शौचालय पर सियासत : मंत्री केदार कश्यप बोले – योजना बंद हुई तो कांग्रेसी लोटा लेकर जाएंगे, नेता प्रतिपक्ष महंत का पलटवार, कहा –

रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में अनुदान मांगों की चर्चा के बीच संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि शौचालय योजना यदि बंद हो जाए तो कांग्रेसी लोटा लेकर जाएंगे. मंत्री की इस टिप्पणी पर नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने जवाबी पलटवार करते हुए कहा, पहले तो लोटा में ही काम चल जाता था, लेकिन आज शौचालय तो बन गया, लेकिन बाल्टी में पानी तक नहीं है. सरकार को शौचालय बनाने के पहले पानी की व्यवस्था गांव-गांव में करनी चाहिए.

दरअसल केदार कश्यप बजट अनुदान मांग पर चर्चा के दौरान सरकार की उपलब्धियां गिनाने के साथ-साथ पूर्व सरकार की खामियां भी गिना रहे थे. केदार कश्यप ने कहा कि साय सरकार में ज्ञान के सहारे विकास को गति देने का काम किया है, लेकिन पूर्व की सरकार ने विकास को दुर्गति में बदल दिया था. और तो और रमन सरकार की कई योजनाओं को बंद कर दिया था. इस पर नेता-प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि हमारी सरकार के समय हमने किसी भी योजना को बंद नहीं किया था, लेकिन मौजूदा सरकार ने जरूरी पूर्व की कई जनहितैषी योजनाओं को बंद कर दिया. जहां तक बात लोटा लेकर जाने की बात है तो पहले एक लोटा में ही काम चल जाता था, लेकिन आज छत्तीसगढ़ की स्थिति ये है कि शौचालय तो बना है, लेकिन पानी नहीं है. बाल्टी तक में पानी नहीं है. सरकार को पहले पानी की व्यवस्था गांव-गांव में करनी चाहिए.

एक पेड़ मां के नाम…1900 रुपये दाम

नेता-प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने आरोप लगाया है कि वृक्षारोपण का जो महाअभियान है कहीं वो भ्रष्टाचार का अभियान न बन जाए. इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए. डॉ. महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में एक साल में करीब 7 से 8 करोड़ की राशि एक पेड़ मां के नाम पर खर्च किया गया. हैरानी इस बात की है कि प्रदेश में एक पेड़ की कीमत 1900 रुपये तक है. उन्होंने कहा कि इस अभियान के लिए 250 से लेकर 1900 रुपये तक में पेड़ खरीदे गए. और तो और डब्लूबीएम सड़क पर भी पेड़ लगा दिए गए.

डॉ. महंत के आरोपों को वन मंत्री केदार कश्यप ने नकार दिया. वन मंत्री ने कहा कि ऐसी कहीं कोई बात नहीं है. वन विभाग ने कहीं 1900 रुपये में पेड़ नहीं खरीदे हैं. सच्चाई यह है कि छत्तीसगढ़ में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत करीब 4 करोड़ पौधों को रोपण किया गया है. राज्य को हरा-भरा बनाना हमारी प्राथमिकता है. छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र का दायरा बढ़ भी रहा है.

PHE के सब इंजीनियर भर्ती में पात्रता का विवाद, अब डिप्लोमाधारियों ने किया ये विरोध…

रायपुर- PHE विभाग में निकाले गए के 118 सब इंजीनियर पद के पात्रता को लेकर अब डिप्लोमाधारी इंजीनियर्स और BE/BTech इंजीनियर्स अपने जॉब की संभावना को सुरक्षित करने की कोशिश में लगे हैं. इस बार पीएचई विभाग में सब इंजीनियर पदों के लिए केवल डिप्लोमाधारी इंजीनियर्स को ही पात्रता दी गई है. इसे लेकर पहले BE/Betch इंजीनियर्स ने विरोध जताया और बीते सालों की तरह ही नियमानुसार भर्ती करने की मांग की. लेकिन डिप्लोमाधारी इंजीनियर्स अब अपनी नौकरी की बढ़ी संभावना के बटने के डर से BE/BTech इंजीनियर्स के मांग के विरोध पर उतर आए हैं.

