मुसलमानों को जिहाद के अलावा कुछ नहीं पता”, उमर अब्दुल्ला ने क्यों कही ऐसी बात?

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जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विपक्ष के नेता सुनील शर्मा पर तीखा हमला बोला है। उमर अब्दुल्ला ने सुनील शर्मा की “लेजिसलेटिव जिहाद” शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि हर बात में आपको जिहाद नजर आता है। जब कोई अन्य सदस्य उनके धर्म के बारे में बात करता है तो उन्हें गुस्सा आ जाता है। क्या वह यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि मुसलमानों को 'जिहाद' के अलावा कुछ नहीं पता?

सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि धार्मिक मामलों पर ऐसी टिप्पणी करने से बचने चाहिए, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हों। विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि किसी को भी यह महसूस नहीं होना चाहिए कि इस सरकार में उनकी बात नहीं सुनी जाती।

सुनील शर्मा ने क्या कहा था?

इससे पहले गुरुवार को विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी पर "टू नेशन थ्योरी" को बढ़ावा देने और बाहरी लोगों के जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के अधिकार का विरोध करने का आरोप लगाया था। सुनील शर्मा ने कहा था,यहां लैंड जिहादियों को बचाने के लिए लेजिसलेटिव जिहाद का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत एक है, भारत से कोई भी यहां आ सकता है, अगर कश्मीर का कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में जमीन खरीद सकता है, तो महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति कश्मीर में जमीन क्यों नहीं खरीद सकता?

दिल्ली हाईकोर्ट जज के बंगले पर मिला कैश, जानें कैसे सामने आया मामला

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सरकार पर लोगों को भरोसा हो ना हो कानून पर पूरा भरोसा है। हालांकि, कुछ ऐसे मामले में जिनसे अदालतों पर भरोसे की दीवार भी कमजोर पड़ने लगी है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है दिल्ली हाई कोर्ट से। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर भारी मात्रा में कैश बरामद किया गया है। देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली कॉलेजियम ने इस पर तुरंत एक्शन लिया और फौरन जज यशवंत वर्मा, जिनके घर से नकदी मिली है, को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। जज वर्मा के घर बड़ी मात्रा में नकदी तब रोशनी में आई जब उनके घर लगी आग को बुझाने फायर ब्रिगेड वाले पहुंचे थे।

होली की छुटि्टयों के दौरान जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले पर आग लग गई थी। वे घर पर नहीं थे। परिवार के लोगों ने पुलिस और इमरजेंसी सर्विस को कॉल किया और आग की जानकारी दी। पुलिस और फायरब्रिगेड की टीम जब घर पर आग बुझाने गई तो उन्हें भारी मात्रा में कैश मिला।

कॉलेजियम ने इमरजेंसी मीटिंग की

सूत्रों के मुताबिक जब सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना को मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने कॉलेजियम की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ एक रिपोर्ट आने के बाद उन्हें उनके मूल उच्च न्यायालय इलाहाबाद में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को उनके स्थानांतरण की सिफारिशें कीं। न्यायमूर्ति वर्मा ने अक्तूबर 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम ऑनर्स की डिग्री हासिल की। यशवंत वर्मा ने 1992 में रीवा विश्वविद्यालय से लॉ में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 08 अगस्त, 1992 को एडवोकेट के रूप में नामांकित हुए। एडवोकेट यशवंत वर्मा ने संवैधानिक, इंडस्ट्रियल विवाद, कॉर्पोरेट, टैक्सेशन, पर्यावरण और कानून की संबद्ध शाखाओं से संबंधित विभिन्न प्रकार के मामलों को संभालने वाले मुख्य रूप से दीवानी मुकदमों की पैरवी की। 2006 से प्रोमोट होने तक जस्टिस यशवंत वर्मा तक इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशेष वकील भी रहे। 11 अक्टूबर, 2021 को उनका दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया था।

