कौन है फहीम खान, जिसने रची थी नागपुर हिंसा की साजिश! इस पार्टी से है नाता

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महाराष्ट्र के नागपुर में हुई हिंसा के मामले में मास्टरमाइंड माने जा रहे फहीम शमीम खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वो 21 मार्च तक पुलिस की हिरासत में है। फहीम खान माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) का शहर अध्यक्ष है। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी के सामने नागपुर से लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव भी लड़ चुका है। दोनों ही चुनावों में उसकी जमानत जप्त हुई थी।

महाराष्ट्र के मध्य नागपुर में सोमवार रात को हुई हिंसा में महाल और आसपास के इलाकों में आगजनी और पथराव हुआ था। इस मामले में दर्ज एफआईआर में हिंसा के मास्टरमाइंड का भी जिक्र किया गया है। पुलिस ने 38 वर्षीय फहीम शमीम खान को नागपुर हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए गिरफ्तार कर लिया है।

एफआईआर के अनुसार, माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के शहर अध्यक्ष फहीम खान ने हिंसा वाले दिन लोगों को एकत्रित किया था। बताया जा रहा है कि हिंसा तब भड़की जब सोमवार दोपहर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब की कब्र के खिलाफ महाल इलाके में विरोध प्रदर्शन किया। औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर किए गए इस प्रदर्शन में धार्मिक चिंह जलाये जाने की अफवाह उड़ी।

पहले भीड़ के साथ पुलिस को ज्ञापन सौंपा

बताया जा रहा है कि फहीम खान ने सबसे पहले 17 मार्च की सुबह 11 बजे 30 से 40 लोगों की भीड़ जुटाई और पुलिस को ज्ञापन सौंपने पहुंचा। इस दौरान उसने विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप लगाए, जिसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई का आश्वासन दिया। लेकिन इसके बाद भी फहीम खान ने भीड़ इकट्ठी की और इलाके में तनाव फैलाना शुरू किया।

भीड़ इकट्ठा कर माहौल भड़काया

आरोप है कि अफवाह को लेकर फहीम खान ने भीड़ इकट्ठा कर माहौल को और भड़काया। फहीम खान की अध्यक्षता में पुलिस स्टेशन पर भीड़ इकट्ठा हुई। इस भीड़ ने कुल्हाड़ी, पत्थर, लाठियां और अन्य खतरनाक हथियारों के साथ क्षेत्र में आतंक पैदा करने के इरादे से घातक हथियारों को हवा में लहराया और लोगों में भय पैदा किया और धार्मिक दुश्मनी बढ़ाने के इरादे से सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने का काम किया।

महिला कांस्टेबल के साथ दुर्व्यवहार

भीड़ के सदस्यों ने जान से मारने की नियत से भालदारपुरा चौक इलाके में पुलिस पर घातक हथियार, पत्थर से हमला किया। उन्होंने पुलिसकर्मियों को उनके सरकारी कर्तव्यों से हतोत्साहित करने के लिए पेट्रोल बम तैयार किए और उन पर फेंके। उनमें से कुछ ने अंधेरे का फायदा उठाकर आरसीपी दस्ते की एक महिला कांस्टेबल की वर्दी और शरीर को छुआ। उसने अन्य महिलाओं के साथ भी यौन दुर्व्यवहार किया और उनका यौन उत्पीड़न किया। कुछ महिला कर्मचारियों को देखकर उन्होंने अश्लील इशारे किए और भद्दे कमेंट किए।

आप नेता सत्येंद्र जैन की बढ़ी मुश्किलें, जानें 7 करोड़ का क्या है नया मामला, दर्ज हुई एफआईआर

