संसद ही सर्वोच्च…,न्यायपालिका की आलोचना के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने फिर दोहराई बात


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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने फिर न्यायापलिका और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्रों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एक बार फिर भारत के संविधान में निर्धारित शासन व्यवस्था के ढांचे के भीतर न्यायपालिका की भूमिका और उसकी सीमाओं पर सवाल उठाए हैं। उपराष्ट्रपति ने न्यायिक "अधिकारों के अतिक्रमण" की आलोचना की और दोहराया कि "संसद ही सर्वोच्च है"।

संविधान में संसद से ऊपर कोई नहीं-धनखड़

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के दौरान धनखड़ ने कहा कि संविधान के तहत किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति की बात हमेशा राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर होती है। धनखड़ ने यह भी कहा कि कुछ लोग यह सोचते हैं कि संवैधानिक पद सिर्फ औपचारिक या दिखावटी होते हैं, लेकिन यह गलत सोच है। संविधान लोगों के लिए है और यह उनके चुने हुए प्रतिनिधियों की रक्षा करता है। उन्होंने कहा कि संविधान में संसद से ऊपर किसी भी संस्था की कल्पना नहीं की गई है। संसद सबसे सर्वोच्च है।

लोकतंत्र के लिए हर नागरिक की अहम भूमिका-धनखड़

धनखड़ ने आगे कहा कि किसी भी लोकतंत्र के लिए हर नागरिक की अहम भूमिका होती है। मुझे यह बात समझ से परे लगती है कि कुछ लोगों ने हाल ही में यह विचार व्यक्त किया है कि संवैधानिक पद औपचारिक या सजावटी हो सकते हैं। इस देश में हर किसी की भूमिका (चाहे वह संवैधानिक पदाधिकारी हो या नागरिक) के बारे में गलत समझ से कोई भी दूर नहीं हो सकता।

लोकतंत्र में चुप रहना खतरनाक है-धनखड़

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में बातचीत और खुली चर्चा बहुत जरूरी है। अगर सोचने-विचारने वाले लोग चुप रहेंगे तो इससे नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा, संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को हमेशा संविधान के मुताबिक बोलना चाहिए। हम अपनी संस्कृति और भारतीयता पर गर्व करें। देश में अशांति, हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना सही नहीं है। जरूरत पड़ी तो सख्त कदम भी उठाने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई थी चिंता

यहां, उपराष्ट्रपति ने किसी का नाम नहीं लिया। हालांकि, साफ है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर की गई अपनी टिप्पणी को लेकर आलोचना करने वालों पर निशाना साधा। सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने हाल में कहा था कि राज्यपाल अगर कोई विधेयक राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजते हैं, तो राष्ट्रपति को उस पर तीन महीने के भीतर फैसला लेना होगा। राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले हाल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए धनखड़ ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि भारत ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी जहां जज कानून बनाएंगे, शासकीय कार्य करेंगे और ‘‘सुपर संसद’’ के रूप में कार्य करेंगे।

शरबत जिहाद’ पर बूरे फंसे बाबा रामदेव, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, कड़ा आदेश देने की चेतावनी


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दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव के शरबत जिहाद वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कोर्ट ने फार्मास्युटिकल और खाद्य कंपनी हमदर्द के रूह अफजा के खिलाफ बाबा रामदेव की “शरबत जिहाद” टिप्पणी पर कहा कि यह कोर्ट की अंतरात्मा को झकझोरता है। हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया ने पतंजलि फूड्स लिमिटेड के खिलाफ रामदेव के बयान को लेकर याचिका दाखिल की थी। इस मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह बयान माफी के लायक नहीं है।

पतंजलि और रामदेव के खिलाफ हमदर्द की तरफ से दायर एक मुकदमे में सुनवाई के दौरान जस्टिस अमित बंसल ने कड़े आदेश की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि वीडियो को देखकर आंख, कान पर यकीन नहीं होता। हाई कोर्ट ने कहा कि शराब जिहाद पर कथित टिप्पणी अनुचित है। कोर्ट ने इस मामले में 5 दिन के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इसमें कहा गया है कि कंपनी यह कहे कि वह भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन नहीं देगी। मामले की अगली सुनवाई 1 मई को होगी।

