महाकुंभ मेले में मृत श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया

विश्वनाथ प्रताप सिंह

प्रयागराज। आज ठठेरी बाजार व्यापार मंडल सबद्ध प्रयागराज व्यापार मंडल द्वारा चौक कोतवाली चौराहे पर महाकुंभ मेला में असमय काल कवलित हुवे श्रद्धालुओं और ठठेरी बाजार नवयुवक संघ के युवा साथी राकेश कसेरा जिनकी श्रद्धालुओं की सेवा करते हुवे असमय देहावसान हो गया था उनकी आत्मा की शांति के लिए शोक सभा आयोजित किया गया जिसमें की ठठेरी बाजार और चौक के व्यापारियों निवासियों ने मोमबत्ती जला कर 2 मिनिट का मौन रख कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित किया।

मां गंगा भगवान भोले नाथ से प्रार्थना किया गया कि सभी को अपने धाम में स्थान प्रदान करे इनकी आत्मा को मोक्ष मिले श्री हरि भगवान इनके परिवार को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे आज मौनी अमावस्या के बाद बसंत पंचमी पर भी प्रयागराज व्याप्त मंडल और ठठेरी बाजार व्याप्त मंडल द्वारा भंडारे का आयोजित किया गया आज प्रमुख रूप से थानाध्यक्ष रोहित तिवारी , जिलाध्यक्ष सुशांत केसरवानी, जिला महामंत्री प्रशांत पांडे,अध्यक्ष ठठेरी बाजार चंद्र मोहन कसेरा महामंत्री सौरभ गुप्ता प्रभारी आशीष केसरवानी शरद भाई रंग वाले रोहित कसेरा, पूर्व पार्षद संजय गुप्ता नन्हा कसेरा, पुडुन कसेरा,विजय रावत संजय केसरवानी लाला कसेरा नीरज कसेरा संजीव गुप्ता सौरभ रस्तोगी डब्बू रस्तोगी सुरेंद्र रावत पिंटू रावत दिनेश सिंह बबुआ कसेरा गुप्ता जी बर्तन वाले।

जिलाधिकारी से लेकर चौकी तक फरियादी लगा रहा है गुहार फिर भी नही सुन रहे है ग्राम और चौकी के जिम्मेदार

विश्वनाथ प्रताप सिंह, प्रयागराज कौशाम्बी जिले के मंझनपुर ब्लाक अंतर्गत ग्राम सभा मेयोहर मजरा नेवास्ता निवासी बिरेन्द्र ने नाली के पानी बहाने को लेकर कई महीनों से अधिकारियों के चौखट का चक्कर काट गुहार लगा रहा है लेकिन अभी तक उसे न्याय नही मिल पारहा है।उच्च अधिकारी छोटे अधिकारी को आदेशित कर देते है लेकिन छोटे अधिकारी अपने अधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखा देते है।लेखपाल कहते है प्रधान नाली नही बनवा रहा है।चौकी वालो ने पानी तो बहवा देते है लेकिन दबंग उस पानी को रोक देते है।शिकायत करने पर कोई कार्यवाही नही की जाती है।जिसके कारण विवाद हो सकता है।

सवाल यह उठता है कि आखिर ग्राम सभा और चौकी के जिम्मेदार इस मामले को क्यों नही सुलझा रहे है क्या यह दोनों जिम्मेदार किसी विवाद का इंतजार कर रहे है।

भारतीय किसान यूनियन भानु संगठन जिलाध्यक्ष राजू सिंह ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक से अपनी संगठन के टीम के साथ जिम्मेदारों के खिलाफ शिकायत करने का मन बनाया है।

रामजी क्लिनिक व रामजीपुरम कालोनी का जिलापंचायत सदस्य ने किया शुभारंभ

सोहावल द्वितीय से जिला पंचायत सदस्य चंद्रभान सिंह ने सोहावल बाज़ार के मशहूर डॉक्टर राम वर्मा की नई क्लिनिक राम क्लिनिक और सोहावल नहर पुल के नीचे संजयगंज बाज़ार को जाने वाले मार्ग पर रामजीपुरम कालोनी का शुभारंभ किया ! मुख्य अतिथि के रूप में पहुचें सिंह ने डॉ राम वर्मा की नई क्लिनिक जिसको उनके पुत्र डॉ विनोद वर्मा व पुत्रवधू डॉ श्वेता वर्मा द्वारा संचालित किया जाएगा दोनों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए आशीर्वाद भी दिया।

इस कार्यक्रम में अपना दल एस के जिलाध्यक्ष कृष्णदेव वर्मा उर्फ गवास , धन्ना सिंह, डॉ विपिन बिहारी साहू, सौरभ वर्मा, लाल बहादुर सिंह, याकूब ख़ान, बल्लू दुबे आदि बड़ी संख्या में क्षेत्रिये लोगो के साथ संत समाज मौजूद रहा ! सभी ने डॉ वर्मा परिवार को अपनी शुभकामनाएँ दी ! कार्यक्रम के समापन में डॉ राम वर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया !

भूटान नरेश के साथ सीएम योगी ने संगम में लगाई आस्था की डुबकी

महाकुम्भ नगर। भारत के पड़ोसी राष्ट्र भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक मंगलवार को संगम की पवित्र धरती प्रयागराज पहुंचे। भूटान नरेश ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाई।

भूटान नरेश अक्षयवट का सीएम योगी संग किया दर्शन पूजन

भूटान नरेश नामग्याल वांगचुक के साथ मुख्यमंत्री प्रयागराज पहुंचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूटान नरेश के साथ संगम में आस्था की डुबकी लगायी। संगम में स्नान-ध्यान के उपरांत भूटान नरेश और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्षयवट का दर्शन करने पहुंचे। इसके बाद भूटान नरेश ने बड़े हनुमान जी के मंदिर में मत्था टेका।

महाकुम्भ के दिव्य-भव्य और डिजिटल स्वरूप का अवलोकन किया

स्नान और पूजा पाठ के बाद बाद भूटान नरेश और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हनुमान मंदिर के नजदीक बने डिजिटल महाकुंभ अनुभूति केंद्र गये। जहां उन्होंने महाकुम्भ के दिव्य-भव्य और डिजिटल स्वरूप का अवलोकन किया। भूटान नरेश ने महाकुंभ के भव्य व दिव्य स्वरूप को देखने के बाद सराहना भी की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत किया

गाैरतलब है कि भूटान नरेश नामग्याल वांगचुक सोमवार को ही लखनऊ पहुंचे थे, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया था। महाकुम्भ नगर में भूटान नरेश की आध्यात्मिक यात्रा के दौरान प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, नंद गोपाल गुप्ता ’नंदी’ और विष्णुस्वामी संप्रदाय की सतुआ बाबा पीठ के महंत जगद्गुरू संतोष दास (सतुआ बाबा) सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे।

दोपहर 2 बजे तक 61.20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

प्रयागराज महाकुम्भ में पतित पावनी मां गंगे, यमुना एवं अन्त: सलीला सरस्वती के पावन संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करने के लिए श्रद्धालुओं का आगमन निरन्तर जारी है। मंगलवार दोपहर दोपहर 2 बजे तक 61.20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

तीर्थयात्रियों की संख्या 20.65 लाख पहुंच चुकी

अपर मेलाधिकारी महाकुम्भ विवेक चर्तेदी ने बताया कि मंगलवार की सुबह तक 10 लाख से अधिक कल्पवासी तथा आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 20.65 लाख पहुंच चुकी है। श्रद्धालु पतित पावनी मां गंगे, यमुना एवं अन्त:सलीला सरस्वती के पावन संगम के विभिन्न घाटों पर आस्था की डुबकी लगा रहें है। मंगलवार सुबह 8 बजे तक कुल 30.56 लाख से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुकें है। तीर्थयात्रियों का आगमन जारी है।

महाकुम्भ में उमड़ा जनसैलाब, स्नानार्थियों की संख्या 35 करोड़ के पार

महाकुम्भ नगर । मां गंगा, मां यमुना और अदृश्य मां सरस्वती के पवित्र संगम में श्रद्धा और आस्था से ओत-प्रोत साधु-संतो, श्रद्धालुओं, कल्पवासियों, स्नानार्थियों और गृहस्थों का स्नान अब एक नए शिखर पर पहुंच गया है। इसी क्रम में बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर महाकुम्भ में अब तक स्नानार्थियों की संख्या ने 35 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया। सोमवार को सुबह 8 बजे तक 62.25 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाई। इसके साथ ही महाकुम्भ में स्नानार्थियों की कुल संख्या 35 करोड़ के पार हो गई। अभी महाकुम्भ को 23 दिन शेष है और पूरी उम्मीद है कि स्नानार्थियों की संख्या 50 करोड़ के ऊपर जा सकती है।