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आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने दिल्ली सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ रिश्वत लेने के मामले में एफआईआर दर्ज की है। यह मामला 571 करोड़ रुपये की सीसीटीवी परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि उन्होंने प्रोजेक्ट में 16 करोड़ रुपये का जुर्माना माफ करने के लिए 7 करोड़ रुपये की रिश्वत ली।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे सत्येंद्र जैन के खिलाफ एबीसी ने भ्रष्टाचार के एक गंभीर मामले में एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि सत्येंद्र जैन सात करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर मनमाने ढंग से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) पर लगाए गए 16 करोड़ रुपये के लिक्विडेटेड डैमेज (एलडी) को माफ कर दिया। इस जुर्माने को सुलझाने के बदले में 7 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई। बीईएल पर यह जुर्माना दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में 1.4 लाख सीसीटीवी लगाने में देरी पर लगाया गया था।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली सरकार ने 2019 में राजधानी के 70 विधानसभा क्षेत्रों में 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए 571 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और उसके ठेकेदारों को दिया गया था। लेकिन समय पर काम पूरा न होने के कारण दिल्ली सरकार ने बीईएल और उसके ठेकेदारों पर 16 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया था।

लेकिन अब एबीसी को एक शिकायत मिली है कि यह जुर्माना बिना किसी ठोस कारण के माफ कर दिया गया। आरोप यह भी है कि इसके बदले सत्येंद्र जैन को 7 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई। यह रिश्वत उन ठेकेदारों के जरिए दी गई, जिन्हें बीईएल से आगे का काम मिला था। शिकायत के अनुसार, यह रिश्वत भुगतान विभिन्न विक्रेताओं के माध्यम से की गई थी, जो आदेश की कीमतों को बढ़ा कर किया गया था।

दिल्ली की गली में क्रिकेट खेलते दिखे न्यूजीलैंड के पीएम, ईंटों की विकेट वाली तस्वीर आपने देखी?

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न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन भारत दौरे पर हैं। इस बीच उनका एक अलग ही अंदाज देखने को मिल रहा है। पीएम क्रिस्टोफर ने दिल्ली की सड़कों पर बच्चों के साथ गली क्रिकेट खेला। पीएम लक्सन के अलावा उनके साथ आए पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रॉस टेलर ने भी बच्चों के साथ गली क्रिकेट खेला। पीएम क्रिस्टोफर की दिल्ली की सड़कों पर क्रिकेट खेलते तस्वीर लोगों को काफी पसंद आ रही है।

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न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन रविवार को पांच दिवसीय भारत दौरे पर आए हैं। प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के साथ न्यूजीलैंड के पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रॉस टेलर दिल्ली में हैं। क्रिस्टोफर 17 से 19 मार्च तक दिल्ली में आयोजित हो रहे रायसीना डायलॉग में मुख्य अतिथि हैं। इस बीच दिल्ली में पीएम क्रिस्टोफर लक्सन बच्चों के साथ वह क्रिकेट खेलते नजर आए, जो खेल के प्रति उनके लगाव को दर्शाता है। पीएम लक्सन ही नहीं, बल्कि उनके साथ पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रॉस टेलर बच्चों के साथ गली क्रिकेट खेलते नजर आ रहे हैं।

इन खूबसूरत पलों को उन्होंने अपने आधिकारिक पोस्ट एक्स पर साझा भी किया। लक्सन ने एक्स पर क्रिकेट खेलते हुए तत्वीरें पोस्ट कीं और लिखा,क्रिकेट के प्रति हमारे प्रेम से ज्यादा न्यूजीलैंड और भारत को कोई चीज नहीं जोड़ती। पीएम लक्सन भारत में 16 से 20 मार्च तक रहने वाले हैं।

सोमवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लक्सन ने बड़े ही मजाकिया अंदाज में दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैच को बारे में भी कहा और उसे स्वीकारा। आईसीसी मेंस चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को हराया था। उसी मैच का जिक्र करते हुए पीएम लक्सन ने कहा, मैं वास्तव में सराहना करता हूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की जीत और न्यूजीलैंड की हार का मुद्दा नहीं उठाया और मैं भारत में हमारी टेस्ट मैच की जीत का मुद्दा नहीं उठाया। आइए इसे ऐसे ही रहने देते हैं और डिप्लोमेटिक इंसिडेंट से बचते हैं। पीएम लक्सन के ऐसा कहने के बाद दर्शक हंसने लगे।

न्यूजीलैंड के पीएम लक्सन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात की थी। राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री लक्सन और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। जो लोकतंत्र, कानून के शासन और लोगों के बीच मज़बूत संबंधों में निहित साझा मूल्यों पर आधारित हैं। राष्ट्रपति ने पिछले साल अगस्त में न्यूजीलैंड की अपनी राजकीय यात्रा की यादें साझा कीं। उन्होंने कहा कि न्यूज़ीलैंड की प्राकृतिक सुंदरता और उसके लोगों की सांस्कृतिक विविधता ने उनके मन पर अमिट छाप छोड़ी है।