रामदेव की टिप्पणी हेट स्पीच

इस मामले में सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने हमदर्द की ओर से पेश हुए। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा, यह एक चौंकाने वाला मामला है, जो न केवल रूह अफजा को बदनाम करने, बल्कि ‘सांप्रदायिक विभाजन’ का भी मामला है। उन्होंने कहा कि रामदेव की टिप्पणी हेट स्पीच (नफरत फैलाने वाले भाषण) के समान है। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि अपनी टिप्पणी से रामदेव ने धर्म के आधार पर हमदर्द पर हमला किया है और इसे उन्होंने “शरबत जिहाद” नाम दिया है।

अपने शरबत का प्रचार करते हुए रूह आफजा पर हमला

हमदर्द के वकील ने अदालत को बताया कि हाल ही में पतंजलि के गुलाब शरबत का प्रचार करते हुए रामदेव ने दावा किया था कि हमदर्द के रूह आफजा से अर्जित धन का उपयोग मदरसे और मस्जिद बनाने में किया गया। 

रामदेव ने दिया था ‘शरबत जिहाद’ का बयान

वहीं, रामदेव के वकील ने कहा कि शरबत जिहाद वाला विज्ञापन हटाया जाएगा। योग गुरु बाबा रामदेव ने तीन अप्रैल को अपने शरबत ब्रांड का प्रचार करते हुए हमदर्द कंपनी के शरबत पर विवादित टिप्पणी की थी। एक वीडियो में उन्होंने हमदर्द के रूह अफज़ा पर परोक्ष रूप से निशाना साधा था। साथ ही और दावा किया कि दूसरी कंपनी का शरबत अपने पैसे का इस्तेमाल मस्जिद और मदरसे बनाने में कर रहा है। रामदेव ने अपने वीडियो में 'शरबत जिहाद' शब्द का भी इस्तेमाल किया था।

वक्फ कानून के विरोध में दिल्ली में आज प्रदर्शन, देश भर से जुटे मुस्लिम संगठन


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वक्फ संशोधन कानून को लेकर मुस्लिम संगठन अब पूरी तरह से आर-पार के मूड में हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अगुवाई में मुस्लिम संगठन एकजुट होकर वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसी क्रम में दिल्ली में आज मुस्लिम संगठन वक्फ कानून के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन होने वाला हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अगुवाई में देश के तमाम मुस्लिम संगठन के प्रतिनिधि आज मंगलवार को दिल्ली में वक्फ कानून के विरोध में एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाएंगे।

मुस्लिम संगठन वक्फ कानून में बदलावों का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है। इसी को लेकर आज दिल्ली में 'वक्फ बचाव अभियान' का आयोजन किया जा रहा है। 'वक्फ बचाव अभियान' के तहत दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 'तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां' (वक्फ की हिफाजत) नाम से आयोजन हो रहा है। इसमें जमात-ए-इस्लामी हिंद जैसे कई बड़े मुस्लिम संगठनों के अध्यक्ष और प्रतिनिधि जुटेंगे।

कांग्रेस-सपा समेत कई पार्टियां होंगी शामिल

तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले विरोध प्रदर्शन में देशभर के मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों के शामिल होने के साथ-साथ सियासी और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग शिरकत करेंगे। दिल्ली में वक्फ कानून के विरोध में मुस्लिमों का सबसे बड़ा जुटाव है, जिसमें मुसलमानों की सबसे बड़ी मिल्ली तंजीम एकजुट हो रही है। सोमवार को जमात-ए-इस्लामी हिंद ने नए वक्फ कानून को तत्काल निरस्त करने का आह्वान किया और लोगों से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में कानून के खिलाफ अभियान को सपोर्ट करने की गुजारिश की है। वहीं, विपक्ष के नेता असदुद्दीन ओवैसी, आरजेडी सांसद मनोज झा, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद, सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी भी शामिल हो सकते हैं।

