एडीएम लॉ एंड ऑर्डर ने लगाया जनता दरबार,लोगों ने अपनी समस्याएं बतायी,एडीएम ने दिया त्वरित कारवाई का निर्देश


धनबाद : एडीएम लॉ एंड ऑर्डर पीयूष सिन्हा ने शुक्रवार को आयोजित जनता दरबार में जिले के बलियापुर, गोविंदपुर, तोपचांची, झरिया सहित अन्य क्षेत्रों से आए लोगों की शिकायतें सुनी।

इसमें गोविंदपुर महुबनी के सुंदर पहाड़ी से आयी एक वृद्ध महिला ने एडीएम को बताया कि उनके पिता भारत कोकिंग कॉल लिमिटेड (बीसीसीएल) में कार्यरत थे। उनकी मृत्यु वर्ष 1982 में हो गई थी। कई दशक बीत जाने के बाद भी बीसीसीएल ने उनके स्वर्गवासी पिता का पीएफ, ग्रेच्युटी एवं सेवानिवृत्ति के अन्य लाभ का भुगतान नहीं किया है।

गौरतलब है कि महिला काफी उम्रदराज थी और स्पष्ट हिन्दी बोलने में असमर्थ थी। इसलिए वह संथाली भाषा में एडीएम के साथ वार्तालाप कर रही थी। उनकी बातों को अच्छे से समझने के लिए एडीएम ने संथाली भाषा बोलने वाले एक कर्मी को बुलाया। उसने महिला की सारी बातें संथाली भाषा में सुनी और महिला की पीड़ा एडीएम को बताई। 

एडीएम ने तत्काल मामले पर संज्ञान लेते हुए बीसीसीएल के सीएमडी को पत्र लिखने और महिला की समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया।

एक अन्य महिला ने बताया कि उसने आमाघाटा लेमन चिल्ली होटल के पास जमीन दलाल से 2 डेसिमल जमीन खरीदी। जमीन की रजिस्ट्री नहीं हुई है। जब वह जमीन पर घर बनाने गई तब पता चला कि जमीन सीएनटी एक्ट की है। महिला ने बताया कि उन्होंने ऋण लेकर जमीन दलाल को भुगतान किया है। उन्होंने जमीन के लिए दिए गए पैसे वापस दिलाने की गुहार लगाई।

जनता दरबार में राशन कार्ड में नाम जुड़वाने, पीएम आवास की स्वीकृति प्रदान करने, ऑनलाइन पंजी 2 में नाम दर्ज कराने, भू-माफियाओं द्वारा रैयती जमीन पर जबरन कब्जा करने सहित अन्य आवेदन प्राप्त हुए।

जनता दरबार में सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा श्री नियाज अहमद, जनशिकायत कोषांग के प्रधान लिपिक श्री नंदकिशोर कुशवाहा भी मौजूद थे।

CAG की रिपोर्ट : झारखंड में स्वास्थ्य विभाग में अनियमितता, स्वास्थ्य सेवा और सुविधा का खस्ताहाल

भवन निर्माण में लगे मजदूरों को नहीं मिल रहा लाभ

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : देश की राजधानी दिल्ली में CAG की रिपोर्ट पर उठे विवादों के बीच झारखंड में भी बड़ा खुलासा हुआ है। झारखंड विधानसभा में पेश की गई CAG रिपोर्ट में राज्य के स्वास्थ्य विभाग में वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया गया है।

राज्य में कोरोना काल के दौरान झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर CAG की रिपोर्ट पर सरकार के ज्यादातर मंत्रियों और विधायक ने रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही कुछ कहने की बात कही, वहीं विधायक सरयू राय ने रिपोर्ट के आलोक में तात्कालिक स्वास्थ्य मंत्री पर करवाई की मांग की। मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि कोरोना काल में जितनी जरूरत थी उतना खर्च किया गया, किसी को दिक्कत नहीं होने दिया गया था।

चलिए अब जानते है CAG की रिपोर्ट क्या कहती है। मार्च 2020 से 2022 तक covid-19प्रबंधन के लिए भारत सरकार ने 485.54 करोड़ दिए थे, जिसके विरुद्ध झारखंड सरकार को 272.8 करोड़ अपने मद से देना था। लेकिन कुल 756.42 करोड़ से कोरोना से निपटने के लिए शुरू प्रावधान में झारखंड सरकार ने सिर्फ 145.10 करोड़ ही दिए। 

