत्रालय की शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया, ये सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भारत की आतंकवाद के विरुद्ध एकमत और दृढ़ रणनीति को दुनिया के सामने रखेगा। वे आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ भारत के सख्त रुख का संदेश लेकर जाएंगे। सरकार ने इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वाले नेताओं का चयन सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से किया है, जो कई वैचारिक पृष्ठभूमि से आते हैं। इन ग्रुपों में सभी पार्टियों के सांसदों को शामिल किया जा रहा है,सीनियर राजनयिक इन सांसदों की मदद करेंगे। इस लिस्ट में पूर्व विदेश सचिव एच.वी. श्रृंगला, फ्रांस में भारत के पूर्व राजदूत जावेद अशरफ और मोहन कुमार, और जापान में पूर्व राजदूत सुजान चिनॉय जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नेता इस प्रकार हैं:

• रवि शंकर प्रसाद (भाजपा सांसद)

• बैजयंत पांडा (भाजपा सांसद)

• शशि थरूर (कांग्रेस सांसद)

• संजय झा (जदयू सांसद)

• कनीमोझी (डीएमके सांसद)

• सुप्रिया सुले (एनसीपी - शरद पवार गुट सांसद)

• श्रीकांत शिंदे (शिवसेना सांसद)

थरूर अमेरिका में सांसदों की संभालेंगे कमान

कांग्रेस सांसद शशि थरूर अमेरिका जाएंगे। जेडीयू के सांसद संजय झा और श्रृंगला भी एक समूह का नेतृत्व करेंगे। सुप्रिया सुले (एनसीएसपी), और श्रीकांत शिंदे (शिवसेना) भी एक-एक समूह का नेतृत्व कर रहे हैं। सुले के समूह में राजीव प्रताप रूडी (बीजेपी), अनुराग ठाकुर (बीजेपी), मनीष तिवारी (कांग्रेस), बृज लाल (बीजेपी) और तेजस्वी सूर्या (बीजेपी) शामिल हैं। असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) भी एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे। डीएमके नेता कनिमोझी रूस जाने वाले समूह का नेतृत्व करेंगी। आरजेडी सांसद प्रेम चंद गुप्ता उनकी टीम में हैं।

क्या है मकसद?

हर प्रतिनिधिमंडल में करीब आधा दर्जन सांसद शामिल होंगे और सभी राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स इनमें नेतृत्व की भूमिका निभाएंगे। इन सांसदों का मकसद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह साफ करना होगा कि कैसे पाकिस्तान में पल रहे आतंकी ढांचों ने भारत की संप्रभुता पर हमला किया और उसके जवाब में किस तरह भारत ने संयम और संकल्प के साथ जवाब दिया है। इन 8 प्रतिनिधिमंडलों का लक्ष्य होगा—विदेशी सरकारों, थिंक टैंकों, मीडिया संस्थानों और नीति-निर्माताओं को यह बताना कि भारत क्यों और कैसे इस जवाबी कार्रवाई के लिए विवश हुआ। साथ ही यह बताना भी होगा कि भारत किसी देश की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं, बल्कि अपने नागरिकों की रक्षा के लिए खड़ा हुआ।

ऑपरेशन सिंदूर पर शहबाज शरीफ का कबूलनामा, बोले-नूर खान एयरबेस समेत कई जगह गिर भारतीय मिसाइल

#sharifconfirmsstrikesnurkhan_airbase 

आखिरकार ऊंट पहाड़ के नीचे आ ही गया। ये ‘ऊंट’ कोई और नहीं पाकिस्तान है। जो आज तक भारत के ऑपरेशन सिंदूर से हुए नुकसान से इनकार कर रहा था, उसे एक बार फिर “हार” मानते हुए सच को कबूल लिया है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान पर करारा प्रहार किया। पहले तो पाकिस्तान यह स्वीकार नहीं कर रहा था कि उसको भारत के हमलों से कुछ नुकसान हुआ है। अब खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत की मिसाइलों के पाकिस्तानी सैन्य अड्डों को निशाना बनाने की बात भी कबूली। भारत और पाकिस्तान ने चार दिनों तक सैन्य टकराव के दौरान सीमा पार एक दूसरे पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए थे, जिसके बाद 10 मई को दोनों पक्षों में संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी।

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शहबाज का कबूलनामा

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के हमलों में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों के लिए देश भर में आयोजित धन्यवाद दिवस (यौम ए तशाकुर) के मौके पर शहबाज ने कहा, सिपहसालार असीम मुनीर ने मुझे 9 और 10 मई की दरमियानी रात को करीब 2:30 बजे सिक्योर्ड लाइन पर फोन कर मुझे बताया, वजीर ए आजम साहब, हिंदुस्तान ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल अभी लॉन्च किए हैं। इनमें से एक नूर खान एयरपोर्ट पर गिरा है और दूसरे कुछ दूसरे इलाकों में गिरे हैं।

