नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण हुआ कर्जमुक्त, 1788 करोड़ रुपए के कर्ज के साथ लौटाई 100 करोड़ की सरकारी

रायपुर- छत्तीसगढ़ की राजधानी नवा रायपुर से एक प्रेरणादायक और सुखद खबर सामने आई है। नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण, जिसे पहले एनआरडीए के नाम से जाना जाता था, अब पूरी तरह से कर्जमुक्त हो गया है। प्राधिकरण ने 1788 करोड़ रुपये का सारा कर्ज़ चुका दिया है, जो कि भारत सरकार और कई राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिया गया था। साथ ही 100 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी भी अब राज्य सरकार को लौटा दी है। इस उपलब्धि का श्रेय छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की नीतियों, वित्तीय अनुशासन और पारदर्शी प्रशासन को जाता है। यह कदम नवा रायपुर को अधोसंरचना विकास और नई परियोजनाओं के क्रियान्वयन में मददगार होगा।

नवा रायपुर, छत्तीसगढ़ की आधुनिक और नियोजित राजधानी, के विकास के लिए बड़े पैमाने पर कर्ज लिया गया था। यह कर्ज भूमि अधिग्रहण, सड़कों, शासकीय भवनों और शैक्षणिक संस्थानों जैसे हिदायतुल्लाह विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए था। हालांकि, कर्ज के बोझ और ब्याज भुगतान ने प्राधिकरण के नगदी प्रवाह को प्रभावित किया था। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने वित्तीय स्वावलंबन पर जोर देते हुए ऐसी नीतियाँ लागू कीं, जिन्होंने प्राधिकरण की आय बढ़ाई और कर्ज से छुटकारा दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया।

मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि नवा रायपुर अटल नगर का ऋणमुक्त होना एक सुखद संकेत है। हमारी सरकार ने वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और रणनीतिक नियोजन के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि प्राधिकरण न केवल कर्ज से मुक्त हो, बल्कि आत्मनिर्भर बनकर विकास की नई ऊँचाइयों को छूए। यह उपलब्धि नवा रायपुर को एक आधुनिक, रोजगारोन्मुखी और सुविधायुक्त शहर बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों ने प्राधिकरण की संपत्तियों के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा दिया। मेडिसिटी, फार्मास्यूटिकल पार्क, देश की विख्यात पॉलिमैटेक कंपनी के सेमीकंडक्टर प्लांट का भूमिपूजन और राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना की पहल जैसे प्रोजेक्ट्स ने निजी निवेश को आकर्षित किया। छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2024-25 के तृतीय अनुपूरक बजट में नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण के लिए 1043 करोड़ रूपए का प्रावधान और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त धन आवंटन ने आय के स्रोतों को मजबूत किया। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ बकाया कर, ब्याज एवं शास्ति के निपटान (संशोधन) अध्यादेश-2025 के तहत व्यापारियों को राहत ने आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया, जिसका अप्रत्यक्ष लाभ नवा रायपुर विकास प्राधिकरण को मिला है।

ऋणमुक्ति के साथ, प्राधिकरण की सभी संपत्तियाँ अब बंधनमुक्त हो गयी है, जिससे उनका उपयोग और क्रय-विक्रय आसान होगा। इससे नगदी प्रवाह बेहतर होगा और अधोसंरचना, सार्वजनिक सेवाओं और नई परियोजनाओं को तेजी से लागू किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम नवा रायपुर को मेडिकल टूरिज्म और औद्योगिक विकास का केंद्र बनाएगा। नागरिकों को बेहतर सुविधाएँ मिलेंगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण की यह उपलब्धि वित्तीय अनुशासन और रणनीतिक नियोजन का एक अनुकरणीय उदाहरण है। यह देश के अन्य शहरी विकास प्राधिकरणों के लिए अनुकरणीय है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमारा लक्ष्य नवा रायपुर को न केवल छत्तीसगढ़ की गौरवशाली राजधानी बनाना है, बल्कि इसे देश के लिए एक मॉडल शहर के रूप में स्थापित करना है।

