समंदर में दुश्मन का हर वार होगा नाकाम, रूस से एंटी-शिप क्रूज मिसाइल खरीद रहा भारत, बढ़ेगी नौसेना की ताकत

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भारत लगाातार अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है। साउथ एशिया में भारत एक मजबूत देश के रूप में उभर रहा हैं। अब भारत सरकार ने इंडियन नेवी को और ताकतवर बनाने के लिए रूस से क्लब-एस क्रूज मिसाइलों की खरीददारी के लिए बहुत बड़ा समझौता किया है। भारत ने एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों की खरीद के लिए रूस के साथ ये अहम समझौता किया है। इस कदम से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की युद्धक क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।

रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी दी। मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया कि आज रक्षा मंत्रालय ने रूस के साथ एंटी-शिप क्रूजत मिसाइल की खरीद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन मिसाइलों से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। समझौता रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में किया गया। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने मिसाइल सिस्टम के नाम, संख्या और लागत को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है

बता दें कि एंटी-शिप क्रूज मिसाइल गाइडेड मिसाइल होती हैं, जिसे समुद्र में दुश्मन के जंगी जहाजों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें पनडुब्बियों में लगाया जाता है, और ये पलभर में दुश्मन के फाइटर जेट्स को तबाह करने की क्षमता रखती हैं। बता दें कि कई देशों ने अपने यहां एंटी-शिप क्रूज मिसाइल विकसित की हैं। रूस की एंटी-शिप क्रूज मिसाइल को काफी पावरफुल माना जाता है।

इन मिसाइलों को भारतीय नौसेना की किलो-क्लास अटैक पनडुब्बियों में फिट किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी मिसाइलों को सिंधुघोष-क्लास के नाम से जानी जाने वाली डीजल-इलेक्ट्रिक पावर्ड अटैक पनडुब्बियों में लैस किया जाएगा। जो किलो-क्लास (प्रोजेक्ट 877) पर आधारित है। इन पनडुब्बियों को भारत ने 1980 के दशक में सोवियत संघ से खरीदा था।

भारतीय नौसेना कलवरी, सिंधुघोष और शिशुमार क्लास की पनडुब्बियों का संचालन करती हैं। सिंधुघोष-क्लास या किलो-क्लास पनडुब्बियां रूस और भारत के बीच एक समझौते के तहत निर्मित डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं। ये लंबी दूरी के गश्त के लिए डिजाइन की गई हैं और टॉरपीडो तथा मिसाइलों से लैस हैं। इस बेड़े में आईएनएस सिंधुघोष, आईएनएस सिंधुध्वज, सिंधुराज, आईएनएस सिंधुवीर, आईएनएस सिंधुरत्न, आईएनएस सिंधुकेसरी, आईएनएस सिंधुकिर्ती, आईएनएस सिंधुविजय, आईएनएस सिंधुरक्षक और आईएनएस सिंधुशस्त्र शामिल हैं। हालांकि, आईएनएस सिंधुध्वज, आईएनएस सिंधुरक्षक और आईएनएस सिंधुवीर अब सेवा में नहीं हैं और अगले 2-3 सालों में दो और पनडुब्बियों के सेवानिवृत्त होने की संभावना है।

यूएस से डिपोर्ट भारतीयों को लेकर आया प्लेन पंजाब में क्यों उतरा? कांग्रेस उठा रही सवाल

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अमेरिका से 104 अवैध अप्रवासियों की वापसी हो चुकी है। उनको लेकर आए सैन्य विमान की लैंडिंग पंजाब के अमृतसर में हुई। निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश, दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित किए गए लोगों में 19 महिलाएं और चार वर्षीय एक बच्चा, पांच व सात वर्षीय दो लड़कियों सहित 13 नाबालिग शामिल हैं। इस बीच प्लेन के देश की राजधानी दिल्ली की जगह अमृतसर में लैंडिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

कांग्रेस ने निर्वासित भारतीयों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमान को दिल्ली के बजाय अमृतसर में उतरने की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने कहा कि शहर को 'धारणा' और 'नैरेटिव' को ध्यान में रखते हुए चुना गया था।

“बदनाम करने वाले नैरेटिव”