जज के घर पर बेहिसाब नकदी मिलना गंभीर मामला

बड़ी मात्रा में नकदी कोई भी व्यक्ति अपने घर में नहीं रख सकता। काले धन के प्रवाह को रोकने के लिए यह जरूरी है कि ज्यादा नकदी होने पर उसे बैंक में जमा करें। अगर किसी के घर में बड़ी मात्रा में नकदी मिलती है तो उस व्यक्ति को नकदी का स्रोत बताना पड़ेगा। खासतौर से जज जैसे जिम्मेदार ओहदे पर बैठे व्यक्ति को तो अपनी ट्रांसपेरेंसी रखनी ही होगी। किसी जज के घर पर बेहिसाब नकदी का पाया जाना एक दुर्लभ और गंभीर मामला है।

बेंगलुरु में आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक शुरू, कई अहम मुद्दों पर होगी चर्चा

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में निर्णय लेने की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक आज 21 मार्च से बेंगलुरु में शुरी हो गई है।संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस बैठक का उदघाटन किया। इस बैठक में 1482 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। 23 मार्च तक चलने वाली इस बैठक में आरएसएस से जुड़े 32 संगठनों के महासचिव भी शामिल होंगे, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष भी शामिल होंगे।

संघ की प्रतिनिधि सभा की शुरूआत में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तबलावादक जाकिर हुसैन, प्रीतीश नंदी सहित कई जानी मानी हस्तियों और संघ के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने कहा कि हम जब भी इस तरह बैठक करते हैं तो शुरुआत उन लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं, जो इस दुनिया में नहीं रहे।

सह सरकार्यवाह मुकुंद ने कहा कि इस साल संघ की स्थापना के 100 साल पूरे हो जाएंगे, इसलिए बैठक में संघ के विस्तार पर बातचीत होगी साथ ही अब तक संघ ने कितना काम किया इस पर चर्चा होगी। इसका मूल्यांकन होगा कि जो सामाजिक बदलाव हम लाने की कोशिश कर रहे हैं, उसमें कितना सफल रहे।

संघ के मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने बताया कि बैठक के दौरान बांग्लादेश और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह को लेकर प्रस्ताव पारित किया जाएगा। आंबेकर ने बताया कि संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले, संघ द्वारा किए गए कार्यों और उसके भविष्य की रूपरेखा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेंगे। क्षेत्रीय प्रमुख भी अपने कार्यों, कार्यक्रमों, भूमिका और भविष्य की योजनाओं को प्रस्तुत करेंगे, जिनकी समीक्षा की जाएगी।

पीएम मोदी के विदेश दौरों पर कितना खर्च? खरगे ने पूछा सवाल तो सरकार ने दिया जवाब

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर विदेश दौरों पर जाते रहते हैं। अभी हाल ही में पीएम मोदी ने मॉरिशन का दौरा किया था, उससे पहले अमेरिका भी गए थे। मई 2022 से दिसंबर 2024 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 38 विदेश यात्राएं कर चुके हैं। पीएम मोदी के विदेश दौरे को लेकर विपक्ष हमेशा से सवाल उठता रहा है। एक बार फिर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम की विदेश यात्राओं पर भारतीय दूतावासों द्वारा किए गए कुल खर्च और यात्रा-वार खर्च का ब्योरा मांगा था। जवाब में विदेश राज्य मंत्री पबित्र मार्गेरिटा ने सरकार का आधिकारिक ब्यौरा पेश कर दिया है।

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खरगे ने सरकार से पूछा था कि पिछले तीन सालों में प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं की व्यवस्था पर भारतीय दूतावासों द्वारा कुल कितना खर्च किया गया है। उन्होंने होटल व्यवस्था, सामुदायिक स्वागत, परिवहन व्यवस्था और अन्य विविध व्यय जैसे प्रमुख मदों के अंतर्गत किए गए यात्रा-वार व्यय का विवरण भी मांगा।