प्रधान महालेखाकार इंदु अग्रवाल ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2016-17 से 2021-22 के बीच किए गए ऑडिट में काफी दयनीय स्थिति सामने आई। झारखंड में 10000 की जनसंख्या पर चार डॉक्टर ही नियुक्त है जबकि राष्ट्रीय औसत के अनुसार 37 डॉक्टर होने चाहिए। 

Cag की रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि कैसे मुख्यालय और अलग-अलग जिलों के वेयर हाउस में रखी गई "रेमडेसिविर इंजेक्शन" बड़ी मात्रा में एक्सपायर हो गई। इतना ही नहीं इंदु अग्रवाल ने बताया कि एनएचएम के अधिकारी के एक फोन पर दो निजी एजेंसियों को वेयर हाउस से बिना कोई कागजात के हजारों वायल "रेमडेसिविर इंजेक्शन" दे दिए, जिसकी जानकारी ड्रग्स कंट्रोलर हो भी नहीं दी गई थी।

इस रिपोर्ट के अनुसार महालेखाकार ने बताया कि राज्य में डॉक्टर नर्स और पैरामेडिकल कर्मियों की भारी कमी है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज में शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों की भी कमी बताई।आयुष महाविद्यालय में तो शिक्षकों की 60% से 66% तक कमी थी। राजकीय होमियोपैथी कॉलेज में यह कमी 71% से 87% थी।

इसके अलावा CAG की विस्तृत ऑडिट रिपोर्ट में नए मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निर्माण में देरी, संसाधनों के कमी की वजह से यूजी और पीजी की सीटों में कमी, बिना जांच किए और कम गुणवत्ता वाली दवाओं को भी बीमार मरीजों में वितरित करने सहित कई गड़बड़ियों का खुलासा किया गया है।

कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि झारखंड में भवन निर्माण के लिए जो मजदूर निबंदित है उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है श्रम विभाग और बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के बीच समन्वय नहीं है। यहां काम कर रहे मजदूर को 60 साल की आयु के बाद पेंशन जैसी सुविधाएं भी नहीं मिल रही।

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने सेवानिवृत हो रहे शिक्षकों एवं शिक्षा पदाधिकारियों को किया सम्मानित


रांची: स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने शुक्रवार को रांची जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय द्वारा फरवरी माह में सेवानिवृत होने वाले दो प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी एवं 16 सेवानिवृत शिक्षकों को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिवालय स्थित सभागार में सम्मानित किया गया । 

उन्होंने शिक्षकों को मोमेंटो, शॉल एवं सभी तरह का बकाया को देकर सम्मानित किया ।इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शिक्षक कभी सेवानिवृत नहीं होते। आप शिक्षकगण अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा और समर्पण के कारण हमेशा याद रखे जाएंगे।

 इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि श्री शशि प्रकाश सिंह निदेशक प्राथमिक शिक्षा ने शिक्षकों को उनके जीवन भर की मेहनत और योगदान के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने सभी सेवानिवृत शिक्षकों को नव साक्षर भारत प्रोजेक्ट उल्लास के जन चेतना केंद्र से जुड़ने का आह्वान भी किया. 

जिला शिक्षा अधीक्षक ने कहा शिक्षक समाज के निर्माता होते हैं और उनका योगदान न केवल एक पीढ़ी तक सीमित रहता है बल्कि यह अनंत काल तक चलता है। उन्होंने जानकारी दी कि माह जनवरी 2025 में भी 28 सेवानिवृत शिक्षकों को उपायुक्त रांची महोदय द्वारा सेवानिवृत्ति के दिन सभी लाभ दिए गए थे और यह कार्यक्रम भविष्य में भी जारी रहेगा।

इस अवसर पर अवर सचिव शिक्षा, जिला शिक्षा अधीक्षक रांची, जिले के सभी क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी एवं अन्य कर्मीगण उपस्थित थे.

