घर छोड़ कर प्रेमी के साथ गई युवती बरामद, पुलिस ने ससुराल वालों को सुपुर्द किया

खजनी गोरखपुर।।थाना क्षेत्र के एक गांव की निवासी युवती परिवारजनों की मर्जी के खिलाफ बीते जनवरी माह में अपने प्रेमी के साथ चली गई थी। बेटी के बिना बताए घर से चले जाने पर परेशान परिवारीजनों ने संभावित स्थानों पर तलाश के बाद जब बिटिया का कहीं पता नहीं चला तो परिजनों ने खजनी थाने में पहुंच कर शिकायत दर्ज कराई थी।

पुलिस ने गूमशूदगी दर्ज कर युवती की तलाश शुरू कर दी थी। जांच पड़ताल के दौरान पहले उसकी लोकेशन अहमदाबाद गुजरात की मिल रही थी, पुलिस तलाश में वहां जाने की तैयारी कर ही रही थी कि उसकी लोकेशन प्रयागराज मेला क्षेत्र दर्शाने लगी थी। कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार पुलिस ने युवती को उसके प्रेमी के साथ बरामद कर लिया।

इस बीच युवती ने अपने प्रेमी के साथ एसएसपी गोरखपुर कार्यालय में पहुंचकर प्रार्थनापत्र देकर अवगत कराया कि वह स्वेच्छा से अपने प्रेमी के साथ गई थी, दोनों ने विवाह कर लिया है वह गर्भवती है तथा अपने पति के साथ रहना चाहती है।

आज अपराह्न युवती के खजनी थाने में पहुंचते ही युवती के भाई मां एवं अन्य परिवारजनों ने उसे समझा बुझाकर अपने साथ ले जाने का प्रयास किया। सामाजिक प्रतिष्ठा मान मर्यादा का हवाला देते हुए बिटिया के पांव पकड़ कर उसे वापस घर लौट आने के लिए मनाते रहे, किंतु युवती ने मायके वालों के सभी अनुरोध ठुकरा दिए और अपने पति तथा ससुराल के लोगों के साथ चली गई।

इस दौरान खजनी थाने में युवती को मनाने का प्रयास और नाटकीय घटनाक्रम घंटों तक चलता रहा।

थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर अर्चना सिंह ने बताया कि युवती बालिग थी इसलिए विधिक औपचारिकताएं पूरी कराने के बाद उसे पति और ससुराल वालों के साथ भेज दिया गया है।

खजनी एसडीएम का स्थानांतरण नवागत उप जिलाधिकारी ने पदभार संभाला

खजनी गोरखपुर।प्रशासनिक व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित रखने के उद्देश्य से जिलाधिकारी कृष्ण करूणेश के निर्देश पर निवर्तमान उप जिलाधिकारी खजनी कुंवर सचिन कुमार सिंह को जिले की सदर तहसील का उप जिलाधिकारी बनाया गया वहीं गोला तहसील में कार्यरत रहे उप जिलाधिकारी राजेश प्रताप सिंह को खजनी तहसील का उप जिलाधिकारी बनाया गया।

आज खजनी तहसील मुख्यालय में पहुंचे उप जिलाधिकारी राजेश प्रताप सिंह पदभार संभाला।

पदभार ग्रहण करने के पश्चात उन्होंने तहसील के अपने अधिनस्थ कर्मचारियों से औपचारिक मुलाकात की और क्षेत्रीय जनों को सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के निर्बाध क्रियान्वयन तथा पीड़ितों को त्वरित एवं निष्पक्ष न्याय का भरोसा दिलाया कार्यभार संभाले जाने पर दर्जनों की संख्या में क्षेत्र के तहसील के अधिवक्ताओं गणमान्य जनों, ग्रामप्रधानों और अधिकारियों ने प्रसन्नता जताई है।