38 विदेश यात्राओं पर करीब ₹258 करोड़ खर्च

इसके जवाब में मार्गेरिटा ने प्रधानमंत्री द्वारा 2022, 2023 और 2024 में किए गए विदेश यात्राओं पर देश-वार खर्च के आंकड़ों को सारणीबद्ध रूप में पेश किया। उनकी इन यात्राओं में आधिकारिक, उनके साथ जाने वाले सुरक्षा और मीडिया प्रतिनिधिमंडल शामिल थे। मई 2022 से दिसंबर 2024 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 38 विदेश यात्राओं पर करीब ₹258 करोड़ खर्च हुए। इन 38 देशों के दौरों में अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, रूस, इटली, पोलैंड, ब्राजील, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र और दक्षिण अफ्रीका जैसे प्रमुख देश शामिल थे।

सबसे महंगा दौरा अमेरिका का

सरकार की ओर से जारी आकड़ों के मुताबिक, पीएम मोदी का सबसे महंगा दौरा जून 2023 में अमेरिका का था।आंकड़ों के अनुसार, जून 2023 में प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा पर 22 करोड़ 89 लाख 68 हजार 509 रुपये का खर्च हुआ था, जबकि सितंबर 2024 में इसी देश की यात्रा पर 15 करोड़ 33 लाख 76 हजार 348 रुपये खर्च हुए थे।

नेपाल दौरे पर सबसे कम खर्च

मई 2023 में प्रधानमंत्री की जापान यात्रा से संबंधित आंकड़ों के अनुसार उस पर 17 करोड़ 19 लाख 33 हजार 356 रुपये खर्च हुए थे, जबकि मई 2022 में नेपाल यात्रा पर 80,01,483 रुपये खर्च हुए थे।2024 में, उन्होंने पोलैंड दौरे पर ₹10,10,18,686 खर्च हुए थे, तो वहीं यूक्रेन में ₹2,52,01,169, रूस में ₹5,34,71,726, इटली में ₹14,36,55,289, ब्राज़ील यात्रा पर ₹5,51,86,592 और गुयाना दौरे पर ₹5,45,91,495 रुपये खर्च किए गए।

2014 से पहले के कुछ आंकड़े भी साझा किए

मंत्री ने अपने जवाब में 2014 से पहले के वर्षों के कुछ आंकड़े भी साझा किए। उन्होंने कहा कि इससे पहले प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर खर्च 10 करोड़ 74 लाख 27 हडार 363 रुपये (अमेरिका, 2011); 9,95,76,890 रुपये (रूस, 2013), 8,33,49,463 रुपये (फ्रांस, 2011) और 6,02,23,484 रुपये (जर्मनी, 2013) था। उन्होंने कहा, ‘‘ये आंकड़े मुद्रास्फीति या मुद्रा में उतार-चढ़ाव के समायोजन के बिना वास्तविक व्यय को दर्शाते हैं।’’

ढीली पड़ी बांग्लादेश की ऐंठन, पीएम मोदी से मुलाकात चाहते हैं मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश एक तरफ तो भारत के दुश्मनों से नजदीकियां बढ़ा रहा है, वहीं भारत के साथ बेवजह की दुश्मनी पाल रहा है। अल्पसंख्यकों पर हिंसा और भारत के साथ संबंधों में तनाव के बीच बांग्लादेश ने भारत से संपर्क किया है। बांग्लादेश की तरफ से इच्छा जाहिर की गई है कि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी की मुलाकात हो जाए। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस अगले महीने थाईलैंड में आमने-सामने होने वाले हैं, लेकिन इस दौरान दोनों के बीच औपचारिक मुलाकात की संभावना नहीं है। मुलाकात को लेकर भारत की तरफ से इस बारे में कोई उत्साह नहीं दिखाया गया है।