कांग्रेस के जालंधर कैंट विधायक परगट सिंह ने कहा कि पंजाब की तुलना में गुजरात सहित अन्य राज्यों से अधिक निर्वासित लोग हैं। परगट सिंह ने सोशल मीडिया प्लोट कहा कि जब पंजाब अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मांग करता है, तो पंजाब को आर्थिक लाभ से वंचित करने के लिए केवल दिल्ली एयरपोर्ट को अनुमति दी जाती है। लेकिन जब बदनाम करने वाले नैरेटिव की बात आती है, तो एक अमेरिकी निर्वासन विमान पंजाब में उतरता है। भले ही उसमें अधिककर निर्वासित गुजरात और हरियाणा से हों।

लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग

वहीं, अमृतसर से सांसद और कांग्रेस नेता गुरजीत औजला ने विमान को अमृतसर में उतारे जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग का नोटिस देते हुए पूछा कि प्लेन को दिल्ली में क्यों नहीं उतारा गया? उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए एक्स पर लिखा, शर्मनाक और अस्वीकार्य! मोदी सरकार ने भारतीय अप्रवासियों को बेड़ियों में जकड़े हुए विदेशी सैन्य विमान से वापस भेजने की अनुमति दी। कोई विरोध क्यों नहीं? वाणिज्यिक उड़ान क्यों नहीं? विमान दिल्ली में क्यों नहीं उतरा? यह हमारे लोगों और हमारी संप्रभुता का अपमान है। सरकार को जवाब देना चाहिए!’

आप ने भी घेरा

इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने सवाल किया है कि विमान की लैंडिंग अमृतसर में क्यों कराई गई। देश के किसी अन्य राज्य में विमान को क्यों नहीं उतारा गया। आप पंजाब के अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने सवाल किया कि विमान अमृतसर में क्यों उतरा, देश के किसी अन्य हवाई अड्डे पर क्यों नहीं। उन्होंने कहा, जब निर्वासित लोग पूरे देश से हैं, तो विमान को उतारने के लिए अमृतसर को क्यों चुना गया? यह सवाल हर किसी के दिमाग में है। अमन अरोड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। पंजाब की तुलना में अन्य राज्यों के लोग (निर्वासित) अधिक हैं. इस विमान को उतारने के लिए अमृतसर को चुनना एक सवालिया निशान खड़ा करता है।

जयशंकर ने यूएस से डिपोर्ट अवैध भारतीय प्रवासियों पर दिया जवाब, सदन को बताया सरकार को थी जानकारी

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अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों पर राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बयान दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि यदि कोई नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहा पाया जाता है तो उसे वापस बुलाना सभी देशों का दायित्व है।उन्होंने कहा अमेरिका के नियम के तहत यह कार्रवाई हुई। पहले भी इस तरह की कार्रवाई हुई है। यह कोई नया प्रोसेस नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी सरकार से संपर्क कर रहे हैं कि निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, हम जानते हैं कि कल 104 लोग वापस आए। हम ही हैं जिन्होंने उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि की। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि यह कोई नया मामला है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जो पहले भी होता रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वापस लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति (अमेरिका से निर्वासित भारतीय) के साथ बैठें और पता लगाएं कि वे अमेरिका कैसे गए, एजेंट कौन था, और हम कैसे सावधानी बरतें ताकि यह फिर से न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, भारतीय प्रवासी अमानवीय हालात में फंसे थे. अवैध रूप में रह रहे लोगों को वापस स्वदेश भेजा जाता है. हमारे कई नागरिक गलत तरीके से अमेरिका पहुंचे थे. अवैध प्रवासियों को वापस लाना ही था। उन्होंने कहा कि साथ ही, सदन इस बात की सराहना करेगा कि हमारा ध्यान अवैध आव्रजन उद्योग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्वासितों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, कानून प्रवर्तन एजेंसियां एजेंटों और ऐसी एजेंसियों के खिलाफ आवश्यक, निवारक और अनुकरणीय कार्रवाई करेंगी।

एग्जिट पोले में दिल्ली में खिल रहा कमल, अगर बीजेपी की बनी सरकार तो कौन होगा सीएम?

