*दाम्पत्य जीवन में अहम की कोई जगह नहीं है अहम का परिणाम बंटी जैसे बच्चों को झेलना पड़ता है- अनुभवी सिंह*
(बी. एड़. विभाग में रीडिंग एण्ड रिफ्लेक्शन के अंतर्गत आपका बंटी पर पुस्तक विमर्श का आयोजन)
सुल्तानपुर,राणा प्रताप पी जी कालेज के बी.एड. प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने मन्नू भंडारी कृत उपन्यास आपका बंटी का अध्ययन करने के उपरांत उस पर विचार विमर्श किया। इस अवसर पर बी.एड. विभागाध्यक्ष डॉ भारती सिंह, मैडम शांतिलता कुमारी, डॉ सीमा सिंह, डॉ संतोष अंश ने इस उपन्यास के पात्रो से संदर्भित विविध सवाल विद्यार्थियों से किये जिनके विद्यार्थियों ने तार्किक उत्तर दिए।
विभागाध्यक्ष डॉ भारती सिंह ने कहा कि यह उपन्यास बाल मनोविज्ञान पर लिखा एक बहुचर्चित और कालजयी उपन्यास है इसका प्रकाशन 1979 में हुआ। इस उपन्यास का शैक्षिक संदेश और महत्त्व है। समाज के सदस्य के नाते बंटी जैसे बच्चों की हमारी जिम्मेदारी बनती है। मैडम शांतिलता कुमारी ने बताया कि आपका बंटी' एक कालजयी उपन्यास है, इसे हिंदी साहित्य की एक मूल्यवान उपलब्धि के रूप में देखा जाता है। तलाक का निर्णय सिर्फ पति पत्नी का होता है परन्तु परिणाम निर्दोष बच्चे को झेलना पड़ता है।
बच्चों के विकास में शिक्षक और अभिभावक दोनो की अहम भूमिका है। डॉ संतोष अंश ने कहा कि हिंदी साहित्य के स्त्री-विमर्श की जब बात की जाती है तो ‘आपका बंटी’ का नाम सदैव रहता है। लेखिका मन्नू भंडारी ने इस उपन्यास में बाल मन को गहराई से उतारा है। इस उपन्यास में हिंदी साहित्य में एक बच्चे की घायल होती संवेदनाओं, उसकी निगाहों से परिवार की दुनिया की कहानी और एक स्त्री के संघर्ष को सामने रखा है। यह आपको पढ़कर तय करना है कि यह कहानी बंटी की है या शकुन की है। एक बाल मनोविज्ञान को लेखिका ने बहुत संवेदनशीलता और गहराई से सामने रखा है। उपन्यास जैसे-जैसे आगे बढ़ता है वह पाठकों को बांध देता है। बहुत ही मर्मस्पर्शी तरीकें से हर बात को लिखा गया है। यह उपन्यास बंटी और उसके जीवन के अदृश्य प्रभाव को सामने रखता है कि माता-पिता के अलगाव का एक बच्चे की मनोदशा पर क्या असर पड़ता है। आपका बंटी उपन्यास एक ऐसी बच्चे की मनो गाथा है जो अपने मम्मी पापा के रिश्तो की डोर है, वह भी उलझा हुआ। मन्नू भंडारी ने जब या उपन्यास लिखा तब तलाक के उतने मामलें नहीं होंगे जितना आज होता है। आज बात-बात रिश्ते टूट जाया करते हैं ,और दूसरी बार हो या पहली बार फिर से रिश्ते जुड़ते भी हैं। लेकिन इन सबके बीच जिसकी जिंदगी सूनेपन की गठरी बन जाती है वह है बंटी यानि बंटी जैसे हमारे समाज मे अनेक बच्चों की। मन्नू जी ने बंटी के माध्यम से उन तमाम बच्चों की मनोदशा का अतुल्य वर्णन किया है जो माता पिता के विखराव के बीच एक मात्र डोर है। इस उपन्यास की खासियत यह है कि यह एक बच्चे की निगाहों से घायल होती संवेदना का बेहद मार्मिक चित्रण करता है। आपका बंटी जैसे बच्चें यदि कक्षा में हो तो शिक्षक की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक भूमिका अहम बन जाती है। डॉ सीमा सिंह ने कहा कि मन्नू भंडारी द्वारा लिखित 'आपका बंटी' बेहद मर्मस्पर्शी, तलाक के बीच पिस रहे एक बच्चे की मनोदशा पर लिखा गया उपन्यास है। इसमें एक बालक की मनःस्थिति के साथ ही स्त्री हृदय की वेदना को भी बड़ी ही बखूबी से लिखा गया। जिन विद्यार्थियों ने इस उपन्यास के अंश का वाचन किया और विमर्श किया उसमें बी.