आख़री नबी की पाक मां, बीवियां और बेटियां’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण

गोरखपुर। मजलिस असहाबे क़लम द्वारा हिंदी भाषा में प्रकाशित 'आख़री नबी की पाक मां, बीवियां और बेटियां’ पुस्तक का लोकार्पण मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन, नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी, नेहाल अहमद, मुफ्ती गुलाम नबी, कारी सरफुद्दीन मिस्बाही, हाफिज आफताब अहमद, हाफिज नजरे आलम कादरी, एडवोकेट मो. आज़म, नवेद आलम, सद्दाम हुसैन, आतिफ अहमद द्वारा किया गया। कारी मुहम्मद अनस क़ादरी, आलिमा शहाना खातून, मुफ्तिया कहकशां फ़िरदौस व मदरसा रज़ा-ए-मुस्तफा की छात्राओं शिफा खातून, गुल अफ्शा खातून, सना फातिमा, अदीबा फातिमा, सादिया द्वारा लिखित 128 पेज की पुस्तक में पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, आपकी मां, बीवियों और बेटियों की पाक ज़िंदगी, कुर्बानियों व उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक लिखने वाली छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया। इसी के साथ हर खास ओ आम में पुस्तक की 1100 प्रतियां निशुल्क बांटने का सिलसिला शुरू हो गया है।

मुख्य अतिथि मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि 'आख़री नबी की पाक मां, बीवियां और बेटियां’ पुस्तक आसान हिंदी भाषा में और प्रमाणिक पुस्तकों के जरिए लिखी गई है। जिसमें पैग़ंबरे इस्लाम और आपकी मां, बीवियों व बेटियों की ज़िंदगी, ख़िदमात व कुर्बानियों को बहुत शानदार अंदाज़ व संक्षेप में पेश किया गया है। इस पुस्तक से नई नस्ल को काफी फायदा होगा। पुस्तक को अगर स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए तो छात्रों को काफी लाभ होगा। मिलाद की महफ़िल में भी इस किताब के जरिए बयान किया जा सकता है।

अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने कहा कि ‘आख़री नबी की पाक मां, बीवियां और बेटियां’ आसान हिंदी ज़बान में लिखी गई प्रमाणिक पुस्तक है। जिसे तैयार करने में कारी मुहम्मद अनस क़ादरी व मदरसा रज़ा-ए-मुस्तफा की छात्राओं ने बहुत मेहनत की है। छह माह के अथक प्रयास से यह पुस्तक लोगों के हाथों में है। निश्चित रूप से यह पुस्तक आने वाली पीढ़ी और अवाम के लिए लाभदायक साबित होगी।

कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि इस पुस्तक से नई नस्ल को इस्लाम धर्म के बारे में जानने में मदद मिलेगी। सभी को यह पुस्तक पढ़नी चाहिए।

छात्राओं को हाफिज व कारी अयाज अहमद, अलाउद्दीन निजामी, ज्या वारसी, कनीज़ फातिमा, फिज़ा खातून, नूर फातिमा, हाफिज रहमत अली निजामी, मो. अदहम, आसिम अहमद, नज़ीर अहमद सिद्दीकी, अजरा जमाल, मौलाना महमूद रज़ा, सैयद नदीम अहमद, हाफिज अशरफ रज़ा, मौलाना दानिश रज़ा, सैयद फरहान अहमद, हाजी सेराज अहमद, इरफ़ान सिद्दीक़ी, तनवीर आजाद, एडवोकेट दिलशाद परवेज, सैयद कासिफ अली, सैयद हुसैन अहमद, शादाब अहमद सिद्दीकी, इंजमाम खान, समीर अली, हाजी सुहैल, अमीन अंसारी, शीराज सिद्दीकी, आसिफ मकसूद, हाफिज हदीस, अब्दुर्रहमान, अली अकबर, रेयाज अहमद राईनी, हाफिज रजी अहमद, अहद हुसैन, तौसीफ अहमद, मौलाना जहांगीर अहमद, मुफ्ती शोएब रज़ा, गुलाम जीलानी अशरफी, शमीम खान, ताबिश सिद्दीकी, शहनवाज अहमद, एमएस खान, मो. नदीम आदि ने मुबारकबाद पेश की।