महाकुम्भ में देखने को मिल रही विविध संस्कृतियों की झलक

प्रयागराज में श्रद्धालुओं / स्नानार्थियों के जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है। पूरे देश और दुनिया से पवित्र त्रिवेणी में श्रद्धा और आस्था के साथ डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु प्रतिदिन करोड़ों की संख्या में प्रयागराज पहुंच रहे हैं। बसंत पंचमी के अंतिम अमृत स्नान पर भी सुबह से ही करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम स्नान को पहुंचे। रविवार 2 फरवरी को करीब 1.20 करोड़ ने स्नान किया था, जिसके बाद कुल स्नानार्थियों की संख्या 35 करोड़ के करीब पहुंच गई थी, जिसने सोमवार सुबह यह आंकड़ा पार कर लिया। स्नानार्थियों में 10 लाख कल्पवासियों के साथ-साथ देश विदेश से आए श्रद्धालु एवं साधु-संत शामिल रहे।

स्नान पर्व पर उमड़ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़

यदि अब तक के कुल स्नानार्थियों की संख्या का विश्लेषण करें तो सर्वाधिक 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या पर स्नान किया था, जबकि 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान किया था। एक फरवरी और 30 जनवरी को 2-2 करोड़ के पार और पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य डुबकी लगाई।

चौकस रही सुरक्षा व्यवस्था, फील्ड पर डटे रहे अफसर

महाकुम्भ प्रयाग की पावन भूमि पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती के प्राकट्य उत्सव बसंत पंचमी पर सोमवार को गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के पवित्र पावन संगम में सुनहरे मौसम के मध्य करोडों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। इस दौरान महाकुम्भ मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं/स्नानार्थियों एवं साधु-संत-महात्माओं व कल्पवासियों के सुगम आवागमन व सुरक्षित स्नान हेतु व्यापक पुलिस प्रबन्ध किये गये।

बम निरोधक दस्ता की टीमें व्यवस्थापित कर सतर्क दृष्टि रखी

सुरक्षा के दृष्टिगत सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में विभिन्न स्थानों के महत्वपूर्ण स्थलों, प्रत्येक चौराहे/तिराहे, पाण्टून पुलों, अखाड़ों के मार्गों एवं स्नान घाटों पर नागरिक पुलिस, यातायात पुलिस, घुड़सवार पुलिस, महिला पुलिस, अग्निशमन दल, पीएसी के जवान, एसटीएफ, एटीएस, एनएसजी के कमाण्डों, अर्धसैनिक बल, बम निरोधक दस्ता की टीमें व्यवस्थापित कर सतर्क दृष्टि रखी गई।

जवानों द्वारा निरंतर भ्रमण करते हुए सतर्क दृष्टि रखी गयी

पवित्र संगम में जल पुलिस के साथ गोताखोर/डीप डाइवर की नियुक्ति कर स्नानार्थियों/ श्रद्धालुओं की सुरक्षा के कड़े प्रबन्ध किये गये। इस दौरान बसंत पंचमी पर्व पर संगम क्षेत्र व अन्य स्नान घाटों का एसडीआरएफ/एनडीआरएफ/फ्लड कम्पनी के जवानों द्वारा निरंतर भ्रमण करते हुए सतर्क दृष्टि रखी गयी।

संगम स्नान कर कल्पवासियों ने किया सरस्वती पूजन

पौराणिक मान्यता है बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। वर्तमान काल में तीर्थराज प्रयागराज में ही मां सरस्वती का वास है। जो अंतः सलिला रूप में गंगा, यमुना के संगम में मिल कर पवित्र त्रिवेणी बनाती हैं। बसंत पंचमी के दिन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में स्नान का विशेष महत्व है। आज के दिन कल्पवासियों विधि पूर्वक संगम स्नान कर सरस्वती पूजन किया।

10 लाख से अधिक कल्पवासियों ने किया बसंत पंचमी का स्नान

महाकुम्भ 2025 में 10 लाख से अधिक श्रद्धालु प्रयागराज में संगम तट पर कल्पवास कर रहे हैं। जो प्रतिदिन पूरे माघ मास तीनों काल नियमपूर्वक गंगा में स्नान और व्रत का पालन करते हैं। महाकुम्भ में बसंत पंचमी के स्नान विशिष्ट महत्व है। कल्पवासियों ने नियम पूर्वक मौन व्रत रख कर ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान किया। महाकुम्भ के विशाल मेला क्षेत्र के अलग-अलग सेक्टरों में बसे कल्पवासी प्रातःकाल में ही पैदल चल कर संगम तट पर आते जा रहे थे। उन्होंने करोंड़ों श्रद्धालुओं और संन्यासियों के अखाड़ों के साथ अमृत स्नान किया।

