गोंडा: ट्रेन से कटकर चचेरे भाई-बहन की दुखद मौत
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गोंडा। गोंडा-बलरामपुर रेल मार्ग पर बीती रात एक दर्दनाक हादसे में चचेरे भाई-बहन की मालगाड़ी से कटकर मौत हो गई। यह घटना रात के समय खिरौरा शहबाज गांव के पास हुई। रविवार की रात जब मालगाड़ी, जो बलरामपुर से गोंडा जा रही थी, पिलर संख्या 206 के पास पहुंची, तब युवक और युवती अचानक ट्रेन के सामने आ गए। ट्रेन की चपेट में आकर दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।
घटना के बाद ट्रेन चालक ने तुरंत सुभागपुर रेलवे स्टेशन पर इसकी जानकारी दी, और उसके बाद इटियाथोक थाना पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर शवों को कब्जे में लिया और उन्हें पोस्टमार्टम के लिए भेजा। हालांकि, घटना के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है, और पुलिस जांच कर रही है।
मृतकों की पहचान चचेरे भाई-बहन के रूप में हुई है। घरवालों को घटना की जानकारी मिलते ही वे रोते-बिलखते घटनास्थल पर पहुंचे। मृतक युवक के पिता ने बताया कि उनका बेटा ट्रक ड्राइवर था और दो दिन पहले ही घर आया था। वे यह नहीं बता सके कि वह देर रात घर से कब निकला। मृतका के भाई ने बताया कि वह अपनी मां को अस्पताल में एडमिट करा रहा था और घर पर छोटा भाई था। रात 2 बजे उन्हें हादसे का पता चला।
इटियाथोक पुलिस स्टेशन के एसओ शेषमणि ने कहा कि घटना की गहन जांच की जा रही है। जांच के बाद हादसे के असल कारणों का पता चल सकेगा।
Feb 20 2025, 15:53
खान आशु
भोपाल। चंद कदम दूरी पर रखा राजधानी भोपाल का ग्लोबल इंवेस्टर समिट, आने वाले 25 देशों के हजारों विशिष्ट अतिथि, एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाने वाला एकमात्र रास्ता... इस रास्ते पर मौजूद झीलों की नगरी की शान बड़ा तालाब। तय नियमों के मुताबिक ग्रीन बेल्ट की इस जमीन पर तालाब के 100 मीटर दायरे में निर्माण पर पाबंदी। निगम से लेकर तमाम निर्माण एजेंसियों को जवाब देने के लिए पर्याप्त पूरे निर्माण क्षेत्र में लहराते भाजपा के सियासी झंडे। तमाम कवायदों और पूछताछ को खामोश करता बिरला ग्रुप का आधिपत्य वाला साइन बोर्ड।
मामला राजधानी के वीआईपी रोड का है। खानूगांव चौराहा से चंद कदमों की दूरी पर स्थित खसरा नंबर 46 और 78/1/2/3/2/2/2 पर एक बड़ा निर्माण तेजी से जारी है। बड़े तालाब के दूसरे छोर पर निर्माण को लेकर नियम यह बताया जाता है कि ग्रीन बेल्ट की इस जमीन पर निर्माण प्रतिबंधित है। लेकिन तेजी से हो रहे इस निर्माण पर जिम्मेदार एजेंसियां खामोश हैं और आसपास के रहवासी और यहां से कभी कभार गुजरने वाले खुसुर पुसुर करते नजर आ रहे हैं।
बिरला का तमगा, भाजपा का झंडा
ग्राम कोहेफिजा के खसरे में अंकित इस जमीन पर मालिकी आधिपत्य के रूप में बिरला ग्रुप का साइन बोर्ड चस्पा है। साथ ही पूरे निर्माण एरिया में भाजपा के पार्टी झंडों की मौजूदगी दिखाई दे रही है। संभवतः इन दो बड़े कारणों ने ही सारे सवालों की जुबान पर तालाबंदी कर रखी है।
ऐसे हो सकता है खतरा
GIS में शामिल होने के लिए आने वाले लगभग हर मेहमान के कार्यक्रम स्थल का एकमात्र रास्ता वीआईपी रोड ही है। उद्योगपति, निवेशक, सियासी लोगों से लेकर बड़े अधिकारियों का गुजरना यहीं से होने वाला है। इस बीच इस निर्माण कार्य के लिए हर दिन सुबह से देर शाम तक सैंकड़ों मजदूरों, कारीगर, एक्सपर्ट और निगरानी रखने वालों की मौजूदगी बनी रहती है। छोटे बड़े कामों के लिए दिन में कई बार इनको वीआईपी रोड पर होकर यहां वहां आना जाना पड़ता है। वीआईपी आवाजाही के दौरान पूरे समय इस चहलपहल पर रोक लगाए रखना भी एक चुनौती जैसा हो सकता है।
नवाब कालीन प्रॉपर्टी का कैसे बदला आधिपत्य
जानकारी के मुताबिक ग्राम कोहेफिजा की खसरा नंबर 46 और 78 की यह जमीन नवाब परिवार की बताई जाती है। सूत्रों का कहना है कि पूर्व सांसद मरहूम गुफरान ए आजम, औकाफ ए शाही के पूर्व सचिव अनवार मोहम्मद खान और मनमोहन अग्रवाल से सौदा होते हुए संभवतः यह अब बिरला ग्रुप के हिस्से में पहुंची है। हालांकि यह भी जाहिर है कि नवाब परिवारों की इन जमीनों का सौदा महज दान पत्र के नाम पर आधारित है। इस नए निर्माण के अलावा शहर का स्टार होटल, बड़ा शादी लॉन और कई बड़े निर्माण भी इसी प्रक्रिया से आबाद हुए हैं।
एक फ्लैट की कीमत दो करोड़ से ज्यादा
सूत्रों का कहना है कि लेक व्यू और खुले वातावरण और वीआईपी तमगे ने इस क्षेत्र की प्रॉपर्टी को खासा महंगा बनाया है। बताया जा रहा है कि नए निर्माण में बनने वाले सबसे छोटे फ्लैट की कीमत करीब दो करोड़ रुपए है। इसके अलावा बड़े बंगले और अधिक सुविधा वाले फ्लैट्स की कीमतें राजधानी में सबसे महंगे कहे जा सकते हैं।