नेपाल के विदेश मंत्री देउबा ने एस जयशंकर से की मुलाकात, नेपाल में राजशाही को लेकर पूछ लिया सवाल

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रायसीना डायलॉग में शामिल होने दिल्ली पहुंची नेपाल की विदेश मंत्री डॉ आरजू राणा ने मंगलवार शाम को भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर से मुलाकात की। उन्होंने कई मुद्दों पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की है। इस दौरान नेपाल में राजशाही के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों पर भी चर्चा हुई है। इस दौरान नेपाल की विदेश मंत्री डॉ राणा ने अपने भारतीय समकक्षी से हुई मुलाकात को लेकर बताया है कि यह बैठक नेपाल और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री के साथ हुए मुलाकात को अत्यधिक उपयोगी बताते हुए भारत की नेपाल नीति के प्रति आभार व्यक्त किया।

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नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा ने रायसीना डायलॉग से इतर द्विपक्षीय बैठक की। एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में देउबा ने कहा, हमारा मुख्य ध्यान जलविद्युत और व्यापार के संयुक्त विकास पर है। इसलिए ये वे मुद्दे थे जिन पर हमने आज मुख्य रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत और नेपाल अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं। हम अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं जो कुछ समय से रुकी हुई थीं। देउबा ने कहा कि बैठकें बाढ़, व्यापार, सुरक्षा और जल संसाधनों के बंटवारे जैसे मुद्दों पर हुईं।

आरजू राणा ने जयशंकर से नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को लेकर भी सवाल किया। नेपाली विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने नई दिल्ली में 10वें रायसीना डायलॉग के दौरान एस जयशंकर से मुलाकात की तो उनको बताया कि काठमांडू और भारत में कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को भारत का समर्थन है।

जयशंकर ने साफ किया भारत ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं है। देउबा के अनुसार, जयशंकर ने इन दावों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हमारी बिल्कुल कोई भूमिका नहीं है। भारत ने साफतौर पर नेपाल में राजशाही समर्थक गतिविधियों से खुद को अलग किया है। दरअसल, काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ भारतीय विशेषज्ञ नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र के समर्थन में हो रहे आंदोलन के पक्ष में बात कर रहे हैं।

आप सांसद हरभजन सिंह ने अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरा, पंजाब में बुलडोजर एक्शन पर उठाया सवाल

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पंजाब में भगवंत मान सरकार का ड्रग्स माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ एक्शन जारी है। पुलिस अपराधियों को सबक सिखाने के लिए बुलडोजर चला रही है। इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने अपनी ही पार्टी की सरकार के एक्शन पर सवाल उठाया है। हरभजन सिंह ने पंजाब सरकार की मुहिम को लेकर पार्टी विचारधारा से अलग बयान दिया है। हरभजन सिंह ने कहा कि कोई नशा बेचता है तो उसका घर गिरा दिया, मैं इस बात के हक में नहीं हूं।

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हरभजन किसी का घर तोड़ने के पक्ष में नहीं

हरभजन सिंह ने कहा कि नशे के खात्मे के लिए नशा तस्करों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जो लोग नशे की तस्करी कर रहे हैं, उन्हें पकड़कर सजा दी जानी चाहिए। जो नशा बेच रहे हैं, उन पर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें यह सीखना चाहिए कि नशा लोगों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने कहा कि हालांकि, वह किसी का घर तोड़ने के पक्ष में नहीं हैं।

सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे पर दिया सुझाव

हरभजन सिंह ने साफ तौर से कहा कि अगर किसी व्यक्ति का घर पहले से बना हुआ है और वह किसी छत के नीचे रह रहा है, तो सबसे पहले यह देखा जाना चाहिए कि वह घर किस तरीके से बना है। अगर घर अवैध तरीके से बना है, तो उस पर कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन घरों को नष्ट करना सही तरीका नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर किसी ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है, तो सरकार को अपनी जमीन जरूर वापस लेनी चाहिए। हालांकि, यदि किसी ने घर बना लिया है, तो सरकार को उसे कहीं और स्थानांतरित करने का उचित इंतजाम करना चाहिए।