अंतिम अमृत स्नान पर श्रद्धालुओं पर हुई पुष्पवर्षा, लगे जयकारे

महाकुम्भ 2025 के अंतिम अमृत स्नान बसंत पंचमी के दिन सोमवार को संगम तट पर डुबकी लगाने पहुंचे करोड़ों श्रद्धालुओं पर योगी सरकार ने हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराई। हेलीकॉप्टर से सभी घाटों और अखाड़ों पर स्नान के दौरान श्रद्धालुओं पर फूलों की बारिश की गई। गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश देख संगम तट पर मौजूद नागा संन्यासियों, संतों और श्रद्धालुओं ने अभिभूत होकर जय श्री राम और हर हर महादेव के नारे लगाए।

उत्तर प्रदेश रेलवे में 18 गुना हुआ आवंटन : अश्विनी वैष्णव

प्रयागराज। इस वर्ष के पारित बजट के मद्देनजर सोमवार को केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उत्तर प्रदेश में संचालित किए जा रहे रेलवे के विभिन्न परियोजनों हेतु आवंटित बजट हिस्सेदारी पर प्रेस वार्ता की। उन्होंने बताया कि इस साल के रेलवे बजट का कुल उत्तर प्रदेश रेलवे के लिए 19858 करोड़ रुपए बजट में आवंटित किया गया है। यह उत्तर प्रदेश के रेलवे के कायाकल्प के लिए रामबाण साबित होगा।

यूपी में रेलवे का पूर्व की सरकारों से 18 गुना ज्यादा बजट आवंटन

गौरतलब है कि 1 फरवरी को पारित बजट में रेलवे के लिए आवंटित मौद्रिक राशि तथा विभिन्न परियोजनाओं के सिलसिले में आज केंद्रीय मंत्री ने उत्तर प्रदेश में रेलवे द्वारा जितनी भी योजनाएं, परियोजनाएं संचालित हो रही हैं उनके वर्तमान विकास की अवस्था एवं भविष्य की रूपरेखा पर पत्रकार से परिचर्चा की। उन्होंने कहा कि मौजूदा मोदी सरकार ने विगत 10 वर्षों में उत्तर प्रदेश में रेलवे का पूर्व की सरकारों से 18 गुना ज्यादा बजट आवंटन किया है। इनमें विभिन्न परियोजनाएं, नए स्टेशन, नए-नए ट्रैक, ट्रैकों का मल्टी ट्रैकिंग इत्यादि समाहित है।

रेलवे के विकास में डबल इंजन की सरकार की महती भूमिका

उन्होंने डबल इंजन की सरकार की महत्ता को उद्घाटित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में रेलवे के विकास में डबल इंजन की सरकार की महती भूमिका रही है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के रेल के विकास में आने वाली समस्याओं के त्वरित निस्तारण हेतु सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ट्रैक बिछाने में चाहे वह जमीन अधिग्रहण की समस्या हो, अनुमति से संबंधित मामला हो या किसानों द्वारा जताई गई आपत्ति या कोई अन्य प्रकार की समस्या हो, इन सबके शीघ्र निस्तारण में मुख्यमंत्री की अहम भूमिका रही है।

आज 5200 किलोमीटर ट्रैक बिछाए गए

विकास की इसी सरपट भागती गाड़ी के कारण आज उत्तर प्रदेश में रेलवे बड़ा आकर ले चुका है। उन्होंने यूपी रेलवे के विकास का आंकड़ा प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज 5200 किलोमीटर ट्रैक बिछाए गए हैं। एक प्रदेश में इतने लंबे ट्रैकों की संख्या यूरोप के स्विट्जरलैंड अथवा बेल्जियम के कुल रेल नेटवर्क से अधिक ही है। यह माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विकसित भारत के सपनों को हकीकत में परिवर्तित हो रही तस्वीरों को रेखांकित करता है। निश्चित तौर पर यह उत्तर प्रदेश के रेलवे के लिए बेहद गौरव का विषय है।