*दवाओं के अन्वेषण में हो रहे हैं नए प्रयोग : डॉ. रामा द्विवेदी*


गोरखपुर, 5 फरवरी। जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय, वाशिंगटन डीसी, यूएसए के प्रो. (डॉ.) रामा एस. द्विवेदी ने कहा कि वर्तमान दौर में दवाओं के अन्वेषण में नए प्रयोग हो रहे हैं। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की तरफ से इस पर खासा जोर दिया जा रहा है।

डॉ. रामा बुधवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के पंचकर्म सभागार में ‘दवा अनुमोदन प्रक्रिया और कैंसर’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। दवा अनुमोदन प्रकिया पर अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन में अन्वेषकीय दृष्टि से अनंत चुनौतियां और संभावनाएं हैं। उच्च स्तरीय गुणवत्ता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में दवाओं पर शोध कार्य किया गया है जिससे दवाओं और वैक्सीन के अच्छे परिणाम आए हैं। यूएस एफडीए के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. रामा ने दवा विकास के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं के बारे महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए बताया कि दोनों प्रकार की दवाओं में समान तत्व होते हैं और वे समान औषधीय प्रभाव दिखाते हैं। हालांकि, जेनेरिक दवाएं ब्रांड नाम वाली दवाओं की तुलना में सस्ती होती हैं।

डॉ. रामा ने एफडीए द्वारा दवा अनुमोदन की प्रक्रिया को भी विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि एफडीए कर्मचारी दवाओं की सुरक्षा और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया। व्याख्यान में डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने सामान्य कैंसर, स्तन कैंसर, मुंह के कैंसर और ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) का परिचय दिया। डॉ. अनुराग ने कैंसर के प्रभाव उसके उपचार और रोकधाम पर सभी का मार्गदर्शन किया। अतिथि स्वागत फार्मेसी संकाय के प्राचार्य डॉ. शशिकांत सिंह, संचालन सहायक आचार्य पीयूष आनंद व धन्यवाद ज्ञापन आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदान्तम ने किया।

इस अवसर पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरविंद सिंह कुशवाहा, संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो . सुनील कुमार सिंह, कृषि विज्ञान के अधिष्ठाता डाॅ. विमल कुमार दुबे, पैरामेडिकल संकाय के प्राचार्य डॉ रोहित श्रीवास्तव, बीबीए लॉजिस्टिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. तरुण श्याम, डॉ अमित दुबे, डॉ अनुपमा ओझा, डॉ संदीप कुमार श्रीवास्तव, डॉ.आशुतोष श्रीवास्तव, धनंजय पाण्डेय, डॉ अमित उपाध्याय, डॉ अभिषेक कुमार सिंह, प्रवीण कुमार सिंह समेत सभी शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

*मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है आयुष विश्वविद्यालय*

गोरखपुर, 6 फरवरी। चिकित्सा क्षेत्र को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक और प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय की ओपीडी का क्रेज बढ़ रहा है। लोग आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी जैसी हानिरहित चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञों के परामर्श और यहां मिल रही मुफ्त दवाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। विश्वविद्यालय का निर्माण फिनिशिंग लेवल पर है और इसके पूर्ण होते ही यहां आईपीडी की सुविधा मिलने लगेगी।

भटहट के पिपरी में 52 एकड़ क्षेत्रफल में निर्माणाधीन महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास 28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। शिलान्यास के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां आकर कई बार निर्माण कार्य का जायजा ले चुके हैं। अब इसका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। फिनिशिंग से संबंधित जो कुछ कार्य शेष हैं, वह भी जल्द पूर्ण हो जाएंगे। विश्वविद्यालय के औपचारिक उद्घाटन से पूर्व ही ओपीडी की सेवाएं मिल रही हैं।

आयुष विश्वविद्यालय में आयुष ओपीडी का शुभारंभ 15 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। तब से प्रतिदिन यहां आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी की ओपीडी में बड़ी संख्या में मरीज परामर्श लेते हैं। काय चिकित्सा, शल्य चिकित्सा के विशेषज्ञों के परामर्श के साथ ही मरीजों को पंचकर्म चिकित्सा की भी महत्वपूर्ण सुविधा प्राप्त हो रही है। ओपीडी शुभारंभ के बाद अब तक करीब एक लाख आयुष चिकित्सकों से परामर्श लाभ ले चुके हैं।

आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह बताते हैं कि आयुष विश्वविद्यालय में आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी विधाओं की पर्याप्त गुणवत्तापूर्ण औषधियां उपलब्ध हैं जिनका भंडारण व्यवस्थित तरीके से किया जाता है। सभी रोगियों को चिकित्सकों के परामर्श के अनुरूप ये दवाएं मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। यह ध्यान दिया जाता है कि एक भी रोगी मुफ्त दवा पाने से वंचित न रहे। कुलपति के अनुसार आयुष विश्वविद्यालय में अंतरंग रोगियों की सेवा के लिए भी युद्ध स्तरीय प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही अंतरंग रोगियों को भी गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मिलने लगेगी।

आयुष कॉलेजों का नियमन भी करता है आयुष विश्वविद्यालय

प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने से पहले आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, सिद्धा की चिकित्सा पद्धति, जिन्हें समन्वित रूप में आयुष कहा जाता है, के लिए अलग-अलग संस्थाएं रही हैं। पर, सत्र 2021-22 से प्रदेश के सभी राजकीय और निजी आयुष कॉलेजों का नियमन अब आयुष विश्वविद्यालय से ही होता है। वर्तमान सत्र 2024-25 में प्रदेश के 97 आयुष शिक्षण (आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी) के कॉलेज/संस्थान इस विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।

सृजित होंगे रोजगार के नए अवसर

आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने से आयुष हेल्थ टूरिज्म में रोजगार की संभावनाएं भी सृजित होंगी। इस पर गंभीरता से काम किया गया तो प्रदेश के इस पहले आयुष विश्वविद्यालय के आसपास के गांवों के लोगों को रोजगार के किसी न किसी स्वरूप से जोड़ा जा सकता है। आयुष विश्वविद्यालय के पूर्णतः क्रियाशील होने से किसानों की खुशहाली और नौजवानों के लिए नौकरी-रोजगार का मार्ग भी प्रशस्त होगा। लोग आसपास उगने वाली जड़ी बूटियों का संग्रह कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे। किसानों को औषधीय खेती से ज्यादा फायदा मिलेगा। आयुष विश्वविद्यालय व्यापक पैमाने पर रोजगार और सकारात्मक परिवर्तन का कारक बन सकता है।

*’मिशन मंझरिया’ से 28 हजार मरीजों को मिली चिकित्सा सुविधा*

गोरखपुर, 6 फरवरी। एक शिक्षण संस्था नियमित पाठ्यक्रमों से शिक्षा के प्रसार के साथ समाज के अंतिम पायदान पर बैठे लोगों की चिकित्सा सेवा भी कर सकती है, इसका उदाहरण प्रस्तुत किया है महाराणा प्रताप महाविद्यालय (एमपीपीजी कॉलेज) जंगल धूसड़ ने। इस कॉलेज के बीएड विभाग ने मंझरिया गांव को गोद लेकर इस गांव को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुदृढ़ करने के लिए वर्ष 2016 से ‘मिशन मंझरिया’ नामक एक सामाजिक प्रकल्प शुरू किया है। इस मिशन के तहत लगने वाले निशुल्क चिकित्सा शिविर के जरिये अब तक 28 हजार मरीज चिकित्सा सुविधा प्राप्त कर चुके हैं।

महाराणा प्रताप महाविद्यालय में बीएड विभाग की अध्यक्ष शिप्रा सिंह बताती हैं कि महाविद्यालय के संरक्षक एवं मार्गदर्शक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से मंझरिया गांव में शिक्षा और चिकित्सा से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए ‘मिशन मंझरिया’ की शुरुआत की गई। इस मिशन के तहत गांव के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने की व्यवस्था है तो लोगों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय के सहयोग निशुल्क शिविर आयोजित किए जाते हैं। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की स्मृति में चिकित्सा शिविर सप्ताह में दो दिन बुधवार और गुरुवार को लगाए जाते हैं।