2016 में सेवा भर्ती नियम हुआ संशोधित

बता दें, साल 2016 में कार्मिक और गैर कार्मिक विभागों में सेवा भर्ती नियम में संशोधन कर BE/BTech और डिप्लोमाधारी इंजीनियर, दोनों को ही पात्रता दी गई थी. जबकि इससे पहले केवल डिप्लोमाधारियों इंजीनियर्स ही इन पदों पर पात्र हुआ करते थे. 2016 से 2024 तक संशोधित नियमानुसार भर्ती की जा रही थी. लेकिन इस साल PHE विभाग में सब इंजीनियर के 118 पदों की भर्ती के लिए प्रकाशित राजपत्र में केवल डिप्लोमाधारी इंजीनियर्स को ही पात्रता दी गई है. इसे लेकर हाल ही में BE/BTech इंजीनियर्स ने विरोध किया था और उन्हें भी पात्रता में शामिल किए जाने की मांग की थी. लेकिन डिप्लोमाधारी इंजीनियर्स उनकी इस मांग के विरोध में आज डिप्टी सीएम शर्मा के पास जा पहुंचे.

प्रदेशभर से सैंकड़ो डिप्लोमाधारी इंजीनियर्स ने डिप्टी सीएम को सौंपा ज्ञापन

प्रदेश भर से सैकड़ों डिप्लोमाधारी अभ्यर्थी आज अपनी मांगों को लेकर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के निवास पहुंचे, जहां उन्होंने इस वर्ष राजपत्र में प्रकाशित योग्यता के आधार पर ही भर्ती करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा. उन्होंने अपने ज्ञापन में ये तर्क दिया है कि पॉलिटेक्निक का सिलेबस जूनियर इंजीनियर की तकनीकी आवश्यकताओं को देखते हुए बनाई गई है जबकि इंजीनियर या BTech की पढ़ाई में ये शामिल नहीं होता.

2016 से बेरोजगारी का कर रहे सामना: डिप्लोमाधारी इंजीनियर्स

डिप्लोमाधारी इंजीनियर्स ने कहा कि डिप्लोमाधारी जूनियर इंजीनियर के अलावा किसी अन्य पद पर नियुक्त नहीं किए जा सकते. साल 2016 में नियमों में हुए बदलाव के बाद से कार्मिक और गैर कार्मिक विभागों के 90% पदों पर उपाधि प्राप्त अभ्यर्थी ही नियुक्त हुए है जिसके चलते उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है. 

क्या है डिप्लोमाधारी इंजीनियर्स की मांगें

अभ्यर्थियों की ये मांग है कि कार्मिक और गैर कार्मिक विभागों में उप अभियंता के पद पर भर्ती नियम में संशोधन कर तीन साल का डिप्लोमा अनिवार्य किया जाए ताकि उप अभियंता के पद पर डिप्लोमा धारी इंजीनियर्स को ही नियुक्ति मिले. 

बता दें कि बीते दिनों राजपत्र में प्रकाशित की गई भर्ती योग्यता का BE और Btech के अभ्यर्थियों ने विरोध किया था. वे विधायक राजेश मूणत और वित्त मंत्री ओपी चौधरी के बंगले पहुँचे थे. उन्होंने विभाग द्वारा किए गए बदलाव से एक लाख युवा इंजीनियर्स के भविष्य को अंधकार में धकेलने का आरोप लगाया था. वही अब डिप्लोमाधारी इंजीनियर्स इन पदो पर सिर्फ़ उनकी नियुक्ति की मांग कर रहे है.