नशे के खिलाफ काम करने की अपील

पंजाब सरकार नशे के खिलाफ ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ मुहिम चला रही है। हरभजन सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा नशे के खिलाफ मुहीम चलाई जा रही है। नशा एक बहुत ही खतरनाक चीज है। यह लोगों को समझना चाहिए कि नशे से उनकी जिंदगी के साथ-साथ उनका शरीर भी खराब हो रहा है। नशा पूरे के पूरे परिवार को ही खत्म कर देता है। हम सभी पंजाबियों की जिम्मेदारी है कि एक मूव को शुरू किया जाए और हर एक पंजाबी को नशे के खिलाफ काम करना चाहिए।

पाकिस्तान का नाम लिए बिना एस जयशंकर ने साधा निशाना, पश्चिमी देशों को भी सुना डाला

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भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर अपने लाजवाब करने वाले बयानों के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए ऐसी बात कह दी कि पड़ोसी देश तिलमिला जाए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा। जयशंकर ने कहा कि एक अंतर्राष्ट्रीय ऑर्डर न होने की वजह से न सिर्फ बड़े देशों को फायदा मिलता है, बल्कि दूसरे अतिवादी रुख अपनाने वाले देश इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं।

जयशंकर ने कहा हम सभी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बात करते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी अन्य देश द्वारा किसी क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जे का उदाहरण भारत के कश्मीर से जुड़ा है। हमने संयुक्त राष्ट्र का रुख किया पर आक्रमण को विवाद बना दिया गया। हमलावर और पीड़ित को बराबर रखा गया।

अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता जयशंकर ने स्पष्ट किया कि एक प्रभावी वैश्विक व्यवस्था दुनिया के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी किसी देश के लिए घरेलू शासन व्यवस्था। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यवस्था नहीं होगी, तो सिर्फ बड़े देशों को ही लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि वे देश भी जिनका चरमपंथी रुख है, अव्यवस्था को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे।’ उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि जोखिम भरा देश होने के लिए बड़ा होना जरूरी नहीं, कुछ छोटे देश भी इसी रास्ते पर चल रहे हैं।

कश्मीर पर अवैध कब्जे का जिक्र

विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की आक्रामकता का उदाहरण देते हुए कहा कि कश्मीर में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जा रहा। उन्होंने बताया कि जब भारत ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया, तो हमलावर और पीड़ित दोनों को समान रूप से दिखाया गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में विसंगतियां उत्पन्न हुईं।

पश्चिमी देशों पर निशाना

जयशंकर ने पाकिस्तान के संदर्भ में पश्चिमी देशों, जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया, पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, पश्चिमी देश अन्य देशों के लोकतंत्र को लेकर चिंता जताते हैं, लेकिन जब हम उनके देशों में लोकतंत्र की स्थिति पर सवाल उठाते हैं, तो वह इसे गलत हस्तक्षेप मानते हैं। विदेश मंत्री ने वैश्विक व्यवस्था के हिसाब-किताब की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि दुनिया में न्यायपूर्ण और सशक्त व्यवस्था स्थापित की जा सके।

न्यायसंगत और निष्पक्ष संस्था पर दिया जोर

जयशंकर ने कहा कि अगर दुनिया में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था नहीं होगी तो कई तरह के खतरे पैदा हो जाएंगे। पुरानी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था अपने वक्त का प्रोडक्ट थी। उस व्यवस्था में नियम बनाने वाले और नियम का पालन करने वालों के अपने अलग नजरिए थे। जयशंकर ने कहा कि दुनिया के काम का हिसाब किताब रखने के लिए एक मजबूत यूएन की जरूरत है, लेकिन ये एक न्यायसंगत संस्था होनी चाहिए, निष्पक्ष होनी चाहिए। एक मजबूत ग्लोबल ऑर्डर में मानकों को लेकर एक निरंतरता कायम रहनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि पड़ोसी देश म्यांमार में मिलिट्री तख्तापलट होता हैं, तो वो किसी को मंजूर नहीं, लेकिन पश्चिम में नियमित तौर पर ऐसे तख्तापलट दिखते हैं, तब सवाल नहीं उठता। उन्होंने तालिबान का भी ज़िक्र किया और कहा कि जब आपको सही लगता है तो तालिबान सही हो जाता है और जब आपको ग़लत लगता है तो तालिबान ग़लत हो जाता है।