इस गुरुवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय, के बीएड विभाग के अभिगृहित ग्राम मंझरिया में ‘मिशन मंझरिया’ के अंतर्गत फ्री मेडिकल कैम्प लगाया गया। इसमें गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय के चिकित्सक जितेन्द्र कुमार मिश्र ने कैम्प में आये हुए ग्रामीणों की जांच और इलाज किया एवं रोग के अनुसार निशुल्क दवा का वितरण किया। कुल 54 मरीजों को मुफ्त इलाज और दवा की सुविधा प्राप्त हुई। कैम्प में बीएड विभाग के शिक्षक शैलेंद्र सिंह और जितेंद्र प्रजापति के मार्गदर्शन में बीएड चतुर्थ सेमेस्टर के कुल 38 छात्राध्यापक एवं छात्राध्यापिकाओं ने सहयोग किया।

सीआरसी गोरखपुर ने प्रोविडेंस होम जंगल एकला दो में आयोजित किया दिव्यांगजन असेसमेंट और वितरण कैंप

गोरखपुर। सीआरसी गोरखपुर ने प्रोविडेंस होम जंगल एकला नंबर दो में दिव्यांगजन असेसमेंट और वितरण कैंप का आयोजन किया। जिसमें 25 से ज्यादा बौद्धिक दिव्यांग बच्चों को टीएलएम किट प्रदान करने के लिए चिन्हित किया गया तथा 6 सीपी बच्चों को सीपी चेयर प्रदान की गई। इसके अलावा 24 बच्चों का मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी किया गया। असेसमेंट कैंप हेतु सीआरसी गोरखपुर से पुनर्वास अधिकारी राजेश कुमार यादव, मंजेश कुमार और अरविंद कुमार पांडे नामित हुए थे।

 जिन्होंने जाकर के बच्चों का असेसमेंट किया तथा उनको उचित उपकरण प्रदान किए जाने हेतु नामित किया। सीआरसी गोरखपुर के निदेशक जितेंद्र यादव ने इस कैंप की सफलता पर अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की तथा यह भरोसा दिलाया कि इस होम के दिव्यांगजन बच्चों को यदि अन्य प्रकार के सहायक उपकरण की आवश्यकता होगी तो उनके लिए सीआरसी सुनिश्चित करेगी कि उनको उपकरण मिल सके। इस अवसर पर सीआरसी गोरखपुर के नैदानिक मनोविज्ञान विभाग की दो प्रशिक्षु रूवीनिशा और चंचल त्रिपाठी सहित फादर साजी जोसेफ, निदेशक, पीजीएसएस और आनंद पान्डेय आदि उपस्थित रहे।

धूल प्रदूषण से जानलेवा बने ईंट भट्ठे की एसडीएम से शिकायत

खजनी गोरखपुर।इलाके के नैपुरा गांव के निवासी जयनाथ चौबे ने उप जिलाधिकारी कुंवर सचिन सिंह को प्रार्थनापत्र देकर बताया कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, उनके गांव नैपुरा की ओर जाने वाले संपर्क मार्ग पर बने ईंट भट्ठों के कारण वाहनों के आवागमन से अथवा तेज हवा चलने पर धूल के घने गुबार के कारण लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। प्रार्थनापत्र में बताया गया है कि डीएस मार्का, रमेश मार्का और काका मार्का ईंट भट्ठों पर आने जाने वाले वाहनों तथा नीजी वाहनों के आवागमन से उड़ने वाली धूल के कारण स्कूल जाने वाले बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं।

कई लोग प्रदूषण के कारण दमा, एलर्जी और त्वचा रोग के शिकार हो चुके हैं और अपना इलाज करा रहे हैं। मामले में स्थानीय लोगों ने बताया कि हमारे घरों के बाहर,दरवाजें और खिड़कियों पर धूल की मोटी परत जम जाती है। रोज सफाई करने पर भी कोई राहत नहीं मिलती, सुबह धूल साफ करें तो शाम तक फिर वही स्थिति हो जाती है।