1.20 करोड़ से अधिक महिलाओं का बन चुका आयुष्मान कार्ड, साय सरकार के गठन के बाद बने 15 लाख से ज्यादा कार्ड

रायपुर-   छत्तीसगढ़ में 13 दिसंबर 2023 को विष्णु देव साय सरकार के शपथ ग्रहण से लेकर अब तक 15 लाख 31 हजार 857 महिलाओं के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। यदि आँकड़ों को देखें, तो राज्य में हर महीने औसतन 1 लाख से अधिक महिलाओं के आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं। यह निरंतर जारी प्रयास राज्य की महिलाओं को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें चिकित्सा सेवाओं से जोड़ने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

आयुष्मान कार्ड पंजीयन पूर्णतः निःशुल्क

योजना के तहत आयुष्मान कार्ड पंजीकरण पूर्णतः निःशुल्क है। प्रदेशभर में सभी च्वाइस सेंटर, शासकीय अस्पतालों और निजी अनुबंधित अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड बनवाने की सुविधा उपलब्ध है। शासकीय कार्य दिवसों में लोग इन केंद्रों पर जाकर निःशुल्क पंजीयन करवा सकते हैं।

स्वयं करें आयुष्मान कार्ड पंजीयन – डिजिटल माध्यम से भी सुविधा उपलब्ध

यदि कोई व्यक्ति स्वयं आयुष्मान कार्ड बनवाना चाहता है, तो यह भी ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से संभव है। गूगल प्ले स्टोर पर "आयुष्मान भारत" एप डाउनलोड करके स्वयं कार्ड पंजीकरण किया जा सकता है।यह सुविधा उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जो डिजिटल सेवाओं का उपयोग कर आसानी से घर बैठे पंजीयन कराना चाहते हैं।इस डिजिटल सुविधा का लाभ उठाते हुए पहले ही बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपना पंजीकरण पूरा कर लिया है।

छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास राज्य में स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने, महिलाओं को बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आयुष्मान भारत योजना के तहत अधिक से अधिक महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल है, जिससे वे निःशुल्क और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकें। यह उपलब्धि न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है।

उल्लखेनीय है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के तहत महिलाओं के आयुष्मान कार्ड पंजीयन की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। योजना के प्रारम्भ से अब तक 1 करोड़ 20 लाख 65 हजार 107 महिलाओं का आयुष्मान कार्ड बन चुका है। प्रदेश सरकार ने महिलाओं को राशन कार्ड में परिवार का मुखिया बनाए जाने की नीति को इस योजना से भी जोड़ा है, जिससे आयुष्मान कार्ड पंजीयन को और अधिक प्रभावी बनाया गया है। राज्य के 33 जिलों में राशन कार्डधारी परिवारों की महिलाओं के आयुष्मान कार्ड पंजीयन का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। इसी का परिणाम है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में महिलाएँ इस योजना के अंतर्गत निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं से लाभान्वित हो रही हैं।

महिलाओं की भागीदारी 44% से अधिक, एक बड़ी उपलब्धि

राज्य में राशन कार्डधारी कुल आबादी के अनुपात में देखा जाए तो आयुष्मान कार्ड पंजीयन में महिलाओं की भागीदारी 44% से अधिक हो चुकी है। यह न केवल स्वास्थ्य सेवा तक महिलाओं की पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि यह राज्य सरकार की महिला केंद्रित योजनाओं की सफलता का भी प्रमाण है। आयुष्मान कार्ड पंजीयन के बाद, पंजीकृत महिलाओं को राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों में निःशुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध हो रही है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुँच और भी सुलभ हुई है।

PCCF राव की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

बिलासपुर- वन विभाग के पीसीसीएफ वी श्रीनिवास राव की अपैक्स स्केल पद पर नियुक्ति को चुनौती देते हुए लगाई गई याचिका को हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता सुधीर अग्रवाल 1988 बैच के अफसर हैं। उन्होंने 1990 बैच के आईएफएस श्रीनिवास राव की नियुक्ति पर आपत्ति करते हुए कहा था कि वे वरिष्ठता के आधार पर इस पद के अधिक पात्र थे। जूनियर अफसर को इस पद पर नियुक्त किया गया, जो नियमों के विपरीत है।