वित्त मंत्री ओपी चौधरी का कहना है कि नवा रायपुर छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का नया ग्रोथ इंजन बनने जा रहा है। आज नवा रायपुर में आरबीआई, नाबार्ड सहित अन्य बैंकों और एनटीपीसी के क्षेत्रीय कार्यालय, बालको कैंसर अस्पताल, सत्य साईं अस्पताल जैसे अनेक संस्थाओं का पदार्पण हो चुका है। नवा रायपुर आईटी के क्षेत्र में भी एक बड़ा केंद्र बनकर उभर रहा है। अब यहां पर सेमीकंडक्टर, डाटा सेंटर क्षेत्र से संबधित उद्योग भी लगने जा रहे हैं । नवा रायपुर में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मेडिकल सुविधा प्रदान करने हेतु लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में मेडिसिटी विकसित करने की योजना है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2025-26 के बजट में लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में एडुसिटी विकसित करने के लिए भी बजट प्रावधान किया है। यहां पर देश का तीसरा सबसे बड़ा इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम है। नवा रायपुर के बढ़ते विकास को देखते हुए इंटिग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेंटर के उन्नयन, संचालन एवं संधारण कार्य हेतु 40 करोड़ का प्रावधान किया गया है। विकसित भारत आईकोनिक डेस्टिनेशन निर्माण हेतु 20 करोड़, ई-बसों सेवाओं के लिए 10 करोड़, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हेतु 20 करोड़, साईंस सिटी की स्थापना हेतु 37 करोड़ तथा पुस्तकालय के निर्माण हेतु 20 करोड़ का प्रावधान किया गया है। प्लग एंड प्ले ऑफिस स्पेस विकसित किए जाने के लिए 156 करोड़ की लागत से कमर्शियल ऑफिस कॉम्प्लेक्स के निर्माण प्रावधानित है। सीबीडी कमर्शियल टॉवर में 2000 आईटी रोजगार हेतु जगह का आबंटन टेली परफार्मेंस, स्क्वायर बिजनेस, सीएसएम कंपनियों को किया है। नवा रायपुर में एसडीएम एवं नवीन तहसील कार्यालय की स्थापना के लिए भी बजट प्रावधान है।

वन और वन्यजीव संरक्षण के लिए सरकार के प्रयासों पर पानी फेर रहा प्रशासन, जंगल किनारे किया जा रहा कचरा डंप

डोंगरगढ़- एक तरफ सरकार ‘वन्यजीव संरक्षण’ और ‘स्वच्छ भारत’ जैसे अभियानों पर करोड़ों खर्च कर रही है, वहीं डोंगरगढ़ नगर पालिका की लापरवाही इन योजनाओं को खुलेआम ठेंगा दिखा रही है. शहर के सरस्वती शिशु मंदिर से बछेरा भांटा रोड से लगे जंगल के किनारे खुलेआम कचरे का अंबार लगाया जा रहा है, वो भी कोई आम कचरा नहीं, बल्कि पॉलिथीन, झिल्ली, मेडिकल वेस्ट और अन्य खतरनाक अपशिष्ट. मणिकंचन केंद्र केवल नाम मात्र का बनाया गया है और पूरे शहर का कचरा उसके पीछे लाकर बिना किसी उचित व्यवस्थापन के डंप किया जा रहा है जिसके चलते अब डोंगरगढ़ शहर का कचरा जंगल में कई किलोमीटर तक फैल चुका है.

दिन में गाय-भैंस और रात में वन्यजीव बन रहे ‘कचरे के शिकार’

दिन चढ़ते ही इन कचरे के ढेरों पर आवारा मवेशियों की भीड़ लग जाती है, तो रात होते ही कई जंगली जानवर इन्हीं जहरीले कचरों को भोजन समझकर खा लेते हैं. धीरे-धीरे ये कचरा उनके शरीर को अंदर से खा रहा है लेकिन इससे न नगर पालिका को फर्क पड़ता है, न वन विभाग को लेकिन इन दोनों विभागों की लापरवाही के चलते पर्यावरण जरूर बर्बाद हो रहा है.

वन विभाग की SDO गायब, नगर पालिका बेखबर!