एड. प्रथम बर्ष की अर्चिता सिंह ने कहा कि हम शपथ लें कि अपने आगामी जीवन में बंटी जैसी समस्याओं की पुनरावृत्ति नहीं होने देंगे। माता-पिता को बच्चों को स्वाभाविक प्यार और दुलार देना चाहिए। हिमांशु सिंह ने कहा शिक्षित की अपेक्षा अशिक्षित काफी सरल होते हैं। ज्योति मिश्रा ने कहा इस उपन्यास में बिखरते दाम्पत्य में बाल मन के अंतर्द्वंद्व का प्रभावी चित्रण है। उषा ने कहा कि बालक के संतुलित विकास के लिए परिवार मे संतुलन बनाना आवश्यक है। मानसी पाण्डेय ने कहा, माता-पिता दोनों का समान प्यार दुलार न पाकर बच्चा असंतुलित हो जाता है। उपन्यास में दाम्पत्य जीवन के टकराव का बच्चों पर प्रभाव का ज़िक्र है। अनुभवी सिंह ने कहा कि आपका बंटी से बाल मनोविज्ञान को समझने का अवसर मिलता है। आज परिवार आत्म केंद्रित हो रहे हैं, अहम बढ़ता जा रहा है दाम्पत्य जीवन में अहम की कोई जगह नहीं है। अहम का परिणाम बंटी को झेलना पड़ा। पुस्तक विमर्श का सफल संचालन अनुभवी सिंह ने किया। इस अवसर पर बी.एड. प्रथम वर्ष के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

(बी. एड़. विभाग में रीडिंग एण्ड रिफ्लेक्शन के अंतर्गत आपका बंटी पर पुस्तक विमर्श का आयोजन)
सुल्तानपुर,राणा प्रताप पी जी कालेज के बी.एड. प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने मन्नू भंडारी कृत उपन्यास आपका बंटी का अध्ययन करने के उपरांत उस पर विचार विमर्श किया। इस अवसर पर बी.एड. विभागाध्यक्ष डॉ भारती सिंह, मैडम शांतिलता कुमारी, डॉ सीमा सिंह, डॉ संतोष अंश ने इस उपन्यास के पात्रो से संदर्भित विविध सवाल विद्यार्थियों से किये जिनके विद्यार्थियों ने तार्किक उत्तर दिए।
विभागाध्यक्ष डॉ भारती सिंह ने कहा कि यह उपन्यास बाल मनोविज्ञान पर लिखा एक बहुचर्चित और कालजयी उपन्यास है इसका प्रकाशन 1979 में हुआ। इस उपन्यास का शैक्षिक संदेश और महत्त्व है। समाज के सदस्य के नाते बंटी जैसे बच्चों की हमारी जिम्मेदारी बनती है। मैडम शांतिलता कुमारी ने बताया कि आपका बंटी' एक कालजयी उपन्यास है, इसे हिंदी साहित्य की एक मूल्यवान उपलब्धि के रूप में देखा जाता है। तलाक का निर्णय सिर्फ पति पत्नी का होता है परन्तु परिणाम निर्दोष बच्चे को झेलना पड़ता है।
बच्चों के विकास में शिक्षक और अभिभावक दोनो की अहम भूमिका है। डॉ संतोष अंश ने कहा कि हिंदी साहित्य के स्त्री-विमर्श की जब बात की जाती है तो ‘आपका बंटी’ का नाम सदैव रहता है। लेखिका मन्नू भंडारी ने इस उपन्यास में बाल मन को गहराई से उतारा है। इस उपन्यास में हिंदी साहित्य में एक बच्चे की घायल होती संवेदनाओं, उसकी निगाहों से परिवार की दुनिया की कहानी और एक स्त्री के संघर्ष को सामने रखा है। यह आपको पढ़कर तय करना है कि यह कहानी बंटी की है या