देश के कल कहां-कहां होगी मॉक ड्रिल, गृह मंत्रालय ने जारी कर दी लिस्ट


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पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच किसी भी संभावित युद्ध की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को बुधवार को नागरिकों की सुरक्षा के लिए मॉक ड्रिल करने का आदेश दिया है। गृह मंत्रालय के तहत नागरिक सुरक्षा के अतिरिक्त महानिदेशक बी संदीपकृष्ण ने सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर निर्देश जारी किया है। गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार देश के 295 जिलों में मॉक ड्रिल कराई जाएगी।

गृह मंत्रालय ने देश के कई राज्यों को 7 मई को व्यापक नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए जिलों और शहरों की लिस्ट जारी कर दी गई है। देखते हैं 7 मई को किन-किन जिलों में युद्ध वाले सायरन बजेंगे और मॉक ड्रिल होगीः-

राज्य जिले

राजस्थान कोटा, रावत-भाटा, अजमेर, अलवर, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, गंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, उदयपुर, सीकर, नाल, सूरतगढ़, आबू रोड, नसीराबाद (अजमेर), भिवरी, फुलेरा (जयपुर), नागौर (मेड़ता रोड), जालोर, बेवर (अजमेर), लालगढ़ (गंगानगर)

उत्तर प्रदेश (UP) बुलन्दशहर (नरौरा), आगरा, इलाहाबाद, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, वाराणसी, बख्शी-का-तालाब, मुगलसराय, सरसावा, बागपत, मुजफ्फर नगर

हरियाणा अंबाला, हिसार, फरीदाबाद, गुड़गांव, पंचकूला, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर, झज्झर

गुजरात सूरत, वडोदरा, अहमदाबाद, जामनगर, गांधीनगर, भावनगर, ककरापुर, कांडला, नलिया, अंकलेश्वर, ओखा, वडिनार, भरूच, दंग्स, कच्छ, मेहसाना, नर्मला, नवसारी

जम्मू-कश्मीर अनंतनाग, बडगाम, बारामूला, डोडा, जम्मू, कारगिल, कठुआ, कुपवाड़ा, लेह, पूंछ, राजौरी, श्रीनगर, उद्यमपुर, संब, अखनूर, उरी, नौशेरा, सुंदरबनी, अवंतीपुर, पुलवामा

पंजाब अमृतसर, भटिंडा, फिरोजपुर, गुरदासपुर, होशियारपुर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला, पठानकोट, अजनामपुर, बरनाला, भाखड़ा-नांगल, हलवारा, कोठकापुर, बटाला, मोहाली (सासनगर), अबोहर, फरीदपुर, रोपड़, संग्रूर

ओडिशा तालचेर, बालासोर, कोरापुट, भुवनेश्वर, गोपालपुर, हीराकुंड, पारादीप, राउरकेला, भद्रक, ढेंकनाल, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा

बिहार बरौनी, कटिहार, पटना, पूर्णिया, बेगूसराय

असम बोंगाईगांव, डिब्रूगढ़, धुबरी, गोलपारा, जोरहाट, सिबसागर, तिनसुकिया, तेजपुर, डिगबोई, डिलियाजान, गुवाहाटी (डिसपुर), रंगिया, नामरूप, नाजिरा, नॉर्थ-लखीमपुर, नुमालीगढ़, डारंग, गोलाघाट

झारखंड बोकारो, गोमियो, गोड्डा, साहेबगंज

अरुणाचल प्रदेश इटानगर, तवांग, हायूलिंग

पश्चिम बंगाल कूचबिहार, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, दुर्गापुर, ग्रेटर कोलकाता, हल्दिया, हाशिमारा, खरगपुर, आसनसोल, फरक्का, चितरंजन, बालुरघाट, अलीपुरद्वार, इस्लामपुर, दिनहाटा, मेखलीगंज, माथाभांगा, कलिंपोंग, जलढाका, कुर्सियांग, कोलाघाट, बर्धमान, बिरभूम, पूर्व मेदनीपुर, हावड़ा, हुगली, मुर्शिदाबाद