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दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को मतदान हुआ। इसके बाद अब एग्जिट पोल सामने आए। एग्जिट पोल में दिल्ली में बड़ा बदलाव होता दिख रहा है। लगभग सभी एग्जिट पोल में बीजेपी को करीब 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की संभावना जताई गई है। सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत और आम आदमी पार्टी की हार का अनुमान लगा रहे हैं। एग्जिट पोल में जिस तरह से अनुमान लगाए गए हैं अगर 8 फरवरी को चुनाव नतीजों में तब्दील होते हैं तो फिर 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी दिल्ली में किसे मुख्यमंत्री बनाएगी?

बीजेपी ने अपने किसी भी नेता को दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा था। पीएम मोदी के नाम और काम को लेकर बीजेपी दिल्ली चुनाव में उतरी थी। अब सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत के अनुमान के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ा है। पार्टी के भीतर कई नामों पर चर्चा हो रही है, फैसला चुनाव नतीजों के बाद होगा। फिलहाल रेस में जो पांच नाम सबसे आगे चल रहे हैं।

बीजेपी जीती तो कौन होगा सीएम?

प्रवेश वर्मा- बीजेपी के जीतने की सूरत में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का है। नई दिल्ली सीट पर उनका मुकाबला सीधे आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के संदीप दीक्षित से है। यह सीट हालिया चुनावों की सबसे चर्चित सीट रही है। वर्मा ने ‘केजरीवाल हटाओ, देश बचाओ’ अभियान चलाया और बेहद आक्रामक ढंग से प्रचार किया। उन्होंने प्रदूषण, महिला सुरक्षा और यमुना की गंदगी जैसे मसलों पर आप सरकार को जमकर घेरा।

दुष्यंत कुमार गौतम- बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम भी सीएम रेस में हैं। दिल्ली के करोल बाग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे गौतम बीजेपी का दलित चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के तमाम अहम पदों पर रह चुके हैं। अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं.

दुष्यंत कुमार गौतम ने अपना सियासी सफर एबीवीपी से शुरू किया था। दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। दुष्यंत कुमार गौतम ने संगठनात्मक राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। दिल्ली में दलित वोटों को जोड़े रखने के लिए बीजेपी उनके चेहरे को प्रोजेक्ट कर सकती है।

कपिल मिश्रा- कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि रखने वाले कपिल दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं। वह 2019 में बीजेपी से जुड़ने से पहले करावल नगर सीट से ही आप के विधायक थे। कपिल मिश्रा, राजधानी में पार्टी के सबसे प्रमुख पूर्वांचली चेहरों में से एक हैं। हालांकि, उन पर फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान नफरत भरे भाषण देने का आरोप लगाया गया था।

विजेंद्रर गुप्ता- दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी और विधायक विजेंदर गुप्ता एक बार फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के सुमेश गुप्ता और आम आदमी पार्टी के प्रदीप मित्तल से है। विजेंदर गुप्ता ने अपनी सियासी पहचान एक मजबूत नेता और केजरीवाल की लहर में भी जीतने में सफल रहने वाले एकलौते नेता के रूप में बनाई हैं। केजरीवाल के 10 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले बीजेपी नेता हैं। दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी अदा कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो विजेंद्रर गुप्ता सीएम पद के प्रबल दावेदार होंगे

रमेश बिधूड़ी- दिल्ली की सीएम आतिशी को कालकाजी सीट से चुनौती देने वाले नेता हैं बिधूड़ी। जैसे ही उनकी उम्मीदवारी का ऐलान हुआ, बिधूड़ी ने आतिशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पहले आतिशी के पिता को लेकर टिप्पणी की। दोनों के बीच विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान लगातार तीखी नोक-झोंक चली है। बिधूड़ी अपने फायरब्रांड अंदाज के लिए जाने जाते हैं।

मनोज तिवारी- दिल्ली में अगर बीजेपी इस बार चुनाव जीत जाती है तो सांसद मनोज तिवारी भी सीएम के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। मनोज तिवारी लगातार तीन बार से नॉर्थ दिल्ली सीट से सांसद हैं और बीजेपी के पूर्वांचल चेहरा माने जाते हैं। मनोज तिवारी तीन बार से लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं। 2024 में बीजेपी ने दिल्ली के 7 में से 6 सांसदों का टिकट काट दिया था, लेकिन मनोज तिवारी एकलौते चेहरा थे, जिनको टिकट दिया था। मनोज तिवारी दिल्ली प्रदेश की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उनके अध्यक्ष रहते हुए 2020 में चुनाव हुए थे, लेकिन बीजेपी सत्ता में नहीं आ सकी।