याचिकाकर्ता ने इस बात पर भी आपत्ति जताई थी कि नियुक्ति के लिए निर्धारित एक वर्ष की न्यूनतम सेवा अवधि पूरी किए बिना ही आईएफएस राव को प्रमोट कर दिया गया, जो गलत है। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे जारी किया गया है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि PCCF ‘एपेक्स स्केल’ पद चयन-आधारित होता है, न कि पदोन्नति-आधारित। इस चयन के लिए वरिष्ठता की बजाय मेधा, दक्षता, पूर्ण निष्ठा और उपयुक्तता को प्राथमिकता दी जाती है। कोर्ट ने माना कि विशेष चयन समिति (SSC) द्वारा किए गए मूल्यांकन में वी श्रीनिवास राव की वार्षिक प्रदर्शन आकलन रिपोर्ट (APAR) 49.62/50 अंक रही, जबकि याचिकाकर्ता की 48/50 अंक थी, जिससे उनकी नियुक्ति को उचित ठहराया गया।

हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि विशेष चयन समिति का निर्णय नियमों के अनुसार और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत लिया गया था, इसलिए केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT), जबलपुर की ओर से 26 जून 2024 को पारित आदेश में किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं पाई गई और इसे बरकरार रखा गया।

राजिम मेला और चुनाव ड्यूटी में उत्कृष्ट सेवा के लिए पुलिसकर्मियों को किया गया सम्मानित

राजिम-  गरियाबंद जिले के पुलिसकर्मियों को राजिम मेले और चुनाव ड्यूटी में उत्कृष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया गया है. चुनौतियों में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा की मौजूदगी में अधिकारी-कर्मचारियों को पुरस्कृत किया गया. गरियाबंद पुलिस कप्तान ने इस महत्वपूर्ण ड्यूटी के लिए जिले के समस्त पुलिस बल और दिगर इकाई से आए पुलिस जवानों की प्रशंसा की है. 

बता दें कि राजिम मेला में सुरक्षा व्यवस्था के लिए गरियाबंद पुलिस बल और दिगर इकाई से आये पुलिस बल को मिलाकर लगभग करीब 800 सुरक्षा बल ड्यूटी के लिए तैनात थे. मेला ड्यूटी के दौरान ड्यूटी के साथ ही साथ नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए भीड़ की अधिकता को देखते हुए नन्हे बच्चों के हांथों में सुरक्षा बैंड बांधा गया. जो अपने परिवार से गुम हो जाने वाले बच्चों की सुरक्षा में बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ. इसी प्रकार किसी भी व्यक्ति का मोबाइल/सामान गुम होने पर संबंधित व्यक्ति को सुपूर्द किया जाता था. प्रतिदिन मेले में आने वाले वी.आई.पी. की सुरक्षा की व्यवस्था की जाती रही है.

इसी बीच दिनांक 11 फरवरी से 23 फरवरी तक नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में भी मेला में तैनात जवानों ने सुरक्षित चुनाव सम्पन्न कराया. चुनाव के दौरान मतदान केन्द्रों में ड्यूटी, पेट्रोलिंग ड्यूटी भी इन्ही जवानों ने किया. दोनो ड्यूटी को लगन और समझदारी के साथ सफल बनाने में प्रत्येक अधिकारी/कर्मचारियों का योगदान प्रशंसनीय रहा है. 

सरकारी राशन दुकानों का चावल खाने लायक भी नहीं : हितग्राहियों को बांटा जा रहा खराब चावल

आरंग-  सार्वजनिक वितरण प्रणाली योजना में सरकारी राशन दुकानों पर गरीबों को दिए जाने वाले चावल में घोर लापरवाही सामने आई है. आरंग क्षेत्र के कई शासकीय राशन दुकानों में बेहद ही खराब चावल बांटा जा रहा है. खराब चावल लेने के लिए हितग्राही भी मजबूर हैं. क्षेत्र में खराब चावल वितरण करने के मामले में नागरिक आपूर्ति निगम की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

