हरियाणा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ, और मजबूत हुआ भाजपा का गढ़, क्यों छूट रहा “हाथ” का साथ
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हरियाणा के निकाय चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है। 10 नगर निगमों में से कांग्रेस एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई। बीजेपी ने 10 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की है। एक सीट पर निर्दलीय ने कब्जा जमाया है. कांग्रेस खाता खोलने में भी नाकामयाब रही।
हरियान में मिली इस बड़ी शिकस्त के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी पहले भी जीत चुकी है। इसमें नया क्या है? हमने कभी नहीं कहा कि हमने ये चुनाव गंभीरता से लड़ा। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब भी मैंने कभी पंचायत चुनावों में हिस्सा नहीं लिया। इन चुनावों में सिर्फ भाईचारा काम करता है। अगर हमारे पास (स्थानीय निकायों में) एक सीट होती और हम हार जाते तो नतीजा हमारे लिए नुकसानदेह होता। इन चुनावों में ज्यादातर निर्दलीय उम्मीदवार खड़े होते हैं।साथ ही हुड्डा ने कहा कि इन चुनाव नतीजों से कांग्रेस विधायक दल नेता के चुनाव पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कांग्रेस को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में भी हार मिली है।
सूबे के विधानसभा चुनाव में करारी मात खाने के साढ़े पांच महीने बाद निकाय चुनाव में भी कांग्रेस जीरो पर सिमट गई है जबकि बीजेपी ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने में सफल रही। सीएम नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में शहरी निकाय चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को शिकस्त देकर नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिका में ‘कमल’ खिलाने में कामयाब रही। वहीं, कांग्रेस के हाथ खाली रहे।
हरियाणा निकाय चुनाव में शहरी मतदाताओं ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भाजपा उनकी सबसे पसंदीदा पार्टी है। इस चुनाव में कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले रोहतक और सोनीपत नगर निगम के मेयर पद पर भी हुड्डा गुट जीत हासिल नहीं कर सका। बिना संगठन के चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस का निगम चुनाव में इस बार सूपड़ा ही साफ हो गया। लचर प्रबंधन के साथ मैदान में उतरी कांग्रेस कहीं भी एकजुट नजर नहीं आई। कांग्रेस का प्रचार भी बेहद कमजोर रहा।
कांग्रेस की हार के ये हैं बड़े कारणः-
• इस हार की सबसे बड़ी वजह राज्य में कांग्रेस का संगठन न होना माना जा रहा है। हाईकमान भी अभी तक संगठन बनाने में कामयाब नहीं हो पाया है।
• हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी पूरी तरह से हावी है। एक ही पार्टी के नेता एक-दूसरे के उम्मीदवारों को हराने में जुटे थे। इस निकाय चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला।
• पिछले एक साल से हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व इसी में उलझा हुआ है।
• हरियाणा निकाय चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार तो किया, लेकिन चुनाव प्रचार में वो धार नहीं दिखी, जो कांग्रेस को अपने कार्यकताओं का उत्साह बढ़ाने में दिखाना चाहिए था।
• हरियाणा निकाय चुनाव में टिकटों के गलत वितरण का भी आरोप लगा है, जिससे कांग्रेसियों में नाराजगी नजर आई और हार का कारण भी बना।









Mar 13 2025, 13:46
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