बता दें कि दिल्ली के सियासी इतिहास में बीजेपी ने 1993 में सरकार बनाई थी और पांच साल के कार्यकाल के दौरान तीन सीएम बनाए थे। 1993 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद ही मदनलाल खुराना को सीएम बनाया था और उसके बाद साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। 1998 चुनाव से पहले साहिब वर्मा की जगह सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बना दिया था। साल 1998के चुनाव हारने के बाद बीजेपी कभी भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। अब 2025 में एग्जिट पोल के लिहाज से बीजेपी सरकार बनाती नजर आ रही है।

मुसलमानों का डर दूर करना है…”मौलाना साजिद रशीदी ने बताया क्यों दिया बीजेपी को वोट

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दिल्ली में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब सभी को चुनाव परिणाम का इतंजार है। चुनाव खत्म होने के बाद ज्यादातर एग्जिट पोल भाजपा के पक्ष में परिणाम बता रहे हैं। इसी बीच ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन (एआईआईए) के अध्यक्ष साजिद रशीदी ने एक बेहद चौंकाने वाला बयान दिया है और दावा किया है ‌उन्होंने इस बार जिंदगी में पहली बार बीजेपी को वोट दिया है।

जिंदगी में पहली बार बीजेपी को किया वोट- मौलाना साजिद

एआईआईए अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर दावा किया कि उन्होंने जिंदगी में पहली बार बीजेपी को वोट किया है। अपनी स्याही वाली उंगली दिखाते हुए उन्होंने कहा, "दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी, इसके लिए मैंने वोट कर दिया है। यह वोट किसको दिया है, यह जान कर आपको बहुत हैरानी होगी।" उनके इस बयान से सियासी हलचल तेज हो गई है।

भाजपा के नाम पर मुसलमानों में डर पैदा किया जा रहा- मौलाना साजिद

मौलाना साजिद रशीदी ने कहा, "मैंने दिल्ली चुनाव में भाजपा को वोट दिया है और अपना वीडियो वायरल किया है क्योंकि भाजपा के नाम पर मुसलमानों में डर पैदा किया जा रहा है और विपक्षी दल कहते हैं कि मुसलमान भाजपा को वोट न दें। मुसलमानों के दिमाग में यह बात बैठा दी गई है कि भाजपा को हराओ, नहीं तो अगर वे सत्ता में आए तो मुसलमानों के अधिकार छीन लिए जाएंगे। मैंने मुसलमानों के मन से उस डर को निकालने के लिए (भाजपा को) वोट दिया है। अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार बनती है तो मैं मुसलमानों को दिखाऊंगा कि मुसलमानों के कौन से अधिकार छीने गए हैं।"

धारणा बन गई है कि मुसलमान बीजेपी के खिलाफ- मौलाना साजिद

मौलाना साजिद कहते हैं कि एक धारणा बन गई है कि मुसलमान केवल बीजेपी को हराने के लिए वोट करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि यह पहली बार है जब उन्होंने बीजेपी को वोट दिया है। साल 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान कहा था कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देंगे। हालांकि, मौजूदा समय में उन्होंने महसूस किया कि मुसलमानों को इतना डरा दिया गया है कि वे डर और सहमकर जीवन जी रहे हैं। उनका मानना है कि बीजेपी को वोट देने से इस डर का सामना किया जा सकता है।

बीजेपी को वोट देकर ये संदेश देने की कोशिश- मौलाना साजिद

मौलाना का यह भी कहना है कि जब हम किसी नेता को वोट देते हैं, तो हमें उनसे सवाल पूछने का अधिकार मिलता है। आज बीजेपी कहती है कि वह मुसलमानों के लिए काम क्यों करे? क्योंकि मुसलमान उन्हें वोट नहीं देते। इसलिए उन्होंने बीजेपी को वोट देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि मुसलमान भी बीजेपी का समर्थन कर सकते हैं और उनसे अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मुझे धमकियां मिल रही हैं और आरोप लगाया जा रहा है कि मैं भाजपा के हाथों बिक गया हूं। ऐसा कुछ नहीं है, मैं भाजपा के किसी नेता से भी नहीं मिला हूं। मेरे खिलाफ मामले दर्ज हैं। मेरा एकमात्र उद्देश्य मुसलमानों के दिल और दिमाग से डर को निकालना है।

