बसंत पंचमी 2025: जानें देश के अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाया जाता है यह त्योहार
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आज यानि रविवार को बसंत पंचमी (Basant Panchmi 2025) का पावन त्योहार है. संगम नगरी प्रयागराज समेत पूरे देश में यह त्योहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है. बसंत पंचमी का त्योहार देश भर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. इस दिन लोग मां सरस्वती की पूजा करते हैं, पतंग उड़ाते हैं, और पीले रंग के कपड़े पहनते हैं. साथ ही, इस दिन कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. प्रयागराज में इस समय महाकुंभ (Mahakumbh Shahi Snan) चल रहा है. ऐसे में वहां सुबह से ही लाखों लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है. लोग अमृत स्नान के लिए यहां आ रहे हैं. लेकिन अमृत स्नान आज नहीं बल्कि महूर्त के हिसाब से कल यानि सोमवार को है. इसी क्रम में आज जानेंगे देश के अलग-अलग राज्यों में बसंत पंचमी कैसे मनाई जाती है.
देशभर में जहां बसंत पंचमी का त्योहार सरस्वती पूजा के साथ मनाया जाता है. वहीं, हिमाचल प्रदेश कुल्लू में हर त्योहार कुछ अनोखे ढंग से मनाया जाता है. कुल्लू में इस दिन भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा निकलती है. इस दौरान यहां भरत मिलाप की प्रथा को भी निभाया जाता है. कुल्लू जिले में 40 दिन तक होली मनाई जाती है. मेला भी लगता है. 1651 को भगवान रघुनाथ को अयोध्या से कुल्लू लाया गया था. तब से लेकर इस परंपरा को बखूबी निभाया जाता है.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में, बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा मुख्य स्थान रखती है. इस दिन छात्र और कलाकार विद्या की देवी सरस्वती को श्रद्धांजलि देते हैं. छात्र उत्साहपूर्वक भाग इस पर्व में लेते हैं. लड़कियां पीली बसंती साड़ी पहनती हैं और लड़के धोती और कुर्ता पहनते हैं. भक्त सुबह देवी सरस्वती को बेल के पत्ते, गेंदा, पलाश और गुलदाउदी के फूलों का उपयोग करके अंजलि अर्पित करते हैं.
सरस्वती पूजा एक सामुदायिक उत्सव बन जाती है, जिसमें इलाकों में देवी के पंडाल और मूर्तियां स्थापित की जाती हैं. ग्रामोफोन पर बजाए जाने वाले पारंपरिक संगीत से ज्ञान की देवी का आशीर्वाद मांगा जाता है. नैवेद्य में भक्तों के बीच वितरित किए जाने वाले कुल फल, सेब, खजूर और केले जैसे प्रसाद शामिल होते हैं. बंगाली वर्णमाला सीखने का समारोह, हाटे खोरी भी किया जाता है. शाम को जल निकायों में देवी सरस्वती की मूर्ति के विसर्जन के साथ एक भव्य जुलूस निकाला जाता है.
पंजाब और हरियाणा
इसके अलावा पंजाब और हरियाणा में इस त्योहार को पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताओं द्वारा चिह्नित किया जाता है, जो इसे एक जीवंत और रंगीन आयाम प्रदान करता है. पतंगबाजी में में पुरुष और महिलाएं उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं. बसंत पंचमी से पहले पतंगों की मांग बढ़ जाती है और साफ नीला आसमान विभिन्न रंगों, आकृतियों और आकारों की पतंगों के लिए एक कैनवास बन जाता है. पारंपरिक पंजाबी परिधानों और बसंती रंग के कपड़े पहने स्कूली छात्राएं पतंग उड़ाने की गतिविधियों में शामिल होती हैं. इस त्योहार की खासियत यह है कि स्कूली छात्राएं वसंत के आगमन का जश्न मनाने के लिए लोकप्रिय लोक नृत्य गिद्दा भी करती हैं. इसके अलावा कुछ विशेष व्यंजनों को बनाया जाता है जैसे- खिचड़ी और मीठे चावल, सरसों का साग और मक्के की रोटी.
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत
वहीं, महाराष्ट्र में, भक्त शिव और पार्वती की पूजा करते हैं, जो वसंत पंचमी उत्सव की धार्मिक विविधता पर जोर देता है. विद्यार्थी इस दिन अपनी पढ़ाई की शुरुआत करते हैं. लोग पीले रंग के वस्त्र पहनकर देवी की आराधना करते हैं. नवविवाहित जोड़े मंदिरों में जाकर स्पेशल पूजा करते हैं. ऐसे ही दक्षिण भारत में भी बसंत पंचमी का त्योहार, पीले रंग के कपड़े पहनकर, पतंग उड़ाकर और पारंपरिक मिठाइयां खाकर मनाया जाता है.
उत्तराखंड और बिहार
उत्तराखंड में बसंत पंचमी पर्व के दिन पूजा के दौरान मां सरस्वती को फूल, पत्ते और पलाश की लकड़ी अर्पित करते हैं. इसके अलावा कई लोग देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना भी करते हैं और नृत्य करते हैं. स्थानीय लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं. वहीं बिहार में बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं और माथे पर हल्दी का तिलक लगाते हैं. मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. लोक गीत गाते और नृत्य करते हैं.
Feb 02 2025, 16:31