मामले में एसडीएम के निर्देश पर जांच के लिए पहुंचे नायब तहसीलदार रामसूरज प्रसाद ने मौके पर पहुंचकर जांच की उन्होंने बताया कि समस्या गंभीर है उनके द्वारा जांच के बाद रिपोर्ट एसडीएम को सौंप दी गई है।

इस संदर्भ में एसडीएम कुंवर सचिन सिंह ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर ईंट भट्ठे के मालिकों को नोटिस भेज कर उन्हें समस्या के समाधान हेतु बुलाया जाएगा।

सिपाही पिटाई प्रकरण,डॉक्टर पर मेहरबानी,हल्की धारा लगाकर बचा रही पुलिस

गोरखपुर : डॉ. अनुज सरकारी और उनके कर्मचारियों पर पुलिस मेहरबानी दिखा रही है। सिविल कोर्ट ने आदेश दिया तो कोरम पूरा करने के लिए आखिरी दिन हल्की धारा में केस दर्ज कर लिया गया। इसमें डॉक्टर और कर्मचारियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। ये आरोप सिपाही के पिता सेवानिवृत्त दरोगा चंद्रदेव ने लगाए हैं। उन्होंने बताया कि 14 गंभीर धाराओं में केस दर्ज करने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया था।

कोतवाली खलीलाबाद क्षेत्र के मंझरिया गंगा निवासी सिपाही पंकज के पिता चंद्रदेव मंगलवार को घर पर उदास बैठे थे। चंद्रदेव पुलिस विभाग में दरोगा पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। पुलिस विभाग में 40 साल की सेवा देने वाले चंद्रदेव बताते हैं कि डॉक्टर का पुलिस पर इतना प्रभाव है कि बेटे और बहू पर अत्याचार किया गया। इसके बाद भी बेटे पर ही केस दर्ज कराकर उसे जेल भिजवा दिया गया। बेटे-बहू के साथ हुई घटना को पुलिस ने दबा दिया।

चंद्रदेव ने बताया कि केस दर्ज कराने के लिए न्यायालय में 17 जनवरी को बहस हुई। इसके बाद 18 जनवरी को कोर्ट की तरफ से न्यायाधीश ने केस दर्ज करने का आदेश दे दिया। फिर भी पुलिस मामले में केस दर्ज करने से कतराती रही। जब न्यायालय की ओर से दिए गए दो सप्ताह का समय बीत गया और लगा कि अवमानना झेलनी पड़ेगी, तब केस दर्ज किया गया। जो पुलिस हमारा केस ही नहीं दर्ज कर रही थी, वह पुलिस निष्पक्षता से मामले की विवेचना कैसे करेगी। अगर ठीक से विवेचना हो जाए तो अभी और भी धाराएं इस केस में बढ़ेंगी।

उन्होंने बताया कि बेटा पंकज जेल से रिहा होने के बाद परिवार के लोगों को सांत्वना देने के साथ खुद भी शांत होने का प्रयास कर रहा है। वह अभी तक ड्यूटी पर नहीं जा सका है। बहाली के लिए वह आवश्यक प्रयास कर रहा है।

सिपाही की पत्नी नहीं भूल पा रही दुर्व्यवहार

सिपाही की पत्नी अदिति तीन नवंबर को हुई घटना को याद करके सिहर जाती हैं। उनकी जेहन में घटना को लेकर भय व्याप्त है। उनके ससुर बताते हैं कि वह सारी प्रताड़नाओं को भूल जाए, इसके लिए कुछ दिनों के लिए मायके वाराणसी भेज दिया है। उसके साथ जो दुर्व्यवहार किया गया था, उसको लेकर वह काफी दुखी रहने लगी है।