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एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश ने अप्रैल के पहले हफ्ते में बैंकॉक में मोहम्मद यूनुस और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच एक द्विपक्षीय बैठक कराने को लेकर भारत से संपर्क किया है। दरअसल, दोनों देशों के नेता 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं। इसे देखते हुए बांग्लादेश ने दोनों नेताओं के बीच बैठक आयोजित कराने के लिए संपर्क किया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बांग्लादेश के अंतरिम सरकार में विदेशी मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहिद हुसैन ने कहा, हमने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित कराने को लेकर भारत के साथ कूटनीतिक संपर्क किया है।

भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव

बता दें कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से ही भारत के साथ रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है। भारत ने बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के साथ ही बिगड़ती कानून व्यवस्था और चरमपंथियों की जेलों से रिहाई को लेकर चिंताओं को अंतरिम सरकार के सामने रखा है। वहीं, यूनुस सरकार ने भारत में मौजूद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी के बारे में चिंता जाहिर की है और उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। इसके अलावा नदियों के पानी बंटवारे और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने जैसे मुद्दों को लेकर दोनों के बीच गतिरोध है।

भारतीय छात्र बदर खान के यूएस निर्वासन पर लगी रोक, ट्रंप सरकार के फैसले के आड़े आई अदालत

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अमेरिका की एक कोर्ट से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को झटका लगा है। कोर्ट ने हमास से संबंध रखने के मामले में भारतीय छात्र बदर खान सूरी के निर्वासन प्रक्रिया को रोकने के आदेश दिए हैं। कथित तौर पर हमास का समर्थन करने के लिए जिन भारतीय शोधकर्ता पर निर्वासन की तलवार लटक रही थी। उन्हें अमेरिका के एक जज ने बड़ी राहत देते हुए उनके निर्वासन पर फिलहाल रोक लगा दी है। सूरी पर अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने हमास का प्रचार करने और यहूदी विरोधी बातें फैलाने का आरोप लगाया था। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने उन्हें देश से निकालने की कोशिश की, लेकिन अब अदालत ने इस कार्रवाई पर रोक लगी दी है।

बदर खान सूरी जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में शोधकर्ता हैं। उन्हें हाल ही में अमेरिकी आव्रजन अधिकारियों ने हिरासत में लिया था। डीएचएस ने दावा किया कि सूरी सोशल मीडिया पर हमास का प्रचार कर रहे थे और उनकी एक संदिग्ध आतंकवादी से करीबी दोस्ती है, जो हमास का वरिष्ठ सलाहकार है। डीएचएस की सहायक सचिव ट्रिशिया मैकलॉघलिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, बदर खान सूरी सक्रिय रूप से हमास का प्रचार कर रहे हैं और यहूदी विरोधी बातें फैला रहे हैं। उनकी एक संदिग्ध आतंकवादी से नजदीकी है।

सूरी ने अपने निर्वासन के खिलाफ अदालत में अपील की। है। अमेरिका के मानवाधिकार संगठन अमेरिकन सिविल लिबर्ट्रीज यूनियन ने भी इस मामले में एक याचिका दायर की थी। अब गुरुवार को वर्जीनिया अदालत की जज पैट्रिसिया टोलिवर जाइल्स ने अपने आदेश में बद्र खान सूरी के निर्वासन पर अदालत के अगले आदेश तक रोक लगा दी है। सूरी को लुइसियाना के एक डिटेंश सेंटर में हिरासत में रखा गया बदर खान सूरी को सोमवार को उनके अर्लिंगटन स्थित आवास से हिरासत में लिया गया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सूरी के वकील हसन अहमद ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि सूरी को उनकी फिलिस्तीनी मूल की पत्नी की विरासत के कारण दंडित किया जा रहा है। उनकी पत्नी मेफेज सालेह गाजा मूल की हैं। फिलहाल वह जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के समकालीन अरब अध्ययन केंद्र में प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। उन्होंने फिलिस्तीन स्थित गाजा के इस्लामिक विश्वविद्यालय से पत्रकारिता और सूचना में स्नातक की डिग्री ली है। उन्होंने भारत में नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट रेजोल्यूशन से संघर्ष विश्लेषण और शांति स्थापाना में मास्टर्स डिग्री भी प्राप्त की है।