मध्यप्रदेश भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, कटनी

गोवा नॉर्थ गोवा, साउथ गोवा

महाराष्ट्र मुंबई, तारापुर, ठाणे, पुणे, नासिक, पिंपरी चिंचवाड, औरंगाबाद, भुसावल, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग

लक्षद्वीप लक्षद्वीप

कर्नाटक बेंगलुरु, मल्लेश्वर, रायचूर

केरल कोचीन, तिरुवंतपुरम

मेघालय ईस्ट खासी हिल्स, जैंतिया हिल, वेस्ट गारो हिल्स

मणिपुर इंफाल, चुराचांदपुर, उखरूल, मोरेह, निगंथौ-खौंग

चंडीगढ़ चंडीगढ़

छत्तीसगढ़ दुर्ग (भिलाई)

दादरा और नगर हवेली दादरा (सिलवासा)

दमन और दीव दमन

पुडुचेरी पुडुचेरी

हिमाचल प्रदेश शिमला

दिल्ली नई दिल्ली और दिल्ली छावनी

अंडमान-निकोबार पोर्टब्लेयर

आंध्र प्रदेश हैदराबाद, विशाखापत्तनम

त्रिपुरा अगरतल्ला

उत्तराखंड देहरादून

मॉक ड्रिल में क्या-क्या होगा?

सभी राज्यों एवं केंद्र-शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गए सर्कुलर में कहा गया है कि ‘मॉक ड्रिल’ के दौरान किए जाने वाले उपायों में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन का संचालन, नागरिकों को ‘किसी भी हमले’ की सूरत में खुद को बचाने के लिए सुरक्षा पहलुओं पर प्रशिक्षण देना और बंकरों एवं खाइयों की साफ-सफाई शामिल है। मॉक ड्रिल के तहत एयर रेड वार्निंग सायरनों का संचालन होगा. यह बड़े खतरे और दुश्मन की गतिविधियों को लेकर अलर्ट जारी करने से जुड़ा कदम है. नागरिकों और छात्रों को संभावित हमलों की स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक नागरिक सुरक्षा तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा. क्रैश ब्लैकआउट की व्यवस्था की जाएगी. इसके तहत दुश्मन की हवाई निगरानी या हमले से शहरों और ढांचों को छिपाने के लिए आपातकालीन प्रोटोकॉल लागू किया जाएगा.

देश विरोधी काम कर रहे कुछ सोशल मीडिया मंच, अब कसेगा शिकंजा, संसदीय समिति ने मांगा विवरण


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पहलगाम हमले के बाद, संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह जताया है। संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने सूचनाओं की निगरानी करने वाले दो प्रमुख मंत्रालयों प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश के खिलाफ काम करने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ क्या एक्शन लिया गया, इसकी जानकारी मांगी है। कमेटी ने 8 मई तक जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।

निशिकांत दुबे की अगुवाई वाली समिति को संदेह

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की अगुवाई वाली संसद की संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति को लगता है कि कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म देश के हित में काम नहीं कर रहे हैं। समिति ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से ऐसे इन्फ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी मांगी है। पीटीआई के अनुसार, समिति ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है। समिति ने आईटी एक्ट 2000 और सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत ऐसे प्लेटफॉर्म पर बैन लगाने के बारे में भी पूछा है।

कमेटी के सदस्य टीएमसी सांसद ने किया ये दावा

कमेटी के सदस्य और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे से संबंधित कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने दावा किया कि नियमों के मुताबिक, अध्यक्ष कमेटी की मंजूरी के बिना कोई बयान जारी नहीं कर सकते। गोखले ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, एक सदस्य के रूप में मुझे न तो कोई जानकारी दी गई है और न ही मैंने यह कहते हुए कुछ भी हस्ताक्षर किया है। उन्होंने लिखा, संसदीय नियमों के तहत, कोई अध्यक्ष कमेटी की मंजूरी के बिना कोई भी पत्र जारी नहीं कर सकता। संसदीय समितियों की मर्यादा होती है और राजनीतिक एजेंडे के लिए उन्हें हाईजैक नहीं किया जाना चाहिए।

आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत

बीते 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने कम से कम 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। इनमें ज्यादातर पर्यटक थे। भारत ने इस भयावह घटना के लिए पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार बताया है। जिसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।

जातिगत जनगणना के ऐलान के बाद खरगे ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, तेलंगाना मॉडल अपनाने की दी सलाह


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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने पहलगाम के आतंकी हमले के आक्रोश के बीच जातिगत जनगणना के फैसले पर पीएम मोदी को तीन महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने 2 मई को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद पीएम मोदी को यह पत्र लिखा है।

सभी राजनीतिक दलों से बातचीत का अनुरोध

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर जाति जनगणना के मुद्दे पर जल्द ही सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि मैंने 16 अप्रैल, 2023 को ही आपको जाति जनगणना के मुद्दे पर पत्र लिखा था, लेकिन अफ़सोस की बात है कि मुझे इस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि आपकी पार्टी के नेताओं और आपने कांग्रेस और उसके नेतृत्व पर जाति जनगणना की मांग को उठाने का विरोध भी किया था, जिसे आप आज स्वीकार करते हैं कि यह गहरे सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के हित में है। 

खरगे के पास सरकार के लिए सुझाव

खरगे ने कहा कि आपने बिना किसी तरह की डिटेल्ज की घोषणा दी कि अगली जनगणना में जाति जनगणना को एक अलग श्रेणी के रूप में भी शामिल किया जाएगा। ये जनगणना वास्तव में 2021 में होनी थी। उन्होंने कहा कि मेरे पास आपके विचार के लिए तीन सुझाव हैं। जनगणना प्रश्नावली का डिज़ाइन काफी अहम है। जाति की जानकारी को गिनती के उद्देश्य से नहीं बल्कि बड़े सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए इकट्ठा किया जाना चाहिए।

तेलंगाना मॉडल का इस्तेमाल करने का सुझाव

पीएम मोदी को उन्होंने इस काम के लिए कांग्रेस शासित तेलंगाना में अपनाए गए मॉडल का इस्तेमाल करने का सुझाव भी दिया है। खरगे ने अपने पत्र में कहा है कि राज्यों की ओर से पारित आरक्षण को तमिलनाडु की तर्ज पर संविधान की नौंवी अनुसूची में डाला जाए, आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को खत्म किया जाए और निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था लागू हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘जातिगत जनगणना सिर्फ आंकड़े इकट्ठा करने के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के बड़े मकसदों को हासिल करने के लिए होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनगणना के सवालों को इस तरह तैयार किया जाना चाहिए, जिससे हर जाति के सामाजिक और आर्थिक हालात का सही आकलन हो सके और उनके संवैधानिक अधिकारों को मजबूत किया जा सके।

मल्लिकार्जुन खरगे के 3 महत्वपूर्ण सुझाव

• जनगणना से जुड़े प्रश्नावली का डिजाइन खास होना चाहिए। इसमें पूछे जाने वाले सवालों के लिए तेलंगाना मॉडल का उपयोग करना चाहिए।

• सभी राज्यों द्वारा पारित आरक्षण संबंधी अधिनियमों को संविधान की नई सूची में शामिल किया जाना चाहिए। इससे जनगणना के नतीजे साफ और स्पष्ट होंगे।

• कांग्रेस का मानना है कि जाति जनगणना जैसी किसी प्रक्रिया को विभाजनकारी नहीं माना जाना चाहिए। क्योंकि पिछड़ों, वंचितों और हाशिये पर खड़े लोगों को उनके अधिकार दिलाने का जरिया बनता है।

सुप्रीम कोर्ट के किस जज के पास कितनी संपत्ति, सीजेआई के पास 10 साल पुरानी स्विफ्ट कार और 250 ग्राम सोना