चुनाव आयोग मर गया है, सफेद कपड़ा हमें भेंट करना होगा', अखिलेश यादव का विवादित बयान

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समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर विवादित टिप्पणी की है। मिल्कीपुर में वोटिंग के बाद अखिलेश ने गुरुवार को कहा कि चुनाव आयोग मर चुका है। हमें सफेद कपड़ा भेंट करना पड़ेगा। दिल्‍ली में संसद जाने से पहले मीडिया से बातचीत में अखिलेश यादव ने कहा- 'यह भाजपा का चुनाव लड़ने का तरीका है।

सपा के के बूथ एजेंटों को डराया-धमकाया गया-अखिलेश

अखिलेश यादव ने कहा कि मिल्‍कीपुर में वोटिंग के दौरान पुलिस-प्रशासन का रवैया अलोकतांत्रिक रहा। भाजपा के गुंडों ने मिल्कीपुर उपचुनाव को प्रभावित करने के लिए अराजकता की। पुलिस-प्रशासन का उन्हें खुला संरक्षण मिला। पुलिस-प्रशासन ने भाजपा के गुंडों को खुली छूट देकर चुनाव आचार संहिता का घोर उल्लंघन किया। दर्जनों बूथों पर समाजवादी पार्टी के बूथ एजेंटों को डराया-धमकाया गया। भाजपा ने मिल्कीपुर में बेईमानी के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए। भाजपा के गुंडों ने मिल्कीपुर उपचुनाव को प्रभावित करने के लिए अराजकता की। पुलिस-प्रशासन का उन्हें खुला संरक्षण मिला।

डर का माहौल बनाकर मतदान को प्रभावित किया गया-अखिलेश

सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि पुलिस-प्रशासन ने मतदाताओं के बीच डर का माहौल बनाकर मतदान को प्रभावित किया गया। भाजपा के समर्थकों ने खुद स्वीकार किया है कि उन्होंने फर्जी मतदान किया है। फर्जी मतदान करते हुए कुछ लोगों को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अजीत प्रसाद ने खुद पकड़ा है। उन्होंने कहा, मिल्कीपुर उपचुनाव में रायपट्टी अमानीगंज में फर्जी वोट डालने की बात अपने मुंह से कहने वाले ने साफ कर दिया कि भाजपा सरकार में अधिकारी किस तरह से धांधली में लिप्त हैं। निर्वाचन आयोग को और क्या सबूत चाहिए।

सपा फर्जी वोटिंग का आरोप लगा रही

दरअसल, सपा मिल्कीपुर में फर्जी वोटिंग का आरोप लगा रही है। 5 नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल लखनऊ में चुनाव आयोग से भी मिला था। प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मुख्य निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की। पोलिंग एजेंट को बाहर निकाले जाने और फर्जी मतदान का आरोप है।

मिल्कीपुर प्रतिष्ठा का विषय बना

बता दें कि मिल्कीपुर उपचुनाव समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बना हुआ है। यह सीट राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अयोध्या जिले का हिस्सा है। पिछले साल के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद लोकसभा सीट जीतने के बाद सपा सांसद अवधेश प्रसाद की ओर से सीट खाली करने के बाद उपचुनाव की जरूरत पड़ी थी।

दिल्ली में कौन करेगा राज, 2% कम मतदान के क्या हैं मायने?

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी वोटों के लिहाज से पिछला रिकॉर्ड दोहरा पाएगी या फिर बीजेपी या कांग्रेस में से कोई और उससे आगे निकल जाएगी? इस सवाल का जवाब 8 फरवरी को मिलेगा, जब मतगणना के नतीजे आएंगे। इससे पहले एग्जिट पोल के नतीजे आ गए हैं। ज्यादातर एग्जिट पोल ने भाजपा की सरकार बनवा दी। आम आदमी पार्टी हैट्रिक जीत से चूकती नजर आ रही है। अब फाइनल नतीजों का इंतजार है।

