सत्ता पक्ष ने PHED विभाग में हुए पैसे के गमन में सरकार पर अधिकारी को बचाने का लगाया आरोप, सदन में चली तीखी नोक झोक
रांची : झारखंड विधानसभा सत्र के सातवें दिन सदन की कार्रवाई शुरू होते ही पेयजल विभाग में राशि के गबन का मामला गरमाता दिखा। सत्ता पक्ष के कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने अपने ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया। प्रदीप यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि रांची और लोहरदगा में एलएनटी कंपनी को होने वाले बिल का भुगतान कंपनी को ना देकर रकम फर्जी खाते के माध्यम से मुख्य अभियंता कार्यपालक अभियंता और अन्य कर्मियों ने मिलकर आपस में बंदर बांट कर लिया। इस पर सवाल उठते हुए कहा सभी दोषियों के खिलाफ करवाई न करते हुए सिर्फ कैशियर के खिलाफ करवाई क्यों? पहले आप को सदन के अंदर प्रदीप यादव के द्वारा उठाए गए उसे सवाल को सुनते हैं।
इस पर सत्ता पक्ष के विधायक स्टीफन मरांडी, रामेश्वर उरांव, मथुरा महतो और हेमलाल मुर्मू ने प्रदीप यादव का पक्ष लेते हुए कहा कि विभागीय जांच का मतलब लीपापोती करना है। जब दोषी करार दिया गया तो करवाई सिर्फ कैशियर संतोष कुमार पर क्यों?
इसके जवाब देते हुए पेयजल मंत्री ने बताया कि कैशियर के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है और वह जेल में है। चीफ इंजीनियर और आरोपी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी चल रही है। इसमें और जो भी दोषी होंगे उनपर कठोर करवाई की जाएगी।
अब आपको बताते हैं कि क्या है पूरा मामला दरअसल पेयजल विभाग में साल 2012 में एलएनटी कंपनी को रांची में पाइपलाइन बिछाने का काम दिया था।लेकिन कंपनी ने बीच में ही काम बंद कर दिया। इसके बाद विभाग के कुछ लोगों ने साजिश रची और किए हुए काम के बदले दोबारा फर्जी तरीके से बिल बनाकर और ट्रेजरी में नया कोड खुलवा कर एलएनटी को जो भुगतान हुआ था उसका दोबारा भुगतान करवा लिया।पहली बार मे 1.32 करोड़, दूसरी बार मे 6 करोड़ और तीसरी बार मे लगभग 13 करोड़ रुपए ट्रेजरी से निकाल लिए गए। पैसे के निकासी के लिए अलग अलग बैंकों में खाते खुलवाए गए थे।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए झारखंड सरकार के पीएचईडी विभाग के कैशियर संतोष कुमार को 20 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। जबकि विभाग की जवाब दे ही कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार के ऊपर होती है इसी सवाल को प्रदीप यादव ने सदन में उठाया की कार्यपालक अभियंता को क्यों बचाया जा रहा है। वही सत्ता पक्ष के विधायक हेमलाल मुर्मू ने कहा कि सभी दोषियों के खिलाफ FIR होना चाहिए और उन्हें भी जेल भेजना चाहिए।
तब प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि तथ्यों की पूरी जानकारी लेकर दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं सात दिनों के अंदर कार्रवाई कर सदन को अवगत करा दिया जाएगा।
Mar 05 2025, 20:00