*चौरी चौरा दुर्लभ दस्तावेज प्रदर्शनी का समापन, इतिहास के अनदेखे पन्नों से हुआ साक्षात्कार*

गोरखपुर: चौरी चौरा विद्रोह की दुर्लभ ऐतिहासिक सामग्री को प्रदर्शित करने वाली महुआ डाबर संग्रहालय की दो दिवसीय विशेष प्रदर्शनी का समापन सेंट एंड्रयूज पीजी कॉलेज, गोरखपुर में हुआ। समापन समारोह में इतिहासकारों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों की उपस्थिति में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अज्ञात पहलुओं पर चर्चा की गई।

समापन समारोह में कल्चरल क्लब के समन्वयक प्रो. जे. के. पांडेय के संबोधन से हुई। उन्होंने कहा, "इस प्रदर्शनी ने हमें चौरी चौरा विद्रोह और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दुर्लभ दस्तावेजों से रूबरू कराया। हम उन सभी प्रतिभागियों, शोधकर्ताओं और इतिहास प्रेमियों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपनी उपस्थिति से इसे सार्थक बनाया।"

आरटीआई एक्टिविस्ट अविनाश गुप्ता ने कहा कि "इतिहास सिर्फ घटनाओं का संग्रह नहीं, बल्कि हमारी चेतना का दर्पण है। चौरी चौरा विद्रोह और असहयोग आंदोलन के इन दुर्लभ दस्तावेजों को देखकर यह समझ आता है कि स्वतंत्रता संग्राम का हर मोर्चा कितना महत्वपूर्ण था।"

इस अवसर पर महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि "हमने इस प्रदर्शनी के माध्यम से उन अनदेखे दस्तावेजों को प्रस्तुत किया, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षों को और अधिक प्रामाणिकता से दर्शाते हैं। यह दुर्लभ दस्तावेज हमारे राष्ट्र की धरोहर हैं और इन्हें संरक्षित कर अगली पीढ़ी तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है।"

समारोह में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। मारुति नंदन चतुर्वेदी ने समापन वक्तव्य देते हुए कहा कि "इतिहास की यह झलक हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है और हमें प्रेरित करती है कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को न भूलें। हमारी आशा है कि इस प्रदर्शनी से मिली जानकारियां आपकी सोच को नई दिशा देंगी।"

कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। उपस्थित दर्शकों ने प्रदर्शनी को ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताते हुए आयोजकों की सराहना की।

बापू का यह फैसला आपको चौंका देगा, बापू ने क्‍यों लिए स‍िंंध‍ि‍या से 25 लाख रुपये?

गोरखपुर: चौरी चौरा विद्रोह की बरसी पर महुआ डाबर संग्रहालय द्वारा सेंट एंड्रयूज पीजी कॉलेज, गोरखपुर में एक दुर्लभ दस्तावेजों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक प्रदर्शनी में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अनेक प्रमाणिक दस्तावेज, ऐतिहासिक तस्वीरें और अदालती रिपोर्टें प्रस्तुत की गईं। महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना जो भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के गहरे शोधकर्ता हैं और इस क्षेत्र में दो दशक से अधिक समय से उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं।

डॉ. शाह आलम राना ने इस अवसर पर एक ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज प्रस्तुत किया, जिसने असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी से जुड़े एक महत्वपूर्ण और अज्ञात पहलू को उजागर किया। उन्होंने बताया कि महुआ डाबर संग्रहालय में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज संरक्षित हैं। इसी दौरान मध्य प्रदेश के भिंड जनपद के सरकारी गजेटियर (1996) के पृष्ठ संख्या 29 के दूसरे और तीसरे अनुच्छेद में एक ऐसा उल्लेख मिला, जिसने उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया।