अपने बयानों पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा…”रूस-यूक्रेन जंग पर 3 साल बाद शशि थरूर को हुआ गलती का एहसास

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर बीते कुछ समय से बदले-बदले नजर आ रहे हैं। बीते कुछ महीनों में शशि थरूर ने ऐसे कई बयान दिए हैं जो पार्टी लाइन से हटकर हैं। एक बार फिर शशि थरूर ने अपने बयान से चौंकाया है। दरअसल, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था, वह सही नहीं था। अब उन्हें उस बयान पर अफसोस हो रहा है।

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पीएम मोदी को लेकर क्या बोले थरूर?

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत आज ऐसी स्थिति में है जो रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित कर सकता है। भारत के पास ऐसा प्रधानमंत्री है, जो वोलोदिमिर जेलेंस्की और व्लादिमीर पुतिन दोनों को गले लगा सकता है। हम दोनों जगहों (रूस और यूक्रेन) पर स्वीकार किए जाते हैं। थरूर ने कहा- आज की स्थिति को देखते हुए वे तीन साल पहले अपने दिए बयानों पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूं। 2022 में संसदीय बहस में मैं इकलौता सांसद था, जिसने यूक्रेन को लेकर भारत के रुख की आलोचना की थी।

शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है-थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को रायसीना डायलॉग 2025 में स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था वो सही नहीं था। रायसीना डायलॉग 2025 में शशि थरूर से पूछा गया कि क्या रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति को देखते हुए उन्हें खुशी है कि भारत ने जो रुख अपनाया, वह सही था? इस पर शशि थरूर ने माना कि तीन साल बाद उन्हें अपनी उस स्थिति पर अफसोस है। उन्हें शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है।

शांति स्थापित करने में निभा सकते हैं भूमिका

थरूर ने आगे कहा,भारत दुनिया में अपनी खास स्थिति को देखते हुए शांति स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। अगर रूस और यूक्रेन के बीच कोई समझौता होता है, तो भारत शांति सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हो सकता है। खासकर तब, जब रूस ने नाटो देशों के यूरोपीय शांति सैनिकों को अस्वीकार कर दिया है।

रूस और यूक्रेन के बीच 2022 में युद्ध शुरू हुआ था। जंग अब भी जारी है। जब पूरी दुनिया में रूस-यूक्रेन जंग से खलबली मची तब कांग्रेस नेता शशि थरूर उस समय भारत के रुख के सबसे मुखर विरोधियों में से एक थे। तब उन्होंने भारत के स्टैंड को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी। शशि थरूर ने सरकार पर मौन रहने का आरोप लगाते हुए कहा था कि रूस हमारा दोस्त है और उसकी कुछ वैध सुरक्षा चिंताएं हो सकती हैं लेकिन भारत का अचानक इस मुद्दे पर चुप हो जाना यूक्रेन और उसके समर्थकों को निराश करेगा।

पाकिस्तान को हथियार, टेक्नोलॉजी ना दें” नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्री से बोले राजनाथ

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भारत ने पाकिस्तान के झूठ के खिलाफ अब आक्रामक रूख अख्तियार कर लिया है। अब तक कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की ओर से लगाए जा रहे झूठे आरोपों को भारत खारिज ही किया जाता रहा है, लेकिन अब एक कदम आगे बढ़ाया है। भारत ने अब वैश्विक मंच पर उसे बेनकाब करने के लिए कूटनीतिक मोर्चे पर नया कदम बढ़ाया है। दरअसल, राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड के रक्षा मंत्री से बात करते हुए पाकिस्तान को आतंक का प्रायोजक करार दिया। साथ ही पाकिस्तान को कोई भी सैन्य सहायता या तकनीक ना देने की अपील की है। राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड्स से कहा कि वे पाकिस्तान को सैन्य उपकरण और तकनीक ना दें क्योंकि ये रीजनल सिक्योरिटी के लिए खतरा है।

