क्या बांग्लादेशी सेना में तख्तापलट की साजिश को भारत ने किया नाकाम? इसके पीछे था पाकिस्तान
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पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासती उथल-पुथल जारी है। बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बाद अब वर्तमान सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के तख्तापलट की साजिश के दावे किए जा रहे है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक बांग्लादेशी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान सेना की बागडोर संभालने की तैयारियों में जुटे हैं। इस साजिश में कई कट्टरपंथी अफसर भी शामिल हैं। अब खुफिया रिपोर्टों से पता चला है कि भारत की मदद से बांग्लादेश की सेना के अंदर तख्तापलट की साजिश नाकाम हो गई है। हालांकि बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज्जमान के ऊपर से अभी खतरा टला नहीं है।
स्वराज्य मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली ने ना सिर्फ सेना प्रमुख की कुर्सी को बचाने में मदद की, बल्कि भारत ने चरमपंथियों की सरकार चलाने में मोहम्मद यूनुस को बहुत बड़ा झटका भी दिया है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख के खिलाफ नाकाम तख्तापलट की कोशिश को लेकर अब रिपोर्ट्स से सामने आने लगे हैं। खुफिया जानकारियों से पता चलता है कि सैना प्रमुख की तख्तापलट की साजिश पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने तैयार की थी। आईएसआई, जनरल वकार-उज्जमान से इसलिए नाराज थी, क्योंकि आर्मी चीफ बांग्लादेश को पाकिस्तान के साथ बने रहे करीबी संबंध के बीच अवरोध बन रहे थे।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश आर्मी में पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी परस्त लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने अन्य जनरलों के समर्थन से बांग्लादेश आर्मी के मौजूदा चीफ जनरल वकार-उज-जमां को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने से यह नाकाम रहा। फैजुर रहमान ने पिछले हफ्ते ढाका में पाकिस्तान की सीक्रेट एजेंसी आईएसआई के प्रमुख और उसके प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी। इसके साथ ही वो बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी डीजीएफआई से समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकते हैं।
यह साजिश पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा रची गई थी। आईएसआई जनरल वाकर से नाराज थी क्योंकि उन्होंने भारत-बांग्लादेश के बीच मबूत सैन्य संबंधों के खिलाफ आवाज उठाई थी। दिलचस्प बात यह है कि बांग्लादेश के मौजूदा इस्लामवादी शासक भी आईएसआई की इस योजना का समर्थन कर रहे थे।
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साज़िश में बांग्लादेश आर्मी के कई अधिकारी कथित रूप से शामिल थे। जनरल ऑफिसर्स कमांडिंग (जीओसी) के 10 अधिकारियों का नाम इसमें आया है। इसमें मेजर जनरल मीर मुशफिक़ुर रहमान भी हैं, जो जीओसी के 24 इन्फैन्ट्री डिवीजन में हैं और वह चटगाँव के एरिया कमांडर हैं। रहमान लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का प्रमोशन चाहते हैं। इसके अलावा मेजर जनरल अबुल हसनत मोहम्मद तारिक़ भी हैं, जो जीओसी 33 इन्फैन्ट्री में हैं। ये सभी जनरल रहमान का समर्थन कर रहे हैं।
इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, बांग्लादेश के मौजूदा आर्मी प्रमुख जनरल वक़ार वैचारिक रूप से मध्यमार्गी माने जाते हैं। इन्हें भारत की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है और बांग्लादेश में इस्लामिक दबदबे वाली सरकार के विरोधी रहे हैं।
बांग्लादेश की आर्मी ने रिपोर्ट को ख़ारिज किया
वहीं, बांग्लादेश आर्मी ने इस रिपोर्ट को खारिज कर चुकी है। बांग्लादेश आर्मी ने कहा है कि यह पूरी तरह से बेबुनियाद है। मंगलवार रात बांग्लादेश की इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन डायरेक्टोरेट यानी आईएसपीआर ने इस रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए विरोध दर्ज कराया है। आईएसपीआर ने अपने बयान में कहा है, बांग्लादेश आर्मी ने भारत के कुछ मीडिया आउटलेट्स में बेबुनियाद रिपोर्ट देखी हैं। इस रिपोर्ट में आर्मी के भीतर ही संभावित तख़्तापलट का दावा किया गया है।
वकार को माना जाता है हसीना और भारत का समर्थक
वकार-उज-जमान को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारत का समर्थक माना जाता है। उन्होंने 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना को बांग्लादेश से निकलने में मदद की थी। हाल ही में जनरल वक़ार ने संकेत दिया था कि बांग्लादेश में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में सेना बड़ी भूमिका निभा सकती है। जबकि इसके उलट मोहम्मद फैजुर रहमान अपनी कट्टरपंथी सोच और पाकिस्तान समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं।
3 hours ago