डॉ. राना ने बताया कि 8 फरवरी 1921 को गोरखपुर में महात्मा गांधी ने एक विशाल सभा को संबोधित किया था। यह असहयोग आंदोलन की चरम अवस्था थी और नेशनल वॉलंटियर्स का मजबूत नेटवर्क पूरे देश में बन चुका था। यह संगठन न केवल जनता को स्वतंत्रता संग्राम में जोड़ रहा था, बल्कि कांग्रेस फंड के लिए अनाज और धनराशि भी एकत्र कर रहा था। इस दौरान महात्मा गांधी की लोकप्रियता चरम पर थी और देशभर में उनके समर्थन में नारे गूंज रहे थे।

1922 में महात्मा गांधी ने ग्वालियर जाने का निर्णय लिया, लेकिन इस यात्रा के पीछे राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ गई। ग्वालियर के महाराजा माधवराव सिंधिया, जो ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठावान थे, ने इस संभावित विद्रोह से बचने के लिए अपने गृहमंत्री देवास महाराजा सदाशिवराव पवार के माध्यम से महात्मा गांधी को पच्चीस लाख रुपये की एक पेटी कांग्रेस फंड के लिए भेजी। साथ ही, उन्होंने महात्मा गांधी को यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर उन्होंने ग्वालियर का दौरा किया, तो ब्रिटिश सरकार के कोप का सामना करना पड़ेगा। इस पर विचार करते हुए महात्मा गांधी ने अपना ग्वालियर दौरा स्थगित कर दिया।

इस ऐतिहासिक घटना का उल्लेख डी. आर. मानकेकर की पुस्तक "एक्सेशन टू एक्सटिंक्शन – द स्टोरी ऑफ इंडियन प्रिंसेज़" के पृष्ठ संख्या 37 पर भी मिलता है। जब महुआ डाबर संग्रहालय में इस दस्तावेज की खोज की गई, तो यह पूरी कहानी उसमें दर्ज मिली। डॉ. शाह आलम राना के अनुसार, यह दस्तावेज स्वतंत्रता संग्राम के राजनीतिक परिदृश्य में गहरे निहित प्रभावों को दर्शाता है और यह स्पष्ट करता है कि कैसे भारतीय शासकों को ब्रिटिश शासन के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखने के लिए कठोर फैसले लेने पड़ते थे।

डॉ. राना ने इस तथ्य की तुलना 1925 के काकोरी ट्रेन एक्शन से की, जब पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश खजाने से मात्र चार हजार छह सौ उन्यासी रुपये दो आने दो पैसे लूटे थे, जिसके कारण चार क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई। वहीं, इसके तीन साल पहले ग्वालियर के महाराजा द्वारा महात्मा गांधी को कांग्रेस फंड के लिए पच्चीस लाख रुपये की भारी-भरकम राशि दी गई थी, जो आज भी इतिहास के पन्नों में कम चर्चित है।

प्रदर्शनी में चौरी चौरा विद्रोह से जुड़े अनेक अन्य दुर्लभ दस्तावेज भी प्रदर्शित किए गए, जिनमें चौरी चौरा विद्रोह से जुड़े सरकारी टेलीग्राम, ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा खींची गई दुर्लभ तस्वीरें, गोरखपुर सत्र न्यायालय के फैसले, फांसी पाए स्वतंत्रता सेनानियों की दया याचिकाएं, और अखबारों में प्रकाशित रिपोर्टें शामिल थीं। इन दस्तावेजों ने न केवल चौरी चौरा घटना की ऐतिहासिकता को प्रमाणित किया, बल्कि इस घटना के सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों को भी स्पष्ट किया।

डॉ. शाह आलम राना के अनुसार, महुआ डाबर संग्रहालय का उद्देश्य इन ऐतिहासिक दस्तावेजों को संरक्षित करना और नई पीढ़ी को उनके क्रांतिकारी इतिहास से परिचित कराना है। उन्होंने बताया कि उनका परिवार 1857 के महुआ डाबर क्रांतिकारी आंदोलन के महानायक जफर अली के वंशजों में से है, जिन्होंने कंपनी राज के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया था। महुआ डाबर की पांच हजार की आबादी को अंग्रेजों ने जमींदोज कर दिया था, लेकिन जफर अली और उनके क्रांतिकारी साथियों ने बारह वर्षों तक देश-विदेश में सूफी फकीर के रूप में रहकर आजादी के आंदोलन को संगठित कर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