उत्तर प्रदेश में 104000 करोड़ का निवेश होगा

आगे उन्होंने बताया कि इस वर्ष पूरे उत्तर प्रदेश में 104000 करोड़ का निवेश होगा। जिसमें कई सारे प्रोजेक्ट होंगे। मसलन, अमृत स्टेशन बनाए जाएंगे, रेलवे ट्रैक बिछाए जाएंगे। उन्होंने द्रुत गामी वंदे भारत ट्रेनों के बारे में बात करते हुए बताया कि 14 वंदे भारत ट्रेन इस समय उत्तर प्रदेश से संचालित हो रही हैं। जिसमें तकरीबन 20 जनपद कवर होते हैं। उन्होंने बताया कि बहुत जल्द उत्तर प्रदेश में सारे रेलवे को कवच प्रणाली से जोड़ दिया जाएगा। जिससे भविष्य में कोई भी रेलवे दुर्घटना ना हो सके।

उत्तर प्रदेश में रेलवे के विकास संंबंधित प्रमुख बिंदु

• उत्तर प्रदेश में रेल के विकास के वर्ष 2025-26 के लिए कुल रुपए 19858 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। यह वर्ष 2009-14 के दौरान औसत आवंटन 1109 करोड़ से लगभग 18 गुना अधिक है।

• वर्ष 2009-14 की अवधि के दौरान औसतन 199 किमी नए रेल ट्रैक का निर्माण होता था जो वर्ष -2014-25 की अवधि में प्रति वर्ष 474 किमी हो गया।

• वर्ष 2009-14 की अवधि के दौरान औसतन 193 किमी ट्रैक का रेल विद्युतीकरण होता था जो वर्ष -2014-25 की अवधि में प्रति वर्ष 551 किमी(2.8 गुना) हो गया। 2014 से अब तक 6,064 किलोमीटर का विद्युतीकरण किया गया है। उत्तर प्रदेश 100% विद्युतीकृत है।

• 2014 से अब तक उत्तर प्रदेश में 5,209 किलोमीटर नई पटरियाँ बनाई गईं, जो स्विटज़रलैंड के पूरे रेल नेटवर्क से अधिक है।

• उत्तर प्रदेश में कुल 4876 किमी के रेल ट्रैक पर कवच लगाने का कार्य स्वीकृत है इसमें से 2043 किमी पर कार्य प्रगति पर या टेंडर प्रक्रिया के अधीन है।

• चालू परियोजनाएँ (नई पटरियाँ): 70 परियोजनाएँ; 5,958 किलोमीटर; 96,283 करोड़ रुपये

• 7,695 करोड़ रुपये की लागत से 157 अमृत स्टेशन विकसित किए जा रहे हैं।

• 2014 से 1,568 रेल फ्लाईओवर और अंडर-ब्रिज का निर्माण किया गया।

• 2014 से प्रदान की गई यात्री सुविधाएं: लिफ्ट-120, एस्केलेटर: 130 , वाईफाई (स्टेशनों की संख्या): 771

• उत्तर प्रदेश में 25 यूनीक स्टॉपेज वाले 20 जिलों को कवर करते हुए 14 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं।

• 1 अमृत भारत एक्सप्रेस (दरभंगा - आनंद विहार टर्मिनल), जो यूपी में 10 यूनीक स्टॉपेज वाले 10 जिलों को कवर करती है।

बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व से शुरू हुई वैष्णव अखाड़ों की अद्भुत अग्नि स्नान साधना

महाकुम्भ नगर । महाकुंभ त्याग और तपस्या के साथ विभिन्न साधनाओं के संकल्प का भी पर्व है । प्रयागराज महाकुम्भ साधनाओं के विविध संकल्पों का साक्षी बन रहा है ऐसी ही एक साधना है पंच धूनी तपस्या जिसे अग्नि स्नान की साधना भी कहा जाता है जिसकी शुरुआत बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व से हो गई ।

तपस्वी नगर में पंच धूनी तपस्या का आरंभ

कुम्भ क्षेत्र जप ,तप और साधना का क्षेत्र है जिसके हर कोने में कोई न कोई साधक अपनी साधना में रत नज़र आएगा । महाकुम्भ के तपस्वी नगर में बसंत पंचमी से एक खास तरह की साधना का आरंभ हुआ है जिसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा कौतूहल है। इस साधना को पंच धूनी तपस्या कहा जाता है जिसे आम भक्त अग्नि स्नान साधना के नाम से भी जानते हैं। इस साधना में साधक अपने चारों तरफ जलती आग के कई घेरे बनाकर उसके बीच में बैठकर अपनी साधना करता है । जिस आग की हल्की से आंच के सम्पर्क में आने से इंसान की त्वचा झुलस जाती है उससे कई गुना अधिक आंच के घेरे में बैठकर ये तपस्वी अपनी साधना करते हैं ।