शाह बानो मामले जैसा जन आंदोलन बनाया जाएगा

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के 'वक्फ बचाव अभियान' का पहला फेज 11 अप्रैल से शुरू हुआ, जो 7 जुलाई यानी 87 दिन तक चलेगा। इसमें वक्फ कानून के विरोध में 1 करोड़ हस्ताक्षर कराए जाएंगे, जो पीएम मोदी को भेजे जाएंगे। इसके बाद अगले फेज की रणनीति तय की जाएगी। वक्फ कानून को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और दूसरे अन्य मु्स्लिम संगठन ने उसी तरह का तेवर अपना रखा है, जैसे शाहबानो के मामले में किया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे शाह बानो मामले (1985) की तरह व्यापक जन आंदोलन बनाने की बात कही है, जो शहरों से लेकर गांवों तक फैलेगा।

बांसुरी स्वराज की बैग पर क्यों टिकी नजरें? ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर जेपीसी की बैठक में यूं पहुंची

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वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर आज यानी मंगलवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक हो रही है। बीजेपी की सांसद बांसुरी स्वराज बैठक में भाग लेने के लिए संसद भवन पहुंचीं। इस दौरान सभी की नजर बीजेपी सांसद के बैग पर टिक गई। बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने अपने कंधे पर काले रंग का एक बैग लटकाया हुआ था। इस बैग पर लिखा हुआ था, ‘नेशनल हेराल्ड की लूट’।

बीजेपी सांसद बांसुरी ने इस बैग के जरिए बिना कुछ कहे कांग्रेस को नेशनल हेराल्ड को लेकर घेरने का काम किया। इसके साथ ही एक राजनीतिक संदेश भी दिया। बांसुरी ने संदेश दिया कि नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की ओर से चार्जशीट दायर किए जाने के बाद देश की सियासत गर्म है।

वहीं, जब बांसुरी स्वराज से सवाल किया गया और पूछा गया कि इस बैग के जरिए वो क्या मैसेज देना चाहती हैं तो उन्होंने कहा, आप यह देखिए यह पहली बार हुआ है कि लोकतंत्र का जो चौथा स्तंभ है यानी मीडिया को लेकर भी भ्रष्टाचार हुआ है। हाल ही में जो चार्जशीट ईडी ने फाइल की है, यह बहुत ही गंभीर उदाहरण उजागर करती है। जहां पर कांग्रेस की एक पुरानी कार्यशैली और विचारधारा उभर कर सामने आती है। बीजेपी सांसद ने आगे कहा, कांग्रेस सेवा की आड़ में सार्वजनिक संस्थाओं को अपनी पर्सनल जागीर बढ़ाने का औजार बना लेती है। इस मामले को लेकर कांग्रेस की जवाबदेही बनती है।

बता दें कि “बैग वाला वार” नया नहीं है। पिछले साल दिसंबर में प्रियंका गांधी का बैग भी चर्चा में रहा था। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रियंका गांधी फिलीस्तीन के समर्थन से जुड़े स्लोगन वाला बैग लेकर संसद परिसर में पहुंची थीं।

मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसे साउथ के सुपरस्टार महेश बाबू, ईडी ने समन भेजकर 27 अप्रैल को किया तलब


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साउथ सुपरस्टार महेश बाबू को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने समन भेजा है। उन्हें 27 अप्रैल को हैदराबाद स्थित ईडी के ऑफिस में पेश होने का समन मिला है। महेश बाबू ने यह समन हैदराबाद स्थित रियल एस्टेट फर्म साई सूर्या डेवलपर्स और सुराना ग्रुप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले मे भेजा गया है। महेश बाबू ग्रीन मीडोज के ब्रांड एंबेसडर थे। कुछ समय पहले ही इन दोनों कंपनियों और उससे जुड़े कई निवेशकों के खिलाफ छापेमारी की गई थी। ईडी ने हैदराबाद के सिकंदराबाद, जुबली हिल्स और बोवेनपल्ली इलाकों में छापेमारी की थी।