कई बार इस गंभीर मुद्दे को वन्यजीव प्रेमियों द्वारा संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया, लेकिन हालात जस के तस हैं. वन विभाग की एसडीओ पूर्णिमा राजपूत अक्सर अपने कार्यालय में मौजूद नहीं होतीं और यदि कोई फोन करता है तो वो भी ‘अनसुना’ रह जाता है. ऐसा ही रवैया नगर पालिका के सीएमओ चंद्रकांत शर्मा का भी है. अभी हाल ही में इसी एरिया के मुक्तिधाम में कचरा डंप करने के चलते स्थानीय लोगों ने विरोध किया था लेकिन पालिका के सीएमओ के कान में जू तक नहीं रेंगी. स्थिति आज तक जस की तस है उल्टा अब हालत और भी बदतर हो रहे हैं.स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर हर साल लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन उसका असर जमीन पर नहीं बल्कि फाइलों में नजर आता है. शहर के वार्ड नंबर एक और तीन में मुक्तिधाम के साथ ही शहर के बाहर जो मंजर है, वह किसी गैस चेंबर से कम नहीं, जंगल के आसपास फैली यह गंदगी केवल वन्य जीवन ही नहीं, पूरी पारिस्थितिकी को खतरे में डाल रही है.

जहां एक तरफ सरकार हर मंच से हरे-भरे जंगलों को बचाने की बात करती है, वहीं उसके नुमाइंदे चुपचाप इस ‘पर्यावरणीय हत्या’ में भागीदार बन बैठे हैं. सवाल यह है कि क्या डोंगरगढ़ में पर्यावरण की सुध लेने वाला कोई है? 

SDM मनोज मरकाम ने कार्रवाई का दिया आश्वासन

बहरहाल डोंगरगढ़ एसडीएम मनोज मरकाम ने इस पूरे मामले पर गंभीरता दिखाते हुए जल्दी ही कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है अब देखना होगा कि नगर पालिका और वन विभाग की इस लापरवाही को कैसे सुधारा जाता है.

अपोलो अस्पताल के फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र का एक और कारनामा आया सामने

बिलासपुर- अपोलो अस्पताल के पूर्व कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम की एक और कारस्तानी सामने आई है. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल के बेटे के बाद अब व्यवसायी ने अपने पिता के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए डॉक्टर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.

व्यवसायी सुरेश टुटेजा ने सरकंडा थाने में दर्ज कराई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उनके पिता भगतराम को पेट दर्द की शिकायत पर 2006 में अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां डॉ. नरेंद्र जॉन केम ने दिल का इलाज करने लगे, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई. पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ इलाज में लापरवाही का मामला दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है. मामले में डॉक्टर से पूछताछ के लिए जल्द ही दमोह जाएगा, जहां पुलिस ने इलाज में लापरवाही के मामले में गिरफ्तार किया है.

गौरतलब है कि दमोह के मिशनरी अस्पताल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने डॉ. नरेंद्र जॉन कैम के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की थी. उसने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 से ज्यादा हार्ट सर्जरी की, जिनमें से 8 मरीजों की मौत हो चुकी है. जिन मरीजों का ऑपरेशन किया था, उनमें से तीन की मौत एंजियोप्लास्टी के समय हुई थी. जांच में पता चला कि डॉ. नरेंद्र जॉन कैम के डिग्री और अनुभव पूरी तरह से फर्जी थे.

दमोह में फर्जी डॉक्टर का खुलासा होने के बाद बिलासपुर में भी हलचल हुई. अपोलो अस्पताल में 2006 में इलाज के दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेन्द्र शुक्ल की मौत के पीछे उनके बेटे ने प्रदीप शुक्ल ने फर्जी डॉक्टर को जिम्मेदार बताते हुए पुलिस में शिकायत की थी. इस पर फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जान केम के खिलाफ सरकण्डा थाने में धारा 420, 465, 466, 468, 471, 304, 34 के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है.

इस मामले में अपोलो प्रबंधन को भी आरोपी बनाया गया है. आरोप है कि बिना दस्तावेज सत्यापन के अस्पताल प्रबंधन ने फर्जी डॉक्टर को भर्ती कर इलाज का मौका दिया, जिससे गंभीर लापरवाही हुई और मरीज की जान चली गई. पुलिस मामले में प्रबंधन की भूमिका की भी जांच कर रही है.