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर इस बार 60.44% मतदान हुआ है। सबसे ज्यादा 66.25% वोटिंग नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में और सबसे कम 56.31% वोटिंग साउथ-ईस्ट दिल्ली में हुई। दिल्ली विधानसभा के पिछले 3 चुनावों के मुकाबले इस बार कम वोटिंग हुई है। साल 2013 में 65.63% वोटिंग हुई थी। 2015 में 67.12% और 2020 में 62.59% वोटिंग हुई थी। तीनों बार दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी। इस बार 60.44% वोटिंग हुई है

इसका मतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2020 से करीब 2.15 फीसदी कम। अब सवाल है कि कम वोटिंग के सियासी मायने क्या हैं, इससे किसकी सीटों पर असर पड़ेगा?

क्या है सियासी ट्रेंड?

दिल्ली में 2003, 2008, 2013 और 2015 के विधानसभा चुनावों में वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी देखी गई थी। 2003 में 4.43 प्रतिशत, 2008 में 4.1 प्रतिशत, 2013 में 8 प्रतिशत और 2015 में करीब 1.45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।

2013 छोड़ दिया जाए तो वोट बढ़ने की वजह से कभी सरकार का उलटफेर नहीं हुआ। हालांकि, सीटों की संख्या में जरूर कमी और बढ़ोतरी देखी गई। 2003 में 4.4 प्रतिशत वोट बढ़े तो सत्ताधारी कांग्रेस की सीटें 5 कम हो गई. 2008 में 4.1 प्रतिशत वोट बढ़े तो कांग्रेस की सीटों में 4 की कमी आई।

2013 में कांग्रेस 8 सीटों पर सिमट गई। वोट बढ़ने का सीधा फायदा बीजेपी और नई-नवेली आम आदमी पार्टी को हुआ। 2015 में 1.45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई तो आम आदमी पार्टी की सीटें बढ़ कर 67 पर पहुंच गई।

कम वोटिंग के मायने

इन आंकड़ों से साफ है कि दिल्ली के चुनावों में जब-जब वोटिंग कम हुई है, आम आदमी पार्टी को घाटा हुआ है। इस बार भी वोटिंग कम ही है। ऐसे में यह तय है कि आम आदमी पार्टी की सीटें घटेंगी। ज्यादातर एग्जिट पोल भी यही अनुमान लगा रहे हैं। मगर आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं ही बनेगी, यह कहना भी अभी अतिश्योक्ति ही होगी। इसकी सबसे बड़ी वजह है देर शाम तक हुई वोटिंग। एग्जिट पोल के नतीजे 6.30 के बाद जारी हो गए। इसका मतलब है कि सैंपल फाइनल वोटिंग आंकड़ा से नहीं लिया गया होगा। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि एग्जिट पोल के नतीजे क्या 8 फरवरी को सही साबित होते हैं?

दुनिया भर में आर्थिक मदद पहुँचाने वाली अमेरिकी एजेंसी यूएसएड बंद, जानें भारत के लिए क्यों अहम

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सरकार की प्रमुख विदेशी सहायता एजेंसी यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) को बंद करके उसे विदेश मंत्रालय में शामिल करने एलान किया है। ट्रंप प्रशासन ने पहले विश्व भर में यूएसएड एजेंसी के प्रत्यक्ष कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया उसके बाद उसपर “ताला जड़” दिया।

मंगलवार कोऑआनलाइन पोस्ट किए गए एक नोटिस में कर्मचारियों को घर लौटने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। वाशिंगटन में भी यूएसएड के सैकड़ों कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और उनसे कहा गया है कि शहर में एजेंसी के कार्यालय सप्ताह के शेष दिनों के लिए बंद रहेंगे।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद अरबपति एलन मस्क को तकरीबन सभी अमेरिकी विदेशी सहायता की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। ट्रंप की ओर से विदेशी सहायता पर रोक लगाए जाने के बाद हजारों यूएसएड कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया और दुनियाभर में इसके कार्यक्रम बंद कर दिए गए।

