बदला लेने की कोशिश में बांग्लादेश ने अपने पैर में मारी कुल्हाड़ी, भारत से जमीनी मार्ग से कच्चे धागे के आयात पर रोक
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भारत और बांग्लादेश के रिश्ते में बीते कुछ समय से तनातनी देखी जा रही है। दोनों देशों के बीच का तनाव अब व्यापार को भी प्रभावित करता दिख रहा है। बांग्लादेश ने भारत के साथ लैंड बॉर्डर ट्रेड को प्रभावित करने वाले कई कदम उठाए हैं।बांग्लादेश ने भारत से लैंड पोर्ट रूट के ज़रिए सूत के आयात पर पाबंदी लगा दी है। यही नहीं, बांग्लादेश ने भारत के साथ तीन लैंड पोर्ट से व्यापार बंद करने का ऐलान कर दिया है और एक से ट्रेड से कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया है।
बांग्लादेश में जब से सत्ता मोहम्मद यूनुस के हाथों में आई है, तब से ही उसका झुकाव पाकिस्तान और चीन की ओर बढ़ता ही जा रहा है।मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने जमीनी बंदरगाहों के माध्यम से भारत से होने वाले कच्चे धागे के आयात को निलंबित कर दिया है। बांग्लादेश के राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड (NBR) के आदेश के बाद अब बेनापोल, भोमरा, सोनमस्जिद, बंग्लाबांदा और बुरीमारी भूमि बंदरगाहों के माध्यम से कच्चे धागे के आयात की अनुमति नहीं होगी। ये बंदरगाह भारत से कच्चे धागे के आयात के प्राथमिक प्रवेश बिंदु थे।
फैसले के पीछे बांग्लादेश ने बताई ये वजह
बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट ढाका ट्रिब्यून ने एनबीआर के हवाले से बताया कि भूमि बंदरगाहों के माध्यम से अब धागे का आयात नहीं किया जा सकता है। हालांकि, समुद्र या अन्य मार्गों के माध्यम से आयात की अनुमति अभी भी दी जाएगी। इस साल फरवरी में बांग्लादेश टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन ने सरकार के जमीनी रास्तों से भारत से धागे का आयात रोकने का आग्रह किया था।
आयात रोकने के लिए तर्क दिया गया था कि सस्ता भारतीय सूत स्थानीय उत्पादकों को नुकसान पहुंचा रहा है। इसके बाद मार्च में बांग्लादेश व्यापार और टैरिफ आयोग ने घरेलू कपड़ा उद्योग की रक्षा के लिए जमीनी बंदरगाह आयात को अस्थायी रूप से निलंबित करने की सिफारिश की।
टेक्सटाइल इंडस्ट्री में यूनूस को लेकर नाराजगी
वहीं, बांग्लादेश टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने यूनूस के इन कदमों को ‘आत्मघाती’ बताया है और वे बांग्लादेश सरकार से खासे नाराज हैं। भारत से धागा की आपूर्ति बाधित होने से छोटे और मध्यम आकार की गारमेंट कंपनियों को भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि ये इकाइयां मुख्य रूप से भारतीय यार्न पर निर्भर रहती हैं। सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश ने भारतीय धागा पर बैन का फैसला इसलिए लिया है ताकि पाकिस्तान से ज्यादा यार्न बांग्लादेश आ सके। सरकार के इस फैसले से पाकिस्तान को तो भले ही फायदा हो जाए, बांग्लादेश को नुकसान ही नुकसान है क्योंकि भारतीय धागा के मुकाबले पाकिस्तानी धागा महंगा है। यूनूस का यह कदम भारत-बांग्लादेश व्यापारिक संबंधों में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जो आखिरकार बांग्लादेश के लिए ही घातक साबित होगा।
भारत ने बांग्लादेश से ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ली
पिछले कुछ महीनों से भारत और बांग्लादेश आमने-सामने हैं। हालांकि, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में छठे बिम्सटेक समिट से अलग भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की मुलाकात के बाद लग रहा था कि दोनों देशों के संबंधों में जमी बर्फ़ पिघल जाएगी।
लेकिन, इस बैठक के तीन दिन बाद ही भारत सरकार ने बांग्लादेश को 2020 से मिली ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ले ली। इस सुविधा के कारण बांग्लादेश भारत के एयरपोर्ट और बंदरगाहों का इस्तेमाल तीसरे देश में अपने उत्पादों के निर्यात के लिए करता था।
मोहम्मद यूनुस ने पूर्वोत्तर को लेकर दिया था बयान
दरअसल, भारत ने ये फैसला मोहम्मद यूनुस के एक बयान के बाद लिया था। मोहम्मद यूनुस 26 से 29 मार्च तक चीन के दौरे पर थे। इसी दौरे में यूनुस ने ऐसा बयान दिया, जिससे भारत का नाराज़ होना लाजिमी था। मोहम्मद यूनुस ने पूर्वोत्तर भारत की लैंडलॉक्ड स्थिति का हवाला दिया था। यूनुस ने कहा था कि पूर्वोत्तर भारत का समंदर से कोई कनेक्शन नहीं है और बांग्लादेश ही इस इलाके का अभिभावक है। मोहम्मद यूनुस ने कहा था, भारत के सेवन सिस्टर्स राज्य लैंडलॉक्ड हैं। इनका समंदर से कोई संपर्क नहीं है। इस इलाके के अभिभावक हम हैं। चीन की अर्थव्यवस्था के लिए यहाँ पर्याप्त संभावनाएं हैं। चीन यहाँ कई चीजें बना सकता है और पूरी दुनिया में आपूर्ति कर सकता है।
बांग्लादेश की पूर्वोत्तर पर बुरी नजर
बता दें कि पूर्वोत्तर भारत दशकों से उग्रवाद ग्रस्त रहा है और बांग्लादेश पर इन राज्यों में उग्रवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है। हालांकि, पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद अभी काबू में है लेकिन एक किस्म की बेचैनी अब भी देखने को मिलती है। भारत का यह इलाका काफी संवेदनशील माना जाता है।
Apr 18 2025, 19:04