बदर खान सूरी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पोस्ट डॉक्टरल शोधकर्ता है। उन्हें सोमवार रात वर्जीनिया में उनके घर के बाहर संघीय एजेंटों ने गिरफ्तार किया था। उन्हें लुइसियाना में हिरासत केंद्र में रखा गया है। सूरी पर आरोप है कि उसके हमास के साथ संबंध हैं और सोशल मीडिया पर अमेरिका में यहूदी विरोधी भावना फैलाई।

दिशा सालियान मौत मामले में क्यों आ रहा आदित्य ठाकरे का नाम? महाराष्ट्र में नया सियासत बवाल

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दिशा सालियान मर्डर केस एक बार फिर सुर्खियों में है। 8 जून 2020 को दिशा की मौत हुई। इसके 6 दिन एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की लाश उनके कमरे में मिली। दिशा सुशांत की मैनेजर रह चुकी थी। दिशा की मौत का केस इस बार सुर्खियों में इसलिए आया, क्योंकि उसके पिता सतीश ने बेटी की मौत की नए एंगल से जांच करने की मांग की है। हालांकि 5 साल पहले सतीश ने दिशा की मौत को सुसाइड मान लिया था, लेकिन अब उनका कहना है कि उन्हें सुसाइड मानने के लिए मजबूर किया गया था।

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दिशा के पिता सतीश सालियान ने अपनी बेटी की मौत की नए सिरे से जांच की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है और आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने याचिका में दिशा सालियान के अंतिम संस्कार की तस्वीरों को भी अदालत में अपनी याचिका के साथ अटैच किया है। इस याचिका में वकील का कहना है कि जब दिशा का पार्थिव शरीर उसके परिवार को सौंपा गया, तब उसके शरीर पर किसी भी चोट या घाव के निशान नहीं थे, जबकि मालवणी पुलिस ने दावा किया था कि दिशा की मौत के समय उसका शरीर खून से लथपथ था।

दिशा की मौत मामले में आदित्य ठाकरे का नाम आ रहा है।सतीश सालियान ने कोर्ट में याचिका दायर कर आदित्य ठाकरे समेत कई लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आदित्य ठाकरे और पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की गई है। दिशा सालियान के पिता ने बेटी की हत्या का दावा करते हुए आदित्य ठाकरे, एक्टर सूरज पंचोली और डिनो मोर्या पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने ये भी कहा है कि मुंबई पुलिस ने हकीकत को छुपाने की कोशिश की है। सतीश सालियान ने आदित्य ठाकरे पर ये भी आरोप लगाया है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उन्होंने रिया चक्रवर्ती से 44 बार फोन पर फोन किया था।

परिवार को नजरबंद रखने का आरोप

सतीश सालियान ने याचिका में कहा है कि दिशा की मौत अचानक नहीं हुई। पहले उनके साथ गैंगरेप हुआ और फिर उनका मर्डर कर दिया गया। सतीश ने कहा-'दिशा अपने करियर को लेकर काफी सीरियस थीं, ऐसे में उनका सुसाइड करना मुमकिन नहीं है। उस समय मुझे ये विश्वास दिलाया गया कि मेरी बेटी की मौत एक हादसा थी। पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर, मालवणी पुलिस थाने के अधिकारी लगातार इस बात पर जोर दे रहे थे कि वे जो बात कह रहे हैं, वो सच है। इन्हीं लोगों ने मेरे परिवार को लगातार दबाव में रखा और नजरबंद किया था। हमारी हर एक्टिविटी पर उनकी नजर थी।

8 जून की पार्टी में आदित्य ठाकरे भी थे शामिल?