पिता बोले- हमारे साथ हैं अधिवक्ता और आम जनता

चंद्रदेव ने कहा कि उनके साथ गोरखपुर के अधिवक्ताओं के साथ ही वहां की आम जनता भी है। कई दूसरे लोग भी इस डॉक्टर से पीड़ित हैं। न्यायालय ने हमारा साथ नहीं दिया होता तो पुलिस केस भी नहीं दर्ज करती। न्यायालय ने सच का साथ दिया। हम लोगों को ऐसे व्यक्ति के ऊपर केस दर्ज कराने में सफलता मिली, जो प्रभावशाली और पुलिस विभाग में अच्छी पकड़ रखता है।

नहीं लगाई जानलेवा हमले की धारा

चंद्रदेव ने कहा कि बेटे के सिर में गंभीर चोट आई थी, पुलिस ने ही मेडिकल कराया था। इसके बाद भी मारपीट की धारा लगा दी गई, जानलेवा हमले की धारा नहीं लगाई गई। जबकि कोर्ट ने हत्या के प्रयास के साथ ही 13 और धाराओं में केस दर्ज करने का आदेश दिया है। सोच समझकर इस तरह एफआईआर लिखी गई है कि डॉक्टर की गिरफ्तारी न हो। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। कोर्ट में इसके खिलाफ फिर प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाएगा। बेटे के साथ मारपीट का वीडियो और मेडिकल रिपोर्ट मौजूद है।

आख़री नबी की पाक मां, बीवियां और बेटियां’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण

गोरखपुर। मजलिस असहाबे क़लम द्वारा हिंदी भाषा में प्रकाशित 'आख़री नबी की पाक मां, बीवियां और बेटियां’ पुस्तक का लोकार्पण मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन, नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी, नेहाल अहमद, मुफ्ती गुलाम नबी, कारी सरफुद्दीन मिस्बाही, हाफिज आफताब अहमद, हाफिज नजरे आलम कादरी, एडवोकेट मो. आज़म, नवेद आलम, सद्दाम हुसैन, आतिफ अहमद द्वारा किया गया। कारी मुहम्मद अनस क़ादरी, आलिमा शहाना खातून, मुफ्तिया कहकशां फ़िरदौस व मदरसा रज़ा-ए-मुस्तफा की छात्राओं शिफा खातून, गुल अफ्शा खातून, सना फातिमा, अदीबा फातिमा, सादिया द्वारा लिखित 128 पेज की पुस्तक में पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, आपकी मां, बीवियों और बेटियों की पाक ज़िंदगी, कुर्बानियों व उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक लिखने वाली छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया। इसी के साथ हर खास ओ आम में पुस्तक की 1100 प्रतियां निशुल्क बांटने का सिलसिला शुरू हो गया है।

मुख्य अतिथि मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि 'आख़री नबी की पाक मां, बीवियां और बेटियां’ पुस्तक आसान हिंदी भाषा में और प्रमाणिक पुस्तकों के जरिए लिखी गई है। जिसमें पैग़ंबरे इस्लाम और आपकी मां, बीवियों व बेटियों की ज़िंदगी, ख़िदमात व कुर्बानियों को बहुत शानदार अंदाज़ व संक्षेप में पेश किया गया है। इस पुस्तक से नई नस्ल को काफी फायदा होगा। पुस्तक को अगर स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए तो छात्रों को काफी लाभ होगा। मिलाद की महफ़िल में भी इस किताब के जरिए बयान किया जा सकता है।

अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने कहा कि ‘आख़री नबी की पाक मां, बीवियां और बेटियां’ आसान हिंदी ज़बान में लिखी गई प्रमाणिक पुस्तक है। जिसे तैयार करने में कारी मुहम्मद अनस क़ादरी व मदरसा रज़ा-ए-मुस्तफा की छात्राओं ने बहुत मेहनत की है। छह माह के अथक प्रयास से यह पुस्तक लोगों के हाथों में है। निश्चित रूप से यह पुस्तक आने वाली पीढ़ी और अवाम के लिए लाभदायक साबित होगी।

कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि इस पुस्तक से नई नस्ल को इस्लाम धर्म के बारे में जानने में मदद मिलेगी। सभी को यह पुस्तक पढ़नी चाहिए।

छात्राओं को हाफिज व कारी अयाज अहमद, अलाउद्दीन निजामी, ज्या वारसी, कनीज़ फातिमा, फिज़ा खातून, नूर फातिमा, हाफिज रहमत अली निजामी, मो. अदहम, आसिम अहमद, नज़ीर अहमद सिद्दीकी, अजरा जमाल, मौलाना महमूद रज़ा, सैयद नदीम अहमद, हाफिज अशरफ रज़ा, मौलाना दानिश रज़ा, सैयद फरहान अहमद, हाजी सेराज अहमद, इरफ़ान सिद्दीक़ी, तनवीर आजाद, एडवोकेट दिलशाद परवेज, सैयद कासिफ अली, सैयद हुसैन अहमद, शादाब अहमद सिद्दीकी, इंजमाम खान, समीर अली, हाजी सुहैल, अमीन अंसारी, शीराज सिद्दीकी, आसिफ मकसूद, हाफिज हदीस, अब्दुर्रहमान, अली अकबर, रेयाज अहमद राईनी, हाफिज रजी अहमद, अहद हुसैन, तौसीफ अहमद, मौलाना जहांगीर अहमद, मुफ्ती शोएब रज़ा, गुलाम जीलानी अशरफी, शमीम खान, ताबिश सिद्दीकी, शहनवाज अहमद, एमएस खान, मो. नदीम आदि ने मुबारकबाद पेश की।

*चौरी चौरा दुर्लभ दस्तावेज प्रदर्शनी का समापन, इतिहास के अनदेखे पन्नों से हुआ साक्षात्कार*

गोरखपुर: चौरी चौरा विद्रोह की दुर्लभ ऐतिहासिक सामग्री को प्रदर्शित करने वाली महुआ डाबर संग्रहालय की दो दिवसीय विशेष प्रदर्शनी का समापन सेंट एंड्रयूज पीजी कॉलेज, गोरखपुर में हुआ। समापन समारोह में इतिहासकारों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों की उपस्थिति में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अज्ञात पहलुओं पर चर्चा की गई।

समापन समारोह में कल्चरल क्लब के समन्वयक प्रो. जे. के. पांडेय के संबोधन से हुई। उन्होंने कहा, "इस प्रदर्शनी ने हमें चौरी चौरा विद्रोह और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दुर्लभ दस्तावेजों से रूबरू कराया। हम उन सभी प्रतिभागियों, शोधकर्ताओं और इतिहास प्रेमियों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपनी उपस्थिति से इसे सार्थक बनाया।"

आरटीआई एक्टिविस्ट अविनाश गुप्ता ने कहा कि "इतिहास सिर्फ घटनाओं का संग्रह नहीं, बल्कि हमारी चेतना का दर्पण है। चौरी चौरा विद्रोह और असहयोग आंदोलन के इन दुर्लभ दस्तावेजों को देखकर यह समझ आता है कि स्वतंत्रता संग्राम का हर मोर्चा कितना महत्वपूर्ण था।"

इस अवसर पर महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि "हमने इस प्रदर्शनी के माध्यम से उन अनदेखे दस्तावेजों को प्रस्तुत किया, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षों को और अधिक प्रामाणिकता से दर्शाते हैं। यह दुर्लभ दस्तावेज हमारे राष्ट्र की धरोहर हैं और इन्हें संरक्षित कर अगली पीढ़ी तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है।"

समारोह में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। मारुति नंदन चतुर्वेदी ने समापन वक्तव्य देते हुए कहा कि "इतिहास की यह झलक हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है और हमें प्रेरित करती है कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को न भूलें। हमारी आशा है कि इस प्रदर्शनी से मिली जानकारियां आपकी सोच को नई दिशा देंगी।"

कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। उपस्थित दर्शकों ने प्रदर्शनी को ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताते हुए आयोजकों की सराहना की।