जांच में पाई गई फर्जी डिग्रियां

पुलिस जांच में पाया गया कि नरेंद्र का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है. वह देहरादून का रहने वाला है. दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम लिखा है. उसके पास 2006 में एमबीबीएस की डिग्री है, जो आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज की बताई गई है. उसका रजिस्ट्रेशन नंबर 153427 दर्ज है. इसके बाद जो 3 एमडी और कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्रियां दी गई हैं, उनमें किसी का रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है. ये डिग्रियां कलकत्ता, दार्जिलिंग व यूके की बताई गई हैं.

शादी समारोह में खाना खाने के बाद 45 लोग फूड पॉइजनिंग के हुए शिकार, अस्पताल में भर्ती….

बिलासपुर- कोनी थाना क्षेत्र के तुर्काडीह गांव में एक शादी समारोह के बाद फूड पॉइजनिंग का मामला सामने आया है. रात को खाना खाने के बाद सुबह छोटे बच्चों से लेकर युवा व बुजुर्गों की तबीयत बिगड़ने लगी. खाना खाने के बाद 45 लोगों ने उल्टी दस्त होने की शिकायत की. सभी बीमारों को सिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर भोजन के सैंपल जांच के लिए एकत्र किए हैं. फिलहाल सभी मरीजों की स्थिति स्थिर बताई जा रही है.

सिम्स के डॉक्टरों ने बताया कि कि कोनी क्षेत्र के तुर्काडीह के सतनामीपारा निवासी नीरज सांडे अपनी बेटी का विवाह कर रहे हैं. बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं. 23 अप्रैल की रात तीन अलग-अलग गंजे में चावल, सब्जी व दाल बनाया गया था. सभी रिश्तेदारों ने भोजन किया और उसके बाद सोने चले गए. गुरुवार की सुबह सभी की तबीयत बिगड़ने लगी. पहले परिजन तो स्थानीय डॉक्टर से दवाई लेकर सभी को दिया गया. इसके बाद पीड़ितों की संख्या बढ़ते-बढ़ते 45 तक पहुंच गई तो सभी को सिम्स के मेडिकल वार्ड में भर्ती कराया गया.

बताया जा रहा है कि तीन गंज के चावल में से एक गंज का चावल खराब था. दो गंजे में बनाए गए चावल को खाने वाले सब ठीक है. तीसरे गंज के चावल को खाने वालों की तबीयत बिगड़ी है. सिम्स में अमरीका सेंडे (36) तिलक बाई (40), मधु (24), दिशा (18), ईशा (17), रुपा (45), रंजिता कुरें (30), शाहिल (14), चंदन, रानी (13), जगेश्वरी (28), गंगा बाई (30), आशा बाई (24), सोनिया (16), (13), निखिल पाटले (15), सनम (05), लक्ष्मन (11), अमर कुमार (03), अरून कुमार (12), अंश (06), आद्या (02), हर्ष (11), प्रिमु (10) जगेश्वर बंजारे बीमार हैं. इसमें जागेश्वर की हालत नाजूक है. उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है. सभी मरीजों को मुफ्त में दवाई दी जा रही है.

स्वास्थ्य विभाग सतर्क, जांच शुरू

फूड सेफ्टी अधिकारियों ने कहा है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि किस खाद्य पदार्थ में गड़बड़ी थी. वहीं, तुर्काडीह गांव में स्वास्थ्य विभाग की निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि किसी अन्य को संक्रमण का खतरा न हो.

बता दें, आज सुबह से फूड पॉइजनिंग का यह दूसरा मामला सामने आया है. कोरबा में भी शादी समारोह का खाना खाने के बाद 50 लोग फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गए.

गर्मी में फूड पॉइजनिंग का बढ़ता है खतरा

बता दें, गर्मी का मौसम न केवल तापमान बढ़ाता है, बल्कि फूड पॉइजनिंग जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी लाता है. उच्च तापमान में बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव तेजी से पनपते हैं, जो खासकर बाहर के खाने और दूषित पानी के जरिए भोजन को संक्रमित करते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल लगभग 60 करोड़ लोग खानपान से जुड़ी बीमारियों का शिकार होते हैं. छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वाले लोग इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं.

कौन से बैक्टीरिया हैं जिम्मेदार?