शकुन की है। एक बाल मनोविज्ञान को लेखिका ने बहुत संवेदनशीलता और गहराई से सामने रखा है। उपन्यास जैसे-जैसे आगे बढ़ता है वह पाठकों को बांध देता है। बहुत ही मर्मस्पर्शी तरीकें से हर बात को लिखा गया है। यह उपन्यास बंटी और उसके जीवन के अदृश्य प्रभाव को सामने रखता है कि माता-पिता के अलगाव का एक बच्चे की मनोदशा पर क्या असर पड़ता है। आपका बंटी उपन्यास एक ऐसी बच्चे की मनो गाथा है जो अपने मम्मी पापा के रिश्तो की डोर है, वह भी उलझा हुआ। मन्नू भंडारी ने जब या उपन्यास लिखा तब तलाक के उतने मामलें नहीं होंगे जितना आज होता है। आज बात-बात रिश्ते टूट जाया करते हैं ,और दूसरी बार हो या पहली बार फिर से रिश्ते जुड़ते भी हैं। लेकिन इन सबके बीच जिसकी जिंदगी सूनेपन की गठरी बन जाती है वह है बंटी यानि बंटी जैसे हमारे समाज मे अनेक बच्चों की। मन्नू जी ने बंटी के माध्यम से उन तमाम बच्चों की मनोदशा का अतुल्य वर्णन किया है जो माता पिता के विखराव के बीच एक मात्र डोर है। इस उपन्यास की खासियत यह है कि यह एक बच्चे की निगाहों से घायल होती संवेदना का बेहद मार्मिक चित्रण करता है। आपका बंटी जैसे बच्चें यदि कक्षा में हो तो शिक्षक की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक भूमिका अहम बन जाती है। डॉ सीमा सिंह ने कहा कि मन्नू भंडारी द्वारा लिखित 'आपका बंटी' बेहद मर्मस्पर्शी, तलाक के बीच पिस रहे एक बच्चे की मनोदशा पर लिखा गया उपन्यास है। इसमें एक बालक की मनःस्थिति के साथ ही स्त्री हृदय की वेदना को भी बड़ी ही बखूबी से लिखा गया। जिन विद्यार्थियों ने इस उपन्यास के अंश का वाचन किया और विमर्श किया उसमें बी.एड. प्रथम बर्ष की अर्चिता सिंह ने कहा कि हम शपथ लें कि अपने आगामी जीवन में बंटी जैसी समस्याओं की पुनरावृत्ति नहीं होने देंगे। माता-पिता को बच्चों को स्वाभाविक प्यार और दुलार देना चाहिए। हिमांशु सिंह ने कहा शिक्षित की अपेक्षा अशिक्षित काफी सरल होते हैं। ज्योति मिश्रा ने कहा इस उपन्यास में बिखरते दाम्पत्य में बाल मन के अंतर्द्वंद्व का प्रभावी चित्रण है। उषा ने कहा कि बालक के संतुलित विकास के लिए परिवार मे संतुलन बनाना आवश्यक है। मानसी पाण्डेय ने कहा, माता-पिता दोनों का समान प्यार दुलार न पाकर बच्चा असंतुलित हो जाता है। उपन्यास में दाम्पत्य जीवन के टकराव का बच्चों पर प्रभाव का ज़िक्र है। अनुभवी सिंह ने कहा कि आपका बंटी से बाल मनोविज्ञान को समझने का अवसर मिलता है। आज परिवार आत्म केंद्रित हो रहे हैं, अहम बढ़ता जा रहा है दाम्पत्य जीवन में अहम की कोई जगह नहीं है। अहम का परिणाम बंटी को झेलना पड़ा। पुस्तक विमर्श का सफल संचालन अनुभवी सिंह ने किया। इस अवसर पर बी.एड. प्रथम वर्ष के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

सुल्तानपुर,केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में संसद में पारित फाइनेंशियल बिल 2025 में किए गए पेंशनर्स नियमों के संशोधन को लेकर पूरे प्रदेश में आक्रोश फैल गया है। इसी कड़ी में सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोशिएशन तथा उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ, सुल्तानपुर शाखा ने इस कानून के विरोध में संयुक्त रूप से मोर्चा खोल दिया है।