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सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति की जानकारी को ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जुडिशियरी में ट्रांसपेरेंसी के तहत ऐतिहासिक फैसला लिया है। जनता का विश्वास जुडिशियरी पर और बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की संपत्ति और देनदारियों की जानकारी को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है। भारत में ऐसा पहली बार है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संपत्ति की घोषणा सार्वजनिक की गई है।

जस्टिस यशवंत वर्मा मामले के बाद फैसला

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 22 जजों की संपत्ति का ब्यौरा अपलोड किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 31 है। उनमें से 22 की डिटेल मौजूद है। इनमें सीजेआई संजीव खन्ना समेत अन्य जजों की घोषणाएं हैं। इनमें वे तीन जज भी शामिल हैं, जो निकट भविष्य में सीजेआई बनने की कतार में हैं। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जजों की चल और अचल संपत्तियों का ब्योरा है। किस जज के पास कितना पैसा है, कितना सोना-चांदी और कार है, यह सब मौजूद है। दरअसल, सीजेआई संजीव खन्ना की अगुवाई में बीते दिनों कोर्ट ने यह फैसला जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित कैश की बरामदगी की घटना के बाद लिया था।

चीफ जस्टिस के पास है कितनी संपत्ति?

सुप्रीम कोर्ट के वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के पास साउथ दिल्ली में तीन बेडरूम वाला डीडीए फ्लैट, दिल्ली के कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में दो पार्किंग स्पेस के साथ चार बेडरूम वाला फ्लैट है, जिसका सुपर एरिया 2446 वर्ग फीट है। गुरुग्राम के सेक्टर 49 के सिसपाल विहार में चार बेडरूम वाले फ्लैट में 56 प्रतिशत हिस्सा, जिसका सुपर एरिया 2016 वर्ग फीट है। साथ ही हिमाचल प्रदेश के डलहौजी में जमीन में अविभाजित हिस्से के साथ घर के आंशिक मालिक देव राज खन्ना (एचयूएफ) में हिस्सा है।

एफ.डी.आर. और बैंक खाते में लगभग 55 लाख 75 हजार, पी.पी.एफ लगभग एक करोड़ 6 लाख 86 हजार, जी.पी.एफ. में 1 करोड़ 77 लाख 89 हजार, एल.आई.सी. मनी बैक पॉलिसी वार्षिक प्रीमियम 29,625 रुपये, शेयर में14 हजार, सोना – 250 ग्राम, चांदी -2 किलोग्राम है। सोना और चांदी ज्यादातर विरासत और गिफ्ट में मिले हैं। साथ ही एक 2015 मॉडल की स्विफ्ट मारुति कार है। इनके एफडीआर और बैंक खाते 55 लाख 75 हजार रुपये है।

इनकी पत्नी के पास 700 ग्राम सोना, 5 किलोग्राम चांदी, कुछ हीरे की अंगूठियां, पेंडेंट और झुमके हैं। साथ ही कुछ मोती और माणिक की लड़ियां भी हैं। इनमें से ज्यादातर चीजें विरासत में मिली हैं या फिर किसी खास मौके पर गिफ्ट में दी गई हैं।

अगले सीजेआई के पास कितनी संपत्ति

इसके बाद जस्टिस बी आर गवई इस महीने की आखिर तक अगले सीजेआई बनेंगे। उनके पास महाराष्ट्र के अमरावती में एक घर है, जो उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला है। इसके अलावा उनके पास डिफेंस कॉलोनी में एक आवासीय अपार्टमेंट और अमरावती और नागपुर में कृषि भूमि है। जस्टिस गवई ने शेयरों और म्यूचुअल फंड में भी निवेश किया है। पीपीएफ में 6,59,692 रुपये और सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) में 35,86,736 रुपये जमा हैं।

नियुक्ति प्रक्रिया भी की गई सार्वजनिक

संपत्ति के ब्योरे के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया भी अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। इसमें हाई कोर्ट कॉलेजियम को सौंपी गई भूमिका, राज्य और केंद्र सरकार से प्राप्त भूमिका और इनपुट और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के विचार शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला जनता की जानकारी और जागरूकता के लिए लिया गया है।