फूड पॉइजनिंग के अधिकांश मामलों में ई. कोलाई, स्टेफायलोकोकस, सालमोनेला और क्लॉसट्रिडियम बोट्यूलिनम जैसे बैक्टीरिया पाए जाते हैं. इनमें क्लॉसट्रिडियम बोट्यूलिनम सबसे खतरनाक है, जो ब्लड, किडनी और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है.

फूड पॉइजनिंग के प्रमुख कारण

  • दूषित पानी से फसलों की सिंचाई.
  • शौच के बाद हाथ न धोना.
  • गंदे बर्तनों का उपयोग.
  • डेयरी उत्पादों को कमरे के तापमान पर रखना.
  • फ्रोजन फूड्स का सही स्टोरेज न करना.
  • सब्जियों और फलों को बिना धोए उपयोग करना.
  • नॉनवेज फूड्स को अधपका खाना.
  • अशुद्ध पानी का सेवन.

बचाव के उपाय

गर्मियों में फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. खाने से पहले फल-सब्जियों को अच्छी तरह धोएं, शुद्ध पानी पिएं, और बाहर के खाने से परहेज करें. खाद्य पदार्थों को सही तापमान पर स्टोर करें और बर्तनों की नियमित सफाई करें. सतर्कता ही इस मौसम में आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है.

नक्सलियों के खिलाफ जवानों की कार्रवाई चौथे दिन भी जारी.. हेलीकॉप्टर से माओवादियों पर हो रही बमबारी…

बीजापुर- छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ आज 4थें दिन भी जारी है. घने जंगलों के बीच सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों की मांद में घुसकर उनका खात्मा करने में लगे हुए हैं. लगातार 4 दिन से चल रही इस मुठभेड़ में जवानों ने 5 नक्सलियों को मार गिराया है, जिनमें से 3 के शव समेत हथियार बरामद हुए हैं. आज सुरक्षा बलों के जवान हेलीकॉप्टर से नक्सलियों पर गोलीबारी और बमबारी कर उनका खात्मा करने में लगे हैं. इसका वीडियो भी सामने आया है.

बता दें, उसूर थाना क्षेत्र अंतर्गत कोतापल्ली गांव के कर्रेगुट्टा पहाड़ी में आज चौथे दिन भी मुठभेड़ जारी है. नक्सलियों के खिलाफ जारी इस ऑपरेशन में हिड़मा समेत बड़े कैडर के माओवादी संगठन के लीडरों को घेरा गया था. हालांकि वे किसी तरह भाग निकले. लेकिन अब भी STF के जवान लगातार उन्हें ढूंढने और सभी नक्सलियो का खात्मा करने में लगे हुए हैं. लगातार दोनों तरफ से रुक-रुक कर फायरिंग हो रही है और नक्सलियों पर हेलीकॉप्टर से बमबारी की जा रही है.

जवानों को मिली सफलता के लिए मंत्री कश्यप ने दी बधाई

नक्सल मुठभेड़ में अब तक मिली सफलता के लिए मंत्री केदार कश्यप ने जवानों को शुभकामनाएं दी है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ नक्सलवाद मुक्त राज्य की ओर आगे बढ़ रहा है. एक साल में जो सफलता मिली है, उसके लिए पुलिस बल और फोर्स को बधाई . उन्होंने बताया कि “नक्सलियों के मारे जाने की सूचना है, सर्चिंग ऑपरेशन अब भी जारी है, मार्च 2026 तक देश में नक्सलवाद का खात्मा होगा.”

वहीं इस भीषण गर्मी के बीच सुरक्षाबलों के 15 से ज्यादा जवान लू शिकार हो गए हैं. उन्हें प्राथमिक ईलाज हेतु तेलगांना के पास के वेंकटापुरम हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा रहा है. इस बीच अन्य जवान लगातार नक्सलियों के खिलाफ जंगलों में डटे हुए हैं.

भारतमाला प्रोजेक्ट में गड़बड़ी पर EOW की कार्रवाई, तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार सहित 17-20 अधिकारियों के ठिकानों पर दी दबिश…

रायपुर- भारतमाला प्रोजेक्ट में गड़बड़ी पर ईओडब्ल्यू ने आज सुबह नया रायपुर, अभनपुर, दुर्ग-भिलाई, आरंग सहित प्रदेश के अन्य जिलों में करीबन 20 ठिकानों पर छापा मारा है.