याचिका में ये भी कहा गया है कि मुंबई पुलिस ने दिशा के गैंगरेप और मर्डर को दबाने की कोशिश की। इसके लिए पुलिस ने सभी गवाह, फोरेंसिक रिपोर्ट, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जैसी सारी चीजें फर्जी तरीके से तैयार कीं। चश्मदीदों के मुताबिकर 8 जून 2020 की रात दिशा के मालवणी वाले घर पर एक पार्टी थी जिसमें उसके कुछ करीबी दोस्त शामिल हुए थे। इस दौरान आदित्य ठाकरे, एक्टर सूरज पंचोली और डिनो मोरिया भी दिशा के घर पहुंचे थे। इस घटना के बाद ही दिशा को मौत के घाट उतार दिया गया।

नितेश राणे ने लगाया बड़ा आरोप

इधर, बीजेपी विधायक नितेश राणे ने दावा किया कि दिशा सालियान मामले को लेकर उद्धव ठाकरे ने उनके पिता नारायण राणे को दो बार फोन कर मदद की गुहार लगाई थी। नितेश राणे ने कहा, उद्धव ठाकरे ने नारायण राणे से कहा था कि तुम्हारे भी दो बच्चे हैं, मेरे भी दो बच्चे हैं। अगर आदित्य ठाकरे निर्दोष हैं, तो उन्हें कैमरे के सामने आकर यह कहना चाहिए कि 8 जून 2020 को वे कहां थे।

राणे ने यह भी दावा किया कि दिशा सालियान के पिता के अनुसार इस मामले में तीन मास्टरमाइंड हैं - आदित्य ठाकरे, सूरज पंचोली और डिनो मोर्या। उन्होंने कहा, अब मैं यह आरोप नहीं लगा रहा, बल्कि दिशा सालियान के पिता खुद यह आरोप लगा रहे हैं।

ताइवान ने भारत को दिया ऑफर, चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने में मदद का भरोसा

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ताइवान के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सु चिन शू भारत दौरे पर हैं। सु चिन शू भारत के प्रमुख सम्मेलन, रायसीना डायलॉग में भाग लेने के लिए दिल्ली में हैं। उन्होंने इस दौरान दोनों पक्षा के बीच व्यापार पर बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि भारत और ताइवान के बीच आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने की जरूरत है। इससे न केवल भारत को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए चीन पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में ताइवानी कंपनियों के निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।

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सू चिन शू ने भारत में अपने दौरे के बीच प्रतिष्ठित रायसीना डायलॉग में भाग लिया और वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से भी वार्ता की। इस दौरान गुरुवार को पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि भारत की विशाल युवा आबादी और ताइवान की तकनीकी विशेषज्ञता मिलकर एक मजबूत आर्थिक साझेदारी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अब चीन से आयात करने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक और इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी उत्पादों का उत्पादन खुद करना चाहिए और इसमें ताइवान उसकी मदद कर सकता है। इससे भारत को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने का मौका मिलेगा।

सू चिन शू ने कहा कि ताइवान की प्रौद्योगिकी और भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश के बीच तालमेल बिठाकर भारत में उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी वाले घटकों का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे नई दिल्ली को चीन से आयात कम करने में मदद मिलेगी।

ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने भारत-ताइवान संबंधों को बेहतर बनाने के तरीकों पर अपने भारतीय वार्ताकारों के साथ बंद कमरे में बैठक भी की।सु ने कहा, मुझे लगता है कि संबंधों के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं, विशेषकर आर्थिक सहयोग के मामले में।