ग्रीन मीडोज प्रोजेक्ट के लिए महेश बाबू को कंपनी ने ब्रांड एंबेसडर बनाया था। इसके लिए एक्टर को 5.9 करोड़ रुपए मिले हैं. 123 तेलुगू की रिपोर्ट के मुताबिक, इन पैसों में से 3.4 करोड़ रुपए चेक के ज़रिए और 2.5 करोड़ रुपए कैस के तौर पर एक्टर को मिला है।ईडी के अधिकारियों को संदेह है कि नकद वाला हिस्सा धोखाधड़ी के जरिए जमा किए गए कैश का हिस्सा है।

ईडी ने भाग्यनगर प्रॉपर्टीज लिमिटेड के निदेशक नरेंद्र सुराना, साई सूर्या डेवलपर्स के मालिक के सतीश चंद्र गुप्ता और अन्य के लोगों के खिलाफ तेलंगाना पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर अपनी मनी-लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। 32 वर्षीय एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सतीश चंद्र गुप्ता और उनकी कंपनी, हैदराबाद के वेंगल राव नगर स्थित एक प्रमुख रियल एस्टेट फर्म के खिलाफ स्थानीय पुलिस में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है। मधुरा नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के अनुसार, नक्का विष्णु वर्धन ने कई अन्य लोगों के साथ मिलकर अप्रैल 2021 में साई सूर्या डेवलपर्स के ग्रीन मीडोज वेंचर (शादनगर में 14 एकड़ जमीन) में तीन करोड़ रुपये से अधिक की राशि का निवेश किया। 

इन कंपनियों ने कथित तौर पर अनऑथराइज्ड लेआउट के जरिए एक ही जमीन को की कई बार बिक्री करके और गलत रजिस्ट्रेशन से खरीदारों से करोड़ों रुपये एडवांस में वसूली की।साई सूर्या प्रॉजेक्ट्स को लेकर एक्टर के एंडोर्समेंट ने कथित तौर पर कई लोगों को निवेश करने के लिए प्रभावित किया, जो इस वेंचर के पीछे चल रही बड़ी धोखाधड़ी से पूरी तरह अनजान थे। हालांकि एक्टर इस स्कैम का हिस्सा नहीं हो सकते हैं, लेकिन ईडी डेवलपर्स से उन्हें मिली रकम की जांच कर रहा है।

“सऊदी अरब एक विश्वसनीय मित्र और रणनीतिक सहयोगी”, जेद्दा रवानगी से पहले बोले पीएम मोदी


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिन के सऊदी अरब के दौरे पर रहेंगे। पीएम मोदी सऊदी अरब के लिए रवाना हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के निमंत्रण पर 22-23 अप्रैल को सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी तीसरी बार सऊदी अरब जा रहे हैं। इससे पहले 2016 और 2019 में मोदी सऊदी अरब गए थे।

जेद्दा रवानगी से पहले पीएम ने किया ट्वीट

सऊदी अरब के लिए रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक्स' पर ट्वीट किया, 'सऊदी अरब के जेद्दा के लिए रवाना हो रहा हूं, जहां मैं विभिन्न बैठकों और कार्यक्रमों में भाग लूंगा। भारत सऊदी अरब के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को महत्व देता है। पिछले दशक में द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय गति आई है। मैं सामरिक भागीदारी परिषद की दूसरी बैठक में भाग लेने के लिए उत्सुक हूं। मैं वहां भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करूंगा।

हमारा बंधन स्थिरता का स्तंभ-पीएम मोदी

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा से पहले अरब न्यूज को एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने सऊदी अरब को एक विश्वसनीय मित्र और रणनीतिक सहयोगी बताया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच साझेदारी में असीम संभावनाएं हैं। एक अनिश्चितताओं से भरी दुनिया में, हमारा बंधन स्थिरता का एक स्तंभ है।