वैष्णव अखाड़ों में खालसा के संतों में है साधना की यह कठिन परम्परा

वैष्णव अखाड़े के खालसा में इस अग्नि स्नान की साधना की परम्परा है जो बेहद त्याग और संयम की स्थिति में पहुंचने के बाद की जाती है । श्री दिगंबर अनी अखाड़े में महंत राघव दास बताते हैं कि अग्नि साधना वैष्णव अखाड़ों के सिरमौर अखाड़े दिगंबर अनी अखाड़े के अखिल भारतीय पंच तेरह भाई त्यागी खालसा के साधकों की विशेष साधना है । यह साधना अठारह वर्षो की होती है । इस अनुष्ठान को पूरा करने के पीछे न सिर्फ साधना के उद्देश्य की पूर्ति करनी होती है बल्कि साधु की क्षमता और सहनशीलता का परीक्षण भी होता है। लगातार 18 वर्ष तक साल के 5 माह इस कठोर तप से गुजरने के बाद उस साधु को वैरागी की उपाधि मिलती है ।

महाकुंभ से मिल रही सनातन धर्म को नयी दिशा : डा लक्ष्मी नारायण

महाकुंभ नगर। किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डा लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महराज ने कहा कि तीर्थराज प्रयागराज में लगे विश्व प्रसिद्ध महाकुंभ से सनातन धर्म को नयी दिशा मिल रही है क्योंकि जहां लोग धर्म की मजबूती के लिए आगे आ रहे हैं वहीं लोग धर्म से और मजबूती से जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 45 दिन के महाकुंभ में प्रतिदिन एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा और संगम में अक्षय पुण्य के लिए परिवार सहित डुबकी लगा रहे हैं इसी से समझा जा सकता है कि महाकुंभ ने सनातन धर्म को और मजबूती देते हुए उसका प्रचार-प्रसार कर रहा है।

यह बातें किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डा लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महराज ने महाकुंभ के चौथे मुख्य स्नान पर्व बसंत पंचमी एवं अंतिम अमृत स्नान पर्व (शाही स्नान) पर स्नान के दौरान आज संगम पर कहा। किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डा लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महराज ने कहा कि देश और विदेश से बड़ी संख्या में जुटे संत, महात्मा और करोड़ों श्रद्धालु जहां प्रयागराज में सनातन धर्म को मजबूती दे रहे हैं वहीं सनातन धर्म इस विश्व स्तरीय आयोजन से मजबूती के साथ आगे बढ रहा है।

समाज को नया संदेश देने का काम करेगा

उन्होंने बसंत पंचमी पर संत, महात्मा, श्रद्धालुओं और स्नानार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि तीर्थराज प्रयागराज आने वाले समय में सनातन धर्म की मजबूती और समाज को नया संदेश देने का काम करेगा। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डा लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महराज ने कहा कि किन्नर संतों ने विश्व शांति, विश्व कल्याण और लोगों की उन्नति के लिए भगवान तीर्थराज प्रयागराज, वेणीमाधव से कामना की है।

स्नान में अखाड़ा के संरक्षक के साथ ये रहे शामिल

स्नान के दौरान अखाड़ा के संरक्षक महंत दुर्गा दास, किन्नर अखाड़ा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी पार्वती नंद गिरी, कुंभ प्रभारी महामंडलेश्वर स्वामी कौशल्यानंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी पवित्रा नंद गिरी, महामंडलेश्वर पुष्पानंद गिरि, महामंडलेश्वर मयूरी नंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी वामदेव नंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी ऋषिकेश नंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी मनिकंडन महराज, महामंडलेश्वर स्वामी सतीश नंद गिरी, महामंडलेश्वर कल्याणी नंद गिरी, महामंडलेश्वर जगदंबा नंद गिरी,, महामंडलेश्वर दीपानंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी इन्दूनंद गिरि, श्रीमहंत रिदिमा नंद गिरी सहित बड़ी संख्या में शिष्यों ने संगम पर अमृत स्नान किया।

वसन्त पंचमी महापर्व स्नान,ध्यान,भक्ति एवं ज्ञान का प्रतीक है : जिला मंत्री राजेश तिवारी