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नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्री रुबेन बर्कलमैन्स भारत दौरे पर आए हैं। मंगलवार उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की।इस दौरान दोनों नेताओं ने आने वाले दिनों में भारत और नीदरलैंड के बीच द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की।सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को सपोर्ट कर रहा है और आतंकवाद का प्रायोजक है। इसलिए हम अपने सभी मित्र देशों से उम्मीद करते हैं कि वे पाकिस्तान को सैन्य उपकरण ना दें। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को हथियार देने से क्षेत्र (रीजन)में अस्थिरता बढ़ती है।

राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्री से कहा कि पिछले कुछ वक्त में हमारी नजर में इस तरह के कुछ केस आए भी हैं। सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने उन्हें कुछ केस की डिटेल भी दी। राजनाथ सिंह ने इसका भी जिक्र किया कि भारत दशकों से पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने कहा कि हम अपने मित्र देशों से उम्मीद करते हैं कि वे रीजन की सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हु़ए पाकिस्तान को तकनीकी में मदद से परहेज करें।

वहीं, दोनों नेताओं ने आज मंगलवार को नई दिल्ली में इंडो-पैसिफिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती तकनीकों समेत कई विषयों पर चर्चा की। मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट किया। राजनाथ सिंह ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “नई दिल्ली में नीदरलैंड के युवा और गतिशील रक्षा मंत्री रूबेन बर्केलमैन्स से मिलकर खुशी हुई। हमने भारत-नीदरलैंड रक्षा सहयोग की पूरी श्रृंखला का रिव्यू किया। हम अपनी रक्षा साझेदारी को और गहरा और उन्नत करने के लिए तत्पर हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हमारी चर्चा के क्षेत्रों में रक्षा, साइबर सुरक्षा, इंडो-पैसिफिक और एआई जैसी उभरती टेक्नोलॉजी शामिल थीं।”

इससे पहले राजनाथ सिंह ने अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, मुलाकात के दौरान राजनाथ सिंह ने खालिस्तानी अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) की अमेरिकी धरती पर गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया और उनसे इसे आतंकवादी संगठन घोषित करने का अनुरोध किया। सूत्रों ने यह भी बताया कि रायसीना हिल्स स्थित अपने ऑफिस में 30 मिनट से अधिक समय तक की बैठक में राजनाथ सिंह ने तुलसी गबार्ड को एसएफजे के पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के साथ कथित संबंधों और तालमेल के बारे में भी अवगत कराया। रक्षा मंत्री इसके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की बात भी कही।

सुनीता विलियम्स की घर वापसी, जानें साथी बुच विल्मोर के साथ कैसा रहा अंतरिक्ष से पृथ्वी तक का सफर

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अंतरिक्ष में फंसे नासा के दो अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर ‘स्पेसएक्स’ का यान बुधवार तड़के (भारतीय समय) धरती पर पहुंचा। सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की नौ महीने बाद धरती पर वापसी हुई है। उनका स्पेसएक्स कैप्सूल फ्लोरिडा की खाड़ी में पैराशूट के जरिए सुरक्षित उतरा। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में सुनीत विलियम्स और अन्य अंतरिक्ष यात्री 9 महीने तक फंसे थे। कई बार उन्हें धरती पर लाने की कोशिश हुई। मगर अब जाकर सफलता मिली है। नासा ने सुबह-सुबह यह बड़ी खुशखबरी दी है।

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नासा क्रू-9 अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, निक हेग, बुच विल्मोर और रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोरबुनोव ने स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के सफल स्पलैशडाउन के बाद आज सुबह नौ महीने से अधिक समय में पहली बार धरती की हवा में सांस ली। अंतरिक्ष यात्रियों को स्ट्रेचर पर कैप्सूल से उतरा गया। स्पेसएक्स कैप्सूल फ्लोरिडा के पनहैंडल में स्प्लैशडाउन हुआ। स्प्लैशडाउन के लगभग एक घंटे के बाद अंतरिक्ष यात्री अपने कैप्सूल से बाहर आए, कैमरों की ओर हाथ हिलाते हुए मुस्कुरा रहे थे। उन्हें चिकित्सा परीक्षण के लिए स्ट्रेचर पर ले जाया गया, जो लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशन के बाद एक सामान्य प्रक्रिया है।

सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 9 महीने पहले अंतरिक्ष गए थे। बोइंग की एक टेस्ट फ्लाइट में खराबी की वजह से ये एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में फंस गए। 5 जून को बोइंग के नए स्टारलाइनर क्रू कैप्सूल से लॉन्च करने के बाद दोनों के एक या दो हफ्ते में वापस आने की उम्मीद थी। लेकिन अंतरिक्ष स्टेशन के रास्ते में इतनी सारी दिक्कतें आईं कि आखिरकार नासा को स्टारलाइनर को खाली वापस भेजना पड़ा और टेस्ट पायलटों को स्पेसएक्स में ट्रांसफर करना पड़ा। इसके बाद स्पेसएक्स कैप्सूल की दिक्कतों के कारण एक महीने की और देरी हुई।

जिस मिशन पर सुनीता और बैरी हैं वो नासा के व्यावसायिक क्रू कार्यक्रम का हिस्सा है। दरअसल, नासा का लक्ष्य है कि वह अमेरिका के निजी उद्योग के साथ साझेदारी में अमेरिका से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक सुरक्षित, विश्वसनीय और कम लागत के मानव मिशन भेजे। इसी उद्देश्य से यह टेस्ट मिशन लॉन्च किया गया था।

आधार कार्ड से लिंक होगा मतदाता पहचान पत्र, चुनाव आयोग-गृह मंत्रालय की बैठक में फैसला

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केंद्र सरकार वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की तैयारी कर रही है। इसे लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें दोनों को लिंक करने पर सहमति बनी।चुनाव आयोग ने मंगलवार को कहा कि मतदाता पहचान-पत्रों को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। इसके साथ ही इसके लिए यूआईडीएआई और उसके विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू होगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने निर्वाचन सदन नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव और यूआईडीएआई के सीईओ तथा चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326 के प्रावधानों के अनुसार ही किया जाएगा। कहा गया कि इस संबंध में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ जल्द ही आगे की चर्चा करेंगे। 

क्या कहता है अनुच्छेद 326

भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिक को दिया जा सकता है, आधार कार्ड केवल एक व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया कि ईपीआईसी को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के प्रावधानों के अनुसार और डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 177/2023 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप ही किया जाएगा। अब यूआईडीएआई और ईसीआई के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू किया जाएगा।

संविधान में हैं वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का प्रावधान

संविधान में भी वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का प्रावधान है।बताया जाता है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23, जिसे चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 कहा जाता के मुताबिक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी मौजूदा या भावी मतदाताओं से स्वैच्छिक आधार पर पहचान स्थापित करने के लिए आधार संख्या प्रदान करने की मांग कर सकते हैं। यह कानून मतदाता सूची को आधार डाटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति देता है।

चुनाव आयोग ने अप्रैल 2025 से पहले सुझाव मांगे

भारतीय निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, वोटर-आधार को लिंक करने का मकसद आगामी चुनावों से पहले चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, समावेशिता और एफिशिएंसी को बढ़ाना है। चुनाव आयोग 31 मार्च से पहले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, जिला चुनाव अधिकारियों और मुख्य चुनाव अधिकारियों के लेवल पर मीटिंग करेगा।

इसके लिए पिछले 10 साल में पहली बार चुनाव आयोग ने कानूनी ढांचे के भीतर सभी राष्ट्रीय और राज्य-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल 2025 तक आधिकारिक तौर पर सुझाव मांगे हैं।

पहले भी हो चुकी है ऐसी कोशिश

इससे पहले 2015 में भी ऐसी ही कोशिश हो चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे रोक दिया गया था। 2015 में चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से अगस्त 2015 तक राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम चलाया था। उस समय चुनाव आयोग ने 30 करोड़ से ज्यादा वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रोसेस पूरा कर लिया था। ये प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रुकी।

दरअसल, वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख लोगों के नाम वोटर डेटाबेस से हट गए थे। इसी को लेकर आधार की संवैधानिकता को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को वोटर आईडी और आधार को लिंक करने से रोक दिया था।