मोहम्मद बिन सलमान को बताया दूरदर्शी नेता

प्रधानमंत्री ने सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए उन्हें दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों का मजबूत समर्थक और एक ऐसा दूरदर्शी नेता बताया, जिन्होंने विजन 2030 के तहत सुधारों के जरिए पूरी दुनिया में प्रशंसा हासिल की है। पीएम मोदी ने कहा, हर बार जब मैं उनसे मिला हूं, उन्होंने मुझ पर गहरा प्रभाव छोड़ा है। उनकी अंतर्दृष्टि, उनकी दूरदर्शी सोच और अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का उनका जुनून वास्तव में अद्वितीय है।

कई समझौतों पर हो सकते हैं हस्ताक्षर

पीएम मोदी की ये यात्रा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा और भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक के बाद हो रही है। इस दौरे में दोनों देशों के बीच कई समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।

अब दिव्यांग पर कमेंट करके फंसे समय रैना, सुप्रीम कोर्ट सख्त

कॉमेडियन समय रैना लंबे समय से विवादों में चल रहे हैं। शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ में पैरेंट्स पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर समय, रणवीर इलाहाबादिया और अपूर्वा मखीजा को काफी फजीहत झेलने पड़ी। अभी भी वो मामला कोर्ट में चल रहा है। इसी बीच समय की मुश्किलें और बढ़ती दिख रही हैं।

दिव्यांग लोगों के संबंध में समय रैना की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया नाम की एक संस्था सुप्रीम कोर्ट पहुंची। संस्था ने कोर्ट में बताया कि समय रैना ने दिव्यांगों पर कमेंट किए हैं। उनपर चुटकुले बनाए हैं। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है।

सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों को लेकर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगता और बीमारी पर चुटकुले बनाने को लेकर समय रैना को पक्षकार बनाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना को रणवीर इलाहाबादिया मामले में पक्षकार बनाने आदेश दिए हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना की क्लिप को रिकॉर्ड पर लिया है, जिसमें एक अंधे व्यक्ति के साथ ही दो महीने के शिशु का मजाक उड़ाया गया था, जिसे जीवित रहने के लिए 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की जरूरत थी।

इस मामले की सुनावई कर रहे जस्टिस कांत ने कहा, 'यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है। हम यह देखकर वास्तव में परेशान हैं। हम चाहते हैं कि आप इन घटनाओं को भी रिकार्ड में लाएं। यदि आपके पास प्रतिलेख के साथ वीडियो-क्लिपिंग हैं, तो उन्हें लाइए। संबंधित व्यक्तियों को पक्षबद्ध करें। साथ ही ऐसे उपाय भी सुझाएं जो आपके अनुसार... तब हम देखेंगे।

एक तरफ जहां समय रैना एक नए मामले को लेकर मुसीबत में पड़ते नजर आ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पैरेंट्स पर टिप्पणी करने को लेकर उनके खिलाफ असम और महाराष्ट्र में भी केस चल रहा है। रणवीर ने सुप्रीम कोर्ट से अपना पार्सपोर्ट रिलीज करने की मांग की थी। उनकी इस याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। कोर्ट से कहा गया कि हम उनकी इस याचिका पर 28 अप्रैल को विचार करेंगे। पैरेंट्स पर कमेंट करने के बाद हर तरफ से समय रैना, रणवीर इलाहाबदिया, अपूर्वा मखीजा और आशीष चंचलानी की आलोचना हो रही थी। समय को यूट्यूब से इंडियाज गॉट लेटेंट के सारे एपिसोड हटाने भी पड़े थे।

यूसीसी लागू करने की तैयारी में मोदी सरकार, बीजेपी ने वीडियो जारी कर बताया प्लान

#modi_govt_third_tenure_achievements

आने वाले महीने यानी मई में केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने वाले हैं। जहां विपक्ष ने 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सरकार को कमजोर बताया था, वहीं बीजेपी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर इस एक साल की प्रमुख उपलब्धियों को जनता के सामने रखा है। पार्टी ने साफ तौर पर संदेश दिया है कि "मोदी 3.0" न तो धीमा है, न ही दबाव में।

बीजेपी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की उपलब्धियों को दिखाया गया है। वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे विपक्ष के आरोपों के उलट, सरकार ने बीते 12 महीनों में कई सख्त और साहसिक कदम उठाए हैं। वीडियो का टाइटल दिया गया है- Big Moves Under Modi 3.0 The journey’s just begun...।