शांति की बात करने लगे शहबाज

भारत के हाथों जमकर पिटने के बाद अब पाकिस्तानी की हेकड़ी निकली दिख रही है। शहबाज शरीफ ने अब पाकिस्तान को शांति चाहने वाला देश बताने लगे हैं। इसी क्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर भारत के साथ वार्ता की गुहार लगाई है। हालांकि यह भी जोड़ा कि कश्मीर समेत सभी लंबित मुद्दों पर बात होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, इससे सबक यह मिलता है क शांतिप्रिय पड़ोसियों की तरह हम जम्मू-कश्मीर समेत अपने लंबित मुद्दे सुलझाएं। इन मुद्दों को सुलझाए बगैर दुनिया के इस हिस्से में शांति नहीं आएगी। यदि शांति स्थापित होगी तो आतंकवाद से लड़ने में हम भी पूरा सहयोग दे सकते हैं।

भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच पाकिस्तान पहुंचे ब्रिटेन के विदेश मंत्री, जानें क्या हुई बात

#british_foreign_minister_reached_islamabad

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भारत और पाकिस्तान के बीच इन दिनों तनाव के हालात बरकरार है। इस बीच ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लेमी इस्लामाबाद पहुंचे हैं। जहां उन्होंने अपने पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुए जंग और फिर संघर्ष विराम को लेकर चर्चा की गई।

पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने ऐसे समय में डेविड लैमी से मुलाकात की है जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को तबाह किया और अभी सीजफायर लागू है। भारत और पाकिस्तान के संघर्षविराम के बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लेमी का पहला दौरा है। इशाक डार ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापार सहयोग बढ़ाने को लेकर भी चर्चा हुई।

इससे पहले ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने भी कहा है कि स्थायी संघर्ष-विराम सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटेन दोनों देशों के साथ काम करने के लिए तैयार है। लैमी ने ब्रिटिश संसद के सदस्यों से कहा था, दोनों देशों के साथ हमारे मजबूत और घनिष्ठ संबंधों को देखते हुए ब्रिटेन दोनों पक्षों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है, ताकि स्थायी संघर्ष-विराम को वास्तविकता बनाया जा सके।

उन्होंने कहा था, मैं यहां यह स्पष्ट कर दूं कि हमने 22 अप्रैल को (पहलगाम में) जो भयावह आतंकवाद देखा, जिसमें 26 निर्दोष लोगों को कपड़े उतरवाकर गोली मार दी गई - वह वाकई बहुत भयानक था। हम इसकी निंदा करते हैं। हम इस आतंकवादी खतरे से निपटने के लिए दोनों पक्षों के साथ काम करना जारी रखेंगे। हम सभी को आगे आकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हम 'भयानक आतंकवाद' से निपटने के दोनों पक्षों के प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं। आखिरकार इसी प्रयास की बदौलत ही स्थायी शांति बनाई रखी जा सकेगी

मोदी सरकार ने चली पाक को बेनकाब करने की चाल, भारतीय सांसदों का दल दुनिया को बताएंगे ऑपरेशन सिंदूर का सच

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आतंकपरस्त पाकिस्तान को भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई के बल पर घूटने टेकने को मजबूर कर दिया। हालांकि, पाकिस्तान ने दुनिया में झूठे दावों को बौछार कर दी। पाकिस्तान की पोल खोलने के लिए अब मोदी सरकार ने अब तक की सबसे बड़ी चाल चल दी है। ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिए सरकार ने सांसदों के एक दल को विदेश भेजने का फैसला किया है। इसके बाद अब संसदीय कार्य मंत्रालय ने सभी राजनीतिक दलों से बातचीत शुरू कर दी है। शुक्रवार से संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू सभी पार्टियों के संसदीय दल के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। संसदीय कार्य मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर सांसदों के दल का समूह बनाने की कवायद शुरू की है।

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मोदी सरकार फिलहाल विपक्षी दलों से बातचीत कर रही है। सरकार मल्टी पार्टी डेलिगेशन यानी प्रतिनिधिमंडल की संरचना और कार्यक्रम को अंतिम रूप देने से पहले उन्हें साथ लाना चाहती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पहले चरण में सांसदों के 8 ग्रुप बनाए जाएंगे। सांसदों के ये 8 ग्रुप, 8 अलग-अलग देशों का दौरा कर भारत का पक्ष रखेंगे। 8 ग्रुप में हर पार्टी के सांसदों होंगे। इन ग्रुप को विदेश भेजने का मकसद पाकिस्तान के साथ हालिया सैन्य संघर्ष के बाद वैश्विक स्तर पर भारत का पक्ष रखना है। इसे लेकर कांग्रेस का कहना है कि सरकार की इस पहल का वो हिस्सा होगी।

इस मामले को लेकर अभी तक सरकार की तरफ से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। हालांकि, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पीटीआई को बताया कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से इस बारे में बात की है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा देश हित के साथ खड़ी रहती है। भाजपा की तरह कभी भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं करती है। इसलिए कांग्रेस इन प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा होगी।