डॉ. शाह आलम राना ने चंबल के बीहड़ों को अपना कार्यक्षेत्र बनाया और वहां क्रांतिकारी धरोहरों की खोज और संरक्षण का कार्य कर रहे हैं। उनकी यह प्रदर्शनी केवल चौरी चौरा विद्रोह ही नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के गहरे और अनछुए पहलुओं को उजागर करने का माध्यम बनी। इस प्रदर्शनी में शोधकर्ताओं, इतिहास प्रेमियों और विद्यार्थियों की बड़ी संख्या में भागीदारी देखी गई, जिन्होंने इन ऐतिहासिक दस्तावेजों से महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कीं।

*फार्मर रजिस्ट्री नहीं कराने पर किसानों का भारी नुक़सान-एसडीएम*

खजनी गोरखपुर।फार्मर रजिस्ट्री अर्थात किसानों की खेती की जमीन को उनके आधार कार्ड और बैंक खाते से लिंक कराने की आॅनलाइन प्रक्रिया है। शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य है कि किसानों की जमीनें उनके आधार कार्ड से जुड़े जिससे उनकी भू-संपत्ति का सही आंकलन किया जा सके और उसी के आधार पर उन्हें कृषि ऋण तथा खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा संचालित योजनाओं, सब्सिडी और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ दिया जा सके। यदि किसी किसान की फार्मर रजिस्ट्री नहीं हुई तो उन्हें मिलने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभ से वंचित होना पड़ेगा, साथ ही सरकार द्वारा कृषि कार्यों के लिए दी जाने सब्सिडी, किसान क्रेडिट कार्ड से मिलने वाले आसान कर्ज समेत जमीन को खरीदने अथवा बेचने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। तहसील मुख्यालय में आयोजित बैठक में उप जिलाधिकारी कुंवर सचिन सिंह ने बताया कि अभी तक तहसील क्षेत्र में सिर्फ 27 फीसदी किसानों की फार्मर रजिस्ट्री का काम पूरा हुआ है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि राजस्व विभाग ब्लॉक के कर्मचारी कृषि विभाग ग्रामसभा सचिव और ग्रामप्रधानों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे अपने क्षेत्र के किसानों को फार्मर रजिस्ट्री कराने के लिए जागरूक करें। बैठक के दौरान उन्होंने नायब तहसीलदार, कानूनगो और लेखपालों को निर्देशित करते हुए तथा सख़्त हिदायत देते हुए कहा कि सभी लोग शासन की इस योजना को किसानों तक पहुंचाएं, अन्यथा लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों कर्मचारियों को निलंबित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि फार्मर रजिस्ट्री के लिए किसानों के पास सीएससी मोड, सहायक मोड, सेल्फ मोड, कैंप मोड के जरिए फॉर्मर रजिस्ट्री कराने के 4 विकल्प मौजूद हैं।

बैठक में तहसीलदार कृष्ण गोपाल तिवारी नायब तहसीलदार रामसूरज प्रसाद, राकेश शुक्ला कानूनगो कैलाशनाथ,महेंद्र प्रताप सिंह, अशोक कुमार, डीएन मिश्रा, लेखपाल गगन जायसवाल, राजीव रंजन शर्मा, अभिषेक कुमार दीक्षित,अभिषेक सिंह, अंबेश पांडेय, अजय पांडेय, रितेश तिवारी, रामअशीष, पूजा गुप्ता,नीरज यादव, अनिल गुप्ता, रामबिलास, बृजभान पाल, चंद्रकांत पांडेय,धनंजय त्रिपाठी, रितेश श्रीवास्तव, हर्षित, सतीश आदि मौजूद रहे।

यूथ फॉर जॉब्स आर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वाधान में दिव्यांगजनों हेतु एक रोजगार मेला का हुआ आयोजन

गोरखपुर। रोजगार मेले: अवसरों का द्वार, परिचय, रोजगार मेला (Job Fair) एक ऐसा मंच है जहाँ विभिन्न कंपनियाँ और नौकरी की तलाश करने वाले अभ्यर्थी एक ही स्थान पर मिलते हैं। यह आयोजन बेरोजगार युवाओं को उनके कौशल और योग्यताओं के अनुसार उपयुक्त नौकरियों की जानकारी प्रदान करता है। आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में रोजगार मेलों का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।