भारत-चीन व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा

भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा काफी बड़ा है। आंकड़ों के अनुसार, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2023-24 में भारत ने चीन से लगभग 101.75 अरब अमेरिकी डॉलर के उत्पाद आयात किए, जबकि निर्यात मात्र 16.65 अरब डॉलर का ही रहा। भारत चीन से मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कंप्यूटर हार्डवेयर, दूरसंचार उपकरण, रसायन और दवा उद्योग के कच्चे माल का आयात करता है। ताइवान इस क्षेत्र में भारत की मदद कर सकता है, क्योंकि यह विश्व के कुल सेमीकंडक्टर उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत और उच्चतम तकनीक वाले चिप्स का 90 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करता है। ये चिप्स स्मार्टफोन, ऑटोमोबाइल, डेटा सेंटर, रक्षा उपकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी कई अहम तकनीकों में इस्तेमाल किए जाते हैं।

व्यापार समझौता भी चाहता है ताइवान

ताइवान भारत के साथ एक व्यापार समझौता करने को उत्सुक है, जिसकी पहल लगभग 12 वर्ष पहले हुई थी। शू ने बताया कि ताइवान की कंपनियां भारत में निवेश करने की इच्छुक हैं, लेकिन उच्च आयात शुल्क एक बड़ी बाधा है। अगर एक व्यापार समझौता किया जाता है, तो यह दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होगा।

ताइवान की कई प्रमुख कंपनियां अपने उत्पादन संयंत्रों को चीन से हटाकर यूरोप, अमेरिका और भारत में ट्रांसफर करने पर विचार कर रही हैं। इसका एक कारण अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव और दूसरा ताइवान के प्रति चीन के आक्रामक रुख को लेकर चिंताएं हैं। सू चिन शू का मानना है कि ताइवान की उन्नत तकनीक और भारत की विशाल श्रमशक्ति मिलकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को और मजबूत कर सकती है।

दुश्मनों की नहीं लगेगी “बुरी नजर”, सेना के पास होंगी दुनिया की सबसे ज्यादा रेंज वाली तोपें

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रक्षा क्षेत्र में भारत सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण फैसला लिया है।भारतीय सेना के लिए 155 एमएम कैलिबर की अडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद को कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी ने मंजूरी दे दी है। ये स्वदेशी गन सिस्टम है जिसे डीआरडीओ ने डिवेलप किया है। भारतीय सेना के लिए इस गन सिस्टम की डील करीब 7000 करोड़ रुपये की है। डील 307 हावित्जर की है। सरकार की इस पहल को आर्टिलरी गन निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

यह गन पूरी तरह से स्वदेशी हैं। कुल 307 हावित्जर तोपों की खरीद स्वदेशी कंपनी से की जा रही है। इन तोपों की मारक क्षमता दुनिया में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा सेना की 15 आर्टिलरी रेजिमेंटों को हथियार देने के लिए 327 गन-टोइंग व्हीकल्स की डील भी की जाएगी। टीओआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस डील पर अगले हफ्ते ही साइन होने की उम्मीद है।

जो तोपें सेना को दी जाएंगी, उन ATAGS को देश में डिजाइन और डेवलेप किया गया है। डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने इसे डेवलेप किया है, जबकि इसका उत्पादन प्राइवेट कंपनी भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स करेंगे। भारत अब डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों को आगे बढ़ रहा है, इसलिए इन 307 तोपों का उत्पादन दोनों प्राइवेट कंपनियों को सौंप दिया गया है। जहां भारत फोर्ज 60 फीसदी तोपों का उत्पादन करेगी, वहीं टाटा एडवांस्ड 40 फीसदी तोपें बनाएगी।

आर्टिलरी गन में इस्तेमाल 65 फीसदी से अधिक पार्ट्स को घरेलू स्तर पर तैयार किया गया है। इनमें बैरल, ब्रीच मैकेनिज्म, फायरिंग, रिकॉइल सिस्टम और गोला-बारूद हैंडलिंग मैकेनिज्म शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट से न केवल भारत के रक्षा उद्योग को मजबूत मिलेगी बल्कि विदेश पर निर्भरता भी कम होगी। ATAGS भारतीय सेना में पुरानी 105 मिमी और 130 मिमी की तोपों की जगह लेंगी। इससे सेना का तोपखाना आधुनिक होगा।