भारत-पाकिस्तान में युद्ध जैसे हालात, टेंशन के बीच मॉक ड्रिल कल

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पहलगाम में 26 हिंदू पर्यटकों के नरसंहार के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। इस बीच भारत सरकार ने राज्यों को युद्ध की स्थिति को लेकर मॉक ड्रिल करने का आदेश दिया है। इससे जंग की आशंका और बढ़ गई है। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच उभर रहे नए खतरों के मद्देनजर सभी राज्यों से सात मई को मॉक ड्रिल आयोजित करने को कहा है

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 7 मई यानी बुधवार को मॉक ड्रिल करने के लिए कहा है। मकसद यह है कि अगर युद्ध या ऐसे इमरजेंसी हालात बनें तो अपने देश के नागरिकों को बचाया जा सके। गृह मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने अपने निर्देशों में हमला होने की स्थिति में पांच पॉइंट पर जोर दिया है। इस मॉक ड्रिल में लोगों को जागरूक किया जाएगा कि हवाई हमला होने पर क्या करें।

क्यों हो रही यह मॉक ड्रिल?

सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मॉक ड्रिल के दौरान किए जाने वाले उपायों में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन का संचालन, नागरिकों को किसी भी हमले की सूरत में खुद को बचाने के लिए सुरक्षा पहलुओं पर प्रशिक्षण देना और बंकरों एवं खाइयों की साफ-सफाई शामिल है। अन्य उपायों में दुर्घटना की स्थिति में ब्लैकआउट के उपाय, महत्वपूर्ण संयंत्रों और प्रतिष्ठानों की रक्षा तथा निकासी योजनाओं को अपडेट करना और उनका पूर्वाभ्यास करना शामिल है। मॉक ड्रिल में वायुसेना के साथ हॉटलाइन और रेडियो-संचार लिंक का संचालन, नियंत्रण कक्षों और छाया नियंत्रण कक्षों की कार्यक्षमता का परीक्षण भी शामिल है।

54 साल पहले हुआ था मॉक ड्रिल

इससे पहले भारत सरकार ने राज्यों से ठीक 54 साल पहले 1971 में मॉक ड्रिल करने के कहा था। 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध आधिकारिक तौर पर तीन दिसंबर को शुरू हुआ था और 16 दिसंबर को खत्म हुआ था। पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने ढाका में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था. लेकिन उस युद्ध से काफी पहले कई महीनों से तनाव बढ़ रहा था।

मॉक ड्रिल्स की शुरुआत युद्ध से कुछ दिन पहले हुई थी। तमाम मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह मॉक ड्रिल युद्ध से दो-चार दिन पहले शुरू हुई और युद्ध की समाप्ति तक चली थी। इस दौरान देश भर में सिविल डिफेंस की तैयारियां की गईं। इस ड्रिल का मकसद जनता को युद्ध की स्थिति लेकर जागरूक करना था।

यूएनएससी में पाकिस्तान की खूब हुई किरकिरी, पहलगाम अटैक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पड़ा अलग-थलग

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद को पनाह देने को लेकर पाकिस्तान की दुनियाभर में किरकिरी हो रही है। अब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अलग-थलग पड़ गया। भारत के संभावित सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्तान कभी संयुक्त राष्ट्र तो कभी दूसरे देशों के दरवाजे पर मत्था मार रहा है लेकिन कहीं से भी पाकिस्तान को मदद नहीं मिल रही। इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान की कोशिश नाकाम रही। क्लोज डोर मीटिंग में उसने भारत के खिलाफ किसी प्रस्ताव या बयान को पारित करवाने की कोशिश की, लेकिन कोई सदस्य देश उसके साथ नहीं खड़ा हुआ।