शिकायत के बाद आनन-फानन में बनाई जांच टीम

लगातार मामले की शिकायत मिलने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया है. अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने इस पूरे मामले की जांच के लिए 04 सदस्यीय टीम गठित की है और 03 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने की बात कही है. आपको बता दें कि लगभग 01 – 02 माह से आरंग क्षेत्र के कई राशन दुकानों में बेहद ही खराब चावल बांटा गया है. चावल में कीड़े व कंकड़ पत्थर हैं. चावल की गुणवत्ता खाने योग्य भी नहीं है. आरंग क्षेत्र में 112 राशन दुकान है. इनमें कई ऐसे दुकान हैं, जहां पिछले दो माह तक खराब चावल का वितरण किया गया है.

नान केंद्र प्रभारी ने स्वीकारी गलती, कहा – खराब चावल बदला जाएगा

इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के आरंग केंद्र प्रभारी भरत पुरी गोस्वामी ने आरंग क्षेत्र के राशन दुकानों में खराब चावल वितरण होने की बात को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि चावल 02 साल पुराने धान का है. आज से ही नया चावल वितरण किया जा रहा है. अधिकारियों के निर्देश के बाद जहां चावल खराब है वहां बदला जा रहा है. उन्होंने चावल वितरण होने के समय चावल की गुणवत्ता को नहीं देखने की गलती भी स्वीकार की है.

बड़ा सवाल – क्या जिम्मेदार ऐसे चावल खाना पसंद करेंगे?अब यह सवाल उठ रहे कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) और नागरिक आपूर्ति निगम (नान) को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सार्वजनिक वितरण केंद्रों में राशन कार्डधारी प्रदेश की जनता को गुणवत्तापूर्ण और पौष्टिक राशन पहुंचाने की जिम्मेदारी है, लेकिन ऐसे खराब स्तर के चावल का वितरण कर गरीब जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों के प्रति शासन की क्या जिम्मेदारी बनती है. क्या जनता को पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण चावल देने के लिए जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी ऐसे चावल को अपने परिवार के साथ बैठकर खाना पसंद करेंगे..? इस मामले में जांच टीम गठित होने के बाद देखने वाली बात है कि जांच सिर्फ खानापूर्ति के लिए होगी या गरीबों के हक और स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले दोषियों पर कार्रवाई होगी.

बस्तर जिले को शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए नीति आयोग द्वारा 3 करोड़ रुपये का पुरस्कार, मुख्यमंत्री विष्णदेव साय ने दी बधाई

रायपुर- बस्तर जिले ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, शिक्षण को अधिक रोचक और प्रभावी बनाने, नवीन शैक्षणिक तकनीकों के सफल क्रियान्वयन और शिक्षक-छात्र संबंधों को मजबूत करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। इसी उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए नीति आयोग ने बस्तर जिले को 3 करोड़ रुपये के पुरस्कार से सम्मानित किया है।

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बधाई देते हुए कहा कि बस्तर जिले के विद्यार्थियों की मेहनत, शिक्षकों के समर्पण और हमारी सरकार की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता ने जिले को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। यह सम्मान पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणादायक है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह पुरस्कार आकांक्षी जिलों में बुनियादी शिक्षा के सुदृढ़ीकरण और शिक्षा की समावेशी एवं नवाचारयुक्त नीति को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सफलता का प्रमाण है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह उपलब्धि प्रदेश में संपूर्ण शिक्षा तंत्र को और अधिक सशक्त बनाने तथा बस्तर में बौद्धिक और शैक्षणिक विकास को नया आयाम देने के लिए राज्य सरकार को और अधिक प्रेरित करेगी। शिक्षा के क्षेत्र में यह उपलब्धि न केवल बस्तर जिले, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू बर्खास्त, मुआवजा घोटाला कर सरकार को लगाया था करोड़ों का चूना

बिलासपुर- राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को जिला प्रशासन ने बर्खास्त कर दिया है. उन्हें अरपा-भैंसाझार परियोजना में गलत बटांकन कर करोड़ों रुपये के मुआवजा घोटाले में संलिप्त पाया गया है.