जानकारी के अनुसार, ईओडब्ल्यू ने तत्कालिक अभनपुर एसडीएम निर्भय साहू और तत्कालिक तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के रायपुर स्थित घरों के साथ करीबन 17 से 20 अधिकारी-कर्मचारियों के स्थित ठिकानों पर पहुंची है. ईओडब्ल्यू की टीम इन ठिकानों पर संबंधित दस्तावेजों की तलाश कर रही है.

220 करोड़ के भ्रष्टाचार की संभावना

शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लगभग 43 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि हासिल कर ली. लेकिन विस्तृत जांच में यह आंकड़ा 220 करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच गया है. अब तक 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड भी जांच एजेंसी को मिल चुका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की है.

इस घोटाले को लेकर चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी मुद्दा उठाया था. इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपने का निर्णय लिया गया था. अब ईओडब्ल्यू ने इस पूरे मामले की जांच को और तेज कर दिया है.

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 कि.मी. सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमींने अधिग्रहित की हैं. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया.

भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा.

इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.

पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर ने केंद्र सरकार से की पहलगाम के मृतकों को शहीद का दर्जा देने की मांग

रायपुर- पहलगाम में हुए आतंकी हमले की पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर ने कड़ी निंदा करते हुए मृतकों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने आतंकी हमले में प्राणों की आहुति देने वाले नागरिकों को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग केंद्र सरकार से की है. साथ ही मृतक परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है.

मोहम्मद अकबर ने कहा है कि आतंकवादियों की कायराना हरकत से देशवासियों में गुस्सा है. जम्मू-कश्मीर में फंसे नागरिक देश के अलग-अलग हिस्सों में अपने घर लौटने के लिए परेशान हैं क्योंकि विमानन कंपनियों ने किराए में बेतहाशा बढ़ोतरी कर दी है. केंद्र सरकार इन परेशान लोगों को उनके घर भिजवाने के लिए तत्काल व्यवस्था कराए.

जिला अस्पताल में लापरवाही से गई मरीज की जान! आक्रोशित परिजन शव लेकर पहुंचे कलेक्टर कार्यालय, CMHO ने कही जांच के बाद कार्रवाई की बात

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही- जिला अस्पताल गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में इलाज में लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है. मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि समय पर इलाज न मिलने की वजह से 42 वर्षीय बरन प्रताप सिंह की मौत हो गई. परिजनों ने बताया कि मरीज की हालत लगातार बिगड़ती रही, लेकिन डॉक्टरों ने समय पर उचित इलाज नहीं किया और आखिरकार उसे बिलासपुर रेफर कर दिया गया. रास्ते में ही बरन प्रताप सिंह ने दम तोड़ दिया.

मौत की खबर मिलते ही आक्रोशित परिजन एम्बुलेंस में शव लेकर देर शाम कलेक्टर कार्यालय पहुंच गए. परिजनों ने इलाज में हुई लापरवाही को लेकर शिकायत दर्ज करवाई और तत्काल कार्रवाई की मांग पर अड़ गए. इसके बाद मृतक के परिजनों ने अपर कलेक्टर के पास शिकायत दर्ज कराई. जांच का आश्वासन मिलने के बाद, काफी मान-मनौव्वल के पश्चात परिजन मृतक के शव को लेकर कलेक्टर कार्यालय से रवाना हुए.

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि मृतक को कल रात जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था. खून की जांच के बाद पता चला कि मृतक बरन प्रताप सिंह के अत्यधिक शराब सेवन के कारण उसकी किडनी और लिवर दोनों अंग डेमेज हो गए थे, जिसकी वजह से उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी.

उन्होंने यह भी बताया कि इलाज के दौरान मृतक के परिजन उसे भभूत खिलाने और झाड़-फूंक से इलाज कराने का प्रयास कर रहे थे. हम सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच करवा रहे हैं. यदि किसी डॉक्टर की लापरवाही सामने आती है तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी.