पहलगाम हमले में लश्कर ए तैयबा की भूमिका पर पूछे सवाल

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान के आग्रह पर एक बंद कमरे में बैठक की. इस दौरान परिषद के सदस्यों ने इस्लामाबाद के ‘फर्जी’ दावों को मानने से इनकार करते हुए उससे कड़े सवाल पूछे। सूत्रों के मुताबिक, यूएनएससी सदस्यों ने बैठक के दौरान पहलगाम आतंकी हमले का मुद्दा उठाया और पाकिस्तान से पूछा कि क्या इसमें लश्कर-ए-तैयबा शामिल हो सकता है? परिषद ने 22 अप्रैल के हमले की व्यापक रूप से निंदा की और जवाबदेही तय करने की बात कही।

पर्यटकों से धर्म पूछकर निशाना बनाए जानें का मुद्दा उठा

सूत्रों ने आगे कहा कि कुछ सदस्यों ने पर्यटकों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाने का मुद्दा उठाया। कई सदस्यों ने चिंता जताई कि पाकिस्तान का मिसाइल परीक्षण और परमाणु बयानबाजी तनाव बढ़ाने वाले हैं। पाकिस्तान की कोशिश थी कि मामले को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाया जाए लेकिन वह इसमें भी नाकाम रहा। उसे भारत के साथ द्विपक्षीय तरीके से मुद्दों को सुलझाने की सलाह दी गई।

बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण को उकसावे वाली कार्रवाई बताई

पाकिस्तान द्वारा हाल ही में बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया गया है। सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों ने इस पर भी नाराजगी जताई और इसे पाकिस्तान की उकसावे वाली कार्रवाई बताया। पाकिस्तान की कोशिश थी कि मामले को सुरक्षा परिषद में उठाकर इसका अंतरराष्ट्रीयकरण किया जाए और भारत पर दबाव बनाया जाए कि वह सैन्य कार्रवाई न करे, लेकिन उसकी यह कोशिश धरी की धरी रह गई और सुरक्षा परिषद ने ही पाकिस्तान को सलाह दी कि वे भारत के साथ मिलकर द्विपक्षीय तरीके से मुद्दे को सुलझाए।

भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान ने किया एक और मिसाइल का परीक्षण, 3 दिन में दूसरा टेस्ट

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान डरा हुआ है कि भारत उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई ना कर दे। इस खौफ से पाकिस्तान में बौखलाहट देखी जा रही है। जिसे छिपाने के लिए पड़ोसी देश हाथ पैर मार रहा है।ऐसे में पाकिस्तान एक के बाद एक अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहा है। इसी कड़ी में पाकिस्तान ने एक बार फिर आज मिसाइल 'फतेह' का प्रक्षेपण किया है। पिछले तीन दिन में यह पाकिस्तान का दूसरा मिसाइल टेस्ट है।

पाकिस्तान के दावे के अनुसार, उन्होंने सतह से सतह पर मार करने वाली फतह सीरीज की बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है। इस मिसाइल की रेंज 120 किलोमीटर है। पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया है कि यह मिसाइल परीक्षण एक्सरसाइज इंडस के तहत किया गया।

पाक सेना ने दी जानकारी

पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग आईएसपीआर के बयान के मुताबिक पाकिस्तान ने चल रहे अभ्यास इंडस के दौरान 120 किलोमीटर की रेंज वाली फतह सीरीज की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का कामयाब परीक्षण किया है। इस प्रक्षेपण का मकसद सैनिकों की ऑपरेशनल तत्परता सुनिश्चित करना और मिसाइल की एडवांस नेविगेशन प्रणाली और बढ़ी हुई सटीकता समेत कई प्रमुख तकनीकी स्टैंडर्ड का टेस्ट करना था। इस टेस्ट के दौरान पाकिस्तानी सेना कई सीनियर अधिकारियों के साथ साथ कई पाकिस्तानी नेता, वैज्ञानिक और इंजीनियर मौजूद थे।

पहले किया अब्दाली मिसाइल का परीक्षण

इससे पहले पाकिस्तान ने अपनी अब्दाली मिसाइल का परीक्षण करने का दावा किया था, जिसकी रेंज 450 किलोमीटर है। आपको बता दें कि फतह मिसाइल, पाकिस्तान द्वारा विकसित की गई एक टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली है, जिसे हाल के वर्षों में बनाया गया है। यह मिसाइल खासकर शॉर्ट-रेंज, हाई-प्रिसीजन अटैक के लिए डिजाइन की गई है। माना जा रहा है कि फतह-1 को एलओसी या इंटरनेशनल बॉर्डर के पास तैनात भारतीय टुकड़ियों को टारगेट करने के लिए विकसित किया गया है।