इस मामले के उजागर होने पर बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण ने जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को निलंबित कर दिया गया था. जांच में यह सामने आया कि साहू ने पटवारी रहते हुए एक ही भूमि के चार अलग-अलग रकबे दर्शाकर अधिक मुआवजा का प्रकरण तैयार किया, जिससे शासन को 3 करोड़ 42 लाख 17 हजार 920 रुपये का नुकसान हुआ.

निलंबन के बाद कलेक्टर ने विभागीय जांच कराकर बर्खास्तगी के लिए आयुक्त, भू-अभिलेख, छत्तीसगढ़ को पत्र भेजा, जिसके आधार पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई.

रेरा ने कॉलोनी–फ्लैट मेंटनेंस चार्ज से जुड़े नियमों का जारी किया स्पष्टीकरण

रायपुर-  छत्तीसगढ़ भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने कॉलोनी और फ्लैट्स के हस्तांतरण और मेंटनेंस चार्ज से जुड़े नियमों का स्पष्टीकरण जारी किया है। इसके तहत किसी भी कॉलोनी या फ्लैट के निर्माण के बाद उसे एक पंजीकृत सोसाइटी को हस्तांतरित किया जाता है, जो उसके रखरखाव और सुविधाओं के लिए जिम्मेदार होती है।

प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक आवंटित व्यक्ति (आबंटिती) के लिए निर्धारित मेंटनेंस चार्ज का भुगतान करना अनिवार्य है। यदि कोई आवंटित व्यक्ति इसका भुगतान नहीं करता, तो संबंधित सोसाइटी इस मामले को रेरा के समक्ष प्रस्तुत कर सकती है। ऐसे मामलों में बकाया राशि पर ब्याज सहित भुगतान करना होगा।

इसके अलावा, यदि कोई आवंटित व्यक्ति अपने एलॉटमेंट डीड में निर्धारित मेंटनेंस चार्ज या अन्य शर्तों का उल्लंघन करता है, तो इससे जुड़े विवादों की सुनवाई का अधिकार रेरा को होगा। हालांकि, मेंटनेंस चार्ज की दरों में बदलाव से संबंधित मामलों की सुनवाई सहकारिता अधिनियम के तहत की जाएगी।

शिक्षा विभाग में कौशल विकास के नाम पर फर्जीवाड़ा : रि-इंडिया NGO के शिक्षकों का स्कूलों में फर्जी नियुक्ति, सरकार को भनक तक नहीं लगी

महासमुंद-  जिले में कौशल विकास के नाम पर रि-इंडिया (NGO) के शिक्षकों का स्कूलों में नियुक्ति का फर्जीवाड़ा सामने आया है. बकायदा स्कूलों में शिक्षकों का पदभार ग्रहण कराया गया. शिक्षा विभाग ने इसकी भनक शासन को भी नहीं लगने दी. फर्जीवाड़ा का खुलासा तब हुआ, जब एक प्रधानपाठक ने एक शिक्षिका की पदभार ग्रहण कराए जाने की जानकारी संयुक्त संचालक शिक्षा को दी. इस मामले में संयुक्त संचालक ने जिला शिक्षा अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इस मामले को अकलतरा विधायक राघवेन्द्र कुमार सिंह ने विधानसभा में भी उठाया, जिसमें विभाग ने 7 की बजाए 6 शिक्षकों की जानकारी विधानसभा में दी. एक शिक्षिका की जानकारी छुपा दी गई.