इन बिन्दुवों को ध्यान मे रखते हुवे सीआरसी गोरखपुर और यूथ फॉर जॉब्स आर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वाधान में दिव्यांगजनों हेतु एक रोजगार मेला का आयोजन सीआरसी परिसर में किया गया। इस कार्यक्रम में अमेजॉन इंडिया, फ्लिपकार्ट टाटा मोटर्स, टीम लीज, टीम सॉल्यूशन जैसी कंपनियों ने अपने कंपनी के लिए साक्षात्कार किया। नोएडा और लखनऊ की बीपीओ कंपनी ने आनलाइन माध्यम से दिव्यांगजनों का साक्षात्कार किया। इस अवसर पर 106 लोगों का पंजीकरण किया गया। जिसमें 79 दिव्यांगों ने प्रतिभाग किया। आज टाटा मोटर्स ने 10, पीएसएचआर 06 तथा ऑनलाइन बीपीओ कंपनियों,फ्लिपकार्ट,ऐमज़ान ने 25 लोगों को चयनित किया। सीआरसी गोरखपुर के निदेशक जितेंद्र यादव ने कहा कि इस रोजगार मेले की सफलता को देखते हुए भविष्य में इस तरह के और भी रोजगार मेले का आयोजन किया जाएगा जिससे इस क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा दिव्यांगजन अपनी योग्यता के अनुसार आजीविका प्राप्त कर सकें,उन्होंने कहा की रोजगार मेले युवाओं के लिए नौकरी पाने का एक प्रभावी साधन हैं। ये न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि करियर संबंधी दिशा-निर्देश भी देते हैं। सरकार और निजी संगठनों को चाहिए कि वे अधिक से अधिक रोजगार मेलों का आयोजन करें ताकि बेरोजगार युवाओं को उचित नौकरी मिल सके और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।। कार्यक्रम का संचालन श्री राजेश कुमार ने किया तथा समन्वय राजेश कुमार यादव ने किया। इस अवसर पर सीआरसी गोरखपुर के सभी अधिकारी और कर्मचारी गण मौजूद रहे।

स्टाम्प वादों की समाधान योजना: स्टाम्प वादों से मुक्ति का सुनहरा अवसर

गोरखपुर। स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग, जनपद गोरखपुर ने स्टाम्प वादों के शीघ्र निस्तारण के लिए एक विशेष "स्टाम्प वाद समाधान योजना" लागू की है। इस योजना के तहत नागरिकों को मात्र 100 के आर्थिक दंड के साथ अपने स्टाम्प वादों का निपटारा करने का सुनहरा अवसर दिया जा रहा है।

क्या है स्टाम्प वाद समाधान योजना?

स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग द्वारा घोषित इस योजना के तहत स्टाम्प की कमी एवं उस पर लगने वाले ब्याज की राशि का भुगतान कर मात्र ₹100 अर्थदंड जमा करके स्टाम्प वाद से मुक्ति पाई जा सकती है। यह योजना 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी, जिसके बाद इस विशेष राहत का लाभ नहीं लिया जा सकेगा।

इस योजना का लाभ उन नागरिकों को मिलेगा जिनके नाम पर स्टाम्प वाद लंबित हैं। विशेष रूप से वे लोग, जिन्होंने स्टाम्प ड्यूटी का पूर्ण भुगतान नहीं किया है या जिनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है, वे इस अवसर का लाभ उठाकर अपने मामलों का त्वरित समाधान कर सकते हैं।

गोरखपुर के उपमहानिरीक्षक स्टाम्प की अपील

गोरखपुर के उपमहानिरीक्षक स्टाम्प, मनोज कुमार शुक्ल ने बताया कि यह योजना सरकार द्वारा नागरिकों को राहत देने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्री करने वाले लोग एवं अन्य संबंधित व्यक्ति इस योजना का लाभ उठाकर स्टाम्प वादों से शीघ्र मुक्ति पा सकते हैं।

कैसे करें आवेदन?

योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति गोरखपुर स्थित स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। आवश्यक दस्तावेज एवं शुल्क जमा कर वे अपने स्टाम्प वादों का निपटारा कर सकते हैं।

समाप्ति तिथि का रखें ध्यान!

स्टाम्प वाद समाधान योजना 31 मार्च 2025 तक ही मान्य है। अतः नागरिकों से अपील की जाती है कि वे समय रहते इस योजना का लाभ उठाएं और अनावश्यक कानूनी प्रक्रिया से बचें

यह समाधान योजना उन नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो स्टाम्प वादों से जुड़े कानूनी मामलों का त्वरित समाधान चाहते हैं। केवल ₹100 के अर्थदंड और बकाया शुल्क जमा कर इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है। अतः जिनके पास लंबित स्टाम्प वाद हैं, वे जल्द से जल्द स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग से संपर्क करें और इस सरकारी राहत योजना का पूरा लाभ उठाएं।

धूल प्रदूषण से जानलेवा बने ईंट भट्ठे की एसडीएम से शिकायत

खजनी गोरखपुर। इलाके के नैपुरा गांव के निवासी जयनाथ चौबे ने उप जिलाधिकारी कुंवर सचिन सिंह को प्रार्थनापत्र देकर बताया कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, उनके गांव नैपुरा की ओर जाने वाले संपर्क मार्ग पर बने ईंट भट्ठों के कारण वाहनों के आवागमन से अथवा तेज हवा चलने पर धूल के घने गुबार के कारण लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।

प्रार्थनापत्र में बताया गया है कि डीएस मार्का, रमेश मार्का और काका मार्का ईंट भट्ठों पर आने जाने वाले वाहनों तथा नीजी वाहनों के आवागमन से उड़ने वाली धूल के कारण स्कूल जाने वाले बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं। कई लोग प्रदूषण के कारण दमा, एलर्जी और त्वचा रोग के शिकार हो चुके हैं और अपना इलाज करा रहे हैं। मामले में स्थानीय लोगों ने बताया कि हमारे घरों के बाहर,दरवाजें और खिड़कियों पर धूल की मोटी परत जम जाती है। रोज सफाई करने पर भी कोई राहत नहीं मिलती, सुबह धूल साफ करें तो शाम तक फिर वही स्थिति हो जाती है।

मामले में एसडीएम के निर्देश पर जांच के लिए पहुंचे नायब तहसीलदार रामसूरज प्रसाद ने मौके पर पहुंचकर जांच की उन्होंने बताया कि समस्या गंभीर है उनके द्वारा जांच के बाद रिपोर्ट एसडीएम को सौंप दी गई है। इस संदर्भ में एसडीएम कुंवर सचिन सिंह ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर ईंट भट्ठे के मालिकों को नोटिस भेज कर उन्हें समस्या के समाधान हेतु बुलाया जाएगा।

खजनी, उरूवां और बेलघाट ब्लॉक में 6 नए ग्राम पंचायत अधिकारियों की तैनाती

खजनी गोरखपुर।ब्लॉक मुख्यालय में ग्राम पंचायत अधिकारी के पद पर अमर शक्ति त्रिपाठी, कुंदन यादव और कमलेश की नई तैनाती हुई है। वहीं उरूवां ब्लॉक में प्रेम नारायण यादव की पुरवां, भरथरी, बंजरियां, हाटा ग्राम पंचायत में तथा राघवेन्द्र प्रताप सिंह की हमीदपुर, पहाड़पुर, रसूलपुर, रूकूनपुर, मुबारकपुरा,पिपरी गांव में तैनाती हुई है। इसी प्रकार बेलघाट ब्लॉक में रोशन सिंह को मकरहां, गायघाट, ढबियां, राईपुर, मड़हां और बभनौली गांव मिला है।

खजनी ब्लॉक के एडीओ पंचायत राजीव दूबे उरूवां ब्लॉक के विनोद कुमार और बेलघाट ब्लॉक के रामगोपाल त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि सभी नए सचिवों को ग्राम पंचायतें आबंटित कर दी गई हैं और शासन की मंशा के अनुरूप कार्य करने का निर्देश दिया गया है।

विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर वीडियो के प्राणी विज्ञान विभाग में जागरूकता का हुआ आयोजन

गोरखपुर। विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर प्राणी विज्ञान विभाग, रोवर्स-रेंजर्स तथा विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र के तत्वाधान में ओरल कैंसर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विज्ञान संकाय एवं रोवर्स-रेंजर्स के लगभग 200 विद्यार्थियों ने भाग लिया।कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना के साथ हुई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. रजनीश पांडेय ने सरल एवम सहज रूप से ओरल कैंसर के विषय में जानकारी दी।

उन्होंने बताया की ओरल कैंसर से तात्पर्य मुंह या गले में होने वाले कैंसर से है। यह मुंह के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकता है जिसमें होंठ, जीभ, गाल, मसूड़े, मुंह की छत या तली और गला शामिल हैं। इस प्रकार के कैंसर का पता अक्सर बाद के चरणों में चलता है, जिससे प्रभावी उपचार के लिए शुरुआती पहचान और हस्तक्षेप महत्वपूर्ण हो जाता है। ओरल कैंसर के जोखिम कारकों में धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, खराब पोषण, ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के संपर्क में आना और मौखिक घावों या संक्रमण का इतिहास शामिल है।

ओरल कैंसर के लक्षणों में मुंह में लगातार घाव, निगलने में कठिनाई, मुंह या गर्दन में गांठ, बिना किसी कारण के रक्तस्राव और आवाज में बदलाव शामिल होते हैं। उन्होंने आगे बताया की ये लक्षण सूक्ष्म हो सकते हैं और आसानी से अनदेखे किए जा सकते हैं, यही कारण है कि नियमित रूप से दांतों की जांच और स्व-परीक्षण करना महत्वपूर्ण है।

मौखिक कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।

समय पर पता लगने से जान बचती है। नियमित जांच और स्व-परीक्षण से बीमारी का पता इसके शुरुआती, अधिक उपचार योग्य चरणों में लगाया जा सकता है। ओरल कैंसर के कई जोखिम कारक, जैसे धूम्रपान, शराब का सेवन और एचपीवी संक्रमण, जीवनशैली में बदलाव करके कम किए जा सकते हैं। इन जोखिम कारकों के बारे में शिक्षा स्वस्थ आदतों को प्रोत्साहित कर सकती है और बीमारी की घटनाओं को कम कर सकती है।

जागरूक एवम युवा विधार्थी जो हमारे देश का भविष्य हैं उन्हें अपने ज्ञान द्वारा आम जन मानस को जागृत करने में एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकते हैं। अन्त में विद्यार्थियों की उत्सुकता उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देकर डॉ पांडेय ने उन्हें कैंसर जागरूकता के इस अभियान से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम के शुरुआत में प्रति कुलपति प्रो. शांतनु रस्तोगी, ने ओरल कैंसर पर जागरूकता के महत्व को रेखांकित करते हुए विद्यार्थियों को अपने आस पास लोगों को जागरूक करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन रोवर्स - रेंजर्स के समन्वयक प्रो विनय कुमार सिंह ने किया। प्राणी विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो रविकांत उपाध्याय ने सभी कार्यक्रम में उपस्थित सभी आगंतुकों का औपचारिक स्वागत किया और प्रभारी स्वास्थ्य केंद्र प्रो वीना बी कुशवाहा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रो अनुभूति दुबे अधिष्ठाता छात्र कल्याण, प्रो उमेश नाथ त्रिपाठी, प्रो विजय वर्मा, डॉ गौरव सिंह, डॉ तूलिका, प्रो अजय सिंह, प्रो केशव सिंह, डॉ महेंद्र प्रताप सिंह, डॉ राम प्रताप यादव, डॉ सुशील कुमार, डॉ सुनील कुमार सिंह, डॉ सुनैना गौतम, डॉ मनीष प्रताप सिंह, डॉ नुपुर श्रीवास्तव और डॉ पंकज श्रीवास्तव, विभागीय कर्मचारी एवं 200 से अधिक विद्यार्थी उपस्थित रहे।