पाक के खौफ को दिखा रहा मिसाइल टेस्ट

पाकिस्तान के द्वारा एक के बाद एक मिसाइल का टेस्ट उसके डर को साफ दिखाता है। पहलगाम हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान बुरी तरह से बौखला गया है। बीती 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया। इतना ही नहीं भारत ने चिनाब नदी का पानी भी रोक दिया है। भारत के इस कदम से पाकिस्तान बुरी तरह से बौखला गया है और उसने युद्ध की धमकी दी है। पाकिस्तान की सेना बीते 11 दिनों से लगातार सीमा पर गोलीबारी कर अपनी खीझ मिटाने की कोशिश कर रही है।

जम्मू कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, जानें क्या कहा

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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर दायर एक जनहित याचिक को खारिज कर दिया है। सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि यह पीआईएल सिर्फ प्रचार पाने के लिए की गई है। इसमें जनहित का कोई मामला नहीं है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 1 मई को पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा था कि जज आतंकी मामलों की जांच के विशेषज्ञ नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट में 2 जजों की बेंच जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह ने याचिका पर सुनावई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे पब्लिसिटी स्टंट बताते हुए याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकील विशाल तिवारी से कहा, आपने इस तरह की पीआईएल क्यों दायर की है? आपका असली मकसद क्या है? क्या आप इस मुद्दे की संवेदनशीलता को नहीं समझते हैं? मुझे लगता है कि आप इस पीआईएल को दायर करने के लिए कुछ दृष्टांत योग्य उदाहरण को आमंत्रित कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता वकील ने कहा, यह पहली बार है कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों को निशाना बनाया गया। इसलिए वह उनकी सुरक्षा के लिए निर्देश मांग रहे हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ता एक के बाद एक जनहित याचिका दायर करने में लगे हुए हैं। इसका प्राथमिक मकसद सार्वजनिक कारण में कोई वास्तविक रुचि नहीं रखते हुए प्रचार प्रतीत होता है।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। उस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। शीर्ष अदालत ने पीआईएल दाखिल करने वालों को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि जज आतंकवाद के मामलों की जांच के विशेषज्ञ नहीं हैं।

पाकिस्तान का साइबर अटैक लगातार जारी, एक बार फिर रक्षा संस्थानों को निशाना बनाने का किया दावा

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी बीच पाकिस्तानी हैकर्स भारतीय वेबसाइट्स को निशाना बना रहे हैं। ताजा मामला भारतीय रक्षा वेबसाइट को निशाना बनाने से जुड़ा है।'पाकिस्तान साइबर फोर्स' नाम के एक्स खाते ने भारतीय रक्षा संस्थानों का डाटा हैक करने का दावा किया है।सोमवार को 'पाकिस्तान साइबर फोर्स' नामक खाते ने दावा किया कि उसने भारतीय सैन्य इंजीनियरिंग सेवा और मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) से जुड़ा संवेदनशील डाटा चुरा लिया है।

एवीएनएल की वेबसाइट पर दिखा पाकिस्तानी झंडा

सूत्रों के मुताबिक, यह दावा किया गया है कि हैकर्स ने रक्षा से जुड़े कर्मियों की निजी जानकारी और लॉगिन विवरण तक पहुंच बना ली है। इसके अलावा, इस समूह ने रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करने वाली सरकारी कंपनी आर्मर्ड व्हीकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एवीएनएल) की आधिकारिक वेबसाइट को हैक करने की कोशिश की। वेबसाइट पर पाकिस्तान झंडा और 'अल खालिद' टैंक की तस्वीर से दिखाई दी।