रायपुर के रि – इंडिया स्किल टेक्नोलॉजी सर्विसेज प्रा. लि. 2024 में 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों को कौशल विकास पाठ्यक्रम, खेलकूद एवं स्वास्थ्य आदि अनुमति के लिए शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया था. तत्कालीन DEO मीता मुखर्जी ने NGO से सांठगांठ कर नियमों की अनदेखी करते हुए यह भी देखना मुनासिब नहीं समझा कि NGO का शिक्षा विभाग से पंजीकृत है या नहीं और न ही राज्य शासन से इसकी स्वीकृति ली. इसी बीच DEO मीता मुखर्जी का ट्रांसफर हो गया और उनके स्थान पर DEO मोहन राव सावंत ने 14 मार्च 2024 को ज्वाइनिंग की. DEO सावंत ने बिना पंजीयन और विभागीय अनुमति देखे ही 3 जनवरी 2025 को रि – इंडिया NGO के शिक्षकों को प्राथमिक शाला से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूलों में विषयवार शिक्षक आवश्यकता वाले शालाओं में नि: शुल्क शिक्षा प्रदान करने का ऑर्डर जारी कर दिया.

रि – इंडिया ने 13 दिसंबर 2024 को तुसदा हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानपाठक के नाम योगेश्वरी बघेल को ज्वाइनिंग देने पत्र भेजा. 21 दिसंबर 2024 को योगेश्वरी बघेल सीधे तुसदा हायर सेकेंडरी स्कूल पहुंची और प्रधानपाठक महेन्द्र मरकाम ने DEO का आदेश मानकर बकायदा शासकीय विभागों की तर्ज पर कार्यभार ग्रहण कराया. इस ज्वाइनिंग की प्रतिलिपि प्रधानपाठक ने संचालक लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर, संभागीय संकुल संचालक पेंशनबाड़ा, कलेक्टर महासमुंद, जिला शिक्षा अधिकारी और योगेश्वरी बघेल को भेजी.

DEO ने 15 जनवरी 2025 को सभी प्राचार्य और प्रधानपाठकों को विभागीय पत्र भेजकर रि – इंडिया के निःशुल्क शिक्षकों से केवल अध्यापन का काम लेने का ऑर्डर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण, अटेंडेंस रजिस्टर में उनका नाम न लिखा जाए और ना ही कोई अनुभव प्रमाण पत्र दिया जाए. इसके ठीक 2 दिन पहले यानि 14 जनवरी 2025 को संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग रायपुर ने DEO मोहन राव सावंत को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें तुसाद के प्राचार्य के साथ उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने को कहा गया.

रि- इंडिया के लिए दिए गए अनुमति को निरस्त करने का आदेश

संयुक्त संचालक ने DEO से कहा कि रि – इंडिया को अनुमति देने से पहले क्या शासन से या संचालनालय से अनुमति ली गई थी. संयुक्त संचालक ने नोटिस में यह भी कहा कि उल्लेखित अनुमति यदि आपके (DEO) द्वारा नहीं दी गई है तो आपके जिले के शासकीय विद्यालयों के प्राचार्य उक्त संस्था द्वारा जारी नियुक्ति पत्र के आधार पर अभ्यर्थियों को कैसे कार्यभार ग्रहण करा रहे हैं. इस फर्जीवाड़ा का खुलासा होते ही DEO ने 17 जनवरी 2025 को सभी विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर रि- इंडिया के लिए दिए गए अनुमति को निरस्त करने का आदेश दिया.

अकलतरा विधायक ने विधानसभा में उठाया मामला

इस मामले को लेकर अकलतरा विधायक राघवेन्द्र कुमार सिंह ने विधानसभा में NGO द्वारा कौशल विकास के नाम पर बिना राज्य शासन की अनुमति के शिक्षकों की नियुक्ति का सवाल उठाया. इस पर DEO की ओर से छत्तीसगढ़ विधानसभा को दी गई जानकारी में रि- इंडिया को छोड़ 7 NGO पंजीकृत होना बताया गया. इसके अलावा कौशल विकास के नाम पर 6 शिक्षकों की नियुक्ति को 17 जनवरी 2025 को निरस्त कर करने की जानकारी दी, लेकिन DEO ने 6 शिक्षकों की जानकारी विधानसभा को देकर सभी को गुमराह किया, जबकि जिले में 7 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. इनमें महिला शिक्षिका योगेश्वरी बघेल की जानकारी छिपाई गई, जिसे कार्यभार ग्रहण कराया गया था.