ट्रंप ने कहा- एजेंसी को 'कट्टर वामपंथी सनकी' चला रहे

राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सबसे शीर्ष के सलाहकार, अरबपति एलन मस्क यूएसएड के कड़े आलोचक रहे हैं। बीते सोमवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने आरोप लगाया कि इस एजेंसी को 'कट्टर वामपंथी सनकी' चला रहे हैं। वे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं और नाम और अन्य जानकारियां साझा नहीं कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन में सरकारी खर्च कटौती के लिए बने विभाग के अनौपचारिक प्रमुख एलन मस्क ने भी यूएसएड को बंद करने की बात कही थी। बीते एक सप्ताह में यूएसएड के दो शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और एजेंसी की वेबसाइट डाउन हो गई। यूएसएड पर भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता के आरोपों के अलावा मस्क ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

मस्क ने बताया आपराधिक संगठन

अपने मालिकाना हक वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर मस्क ने यूएसएड को 'बुराई', 'एक आपराधिक संगठन' और 'कट्टर वामपंथी राजनीतिक मनोवैज्ञानिक अभियान' (आम तौर पर षड्यंत्रकारी या बुरे कारनामों को ढंकने के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द) कहा। सोमवार को एक्स पर एक लाइव स्ट्रीम के दौरान उन्होंने कहा, इस पूरे मामले से निजात पाने की जरूरत है। यह लाइलाज है... हम इसे बंद करने जा रहे हैं।

भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों को भी मिली मदद

बता दें कि यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) अमेरिकी सरकार की एक वैधानिक निकाय है। यूएसएड पूरी दुनिया में गैर सरकारी संगठनों, सहायता ग्रुपों और ग़ैर लाभकारी संस्थाओं को अरबों डॉलर की मदद देती है। हालांकि, ये बात कम ही लोगों को पता है कि इस एजेंसी से मिलने वाला पैसा भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों को जाता था। फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF), जो कि हाफिज सईद के लश्कर-ए-तैयबा (LET) का मुखौटा संगठन है। इस समूह को यूएसएड के माध्यम से फंडिंग मिलती थी। यह फाउंडेशन पाकिस्तान से संचालित होता है और आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है।

भारत को कितनी मदद मिलती है?

यूएसएड के जरिए भारत को भी मदद मिलती है। भारत को स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, स्वच्छ ऊर्जा, पानी और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में सहायता मिली है। खुद यूएसएड की वेबसाइट पर भारत को दी गई मदद के बारे में जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार, इसने पोषण, टीकाकरण, स्वच्छता, पर्यावरण, क्लीन एनर्जी, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई।

यूएसएड की मदद से भारत में 8 कृषि विश्वविद्यालय, 14 इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, देश का पहला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी खड़गपुर भी यूएसएड की मदद से स्थापित किया गया था।

पिछले चार सालों में भारत को 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली

लेकिन साल 2004 में सूनामी के दौरान भारत की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने सशर्त विदेशी मदद लेने की नीति में बदलाव किया, जिसके बाद यूएसएड से भारत को मिलने वाली मदद में अपेक्षाकृत कमी आई। हालांकि कोविड महामारी के बाद से भारत को मिलने वाली यूएसएड मदद में बढ़ोतरी देखी गई। अमेरिकी सरकार के फॉरेन असिस्टेंस पोर्टल के मुताबिक़, पिछले चार सालों में भारत को 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली। जबकि 2001 से लेकर अबतक भारत को 2.86 अरब डॉलर की मदद मिल चुकी है। पोर्टल के अनुसार, यूएसएड की ओर से भारत को 2022 में सबसे अधिक 22.82 करोड़ डॉलर की मदद मिली, 2023 में 17.57 करोड़ डॉलर और 2024 में 15.19 करोड़ डॉलर की मदद मिली। यूएसएड से मदद पाने के मामले में भारत तीसरे स्थान पर रहा है।

बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा, जिस मुजीबुर्रहमान ने दिलाई थी आजादी उन्ही के घर पर तोड़फोड़-आगजनी

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बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। कुछ दिनों की शांति के बाद फिर पड़ोसी देश में अशांति फैली है। उपद्रवी इस दौरान अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ताओं समेत निर्दोष हिंदुओं को हिंसा में निशाना बना रहे हैं। इस बीच खबर आ रही है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के एक ऑनलाइन भाषण के बाद ढाका में उपद्रवियों ने शेख मुजीबुर्रहमान के आवास पर जमकर तोड़-फोड़ की। हालांकि, प्रशासन की तरफ से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