झारखंड का सरकारी स्कूल होगा अब हाईटेक, सीएम हेमंत ने आज 28,945 स्कूलों को दिया टैबलेट

राज्य के गरीब एवं होनहार बच्चों को विभिन्न माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है सरकार - हेमंत सोरेन

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : झारखंड सरकार राज्य के सरकारी स्कूल के छात्रों के शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बेहतर सौगात दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज झारखंड मुख्यालय में गुणवत्तायुक्त शिक्षा संवर्धन हेतु विद्यालय रिपोर्ट कार्ड एवं शिक्षकों के लिए 50 घंटे का अनिवार्य समेकित- सतत क्षमता विकास कार्यक्रम का ऑनलाइन शुभारंभ किया। साथ ही सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के बीच 28945 टैबलेट का वितरण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा आज जमाना डिजिटल हो चुका है। कोई भी ऐसा सेक्टर नहीं बचा है जो डिज़िटलाजेशन से अछूता हो। डिजिटल सेवाओं में भी तेजी से बदलाव हो रहा है। हर दिन- डिजिटल सेवाएं अपग्रेड हो रही है। ऐसे में आप चाहे या ना चाहे, डिजिटल प्लेटफार्म से अपने को अलग नहीं रह सकते हैं। ऐसे में बेहतर है कि वक्त के अनुरूप आप अपने और आने वाली पीढ़ी को तकनीकी रूप से मजबूत बनाएं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सरकारी विद्यालयों को डिजिटल सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में आज प्राथमिक विद्यालयों को टैबलेट उपलब्ध करने के साथ एक नए अध्याय की शुरुआत हो रही है। इससे स्कूलों में उपस्थिति से लेकर सभी रिपोर्टिंग कार्य डिजिटल माध्यम से होंगे। वहीं, टैबलेट का प्रयोग बच्चों के पठन-पाठन, शिक्षकों के प्रशिक्षण, अनुश्रवण, बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने से संबंधित कार्यों की मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी और उसके आधार पर शिक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाने में काफी मदद मिलेगी।

 आज की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से डिजिटाइजेशन हो चुका है। स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज चल रहे हैं। डिजिटल शैक्षिक सामग्रियों का इस्तेमाल हो रहा है। ऑनलाइन कोचिंग क्लासेज चल रहे हैं। ऐसे में झारखंड सरकार ने सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने तथा डिजिटल रूप से उन्हें मजबूत करने के अभियान में जुट गई है। मुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा कि वे इस डिजिटल जमाने में कहां खड़े हैं और दुनिया कहां पहुंच चुकी है उसका आकलन करते हुए आगे बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के होनहार बच्चों को विभिन्न माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है ताकि वे आगे बढ़ सकें। आज जैक के साथ सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के टॉपर्स को प्रोत्साहन राशि के साथ लैपटॉप और मोबाइल फोन दिया जा रहा है वहीं, राज्य सरकार अपने खर्चे पर यहां के गरीब और होनहार विद्यार्थियों को विदेश में पढ़ने का मौका दे रही है। इसके अलावा अनेक ऐसी योजनाएं हैं, जिनके माध्यम से विद्यार्थियों को आगे बढ़ाने एवं उनके भविष्य को संवारने का काम हो रहा है ।

 

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन, मुख्य सचिव अलका तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार , शिक्षा सचिव उमा शंकर सिंह एवं झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक शशि रंजन मौजूद थे।

झारखंड का सरकारी स्कूल होगा अब हाईटेक, सीएम हेमंत ने आज 28,945 स्कूलों को दिया टैबलेट


राज्य के गरीब एवं होनहार बच्चों को विभिन्न माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है सरकार - हेमंत सोरेन

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : झारखंड सरकार राज्य के सरकारी स्कूल के छात्रों के शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बेहतर सौगात दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज झारखंड मुख्यालय में गुणवत्तायुक्त शिक्षा संवर्धन हेतु विद्यालय रिपोर्ट कार्ड एवं शिक्षकों के लिए 50 घंटे का अनिवार्य समेकित- सतत क्षमता विकास कार्यक्रम का ऑनलाइन शुभारंभ किया। साथ ही सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के बीच 28945 टैबलेट का वितरण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा आज जमाना डिजिटल हो चुका है। कोई भी ऐसा सेक्टर नहीं बचा है जो डिज़िटलाजेशन से अछूता हो। डिजिटल सेवाओं में भी तेजी से बदलाव हो रहा है। हर दिन- डिजिटल सेवाएं अपग्रेड हो रही है। ऐसे में आप चाहे या ना चाहे, डिजिटल प्लेटफार्म से अपने को अलग नहीं रह सकते हैं। ऐसे में बेहतर है कि वक्त के अनुरूप आप अपने और आने वाली पीढ़ी को तकनीकी रूप से मजबूत बनाएं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सरकारी विद्यालयों को डिजिटल सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में आज प्राथमिक विद्यालयों को टैबलेट उपलब्ध करने के साथ एक नए अध्याय की शुरुआत हो रही है। इससे स्कूलों में उपस्थिति से लेकर सभी रिपोर्टिंग कार्य डिजिटल माध्यम से होंगे। वहीं, टैबलेट का प्रयोग बच्चों के पठन-पाठन, शिक्षकों के प्रशिक्षण, अनुश्रवण, बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने से संबंधित कार्यों की मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी और उसके आधार पर शिक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाने में काफी मदद मिलेगी।