गुफरान खान

प्रयागराज।वसन्त पंचमी महापर्व स्नान, ध्यान,भक्ति एवं ज्ञान का प्रतीक है यह अभिव्यक्ति एशोसिएशन बोरिंग टेक्नीशियन प्रयागराज के जिला मंत्री राजेश तिवारी ने स्वामी पगलानन्द आश्रम पकरी सेवार मेजा प्रयागराज के गंगा तट पर माँ गंगा स्नानोंपरान्त अपने प्रियजनों एवं वहाँ पर उपस्थित श्रद्धालुजनों के बीच कही।गौरतलब हो जिला मंत्री वसन्त पंचमी के महापर्व पर गंगा स्नान हेतु अपने प्रियजनों के साथ पगलानन्द आश्रम पकरी सेवार मेजा प्रयागराज पधारे हुए थे।

माँ गंगा स्नानोंपरान्त जिला मंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज बहुत ही शुभदिन का अवसर है क्योंकि आज वसन्त पंचमी का दिन है और आज के दिन माँ गंगा में स्नान करना अमृत के समान है।जिला मंत्री गंगा तट पर उपस्थित सभी श्रद्धालुजनों एवं प्रियजनों को वसन्त पंचमी महापर्व की हार्दिक बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएं दी और आगे कहा कि वसन्त पंचमी महापर्व स्नान,ध्यान,भक्ति एवं ज्ञान का प्रतीक है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वाणी,ज्ञान,कला और शिक्षा की देवी माँ भगवती सरस्वती प्रकट हुई थी।आज के दिन गंगा स्नान कर ध्यानपूर्वक माँ भगवती सरस्वती की भक्ति करना चाहिए इससे माँ भगवती सरस्वती की असीम कृपा प्राप्त होती जिससे व्यक्ति को अद्वितीय ज्ञान की प्राप्ति होती है।

जिला मंत्री ने आगे कहा कि प्रयागराज से माँ गंगा,माँ यमुना एवं अदृश्य माँ सरस्वती के मिलन से प्रवाहित संगम रुपी अमृतजल पूर्व की ओर बढ़ते हुए इस स्नान तक पहुँचता है और बीच में ही सिरसा प्रयागराज से माँ तमसा का भी मिलन हो जाता है जिससे यह पगलानन्द आश्रम पकरी सेवार मेजा प्रयागराज के गंगा तट की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है।ऐसे दिव्य पवित्र स्थल पर वसन्त पंचमी के दिन स्नान होना बड़े ही सौभाग्य की बात है।जिला मंत्री ने यह भी कहा कि कि वर्तमान समय में प्रयागराज के संगम तट पर प्रदेश के अन्य जनपदों से,अन्य प्रदेशों से एवं देश विदेश से बहुत से श्रद्धालुजन संगम स्नान करने हेतु आ रहे हैं।हम सभी जनपदवासियों का मूल दायित्व है कि इन आगंतुक श्रद्धालुजनों को कोई तकलीफ ना इसलिए हमनें भी अपने निकटतम गंगा तट पर स्नान करने का निर्णय लिया और आप सब भी अपने समीप के गंगा तट पर स्नान करें।पुण्य सभी जगह समान है।इस वसन्त पंचमी के महापर्व पर जिला मंत्री के गंगा स्नान के समय समाजसेवी हरिश्चन्द्र तिवारी,हिन्दू महासभा महामंत्री राकेश तिवारी,आचार्य प्रकाशानन्द महराज,शिक्षाविद कमलेश पाण्डेय एवं शिक्षाविद जोखू लाल पटेल सहित आस पास बहुत से श्रद्धालुजन जन मौजूद रहे।

एकता के महाकुम्भ के साथ ही महाकुम्भ ने दिया वसुधैव कुटुंबकम का संदेश


विश्वनाथ प्रताप सिंह

महाकुम्भनगर, 03 फरवरी : बसंत पंचमी पर महाकुम्भ में भारत के हर राज्य और हर जाति लोगों ने एक साथ संगम में अमृत स्नान किया। इसके साथ दुनिया भर के कई देशों के श्रद्धालु भी पहुंचे और जय श्री राम, हर हर गंगे, बम बम भोले के उद्घोष के साथ भारतीय जनमानस के साथ घुल मिल गए। अमृत स्नान पर महाकुम्भ नगर में एकता का महाकुम्भ नजर आया। यहां भारत की सनातन संस्कृति से अभिभूत विदेशी नागरिकों ने परिवार के साथ पहुंचकर गंगा स्नान किया। जय श्री राम, हर हर गंगे का नारा लगाकर लोग उत्साह से लबरेज नजर आए।