बुधवार रात करीब 8 बजे दंगाइयों की भीड़ ढाका के धानमंडी एरिया में बने मकान नंबर-32 में घुस गए और वहां खूब तोड़फोड़ मचाई। मकान नंबर 32 के प्रवेश द्वार पर लगे शेख मुजीबुर रहमान के भित्ति चित्र को तोड़ दिया गया है। इस दौरान उन्होंने शेख हसीना के खिलाफ भड़काऊ नारे भी लगाए।

इस हिंसात्मक अभियान की अगुवाई 'स्टूडेंट मूवमेंट अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' नाम के संगठन से जुड़े वही नेता कर रहे थे, जिन्होंने शेख हसीना को देश से बाहर भागने को मजबूर किया था। वे शेख हसीना की उस घोषणा से भड़के हुए थे कि वे अवामी लीग के कार्यकर्ताओं को वर्चुअल तरीके से संबोधित करेंगी। उन्होंने धमकी दी थी कि यदि शेख हसीना ने कोई बयान दिया, तो धानमंडी के मकान नंबर 32 को बुलडोजर से उड़ा दिया जाएगा। यह मकान शेख हसीना की पारिवारिक संपत्ति है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक आगजनी और तोड़फोड़ को रोकने के लिए स्थानीय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने रात करीब आठ बजे हमला किया और नारेबाजी के दौरान शेख हसीना को फांसी देने की मांग भी की।

शेख हसीना की आवामी लीग ने शेख मुजीबुर्रहमान के घर पर की गई तोड़फोड़ और आगजनी के खिलाफ आवामी लीग ने ढाका बंद बुलाया है। शेख हसीना की पार्टी ने कहा है कि जिस तरह से शेख मुजीबुर्रहमान के घर पर हमला हुआ है वो कहीं से भी सही नहीं है। आवामी लीग ने कहा है कि इसके परिणाम गंभीर होंगे।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ उगला जहर! जानिए कश्मीर एकजुटता दिवस पर क्या कहा

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पाकिस्तान को एक बार फिर भारत से दूरी खलने लगी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से सार्थक और निर्णायक बातचीत का भी आह्वान किया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ कश्मीर सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहता है। उन्होंने कहा कि उनका देश कश्मीरी लोगों को अपना 'अटूट' समर्थन देता रहेगा।

शरीफ ने 'कश्मीर एकजुटता दिवस' के मौके पर मुजफ्फराबाद में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की विधानसभा में एक सत्र को संबोधित यह टिप्पणी की। शरीफ ने कहा कि हम कश्मीर सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'भारत को पांच अगस्त 2019 की मानसिकता से बाहर आना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र से किए गए वादों को पूरा करना चाहिए और संवाद शुरू करना चाहिए।' उनका इशारा जम्मू-कश्मीर को विशेष स्थिति को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशो में बांटने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने की ओर था।

शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के 24 करोड़ लोगों की ओर से कश्मीरियों के प्रति एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों और अलगाववादियों को श्रद्धांजलि दी और इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान कश्मीरियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटने वाला है। इतना ही नहीं, शहबाज ने कश्मीर में भारतीय सेना की मौजूदगी की निंदा की और कश्मीरियों के कथित उत्पीड़न का पुराना राग अलापा।

कश्मीर को लेकर उगला जहर

शहबाज ने कहा, "हम इस संघर्ष में अपने कश्मीरी भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और तब तक ऐसा करते रहेंगे जब तक कि वे आत्मनिर्णय के अपने अधिकार को सुरक्षित नहीं कर लेते।" उन्होंने यहां तक कह दिया कि "5 फरवरी भारत को याद दिलाता है कि कश्मीर कभी भी उसका हिस्सा नहीं हो सकता।"

भारत पर लगाया हथियार जमा करने का आरोप

शरीफ ने भारत पर हथियार जमा करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हथियार जमा करने से शांति नहीं आएगी या इस क्षेत्र के लोगों की किस्मत नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि प्रगति का रास्ता शांति है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने आगे कहा, पाकिस्तान कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्मणय के फैसले तक कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन प्रदान करता रहेगा। उन्होंने कहा, यह (कश्मीर मुद्दा) केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव के तहत कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार से संभव हो सकता है।