 आज की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से डिजिटाइजेशन हो चुका है। स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज चल रहे हैं। डिजिटल शैक्षिक सामग्रियों का इस्तेमाल हो रहा है। ऑनलाइन कोचिंग क्लासेज चल रहे हैं। ऐसे में झारखंड सरकार ने सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने तथा डिजिटल रूप से उन्हें मजबूत करने के अभियान में जुट गई है। मुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा कि वे इस डिजिटल जमाने में कहां खड़े हैं और दुनिया कहां पहुंच चुकी है उसका आकलन करते हुए आगे बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के होनहार बच्चों को विभिन्न माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है ताकि वे आगे बढ़ सकें। आज जैक के साथ सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के टॉपर्स को प्रोत्साहन राशि के साथ लैपटॉप और मोबाइल फोन दिया जा रहा है वहीं, राज्य सरकार अपने खर्चे पर यहां के गरीब और होनहार विद्यार्थियों को विदेश में पढ़ने का मौका दे रही है। इसके अलावा अनेक ऐसी योजनाएं हैं, जिनके माध्यम से विद्यार्थियों को आगे बढ़ाने एवं उनके भविष्य को संवारने का काम हो रहा है ।

 

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन, मुख्य सचिव अलका तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार , शिक्षा सचिव उमा शंकर सिंह एवं झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक शशि रंजन मौजूद थे।

झारखंड पर CAG की रिपोर्ट राज्य का हेल्थ गड़बड़, विपक्ष ने घेरा सरकार को, विपक्ष के सवाल पर मंत्री ने कहा सब ठीक है


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : झारखंड विधानसभा में 27 फरवरी को पेश की गई कैग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन के लेखापरीक्षा में सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा अधिकारियों, नर्सों और पैरामेडिक्स की भारी कमी का पता चला है। CAG की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड सरकार कोविड के दी गयी राशि को खर्च नहीं कर पायी थी।

झारखंड विधानसभा में पेश CAG रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए जेडीयू विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर लूट का आरोप लगाया है।सदन के बाहर चौथे दिन पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने कैग के रिपोर्ट के बाद कहा कि बड़ा दुर्भाग्य है झारखंड के लिए कि यहां के जनता को क्या लाभ मिल पाया या नहीं। सरयू राय ने मुख्यमंत्री से CAG रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री पर कार्रवाई की मांग की है।

झारखंड के ही मंत्री हफ़ीजुल हसन ने कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में जितना जरूरत था हमने खर्च किया। कही भी ऐसा नहीं था कोविड की दवाइयां कमी हुई। हमें ऐसा नहीं लगा कि स्वास्थ्य में कहीं कमी की है सारा इंतजाम हमारी सरकार ने किया था। 

बरहाल कैग की रिपोर्ट में 2020-21 और 2021-22 के दौरान निरीक्षण वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों तथा अस्पतालों में 65 प्रतिशत से लेकर 95 प्रतिशत तक आवश्यक दवाओं की कमी का भी पता चला है। देखनेवाली बात होगी कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।

100 दिवसीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मीडिया वर्कशॉप का आयोजन

झारखंड के राज्यकर्मियों को 1 मार्च से ही मिलेगा स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : झारखंड सरकार के राज्यकर्मियों को हेमंत सरकार ने आज 28 फरवरी को बड़ी सौगात दे डाली है। हेमंत सोरेन ने राज्य कर्मियों, उनके आश्रितों, सेवानिवृत्त कर्मियों, विधायकों, पूर्व विधायकों, विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, निबंधित अधिवक्ताओं आदि के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारंभ कर दिया है।

इसके तहत राज्यकर्मियों और उसके परिजनों को हर साल 5 लाख रुपये का बीमा मुफ्त दिया जाएगा। साथ ही विशेष परिस्थिति में उनके दुर्घटनाग्रस्त अथवा मरनासन्न की स्थिति में एयर एंबुलेस या वायुयान यात्रा की सहायता का भी प्रवधान किया गया है।

इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहां की आज व्यक्तिगत रूप से सुखद अनुभूति का दिन है। आज की वर्तमान स्थिति में हर व्यक्ति कुछ ना कुछ बीमारी से पीड़ित है और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य और इलाज की जरूरत है इसे देखते हुए राज्य सरकार राज्य कर्मियों को बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारंभ की है और इसका लाभ राज्य के कर्मचारियों को मिलेगा।

सीएंम हेमंत सोरेन द्वारा लागू की गई बीमा योजना के तहत राज्य सरकार के कर्मी किसी भी सूचीबद्ध अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त करा सकेंगे। हालांकि कुछ गंभीर बीमारियों के लिए 10 लाख रुपये तक का भी प्रावधान किया गया है। अत्याधिक क्रिटिकल कंडीशन में अधिक राशि खर्च होने पर इसका वहन राज्य सरकार के फंड से होगा। झारखंड सरकार और टाटा एआईजी इंश्योरेंस कंपनी के बीच mou हुआ है। जिसकी प्रीमियम राशि 4850 होगी। यह योजना एक मार्च 2025 से शुरू होगी। मुख्यमंत्री ने बटन दबाकर डिजिटल तरीके से इसकी शुरुआत की। वहीं कुछ लागू को इसका कार्ड भी वितरण किया। स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि वित्त विभाग से मिली डेटा के अनुसार 1 लाख 62 हजार 372 लोगों का बीमा 1 मार्च से शुरू हो जाएगा। बचे हुए लोग पोर्टल में अपनी विवरण भरने के बाद उनका भी बीमा शुरू कर दिया जाएगा।

स्वास्थ्य बीमा का लाभ लेने वाले राज्य कर्मी के लाभुक ने कहा कि आज से सरकार के द्वारा शुरू की गई स्वास्थ्य बीमा का लाभ हमारे साथ-साथ हमारे परिवार को मिलेगा और हम बेहतर इलाज करा पाएंगे।

झारखंड के राज्य कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले, आज CM हेमंत सोरेन ने दिया स्वास्थ्य बीमा योजना का सौगात

झारखंड के राज्यकर्मियों को 1 मार्च से ही मिलेगा स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : झारखंड सरकार के राज्यकर्मियों को हेमंत सरकार ने आज 28 फरवरी को बड़ी सौगात दे डाली है। हेमंत सोरेन ने राज्य कर्मियों, उनके आश्रितों, सेवानिवृत्त कर्मियों, विधायकों, पूर्व विधायकों, विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, निबंधित अधिवक्ताओं आदि के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारंभ कर दिया है।

इसके तहत राज्यकर्मियों और उसके परिजनों को हर साल 5 लाख रुपये का बीमा मुफ्त दिया जाएगा। साथ ही विशेष परिस्थिति में उनके दुर्घटनाग्रस्त अथवा मरनासन्न की स्थिति में एयर एंबुलेस या वायुयान यात्रा की सहायता का भी प्रवधान किया गया है।

इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहां की आज व्यक्तिगत रूप से सुखद अनुभूति का दिन है। आज की वर्तमान स्थिति में हर व्यक्ति कुछ ना कुछ बीमारी से पीड़ित है और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य और इलाज की जरूरत है इसे देखते हुए राज्य सरकार राज्य कर्मियों को बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारंभ की है और इसका लाभ राज्य के कर्मचारियों को मिलेगा।

सीएंम हेमंत सोरेन द्वारा लागू की गई बीमा योजना के तहत राज्य सरकार के कर्मी किसी भी सूचीबद्ध अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त करा सकेंगे। हालांकि कुछ गंभीर बीमारियों के लिए 10 लाख रुपये तक का भी प्रावधान किया गया है। अत्याधिक क्रिटिकल कंडीशन में अधिक राशि खर्च होने पर इसका वहन राज्य सरकार के फंड से होगा। झारखंड सरकार और टाटा एआईजी इंश्योरेंस कंपनी के बीच mou हुआ है। जिसकी प्रीमियम राशि 4850 होगी। यह योजना एक मार्च 2025 से शुरू होगी। मुख्यमंत्री ने बटन दबाकर डिजिटल तरीके से इसकी शुरुआत की। वहीं कुछ लागू को इसका कार्ड भी वितरण किया। स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि वित्त विभाग से मिली डेटा के अनुसार 1 लाख 62 हजार 372 लोगों का बीमा 1 मार्च से शुरू हो जाएगा। बचे हुए लोग पोर्टल में अपनी विवरण भरने के बाद उनका भी बीमा शुरू कर दिया जाएगा।