करगिल युद्ध के बाद सेना का आधुनिकीकरण करने की दिशा में कदम बढ़ाए गए। सेना की आर्टिलरी यानी तोपखाने को और मजबूत किया गया और स्वदेशी तोपों को भी सेना में शामिल किया गया। भारतीय सेना के पास अब 155 Mm अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर M-777 गन भी हैं। इसकी खास बात ये है कि ये इतनी हल्की है कि हेलिकॉप्टर के जरिए हाई ऑल्टिट्यूट इलाके में पहुंचाया जा सकता है।

एलन मस्क की कंपनी 'एक्स' ने किया भारत सरकार पर मुकदमा, जानें पूरा मामला

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एलन मस्क की कंपनी एक्स कॉर्प ने भारत सरकार के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) की धारा 79(3)(बी) को चुनौती दी गई है। कंपनी का आरोप है कि यह नियम सरकार को अनुचित और गैरकानूनी सेंसरशिप लागू करने की शक्ति देता है, जिससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के संचालन पर गंभीर असर पड़ रहा है। एक्स का तर्क है कि यह नियम सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन करता है और ऑनलाइन स्वतंत्र अभिव्यक्ति को कमजोर करता है।

आईटी एक्ट की धारा 79(3)(बी) के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वह कुछ खास परिस्थितियों में इंटरनेट पर मौजूद कंटेंट को हटाने या ब्लॉक करने का आदेश दे सकती है। यदि कोई प्लेटफॉर्म 36 घंटों के भीतर अनुपालन करने में विफल रहता है, तो उसे धारा 79(1) के तहत और उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) सहित विभिन्न कानूनों के तहत जवाबदेह ठहराया जा सकता है। यह नियम ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों को अवैध सामग्री को हटाने के लिए जवाबदेह बनाने के लिए डिजाइन किया गया है और यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि ऑनलाइन सामग्री कानूनी और नैतिक मानकों का पालन करती है।

हालांकि, एक्स कॉर्प का दावा है कि सरकार इस प्रावधान का दुरुपयोग कर रही है। कंपनी के मुताबिक, कंटेंट हटाने के लिए सरकार को लिखित में ठोस कारण बताना चाहिए, प्रभावित पक्ष को सुनवाई का मौका देना चाहिए और इस फैसले को कानूनी रूप से चुनौती देने का अधिकार भी होना चाहिए। एक्स ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत सरकार ने इनमें से किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

सेंसरशिप के लिए कानून के दुरुपयोग का आरोप

एक्स ने आरोप लगाया है कि सरकार उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमाने ढंग से सेंसरशिप लागू करने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है। एक्स का मानना है कि यह प्रावधान सरकार को सामग्री को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है और ऑनलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमजोर करता है।

ग्रोक को लेकर गहराया विवाद

यह विवाद तब और गहरा गया, जब केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक्स कॉर्प से उसके एआई चैटबॉट ग्रोक को लेकर स्पष्टीकरण मांगा। ग्रोक, जिसे एक्स की मूल कंपनी xAI ने विकसित किया है, हाल ही में कुछ सवालों के जवाब में अभद्र भाषा और गालियों का इस्तेमाल करता पाया गया। भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए कंपनी से जवाब तलब किया है।

बता दें कि एलन मस्क के एआई चैटबॉट ग्रोक ने हाल ही में उपयोगकर्ताओं की तरफ से उकसाने के बाद हिंदी में अपशब्दों से भरी प्रतिक्रिया दी।

पहेल भी हो चुका है तनाव

इससे पहले भी साल 2022 में सरकार ने धारा 69ए के तहत एक्स को कुछ कंटेंट हटाने का निर्देश दिया था, जिसे लेकर कंपनी और सरकार के बीच तनाव देखा गया था।