आस्था का संगम

महाकुम्भ के इस ऐतिहासिक मौके पर संगम का तट भारतीय और विदेशी श्रद्धालुओं से पूरी तरह से भर गया। आस्था का ऐसा संगम हुआ कि संगम की रेत तक नजर नहीं आ रही थी। हर जगह सिर्फ मुंड ही मुंड नजर आ रहे थे। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, केरल, आंध्र प्रदेश समेत हर राज्य, हर जाति के लोग और अन्य देशों से आए विदेशी नागरिकों ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। अमेरिकी, इजरायली, फ्रांसीसी समेत कई अन्य देशों के नागरिक गंगा स्नान करते हुए भारत की सनातन संस्कृति से अभिभूत हुए। वे भी बम बम भोले के नारे लगाते हुए उत्साह से झूमते नजर आए।

महाकुम्भ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी भारत की ब्रांडिग

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दिव्य और भव्य महाकुम्भ का अलौकिक आयोजन किया गया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक शक्ति महाकुम्भ के इस बार के अद्भुत आयोजन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी ज्यादा बढ़ा दी है। महाकुम्भ में दुनिया भर के कई देशों के नागरिकों ने भाग लिया और भारत की संस्कृति को अनुभव किया। विदेशी श्रद्धालु भारत की सनातन संस्कृति से गहरे प्रभावित हुए और परिवार के साथ गंगा में स्नान किया। संगम के तट पर जय श्री राम और हर हर गंगे के उद्घोष से माहौल बना और श्रद्धालु श्रद्धा से गंगा में डुबकी लगाते रहे।

हर वर्ग, संप्रदाय के लिए समानता का भाव

प्रयागराज का महाकुम्भ विश्व का सबसे बड़ा मानवीय और आध्यात्मिक सम्मेलन है। यूनेस्को ने महाकुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है। सीएम योगी का मानना है कि महाकुम्भ भारत की सांस्कृतिक विविधता में समायी हुई एकता और समता के मूल्यों का सबसे बड़ा प्रतीक है। यहां सब एक समान हैं। करोड़ों लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा रहे हैं। श्रद्धालु, समस्त साधु, संन्यासियों का आशीर्वाद ले रहे हैं, मंदिरों में दर्शन कर अन्नक्षेत्र में एक ही पंगत में बैठ कर भण्डारों में खाना खा रहे हैं। महाकुम्भ भारत की सांस्कृतिक विविधता में समायी हुई एकता और समता के मूल्यों का सबसे बड़ा प्रदर्शन स्थल है, जिसे दुनिया भर से आये पर्यटक देखकर आश्चर्यचकित हैं। कैसे अलग-अलग भाषायी, रहन-सहन, रीति-रिवाज को मानने वाले एकता के सूत्र में बंधे संगम में स्नान करने चले आते हैं। साधु-संन्यासियों के अखाड़े हों या तीर्थराज के मंदिर और घाट, बिना रोक टोक श्रद्धालु दर्शन,पूजन करने जा रहे हैं। संगम क्षेत्र में चल रहे अनेक अन्न भण्डार सभी भक्तों, श्रद्धालुओं के लिए दिनरात खुले हैं जहां सभी लोग एक साथ पंगत में बैठ कर भोजन ग्रहण कर रहे हैं। महाकुम्भ मेले में भारत कि विविधता इस तरह समरस हो जाती है कि उनमें किसी तरह का भेद कर पाना संभव नहीं है।

अनवरत जारी है सनातन संस्कृति की परंपरा

महाकुम्भ में सनातन परंपरा को मनाने वाले शैव, शाक्त, वैष्णव, उदासीन, नाथ, कबीरपंथी, रैदासी से लेकर भारशिव, अघोरी, कपालिक सभी पंथ और संप्रदायों के साधु,संत एक साथ मिलकर अपने-अपने रीति-रिवाजों से पूजन-अर्चन और गंगा स्नान कर रहे हैं। संगम तट पर लाखों की संख्या में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु देश के कोने-कोने से आए हैं। अलग-अलग जाति, वर्ग, भाषा को बोलने वाले साथ मिलकर महाकुम्भ की परंपराओं का पालन कर रहे हैं। महाकुम्भ में अमीर, गरीब, व्यापारी, अधिकारी सभी तरह के भेदभाव भुलाकर एक साथ एक भाव में संगम में डुबकी लगा रहे हैं। महाकुम्भ और मां गंगा, नर, नारी, किन्नर, शहरी, ग्रामीण, गुजराती, राजस्थानी, कश्मीरी, मलयाली किसी में भेद नहीं करती। अनादि काल से सनातन संस्कृति की समता,एकता कि ये परंपरा प्रयागराज में संगम तट पर महाकुम्भ में अनवरत चलती आ रही है।