स्वास्थ्य बीमा का लाभ लेने वाले राज्य कर्मी के लाभुक ने कहा कि आज से सरकार के द्वारा शुरू की गई स्वास्थ्य बीमा का लाभ हमारे साथ-साथ हमारे परिवार को मिलेगा और हम बेहतर इलाज करा पाएंगे।

सतत विकास की दिशा में कदम: PVUNL ने जलापूर्ति के लिए जल एवं स्वच्छता विभाग को सौंपी 1.76 करोड़ रुपये की प्रथम किश्त



  


रामगढ़, झारखंड: 27.02.2025, परियोजना क्षेत्र के आसपास के गाँवों में जल आपूर्ति को सुलभ बनाने और सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण पहल के तहत, पटरातू वद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (PVUNL) ने जल एवं स्वच्छता विभाग, झारखंड सरकार को 1.76 करोड़ रुपये की प्रथम किश्त सौंपी। यह राशि 50 सौर ज पंपों की स्थापना के लिए सामुदायिक विकास (CD) कार्यों के अंतर्गत प्रदान की गई है। इस परियोजना की कुल लागत 3.53 करोड़ रुपये है।

यह हस्तांतरण रामगढ़ उपायुक्त कार्यालय में उपायुक्त (DC) रामगढ़ श्री चंदन कुमार की उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस अवसर पर PVUNL के प्रमुख (HR) श्री जियाउर रहमान, DGM (उपमहाप्रबंधक) R&R श्री राजेश दुंगडुंग, वरिष्ठ प्रबंधक (R&R) श्री संतोष कुमार और अधिकारी श्री विपिन गोहिल भी उपस्थित रहे।

PVUNL जल आपूर्ति और स्वच्छता सुधार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए इस परियोजना को प्राथमिकता दे रहा है। सौर जल पंपों की स्थापना से क्षेत्र के ग्रामीणों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध होगा, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। यह पहल न केवल जल संकट को कम करने में सहायक होगी, बल्कि अक्षय ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा देगी।

PVUNL सामाजिक उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में निरंतर प्रयासरत रहेगा।

कोटे डी आइवर गणराज्य क़ी महिला,परिवार और बाल संरक्षण मंत्री, यूफ़्रासी कौआसी याओ झारखण्ड सीएम हेमंत सोरेन से क़ी शिष्टाचार मुलाक़ात

रांची : कोटे डी आइवर गणराज्य क़ी महिला , परिवार और बाल संरक्षण मंत्री, यूफ़्रासी कौआसी याओ तथा पूर्व महिला संवर्द्धन मंत्री एवं इवोरियन राजदूत, एच .ई . एरिक कॅमिले एन्डरी इन दिनों दौरे पर भारत आये हैं.

इस बीच रांची में आगमन पर वह

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से आज वे झारखंड विधान सभा में मुलाकात किये.

इस भेंट को मुख्यमंत्री से उनकी यह शिष्टाचार भेंट बतायी जा रही है .इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनका स्वागत किया. एवं कई मुद्दों पर बातचीत क़ी.

उल्लेखनीय है क़ी यूफ्रेसी कौआसी याओ ने महिला, परिवार और बाल संरक्षण के संवर्धन मंत्री के रूप में कार्य कर रही है, और जल, महिला और निर्णय लेने पर यूनेस्को की समिति में अध्यक्ष हैं। वह कोटे डी आइवर के राष्ट्रपति के लिंग के प्रभारी विशेष सलाहकार के रूप में कार्य करती हैं। वह पच्चीस से अधिक वर्षों से कोटे डी आइवर में लिंग नीतियों के विकास में एक प्रमुख खिलाड़ी रही हैं। उन्होंने कोटे डी आइवर में लिंग दृष्टिकोण के संस्थागतकरण का बड़ी सफलता के साथ नेतृत्व किया.

2007 में कोटे डी आइवर की लिंग नीति लिखी, इस प्रकार लिंग के संवर्धन और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए अनुकूल रूपरेखा स्थापित करने में योगदान दिया.

महाद्वीपीय स्तर पर, उन्होंने अफ्रीकी संघ लिंग नीति (2008) और फिर ECOWAS (2009) के मसौदे को तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.