वीडियो में सरकार के कई बड़े फैसलों का भी जिक्र है। बीजेपी के अनुसार, नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल। मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी, पीएनबी घोटाले के आरोपी को बेल्जियम में पकड़ा गया। तहव्वुर राणा (26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड) को भारत प्रत्यर्पित किया गया। रॉबर्ट वाड्रा से जमीन घोटाले में ईडी की पूछताछ। संसद में वक्फ (संशोधन) बिल पास हुआ। दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों में शानदार सफलता हासिल की।

वीडियो में यह भी संकेत दिया गया कि सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की दिशा में काम कर रही है। बीजेपी के यूनिफॉर्म सिविल कोड लोडिंग...वीडियो जारी कर संकेत दिया है कि यूसीसी को जल्द ही लागू किया जा सकता है।

राहुल गांधी भारतीय नागरिक पर हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, 10 दिन का समय दिया

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- 'राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं, इस पर 10 दिन में जवाब दें।इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी। याचिका में राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाया गया है, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।

भाजपा कार्यकर्ता विग्नेश शिशिर की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने एक स्टेटस रिपोर्ट पेश की। कोर्ट ने इसे अपर्याप्त माना और सरकार को और स्पष्ट जवाब देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है और इसमें देरी स्वीकार्य नहीं होगी। केंद्र सरकार ने इसका जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। अगली सुनवाई 5 मई को होगी।

क्या है राहुल गांधी की नागरिकता का मामला?

1 जुलाई, 2024 को कर्नाटक के वकील और भाजपा नेता एस विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता होने का भी आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने ब्रिटिश सरकार के 2022 के गोपनीय मेल का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया था। विग्नेश शिशिर ने भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता ने सबूत होने का दावा किया

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उसके पास ब्रिटिश सरकार के सभी दस्तावेज और कुछ ईमेल हैं जो साबित करते हैं कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं और इस वजह से वह भारत में चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। लिहाजा वह लोकसभा सदस्य का पद नहीं संभाल सकते। राहुल गांधी ने 2024 में रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव जीता है।

इससे पहले लखनऊ हाईकोर्ट में 24 मार्च को सुनवाई थी। जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने 8 सप्ताह का समय मांगा था। इस पर 21 अप्रैल सुनवाई की तारीख तय हुई थी।

बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम पर पहले ही लग रहे आरोप

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सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई है, जिसमें पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई है।वकील विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष याचिका पेश की, जिसके बाद याचिका को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करने की याचिका सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि वक्फ कानून के विरोध में हुई मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद कोर्ट इस पर फैसला ले। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कोई आदेश नहीं दिया। बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा, क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को इसे लागू करने का आदेश भेजें? हम पर दूसरों के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी के आरोप लग रहे हैं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाया सवाल

बता दें कि हाल ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर कार्यपालिका के काम में दखल देने का आरोप लगाया है। जिस पर खासा विवाद हो रहा है। साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाए थे और सुप्रीम कोर्ट पर सुपर संसद के रूप में काम करने का आरोप लगाया था।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाए थे, जिसमें शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को निर्देश दिया था कि अगर कोई विधेयक संसद या विधानसभा की तरफ से दोबारा पारित किया गया हो, तो तीन महीने के भीतर उसे मंजूरी दी जाए।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, हम ऐसी स्थिति नहीं ला सकते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिया जाए। उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति को कोर्ट द्वारा निर्देशित किया जाएगा। राष्ट्रपति भारत की सेना की सर्वोच्च कमांडर हैं और केवल वही संविधान की रक्षा, संरक्षण और सुरक्षा की शपथ लेते हैं। फिर उन्हें एक निश्चित समय में निर्णय लेने का आदेश कैसे दिया जा सकता है।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लगाए गंभीर आरोप

वहीं इसके कुछ ही दिनों बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार है। निशिकांत दुबे ने इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था, अगर शीर्ष अदालत को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।