सुलतानपुर,कलश यात्रा के साथ शुरू हुई भव्य संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा दूबेपुर स्थानीय पूरे बलिदान मिश्र का पुरवा (लौहर दक्षिण)पं.उमाशंकर मिश्र के यहाँ आज दिनांक 17 अप्रैल से कलश यात्रा के बाद प्रारंभ हुआ श्रीमद् भागवत कथा।कथा वाचक पूज्य शिवम् जी महाराज के मुखारविंद से बडे सरल एवं सहज भाव से कथा सुनने को मिल रही है।
यह श्रीमद्भागवत कथा आगामी 26 अप्रैल तक चलेगी। कलश यात्रा में मुख्य रूप से मुख्य यजमान पं.उमाशंकर मिश्र एवं श्रीमती राम सँवारी मिश्रा,तीर्थ राज मिश्रा,राम बदल मिश्रा,संगम मिश्रा,विपिन मिश्रा,प्रवीण मिश्रा,विनीत मिश्रा,हर्षित मिश्रा,मनीष मिश्रा आशीष मिश्रा तथा विश्व हिन्दू महासंघ के जिला अध्यक्ष डॉ.कुंवर दिनकर प्रताप सिंह सहित सैकड़ों महिला/पुरूष कलश यात्रा में सम्मिलित हुए।
सुल्तानपुर,चर्चित व्यापारी नरेश माहेश्वरी सुसाइड केस में मिली दो को जमानत। बीतें माह नरेश माहेश्वरी की लाश ट्रैन की पटरी पर कटी हुई मिली थी।उनकी जेब से मिली सुसाइड नोट के आधार पर उनकी पत्नी ने अपने दो रिश्तेदारों सहित तीन लोगों के खिलाफ कोतवाली में दर्ज कराया था मुकदमा।मामले में आज कोर्ट ने दो रिश्तेदारों की सशर्त अग्रिम जमानत कर दी है मंजूर।
वहीं तीसरे आरोपी की जमानत अर्जी हुई खारिज़। दरअशल पूरा मामला दरियापुर से जुड़ा हुआ है जहां के रहने वाले नरेश माहेश्वरी की लाश पिछले माह 3 मार्च को लोको कॉलोनी रेलवे ट्रैक की पटरी पर शव मिला था।वहीं पंचनामा के समय उनकी पैंट की जेब से एक सुसाइड नोट मिला था जिसमे नरेश माहेश्वरी ने अपनी मौत के लिए तीन लोगों को जिम्मेदार बताया था।
जिसके बाद उनकी पत्नी चंचल माहेश्वरी ने दो रिश्तेदारों सहित चौक के एक दलाल पर नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया था।जिसके बाद एक आरोपी ने कुछ दिन बाद सरेंडर कर जेल चला गया था। वहीं अन्य दो आरोपी कोर्ट की शरण में चले गए थे।जिसके बाद आज विद्वान अधिवक्ता रवि शुक्ला ने कोर्ट में बहस करते हुए अन्य दोनों आरोपियों को अग्रिम जमानत दिला दी।मामले में अधिवक्ता रवि शुक्ला द्वारा कोर्ट में उनके रिश्तेदार शरण प्रदीप देसाई के तरफ से अपना पक्ष रखा।जिसमे मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता न पाए जाने के कारण आज उन्हें कोर्ट द्वारा सशर्त जमानत दे दी गई।वही मामले के एक अन्य आरोपी को भी कोर्ट ने जमानत दे दी।वहीं तीसरे आरोपी की कोर्ट ने जमानत खारिज़ कर जेल भेज दिया। बाइट-रवि शुक्ला अधिवक्ता
सुल्तानपुर बीजेपी अल्पसंख्यक जिलाध्यक्ष अजादर हुसैन और उनके परिजन सुर्खियों में है। ये कोई पहला मामला नहीं है इनके ऊपर न जाने कितने आरोप है। कि कागजों में हेरफेर कर पहले तो इन लोगों ने दलितों की जमीन कब्जा किया और अब उस पर निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। ग्रामीणों ने विरोध जताया तो सत्ता पक्ष का फायदा उठाते हुए उन्हें धमकी दी जा रही है। बहरहाल पीड़ित दलितों ने जिलाधिकारी से शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई है।