छत्तीसगढ़ में नामांतरण की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव: तहसीलदारों से छीना गया अधिकार, अब रजिस्ट्री के साथ ही होगा ऑटोमेटिक नामांतरण

रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार ने ज़मीन की खरीद-फरोख्त के बाद नामांतरण (mutation) की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर तहसीलदारों से नामांतरण का अधिकार छीन लिया है और यह अधिकार अब रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार को सौंप दिया गया है।

बता दें कि इस बदलाव के साथ अब पंजीकृत रजिस्ट्री होते ही संबंधित भूमि और संपत्तियों का नामांतरण स्वचालित रूप से हो जाएगा। यह संशोधन छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 24 की उप-धारा (1) और धारा 110 के तहत किया गया है।

अब तक क्या होता था?

पहले ज़मीन की रजिस्ट्री के बाद खरीदार को तहसीलदार के पास नामांतरण के लिए आवेदन देना पड़ता था। फिर कोर्ट जैसी प्रक्रिया में समय लगता था, जिससे फर्जीवाड़े और विलंब की गुंजाइश बनी रहती थी। खासकर किसानों को इस कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, क्योंकि बिना नामांतरण के वे समर्थन मूल्य पर धान तक नहीं बेच पाते थे।

अब क्या होगा?

अब रजिस्ट्री के साथ ही ज़मीन का नाम संबंधित खरीदार के नाम ऑटोमैटिक दर्ज हो जाएगा। इससे न केवल प्रक्रिया तेज़ होगी, बल्कि भू-माफिया और फर्जीवाड़े पर भी लगाम लगेगी।

सरकार का उद्देश्य

इस नए आदेश से ज़मीन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता बढ़ेगी, आम जनता को राहत मिलेगी, और ज़मीन के मामलों में फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए होने वाले घोटालों पर प्रभावी रोक लगेगी।

नए नियमों से क्या बदलेगा?

  • तहसीलदारों से नामांतरण की शक्तियाँ समाप्त
  • रजिस्ट्रार/सब-रजिस्ट्रार को मिला अधिकार
  • रजिस्ट्री होते ही स्वतः नामांतरण
  • किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
  • भूमि विवादों और फर्जीवाड़े पर रोक

यह कदम छत्तीसगढ़ को ई-गवर्नेंस और पारदर्शिता की दिशा में आगे बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।

छत्तीसगढ़ सरकार की उद्योगों को बड़ी सौगात: भूमि विकास नियम में किया गाया संशोधन, अब एक ही भू-खंड पर कर सकेंगे दोगुना निर्माण

रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 में किए सुधार के चलते अब उद्योग एक ही भू-खंड पर दोगुना निर्माण कर सकेंगे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की विशेष पहल पर हुए इस संशोधन से राज्य में उद्योगों एवं व्यावसायिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम में संशोधन 24 दिसंबर 2024 को अधिसूचित किए गए हैं।

फ्लैटेड इंडस्ट्रीज़ के लिए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) को 1.5 से बढ़ाकर 3.0 किया गया है, जिससे उद्योग एक ही भूखंड पर अब दोगुना निर्माण कर सकेंगे। इससे विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्टअप्स को कम लागत में अधिक उपयोग योग्य स्थान उपलब्ध होगा। औद्योगिक प्लॉट्स के लिए ग्राउंड कवरेज को 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ ही सेटबैक में कमी की गई है, जिससे ज़मीन का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।

नगर पालिका क्षेत्रों और विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में व्यावसायिक भवनों के लिए न्यूनतम 5.0 एफएआर निर्धारित किया गया है। जिन भूखंडों का क्षेत्रफल 5 एकड़ या उससे अधिक है और जिन तक 100 मीटर चौड़ी सड़क की पहुँच है, उन पर एफएआर 5.0 लागू होगा। यदि ये भूखंड सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक (सीबीडी) या ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवल्पमेंट (टीओडी) ज़ोन में आते हैं, तो उन्हें अतिरिक्त 2.0 एफएआर की अनुमति होगी, यानी कुल एफएआर 7.0 तक हो सकेगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का कहना है कि इन सुधारों से राज्य में आधुनिक औद्योगिक तथा व्यावसायिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इससे निवेश में वृद्धि, रोजगार सृजन और राज्य की आर्थिक प्रगति को नई दिशा मिलेगी। नगर एवं ग्राम निवेश विभाग ने इन संशोधनों को उद्योग हितैषी नीति के तहत तैयार किया है, ताकि छत्तीसगढ़ में औद्योगिक एवं व्यावसायिक निवेश को बढ़ावा मिल सके।