सामंजस्य, समन्वय एवं समानता का मूल्य प्रतिष्ठित करता है खेलकूद : प्रो. पूनम टंडन

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों के वार्षिक खेल आयोजन का विधिवत एवं भव्य शुभारंभ कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन द्वारा किया गया. कुल 22 टीमों ने मार्च पास्ट कर कुलपति को सलामी दी. 26वीं वाहिनी पीएसी के बैंड ने मार्च पास्ट धुन बजाकर समारोह को गरिमा प्रदान की. इसमें कुल लगभग 400 खिलाड़ी प्रतिभागी के रूप में उपस्थित रहे. बता दें कि इसमें खिलाड़ियों की संख्या के लिहाज से सबसे बड़ी टीम के रूप में 45 खिलाड़ियों के साथ गोरखपुर विश्वविद्यालय और सबसे छोटी टीम के रूप में 5 खिलाड़ियों के साथ नवल्स डिग्री कॉलेज की टीम रही।

इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने अपने संदेश में कहा कि अपने और पराए के भेद को मिटाने वाला खेलकूद सहज एवं स्वस्थ जीवन का मूर्त दर्शन है. खेल का मैदान न सिर्फ खिलाड़ियों बल्कि दर्शकों को भी संदेश देता है कि असहमतियों के बावजूद सुंदर का सृजन किया जा सकता है। खेलकूद सामंजस्य, समन्वय, समानता का मूल्य प्रतिष्ठित करता है। खेल विविधता में एकता के मूल्य को प्रतिष्ठित करता है. खेल जीत के स्थापित महत्व के बावजूद हार को स्वीकार करने के साथ ही उसके गरिमा की रक्षा करना भी सीखाता है।

आशा है इन तीन दिनों के वार्षिक एथलेटिक मीट का खिलाड़ी एवं दर्शक बखूबी आनंद लेंगे.

क्रीडा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर विमलेश कुमार मिश्रा ने कहा कि अत्यंत खुशी के अवसर पर मुझे इस बात का संशय भी है कि जिन कर्तव्यनिष्ठ, उत्साही और दूरदर्शी सोच वाले पूर्व अध्यक्षों के प्रयास से क्रीड़ा परिषद, जिस ऊंचाई पर पहुंचा है, उसे उसी रूप में बनाए रखने और उसके गौरव को आगे बढ़ाने में हम कहां तक सफल होंगे! यह वर्ष हम सभी के लिए अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमारे विश्वविद्यालय की स्थापना का 75 वां वर्ष है।

इस अवसर पर कुलपति महोदया के नेतृत्व में वार्षिक एथलेटिक मीट की स्मारिका का भी विमोचन हुआ, जिसका संपादन डॉ. मनीष कुमार पांडेय द्वारा किया गया. उद्घाटन सत्र का संचालन भी डॉ. मनीष कुमार पांडे ने किया।

इस वार्षिक एथलेटिक मीट के पर्यवेक्षक पूर्वोत्तर रेलवे के एथलेटिक प्रशिक्षक विनोद कुमार सिंह तथा मुख्य रेफरी मोहम्मद अख्तर हैं. इसके साथ ही उद्घोषणा एवं टेक्निकल टेबल की जिम्मेदारी डॉ.अभिनव सिंह, डॉ. विकास सोनकर, डॉ.अखिल मिश्र एवं पुनीत श्रीवास्तव ने निभाया।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से प्रतिकुलपति प्रोफेसर शांतनु रस्तोगी, प्रो.राजवंत राव, प्रो. रजनीकांत पाण्डेय, प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी, प्रो. जितेंद्र मिश्र, प्रो.सुधीर श्रीवास्तव, प्रो. विजय कुमार श्रीवास्तव, प्रो. करुणाकर राम त्रिपाठी, प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा, प्रो. अनुभूति दुबे, प्रो. दिव्या रानी सिंह, प्रो.आलोक गोयल, प्रो. विजय चहल, प्रो.प्रत्यूष दुबे, राजवीर डॉ राजवीर सिंह सहित विश्वविद्यालय के अधिकांश शिक्षक एवं कर्मचारियों के साथ बड़ी संख्या में खेल प्रेमी विद्यार्थी इत्यादि उपस्थित रहे।