दरअसल ये मामला है नगर कोतवाली के गोराबारिक स्थित रानीगंज बाजार का। आरोप है कि इसी गांव के रहने वाले रामपती,भानमती,सोमवारी, और सुमित्रा की पुस्तैनी जमीन पर बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष अजादार हुसैन और उनके परिजनों ने कब्जा कर लिया और उस पर निर्माण कार्य करवा रहे हैं। पीड़ित दलितों की माने तो इनकी पुश्तैनी जमीन पर विपक्षी अजादार के परिवार वाले अपना हक जता रहे,जिसपर 16 अक्टूबर 1970 को कोर्ट ने इन्हीं दलितों के पूर्वजों रामदयाल और रामऔतार के पक्ष में डिग्री कर दी थी। आरोप है कि मुकदमा हारने के बाद भी तहसीलकर्मियों की मिलीभगत से अजादार हुसैन के पिता ने कूटरचित दस्तावेजों के सहारे अभिलेखों ने अपने नाम दर्ज करवा लिया और उस पर कब्जा कर रहे हैं। इनलोगों ने आलाधिकारियों से शिकायत भी की थी। सत्ता पक्ष का लाभ लेते हुए ये सभी अब इन दलितों की जमीन पर निर्माण करवा रहे हैं। लिहाजा आज फिर पीड़ित कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिलाधिकारी से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज करवाई है।
*हत्यारे बेटे ने की खुदकुशी* *किसी ने सच हि कहा है कि खाली हाथ आए हो,और खाली हाथ जाओगे और हुआ भी वहि....जो खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली। सबकुछ यहि का यहि धरा रह गया... ऐसा ही एक मामला सुल्तानपुर का सामने आया.... जहाँ अभी दो दिन पूर्व पिता और भाई की गोली मार कर हत्या कर दी थी... वही हत्यारे बेटे ने बीती देर शाम खुद को गोली मार ली। गंभीर हालत में उसे अस्पताल लाया गया। जहां डाक्टरों से उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस की शानदार पहल पुलिस की सक्रियता से महिला सहायता परामर्श केंद्र द्वारा 3 जोड़े की विदाई,पुलिस अधीक्षक कुँवर अनुपम सिंह के निर्देशन में अपर पुलिस अधीक्षक अखण्ड प्रताप सिंह के पर्यवेक्षण में महिला परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी श्रीमती सीमा सरोज,वरिष्ठ पत्रकार मनोराम पांडे,अपराध निरोधक समिति सचिव अमर बहादुर सिंह सदस्य के अथक प्रयासों से पति पत्नी के मध्य चल रहे विवाद को समझा बुझाकर पति के साथ विदाई कराई गई।
यह प्रकरण काफी समय से विवादित चल रहा था किंतु आज सारे मतभेदो को भूलाकर पति पत्नी आपस में एक साथ रहने के लिए राज़ी हो गए दोनो परिवारो ने धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया। लगभग सैकड़ों परिवार जो मन मुटाव के चलते अलग अलग रह रहे थे वे आज परिवार परामर्श महिला सहायता केन्द्र के सदस्यों के अथक प्रयास से एक दूसरे के साथ जीवन यापन कर हसी ख़ुशी जीवन बसर कर रहे हैं पुलिस विभाग का यह बहुत ही सराहनीय कदम है।
सुल्तानपुर,मारपीट मामले में एसओ कुड़वार पर गाज गिरने के बजाय,उच्चाधिकारियों को आया था रहम।
कोटेदार की शिकायत करने पर बीते 21 जनवरी को वृद्ध की जमकर हुई थी पिटाई।
Apr 19 2025, 17:22
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