वेबसाइट को फिलहाल ऑफलाइन कर दिया गया

सूत्रों ने बताया कि हैकिंग के प्रयास से होने वाले किसी भी संभावित नुकसान का आकलन करने के लिए आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड की वेबसाइट को पूरी तरह से ऑडिट के लिए ऑफलाइन कर दिया गया है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ किसी भी अतिरिक्त हमले का पता लगाने के लिए साइबर स्पेस की एक्टिव होकर निगरानी कर रहे हैं, खासकर उन हमलों को जो पाकिस्तान से जुड़े खतरे पैदा करने वाले लोगों द्वारा प्रायोजित हो सकते हैं। आगे घुसपैठ की कोशिशों से बचने के लिए सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के उचित उपाय किए जा रहे हैं।

वक्फ मालमे में आज भी नहीं आया फैसला, अगली तारीख 15 मई तय, नए सीजेआई करेंगे सुनवाई

#waqflawhearing

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 15 मई तक के लिए स्थगित कर दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई नए न्यायमूर्ति बीआर गवई के समक्ष निर्धारित की है। बीआर गवई देश के अगले मुख्य न्यायधीश होंगे। ऐसे में याचिका अब उनके सामने ही रखी जाएगी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में विस्तार से सुनवाई की जरूरत है। अब अगले चीफ जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई के सामने मामला लगेगा।

वक्फ संशोधन कानून पर देश के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ इस मामले को सुन रही है। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ जैसे ही सुनवाई के लिए बैठी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अगले हफ्ते तक सुनवाई टालने के लिए पीठ से आग्रह किया। पीठ उनकी मांग पर राजी हो गई।

केंद्र के हलफनामे पर क्या बोले सीजेआई?

आज की सुनवाई के दौरान देश के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना ने कहा कि वह हलफनामे में बहुत गहराई में नहीं गए, लेकिन उसमें वक्फ बाय यूजर के रजिस्ट्रेशन को लेकर कुछ पॉइंट उठाए गए हैं और कुछ विवादित आंकड़े भी दिए गए हैं, जिन पर विचार करने की जरूरत है कि कुछ ऐसे पहलू हैं, जिनसे आप (केंद्र) निपट चुके हैं, लेकिन उस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि रजिस्ट्रेशन और कुछ आंकड़ों के आधार पर मुद्दे उठाए गए हैं, जिन पर याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाया है। अदालत ने कहा कि चूंकि सीजेआई खन्ना के रिटायरमेंट के दिन नजदीक हैं, वो अंतिम चरण में भी कोई निर्णय या आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते। ऐसे में, अब इस मामले को अगले गुरूवार को देश के सीजेआई होने जा रहे जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ सुनेगी।

केस दूसरी पीठ के समक्ष रखा

बता दें कि सीजेआई संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और इसी को देखते हुए उन्होंने कहा कि वे कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने ये केस दूसरी पीठ के समक्ष रखा है। पिछली सुनवाई 17 अप्रैल को हुई थी, जिसमें कोर्ट ने सरकार से कहा था कि पहले से पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित वक्फ संपत्तियों, जिनमें वक्फ बाय यूजर भी शामिल है, को अगली सुनवाई की तारीख तक न तो छेड़ा जाएगा और न ही गैर अधिसूचित किया जाएगा, साथ ही वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति न हो।

वक्फ कानून के बारे में

वक्फ संपत्तियों को रेगुलेट और मैनेज करने के लिए सरकार ने 1995 के वक्फ कानून में कुछ संशोधन किया था। जिसको धार्मिक और मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी पार्टियों और मुस्लिम संगठनों ने याचिका दायर किया है। इस कानून को लोकसभा से तीन अप्रैल को जबकि राज्यसभा से चार अप्रैल को पारित कराया गया। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की सहमति मिल जाने के बाद संशोधन लागू हो गया। इसके बाद कई राजनीतिक दल जैसे डीएमके, वाईएसआरसीपी, एआईएमआईएम, वामपंथी दल समेत कई एनजीओ, मुस्लिम निकाय और अन्य ने अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।